लखनऊ- पाकिस्तान में रह रहे जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख और पठानकोट जैसे आतंकी हमले का मास्टर माइंड मसूद अजहर पर आर्थिक दृष्टि से प्रतिबंध करने के लिए भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव रखा था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से अमरीका जैसा देख भी प्रतिबंध के पक्ष में था, लेकिन 31 मार्च को यूएनओ के स्थाई सदस्य का वीटो पावर काम में लेते हुए चीन ने हमारे प्रस्ताव को रद्द करवा दिया। चीन के इस कृत्य से जाहिर है कि चीन पाकिस्तान में बैठे उन आतंकवादियों और संगठनों का मददगार है, जो भारत में पठानकोट जैसे हमले करते है।
इसे यू भी कहा जा सकता है कि जो आतंकी भारत में निर्दोष लोगों और सेना के जवानों को शहीद करते है उन्हें चीन का समर्थन है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारतीय नागरिकों को अब चीन का सामान खरीदना चाहिए? आज दुनिया में चीन की जो आर्थिक स्थिति है उसके पीछे भारत का विशाल बाजार है। चीन ने हमारे दैनिक जीवन की वस्तुओं का भी उत्पाद कर बेचना शुरू कर दिया है। यानि चीन भारत को दो तरीकों से कमजोर कर रहा है। एक चीन के सामान की वजह से हमारे उद्योग बंद हो रहे है तो दूसरी ओर आतंकी हमलों से भारत बुरी तरह परेशान है। यदि भारतीय नागरिक चीन का सामान खरीदना बंद कर दें तो चीन को करारा जवाब दिया जा सकता है।
केंद्र सरकार के आलोचक यह कह सकते हैं कि नरेन्द्र मोदी चाहे तो चीन से आयात बंद कर दें। ऐसे आलोचकों को यह समझना होगा कि भारत में लोकतंत्र है और संविधान में यह लिखा है कि कोई भी व्यक्ति अपने धर्म के अनुरुप भारत में रह सकता है। यदि कोई व्यक्ति ‘भारत माता की जय’ न बोलना चाहे तो उसे देशभक्ति का सबक नहीं सिखाया जा सकता। इसके विपरीत चीन में न तो लोकतंत्र है और न कोई धर्म। चीन में वो ही व्यक्ति सांस ले सकता है जो सरकार की नीतियों का पालन करें। सरकार की नीतियों के खिलाफ एक शब्द भी कहने वाले को तत्काल मौत के घाट उतार दिया जाता है। चीन के नागरिकों का एक ही धर्म है देशभक्ति और देशभक्ति भी कम्युनिस्ट पार्टी वाली।
चीन में कोई चुनाव नहीं होते सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी के ही पदाधिकारियों के चुनाव होते हैं। चीन में यदि कोई व्यक्ति अपने धर्म की आड़ लेकर सरकार का विरोध करता है तो उसे चीन में सांस लेने की इजाजत नहीं है। हम समझ सकते हैं कि भारत और चीन में कितना फर्क है। ऐसे में चीन के खिलाफ भारतीय नागरिकों को ही पहल करनी होगी। इसे चीन की ताकत ही कहा जाएगा कि पाकिस्तान में बैठे किसी भी आतंकी और संगठन की इतनी हिम्मत नहीं कि वे चीन की ओर आंख उठाकर देख ले। आतंकियों को भी पता है कि ड्रेगन उनका कचूमर निकाल देगा जबकि भारत में तो आतंकवादियों के हमदर्द ही नहीं है बल्कि उनके खिलाफ कार्यवाही होने पर भी एतराज जताया जाता है जबकि सब जानते है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। आतंकवादी तो सभी धर्मो के लोगों को मौत के घाट उतारते है।
@शाश्वत तिवारी