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Sunday, January 12, 2025
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अरविंद केजरीवाल ने संयोजक के पद से इस्‍तीफा दिया

 Kejriwal

नई दिल्‍ली – आम आदमी पार्टी के अंदर पिछले कुछ दिनों से जारी घमासान के बीच मुख्‍यमंत्री और पार्टी के राष्‍ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने संयोजक के पद से इस्‍तीफा दे दिया है। केजरीवाल ने यह कहते हुए इस्‍तीफा दिया कि वह दिल्‍ली पर ध्‍यान देना चाहते हैं, इसलिए संयोजक का पद छोड़ रहे हैं।

बताया जा रहा है कि केजरीवाल ने 26 फरवरी को ही इस्‍तीफा दे दिया था। इस बारे में आज पार्टी की बैठक के दौरान चर्चा होगी और केजरीवाल से इस्‍तीफा वापस लेने के लिए कहा जा सकता है। पार्टी के अंदर दो धड़े बन गए थे, जिसमें से एक धड़ा एक व्‍यक्‍ित एक पद की मांग करते हुए अरविंद केजरीवाल से संयोजक के पद से इस्‍तीफा देने की मांग कर रहा था।

इस बीच पार्टी के अंदर मची कलह के शां‍त होने के संकेत मिले हैं। अरविंद केजरीवाल के समर्थक आशीष खेतान ने मंगलवार को भूषण परिवार पर सार्वजनिक रूप से हमला करने को अपनी गलती करार दिया है। वहीं, योगेंद्र यादव ने भी उम्मीद जताई है कि शाम तक अच्छी खबर आएगी।

पिछले कई दिनों से पार्टी के संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव अनुशासनहीनता के आरोपों के बीच पार्टी के ही कुछ नेताओं के निशाने पर हैं। पार्टी के कुछ नेता इन दोनों संस्थापक सदस्यों को पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से इस्तीफा देने की मांग पर अड़े हैं। वहीं, कुछ उन्हें पार्टी से हटाने तक की मांग कर रहे हैं। -एजेंसी

चंदौली : UP में भी हो सकता है बड़ा नसबंदी कांड

Uttar Pradesh largest sterilization scandal 2चंदौली – जिले का स्वास्थ्य महकमा सुधरने का नाम नहीं ले रहा है । स्वास्थ्य अधिकारी जैसे आँख मूंदे हुए है और आनन फानन में लक्ष्य पूरा करने के लिए महिलाओ की जिंदगी से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे है । जिले के नियामताबाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है । जहां डाक्टरों ने 27 महिलाओ का नसबंदी का आपरेशन करके उनको तुरंत जमीन पर लेटा दिया । महिला मरीजों का आरोप है की अस्पताल में एक बेड नहीं और और बाथरूम के बगल महिलाओ को फर्श पर सुलाया गया है |आशा कर्मियों ने स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक पर दुर्वयहार का आरोप लगाया और जमकर हंगामा किया । डीएम ने पुरे मामले में जांच कर कार्यवाही के आदेश दिए है ।

Uttar Pradesh largest sterilization scandal 1चंदौली जिले के नियामताबाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जहां नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था और महिलाओ को आपरेशन के तुरंत बाद उन्हें जमीन पर लेटा दिया गया । अस्पताल तो दो बेड का है पर अस्पताल में एक भी बेड मौजूद नहीं था । नसबंदी शिविर में ना तो उनके स्वास्थ का ध्यान रखा गया और ना ही पर्याप्त इंतजामो का । सुबह से ही आशा स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा नसबन्दी के लिए नियामताबाद ब्लाक क्षेत्र के महिलाओ को नियामताबाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर लाया गया था । जिसमे 32 महिलाओ का नसबंदी के लिए पंजीकरण हुआ था । जिसमे 27 महिलाओ का नसबन्दी का ऑपरेशन किया गया । अस्पताल में बदबूदार बाथरूम के बगल में नसबंदी के बाद महिलाओ को लिटा दिया गया । मरीजों के परिजनों का आरोप था की अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है । मरीजों को फर्श पर लिटाया गया है । नसबंदी करने आई महिलाओं के परिजनों ने बताया की जब हम लोग इसकी शिकायत करते है तो डॉक्टर कहते है की ऑपरेशन कराना है तो कराओ नहीं तो यहाँ से जाओ ।

Uttar Pradesh largest sterilization scandalयही नहीं हद तो तब हो गयी जब आशा स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लायी गयी महिला मरीजों को फर्श पर लिटाये जाने पर उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक से इस बात की शिकायत की तो अधीक्षक महोदय ने उनको भला बुरा कहा और उनसे दुर्व्यवहार किया । जिस पर आशा स्वास्थ्य कर्मी आग बबूला हो गयी और जमकर हंगामा किया । उन्होंने गावं में बाटे जाने वाली दवाइयाँ बाहर फेक दी और अपने अपाने क्षेत्रो में दवाइयाँ नहीं बाटने का ऐलान किया । आशा स्वास्थ्य कर्मियों का आरोप है की अस्पताल अधीक्षक हमें नसबंदी के बाद हमें चेक नहीं देते और अकेले में अपने कमरे में बुलाते है ।

नियामताबाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ चन्द्रमणि से पूछा गया तो उन्होंने अस्पताल में कोई सुविधा न होने की बात भी स्वीकार कर ली । जब उनसे पूछा गया की आपने अपने उच्चाधिकारियों को इस बात की जानकारी दी तो अधीक्षक महोदय का कहना है की उच्चाधिकारी कहते है की मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखिये दोनों के हित में जो पहले जरुरी है वो करिये । यही नहीं अधीक्षक ने ये भी कहा की हम लोग अपने हिसाब से आपरेशन करते है । जरुरी ये है की उनका ऑपरेशन हो ना की बेड के अभाव में मरीज वापस चला जाये ।

इस पुरे मसले पर चंदौली जिलाधिकारी एन के सिंह से बात की गयी तो उनका कहना है की पुरे मामले की जाँच के लिए हमने मुख्य चिकित्साधिकारी को आदेशित कर दिया है और मामले में जाँच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी ।

चंदौली जिले में एक महीने में ये तीसरा मामला सामने आया है इससे पहले 30 जनवरी को जिले के नक्सल प्रभावित नौगढ़ सामुदायिक स्वाथ्य केंद्र में भी ठंड की ठिठुरन में रात भर आपरेशन के बाद फर्श पर सुलाया गया था । वही 09 फ़रवरी को धानापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आपरेशन के तत्काल बाद महिलाओ को डिस्चार्ज कर दिया गया और महिलाओ को परिजन रिक्सा ट्राली पर अपने घर ले गए । बड़ी बात ये है की इन दोनों मामलो में भी जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी ने जांच की बात कही थी लेकिन उस जांच का अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला । अब देखते है की जिलाधिकारी महोदय के आदेश पर क्या जांच होती है और जांच का क्या परिणाम निकलता है ?

रिपोर्ट :- संतोष जायसवाल 

फिर मचा निर्भया कांड पर हंगामा, इंटव्यू के प्रसारण पर रोक

nirbhaya-caseनई दिल्ली – 16 दिसंबर के बलात्कार कांड पर दिल्ली दहल उठी थी। केस चला सजा हुई, लेकिन अब मामला फिर चर्चा में है उसकी वजह है बीबीसी का एक इंटरव्यू। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जहां बलात्कार के दोषी से बीबीसी के पत्रकार द्वारा किए गए इंटरव्यू पर कड़ा एतराज जताया है और मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी है। वहीं सरकार ने इस इंटव्यू के प्रसारण पर भी रोक लगा दी है।

वहीं दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बीबीसी पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। सूत्रों की मानें इस सनसनीखेज इंटव्यू में दोषी मुकेश ने कुछ ऐसी तीखी टिप्पणियां की हैं, जिसको लेकर गृहमंत्रालय बेहद गंभीर नजर आ रहा है। वहीं तिहाड़ जेल के महानिदेशक ने इस पूरे मामले की जानकारी फोन पर ही राजनाथ सिंह को दे दी है।

आपको बता दें कि लेसली उडविन को लेकर विवाद उस वक्त बढ़ा जब खबर आई कि उसे इस इंटव्यू के लिए आधिकारिक मंजूरी दे दी गई थी। रेप का ये दोषी मुकेश सिंह निर्भया बलात्कार कांड में मृत्युदंड की सजा काट रहा है।

जहां बीबीसी का ये पत्रकार लेसली उडविन इंटव्यू को आधार बनाकर डॉक्यूमेन्ट्री बनाने की तैयारी में है तो वहीं दूसरी ओर इस साक्षात्कार में मुकेश ने कई चौंकाने वाले बयान दिए हैं। दोषी मुकेश ने अपने इंटरव्यू में मुकेश ने कहा रेप जैसे मामलों में ताली एक हाथ से नहीं बजती है। यही नहीं उसने कहा कि अगर वह छूटा तो भविष्य में और खतरनाक हो जाऊंगा।

मंगलवार को दिल्ली में आयोजित पत्रकार वार्ता में फिल्म निर्देशक व निर्माता लेसली उडविन और सह निर्माता दिबांग ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 62 मिनट की यह डॉक्यूमेंट्री अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) को एक राष्ट्रीय हिंदी न्यूज चैनल पर दिखाई जाएगी।

उडविन ने कहा कि मुकेश से उन्होंने कुल 16 घंटे अकेले में तिहाड़ जेल के अंतर बात की। दो अन्य आरोपियों से भी तीन-तीन घंटे का इंटरव्यू लिया। पूरे साक्षात्कार में कभी भी न तो पछतावे वाली बात दिखी न ही उन्होंने अपने किए को गलत माना।

उनका कहना था कि जब दुष्कर्म व हत्या का दोषी संसद में बैठ सकता है तो उन्होंने क्या गलती की है। उनके मुताबिक यह छोटी सी बात है जिसे मीडिया ने तिल का ताड़ बना दिया।

मुकेश ने कहा कि अगर वह विरोध नहीं करती यानी दुष्कर्म करने देती तो वह उसे छोड़ देते। वह अच्छी लड़की थी यह आप नहीं कह सकते। क्योंकि अच्छी लड़कियां रात को नौ बजे अपने पुरुष दोस्त के साथ नहीं घूमतीं।

अगर उसे फांसी होगी तो यह लड़कियों के लिए और खतरनाक होगा। क्योंकि आगे कोई दुष्कर्म करेगा तो आरोपी कभी उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा जैसा उन्होंने किया था।

लेसली उडविन व दिबांग ने यह भी कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री बीबीसी की नहीं है। इसका निर्माण उन्होंने खुद किया है। दिबांग ने कहा कि उन्होंने खुद इस पर काम किया है।

बाकायदा कानून को ध्यान में रखकर सभी अनुमति लेकर यह काम किया गया है। मुकेश का इंटरव्यू 10 अक्तूबर 2013 को किया गया था। फिल्म में पीड़ित निर्भया के माता पिता के अलावा बचाव पक्ष व अभियोजन पक्ष के वकीलों समेत विशेषज्ञों से भी बातचीत की गई है।दूसरी ओर इस डाक्यूमेंट्री में बचाव पक्ष के वकील भी रात के समय लड़कियों के अकेले बाहर न जाने की बात कहते दिखेंगे।

अमेरिका में गीता के पाठ पर बवाल

US organically on the text of the Gitaआइडहो – एक तरफ अमेरिकी प्रेजिडेंट बराक ओबामा भारत को धार्मिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ा रहे हैं, तो दूसरी ओर उनके ही एक राज्य आइडहो में हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ गीता के पाठ पर बवाल होने लगा है। ऐसा करने वाला कोई और नहीं बल्कि एक सेनेटर है।

आइडहो के एक रिपब्लिकन सेनेट ने कह दिया है कि स्टेट सेनेट में हिंदू पूजा हुई, तो वह इसका बहिष्कार कर देंगे। आर-डॉल्टन गार्डन्स से सेनेट स्टीव विक ने कहा है कि फर्स्ट अमेंडमेंट गैर-ईसाइयों को पूजा की इजाजत देता है, लेकिन उनका मानना है कि हिंदू को पूजा की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।

इसके पीछे वह तर्क देते हैं कि हिंदुओं में जाति व्यवस्था है और वह गाय की पूजा करते हैं। विक यह भी कहते हैं, ‘जिन धर्मों का प्रतिनिधित्व हमारे कानून बनाने वाली सभा में नहीं है, मैं नहीं मानता कि उनसे हमारे राज्य या देश को कोई मजबूती मिलेगी।’

उनका कहना है कि अमेरिका का आधार न सिर्फ जुडेव-क्रिस्चन धर्म था बल्कि इसका वर्क एथिक भी था और हिंदू पूजा से उसकी तौहीन होगी। दरअसल, नेवादा के जाने-माने हिंदू पुजारी राजन जेड ने सेनेट के सदस्यों से एक पुजारी रूप में सदन में जाकर भगवद्गीता का पाठ करने की इजाजत मांगी थी।

सेनेट विक ने फेसबुक पर इसका विरोध जारी रखा और कहा, ‘इससे यह मेसेज जाएगा कि हम अमेरिका (रीति-रिवाज) से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए हिंदू पूजा की इजाजत दी जा रही है।’ इस विरोध के बारे में सेनेट के प्रेजिडेंट प्रो-टेम ब्रेंट हिल ने कहा, ‘मैंने इस पाठ की समीक्षा की और मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगा। इसमें तो परमेश्वर की बात की कही गई है।’

उधर जेड ने कहा कि वह भगवद्गीता का पाठ करके सेनेट सदस्यों से कहेंगे वे सभी हमेशा दूसरों की भलाई के लिए काम करें। विक भले ही इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन उनका साथ एक भी सेनेट मेंबर ने नहीं दिया है।

सरहद पर महिला शक्ति का कैमल कारवां

female power Camel Safari on the borderबाड़मेर – सरहदी गांवों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बीएसएफ के पचासवें स्थापना दिवस के मौके शुरू हुई कैमल सफारी का मंगलवार को केलनोर में प्रवेश हुआ। इस कैमल सफारी की खास बात यह है कि इसमें सभी 27 सदस्य महिलाएं है। इसमें से चौदह बीएसएफ की है।

भारत की पहली एवरेस्ट पर्वतारोही बछेंद्री पाल और पदमश्री सम्मान से सम्मानित प्रेमलता अग्रवाल के नेतृत्व में ऊंटों पर सवार होकर शाम को जब महिलाओं ने गुजरात से बाड़मेर जिले में भारत-पाक सरहद स्थित ब्राह्मणों की ढाणी पोस्ट पर प्रवेश किया तो बीएसएफ अधिकारियों और जवानों समेत ग्रामीणों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। सफारी केलनोर पहुंची। केलनोर ने जोरदार स्वागत किया ग्रामीणो और सुरक्षा बल के अधिकारियो जवानो ने। ऊंटों के कारवां ने राजस्थान में प्रवेश किया तो सफारी में शामिल इन महिलाओं के चेहरों पर खुशी और उत्साह साफ झलक रहा था।24 फरवरी को गुजरात से रवाना हुई कैमल सफारी 2300 किमी का सफर तय कर पंजाब के वाघा बॉर्डर पर सम्पन्न होगी। इस मौके डीआईजी प्रतुल गौतम समेत कई अधिकारी मौजूद थे। गोधूलि वेला में बाड़मेर पहुंची कैमल सफारी की सदस्यों का गांव बीएसएफ अधिकारियों समेत स्थानीय ग्रामीणों ने फूलमालाएं पहनाकर गर्मजोशाी से स्वागत किया।

स्वागत से अभिभूत इन महिलाओं ने स्थानीय महिलाओं से गले मिलकर वापस आभार जताया। ब्राह्मणों की ढाणी पोस्ट पर स्वागत की रस्म करीब एक घंटे भर तक चली। बीएसएफ के स्थानीय बैंड की धुनों पर जवानों ने देश भक्ति तरानों से समां बांध दिया। देश क्ति गीतों पर यहां मौजूद सब लोग झूमने लग गए। इसके बाद स्थानीय कलाकारों ने गीत और नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद पंजाबी गीतों पर जवानों के साथ कैमल सफारी में शामिल सदस्यों ने नृत्य में इस कदर धमाल मचाया कि पूरे माहौल में रौनक घुल गई।

बीएसएफ में तैनात मित्तल प्रजापति ने बताया की वह गुजरात के साबरकांठा जिले के गांव की रहने वाली है ।उनके पूरे गांव में कोई महिला बीएसएफ में नहीं है। वह बीएसएफ की 46 बटालियन में तैनात हूं। कई विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला करने का बीएसएफ हौसला देता है। महिलाएं आगे बढ़ने लग जाए तो कोई उसको पीछे नहीं कर सकता।

यूपी के वाराणसी की रहने वाली और राजस्थान के श्रीगंगानगर में बीएसएफ की 193 बटालियन में तैनात संगीता के अनुसार इस कैमल सफारी के दौरान कोई परेशानी नहीं आई। शुरुआत में झिझक हुई,लेकिन बाद में हौसला बढ़ा। महिला मजबूत है। बेटी को अवसर दें तो वह अवश्य मंजिल तक पहुंच सकती है।

डाॅ.सरोज ने कहा मै बीएसएफ में अधिकारी हूं। महिलाएं देश की ताकत है। वे सक्षम है। शुरुआत में झिझक हुई अब एकदम सक्षम है। महिलाएं हर कदम पर आगे है। पुुुरुषों से मुकाबला कर सकती है। अब महिलाएं कमजोर नहीं है। वे अब शक्तिशाली है। वे हर परिस्थिति का मुकाबला करने को तैयार है।

पिंटू चौधरी ने बताया की मै गुजरात में 131 बटालियन में तैनात हूं। वर्ष 2013 में बीएसएफ बतौर इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्ति हुई। मूलतः नागौर की रहने वाली हूं। कैमल सफारी में शामिल होने के लिए चयन हुआ। बेहद रोमांचित करने वाला सफर है। कई बातें सीखने को मिली है। नया आत्मविश्वास आया है। हर रोज नई जगह ,नई चुनौतियां और नई सीख मिलती है।

ब्राह्मणों की ढाणी (बीकेडी). ‘हटादो सब बाधाएं मेरे पथ की, मिटा दो आशंकाएं सब मन की। मेरी शक्ति को समझो, कदम से कदम मिला के चलने तो दो मुझको’ जब बीएसएफ की महिला विंग का काफिला गुजरात से बीकेडी पहंुचा तो शायद उनके जांबाज इरादों में यहां की फ्लड लाइटों ने भांप लिया और उनके साथ आगे बढ़ने के लिए इस तरह रोशनी बिखेर दी।

घूंघट हटा लो नहीं तो मैं भी चेहरा छिपा दूंगी : बछेंद्री
स्थानीयमहिलाओं की ओर से घूंघट में स्वागत के दौरान बछेंद्री ने कहा कि चेहरों से घूंघट हटा लो नहीं तो मै भी मेरा चेहरा घूंघट में छिपा दूंगी। बछेंद्री के यह कहने के बाद कई महिलाओं की झिझक कम हुई। इसके बाद संवाददाताओं से बातचीत में बछेंद्री पाल ने कहा कि नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बीएसएफ और टाटा कंपनी की ओर से कैमल सफारी का आयोजन किया गया है। इसका सरहद पर स्थित गांवों में बेहतर संदेश जाएगा। मानते है कि बदलाव रातों-रात नहीं होगा। बेटियों काे अच्छी शिक्षा और को अवसर दीजिए फिर देखिए वह हर मंजिल पर पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि बेटियों में भी कुछ कर गुजरने का जज्बां होना चाहिए। महिलाएं भी बड़ी सेाच रखें। शुरुआत करें तो मंजिल अवश्य मिलेगी।

हम किसी से कम नहीं : प्रेमलता
पदमश्रीसे सम्मानित प्रेमलता अग्रवाल के मुताबिक महिलाएं किसी से कम नहीं है। इस कैमल सफारी का मकसद यही है कि यह प्रेरणादायक बनें। कोई भी कार्य कठिन नहीं है। कार्य पूरा करने में मेहनत करें और कार्य से प्यार करे तो उसे पूरा करने से कोई नहीं रोक सकेगा। कार्य में ईमानदारी रखे। स्वयं का उदाहरण देतीं हुई प्रेमलता ने कहा कि परिवार साथ दे तो कुछ भी असंभव नहीं है। सातों महाद्वीपों के सबसे उच्च स्थानों पर सर्वाधिक आयु में पहुंचने के रिकार्ड से सम्मानित प्रेमलता के अनुसार जब महिला एवरेस्ट पर पहुंच सकती है तो कोई भी लक्ष्य उसकी पहुंच से बाहर नहीं हो सकता।

रिपोर्ट :- चन्दन भाटी 

 

विशेष सुविधाएं चाहिए तो पाक चले जाएं मुसलमान :सामना

Shiv Sena मुंबई – शिवसेना ने यहां मंगलवार को कहा कि भारत में रहने वाले मुसलमान यदि विशेष सुविधाएं चाहते हैं तो उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘यदि वे (मुसलमान) इस देश से कुछ चाहते हैं, तो पहले भारत को अपनी मातृभूमि स्वीकार करें और वंदे मातरम बोलें।’ ‘सामना’ में यह लेख एक मार्च को ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के नागपुर में दिए गए भाषण की प्रतिक्रिया में आया है, जहां उन्होंने महाराष्ट्र में मराठियों की तरह ही मुसलमानों को भी आरक्षण देने की मांग की थी।

शिवसेना ने ओवैसी की बात पर रोष जताते हुए और अपना रुख दोहराते हुए कहा कि आरक्षण की नीति सामाजिक मानदंडों पर आधारित होनी चाहिए, न कि धर्म के तर्ज पर। शिवसेना ने कहा, ‘गरीब मुसलमानों को आरक्षण दिया जाना चाहिए। इसलिए नहीं कि वे मुसलमान हैं, बल्कि इसलिए कि वे भारत के नागरिक हैं।’ पार्टी ने सभी लोगों से, खासकर हिन्दुओं और मुसलमानों से यह विचारधारा को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि इससे ही वोट बैंक और आरक्षण की राजनीतिक खत्म हो सकती है और देश की प्रगति में मदद मिल सकती है।

शिवसेना ने कहा, ‘ओवैसी कह रहे हैं कि चूंकि मराठी लोगों को आरक्षण मिला है, तो मुसलमानों को भी मिलना चाहिए। यह कट्टर मुसलमानों का वही हिंदू विरोधी जिद्दी रवैया है, जिसकी वजह से भारत का विभाजन हुआ था और उन्होंने पाकिस्तान बनाया था। लेकिन अब और नहीं।’ लेख में कहा गया कि मुसलमानों को समान नागरिक संहिता स्वीकार करनी होगी, परिवार नियोजन अपनाना होगा और जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 की मांग छोड़नी होगी।

ओवैसी के भाषण को राष्ट्र विरोधी करार देते हुए शिवसेना ने इसकी जांच कराए जाने की मांग की कि कहीं उन्होंने महाराष्ट्र में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए तो इस तरह का बयान नहीं दिया। पार्टी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस पर मुद्दे पर कार्रवाई करने की मांग की।

मीडिया में महिलाओं को नहीं पचा पा रहे हैं पुरूष

women in the media are incomprehensibleपत्रकारिता (मीडिया/प्रेस) में महिलाओं का प्रवेश और योगदान बड़े शहरों में अब आम बात हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में ठीक इसका उल्टा हो रहा है। लड़कियों को पढ़ाने के पीछे माँ-बाप एवं उनके घर वालों का महज एक ही उद्देश्य है कि शादी के लिए पढ़ाई की सनद काम आए। कुछ तो आर्थिक तंगी के कारण अपनी लड़कियों को उच्च शिक्षा नहीं दिला पाते वहीं अधिकांश लोग कन्याओं को इस लिए पढ़ाते हैं कि जब वर ढूंढने जाएँ तो उसकी लम्बी-चौड़ी डिग्रियाँ वर-पक्ष को सुनाकर ‘दहेज’ कम करवा सकें।

बहरहाल मैं अपने शहर में ही नहीं जिले में एक मात्र महिला पत्रकार हूँ वह भी सक्रिय। एक छोटे अखबार की संवाददाता हूँ और वेबन्यूज पोर्टल डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट रेनबोन्यूज डॉट इन की संपादक हूँ। पत्रकारिता जगत में पुरूष प्रधानता स्पष्ट परिलक्षित हेाती है। पहली बात तो यह कि पढ़ी-लिखी लड़कियाँ ‘मीडिया’ में आना नहीं चाहती हैं उनमें दृढ़ इक्षा शक्ति का नितान्त अभाव है। इसके अलावा अपने माँ-बाप पर आधारित होने की वजह से भी उनमें मीडिया को अपना कैरियर बनाने का साहस नहीं हो पा रहा है।

 

काश! मुझ जैसी हर साधारण एवं महत्वाकांक्षी लड़की को अच्छे माँ-बाप एवं उत्साहवर्धन करने वाला समाज तथा मेरे शैक्षिक गुरू व पत्रकारिता गुरूकुल के गुरू की मानिन्द लोगों का सानिध्य, स्नेह एवं आशीर्वाद मिले, तभी पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाएँ छू सकेंगी उचाईयाँ।
-रीता विश्वकर्मा

 

मेरे जिले में पुरूष मीडिया परसन्स भी सहज रूप से मुझे ‘डाइजेस्ट’ नहीं कर पा रहे हैं। मीडिया/प्रेस परसन्स के अलावा प्रशासनिक हलके में भी कुछ इसी तहर की सोच है। पदनाम नहीं बताना चाहती, एक बार एक विभागीय उच्चाधिकारी ने ऐसी अप्रत्याशित हरकत कर दिया तब से मुझे पुरूष वर्ग से वह चाहे जिस आयुवर्ग और ओहदे पर हो घृणा सी होने लगी। उस सरकारी मुलाजिम ने बाद में भले ही पश्चाताप किया हो, यह मुझे नहीं मालूम इसके अभद्र व्यवहार के बारे में मैने खिन्न मन से अपने गुरूकुल के मुखिया डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी (सर जी) को बताया था। उन्होंने कहा था कि उस अधिकारी की ‘हरकत’ को कई ‘ऐंगिल’ से देखो। पहला यह कि शायद वह अभद्र व्यवहार करके वह तुम्हें ‘आजमा’ रहा हो कि वास्तव में पत्रकार हो या फिर ‘मीडिया’ का लबादा ओढ़कर एक साधारण युवती हो। सर जी ने कहा कि यह भी हो सकता है कि वह अधिकारी ‘वासना’ के वशीभूत होकर तुम्हारे साथ बेहूदा हरकत किया हो। मैंने सर की बात को सुन लिया था और मनन भी किया फिर मेरी कार्यशैली सामान्य हो गई। मैं बराबर उस अधिकारी का साक्षात्कार लेती विभागीय प्रगति/समस्याएँ जानती और उनका प्रकाशन भी करने लगी। वह पुरूष अधिकारी चाहे मुझे आजमाने के लिए अपना कुत्सित प्रस्ताव रखा हो, या फिर वासना के वशीभूत जब पुरूष प्रधान समाज में ‘फील्डवर्क’ करना है तो ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होना ही पड़ सकता है। मुझे ताज्जुब हुाअ कि उस अधिकारी को मैं ‘अंकल’ कहती थी और उसका नारी के प्रति उक्त रवैय्या मुझे बेहद नागवार लगा था। क्या मीडिया/प्रेस से सम्बद्ध महिलाएँ कालगर्ल भी होती होंगी जो चन्द पैसों के लिए किसी तथा कथित उदार दानदाता की अंकशायिनी बन जाएँ।

मजेदार बात बताना चाहूँगी कि मेरे जिले के शहर में दर्जनों सरकारी मुलाजिम डेढ़ दशक से जमकर ‘लूट’ मचाए हुए हैं। मैने जब इन अधिकारियों से मुलाकात किया तो दो-चार बार ये लोग मुझसे बचने का प्रयास करने लगे। बाद में जब मैंने बार-बार मिलना शुरू किया तो ये लोग दानी सा अभिनय करने लगे। किसी ने कहा कि स्कूटी ले लो यह कहने पर कि पैसे कहाँ से आएँगे तो उत्तर था पता करो कितनी कीमत है पैसों की चिन्ता मत करो दे दिया जाएगा। मीडिया/प्रेस से सम्बद्ध एक युवती हूँ पढ़ी-लिखी हूँ इन बगुला भगतों के अन्तरमन के भावों को समझने लगी। बाद में नो अंकल पदनाम से सम्बोधन और विभागीय जानकारी लेने लगी। कई अधिकारियों ने लड़की समझ कर ठीक से बात करना भी गँवारा नहीं समझा तब उनकी बखिया उधेड़ना शुरू कर दिया। ऐसा करने पर वह लोग भयवश ‘अतिव्यस्त’ होने का ड्रामा करके मिलने बात करने से कतराने लगे।

जिला स्तरीय एवं क्लास टू के कई अधिकारियों ने प्रोत्साहित किया और मेरी ‘जीजिविषा’ की सराहना भी किया। प्रबुद्ध वर्गीय लोगों मे कुछ ऐसे नाम हैं जिनकों मैं अपना आदर्श मानती हूँ और ताजिन्दगी मानती रहूँगी। मेरे यहाँ के एक गुणनिष्ठ पी0जी0 कालेज के प्राचार्य (डॉ. अजीत कुमार सारस्वत) तो मुझसे ज्यादा किसी अखबार/मीडिया वाले को तरजीह ही नहीं देते। मैं उनकी शिष्या रही हूँ। वह बड़े गर्व से यह कहते हैं कि ‘रीता’ को बुलाओ वही संवाद कवरेज कर पाएगी और किसी अन्य में यह क्षमता नहीं है। मैं ऐसे गुरू (प्राचार्य जी) का वन्दन नमन करती हूँ। पत्रकारिता में आने की प्रेरणा जिस व्यक्ति ने दी वह तो मेरे लिए शैक्षिक गुरू से भी बढ़कर हैं। आज भी मैं उन्हीं के सान्निध्य में रहकर लेखन कार्य कर रही हूँ। वह एक बेहद अनुशासित और सीनियर कलमकार हैं। आज के युवा उनसे बातें करने से परहेज करते हैं क्योंकि फालतू बकवास बातें उन्हें पसन्द नहीं। वह कहते हैं कि पहले पत्रकारिता का मतलब जानो तब पत्रकार कहलाने का शौक पालो। उनका लेखन बेबाक होता है, इस बारे में उनका कहना है कि यदि साहित्य लिखोगे तो उसे आम पाठक अच्छी तरह ग्रहण नहीं कर पाएगा। बेहतर यही होगा कि जो भी कहना/लिखना चाहते हो स्पष्ट तौर पर सरल भाषा में लिख डालो। थोड़ा बहुत रोचक बनाने के लिए ‘मिर्च मसाला’ चलता है, लेकिन साहित्य व क्लिष्ट भाषा का प्रयोग करने से लाभ नहीं होने वाला। साहित्य व क्लिष्ट भाषा के आलेख छप तो जाते हैं लेकिन इनके पाठकों की संख्या न के बराबर होती है। यह तो रही कुछ अन्तरंग बातें बुजुर्ग लोगों और गुरूओं की जो पत्रकारिता में महिलाओं के प्रवेश को किस ढंग से लेते हैं-मसलन निगेटिव और पॉजिटिव।

अब कुछ ऐसे युवकों के बारे में बता दूँ जो अपनी मोटर बाइक पर प्रेस/मीडिया लिखवाकर बड़े रोबदाब में फर्राटा भरते हैं। दूसरों के लिखे शेर व कविताओं की चन्द पंक्तियाँ रट लिए हैं, बात-बात में उन्हीं को दोहराते हैं और ज्यादा खा-पी लिया तो मोबाइल पर उन्हीं को एस0एम0एस0 करते हैं। मेरे सीनियर्स ऐसों को ‘खप्तुलहवाश’ कहते हैं। कब क्या बोलना चाहिए इन्हें नही मालूम। बोलने के समय जुबान पर ताला और सुनने के वक्त कैंची की मानिन्द चलने लगती है इनकी जीभें। पुराने मीडिया परसन्स अब तो कार्यालयों से बार ही नहीं निकलते हैं। मेरा छोटा शहर जिसकी आधी आबादी प्रेस लिखवाए मोटर बाइक चला रही है। कोई नियंत्रण नहीं जिसे देखो वही प्रेस वाला। इन युवकों के बारे में सूत्रों ने बताया कि ये लोग ‘प्रेस’ की आड़ में गैर कानूनी कार्य कर रहे हैं। पुलिस वालों से दोस्ती करने के साथ-साथ प्रेस/मीडिया का बैनर लगाए ऐसे कार्य को अंजाम दे रहे हैं जो पत्रकारिता की छवि को धूमिल करने में काफी सहायक सिद्ध हो रही है। ऐसे युवा कथित पत्रकार अलसुबह से देर रात्रि तक नेताओं/पुलिस वालों के इर्द-गिर्द ही चक्कर काटते हैं और शाम को मदिरापान, माँस-भक्षण के साथ-साथ अन्य कुकृत्यों में संलिप्त हो जाते हैं। कुछेक के बारे में पता चला है कि ये अपने भाई-पट्टीदारों से ‘रंजिशवश’ प्रेस/मीडिया में प्रवेश करने के लिए हजारों रूपए खर्च कर चुके हैं और प्रेस/मीडिया का स्टिकर लगवाकर मोटर बाइकों/चार पहिया वाहनों पर फर्राटा भरते हैं।

आम आदमी से लेकर सरकारी अहलकार तक इनकी करतूतों से आजिज आ गए हैं। हमारे यहाँ कौन है असली और कौन है नकली इसका भेज निकाल पाना कठिन है। कार्य, प्रयोजन समारोह एवं प्रेसवार्ताओं में चाय-जलपान के लिए छीना-झपटी करना इनकी आदत में शुमार है। इस तरह के प्रेस मीडिया परसन्स को क्या कहा जाए? इनके बारे में लिखा जाए तो एक बहुपृष्ठीय ग्रन्थ बन सकता है। और ऐसों के बीच में महिला पत्रकार के लिए मीडिया जगत में अपने को दृढ़ता से कायम रखना कितना मुश्किल कार्य है। फिर भी मैं जुटी हूँ। वैसे जिस गुरूकुल की मैं छात्रा हूँ वहाँ के बारे में सुनकर ही बड़े-बड़े रंगबाज प्रेस/मीडिया वालों के होश उड़ जाते हैं। किसी की हिम्मत नहीं कि कोई मेरे महिला होने का गलत अर्थ लगा सके। अब तो मुझे भी माननीयों, उच्चाधिकारियों का आशीर्वाद प्राप्त है ऐसे में नए छुटभैय्या किस्म के लफंगे/आवारा पत्रकारों की हिम्मत नहीं कि मेरे साथ अभद्रता कर सकें। हाँ यह बात दीगर है कि आयोजनों में मुझे साथ ले जाने की कौन कहे ये लोग सूचित भी नहीं करते हैं। करें भी तो कैसे ये लोग अधिकृत भी नहीं है।

ये सभी पिछलग्गू हैं, और अधिकृत प्रेसवालों की जी हुजूरी करके ‘जिह्वा स्वाद’ लेने भर की कमाई कर रहे हैं। हमारा शहर छोटा है यहाँ हाय-हैल्लो तक कहने की परम्परा भी नही है। यहाँ अन्धों में काना राजा बने भौकाल मारते हैं। प्रेस/मीडिया के नाम पर 10-20 रूपए की कमाई करके तलब मिटाते हैं। ऐसे पुरूष बाहुल्य मीडिया में एक मात्र महिला पत्रकार का ‘सरवाइवल’ कितना ‘टफ टास्क’ है इसे वही एहसास कर सकता है जिसके ऊपर बीतती है। क्यांेकि ‘‘जाके पाँव न फटी बिवाई, सो का जाने पीर पराई’’। हमारे शहर के सरकारी अहलकार, फर्जी पत्रकार और नकारात्मक विचार धारा वाले आम लोग महिलाओं के बारे में अब भी पुरानी अवधारणा रखते हैं। उकने लिए महिलाएँ चाहे जिस क्षेत्र में हैं मात्र ‘भोग्या’ हैं। मेरा दृष्टिकोण ऐसे पुरूष समाज के प्रति इतना नकारात्मक भ नहीं कि पुरूषो से घृणा करूँ। मैं तो मीडिया/प्रेस में बुलन्दी पर जाना चाहती हूँ ऐसी स्थिति में पुरूष प्रधान समाज के लोगों की सोच स्वयं परिवर्तित हो जाएगी। क्या रूढ़िवादी विचार धारा के लोग अपनी पुत्रियों को पढ़ा-लिखाकर मीडिया/प्रेस जगत में जाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे?

काश! मुझ जैसी हर साधारण एवं महत्वाकांक्षी लड़की को अच्छे माँ-बाप एवं उत्साहवर्धन करने वाला समाज तथा मेरे शैक्षिक गुरू प्राचार्य डॉ. सारस्वत व पत्रकारिता गुरूकुल के गुरू डॉ. गर्गवंशी की मानिन्द लोगों का सानिध्य, स्नेह एवं आशीर्वाद मिले, तभी पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाएँ छू सकेंगी उचाईयाँ।
Reeta vishvkarma-रीता विश्वकर्मा
मो.नं.-08765552676

HTC One M9 गैलेक्सी S6 से सीधी टक्कर

HTC One M9

ताइवानी कंपनी Htc ने आज बार्सिलोना में अपना अब तक का सबसे बड़ा फ्लैगशिप Htc one M9 लॉन्च कर दिया है। यह फोन सैमसंग के पॉवरफुल स्मार्टफोन गैलेक्सी S6 से सीधी टक्कर माना जा रहा है, सैमसंग और Htc दोनों ही इस बार MWC2015 में आसने सामने हैं।

htc ने अपने इस फ्लैगशिप के साथ ही फिटनेस बैंड भी लॉन्च किया है। htc oneM9 का डिजाइन काफी कुछ इसके M8 जैसा है, या यूं कहिए की ये फोन आपको M8 का अपग्रेटेड वर्जन लग सकता है, फोन की डिजाइन मे कुछ नया नहीं किया गया है बस कुछ नए स्पेसिफिकेशन जोड़ दिए गए हैं।

कंपनी ने इसे अपने लक्जरी स्मार्टफोन के तौर पर लॉन्च किया है जिसकी बॉडी पूरी मेटलिक है और गोल्डेन ब्लेज दिया गया है। htc के नए फोन में 20.7 मेगापिक्सल का रियर कैमरा है। इसके पहले जो htc अपने डिवाइस में इससे पहले जो अल्ट्रापिक्सल का इस्तेमाल रियर कैमरे के लिए नहीं किया है तो वहीं फ्रंट कैमरा 8 अल्ट्रापिक्स्ल है, इसके अलावा, फोन का प्रोसेसर 2GHz क्वॉर्ड-कोर स्नैपड्रैगन 810 प्रोसेसर, 3GB रैम, 32GB इंटरनल मेमोरी और एंड्रॉइड 5.0 लॉलीपॉप ऑपरेटिंग सिस्टम अपग्रेडेबल है।

लॉलीपॉप 5.0 के साथ Htc का नया सेंस 7 यूजर इंटरफेस दिया जाएगा, इसका डिस्प्ले 5 इंच की स्क्रीन के साथ फुल एचडी डिस्प्ले होगा, डिस्प्ले केो साथ कंपनी ने कुछ भी नया नहीं किया है पहले लग्जरी फोन की तरह इस बार भी कंपनी कुछ नया वहीं किया।

हालांकि htc का नया बूम साउंड पहले से बेहतर है जिसके लिए dolby की पार्टनरशिप को ही जिम्मेदार माना जा सकता है। इस डिवाइस में म्यूजिक काफी लाउड और बेहतर क्वालिटी के साथ सुनाई देगा जो इसके पुराने डिवाइस में इतना बेहतर नहीं था। इसकी कीमत 649 डॉलर है।

होली मिलन में लोक नृतक एवं दुर्गा रंगीला की प्रस्तुति

Holi Milan presentation of folk dancer and Durga Rangeela 1अम्बाला – बराड़ा होली मिलन में पूर्वोत्तर के लोक नृतक एवं दुर्गा रंगीला की प्रस्तुति राज्यों असम,मणिपुर,  के लोक नर्तकों द्वारा अंबाला के बराड़ा कस्बे की अनाज मंडी में पहली बार 3 मार्च को सायंकाल लोक नृत्य के शानदार कार्यक्रम पेश किये जाएंगे। कार्यक्रम प्रारंभ होने से पहले सायं 5 बजे पूर्वाेत्तर राज्यों के लोक नृतकों द्वारा बराड़ा रेलवे स्टेशन से लेकर बराड़ा मुख्य बाज़ार में अपनी कला का प्रर्दशन करते हुए एक शानदार जुलूस भी निकाला जाएगा। इसके अतिरिक्त प्रसिद्ध गायक दुर्गा रंगीला भी इस आयोजन में अपने शानदार गीत प्रस्तुत करेंगे। होली मिलन के अवसर पर 3 मार्च को अनाज मंडी,बराड़ा में सायंकाल 7 बजे से प्रारंभ होने वाले इस रंगारंग कार्यक्रम में उपरोक्त आठ राज्यों के 150 से भी अधिक कलाकार भाग लेंगे।

उक्त जानकारी श्री रामलीला क्लब अंबाला – उत्तर पूर्वी बराड़ा के संयोजक तनवीर जाफरी ने प्रेस को दी। कार्यक्रम चार बार लिम्का अवार्ड प्राप्त करने वाले श्री रामलीला क्लब बराड़ा तथा उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला (एनज़ेडसीसी) के सामूहिक प्रयासों द्वारा आयोजित किया जा रहा है। ओक्टेव 2015 फेस्टीवल व होली मिलन के अंतर्गत् बराड़ा में होने वाले इस आयोजन का म$कसद देश में सांप्रदायिक सौहाद्र्र तथा राष्ट्रीय एकता व अखंडता को बढ़ावा देना है। होली मिलन के अवसर पर आयोजित होने वाले इस रंगारंग आयोजन में सभी धर्मों व समुदायों के कलाकारों द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया जाएगा। जाफरी ने बताया कि इस प्रकार का आयोजन बराड़ा में पहली बार आयोजित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि क्लब द्वारा भविष्य में भी सर्वधर्म संभाव,सांप्रदायिक सौहाद्र्र तथा देश की राष्ट्रीय एकता व अखंडता को मज़बूत करने वाले आयोजन आयोजित किए जाते रहेंगे। श्री रामलीला क्लब बराड़ा के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिंद्र सिंह चौहान,बराड़ा महोत्सव के अध्यक्ष राजेश सिंगला व क्लब के अध्यक्ष नितिन बंसल ने 3 मार्च को सायंकाल 7 बजे अनाज मंडी बराड़ा में पहुंचकर निकटवर्ती लोगों तथा अंबालावासियों से इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भाग लेने की अपील की है।

 

 

चरित्र ही आज फिल्म में हीरो है : नवाजुद्दीन सिद्दकी

nawazuddin siddiqui

अपनी नई फिल्म ‘बदलापुर’ में नायक और खलनायक की पुरानी छवि को तोड़ने वाले अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दकी का कहना है कि अब हिन्दी फिल्में परंपरागत ढर्रे से बाहर निकल रही हैं और चरित्र आधारित कहानियों का स्वागत किया जाने लगा है।

नवाजुद्दीन का मानना है कि फिल्म जगत इस समय एक रोमांचक चरण से गुजर रहा है और शीर्ष स्तर के अभिनेता अपनी छवि के साथ प्रयोग कर रहे हैं।

नवाजुद्दीन ने एक साक्षात्कार में कहा अब चरित्र अभिनेताओं और परंपरागत नायकों के बीच की खाई पट रही है। चरित्र ही आज फिल्म में हीरो है। अब कोई विशिष्ट नायक या खलनायक नहीं है। जैसे बदलापुर में वरुण और मैं, दोनों नायक के साथ-साथ खलनायक हैं।

उन्होंने कहा यहां तक सुपर स्टार भी इस तरह का प्रयास कर रहे हैं। मैं शाहरुख खान के साथ ‘रईस’ में काम कर रहा हूं, जिसमें वह एक सरगना का किरदार निभा रहे हैं ऐसे में एक बार फिर चरित्र सामने है। बदलापुर में एक बेरहम गुंडे की भूमिका अदा कर अभिनय के लिए वाहवाही बटोरने वाले 40 वर्षीय अभिनेता ने बताया कि फिल्म के जरिए उनका सपना सच हो गया है।

नवाजुद्दीन ने कहा श्रीराम (राघवन) के साथ काम करने का मेरा 10 सालों से सपना था। मैं वास्तव में बदलापुर में काम करके खुश हूं। मेरा तो बस एक लाइन कहना है एक अच्छा आदमी बुरा हो जाता है और एक बुरा आदमी अच्छा हो जाता है और मैंने फिल्म करने का निर्णय लिया।

नवाज ने कहा कि मुझे और वरुण को एक साथ लिये जाने का निर्णय भी मुझे उत्साहित करने वाला था क्योंकि हम दोनों की अभिनय शैली अलग अलग है।

मौत के 20 साल बाद अस्पताल और डॉक्टर दोषी

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मुंबई – महाराष्ट्र में इलाज के दौरान हुई एक महिला की मौत के 20 साल बाद अस्पताल और डॉक्टर की गलती ठहराई गई है । इस प्रेगनेंट महिला की खून की कमी के कारण मौत हो गई थी। अब स्टेट कन्जयूमर कमिशन ने इस मामले में नालासोपारा के एक अस्पताल को इस मामले में दोषी पाया गया है।

मृतक महिला के परिवार वालों को मुआवजे के तौर पर 16 लाख रुपये मिलेंगे। बोरिवली निवासी परिवार को अस्पताल और संबंधित डॉक्टर मिलकर मुआवजे की राशि देंगे। स्टेट कन्जयूमर कमिशन की बेंच के पीबी जोशी और नरेंद्र कावडे ने टाटे अस्पताल और डॉक्टर राजेश टाटे को अपने काम में कोताही बरतने का आरोपी पाया।

34 मृतक महिला मयूरी ब्रह्मभट्ट को दूसरे बच्चे की डिलीवरी के लिए परिजनों ने 20 सितंबर 1995 को टाटे अस्पताल में भर्ती कराया था। उनका ब्लड ग्रुप ए नेगेटिव था, जो कि काफी मुश्किल से मिलता है। अस्पताल में उनके ऑपरेशन से पहले खून का इंतजाम नहीं किया गया। कमिशन ने उन्हें इसी बात का दोषी माना है।

अपने फैसले में कमिशन ने अस्पताल और डॉक्टर को जान जाने के लिए 5 लाख रुपये, पति का साथ छूटने के लिए 2 लाख रुपये, दोनों बेटियों को मां का प्यार न मिलने पर 3-3 लाख रुपये, बेटियों की देखभाल और खाना बनाने के लिए एक महिला की सेवाएं लेने पर 2 लाख रुपये, घरेलू नौकर रखने के लिए 1 लाख रुपये और कानूनी लड़ाई के खर्च के लिए 15,000 रुपये का मुआवजा देने को कहा है।

महिला को 20 सितंबर 1995 को सुबह 5.30 बजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था और सुबह 9.30 पर उन्हें बेटी हुई। इसके बाद महिला की तबीयत बिगड़नी शुरू हई। महिला से मिलने आए उनके एक परिचित डॉक्टर ने टाटे अस्पताल के डॉक्टरों से महिला को भगवती अस्पताल में रेफर करने को कहा।

परिजनों और दोस्तों ने खून की 18 बोतलों का इंतजाम कर भगवती अस्पताल में उनके इलाज की तैयारी भी कर ली थी, लेकिन टाटे अस्पताल ने दोपहर तीन बजे से पहले महिला को रेफर करने से मना कर दिया। शाम 4.30 बजे भगवती अस्पताल पहुंचने तक महिला की मौत हो गई थी। – एजेंसी

श्रीलंका ने इंग्लैंड को 9 विकेटों से हराया

Sri Lanka beat Englandवेलिंगटन – थिरिमाने-संगकारा की सेंचुरी और दूसरे विकेट के लिए उनके बीच हुई 212 रनों की तूफानी साझेदारी की बदौलत श्रीलंका ने 310 रन के टारगेट का पीछा करते हुए इंग्लैंड को 9 विकेटों से हरा दिया। श्रीलंका ने 47.2 ओवरों में ही 1 विकेट पर 312 रन बनाकर मैच आसानी से अपने नाम कर लिया।

थिरिमाने ने क्रिस वोक्स की गेंद पर छक्का जड़कर श्रीलंका को यादगार जीत दिला दी। थिरिमाने ने 139 और संगकारा ने 117 रनों की जोरदार पारी खेलते हुए और श्रीलंका के लिए विशाल दिखने वाले लक्ष्य को भी आसान बना दिया।

श्रीलंका को थिरिमाने और दिलशान ने 19 ओवरों में 100 रन जोड़कर शानदार शुरुआत दिलाई थी। 100 के स्कोर पर दिलशान 44 रन बनाकर मोईन अली की गेंद पर आउट हुए। इसके बाद थिरिमाने और संगकारा ने इंग्लिश बोलिंग अटैक की धज्जियां उड़ाते हुए मनाने ढंग से शॉट्स खेले सिर्फ 28.2 ओवरों में 7.48 के रन रेट से 212 रनों की जबर्दस्त साझेदारी की और रनों की बरसात कर दी।

इन दोनों की शानदार बैटिंग के आगे अंग्रेज बेबस नजर आए। थिरिमाने ने 117 गेंदों पर सेंचुरी बनाई। वह वर्ल्ड कप में सेंचुरी बनाने वाले श्रीलंका के सबसे युवा बल्लेबाज बन गए हैं। इसके बाद संगकारा ने सिर्फ 70 गेंदों पर सेंचुरी जड़ते हुए वनडे में अपनी सबसे तेज सेंचुरी बनाई। इससे पहले जो रूट की शानदार सेंचुरी (121 रन) की बदौलल इंग्लैंड नेपहले बैटिंग करते हुए श्रीलंका के खिलाफ 50 ओवरों में 6 विकेट पर 309 रन का स्कोर खड़ा किया।

टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने इंग्लिश टीम एक समय 161 रन 4 विकेट गंवाकर थोड़ी मुश्किल में फंसती दिख रही थी लेकिन रूट ने टेलर के साथ मिलकर पांचवे विकेट के लिए महज 11 ओवरों में 98 रनों की तूफानी साझेदारी करके अपनी टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचने में मदद की।

इन दोनों ने वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के लिए पांचवे विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी का रेकॉर्ड बनाया। आखिरी ओवरों में जोस बटलर की 19 गेंदों पर 39 रनों की तेज पारी की बदौलत इंग्लैंड 300 रन के पार पहुंचने में सफल रहा।

इससे पहले इंग्लैंड की टीम ने अच्छी शुरुआत की। मोइन अली (15) और इयान बेल (49) ने पहले 9 ओवरों में कोई विकेट नहीं गिरने दिया। श्रीलंका को पहली सफलता मैथ्यूज ने मोईन अली को आउट करके दिलाई। इसके तुरंत बाद दिलशान ने गैरी बैलेंस (6) को आउट कर दिया। सुरंगा लकमल ने इयान बेल को 49 रन के स्कोर पर आउट करके हाफ सेंचुरी से वंचित कर दिया। मोर्गन भी ज्यादा देर टिक नहीं सके और तिसारा परेरा का शिकार बने।

इसके बाद रूट और टेलर की जोड़ी ने शानदार बैटिंग की और मैदान के चारो ओर शॉट्स खेले। इस बीच रूट ने अपनी सेंचुरी पूरी की। वह वर्ल्ड कप में सेंचुरी बनाने वाले इंग्लैंड के सबसे युवा बल्लेबाज हैं। वह अभी 24 साल के हैं। रूट और टेलर ने मिलकर तिसारा परेरा के खिलाफ 45वें ओवर में तीन चौकों और 2 छक्कों की मदद से 25 रन बना डाले। इंग्लैंड ने आखिरी 5 ओवरों में 52 रन बनाए। जबकि आखिरी में जोस बटलर ने इंग्लैंड के लिए 22 रन बनाते हुए उसे 309 रन तक पहुंचा दिया।

 

दिग्विजय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज

Digvijaya Singh invites Naxals to shun violence and join Congressभोपाल – अपने कार्यकाल में की गई अवैध नियुक्तियों के मामले में दिग्विजय सिंह और विधायक सुंदरलाल तिवारी के खिलाफ जहांगीराबाद थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर विधानसभा सचिवालय ने अवैध नियुक्तियों के खिलाफ कराई है। विधानसभा के प्रमुख सचिव ने इस बात की पुष्टि की है। एफआईआर की पुष्टि होने के बाद कांग्रेस में उथल-पुथल है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, जस्टिस शचींद्र द्विवेदी कि रिपोर्ट पर यह कार्रवाई की गई है। विधानसभा उपसचिव की शिकायत पर 420, 468, 471, 120 बी तथा अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

विदित हो कि भाजपा ने दिग्विजय सिंह के दस साल के कार्यकल में हुई अवैध नियुक्तियों पर सवाल उठाए थे। भाजपा का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने सीएम के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान सिगरेट की पर्ची पर फरमान लिखकर दे देते थे। विधायक सुंदरलाल तिवारी पिता श्रीनिवास तिवारी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के परिवार के लोगों की नियुक्ति रीवा में गलत हुई थी।

सीएम ने विधानसभा के पिछले सत्र में में भी ये बात कही थी। भाजपा ने पलटवार करते हुए मामले को उठाया है। इसी के तहत एफआईआर की जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि दिग्विजय व सुंदरलाल सहित 19 पर एफआईआर की गई है।

UP: पुस्‍तक प्रकाशन घोटाला, सीएम का हस्‍तक्षेप, टेंडर रुका

cm Akhilesh Yadav
लखनऊ –
कक्षा एक से कक्षा आठ तक की पुसतकें रि- साइकिल्ड पेपर पर छपाने साजिश मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के हस्‍तक्षेप से फिलहाल विफल हो गयी। इसके लिए आज 28 फरवरी को होने वाला टेंडर आज नहीं होगा। आगे क्‍या होगा? इसे लेकर साजिश रचने वालों में भी हड़कम्‍प व्‍याप्‍त है। ज्ञात हो कि भारत सरकार और उत्‍तर प्रदेश सरकार का स्‍पष्‍ट आदेश है कि पाठयपुस्‍तकें बांस ओर लकड़ी से बने अच्‍छे कागज पर ही प्रकाशित होंगी, रि-साइकिल्‍ड पेपर पर नहीं पकाशित होंगी।

इस संबंध में उच्‍चन्‍यायालय का भी आदेश है कि पाठ्य पुस्‍तकें बांस और लकड़ी से बने अच्‍छे कागज पर ही प्रकाशित हों। चूंकि बांस और लकड़ी से बने अच्‍छे कागज और रि-साइकिल्‍ड कागज के दर में काफी अंतर है, इसलिए शिक्षा विभाग के बड़े अफसर ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर साजिश रचे थे कि पाठ्यपुस्‍तकें रि-साइकिल्‍ड पेपर ही प्रकाशित करा ली जाएं। इसके लिए प्रकाशकों के एक गुट को साजिश का पार्टनर बनाया गया था और व्‍यवस्‍था की गई थी कि अच्‍छे कागज के दर पर ही रि-साइकिल्‍ड पेपर खरीद लिया जाए। इसके लिए टेंडर भी आमंत्रित कर लिए गए। किसी को पता नहीं चले, इसलिए यह व्‍यवस्‍था की गई कि पुस्‍तकों के जिल्‍द में बांस और लकड़ी से बने अच्‍छे पेपर का प्रयोग किया जाए।

इसकी जानकारी बांस और लकड़ी का अच्‍छा कागज बनाने वाले भारत सरकार के उपक्रम को हुई तो उसके वरिष्‍ठ अधिकारियों ने उत्‍तर प्रदेश के वरिष्‍ठ अधिकारियों से संपर्क किया गया। इन लोगों ने विभागीय अफसरों को भी बताया कि पाठ्यपुस्‍तकों का प्रकाशन रि-साइकिल्‍ड पेपर पर किया जाना भारत सरकार, उत्‍तर प्रदेश सरकार और उच्‍च न्‍यायालय की मंशा के विपरीत है। विभागीय अधिकारी इस तर्क को सुनने की जगह यह कुर्तक देने लगे कि पिछले साल पाठ्यपुस्‍तके रिसाइकिल्‍ड पेपर प्रकाशित हुई हैं, इसलिए इस बार भी उसी तर्ज पर रि-साइकिल्‍ड पेपर पर ही प्रकाशित होंगी। इसके लिए 28 फरवरी को टेंडर हो रहा है जिसमें अब किसी कीमत पर बदलाव संभव नहीं है।

अधिकाकिरयों की इस साजिश और मनमानी की जानकारी वरिष्ठ समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा को हुई तो उन्‍होंने इस मामले का उठाया और मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के एनेक्‍सी कार्यालय के माध्‍यम से उन्‍हें एक ज्ञापन भेजा। वह इस मामले को लेकर मीडिया में भी गए। बाराबंकी की मीडिया ने उनके मामले को गंभीरता से लिया और उसे अपने हद में एक बड़े मामले की तरह प्रस्‍तुत किया।

चूंकि लखनऊ की मीडिया इस मामले में चुप थी, इसलिए विभागीय अधिकारियों के हौसले बढ़े हुए थे। वे लोग आज किसी कीमत पर टेडर करा कर अपनी साजिश को मूर्त रूप देने में लगे थे। इधर राजनाथ शर्मा और उनके साथी 26 फरवरी को ही मुख्‍यमंत्री के पास इस साजिश को पहुंचाने में कामयाब हो गए थे। सूत्रों के अनुसार, मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने उसी दिन इसे गंभीरता लेते हुए मामले को अपने सचिव पार्थसारथी शर्मा को इस हिदायत के साथ सौंप दिया था कि वह मामले की पड़ताल कर उन्‍हे अवगत कराएं। इसके बाद मुख्‍यमंत्री सांसद तेज प्रताप यादव के विवाह में भाग लेने के लिए दिल्‍ली चले गए। वहां से लौटने के बाद उन्‍होंने इस मामले की जानकारी ली और आज 28 फरवरी को इसे लेकर होने वाला टेंडर तत्काल रूक गया।

सामाजिक कार्यकर्ता राजनाथ शर्मा ने मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के इस हस्‍तक्षेप के प्रति आभार जताते हुए कहा है कि उनके हस्‍तक्षेप से पाठ्यपुस्‍तकों के प्रकाशन में होने वाली एक बड़ी साजिश फिलहाल रूक गई लेकिन इस साजिश को रचने वाले पिछले साल सफल हो गए थे, उनके मुंह में खून लगा हुआ है, इसलिए ये लोग हर संभव कोशिश करेंगे कि किसी भी तरह से इस वर्ष भी पाइ़यपुस्‍तकों का प्रकाशन उनकी मंशा के अनुरूप हो जाए। इसलिए इस मामले को लेकर सजग रहने की आवश्‍यकता है।

सामाजिक कार्यकर्ता राजनाथ शर्मा ने मुख्‍यमंत्री से मांग की है कि वह इस मामले की उच्‍च स्‍तरीय जांच कराएं और इसके लिए दोषी अफसरों को कड़ी से कड़ी सजा दें ताकि आगे कोई इस तरह की हिम्‍मत नहीं करे। उन्‍होंने कहा है कि जांच का विषय इस वर्ष के मामल के साथ ही पिछले वर्ष का भी मामला हो ताकि पाठ्यपुस्‍तकों के प्रकाशन में रद्दी कागज का उपयोग करने वालों का चेहरा जनता के सामने आ सके और उन्‍हें अपनी करनी की सजा मिल सके।

रिपोर्ट :-शाश्वत तिवारी 

75 पैसे में हाथ से चला गया लाखों का ठेका !

india_75_paiseखंडवा – महंगाई के जमाने में आमतौर पर बारहा आने (पिचहत्तर पैसे) की कोई वैल्यू नहीं होती है , लेकिन मात्र पिचहत्तर पैसों की तकनीकी त्रुटि के चलते एक शराब ठेकेदार के हाथ से आठ करोड़ अढ़सठ लाख रूपये का ठेका चला गया , जिससे ठेकेदार तो अपने व्यवसाय से होने वाले लाभ से वंचित हुआ , साथ में प्रदेश सरकार को भी मिलने वाले राजस्व में लाखों रुपयों का नुकसान हुआ।

खंडवा जिले में आबकारी विभाग द्वारा देशी और विदेशी मदिरा दुकानों की टेंडर द्वारा नीलामी की गई। इस दौरान एक ग्रुप की नीलामी के दौरान प्रशासन ने 57 लाख रूपए अधिक आमदनी देने वाले एक ठेकेदार के टेंडर को उस समय रद्द कर दिया जब ठेकदार ने ऑफर राशि के एक बटे बारह के अनुपात में जो राशि अमानत राशि का चैक जमा किया , उसमे मात्र 75 पैसे कम लिखे थे। जिसके कारण दो घंटो के लिए फैसला रोक दिया और फिर तकनीकी त्रुटि बताते हुए , ज्यादा राशि भरने वाले ठेकेदार को टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया

खंडवा में आबकारी विभाग द्वारा आयोजित देशी और विदेशी मदिरा दुकानों की नीलामी के दौरान एक ग्रूप का टेंडर महज 75 पैसे की कमी के कारण रद्द होने पर विवाद खड़ा हो गया। नीलामी समिति के अध्यक्ष कलेक्टर ने इसे शर्तों का उल्लंघन मानते हुए रद्द कर दिया। खंडवा जिले की कुल 78 शराब दुकानो के लिए बनाये गए 22 ग्रुप के टेंडर जिला आबकारी कार्यालय परिसर में खोले गए। जिसमे सी वन ग्रुप की ग्राम मुंदी स्थित देशी एवं विदेशी शराब दूकान के अलावा ग्राम बीड़ और ग्राम शिवरिया की शराब दुकानो के आवंटन को लेकर संबंधित ठेकेदार ने सवाल उठाये है ।

इस ग्रुप के लिए कुल 9 टेंडर प्राप्त हुए थे , जिसमे सर्वाधिक टेंडर राशि आठ करोड़ अढ़सठ लाख रूपये भरने वाले कृष्ण कुमार मालवीया ने ऑफर राशि के चैक में मात्र पिचहत्तर पैसे कम भरे थे , जिसके कारण दो घंटो के लिए फैसला रोक दिया और फिर तकनीकी त्रुटि बताते हुए टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया और दूसरे स्थान पर रहे ठेकेदार हरजीत सिंह भाटिया , जिन्होंने आठ करोड़ ग्यारह लाख के लगभग राशि भरी थी , उसे सी वन ग्रुप की दुकाने आवंटित कर दी गई।

आवंटन प्रक्रिया से वंचित हुए ठेकदार ने समूची प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाते हुए इस सम्बन्ध में न्यायिक प्रक्रिया अपनाने की बात कही है। ठेकेदार कृष्णकुमार मालवीया का तर्क है की , जबकि आबकारी विभाग के नियमानुसार तीन दिन की अवधि में अमानत राशि का चैक वापस कर ठेकेदार से डिमांड ड्राफ्ट मंगाया जाता है , यदि आबकारी वाले चाहते तो ऐसा करते हुए सरकार को इससे हुई लाखो रुपयों हानि को बचा सकते थे।

इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी व्ही एस सोलंकी ने सफाई देते हुए कहा कि बंद लिफाफो में बुलाये गए टेंडर खोले जाने की समूची प्रक्रिया में पारदर्शिता अपनाई गई , और नियमो के अनुसार ही शराब दुकानो का आवंटन किया , आबकारी अधिकारी ने मौके पर मौजूद वरिष्ठ अधिकारीयों का हवाला देते हुए कहा की हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों के आधार पर ही कार्रवाई की गई ।

रिपोर्ट :- @तुषार सेन

खुलासा :गडकरी,दिग्विजय,वरूण गांधी के नाम भी शामिल

essar-groupनई दिल्ली – एक अंग्रेजी अखबार ने सनसनीखेज खुलासा किया है कि किस तरह उद्योगपति रुइया परिवार के एस्सार समूह ने कथिततौर पर अपने खर्च पर भाजपा के बड़े नेता नितिन गडकरी को सपरिवार क्रूज की सैर कराई। कंपनी के आंतरिक ईमेल और अन्य वार्तालापों में पूर्व कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के साथ ही कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और भाजपा सांसद वरूण गांधी के नाम भी हैं।

एक व्हिसलब्लोअर ने ये जानकारी जुटाई है, जिसे लेकर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। कंपनी के अधिकारियों के बीच हुई बातचीत से संदेह है कि कंपनी ने अपने हितों को साधने के लिए मंत्रियों, नौकरशाहों और पत्रकारों को लालच दिया।

इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने इन दस्तावेजों के आधार पर जब एस्सार के प्रवक्ता से सवाल किए, तो जवाबी ईमेल में बताया गया कि कंपनी से जुड़े ईमेल से कुछ डेटा चोरी किया गया है और उसके साथ छेड़खानी की गई है। वे इस बारे में पहले ही दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कर चुके हैं।

दस्तावेजों में लिखा है कि भाजपा नेता नितिन गडकरी, उनकी पत्नी, दो बेटों और बेटी ने फ्रैंच रिविएरा में एस्सार कंपनी के याट ‘सनरेज़’ पर दो रातें बिताई थीं। यह सात से नौ जुलाई 2013 के बीच की बात है। नाइस एयरपोर्ट से गडकरी का परिवार हेलिकॉप्टर से याट पर गया था।

हालांकि तब गडकरी न तो मंत्री थे, ना ही भाजपा अध्यक्ष, लेकिन कंपनी के एक ईमेल में लिखा गया था कि ये बहुत महत्वपूर्ण लोग हैं। उनका ख्याल रखा जाए।

बहरहाल, अखबार ने इस बारे में जब गडकरी से बात की तो उन्होंने साफ किया कि मैं उस समय न तो भाजपा अध्यक्ष था, न मंत्री पद पर था, इसलिए हितों के टकराव का कोई मसला नहीं है। बकौल गडकरी, मैं रुइया परिवार को 25 साल से जानता हूं। वे मेरे पड़ोसी रहे हैं। जब उन्हें पता चला कि मैं यूरोप की यात्रा पर हूं तो उन्होंने मुझे आमंत्रित किया था। वो मेरी निजी यात्रा थी। अब मैं मंत्री हूं तो जाहिरतौर पर ऐसा कुछ नहीं करूंगा।

नौकरी दिलवाते थे ये बड़े नेता

कंपनी दस्तावेजों के आधार पर तत्कालीन कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, मोतीलाल वोरा, तत्कालीन सांसद यशवंत नारायण सिंह लागुरी और भाजपा के वरूण गांधी ने अपने-अपने उम्मीदवारों को कंपनी में नौकरी के लिए भेजा था।

कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक ईमेल में जिक्र किया है कि किस तरह 200 पद वीआईपी के नाम पर रिक्त रखे गए।

अपने लोगों को नौकरी दिलवाने के सवाल पर श्रीप्रकाश जायसवाल ने स्वीकार किया कि मैं अपने क्षेत्र के बेरोजगार युवकों को नौकरी दिलाने का प्रयास करता रहता हूं।

वहीं दिग्विजय सिंह ने भी कहा, मुझे याद नहीं आ रहा, लेकिन हां मैं इस तरह बेरोजगारों की मदद करता रहता हूं। वरूण गांधी ने कहा, कई पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक मुझसे मिलते हैं और नौकरी दिलवाने की बात करते हैं, तो उनकी मदद करता हूं।

सांसदों और नौकरशाहों को महंगे फोन

एक अन्य ईमेल में कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शीर्ष नौकरशाहों और सांसदों को गिफ्ट दिए जाने वाले 200 महंगे सेलफोन का जिक्र किया है। दिल्ली के पत्रकारों के लिए मुफ्त कैब का जिक्र भी है।

मोदी के अभियान से भी दो कदम आगे निकले ये सफाई वाले

Cleaning workers strikeखंडवा – सफाईकर्मियों की हड़ताल के चलते नगर की साफ़-सफाई दुरुस्त करने के उद्देश्य को लेकर खंडवा में जन सहयोग से सफाई अभियान चलाया जा रहा , इस अभियान में नगर के पचास वार्ड के पार्षद , निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे है , यह पहला अभियान ऐसा है जो मीडिया कवरेज के लिए नहीं बल्कि शहर को स्वच्छ करने हेतु व्यापक पैमाने पर चलाया जा रहा है , जिसमे पुरे शहर की सफाई की जाकर कचरा उठाया जा रहा है।

खंडवा बस स्टेण्ड परिसर से आरम्भ हुए सफाई अभियान में नगर निगम महापौर , निगम आयुक्त , पचास वार्डों के पार्षद , जनप्रतिनिधि और शहर के जागरूक नागरिक शामिल हुए। लगभग चार सौ लोगो का जत्था , जब शहर की सड़को पर झाड़ू लेकर निकला तो शहर की सड़के चमचमाती नजर आई। इस अभियान में नगर निगम के हड़ताली सफाईकर्मियों को छोड़कर , अन्य कर्मचारी शामिल हुए , जिन्होंने पूरी लगन से साफ़ -सफाई की। खंडवा में निगम के सफाईकर्मियों की हड़ताल को आज चौथा दिन है , खंडवा नगर निगम महापौर सुभाष कोठारी का कहना है की सफाईकर्मियों की गैरवाजिब मांगों के आगे वे झुकने को तैयार नहीं है ,

खंडवा नगर निगम में शासन द्वारा सफाईकर्मियों के स्वीकृत पदों की संख्या 420 है , लेकिन निगम ने 637 सफाईकर्मी पदस्थ है ,जिनमे 229 स्थायी कर्मचारी है शेष मस्टर और ठेकदारी पर काम करते है , जिनकी तनख्वाह पर 65 लाख रुपये प्रतिमाह खर्च होता है , यह सफाईकर्मी चार प्रमुख मांगो को लेकर हड़ताल पर है , निगम प्रशासन के अनुसार , सफाईकर्मियों की चारो ही मांग गैर-वाजिब है। हड़ताली सफाईकर्मियों को समझाने हेतु राज्य स्तर पर भी प्रयास किये गए , साफ़-सफाई आयोग के सदस्य जटाशंकर कनोसिया ने वार्ता भी की जो विफल रही , ऐसे में नगर को साफ़ रखने की जिम्मेदारी को समझते हुए खुद निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि आगे आये और उन्होंने झाड़ू उठाई और नगर में साफ़ – सफाई की। सफाई की इस मुहीम में निगम अमले की जेसीबी , ढंपर , डोर टू डोर कचरा कलेक्शन वाहन को शामिल किया गया , सबसे बड़ी बात यह रही की यह स्वच्छ्ता अभियान पुलिस प्रोटक्शन में सम्पन्न हुआ। क्योंकि इसके पहले नगर के कुछ वार्ड के नागरिको ने अपने क्षेत्र में सफाई की तो उनके साथ सफाईकर्मियों ने मारपीट की।

सफाईकर्मियों की हड़ताल के कारण मज़बूरीवश पुरे खंडवा नगर में चलाया जा रहा सफाई अभियान, अब तक देश में चलाये गए किसी भी स्वछता अभियान से बढ़ा अभियान है , जो यह सीख देता है की किसी भी मुश्किल काम करने के लिए जब पूरा शहर एकजुट हो जाए , तो कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है।

रिपोर्ट :- अनंत महेश्वरी 

जासूसी कांड :रिलायंस इंडस्ट्रीज लि.के प्रेजिडेंट से पूछताछ

RILनई दिल्ली – कॉर्पोरेट जासूसी मामले में जांच की आंच अब बड़े लोगों तक पहुंचने लगी है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में आरआईएल के प्रेजिडेंट (कॉर्पोरेट अफेयर्स) शंकर अदावल से अनौपचारिक पूछताछ की है। दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को उनके ऑफिस में रेड कर उनका कंप्यूटर भी सीज कर लिया। सूत्रों के मुताबिक दो और एनर्जी कंपनियों के ऑफिस में रेड की गई और वहां से भी कागजात जब्त किए गए हैं। अदावल, आरआईएल (रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड) के 4G प्रॉजेक्ट- रिलायंस जियो के रेग्युलेटरी ऐंड कॉर्पोरेट अफेयर्स के भी हेड हैं। अदावल को जल्द ही पूछताछ के लिए पेश होने को औपचारिक समन भेजा जाएगा। भारत सरकार के मंत्रालयों के अहम दस्तावेज लीक होने के मामले में दिल्ली पुलिस के उनसे 20 सवाल पूछे जाने की उम्मीद है।

इससे पहले, अदावल को 2002 में सीबीआई ने दस्तावेज लीक होने के मामले में अरेस्ट किया था। उस समय वह आरआईएल में जनरल मैनेजर (कॉर्पोरेट अफेयर्स) थे। करीब 13 साल पहले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर उनके साथ ग्रुप के वाइस प्रेजिडेंट एएन सेतुरमन को भी अरेस्ट किया गया था। वह केस अब भी चल रहा है।

पुलिस का मानना है कि गिरफ्तार कर्मचारियों की कंपनियों (एनर्जी) के कुछ बड़े अधिकारी भी दस्तावेज लीक करने के मामले में मिले हुए हैं। पुलिस ने अदालत में कहा है कि इन कंपनियों को लीक हुए दस्तावेज से अप्रत्याशित लाभ पहुंचा है।

इस मामले में कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ के लिए गृह मंत्रालय और आईबी के अधिकारियों को भी भरोसे में लिया गया है।

महू- खंडवा गेज परिवर्तन ले लिए 200 करोड़ की घोषणा

Railway-Budgetखंडवा – गुरूवार लोकसभा में देश का महत्वपूर्ण रेल बजट पास हुआ। मोदी सरकार के नेतृत्व का यह पहला रेल बजट है जिससे खंडवा लोकसभा क्षेत्र की जनता को  एक बड़ी सफलता प्राप्त होकर इस रेल बजट में में महू-ओंकारेश्वर-खंडवा गेज परिवर्तन के लिए एक बड़ी राशि 200 करोड़ रूपए की स्वीकृति प्राप्त हुई। सामाजिक एवं रेल सुविधा कार्यो में लगे जनमंच के लिए भी यह खुशी की बात है कि लंबे समय से किए जा रहे प्रयास को सफलता हासिल हुई है।

लोकसभा में रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रेल बजट पेश किया जिसमें ब्राडगेज हेतु 200 करोड़ रूपए देने की घोषणा हुई। इस बार के रेल बजट की मुख्य विशेषता यह है कि रेल बजट रेलवे को मजबूती देने के उपाय का बजट रहा। जिसको भविष्य में ट्रेनों, स्टेशनों, पटरियों, तकनीकी उपायों, सुरक्षा सुविधाओं के लिए इस बजट में अधिक राशि खर्च की जाएगी।

वर्षो बाद इस गेज परिवर्तन के लिए किए गए प्रयासों से 200 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत हुई जो खंडवा जिले के साथ मप्र के लिए एक बड़ी सौगात के रूप में मानी जा रही है। घोषणा के साथ रेल विभाग महू से खंडवा की ओर अपने कदम बढ़ाते हुए जल्द से जल्द गेज परिवर्तन की राह आसान करेगा। इस बार की यह राशि पिछले बार के बजट की तुलना चार गुना अधिक है।

गेज परिवर्तन के लिए एक बड़ी सौगात के रूप में 200 करोड़ रूपए की राशि जारी करने पर जनमंच रेल मंत्री को धन्यवाद देते हुए बधाईयां प्रेषित की है।

योगी आदित्यनाथ ने फिर बोले कड़वे बोल

Yogi Adityanathशाहजहांपुर – उत्तर प्रदेश में गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अयोध्या में मंदिर बनाने पर अदालत से बाहर नए प्रस्ताव को बकवास बताया है। योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या मुद्दे को हल करने के लिए नए प्रस्ताव पर तीखा हमला बोला। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में आयोजित संत सम्मेलन में संन्यासियों के बीच उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से मक्का-मदीना और वेटिकन सिटी में मंदिर का निर्माण नहीं हो सकता उसी तरह अयोध्या में किसी मस्जिद का निर्माण नहीं हो सकता।

योगी ने कहा कि अयोध्या सनातन धर्म की धरती है। उन्होंने कहा कि यह धार्मिक शहर है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। अयोध्या मामले में मुख्य वादी हाशिम अंसारी और अखाड़ा परिषद के चीफ महंत ज्ञानदास ने संयुक्त रूप से बयान जारी एक समाधान के रूप में नया प्रस्ताव सामने रखा था। इस प्रस्ताव में अयोध्या में मंदिर और मस्जिद दोनों बनाने की बात कही गई थी। इसी प्रस्ताव को योगी आदित्यनाथ ने बकवास बताया है। योगी ने कहा कि इन दोनों को इस तरह का प्रस्ताव नहीं रखना चाहिए था।

मक्का-मदीना मुसलमानों के बीच सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। मुसलमानों के बीच मक्का-मदीना को लेकर गहरी आस्था है। दूसरी तरफ वेटिकन सिटी ईसाइयों के लिए पवित्र धार्मिक स्थल है। योगी आदित्यनाथ ने इन्हीं दोनों पवित्र धार्मिक स्थलों को बारे में पूछा है कि क्या यहां मंदिर बनाने की अनुमति मिलेगी? उन्होंने कहा कि जब हम इन जगहों पर मंदिर नहीं बना सकते तो अयोध्या में मस्जिद कैसे बनाई जा सकती है।

छत्तीसगढ़ : RSS में शामिल हो सकते है सरकारी कर्मचारी

rss sangरायपुर – छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार ने एक विवाद मोल लेने वाला नोटिफिकेशन जारी किया है। इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जॉइन कर सकते हैं। कर्मचारियों को संघ की शाखाओं में भी शामिल होने की छूट दी गई है। सरकार के इस फैसले की चौतरफा आलोचना हो रही है। गुरुवार को कांग्रेस ने इस फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की।

सामान्य प्रशासनिक विभाग के स्पेशल सचिव डीडी सिंह ने कहा कि अविभाजित मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध था। बीजेपी सरकार ने अब इस फैसले को पलट दिया है। 23 फरवरी को बीजेपी सरकार ने यह आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि छत्तीसगढ़ सिविल सर्विस 1965 के नियम 5(1) के मुताबिक बैन का नियम आरएसएस पर लागू नहीं होता है।

कांग्रेस का कहना है कि यह मनमाने रवैए के तहत लिया गया एक अवैध फैसला है। कांग्रेस ने कहा कि आरएसएस पूरी तरह से राजनीतिक संगठन है और यह हिन्दू राष्ट्र बनाने की वकालत करता है। कांग्रेस ने कहा कि जो संगठन हिन्दू राष्ट्र जैसी असंवैधानिक चीजों को स्थापित करना चाहता उसके प्रति सरकार की मेहरबानी खतरनाक है।

इस मसले पर कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने कहा, ‘एक सरकारी कर्मचारी संविधान के प्रति निष्ठा रखने की शपथ लेता है और उसे ऐसे संगठन का मेंबर बनने की छूट दी जा रही है जिसका बुनियादी सिद्धांत ही संविधान के खिलाफ है।’ कांग्रेस के एक और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह बीजेपी सरकार के मनमाने रवैये का परिचायक है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकारी कर्मचारियों का राजनीतिकरण कर रही है जो कि संविधान के उस नियम के खिलाफ है जिसमें ब्यूरोक्रेसी को स्वतंत्र रखने की बात कही गई है। सुरजेवाला ने कहा, ‘प्रदेश के मुख्यमंत्री रमन सिंह के पैरों तले से राजनीतिक जमीन खिसक रही है। ऐसे में वह भेदभाव करने वाले विनाशकारी फैसले ले रहे हैं। कांग्रेस इस फैसले की कड़ी निंदा करती है। हम बीजेपी सरकार से इस खतरनाक फैसले को वापस लेने की मांग करते हैं।’

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अजित जोगी ने कहा, ‘यह एक असंवैधानिक कदम है। सरकारी कर्मचारियों को एक खास निष्ठा में बांधने की कोशिश है। जो सरकारी कर्मचारी लंबे वक्त तक शाखा जाएगा उसकी निष्ठा जनता के प्रति निष्पक्ष नहीं रह सकती।’ छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि इस आदेश से सरकार और राजनीतिक पार्टी के बीच की दूरी को खत्म करने की साजिश है। सिंहदेव ने कहा कि भले आरएसएस खुद को सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन कहता है लेकिन हकीकत यह है कि वह विशुद्ध राजनीतिक संगठन है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से लोकतांत्रिक ढांचे पर बुरा असर पड़ेगा।

छत्तीसगढ़ सिविल सर्विस नियम 1965 के मुताबिक सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा नहीं बन सकते। इस नियम के मुताबिक, ‘कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीति पार्टी का मेंबर नहीं बन सकता। वह किसी भी वैसे संगठन के प्रति अपना जुड़ाव नहीं रखेगा जिसकी सक्रिय राजनीति में अहम भागीदारी है।’

अचानक आई ‘ छींक ’ और चोर पकड़ा गया

sneezingअम्बेडकरनगर – वह पकड़ा न जाता और अपने मंसूबे में कामयाब हो जाता अगर उसे छींक न आई होती। क्या करे छींक मानव शरीर की एक ऐसी अनैक्षिक क्रिया है, जो कब आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। इस तरह की क्रियाओं पर मानवीय नियंत्रण नहीं होता है। यदि किसी ने जबरिया नियंत्रित करने की कोशिश किया भी तो उसके शरीर का सम्पूर्ण विज्ञान गड़बड़ा सकता है। इसी तरह अनैक्षिक क्रिया ‘छींक’ की एक घटना हुई, जिसमें एक शातिर चोर पकड़ा गया, और उसके मंसूबे पर पानी फिर गया।

मिली जानकारी के मुताबिक अम्बेडकरनगर जिले के मालीपुर थाना क्षेत्र अन्तर्गत गाँव मंसूरपुर में बारात की रवानगी की तैयारी में लगे परिवार के पुरूष, महिलाओं की व्यवस्था को धता बताते हुए घर में घुसा चोर चढ़ावे के जेवरातों पर हाथ साफ कर बेड के नीचे छुप गया ताकि मौका मिलते ही भाग निकले, किन्तु उसकी एक छींक ने जहां उसके अरमानों पर पानी फेेर दिया वहीं चढ़ावे के जेवरात के बच जाने से बारात मालिक की इज्जत भी बच गयी।

उक्त गाँव निवासी कृष्ण कुमार सिंह के भतीजे नीरज की बारात बीते बुधवार को सुल्तानपुर जनपद के लम्भुआ क्षेत्र में जानी थी। शादी की तैयारी में परिजन व नाते रिश्तेदार सब जुटे थे। इसी भीड़-भाड़ और मांगलिक कार्यक्रमों में व्यस्तता का लाभ उठाते हुए एक अज्ञात व्यक्ति मेहमान बनकर घर में घुस गया और कमरे में पहुंचकर आभूषणों को अपने पैन्ट की पाकेट में रखकर कमरे में रखे बेड के नीचे छुपकर निकल भागने के लिए मौके का इन्तजार करने लगा, किन्तु दुर्भाग्य बस उसे अचानक छींक आ गई। एकाएक आयी एक छींक ने उसकी पोल खोल दिया। घर में मौजूद महिला-पुरूष द्वारा उसे पकड़ लिया गया और जमकर धुनाई के उपरान्त पुलिस के हवाले कर दिया गया।

:- रीता विश्वकर्मा

आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामलों में गिरफ्तार

arrestedकैथल – आत्महत्या के लिए मजबूर करने के 2 मामलों में वांछित आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों आरोपियों को आज अदालत में पेश कर दिया गया, जहां से एक को न्यायिक हिरासत में तथा दुसरे का न्यायालय से एक दिन का पुलिस रिमांड हासिल किया गया है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया सीआईए टू ईंचार्ज सबइंस्पेक्टर सत्यवान ने आरोपी सरेंद्र वासी माता गेट को गिरफ्तार किया है।

सोनिया पत्नी अश्वनी वासी गांधीनगर की शिकायत अनुसार 3 जून 2014 को उसके पति ने सैक्टर 20 के पार्क में जहर पी लिया, जिसको एक प्राईवेट असपताल से दिल्ली ले जाते समय दम तोड़ दिया। महिला ने आरोप लगाया कि प्रोपर्टी डीलर के व्यवसाय से जुड़े उसके साथियों द्वारा पैसे के लेनदेन को लेकर निरंतर किए जा रहे उप्तीडऩ से तंग आकर उसने जीवन लीला खत्म कर दी।

आरोपी सुरेंद्र का आज अदालत से एक दिन का पुलिस रिमांड हासिल किया गया है, जिससे व्यापक पुछताछ की जा रही है। प्रवक्ता ने बताया एक अन्य मामले में विवाहिता प्रीती पत्नी संजीव वासी शक्ति नगर ने 12 फरवरी को पति के उत्पीडऩ से तंग आकर मिट्टी का तेल छिड़कर आग लगा ली, जिसकी 19 फरवरी को चड़ीगढ़ में उपचार दौरान मौत हो गई।

मृतक की शादी करीब 6 वर्ष पुर्व संजीव के साथ संपन्न हुई थी, जिससे उसे 2 बच्चे है। आरोपी पति शराब पीने का आदी था, जो शराब पीकर अपनी पत्नी से अक्सर मारपीट करता था। थाना शहर प्रबंधक इंस्पेक्टर विरेंद्र  ने जांच करते हुए आरोपी पति को् गिरफ्तार कर लिया र्है, जिसे न्यायालय के आदेश अनुसार न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

:- राजकुमार अग्रवाल

अच्छा हुआ वेंकैया ने माफी मांग ली वरना ये हो जाता !

venkaia_Naiduनई दिल्ली – रेल बजट 2015, जिसका इंतजार जनता को बेसब्री से था। उसके पेश होने से पहले संसद में जमकर हंगामा देखने को मिला। आलम ये हो गया कि लगा रेल बजट पेश कैसे होगा।

संसद में हंगामे के पीछे विपक्ष का तेवर अहम वजह था। जो संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू के एक बयान से खासा नाराज था। इस मुद्दे को लेकर पूरे विपक्ष ने एक बैठक की। जिसमें एक सुर से वेंकैया नायडू से इस मुद्दे पर माफी मांगने की मांग की उठी।

खुद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने वेंकैया नायडू से उनके बयान के लिए माफी की मांग की। विपक्ष के तेवरों से ऐसा लगा जैसे विपक्ष रेल बजट पेश नहीं होने देगा। हालांकि मामला 12 बजे से पहले सुलझ गया और फिर रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल बजट पेश किया।

वेंकैया नायडू ने मंगलवार लोकसभा में अपनी बात रखते समय विपक्षी पार्टियों पर विवादित टिप्पणी कर दी। उन्होंने खास तौर से कांग्रेस को लेकर कुछ ऐसी टिप्पणी की थी जिसको लेकर विपक्ष का गुस्सा बढ़ गया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से माफी की मांग की।

इधर, हंगामा बढ़ने पर वेंकैया नायडू सामने आए। उन्होंने मामले में माफी तो नहीं मांगी हालांकि सफाई जरूर पेश की। लेकिन विपक्ष उनसे माफी के नीचे मानने को तैयार नहीं था।

विपक्ष की नाराजगी और सदन में हंगामे के चलते लोकसभा पहले 11.45 बजे तक स्थगित कर दी गई। विपक्ष के तेवर को देखते हुए आखिरकार एक बार फिर से वेंकैया नायडू को सामने आना पड़ा।

उन्होंने पूरे विवाद को लेकर खेद जताया। साथ ही ये भी कहा कि उनका मकसद किसी पार्टी या व्यक्ति को ठेस पहुंचाना नहीं था। संसदीय कार्यमंत्री की सफाई के बाद विपक्ष शांत हुआ। इसके बाद सदन की कार्रवाई सुचारू ढंग से चल सकी।

रेल बजट : नई ट्रेन की घोषणा नहीं,किराया भी नहीं बढ़ेगा

Rail Budget 2015 No New Trains Announcedनई दिल्ली- रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मोदी सरकार के पहले पूर्ण रेल बजट में भविष्य की नींव रखने की कोशिश करते हुए कोई लोकलुभावन घोषणा नहीं की गई है। यात्री किराये में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं पर ज्यादा जोर दिया गया है। लंबे समय बाद ऐसा हुआ है कि बजट में किसी नई ट्रेन की घोषणा नहीं की गई है। रेल मंत्री ने अपने बजटीय भाषण में कहा कि नई ट्रेनों की घोषणा समीक्ष रिपोर्ट के बाद की जाएगी, जो संसद के इसी सत्र में आ जाएगी।

उन्होंने कहा कि दलालों को रोकने के लिए रेल टिकट अब यात्रा तिथि से 120 दिन पहले बुक किए जा सकेंगे, अभी यह समय सीमा 60 दिन है। बिना रिजर्वेशन वाले टिकट कटवाने के लिए ‘ऑपरेशन 5 मिनट’ शुरू किया जा सकेगा, जिससे लंबी लाइनों से यात्रियों को मुक्ति मिल पाएगी। इसके अलावा मोबाइल ऐप से जनरल टिकट भी कटाए जा सकेंगे और आईआरसीटीसी की साइट हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में भी शुरू होंगी। लोकल ट्रेनों में महिला डिब्बों में सीसीटीवी लगाए जाएंगे और जनरल डिब्बों में भी मोबाइल चार्जर लगेंगे।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने यात्रियों की जरूरत और रेलवे के हितों में संतुलन बिठाने का वादा किया, ताकि यह गुणवत्ता, सुरक्षा और पहुंच के लिहाज से विश्व स्तर का उद्यम बन सके। रेल मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में रेल सुविधाओं में संतोषजनक सुधार नहीं हुआ है, जिसकी वजह उचित निवेश न होना है, जिसने क्षमता को प्रभावित किया है, मनोबल कम हुआ है। उन्होंने कहा कि वित्तीय कमी के कारण सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण सेवा, उच्च मानक और कुशलता प्रभावित हुई है। प्रभु ने कहा कि इसे समाप्त करना होगा। हमें भारतीय रेल को सुरक्षा और आधारभूत संरचना के लिहाज से प्रमुख संस्था बनाना होगा।

रेल बजट 2015-16 को पेश करते हुए सुरेश प्रभु ने जनता को कई सौगातें दीं। बजट में रेल मंत्री का पूरा जोर आम जनता को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने पर रहा। रेल मंत्री ने यात्रियों को रिजर्वेशन कराने के लिए ज्यादा समय मुहैया कराया है। अब आप रेलवे रिजर्वेशन को 120 दिन पहले करा सकते हैं। रेलवे रिजर्वेशन के लिए चार महीने का समय मिलने से यात्री अपनी यात्राओं को लेकर खास योजना बना सकते हैं। इससे रिजर्वेशन काउंटरों में भीड़ भी कम होने की संभावना होगी।

इस्तेमाल करो और फेंको श्रेणी के बिस्तर सभी स्टेशनों पर भुगतान के आधार पर उपलब्ध कराए जाएंगे। सुरक्षा से जुड़ीं शिकायतों के लिए टोल फ्री नंबर 182 शुरू किया जाएगा। इसके अलावा रेलवे हेल्पलाइन नंबर 138 24 घंटे चालू रहेगा।
गाड़ियों के आने-जाने की सूचना एसएमएस अलर्ट से देने की तैयारी। भीड़ वाली गाड़ियों में 24 की जगह 26 डब्बे लगाने सहित अनारक्षित डिब्बों की संख्या बढ़ाने की भी योजना है। वाई-फाई सुविधा अब सभी बी कैटिगरी के रेलवे स्टेशनों पर भी उपलब्ध कराई जाएगी।

देश के तीन प्रमुख महानगरों दिल्‍ली, मुंबई और कोलकाता के बीच की यात्रा को आसान बनाने के लिए उन्होंने हाईस्पीड कॉरिडोर बनाने की घोषणा की है। दिल्‍ली-कोलकाता और दिल्‍ली-मुंबई के बीच की नौ ट्रेनों की स्पीड बढ़ाकर 160 से 200 किलोमीटर तक की जाएगी। माना जा रहा है कि नई व्यवस्‍था से दोनों रास्तों पर एक रात में सफर करना संभव हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अन्य रूटों पर हाई स्पीड ट्रेनों की संभावानाओं का अध्ययन करने के लिए अध्ययन किया जा रहा है। मुंबई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने पर व्यवहारिकता अध्ययन रिपोर्ट इस साल मध्य तक आने की उम्मीद है।

सभी नवनिर्मित कोच ब्रेल युक्त होंगे, जिससे नेत्रहीन लोगों को सुरक्षा होगी। अब जरूरतमंद लोग वीलचेयर के लिए ऑनलाइन बुकिंग कर सकेंगे। रेलगाड़ियों के 17,000 से अधिक शौचालय बदले गए, अन्य 17,000 बदले जाने का लक्ष्य रखा गया है। रेलवे कागज रहित टिकट प्रणाली को विकसित करेगा और स्टेशन सफाई के लिए नया विभाग बनेगा। स्टेशनों के शौचालयों में सुधार की जरूरत बताते हुए रेल मंत्री ने 650 अतिरिक्त शौचालय बनाने का प्रस्ताव रखा है। इस बार बजट में मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेन के आने से पहले टेक्नॉलजी के जरिए ऑडिय चेतावनी शुरू करने की भी बात की गई है।

अबू सलेम को टाडा अदालत ने सुनाई उम्रकैद की सजा

Abu Salem

मुंबई -1995 में हुई बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या के मामले में दोषी गैंगस्टर अबू सलेम को टाडा अदालत ने उम्रकैद और दो लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है । सलेम के अलावा उसके सहयोगी और सह-आरोपी मेहंदी हसन को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

इस मामले में सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने बताया कि आजीवन सजा का मतलब यह है कि वह जिंदगी भर जेल में रहेगा। उन्होंने बताया कि पुर्तगाल से प्रत्यर्पण संधि होने के कारण अदालत सलेम को फांसी की सजा नहीं दे सकती है। इस मामले में दूसरे दोषी व बिल्डर वीरेंद्र झंब के लिए अदालत ने अब तक जेल में बिताए वक्त को पर्याप्त सजा बताया है।

फिरौती देने से इनकार करने पर अबू सलेम ने प्रदीप जैन का मर्डर उनके जुहू बंगले के बाहर करवाया था। सलेम के शूटरों प्रदीप जैन को 17 गोलियां मारी थीं। टाडा अदालत ने पिछले सप्ताह ही सलेम को प्रदीप जैन की हत्या का दोषी करार दिया था। पुलिस का कहना था कि उसने सलेम को अपनी एक बड़ी संपत्ति देने से इनकार किया था। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में अबू सलेम के ड्राइवर मेहंदी हसन को फांसी पर लटकाने और वीरेंद्र झंब को 7 साल की सजा देने की मांग की थी।

अबू सलेम को 2002 में इंटरपोल द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था। यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें उसे सजा सुनाई गई है। प्रत्यर्पण करार के कारण उसे फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है। सलेम 2005 से ही आर्थर रोड जेल में बंद है। -एजेंसी 

मध्य प्रदेश बजट 2015-16 : बजट से जुड़ी अहम बातें

Madhya Pradesh Legislative Assembly

भोपाल  – मध्‍य प्रदेश के वित्‍त मंत्री जयंत मलैया ने बुधवार को विधानसभा में वित्‍तीय वर्ष 2015-16 का बजट पेश किया। एक लाख 31 हजार 199 करोड़ रुपए के बजट में शिवराज सरकार ने कई अहम घोषणाएं की है। बजट पिछले साल की तुलना में करीब 20 हजार करोड़ अधिक है।

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री मलैया ने कहा है, ‘वर्ष 2015-16 का बजट पेश करते हुए मैं आत्म विश्‍वासस से भरपूर हूं। बजट विकास का आधार है और सामजिक सरोकार ही इसकी पहचान है। मेरी कोशिश यह नहीं है कि मैं किसी से बेहतर करूं। मेरी कोशिश तो ये है कि मैं किसी के लिए बेहतर करूं।

मलैया ने कहा कि हमारी सरकार ने खेती के मामले में प्रदेश को देश के अव्वल नंबर पर लाकर खड़ा कर दिया है। मलैया की पत्नी सुधा मलैया भी विधानसभा में आईं और वीआईपी दीर्घा में बैठकर बजट सुना। बजट पेश करने से पहले नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने कहा कि यदि बजट जन विरोधी होने पर वे सदन की कार्यवाही नहीं चलने देंगे।

बजट से जुड़ी अहम बातें :

* कृषि यंत्र हुआ कर मुक्त
* साइकिल एसेसरी कर मुक्त
* महिला ड्राइंविंग लाइसेंस पर नहीं लगेगा शुल्क
* सीएनजी आयात पर 10 फीसदी प्रवेश कर लगेगा
* मप्र में बनने वाले 500 रु. तक जूते-चप्पल कर मुक्त
* गैस गीजर भी सस्ता
* पंपिंग सेड एसेसरी, ट्रैक्टर एसेसरी, केल्कुलेटर, इलेक्ट्रोनिक खिलौने सस्ते
* सोया मील महंगा, कॉटन सीड ऑलय महंगा
* हाईट्रोलिक ट्रॉली सस्ती
* गैस चूल्हा और इंडक्शन चूल्हा हुआ सस्ता
* पान मसाला हुआ महंगा, 13 से 27 फीसदी हुआ वेट
* एक लाख 8 हजार 834 करोड़ कुल राजस्व व्यय
* एक लाख 14 हजार 422 करोड़ कुल राजस्व आय
* लेडीज बैग, बच्चों के डायपर, कृषि उपकरण सस्ते
* बच्चों की किताबें-नोटबुक सस्ती
* साइकिल, ट्राईसाइकिल, साइकिल रिक्शा सस्ते
* साइकिल के टायर ट्यूब सस्ते
* केक, रेत और गिट्टी हुई महंगी
* नवकरणीय ऊर्जा के लिए 54 करोड़ का बजट, 29 हजार 500 मेगावाट उत्पादन क्षमता निर्मित करने का लक्ष्य
* बजट में पर्यावरण विकास पर भी जोर, 96 शहरों की विकास परियोजनाएं हुई तैयार
* खिलौने, सा‍ड़ियां और रेजर सस्‍ते
* स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान पर जोर
* साइकिल के पार्ट्स कर मुक्‍त
* शिक्षा के क्षेत्र में बजट बढ़ाया, पिछले वर्ष की तुलना में 896करोड़ रुपए ज्यादा, उच्च शिक्षा के लिए 683 करोड़ रु. ज्यादा
* खंडवा और बैतूल में दो बिजली परियोजनाएं का विस्‍तार होगा
* पासपोर्ट के लिए अब ग्रामीण और निजी बैंक की फोटोयुक्त पासबुक भी एड्रेस प्रूफ के लिए मान्य
* जल प्रदाय कार्यों के लिए 2 हजार 242 करोड़ का प्रावधान
* शहरी लोक परिवहन के लिए अर्बन ट्रांसपोर्ट फंड बनेगा
* ग्रामीण महिलाओं के स्वरोजगार के लिए तेजस्वनी योजना
* तेजस्वनी योजना के लिए 65 करोड़ का प्रावधान बजट
* महिला एवं बाल विकास के लिए 4 हजार 483 करोड़ का बजट
* औद्योगिक विकास के लिए एक हजार 781 करोड़ का बजट
* स्वास्थ्य के क्षेत्र में 4 हजार 740 करोड़ रुपए होंगे खर्च
* सभी जिला चिकित्सालयों में डायलिसिस मुफ्त होगा
* लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिए एक हजार 398करोड़ का बजट
* प्राइमरी, मिडिल और हायरसेकेंडरी शिक्षा के लिए 15 हजार 749 करोड़ का बजट
* 100 मिडिल स्कूलों को हाईस्कूल बनाया जाएगा
* 100 हाइस्कूलों को हायर सेकेंडरी बनाया जाएगा
* उच्च शिक्षा के लिए दो हजार करोड़ बजट का प्रावधान
* तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास के लिए 800 करोड़ का बजट
* चिकित्सा शिक्षा के लिए 649 करोड़ का बजट
* सिंहस्थ के लिए 300 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान
* स्कूलों में शौचालय के लिए 552 करोड़ का बजट
* रिवॉल्वर, पिस्टल के लाइसेंस महंगे
* रिवॉल्वर, पिस्टल के लाइसेंस का नवीनीकरण महंगा
* रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा पर विज्ञापन महंगा
* केबल नेटवर्क, समाचार पत्रों पर विज्ञापन महंगा
* ई-पंजीयन, ई-स्टांपिंग का कार्य अन्य जिलों में शुरु किया जाएगा
* अब तक पांच जिलों में चल रहा था कार्य
* मप्र व्यापारी कल्याण बोर्ड का होगा गठन
* आसूचनादाता/कर्मचारियों के लिए पुरस्कार योजना

बीजेपी विधायक के कारण फैल रहा स्वाइन फ्लू :आजम

 Azam Khan  लखनऊ – प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री आजम खां ने बुधवार को एक बेहद अजीब बयान दिया। उन्होंने लोगों से बीजेपी विधायकों से दूर रहने के लिए कहा। आजम का कहना था कि बीजेपी विधायक स्वाइन फ्लू फैला रहे हैं।

दरअसल मामला विधानसभा में गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर हुए हंगामे की वजह से हुआ। गन्ना किसानों के मुद्दे पर बीजेपी के विधायकों ने सदन में खूब हो-हल्ला किया। अपनी सीट से शोर करने के बाद वह सभी उठकर वेल में आ गए। वेल में आकर जब काफी देर तक विधायक हंगामा करते रहे तो सरकार की तरफ से मोर्चा आजम खां ने संभाला।

वेल में हंगामा कर रहे बीजेपी विधायकों का साथ कांग्रेस के विधायकों ने भी दिया। इस पर आजम खां ने कहा कि ये उसी बीजेपी के विधायक है जिसकी पार्टी ने किसानों की जमीन को अडानी के हाथों को कौड़ियों के दामों में दे दिया। उनसे बचने की जरूरत है।

कांग्रेस के विधायकों को आगाह करते हुए आजम खां ने कहा कि आप ज्यादा बीजेपी के करीब मत जाइए। इनके विधायक स्वाइन फ्लू फैला रहे हैं आपको भी अपने चपेट में ले लेंगे। जाहिर है कि आजम खां ने यह टिप्पणी मजाकिया लहजे में की थी।

आजम की इस टिप्पणी का जवाब बीजेपी की ओर से आया। बीजेपी के सतीश महाना ने कहा कि सदन के संसदीय कार्यमंत्री सदन में स्वाइन फ्लू फैलाने का काम कर रहे हैं, इन्हें रोका जाएं।

13 साल की छात्रा ने बालक को जन्म दिया

DEMP-PIC
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खंडवा -जिला अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में मंगलवार 13 साल की छात्रा ने बालक को जन्म दिया। बेटे को जन्म देने के बाद छात्रा बोली मैं नहीं जानती इसका पिता कौन है। यह सब कैसे हो गया के सवाल पर भी छात्रा खामोश रही। ग्राम खेड़ी में कक्षा सातवीं में पढ़ाई कर रही छात्रा के पेट में मंगलवार सुबह दर्द हुआ।

छात्रा की मां उसे जिला अस्पताल ले आई। डॉक्टर से चेकअप कराया। भर्ती कराने की तैयारी चल रही थी। इस दौरान छात्रा ने अस्पताल में ही बालक को जन्म दिया। सामान्य प्रसव के बाद छात्रा को लेडी बटलर अस्पताल में शिफ्ट कर दिया। जहां मां और बेटे दोनों की हालत खतरे से बाहर है।

छात्रा के परिवार में छह भाई-बहन हैं। छात्रा की मां बोली कुछ महीनों से पेट दर्द और बुखार आता था। छात्रा की हालत भी सामान्य दिखाई देती थी। शरीर देखने पर भी कभी शंका नहीं हुई। मेरी बेटी की जिंदगी खराब करने वाला कौन है इसका तो पता नहीं। लेकिन जो भी हुआ बहुत बुरा हुआ। हम समाज में क्या मुंह लेकर जाएंगे।

डॉ.दीप्ति मंडलोई ने बताया गांव के सरकारी स्कूल में कक्षा सातवीं में पढ़ाई कर रही छात्रा एक माह से स्कूल नहीं गई। छात्रा ने बताया बुखार और पेट में दर्द होता था। लेकिन दो रोज से ज्यादा तकलीफ हो रही थी। यह नहीं पता था कि पेट में बच्चा है। पुलिस को मामले की जानकारी नहीं है। दोनों की हालत सामान्य है ।

अपने ही पिता और भाई के खिलाफ घरेलू हिंसा शिकायत

Domestic violenceनई दिल्ली – देश की राजधानी दिल्ली में एक महिला वकील ने अपने पिता और भाई के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले में शिकायत दर्ज कराई है । अभी तक घरेलू हिंसा के ज्यादातर केस शादीशुदा या लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहीं महिलाओं के पति या पार्टनर के खिलाफ ही देखने को मिलते थे। यह अपने आप में नए तरह का मामला है।

शिकायतकर्ता महिला शादीशुदा हैं और एक वकील हैं। उन्होंने पिछले साल 23 जुलाई को अपने पति द्वारा उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद महिला के पिता और भाई महिला को उसके मायके ले आए थे।

पिछले साल ही 20 नवंबर को महिला ने पटियाला हाउस कोर्ट में अपने पिता और भाई के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई। महिला ने आरोप लगाया कि उसे शारीरिक चोट पहुंचाई गई और मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित किया गया। महिला के मुताबिक, उसे खाना नहीं दिया जाता था और हर महीने पैसे मांगे जाते थे।

महिला का कहना है कि उसने वापस पति के घर जाने की अपने परिजनों की बात नहीं मानी तो परिजनों ने उसे मायके से जबरन निकाल दिया। मामले की सुनवाई कर रही जज ने महिला के पिता और भाई को समन जारी किया तो उसके पिता और भाई ने इस मामले में हाई कोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट में महिला के परिजनों का कहना था कि घरेलू हिंसा के तहत वे महिला को खर्च देने के प्रति उत्तरदायी नहीं हैं। मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।

जिसे दिल्ली का ठग कहा वह दिल्ली का सुल्तान निकला !

Narendra-Modi-Vs-Arvind-Kejriwal-दिल्ली जीत ने राजनीतिक संघर्ष की नयी लकीर खिंची तो दिल्ली हार ने पूंजी और प्रबंधन की बिसात को खोखला साबित कर दिया। तो क्या भारतीय राजनीति का नया मंत्र वोटरों को ही राजनेता बनाकर सत्ता उनके हाथ में थमाना है। या फिर इस एहसास को जगाना है कि चुनाव दो राजनीतिक दलो के बीच कोई ऐसा मुकाबला नहीं है जहा एक खुद को ताकतवर मान लें और दूसरा उसके सामने संगठन और पैसे की ताकत से कमजोर दिखायी दें। यानी वोटर को सिर्फ वोटर रहने दें और पार्टी यह मान कर चल निकले की वह सत्ता की लड़ाई लड़ रही है और उसके वादे उसकी पहुंच पकड़ जब उसे सत्ता दिला देगी तो फिर वह जनता को दिये वादे निभाने लगेगी।

वहीं दूसरी तरफ वोटर को लगने लगे की उसकी भागेदारी चुनाव में सिर्फ सत्ता के लिये लडते दो या तीन राजनीतिक दलों में से किसी एक को चुनने भर की है या चुनने के दौर से लेकर सरकार चलाने में भागेदारी की। भारतीय राजनीति में ऐसा बदलाव क्या संभव है। क्या वाकई दिल्ली एक ऐसी राजनीतिक प्रयोगशाला की तौर पर उभरी है जिसने राजनेताओं के कलेवर को बदल दिया है। यह सवाल चाहे बीजेपी की भीतर अभी ना आये लेकिन 18 से 35 बरस तक के वोटर के जहन में यह सवाल जागने लगा है कि राजनेता हाथ हिला कर वादे करते हुये निकल जाये यह अब संभव नहीं है। संवाद और जनता के बीच दो दो हाथ करने की स्थिति में सत्ता संघर्ष करते नेताओं को आना होगा। यानी बीजेपी दिल्ली में क्यों हारी और अरविन्द केजरीवाल दिल्ली में क्यों जीते।

अगर पारंपरिक राजनीति के नजरिये से समझें तो बीजेपी के विरोध के वोट आम आदमी पार्टी की झोली में गिरते चले गये। यानी नकारात्मक वोट ज्यादा पड़े । और बीजेपी ने गलतियां कितनी कहां कीं। यह तो झोला भरकर बीजेपी के भीतर का भी कोई नेता आज कह सकता है क्योंकि सिर्फ तीन सीट जीतने का मतलब ही है कि बीजेपी का सारे चुनावी हथियार फेल हो गये। लेकिन दिल्ली को लेकर अगर केजरीवाल के कामकाज के तौर तरीके से चुनाव में सत्तर में से 67 सीटों पर जीत का आकलन करें तो बनारस चुनाव में हार के बाद से केजरीवाल का दिल्ली को लेकर कामकाज करने का तरीका और बनारस की जीत के बाद नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनकर उम्मीद और आस को आसमान तक ले जाने वाले हालातों से दो दो हाथ करना ही होगा। जीत नकारात्मक वोट से हुई हो या सकारात्मक वोट से यह समझना जरुरी है कि दिल्ली में 26 मई से पहले और बाद में दिल्ली के वोटर का नजरिया नरेन्द्र मोदी और अरविन्द केजरीवाल को लेकर था क्या।

भावनात्मक तौर पर राष्ट्रवाद जगाते मोदी के लोकसभा चुनाव के भाषणों के एक एक शब्द को सुन लीजिये। आपके रोंगटे खड़े होगें । राजनीति को लेकर बदलता नजरिया खुले तौर पर मोदी ने रखा इससे इंकार नहीं किया जा सकता है । सीधे सत्ता और कारपोरेट के गठजोड़ पर हमला। गांधी परिवार की रईसी पर हमला । साठ बरस तक काग्रेसी सत्ता तले आम आदमी को गुलाम बनाने की मानसिकता पर सीधी चोट। सीमा के प्रहरी से लेकर देश के लिये पीढियों से अन्न उपजाते किसान की गरीबी और बेहाली का रोना। यानी जो आवाज देश के आम जनता के दिल में गूंजती थी उसे चुनावी मंचो से कोई जुंबा दे रहा था तो वह नरेन्द्र मोदी ही थे। गजब का आकर्षण मोदी ने राजनीतिक तौर पर दिल्ली की चकाचौंध के बीच संघर्ष और पसीना बहाने वालों के लिये बनायी। वाकई 26 मई से पहले के नरेन्द्र मोदी हिन्दुस्तान की राजनीति में एक से नेता के तौर पर उभर रहे थे जो लुटियन्स की दिल्ली को तार तार करना चाहता था। जो वीवीआईपी बने ताकतवर लोगों को जन की भाषा में सिखा रहा था कि सत्ता में आते ही सियासत के रंग ढंग बदल जायेंगे।

कारपोरेट पूंजी को राजनीतिक सत्ता के आगे नतमस्तक होना पड़ेगा। जो राजनीति राडिया टेप से निकल कर देश की खनिज संपदा तक को दलालों को हाथ में बेचकर सुकुन से रेशमी नगर दिल्ली में सुकुन की सांस ले रही है, उसकी खैर नहीं। मोदी की साफगोई का असर समूचे देश में हो रहा था इसे इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन दिल्ली का असर देश के दूसरे राज्यो से अलग इसलिये था क्योंकि दिल्ली वाकई मिनी इंडिया की तर्ज 26 मई के बाद पीएम मोदी को सबसे करीब और पैनी नजर से भी देख रहा था और उसके बाद सरकार का चुनाव जीतने के कारखाने में बदलने की नीयत को भी बारीकी से महसूस कर रहा था। महाराष्ट्र हो या हरियाणा या झारखंड या जम्मू कश्मीर हर जगह पीएम मोदी का जादू चला। या लोकसभा चुनाव की जीत की आगोश में कांग्रेस या उससे सटे दल समाते चले गये।

देश में मौजूदा राजनीतिक सत्ता को लेकर गुस्सा नरेन्द्र मोदी ने जगाया। हर राज्य में वोटर का गुस्सा और चुनाव प्रबंधन जीत दिलाता गया। लेकिन दिल्ली इस सवाल से वाकिफ हमेशा रही कि सत्ता में आने से पहले और सत्ता में आने के बाद के बोल एक नहीं हो सकते। अगर सत्ता में रहते हुये गुस्सा है तो फिर सत्ता में आने से पहले का गुस्सा भी कही ढोंग तो नहीं था। यह सवाल दिल्ली ने कब कैसे पकड़ा। केजरीवाल कब इस सवाल के साये में चुनावी प्रचार में उतर गये और नरेन्द्र मोदी ने कैसे 10 जनवरी को रामलीला मैदान में गुस्से की राजनीति में खुद को ही थकते हांफते देखा। यह सारे सवाल दिल्ली चुनाव में एकजूट इसलिये हुये क्योकि दिल्ली हर राजनीतिक परिवर्तन का गवाह हमेशा से रहा है और राजनीति के हर प्रयोग में उसकी भागेदारी रही है। जरा दिल्ली की महीन राजनीतिक समझ को परखें। अन्ना जो सवाल उठा रहे थे। अन्ना के साथ केजरीवाल जिस आंदोलन से राजनीतिक हवा दे रहे थे ।

उसके मर्म को 2013 के दिल्ली चुनाव में अगर केजरीवाल ने उठाया तो 14 फरवरी 2014 के बाद मोदी की टीम ने बेहद बारिकी से अन्ना केजरीवाल के मुद्दों को सीधे राजनीतिक जुबान दे दी। जो अन्ना कह रहे थे। जो केजरीवाल कह रहे थे वही शब्द मुख्यधारा के राजनेता नरेन्द्र मोदी कह रहे थे । मोदी के लिये लोकसभा चुनाव के वक्त जरुरी था कि केजरीवाल राजनीतिक तौर पर खारिज हों। और आंदोलन की भाषा राजनीति भाषा बन गयी । लेकिन इस राजनीतिक तौर पर नरेन्द्र मोदी भी मौजूदा व्यवस्था के उस मर्म को समझ नहीं पाये कि अन्ना से लेकर लोकसभा चुनाव तक लोगो के जहन में पहली बार यह सवाल सीधे टकरा रहा था कि देश वाकई दो हिस्सो में बंट चुका है। एक तरफ गरीब तो दूसरी तरफ सुविधाओं से लैस समाज खडा है । यानी जो राजनीति अभी तक धर्म – संप्रदाय में उलझा कर सत्ता साधती रही उसी राजनीति ने जाति-धर्म की राजनीतिक थ्योरी को खारिज कर सत्ता के लिये नारा तो विकास का लगाया लेकिन उम्मीद गरीब तबके में जगी ।

और प्रधानमंत्री मोदी इस सच से दूर हो गये कि विकास का नारा अगर चकाचौंध की विरासत को ही मजबूत करेगा तो फिर विकास को लेकर गरीब से लेकर युवा तबके की समझ और मिडिल क्लास से लेकर नौकरी पेशे में उलझा तबके के निशाने पर और कोई नहीं होगा बल्कि वही शख्स होगा जिसने आस जगायी। इसलिये दिल्ली की सडको पर 26 मई के बाद पहली बार केजरीवाल ने चुनाव की तैयारी करते हुये कोई रैली 10 दिसबंर तक की ही नहीं। सिर्फ मोदी के गुस्से को ही हवा देते रहे। यानी जो सवाल दिल्ली के वोटरो के सामने देश को लेकर हो या दिल्ली को लेकर उस तरफ केन्द्र सरकार अगर ध्यान भी देती तो भी नई दिल्ली चुनाव के वक्त नरेन्द्र मोदी दिल्ली में नायक हो गये होते। लेकिन 26 मई को पीएम बनने के बाद या कहे केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद पहले दिन से दिल्ली को उस अंधेरे में गुम किया गया कि दिल्ली चुनाव ही हर मर्ज की दवा है।

यानी दिल्ली को लेकर केन्द्र की समूची कवायद चुनाव को ध्यान में रखकर ही की गयी। उप राज्यपाल का कोई भी निर्णय हो। गृहमंत्री का कोई भी निर्देश हो। बीजेपी में नये प्रदेश अध्यक्ष का एलान हो। ई रिक्शा पर फैसला हो । 84 के दंगों पर मुआवजे का मलहम हो। झुग्गी झोपडी को लेकर कोई कानूनी निर्णय हो। बिजली देने का वादा हो । हर पहल दिल्ली के लिये नही बल्कि दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखकर की जा रही है यह मैसेज खुले तौर पर मोदी सरकार भी देती रही और जनता भी समझती रही। यानी सत्ता के लिये चुनाव प्रबंधन की अनकही स्क्रिप्ट लगातार 26 मई के बाद से दिल्ली चुनाव को लेकर केन्द्र सरकार लिखती रही । लिखती रही और उसी स्क्रिप्ट को केजरीवाल दिल्ली के वोटरों से संवाद बनाते हुये पढ़ते पढ़ाते रहे। युवा तबके के भीतर के सवालो का जबाब कोई देने वाला नहीं था। महंगाई, कालाधन और भ्रष्टाचार तो दूर की बात रही युवा के सपनो को सहेजने वाला कोई नहीं था।

राजनीतिक व्यवस्था को लेकर मोदी का गुस्सा अंतराष्ट्रीय तौर पर मान्यता पाकर छवि गढ़ने का ऐसा मंत्र था जो देश के दूसरे हिस्सो में तो कुछ दिन सहेजा भी जा सकता था लेकिन दिल्ली जैसे जगह में वहीं युवा केजरीवाल के प्रचार में साथ खड़ा हो गया जो कल तक केजरीवाल को मोदी के रास्ते की रुकावट मान कर तिरस्कार करने से नहीं चूक रहा था। अमेरिका, आस्ट्रलिया , चीन , रुस सरीखे महाशक्तियों के साथ मोदी की गलबहिया देखने में तो अच्छी थी लेकिन पढा लिखा युवा इसके भीतर के खोखलेपन को बाखूबी समझ रहा था । इसलिये जो बीजेपी जिस चकाचौंध को जिस युवा तबके के लिये मोदी मंत्र के नाम पर बना रही थी उसी मंत्र के खोखलेपन को वही युवा सोशल मिडिया से लेकर अपने दायरे में हर किसी को बता रहा था। उस पर अमित शाह का समूचा तंत्र ही सिर्फ प्रबंधन के जरीये चुनाव जीतने की मंशा बनाने में लगा था। टिकट उसे दें जो पैसे वाला हो। प्रचार में उसे उतारे जो सत्ता की मलाई के रुतबे से जुड़ा हो। विज्ञापन आखरी मौके तक इस तरह परोसे जिससे देखने वालो को लगे कि बीजेपी कितनी रईस पार्टी है। जब प्रचार में इतना खर्च कर सकती है तो फिर सत्ता में आने के बाद कितना लुटायेगी। यह ऐसी मानसिकता थी जिसे बीजेपी हेडक्वार्टर में बैठकर समझने वाले और सडक पर चलने वालों के बीच कोई तारतम्य था ही नहीं।

इसके लिये केजरीवाल कोई राजनीतिक प्रयास नहीं कर रहे थे बल्कि खुद ब खुद स्थितिया मोदी सरकार के खिलाफ जा रही थी। बीजेपी हेडक्वार्टर से पूंजी लूटाकर चुनाव प्रचार के लिये प्रोफेशनल्स को काम पर लगाया जा रहा था और वही प्रोफेशनल्स तो स्वयंसेवक बनकर केजरीवाल के लिये प्रचार करने उतर आये। यानी संवाद बनाने के माहिर नरेन्द्र मोदी का कोई संवाद दिल्ली से था ही नहीं और केजरीवाल सिर्फ संवाद बना रहे थे । यानी जो राजनीतिक कसमसाहट दिल्ली में पहली बार चुनाव लड़ने के प्रबंधन और पैसा लूटाने वालो पर भारी पडी वह गरीबों को साफ दिखायी देने वाली लकीर थी । जिसने करवट लेनी शुरु की तो बैनर, पोस्टर, मिडिया का शोर, कैबिनेट का प्रचार या तक की संघ परिवार का जुडाव भी सतही हो गया। लेकिन सवाल है कि क्या वाकई जीत के बाद बीजेपी में कोई असर दिखायी देगा । तो कोई राजनीति का ककहरा पढने वाला भी इसका जबाब यही कहकर देगा कि बीजेपी नहीं नरेन्द्र मोदी कहिये। और जो असर मोदी में होगा वहीं बीजेपी में दिखायी देगा ।

तो मोदी पर पड़े हार के असर को समझे तो लारजर दैन लाईफ बने मोदी अब खुद को जमीन पर ला रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव की स्क्रिप्ट में लारजर दैन लाइफ बने नोदी का संकट बदलने में भी दोहरा है। एक तो उन्हें खुद को सामान्य राजनेता बताना होगा और दूसरा चकाचौंध कारपोरेट की राजनीति को त्याग कर स्वदेशी जमीन पर लौटना होगा। दोनों परिस्थितियां गलती करायेंगी। क्योंकि मोदी का कद इन्हीं हालातों को खारिज कर कुछ नया देने की उम्मीद पर टिका है । शरद पवार और अजित पवार के साथ बारामती जाकर सार्वजनिक समारोह में शामिल होना । जिन्हे लोकसभा चुनाव में कटघरे में खड़ा करते हुये महाराष्ट्र चुनाव तक में चाचा भतीजा कहकर पुकारा। मुलायम-लालू यादव के पारिवारिक विवाह समारोह में शरीक होने के लिये जाना। जिन्हे मोदी ने ही भ्रष्टाचार के कटघरे में खड़ा किया ।

तो क्या नरेन्द्र मोदी को लगने लगा कि उन्हें क्षत्रपों के साथ खड़ा होना होगा । या फिर कांग्रेस के सफाये के लिये मोदी अब किसी भी क्षत्रप के साथ जाने को तैयार है। वैसे यहां यह समझना भी जरुरी है कि अमित शाह का चुनाव प्रबंधन नरेन्द्र मोदी को ही केन्द्र में रखकर हमेशा बनता रहा है। फिर गुजरात की राजनीति की सीधी लकीर और बिहार–यूपी की राजनीतिक परिस्थितियों की जटिलता बिलकुल अलग है। और उसे भेद पाने में चुनावी प्रबंधन से जज्यादा राजनीति समझ होनी चाहिये जो हिन्दी बैल्ट में बच्चा बच्चा समझता है। और इसे संघ परिवार के वह संगठन भी समझ रहे हैं जिन्हे सरसंघचालक के कहने पर चुनाव मैदान में सक्रियता दिखानी पड़ती है। लेकिन किसान, आदिवासियो से लेकर स्वदेशी और मजदूर संघ में काम करने वालों के सामने राजनीतिक रास्ता बचेगा क्या। जब उन्हे अपना काम करते हुये जिन रास्ते पर चलना है और चुनाव में सक्रियता जिस विचार के लिये बढ़ानी है हर वह समाज के दो छोर हो।

वैसे प्रधानमंत्री मोदी में दिल्ली हार का असर निजी तौर पर भी है। सांप्रदायिक सद्भाव का जिक्र हो या अमेरिकी राष्ट्रपति को बराक कहकर संबोधन। यानी संघ की देसी जमीन से दूर प्रधानमंत्री मोदी देश को लेकर कौन सा रास्ता बनाना चाहते हैं। यह उलझन वोटरो को ही नहीं संघ परिवार के भीतर भी रही । और संघ ने चुनावी बिसात की सीख देने के लिये जो मंथन किया उस,में खुद को सामाजिक-सांस्कृतिक तौर पर ना रखकर राजनीतिक तौर पर रखकर फिर गलती की । संघ के तर्क को समझे दिल्ली में बीजेपी के वोट बैंक में कोई सेंध नहीं लगी। वही कमोवेश 31 से 33 फीसदी का वोट बैंक बीजेपी के साथ इसलिये रहा क्योंकि संघ की चुनावी सक्रियता दिल्ली में थी। यानी जो 28 लाख 90 हजार वोट बीजेपी को मिले वह संघ परिवार की सक्रियता थी। लेकिन इसके उलट केजरीवाल को 53 फिसदी वोट कैसे मिल गये और उसके वोटो में बीस फिसदी से ज्यादा की बढोतरी कैसे हो गयी। सबका जबाब संघ बीजेपी को कटघरे में खडाकर अपनी राजनीतिक उपयोगिता बरकरार रखते हुये देना चाहती है। यानी सच कोई भी कहने को तैयार नहीं है ।

हर कोई अपने विस्तार और अपनी मान्यता को ही देख रहा है । लेकिन समझना अब यह होगा कि राजनीति की दो धारायें जब आमने सामने दिल्ली में होगी तो होगा क्या। क्योंकि मोदी का कारपोरेट प्रेम और केजरीवाल का कारपोरेट विरोध विकास की नीतियों तले टकरायेगा ही। और केजरीवाल कभी नहीं चाहेंगे की प्रधानमंत्री मोदी से उनकी निकटता दिखायी दे। कारपोरेट को लेकर टकराव के बीच में वहीं नीतियां खड़ी होंगी, जिन्हें 1991 से भारत ने अपनाया और संघ परिवार बाजार अर्थव्यवस्था का खुला विरोध करता रहा। यानी बीते ढाई दशक के दौर में किसी पीएम या किसी राजनेता ने जब वैकल्पिक अर्थनीति का कोई खाका रखा ही नहीं तो फिर दिल्ली चुनाव परिणाम क्या राजनीतिक तौर पर वैक्लिपक राजनीति के साथ वैक्लिपक अर्थनीति भी देश के सामने ले आयेगा। यह सवाल इसलिये बडा है क्योकि दिल्ली चुनाव न्यूनतम की जरुरत की जमीन पर हुआ। और दिल्ली ही ऐसी जगह है जहा राज्य किसी भी न्यूनतम जरुरत लेने के जिम्मेदारी में नहीं है। यानी पीने का पानी हो या शिक्षा ।

स्वास्थ्य सर्विस हो या रोजगार के अवसर दिल्ली में सबकुछ निजी हाथों में सिमटा हुआ है। और कारपोरेट की तादाद भी सबसे ज्यादा दिल्ली में ही है । प्रति व्यक्ति आय भी दिल्ली में सबसे ज्यादा है। तो अगला सवाल है कि बिजली पानी, शिक्षा-स्वास्थय को उपलब्ध कराने के लिये जैसे ही केजरीवाल गरीब तबके की दिशा में कदम बढायेंगे वैसे ही पहला टकराव कारपोरेट कंपनियों से होगा। और कारपोरेट के हितो को साधने के लिये केन्द्र सरकार को सक्रिय होना ही पड़ेगा। क्योकि मेक इन इंडिया का नारा हो फिर चकाचौंध विकास के लिये विदेशी पूंजी का इंतजार प्रधानमंत्री मोदी को देसी कारपोरेट तक के लिये सेफ पैसेज तो बनाना ही होगा। और दुनिया भर में यह मैसेज तो देना ही होगा कि उनकी विकास की सोच और केजरीवाल की चुनावी जीत में कोई मेल नहीं है। वहीं केजरीवाल की जीत मोदी के चकाचौंध भारत की सोच को ही चुनौती दे रही है इससे पहली बार हर कोई महसूस कर रहा है। यानी टकराव अगर राजनीतिक तौर पर दिल्ली में उभरता है तो फिर बीजेपी को रोकने के लिये समूचे विपक्ष की धुरी केजरीवाल बन जायेंगे। और राजनीति करन के लिये जिस पूंजी और जिस धर्म-जाति के आसरे अभी तक क्षत्रप सियासत साधते आये हैं, उसमें चाहे अनचाहे बदलाव होगा ही।

ऐसे में सबसे बडा सवाल संघ परिवार के सामने भी उभरेगा क्योंकि केजरीवाल की थ्योरी और मोदी की फिलास्फी में से संघ की सोच केजरीवाल की थ्योरी के ज्यादा निकट की है। यह हालात मोदी के लिये खतरे की घंटी भी हो सकती है और बीजेपी को दुबारा राष्ट्रीय जमीन पर खडा होने का ककहरा भी सिखा सकती है। क्योंकि बीजेपी एक बरस तक जिसे दिल्ली का ठग कहती रही वही दिल्ली जीत कर लारजर दैन लाइफ बने नरेन्द्र मोदी को जमीन सूंघा कर सीएम की कुर्सी पर बैठ चुका है।

:-पुण्य प्रसून बाजपेयी

punya-prasun-bajpaiलेखक परिचय :- पुण्य प्रसून बाजपेयी के पास प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। प्रसून देश के इकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें टीवी पत्रकारिता में बेहतरीन कार्य के लिए वर्ष 2005 का ‘इंडियन एक्सप्रेस गोयनका अवार्ड फ़ॉर एक्सिलेंस’ और प्रिंट मीडिया में बेहतरीन रिपोर्ट के लिए 2007 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला।

अमिताभ के नाम का सिंदूर लगाती हैं रेखा !

amitabh bachchan rekha

अब जो खबर आ रही है वह ‘सिलसिला’ ऐक्टर रेखा और अमिताभ बच्चन की है। कहा गया है कि रेखा अपनी मांग में अमिताभ के नाम का सिंदूर लगाती हैं। जी हां, आप सही सुन रहे हैं और यह कहना है ‘बिग बॉस’ के कंटेस्टेंट पुनीत इस्सर की पत्नी दीपाली इस्सर का।

दीपाली ने हाल ही में दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा कि बॉलिवुड की सुपरस्टार रेखा अमिताभ बच्चन के नाम का सिंदूर लगाती हैं। वैसे बॉलिवुड में इस बात को लेकर चर्चा तो काफी पुरानी है, लेकिन इस तरह खुलकर बात करने की हिम्मत किसी ने नहीं की। लोगों ने इससे पहले भी यह जानने की कोशिश जरूर की है कि रेखा आखिर सिंदूर क्यों लगाती हैं? …और आखिरकार यह मान लिया गया कि शायद इसलिए कि यह रेखा का स्टाइल स्टेटमेंट है और उनकी पर्सनैलिटी पर यह सूट होता है।

‘बिग बॉस 8’ के दौरान ‘बिग बॉस’ के घर अपनी फिल्म का प्रमोशन करने पहुंचीं रेखा ने पुनीत इस्सर से बातें नहीं की थीं और उन्हें इग्नोर करने की कोशिश करती दिखीं थीं। दरअसल फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन को चोटें आईं थीं।

कहा जाता है कि इस सीन में पुनीत इस्सर को अमिताभ बच्चन पर हमला करना था, जिस दौरान बिग बी को चोटें आईं और इसके लिए रेखा आज भी पुनीत को दोषी मानती हैं। चाहे जो हो, इतना तो तय है कि जल्द ही दीपाली को बिग बी के गुस्से का शिकार होना पड़ सकता है!

उत्तर प्रदेश : अखिलेश ने पेश किया 3 लाख करोड़ का बजट

लखनऊ – मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज उत्तर प्रदेश की विधानसभा में अपना चैथा बजट पेश किया है। विधानसभा में आज 3 लाख करोड़ से अधिक का बजट पेश किया गया, जो पिछले वर्ष के बजट से 10 % अधिक है। इस बजट में समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को प्रगति के पथ पर ले जाने की बाते कही गई है। समाजवादी सरकार इस बजट में किसानो एवं युवकों के विशेष ध्यान, अवस्थापना सुविधाओं के विकास, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा के विकास के लिये लगातार कार्य करने की बात कर रही है। इस बजट में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के विकास के लिये विशेष प्राविधान किये गये हैं।  

akhilesh yadav presents state budget

यातायात की सुगम व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये मार्गों की मरम्मत एवं चैड़ीकरण का कार्य व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। जिला मुख्यालयों को चार लेन सड़कों से जोड़ा जा रहा है। आगरा एवं लखनऊ को एक्सप्रेस वे से जोड़ा जा रहा है, लखनऊ में सी0जी0सिटी की स्थापना की जा रही है। सी0जी0सिटी में आई0टी0 सिटी, कैंसर इन्स्ट्ीट्यूट इत्यादि सम्मिलित होंगे जो प्रदेश के विकास के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित होने की बाते बजट में कही गई है। 

लखनऊ में मेट्रो रले की स्थापना का कार्य प्रारम्भ हो चुका है और मेट्रो अपने तय समय पर चलने के साथ ही समाजवादी सरकार द्वारा चलायी जा रही समाजवादी पेंशन योजना से 40 लाख गरीब परिवार लाभान्वित होंगे की बाते भी इसमें शामिल है।
वही दूसरी ओर भाजपा ने इस बजट का प्रारम्भ ही असत्यता पर आधारित बताया है। भाजपा का कहना है की अखिलेश सरकार ने उ0प्र0 की विकास दर को देश की विकास दर से अधिक बताया है। जबकि विकास दर जिसका ढिढोरा मुख्यमंत्री पीट रहे हैं, इनके कार्यकाल 2012-13 में विकास दर 5.8% [2013-14] घटकर 5& रह गई है। जबकि देश की विकास दर 6.9% है।

भाजपा का कहना है की पिछले बजट को ग्रामीण, मजदूर, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, अनु0जातियों की उन्नति हुई है, ऐसा कहा है। वर्तमान प्रस्तुत बजट में शब्दों का माया जाल अधिक है। अखिलेश यादव के पहले बजट में राज्य सेक्टर का मात्र 49% बजट का पैसा अवमुक्त हुआ था और जिला योजना का 14% बजट पैसा अवमुक्त हुआ था। 

बजट में किसानों को प्रदेश की 70% आबादी का भाग बताया और वर्ष 2015-2016 को किसान वर्ष के रूप में मानाने के लिए घोषित किया।  भाजपा ने आरोप लगाया की मुख्यमंत्री यह भूल गये कि पिछले वर्ष उनकी सरकार ने गेहूँ और धान के खरीद केन्द्रों से एक दाना भी उ0प्र0 सरकार ने नहीं क्रय किया। 

गन्ना किसानों के भुगतान का बकाया उसके समर्थन मूल्य को न बढ़ाना, आलू किसानों की दुर्दषा, घोषणा पत्र के अनुसार तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी कृषि मूल्य आयोग का गठन न कर पाना, खाद की अनुपलब्धता और काला बाजारी, सिंचाई के लिए रजवाहों में टेल तक पानी न आना, सिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध न होना और नकली बीज भी किसानों के साथ हुए धोखे और सबसे अन्त में किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा भी किसानों के साथ धोखा साबित हुई है। इस तरह किसान वर्ष मनाने का औचित्य क्या?
वर्ष 2014-15 में 9 माह बीतने के बाद भी बजट को खर्च करने में यह सरकार विफल रही है:- प्रदेश भाजपा ने आज यहाँ कुछ आंकड़े भी पेश किये जिसमे कहा गया है की जब सिंचाई के निर्माण बजट का मात्र 0.02%
समाज कल्याण (अनुसूचित जाति) के बजट का 34.87%
समाज कल्याण विभाग के बजट का 14.83%
विकलांग एवं पिछड़ा वर्ग का 19.68%
लोकनिर्माण विभाग के विकलांग और पिछड़ा वर्ग के बजट का 1.774%
लोक निर्माण के संचार संसाधन हेतु शून्य प्रतिशत
मुस्लिम वक्फ बोर्ड के विभाग का 17.87%
नगर विकास विभाग का 21.18%
चिकित्सा विभाग का 29.46%
सहकारिता का 29.32%
भूमि विकास संसाधन का मात्र 20.62% बजट खर्च कर पायी है। तो ऐसी स्थिति में बजट 10.2% बढ़ाने का औचित्य क्या है? आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवार के लोगों को लड़कियों की शादी का अनुदान बन्द है। तकनीकी एवं सामान्य छात्रों की छात्रवृत्ति की प्रतिपूर्ति दिवास्वप्न हो गई है। विकलांग, विधवा, वृद्धावस्था पेंशन सामान्य जनता से दूर हो गई है।

महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर पिछले बजट में 1090 की जोर-शोर से घोषणा की गई हैं जबकि महिलाओं के प्रति हिसा बढी है। थानों में बलात्कार की घटना की बेतहाशा में वृद्धि ने पिछले बजट में हर थाने में एक पुलिस कर्मी/ एक अधिकारी रहने की घोषणा की कलई खोलती हैै। 

दुग्ध उत्पादकों की सुविधा की शोशे छोड़ गये हैं किन्तु मांसमण्डी बन रहे उत्तर प्रदेश में अवैध पशुतस्करी रोकने का कोई जिक्र नहीं हैं। प्रदेश सरकार ने अंत्येष्ठि स्थलो में भी तुष्टिकरण का राग अलापा। प्रदेश सरकार मृत्यु पर भी विभेद कर रही है। पिछले बजट भाषण में ललितपुर, करछना परियोजना के दिसम्बर 2014 में पूर्ण होने की बात कही गयी थी। अनपरा डी में की प्रथम इकाई नवम्बर 2014 से प्रारम्भ करने की बात हुई थी।

आज क्या स्थिति हैं ?
बजट पिछले वित्तीय वर्ष में कितना रोजगार सृजन हुआ और वर्तमान बजट में कैसे सृजन होगा पर मौन है। कन्या विद्याधन को पुनः शुरू करने पर प्रदेश की जनता सरकार से जानकारी चाहती हैं कि योजना सभी वर्गो के लिए हैं कि साम्प्रदायिक आधार पर है। अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए 40 करोड का प्रवधान पुराने बजट की पुनरावृत्ति।अन्तयेष्टि स्थल का सौन्दर्यीकरण भी साम्प्रदायिक आधार पर और पिछले बजट की पुरावृत्ति है।

रिपोर्ट – शाश्वत तिवारी

फेम ऑफ़ इंडिया : पहला ऑडिशन संपन्न

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नई दिल्ली -फेम ऑफ़ इण्डिया का पहला ऑडिशन बड़े जोश के साथ संपन्न हुआ I एम बी एस इंटरनेशनल स्कूल,(सेक्टर 11, द्वारका, दिल्ली ) में हो रहे इस इवेंट में हिस्सा लेने दूर दूर से बच्चे रात से ही आने शुरू हो गए थे क्योंकि बच्चों के मन में खुद को सावित करने की इक्षा और बॉलीवुड में जाने की इक्षा कहीं न कहीं इस बात का द्योतक है की जमाना बदल गया है I

इस कार्य में उनके अभिभावक भी काफी खुश दिखतें हैं जो सपना वो पूरा न कर सके उस सपनों को अपने बच्चे के अंदर देख उनका साथ भी देतें हैं I आज की तारीख में इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो का एग्जाम हो या टैलेंट हंट के लिए ऑडिशन दोनों ही बच्चे को एक मुकाम पर ले कर जाते हैं प्रतिस्पर्धा दोनों के कठिन हैं I इस इवेंट को ऑर्गेनाइज मर्वेलस कंपनी कर रही थी I देश के जाने माने कोरिओग्राफर सौरभ शर्मा, ख़ूबसूरत मॉडल इशिका, मशहूर गायक शमशेर मेहंदी जज के रूप में बच्चों का कभी दिल जीत रहे थे तो कभी बच्चे उदास होकर बाहर आ रहे थे I

फेम ऑफ़ इंडिया सिंगिंग मॉडलिंग एवं डांसिंग का ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ बच्चो को कई तकनीक एवं परफॉरमेंस के आधार पर परखा जाता है I फेम ऑफ़ इंडिया भारत के नामचीन शहरों में ऑडिशन कर रियल टैलेंट की खोज कर रहा है I लगभग 200 बच्चों के इस ऑडिशन को सफल बनाने में मुख्य रूप से संदीप, सलोनी, चन्दन मेहता, रमेश उपाध्याय, लता, किशोर, ऋषि, अंजलि, डा० के राजकपूर, आकाश गोयल, सावन गोयल, राकेश आदि मौजूद थे |

अब मेनोपॉज के बाद भी ले सेक्स लाइफ का मजा

Women enjoy sex after menopauseन्यूयार्क –  महिलाओं के लिए काफी तकलीफदेह होता है, इस दौरान महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से काफी व्यथित और परेशान रहती हैं। शारीरिक रूप से जहां असीमित और असमय रक्तस्त्राव महिलाओं की परेशानी का कारण होता है वहीं दूसरी ओर से मानसिक रूप से महिलाएं इसलिए कमजोर हो जाती है क्योंकि उन्हें लगता है कि अब उनके पति की उनके अंदर दिलचस्पी नहीं रह जायेगी क्योंकि वो सेक्स के लिए अब फिट नहीं है।

लेकिन अब महिलाओं के दुखी होने की जरूरत नहीं है क्योंकि वो अब मेनोपॉज के बाद भी सेक्स लाइफ का मजा ले सकती है और पहले की ही तरह फिजीकली अटरेक्टिव भी रह सकती है।

इसके लिए न्यूयार्क में एक शोध हुआ जिसमें महिलाओं को सेक्स से पहले अपने यौनांग पर एक जेल लगाने को कहा गया जिसमें ‘टीएक्स-004एचआर’ नाम का यौगिक था, इसे लगाकर महिलाओं से कहा गया वो अपने पार्टनर के साथ रिलेशन बनाये।

मेनोपॉज के बाद हिलाओं की सेक्स लाइफ दर्द भरी शोध में 63 फीसदी महिलाओं को इस जेल के साथ सेक्स करने में मजा आया और उन्हें जरा भी तकलीफ नहीं हुई जबकि बिना जेल के सेक्स करने वाली 48 फीसदी महिलाओं को काफी दर्द सहना पड़ा क्योंकि मेनोपॉज के बाद अमूमन महिलाओं के लिए यौनक्रिया तकलीफदेह हो जाती है। यह शोध 40 से 75 वर्ष की महिलाओं पर किया गया।

फिल्म शूटिंग : रियल लाइफ की रील स्टोरी “लायन”

saru 2खंडवा – किस्मत के सितारे बुलंदी पर हो तो हालात बदलते देर नहीं लगती । कभी रेल की बोगियों में भीख मांगकर अपना और अपने परिवार का पेट पलने वाला शेरू आज ऑस्ट्रॉलिया का युवा बिसनेसमेंन बन गया । शेरू से सारू ब्रायली बनने के 27 साल बाद यही शेरू अब हॉलीवुड के परदे पर लायन फ़िल्म में लोगो के सामने आने वाला है । ऑस्कर अवार्ड विजेता निदेशक डेनी बायन की टीम इस फिल्म की शूटिंग के लिए खंडवा पहुचीं। यहाँ शेरू की जिंदिगी के अहम् शॉट्स फिल्माए जाएंगे ।वही शेरू को जन्म देने वाली माँ से जब पूछा गया की वह सारू के साथ ऑस्ट्रॉलिया जायंगी तो उन्होंने कहा की उनके लिए तो उनका छोटासा कमरा ही ऑस्ट्रॉलिया है।

27 साल पहले खंडवा के गणेश तलाई मोहल्ले में रहने वाला शेरू पिता मुन्सी खा पाँच साल की उम्र में अपने भाई के साथ रेल की बोगिओ में भीख मांगता था। एक दिन बुरहानपुर से लौटते समय उसकी नींद लग गई और वह कोलकत्ता पहुच गया । यहाँ अनाथ आश्रम में कुछ दिन गुजारे और एक सामजिक संस्था की मदद से ऑस्ट्रेलिया के एक दंपत्ति ने उसे गोद ले लिया। ऑस्ट्रेलिया जाकर शेरू सारु ब्रायली बन गया । फ़िल्म की कहानी के आधार पर शेरू की बचपन की जिंदिगी के अहम् शॉट्स फिल्माने के लिए 150 लोगो की टीम खंडवा में डेरा डाले हुए है ।

ऑस्ट्रेलियअन माता पिता की संतान बनकर सारू ने MBA की पढाई पूरी की और अपने पिता के बिज़नेस का सारथी बन गया ।इतना सबकुछ पाने के बाद भी सारू अपनी पिछली जिंदगी को नहीं भुला ।अपनी माँ, भाई,गरीबी,और खंडवा की यादो को उसने गूगल अर्थ के सहारे ढूंढ निकाला और तीन साल पहले वह ऑस्ट्रेलिया से खंडवा की उन तंग गलियो में पहुँच गया जहा उसकी माँ रहती थी । अपने बेटे को पाकर न केवल माँ बल्कि पूरे मोहल्ले के लोगो ने खूशिया मनाई।

जब यह कहानी खंडवा से निकल ऑस्ट्रेलिया तक जा पहुची तो ऑस्ट्रेलिया की एक कंपनी ने सारू की किताब A long way home पर फिल्म बनाने के इरादा किया । आप को बाता दें की A long way home नाम की किताब खुद सारू ने लिखी है। इसी किताब की कहानी पर पर हॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्माता निदेशक डेनी बायन अपनी फिल्म लायन बना रहे है । शेरू फ़िलहाल ऑस्ट्रेलिया में है लेकिन उसकी जन्म देने वाली माँ फातिमा बी को पूरी उम्मीद है की यह फ़िल्म सुपर हिट होगी क्योकि यह फ़िल्म रियल स्टोरी पर बन रही है और शेरू मोक़द्दर का सिकंदर है ।

शेरू अपनी माँ फातिमा बी को अपने पास बुलाता है लेकिन उसकी माँ के लिए उसका ऑस्ट्रेलिया एक छोटे से कमरे में ही बस्ता है । ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी पहनावे पर भी शेरू की माँ को आपत्ति है । इस फ़िल्म की शूटिंग इंदौर देवास उज्जैन मुम्बई सहित कई जगहों पर हुई है ।

@तुषार सेन

क्रिस गेल ने मारा दोहरा शतक, तोड़े सारे रिकॉर्ड

West Indies v Zimbabwe - 2015 ICC Cricket World Cupकैनबरा – वेस्ट इंडीज के धमाकेदार बल्लेबाज क्रिस गेल ने वर्ल्ड कप के ग्रुप मुकाबले में जिम्बाब्वे के गेंदबाजों की जमकर खबर लेते हुए कई रिकॉर्ड जमींदोज कर दिए। वर्ल्ड कप में दोहरा शतक लगाने वाले वे दुनिया के पहले बल्लेबाज और कुल मिलाकर तीसरे बल्लेबाज बन गए जिन्होंने दोहरा शतक उड़ाया है

गेल ने सबसे तेज दोहरा शतक लगाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। उनसे पहले यह रिकॉर्ड भारत के वीरेन्दर सहवाग के नाम था। उन्होंने वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर का दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन(188) का रिकॉर्ड तोड़ दिया। कर्स्टन ने यह रिकॉर्ड 1996 के वर्ल्ड कप में यूएई के खिलाफ बनाया था।

इसके साथ ही गेल ने एक पारी में सबसे ज्यादा छक्के लगाने के भारत के रोहित शर्मा और दक्षिण अफ्रीका के एबी डिविलियर्स के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली। डिविलियर्स ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ और रोहित ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 16 छक्के उड़ाए थे।

व्यक्गितगत रिकॉर्ड के साथ ही गेल ने मार्लोन सेम्युअल्स के साथ मिलकर वर्ल्ड कप इतिहास की सबसे बड़ी साझेदारी का कारनामा भी कर दिया। दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 372 रन जोड़े। इससे पहले यह रिकॉर्ड राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के नाम था।




AAP ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का किया विरोध

Land_acquisitionखंडवा – आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा लाये गए किसान विरोधी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध किया। पार्टी ने कहा कि 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में सरकार ने संशोधन लाकर अपनी जनविरोधी नीयत को एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है. आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज जिलाधिकारी द्वारा प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर अध्यादेश पर अपना विरोध दर्ज कराया. पार्टी ने ये मांग की है कि केंद्र सरकार किसान विरोधी अपने इस अध्यादेश को वापस ले और भूमि अधिग्रहण कानून को क्यय्संगत बनाये.

मोदी सरकार ने कानून में संशोधन करके पाँच श्रेणियों की परियोजनाओं को कई तरह की छूट दे दी है.

ये पाँच श्रेणियां हैं:

1) रक्षा

2) औद्योगिक कॉरिडोर

3) ग्रामीण क्षेत्रों में ढांचागत निर्माण

4) सस्ते मकान एवं निम्न ग़रीब वर्ग के लिए आवास योजना और

5) पीपीपी मॉडल के तहत बनने वाली सामाजिक ढांचागत परियोजनाएं जहाँ कि भूमि सरकार की ओर से दी जानी हो.

किसी भी परियोजना को अब इन पाँच में से किसी न किसी श्रेणी में डालकर अधिग्रहण को कानूनन जायज़ ठहराया जा सकेगा.
अब सरकार बिना ज़मीन मालिकों के सहमती के भी अधिग्रहण कर सकती है.

अब सरकार के लिए ये ज़रूरी नहीं होगा कि वो ज़मीन का कब्ज़ा लेने से पहले वहाँ के समाज पर पड़ रहे इसके प्रभाव का आंकलन करे.पाँच साल तक मुवावज़ा न मिलने या सरकार द्वारा ज़मीन पर कब्ज़ा न लेने की सूरत में ज़मीन पर वापस अपना दावा करने का अधिकार था. सरकार ने अध्यादेश के जरिये लोगों का ये अधिकार भी छीन लिया है.

अब निजी कम्पनी के अलावा प्रोप्राइटरशिप, पार्टनरशिप या किसी एन.जी.ओ के लिए भी सरकार ज़मीन ले सकती है. “रक्षा” शब्द की परिभाषा बदलकर “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई भी परियोजना” और “रक्षा उत्पाद” को शामिल कर लिया गया है. इनमें से कोई भी “ढांचागत निर्माण परियोजना” या “निजी परियोजना” हो सकती है.अब अगर कोई भूमि अधिग्रहण अधिकारी कुछ गलती भी करता है तो हम बिना सरकार के इजाज़त के उसे अदालत में नहीं ले जा सकते.

2013 का अधिनियम पारित होने से पहले बीजेपी समेत सभी दलों ने इसपर व्यापक चर्चा करके अपनी राय दी थी. यहाँ तक कि जिस संसदीय समिती ने इसे पारित किया उसकी अध्यक्षा श्रीमती सुमित्रा महाजन थी, जो आजकल लोकसभा की अध्यक्षा हैं. राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज जैसे कई भाजपा नेताओं ने तब किसान-हित की बड़ी बड़ी बातें की थी. बिल पर वोट करने वाले 235 सांसदों में से 216 ने इसका समर्थन किया था. आम आदमी पार्टी जानना चाहती है कि क्यूँ ऐसे व्यापक समर्थन के बाद बने कानून को सरकार ने एक झटके में अध्यादेश के जरिये खारिज कर दिया? ऐसा करना अनैतिक ही नहीं, लोकतांत्रिक प्रक्रियायों के प्रति वर्तमान सरकार की कमज़ोर प्रतिबद्धता का भी परिचायक है.

आम आदमी पार्टी सरकार के अध्यादेश लाने के निर्णय को ही असंवैधानिक मानती है. संविधान में अध्यादेश लाने का प्रावधान दो सत्रों के बीच किसी आपात स्थिती के लिए किया गया है. आज ऐसी कौन सी आपातकालीन परिस्थिती है? किसानो, आदिवासियों और आम लोगों की कीमत पर किन चुनिंदा पूंजीपतियों को फायदा पहुँचाने के लिए मोदी सरकार को ऐसा कदम उठाना पड़ा? अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से पहले राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी ने भी यह जानना चाहा है कि आखिर मोदी सरकार को ऐसी कौन सी जल्दबाजी है?

पिछला भूमि अधिग्रहण कानून 1 जनवरी 2014 को लागू तो हो गया, लेकिन कई राज्यों के विधान सभाओं में नियम नहीं बन पाने के कारण पूर्ण रूप से क्रियान्वयित नहीं हो पाया था. आम आदमी पार्टी जानना चाहती है कि कैसे, एक वर्ष से भी कम समय में, इस कानून को जाँचे बगैर, सरकार ने अधिनियम की व्यवहारिकता का आंकलन भी लगा लिया और संशोधन की आवश्यकता समझ ली?

सच्चाई तो यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तय कर लिया है कि वो कुछ गिने-चुने पूंजीपतियों और व्यापारी घरानों को फायदे पहुंचाएंगे और देश के किसानों, आदिवासियों और ग्रामीणों को उनकी इस चाल का पता नहीं चलेगा. 2013 में पारित कानून के हर सकारात्मक बिंदु (जोकि भाजपा के भी सक्रीय समर्थन से बने था) को इस जनविरोधी अध्यादेश ने ख़त्म कर दिया है. हम वापस अंग्रेजों के सन 1894 वाले कानून पर आ गए हैं. क्या देश के किसानों के लिए यही है प्रधानमंत्री जी का तोहफा?

आम आदमी पार्टी एक बार फिर मांग करती है कि इस किसान विरोधी अध्यादेश को प्रधानमंत्री वापस ले. आम आदमी पार्टी इस अति-गंभीर मुद्दे को पूरे जोर-शोर से उठाएगी और सरकार के ऐसे जनविरोधी कृत्यों को कभी सफल नहीं होने देगी.

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय सयोंजक एवम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना के साथ एकमंच हो कर आज ये एलान कर दिया की गरीबों से उनका हक छीनने का अधिकार किसी को नहीं है। और आम आदमी पार्टी इस के लिया आवाज़ उठती रहेगी ।

आम आदमी पार्टी के जोन सहायक डा बी.पी.मिश्रा, जोन सचिव दलजीत सिंह इबादत खान, दिलावर खान,हरीश लालवानी, मल्लिका देवनाथ लक्ष्मी पवार ,तरुण मंडलोई, अज्जू भाई, हारून निरबान व् अन्य कार्यकर्त्ता शमिल हुए ।

आम जनता के लिये खुला राजभवन गार्डन

Raj Bhavan gardens open to the publicलखनऊ – राजभवन जो पूर्व में कोठी हयात बख़्श अर्थात जीवन दायिनी जगह के नाम से जाना जाता था, का निर्माण नवाब सआदत अली खान के कार्यकाल सन् 1798 में हुआ था। मेजर जनरल क्लाॅड मार्टिन ने इस भवन का पुनर्निर्माण कराया था तथा इसको अपना आवास बनाया। आजादी के पहले भी यह भवन अवध प्रान्त के उप-राज्यपाल/ राज्यपाल का सरकारी आवास था। स्वतन्त्रता के पश्चात् यह भवन राजभवन के नाम से जाना जाता है और यह उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का सरकारी आवास है।
 
राजभवन के मुख्य प्रांगण में सफेद संगमरमर की एक बारादरी निर्मित है तथा भवन के सामने लाॅन में उत्तर प्रदेश सरकार की सील के आकार का एक सुन्दर फव्वारा भी स्थित है। यहाँ एक कैक्टस हाउस है तथा विभिन्न प्रकार के दुर्लभ औषधीय पौधों की एक वाटिका है, जिसे धन्वन्तरि वाटिका कहते हैं। यहाँ विभिन्न रंगों एवं प्रजातियों के गुलाब की सुन्दर वाटिका है जो गुलाब वाटिका कहलाती है। राजभवन में रूद्राक्ष, कल्पवृक्ष, सीता अशोक, सिन्दूर, कृष्ण वट तथा चन्दन के दुर्लभ वृक्ष भी लगे हैं। राजभवन के कुछ चिन्हित स्थलों पर संगमरमर की खूबसूरत मूर्तियों भी स्थापित हैं जो इसकी शोभा को और भी बढ़ा देती हैं।
 
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने फूलों के मौसम में राजभवन के गार्डेन को आम आगन्तुकों के लिये 25 फरवरी से 4 मार्च तक एवं 8 मार्च से 20 मार्च तक प्रतिदिन अपरान्ह 3.00 बजे से सांय 5.00 बजे खोले जाने के निर्देश दिये हैं। दर्शक या आगन्तुक जानकारी हेतु दूरभाष संख्या 0522-2620494-95, Ext. 201 पर सम्पर्क कर सकते हैं। आगन्तुकों के लिये अपना फोटोयुक्त पहचान पत्र साथ में लाना अनिवार्य है।
रिपोर्ट :- शाश्वत तिवारी    

मकान का छज्जा निकलने पर दो पक्षों में खूनी संघर्ष

Houses on the balcony of the bloody conflictचंदौली –  मकान का छज्जा निकालने के विवाद में दलित वर्ग के दो पक्षों में खूनी संघर्ष हो गया और दोनों जमकर लाठी डंडे चले । इस संघर्ष में दोनों पक्षों के 9 लोग घायल हुए है जिसमे चार महिलाये भी शामिल है । वही एक वृद्ध की हालत गंभीर बतायी जा रही है । सभी घायलो का जिला अस्पताल में इलाज हो रहा है । मामला सैयदराजा कोतवाली क्षेत्र का है । पुलिस ने मामला किया दर्ज और सबका मेडिकल कराया जा रहा है ।

सैयदराजा कोतवाली क्षेत्र के औरयां गावं में देर शाम पड़ोस में रहने वाले दो परिवारो में एक छोटे से विवाद ने खूनी  रूप धारण कर लिया । दरसल दोनों पक्षों के बीच ज़मीन को लेकर कई सालो से विवाद चल रहा है और मामला कोर्ट में भी चल रहा है । आरोप है की आज अचानक एक पक्ष दूसरे पक्ष की ज़मीन में मकान का बारजा निकालने लगा । जिस पर दूसरे पक्ष ने ऐतराज किया और बारजा बनाने से रोक दिया । जिस पर पहले तो तू तू मै मै हुआ और देखते ही देखते गाली गलौज होने लगा । इसी बीच एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर लाठी और डंडों से हमला कर दिया । दूसरे पक्ष ने भी जवाबी कार्यवाही की जिसमे जमकर खुनी संघर्ष हुआ । दोनों पक्षों के लोग लहूलुहान अवस्था में सैयदराजा कोतवाली पहुंचे और शिकायत दर्ज करायी । पुलिस ने सभी घायलो को जिला चिकित्सालय भिजवाया । जहाँ सभी का प्राथमिक उपचार हुआ । संघर्ष में एक वृद्ध को काफी गंभीर छोटे आई है और उसकी हालत गंभीर बनी हुई है ।

क्षेत्राधिकारी सदर राजेश तिवारी ने बताया की सैयदराजा कोतवाली के औरयां गावं में दलित परिवारो के बीच ज़मीन का विवाद पहले से चल रहा था । आज छज्जा निकालने को लेकर दोनों पक्षों में मारपीट हो गयी । मामले में नौ लोग घायल हो गए । सबका एडिकल कराया जा रहा है और पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच में जुट गयी है ।

रिपोर्ट :- संतोष जायसवाल