एक अध्ययन में पता चला है कि जीवन में लगातार वित्तीय कठिनाई की वजह से युवाओं में संज्ञानात्मक और समय से पहले बूढ़ा होने का खतरा बढ़ा सकता है। मियामी विश्वविद्यालय की प्रमुख खोजकर्ता अदिना जेकी अल हज्जोरी ने कहा कि आय गतिशील है और हर व्यक्ति आय के बदलाव और गतिशीलता से अपने युवा, वयस्क और मध्यजीवन में इसका अनुभव पाता है।
हज्जोरी ने कहा कि अध्ययन से पता चला है कि आर्थिक रूप से कमजोर आबादी में आर्थिक कठिनाई संज्ञानात्मक और समय से पहले बुढ़ापा लाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि आर्थिक कठिनाई और बदतर संज्ञानात्मक कार्यो के खतरे में मजबूत क्रमिक संबंध है।
अध्ययन में ऐसे व्यक्ति जो हरदम गरीबी में रहे, उन्होंने कभी गरीबी में नहीं रहे व्यक्तियों की तुलना में बदतर प्रदर्शन किया। इसी तरह के परिणाम शोधकर्ताओं को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करने वालों की दशा में भी देखने को मिले।
इसमें दल ने लगातार गरीबी और कथित आर्थिक कठिनाइयों के मध्य जीवन के संज्ञानात्मक कार्य पर प्रभाव का अध्ययन किया। इसके लिए आय आकड़े का इस्तेमाल किया। इसमें अमेरिका के 3,400 वयस्कों, जिनकी आयु 18 से 30 साल रही, अध्ययन किया गया।
हज्जोरी का यह शोध पत्र ‘अमेरिकी जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने कहा कि यह नजर रखना महत्वपूर्ण रहा कि कैसे आय की प्रवृत्तियों और दूसरे सामाजिक और आर्थिक मानकों ने स्वास्थ्य के नतीजों को प्रभावित किया। [एजेंसी]