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Sunday, January 12, 2025
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भूमि अधिग्रहण बिल में बदलाव के संकेत

Signal a change in land acquisition billनई दिल्ली – लैंड बिल पर विपक्ष, सिविल सोसाइटी और किसानों के कड़े रुख को देखते हुए सरकार सतर्क हो गई है। मंगलवार को इस बिल को पेश किए जाने की उम्मीद है और सरकार ने अध्यादेश में बदलाव के संकेत दे दिए हैं।

सोमवार को सरकार के मैनेजरों ने इस मामले को लेकर कई मीटिंग कीं। रविवार को जहां वेंकैया नायडू कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले थे, वहीं होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह के घर पर भी किसान संगठनों से बातचीत हुई थी। सूत्रों के मुताबिक, सरकार की ओर से किसानों को उनके सरोकारों पर ध्यान देने का आश्वासन दिया गया है।

सरकार में एक सीनियर मंत्री का कहना था कि इस मुद्दे पर हम सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। उक्त नेता के मुताबिक, जिन दो मुद्दे पर मामला अटका है, उनमें किसानों की सहमति और इन्फ्रास्ट्रक्चर महत्वपूर्ण हैं। सरकार की कोशिश आपसी सहमति बनाकर आगे बढ़ने की है। सोमवार की शाम बीजेपी व सरकार के आला मैनेजरों व सीनियर नेताओं की लंबी मीटिंग चली। मंगलवार को लोकसभा में भूमि अधिग्रहण बिल पेश होने की उम्मीद है।

सूत्रों के मुताबिक, जहां सोनिया गांधी ने लैंड बिल पर पार्टी के रुख को लेकर वेंकैया को निराश लौटाया। सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह व सुषमा स्वराज की मीटिंग हुई। सदन स्थगन के बाद भी तीनों नेता कुछ देर आपस में बतियाते देखे गए। विपक्ष भी लैंड बिल को लेकर ढील के मूड में नहीं है। कांग्रेस, जेडीयू, एसपी व टीएमसी ने अनौपचारिक मीटिंग कर इस मुद्दे पर एकजुटता दर्शाने की रणनीति तय की।

मदर टेरेसा बयान पर केजरीवाल-भागवत आमने सामने

MOTHER TERESAनई दिल्ली – दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के मदर टेरेसा को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह एक महान इंसान थीं और उन्हें बख्श दिया जाना चाहिए।

केजरीवाल ने ट्विटर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा, ‘मैंने कुछ महीने कोलकाता स्थित निर्मल हृदय आश्रम में मदर टेरेसा के साथ काम किया है। वह महान इंसान थीं, उन्हें बख्श दिया जाए।’

भागवत ने सोमवार को राजस्थान के भरतपुर में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के कार्यक्रम के दौरान कहा था कि मदर टेरेसा के गरीबों के लिए किए जाने वाले काम का लक्ष्य उनका धर्मांतरण करना था। भागवत को इसके बाद चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ा था।

आरएसएस का हालांकि कहना है कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। संगठन के ट्विटर हैंडल पर कहा गया है, ‘मीडिया गलत तरीके से रिपोर्ट दे रहा है। भरतपुर में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व महानिदेशक ने कहा था कि मदर टेरेसा ने उद्देश्य के साथ सेवा की थी।’

ट्विटर हैंडल के अनुसार, ‘इसके जवाब में भागवत ने कहा था कि जैसा कि डॉ. एम. वैद्य ने कहा है कि मदर टेरेसा की सेवा का उद्देश्य था, लेकिन हम बदले में किसी चीज की अपेक्षा किए बगैर सेवा करते हैं।’

हजारों पाकिस्तानियों को भारतीय बना रही भाजपा

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बाड़मेर – सात हजार पाकिस्तानी प्रवासी हिन्दुओं को भारत की स्थायी नागरिकता देने की प्रक्रिया सोमवार से शुरू कर दी गई है। ये सारे रिफ्यूजी की तरह राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में रह रहे हैं। अब भारत सरकार इन्हें स्थायी नागरिकता देगी या लंबे समय के लिए वीजा प्रदान करेगी। इसके लिए पहला कैंप सोमवार को बाड़मेर में लगाया गया।

जोधपुर में सात प्रवासी कैंप हैं। इन कैंपों में पाकिस्तानी शरणार्थिओं के आने का सिलसिला कभी थमता नहीं। हर हफ्ते इंडिया और पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन थार लिंक एक्सप्रेस के जरिए पाकिस्तान से हिन्दू प्रवासी भारत में शरण लेते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग कभी वापस नहीं जाते। भारत में बाबरी विध्वंस के बाद से पाकिस्तान में हिन्दुओं का रहना बेहद मुश्किल हो गया। दूसरी तरफ तालिबान के मजबूत होने से पाकिस्तान में हिन्दुओं के लिए और मुश्किल स्थिति हो गई।

हालांकि भारत में भी हिन्दू प्रवासियों के लिए जीवन इतना आसान नहीं है। पाकिस्तान से आने वाले ज्यादातर हिन्दू अनुसूचित जाति या जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। शहर के बाहरी इलाकों में बने कैंप में ये अपना जीवन बसर करते हैं। इन कैंपों में बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद नहीं हैं। पानी सप्लाई, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी सुविधाएं यहां न के बराबर हैं।

अलकौसर नगर कैंप में तो शौचालय तक नहीं है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शौचायल पर काफी जोर है। यहां नियमित तौर पर पानी की सप्लाई भी नहीं है। पाकिस्तान से हाल में राजस्थान आए एक प्रवासी ने कहा कि हम पास के मदरसे से पानी लेते हैं। यह प्रवासी अपनी पहचान जाहिर नहीं करना चाहता है। इसे डर है कि पहचान जाहिर होने से पाकिस्तान के कराची में रह रहे उसके परिवार वालों को समस्या हो जाएगी। इस प्रवासी ने कहा कि हमारे बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं मिल सकता और हम प्राइवेट स्कूल का खर्च वहन नहीं कर सकते। सात सालों के लंबे इंतजार के बाद इन्हें लंबे समय के लिए वीजा मिल गया है। अब ये भारतीय नागरिकता के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। इस प्रवासी ने कहा कि यह सब कुछ इतना आसान नहीं है।

बड़ी संख्या में प्रवासी जो भारत में होने वाली दिक्कतों से नहीं जूझ पाए वे वापस पाकिस्तान चले गए, लेकिन पाकिस्तान से लोगों का आना थम नहीं रहा है। सरकारी एजेंसियां सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए नागरिकता नहीं देने की बात कहती हैं। इनका कहना है कि ज्यादातर लोग अविभाजित भारत के हैं। प्रवासी से भारतीय नागरिक बने सोधा ने कहा कि इन्हें कम से कम रिफ्यूजी का स्टेटस तो मिल ही जाना चाहिए।

पाकिस्तानी प्रवासी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर में सबसे ज्यादा आते हैं, क्योंकि एक्सप्रेस इन शहरों से होकर गुजरती है। बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश ने भी 20 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी हिन्दुओं को भारतीय नागरकिता देने का फैसला किया था।

सिविक पोल के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन प्रवासियों को नागरिकता देने का आश्वासन दिया था। चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत भी हुई। शिवराज सिंह ने कहा था कि किसी भी पाकिस्तानी हिन्दू को राज्य में रहने के लिए पूछने की जरूरत नहीं है। इन पाकिस्तानी हिन्दुओं को स्थायी नागरिकता देने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने की अपील की थी। चौहान ने यह वादा इंदौर में किया था। मध्य प्रदेश के इसी शहर में सबसे ज्यादा पाकिस्तानी हिन्दू प्रवासी हैं।

मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर में विदेश मंत्रालय की मदद से इन प्रवासियों के कैंप बनाए जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन इन प्रवासियों के हकों को सुनिश्चित करने में लगा है। डीएम ने इन्हें नागरिकता प्रदान करने की सिफारिश की है। फाइलें गृह और विदेश मंत्रालय के पास भेजी गई हैं। जैसे ही इन फाइलों पर दिल्ली से मुहर लग जाती है इन प्रवासी पाकिस्तानियों को भारत की स्थायी नागरिकता मिल जाएगी।

पुराने लखनऊ में विकास कार्यो का निरीक्षण

Inspection developments in Lucknowलखनऊ – पुराने लखनऊ में नीबू पार्क, गुलाब पार्क, पाटानाला, नेहरू युवा केन्द्र के पास नाला निर्माण, घंण्टाघर पार्क, घण्टाघर तालाब, पिक्चर गैलरी के सामने निर्माण कार्य, सतखण्डा पार्क निर्माण, बड़ा इमामबाडा, छोटा इमामबाडा में चल रहे निर्माण कार्यो का जिलाधिकारी राज शेखर ने निरीक्षण किया।
जिलाधिकारी ने नींबू पार्क का निरीक्षण करते हुए कहा कि पार्क का सौन्द्रीयकरण ठीक ढंग से कार्य योजना बनाकर पूरा कराया जाये जिससे रूमीगेट की खूबसूरती बढ़ जायेगी और नीबू पार्क के पास आम जनता को बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था करायी जाये। पाटानाला का निरीक्षण करते हुए कहा कि निर्माण कार्य कब तक पूूरा हो जायेगा, तो सम्बन्धित विभाग के अधिकारी ने बताया कि अगले 15 दिनों मे पाटा नाला निर्माण कार्य पूर्ण करा लिया जायेगा। गुलाब पार्क में वाहन पार्किंग बनाये जाने के लिए निरीक्षण कर सम्बन्धित अधिकारियों से चर्चा की।

जिलाधिकारी ने घण्टाघर में चल रहे निर्माण कार्यो को देखा तथा कब तक कार्य पूर्ण हो जाने की जानकारी की तो लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपस्थित अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष अप्रैल तक कार्य पूर्ण हो जायेगा। घण्टाघर में प्रवेश गेट बनाये जाने पर भी चर्चा की। घण्टाघर तालाब का निर्माण, मलबा हटवाकर सफाई कार्य निर्धारित समय मे पूर्ण कराये जाने के लिए सम्बन्धित को निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने सतखण्डा पार्क का निरीक्षण करते हुए पाया कि सतखण्डा पार्क में निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है परन्तु जिलाधिकारी ने कहा है कि अभी सतखण्डा पार्क की देख रेख नगर निगम द्वारा किया जायेगा। छोटा इमामबाडा के पास सीवर डेªेनेज की समस्या पर नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, लखनऊ विकास प्राधिकरण, को निर्देश दिया कि संयुक्त रूप से निरीक्षण कर अवगत कराये।

जिलाधिकारी राज शेखर ने छोटा इमामबाडा मे चल रहे कार्यो को देखा तथा छोटे इमामबाडा मे आफिस, पेयजल व्यवस्था, शौचालय सहित अन्य आवश्यक जानकारी से सम्बन्धित साईन बोर्ड व ऐरो बनाये जाने की व्यवस्था रखी जाये जिससे पर्यटको को उक्त जानकारी के लिए भटकना नहीं पडे। छोटा इमामबाडा के अन्दर जल भराव की समस्या पर जिलाधिकारी ने सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिये कि जल निकासी की व्यवस्था सही रखने के लिए जो भी कार्यवाही की जानी है उसको पूरा कराना सुनिश्चित किया जाये।

निरीक्षण के दौरान अपर जिलाधिकारी नगर पश्चिमी हरि प्रताप शाही, अपर नगर मैजिस्टेªट द्वितीय शैलेन्द्र कुमार मिश्र, नगर निगम, जल निगम, एल0डी0ए0 लेसा, लोक निर्माण विभाग, सहित अन्य सम्बन्धित विभाग के अधिकारी आदि उपस्थित थे।
रिपोर्ट :- शाश्वत तिवारी

नई उचाई को छुएगा उत्तर प्रदेश ट्रैवेल मार्ट-2015

Uttar Pradesh Travel Mart -2015लखनऊ – समय के साथ दुनिया में कई परिवर्तन हुए हैं। लोगों की रफ्तार बढ़ी है। पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिला है। कई देशों ने पर्यटन को उद्योग बनाकर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है। राज्य सरकार भी इस दिशा में कार्य कर रही है। पर्यटन उद्योग के विकसित होने से रोजगार और आर्थिक प्रगति के अवसर बढ़ेंगे, साथ ही राज्य में खुशहाली आएगी। उत्तर प्रदेश में नदियों और ऐतिहासिक इमारतों की बहुतायत है, जिन पर पर्यटन की दृष्टि से कार्य किए जाने की आवश्यकता है। लखनऊ की गोमती नदी को संवारने का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में गोमती के तट खूबसूरती के साथ विकसित होंगे।

आगरा, लखनऊ, वाराणसी पर केन्द्रित हेरिटेज आर्क योजना इस दिशा में तहजीब के नगर लखनऊ, ताज नगरी आगरा और धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी वाराणसी को शामिल करते हुए हेरिटेज आर्क के रूप में विकसित करने का फैसला लिया गया है।

उत्तर प्रदेश में असीम पर्यटन सम्भावनाएं हैं, जिसका प्रचार-प्रसार किए जाने की आवश्यकता है। यहां लामार्टिनियर ब्वाॅयज काॅलेज में आयोजित शानदार समारोह और रंगारंग आतिशबाजी के बीच ‘उत्तर प्रदेश ट्रैवेल मार्ट-2015’ के उद्घाटन हुआ। पर्यटन विभाग का यह प्रयास सराहनीय है कि उसने देश की प्रतिष्ठित संस्था फिक्की के साथ मिलकर ‘उत्तर प्रदेश ट्रैवेल मार्ट’ का आयोजन किया, जो पर्यटन विकास की दिशा में लाभकारी होगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग इस मौके पर अपने बहुमूल्य सुझावों एवं अनुभवों को साझा करेंगे। इन सुझावों पर राज्य सरकार भी विचार कर पर्यटन उद्योग को और सुदृढ़ करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाएगी।

ताज महल का सौन्दर्य विश्व प्रसिद्ध है। राज्य सरकार की कोशिश है कि ताज महल आने वाले पर्यटक, हेरिटेज आर्क के जरिये लखनऊ और वाराणसी भी आएं और यहां की संस्कृति तथा खूबसूरत स्थलों से वाकिफ हों। ताज महल के आसपास के क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास तेजी से किया जा रहा है। टूअर आॅपरेटर्स का सक्रिय योगदान और उनकी प्रभावी भूमिका पर्यटन को बढ़ावा देगी। पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने से लोगों के मध्य समन्वय स्थापित होता है और एक-दूसरे की संस्कृति को समझने का मौका मिलता है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘दि हेरिटेज आर्क’ वेबसाइट का शुभारम्भ और पुस्तिका का विमोचन किया। मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह् भेंट किया गया। इस अवसर पर फिक्की की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी, फिक्की के प्रदेश अध्यक्ष एल0के0 झुनझुनवाला, चन्द्र प्रकाश, एस0के0 सिंह, अन्य वरिष्ठ अधिकारी, फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली, देश-विदेश से बड़ी संख्या में आए टूअर आॅपरेटर्स एवं होटल व्यवसाय से जुड़े लोग मौजूद थे।

रिपोर्ट :-शाश्वत तिवारी 

सिर्फ शादी के लिए धर्मांतरण वैध नहीं: हाई कोर्ट

a judge hand striking a gavel over a tableइलहाबाद – इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को शादी के मकसद से धर्मांतरण को अवैध ठहराया है। उत्तर प्रदेश इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक एतिहासिक फैसले में शादी के मकसद से धर्मांतरण को अवैध ठहराया है और एसे विवाहों को कानूनी मान्यता देने से इन्कार कर दिया है। न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी की एकल पीठ ने नूरजहां और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है। न्यायालय ने कहा कि इस्लाम में विश्वास क आधार पर धर्मपरिवर्तन किया जा सकता है लेकिन मुस्लिम युवकों से शादी करने के लिए इस्लाम कबूूल करना अवैध है। न्यायालय ने इस्लाम में आस्था नहीं होने और केवल मुस्लिम युवकों से शादी करने लिए धर्म परिवर्तन करने वाली पांच हिन्दू लड़कियों के विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकाएं खारिज कर दी।

न्यायालय ने यह फैसला मंगलवार को दिया था लेकिन न्यायालय की वेबसाइट पर इसे विलम्ब से अपलोड किया गया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित करने के विरोध में यहां वकीलों की हडताल भी इन दिनों चल रही है। न्यायालय ने इस्लाम धर्म कबूल करके मुस्लिम युवकों से शादी करने वाली लड़कियों से जब उनके मजहब के बारे में पूछा तो उन्होंनेे अनभिज्ञता जाहिर की। ये लडकियां सिद्धार्थनगर, देवरिया, कानपुर, संभल और प्रतापगढ जिलों की हैं।

न्यायालय ने कहा कि कोेई भी स्वस्थ और बालिग पैगम्बर मोहम्मद में आस्था के आधार पर धर्म परिवर्तन कर सकता है। न्यायालय की एक सदस्यीय पीठ ने कहा कि जिसे अल्लाह और कुरआन में विश्वास हो, जिसका ह्रदय परिवर्तन हुआ हो और जिसकी धार्मिक आस्था में बदलाव हुआ हो वही व्यक्ति इस्लाम धर्म कबूल कर सकता है। एकल पीठ ने कहा कि बिना विश्वास, आस्था और वास्तविक बदलाव के धर्म परिवर्तन मान्य नहीं है। शादी के लिए धर्म परिवर्तन शून्य है। धर्म की प्रत्येक मान्यता और सिद्धांत को अपनाकर ही धर्मान्तरण किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि कोई गैर मुस्लिम बिना ह्वदय परिवर्तन के और एक शादी के झंझट से बचने या दूसरी शादी करने के लिए यदि धर्म परिवर्तन का सहारा लेता है तो इसे सही मायने में धर्मान्तरण नहीं माना जा सकता।

रेल बजट से खंडवा वासियों को उम्मीदें बंधी

khandwaखंडवा – आगामी 26 फरवरी को आने वाले रेल बजट से निमाड़ वासियों को काफी उम्मीदें बंधी है। मप्र भाजपा अध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान खंडवा, लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इंदौर सांसद सुमित्रा महाजन लोकसभा स्पीकर के महत्वपूर्ण पद पर पद पर आसीन है। इस कारण निमाड़ मालवा को रेल बजट से भरपूर संभावना है।

महू-खंडवा गेज कन्वर्जन, इंदौर-धार रेलगाड़ी के क्रियान्वयन की संभावनाएं बलवती हुई है। इस बजट में उन्हें पर्याप्त राशि दिए जाने के लिए मालवा-निमाड़ के कई सामाजिक व्यापारिक संगठनों ने रेलमंत्री से संपर्क तथा पत्रों के माध्यम से गुहार लगाई है तथा कुछ हद तक सफलता भी मिली है। सामाजिक संस्था जनमंच के चंद्रकुमार सांड ने उम्मीद जताई है कि इस बार के रेल बजट में महू-खंडवा के बीच करीब 131 किमी गेज परिवर्तन के लिए आवश्यक राशि करीब 700 करोड़ रूपए की आधी राशि इस बार मिलने की उम्मीद है जिससे महू-सनावद या खंडवा-सनावद के बीच गेज कन्वर्जन तीव्र गति से हो सकेगा।

हमारी मांग एक मुश्त बजट आवंटन की है ताकि वर्ष 2016 सिंहस्थ के पूर्व गेज कन्वर्जन पूरा हो सके। जनमंच के मनोज सोनी ने रेल बजट में रेलमंत्री से कम्प्यूटरराईज रेलवे इंक्वायरी के साथ न्यूअज पूछताछ के लिए 131 नंबर पर पुन: प्रारंभ करने की मांग की आवश्यकता जताई है। जनमंच के अनुराग बंसल ने प्लेटफार्म नंबर 6 को ऊंचा उठाकर उस पर टीन शेड लगाकर उसके विकास के लिए राशि मिलने की बात कही है साथ ही प्लेटफार्म नंबर 6 की ओर एक और टिकट खिड़की बनाकर निकासी द्वार बनाया जाना चाहिए।

जनमंच के गणेश कानड़े ने खंडवा को आदर्श स्टेशन के अनुकूल बजट में एस्केलेटर एवं लिफ्ट के लिए पर्याप्त बजट दिया जाना चाहिए। मंच के कमल नागपाल ने उम्मीद जताई कि इस रेल बजट में अकोला-हैदराबाद ट्रेन का खंडवा तक विस्तार किया जाना चाहिए। इसके अलावा खंडवा जंक्शन पर 15 नॉन स्टाप ट्रेनों का स्टापेज होना चाहिए। जनमंच के सुनील जैन ने इस बजट में हरिद्वार एक्सप्रेस का स्टापेज होना चाहिए साथ ही झेलम एक्सप्रेस का कटरा तक विस्तार होना चाहिए तथा नये फूट ओवर ब्रिज पर लिफ्ट की सुविधा होना चाहिए। देवेन्द्र जैन ने खंडवा जंक्शन पर तथा ट्रेनों के अंदर साफ-सफाई की पर्याप्त व्यवस्था की जाना चाहिए।

व्यापम मामले में इस्तीफा दे सकते है राज्यपाल यादव !

Ram Naresh Yadavभोपाल – मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) के महाघोटाले में बड़े चेहरों के खिलाफ हाईकोर्ट से कार्रवाई की हरी झंडी मिलने के बाद मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव एक-दो दिन के भीतर इस्तीफा दे सकते हैं। घोटाले की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट में जिन रसूखदार लोगों के नाम हैं, उनमें यादव भी शामिल हैं। हाईकोर्ट में इस रिपोर्ट पर सोमवार 23 फरवरी को सुनवाई होगी। मुमकिन है कि सुनवाई के दौरान ये बड़े नाम सार्वजनिक कर दिए जाएं।

बता दें कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एसटीएफ की निगरानी के लिए एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में खास व्यक्तियों के नामों का एक लिफाफा पेश किया था और कार्रवाई करने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने नामों का खुलासा किए बगैर अपनी टिप्पणी में कहा था, ‘गो अहेड’। इसके बाद ही यह माना जा रहा है कि राज्यपाल अब अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। अब तक भाजपा और कांग्रेस का एक वर्ग उन्हें ऐसा करने से रोक रहा था, लेकिन एसआईटी उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120 (बी) के अलावा तीन अन्य धाराओं में केस दर्ज कर सकती है।

इस बीच सियासी गलियारे में एसआईटी की रिपोर्ट को लेकर खासी सरगर्मी है। खासकर नामों को लेकर कयासबाजी का दौर शुरू हो गया है। सूत्रों का कहना है, नामों के सामने आने के बाद सूबे के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा उलटफेर भी हो सकता है।

इस बीच मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले की नए सिरे से भड़की आग के बीच राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा प्रवक्ताओं के साथ पूरे मामले में चर्चा की। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रकाश जावड़ेकर की उपस्थिति में चौहान ने प्रवक्ताओं को इस मामले से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराई। रविवार को दिल्ली पहुंचे चौहान ने पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की शादी की 50वीं सालगिरह पर आयोजित समारोह में भी शिरकत की।

इस बीच केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने दावा किया कि इस घोटाले की जांच के लिए गठित एसआईटी को अदालत ने प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव और उनके पुत्र के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। चर्चा थी कि इस मामले के नए सिरे से तूल पकड़ने के बाद चौहान पीएम नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मिल कर अपनी सफाई पेश करेंगे। मगर चौहान इनसे मिले बिना ही वापस भोपाल लौट गए। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने इस घोटाला मामले में शिवराज पर नए सिरे से आरोप लगाया है। पार्टी नेताओं ने बीते दिनों दावा किया था कि इस भर्ती घोटाले में सिफारिश करने वाले जिन 21 जगहों पर सीएम चौहान का नाम था, उसे हटा कर पूर्व सीएम और वर्तमान केंद्रीय मंत्री उमा भारती का नाम जोड़ दिया गया था।

आडवाणी के यहां समारोह में शिरकत करने के बाद चौहान तोमर के साथ जावड़ेकर के निवास पर पहुंचे। यहां शिवराज ने पार्टी प्रवक्ताओं के साथ इस मसले पर चर्चा कर विपक्ष के आरोपों का जवाब देने संबंधी तथ्य सामने रखे। सूत्रों ने बताया कि शिवराज ने प्रवक्ताओं को बताया कि इस घोटाले की जांच अदालत की निगरानी में गठित एसआईटी कर रही है। और अब तक की जांच में उनकी कहीं कोई भूमिका सामने नहीं आई है। इस बीच गहलोत ने इस घोटाले में राज्यपाल और उनके पुत्र के शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि अदालत ने इन दोनों के खिलाफ जांच का आदेश दे दिया है।

ऑस्कर अवॉर्ड्स का ऐलान, किसको क्या मिला

moore_reuters2दुनिया का सबसे बड़े फिल्म पुरस्कार ऑस्कर अवॉर्ड्स का ऐलान किया जा रहा है। लॉस एंजिलिस में आयोजित 87वें एकेडमी अवॉर्ड्स में जिन फिल्मों को कामयाबी हाथ लगी है, उनकी फेहरिस्त कुछ इस प्रकार है।

ऑस्कर अवॉर्ड इस साल जिन्हें मिली कामयाबी:

बेस्ट फिल्म: बर्डमैन
बेस्ट एक्टर: ऐडी रेडमायने (द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग)
बेस्ट एक्ट्रेस: जूलियन मूरी (स्टिल अलाइस)
बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर: जे.के. सिमंस (व्हिपलैश)
बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस: पेट्रिसिया आर्क्वेटे (फिल्म ‘ब्वॉयहुड’ के लिए)
बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म: पोलैंड की ‘ईडा’
कास्ट्यूम डिजाइन: मिलेना कैनोनेरो (द ग्रैंड बुडापेस्ट होटल)
साउंड मिक्सिंग: व्हिपलैश (क्रेग मैन, बेन विल्किंस और थॉमस कर्ली)
बेस्ट एनिमेटेड शॉर्ट फिल्म: फिस्ट (पेट्रिक ऑसबॉर्न और क्रिस्टिना रीड)
बेस्ट एनिमेटेड फीचर: बिग हीरो 6 (डॉन हाल, क्रिस विलियम्स और रॉय कॉनली)
फिल्म एडिटिंग: व्हिपलैश (टॉम क्रॉस)
प्रोडक्शन डिजाइन: द ग्रैंड बुडापेस्ट होटल
सिनेमैटोग्राफी: बर्डमैन (इमैनुअल लुबेज्की)
साउंड मिक्सिंग: क्रेग मैन, बेन विल्किंस और थॉमस कर्ली
बेस्ट ऑरिजनल स्कोर: द ग्रैंड बुडापेस्ट होटल (एलेक्जेंडर डेस्प्लेट)
साउंड एडिटिंग: अमेरिकन स्निपर (एलन रॉबर्ट मरे और बब असमन)
बेस्ट लाइव एक्सन शॉर्ट फिल्म: द फोन कॉल (मैट किर्कबी और जेम्स लुकास)
मेकअप और हेयर स्टाइल: फ्रांसेस हैनोन और मार्क कुलियर (द ग्रैंड बुडापेस्ट होटल)
बेस्ट ऑरिजनल सॉन्ग: सेलमा फिल्म का ‘ग्लोरी’ सॉन्ग (जॉन स्टीफेंस और लॉनी लिन)
बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर: सिटिजनफोर (लाउरा पोइट्रास, मेथिल्ड बोनफॉय और डर्क विलुट्ज्की)
विजुअल इफेक्ट्स के लिए: इंटरस्टेलर (पॉल फ्रैंकलिन, एंड्यू लॉकली, ईयान हंटर और स्कॉट फिशर)
बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट: क्राइसिस हॉटलाइन वेटेरन्स प्रेस 1 (एलेन गुसेनबर्ग केंट और डाना पेरी)

मैं पैगंबर मोहम्मद को महान योगी मानता हूं :मुरली मनोहर

Murli-Manohar-Joshiनई दिल्ली – भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने योग और पैगंबर मोहम्मद पर चौंकाने वाला बयान दिया है। जोशी ने कहा है कि अगर हरेक शख्स योग को अपना ले तो देश में बलात्कार की घटनाएं कम हो जाएंगी। उन्होंने मुसलमानों को दिन में पांच बार योग करने वाला और पैगंबर मोहम्मद को सबसे बड़ा योगी करार दिया।

‘द अयंगर वे- योगा फॉर द न्यू मिलेनियम’ नाम के एक कार्यक्रम में जोशी ने कहा कि हर आम आदमी की जिंदगी में अगर योग चला आए तो भले ही बलात्कार न रूकें लेकिन कम जरूर हो जाएंगे। योग महिला और पुरुषों में एक नई सोच पैदा करेगा और आदमी के शरीर को एक नया अनुभव देगा। प्रकृति ने यह शरीर में हमें बड़े काम करने के लिए दिया है। जब लोग योग को अपनाएंगे तो उनका ध्यान इस तथ्य की ओर जाएगा।

जोशी ने कहा, हमारे मुस्लिम भाई दिन में पांच बार योग करते हैं। नमाज की जो मुद्रा होती है, उसमें दो-तीन योग की भी मुद्रा होती है। इसलिए मैं मोहम्मद साहब को महान योगी मानता हूं। बगैर योग के वह ईश्वर से संपर्क नहीं साध पाते।

जोशी ने महिर्ष महेश योगी के भावातीत योग को लेकर न्यूयार्क में किए गए एक अध्ययन का हवाला दिया।

उन्होंने कहा कि जब एक यूनिवर्सिटी के कुलपति ने योग के असर की समीक्षा की तो पाया कि न्यूयार्क में अपराध की दर कम हो गई है। जेल में कैदियों के व्यवहार में भी सकारात्मक बदलाव दिखे थे।

कॉरपोरेट जासूसी का भंडाफोड़ , एक और ग्रुप भी शामिल

petroleumनई दिल्ली – पेट्रोलियम मंत्रालय में कॉरपोरेट जासूसी का भंडाफोड़ होने के बाद एक अन्य ग्रुप के भी शामिल होने का पता चला है। पुलिस अधिकारी अब तक पकड़े गए आरोपियों से ही दूसरे ग्रुप के बारे में सारी जानकारी जुटा रहे हैं। इस ग्रुप में भी मंत्रालय के सीनियर अफसरों के ऑफिस में काम करने वाले छोटे कर्मचारी शामिल हैं, जिन्हें पैसे का लालच देकर शामिल किया गया था।

माना जा रहा है कि दिल्ली पुलिस इस मामले में एक और एफआईआर दर्ज कर सकती है। हालांकि पूरे मामले में अधिकारिक तौर पर पुलिस का कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। सूत्रों का कहना है कि जासूसी का दूसरा नेटवर्क मंत्रालय का एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी चला रहा था। पुलिस ने शास्त्री भवन के एक के बाद एक सात कमरे अब तक सील कर दिए हैं और यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि नया मॉड्यूल किन-किन लोगों को कागजात बेचता था और इनके किन-किन से संबंध थे।

कुछ कर्मचारियों, कंसल्टेंटों और कंपनियों के अफसरों की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है। पूछताछ में पुलिस को पता चला कि आरोपी मंत्रालय से कागजात चोरी करने के लिए सप्ताह में एक या दो बार ही अंदर जाते थे। करीब आठ महीने पहले एक दिन सुबह मंत्रालय का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज एक फोटोकॉपी मशीन पर पड़ा पाया गया। उसके बाद एक निदेशक के कमरे के दरवाजे को खोलने की कोशिश की गई। इनसे उठे संदेह के बाद गोपनीय दस्तावेज मंत्रालय के बाहर ले जाने वालों को धर दबोचने के लिए जांच शुरू की गई।

कांग्रेस पार्टी की मेंबरशिप फीस में 250 गुना की बढ़ोतरी

congressनई दिल्ली – फंड की कमी से जूझ रही कांग्रेस पार्टी ने मेंबरशिप फीस में 250 गुना की बढ़ोतरी का फैसला किया है। पहले यह फीस एक रुपये थी, जो बढ़कर 250 रुपये हो गई है। 2010 के मुताबिक, पार्टी के पास 4.17 करोड़ रजिस्टर्ड सदस्य थे। अगर ये लोग पार्टी की मेंबरशिप रिन्यू करते हैं, तो इससे पार्टी को 1,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम मिलेगी। पार्टी की सालाना मेंबरशिप में कई दशकों से बढ़ोतरी नहीं हुई है।

2007 में यह फीस 3 साल के लिए 3 रुपये थी और यह तीन साल पर इकट्ठा की जाती थी। बाद में इसे 5 साल के लिए 5 रुपये कर दिया गया था। अब पार्टी की मेंबरशिप फीस सालाना ली जाएगी। पार्टी ने डिपॉजिटिंग और मेंबरशिप के नियमों में भी बदलाव किया है।

इसके तहत 90 फीसदी रकम प्रदेश, जिला और सहायक सेल के पास रहेगी, जबकि 10 फीसदी हिस्सा पार्टी के केंद्रीय तिजोरी में जाएगा। लिहाजा, पार्टी की केंद्रीय इकाई इस रकम का 75 फीसदी हिस्सा रखेगी, जबकि राज्य इकाइयों के पास 25 फीसदी रकम रहेगी। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने प्रदेश कांग्रेस कमेटियों और पार्टी महासचिवों को लिखी चिट्ठी में यह जानकारी दी है।

असामाजिक तत्वों ने पत्रकार को दी धमकी

shutterstockखंडवा  – शहर में आजकल असामाजिक तत्वों का दबदबा बढ़ता ही जा रहा है। पहले तो यह यह असामाजिक तत्व गलत कारनामें करते है और जब इनके काले कारनामों से पर्दा उठाया जाता है तो यह अपने असली रूप में आकर मारपीट और जान से मारने की धमकी देने से भी बाज नहीं आते है। ऐसा ही एक मामला विगत दिनों खंडवा में प्रकाश में आया जब एक आरटीआई कार्यकर्ता को ऐसे ही असामाजिक तत्वों द्वारा बेरहमी से पीटा गया। इसके बाद भी इन असामाजिक तत्वों के हौसले इतने बुलंद है कि इन्होंने उस समाचार पत्र के पत्रकार को भी खुले शब्दों में यह धमकी दे डाली कि तुम्हारे आरटीआई कार्यकर्ता को तो हमने सबक सीखा दिया अब तुम्हारा भी इससे बुरा हाल करेंगे। 


पत्रकार ने पुलिस अधीक्षक को सौंपा ज्ञापन 
हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के पत्रकार मंसूरी को एक  खबर प्रकाशित करने के मामले में गंज बाजार निवासी अकरम चौहान, असलम चौहान, आजम चौहान सभी पिता कासम चौहान द्वारा 20 फरवरी शाम को कहारवाड़ी चौराहे पर फब्तियां कसी गई एवं कहा गया कि आरटीआई कार्यकर्ता के हाथ पैर तोड़ देने एवं उसे जान से मारने की धमकीयां दी एवं आरटीआई कार्यकर्ता को दुनिया छुड़वा देने की बात कहीं। इसके साथ ही पत्रकार मंसूरी को खंडवा छोड़ देने एवं अपहरण कर लेने व परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी गई।


पहले से दर्ज है कुछ मामले
इन असामाजिक तत्वों पर पूर्व में भी कुछ मामले शहर के थानों में दर्ज है यह असामाजिक प्रवृत्ति के लोग है इन्होंने कुछ ही दिनों पूर्व बजरंग चौक पर ही आरटीआई कार्यकर्ता को बेहरहमी से मारा था एवं उसे घायल किया था। जिस कारण इन असामाजिक तत्वों की शिकायत पत्रकार मंसूरी द्वारा महानिरीक्षक इंदौर रेंज, पुलिस अधीक्षक खंडवा तथा थाना प्रभारी सिटी कोतवाली से उचित कार्रवाही की मांग की गई है। इसके साथ ही पत्रकार मंसूरी एवं उनके परिवार को सुरक्षा चाही गई है।

औषधि : होम्योपैथिक चिकित्सक के लिए निर्देश

Homoeopathic

होम्यो चिकित्सकों को निम्नलिखित निर्देशों का पालन करना चाहिए-

(1) औषधि का चुनाव खूब सोच-समझकर करना चाहिए।
(2) औषधि का निर्वाचन करने से पूर्व रोगी की भलीभांति परीक्षा करना आवश्यक है।
(3) औषधि की शक्ति का चुनाव सावधानीपूर्वक करना चाहिए। सामान्यतः 30 क्रम की औषधि लाभदायक रहती है। तरहृण रोग में निम्न तथा मध्यम क्रम एवं जीर्ण रोग में उच्च क्रम वाली औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।
(4) जल्दी-जल्दी अस्थायी उपचार के लिए निम्नक्रम तथा धीरे-धीरे स्थायी उपचार के लिए उच्च क्रम की औषधियों का व्यवहार किया जाता है।
(5) रोग के लक्षण के साथ औषधि के लक्षण भलीभांति मिल जाने पर उच्च क्रम तथा रोग एवं औषधि के लक्षणों के परस्पर पूरी तरह न मिलने पर निम्नक्रम का व्यवहार करना चाहिए।
(6) पहले औषधि की एक मात्रा देकर रोगी की अवस्था पर ध्यान देना चाहिए। यदि दी हुई औषधि उपयुक्त समय के भीतर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त न करे तो उसी औषधि की एक मात्रा और देकर देखना चाहिए। यदि दूसरी बार भी कोई प्रतिक्रिया प्रकट न हो तो एक मात्रा एंटीसोरिक’ (सल्फर, सोरिनम आदि) देकर फिर से उसी चुनी हुई औषधि की एक मात्रा और देनी चाहिए। यदि तब भी कोई प्रतिक्रिया न हो तो क्रम का निर्वाचन ठीक से नहीं हुआ है’ यह समझकर रोग के लक्षणों को पुनः मिलाते हुए उसी औषधि को किसी अन्य क्रम में बदलकर देना चाहिए।
फिर यदि यह दिखाई दे कि उस औषधि से कोई लाभ नहीं हो रहा है तो कुछ समय के लिए औषधि देना बंद करके पूर्ण प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करनी चाहिए, तत्पश्चात उसी औषधि को उसी परिवर्तित क्रम में पुनः देना चाहिए, परन्तु यदि यह अनुभव हो कि परिवर्तित क्रम में भी औषधि ने कोई लाभ नहीं किया है, तो उसी औषधि की मात्रा और देकर देखना चाहिए। यदि उसके बाद भी कोई लाभ न हो तो रोग तथा औषधि के लक्षणों को पुनः नए सिरे से मिलाकर कोई अन्य औषधि बदल कर देनी चाहिए।
(7) तीव्र (संक्रामक) किस्म के नवीन रोग में निर्वाचित औषधि का बार-बार प्रयोग तभी तक किया जाता है, जब तक कि उसकी कोई क्रिया दिखाई न दे। औषधि की क्रिया निम्नलिखित दो प्रकार से प्रकट होती है-
(क) रोग का बढ़ जाना
(ख) रोग का घट जाना
(8) यदि किसी औषधि की एक मात्रा देने पर कुछ समय तक लाभ दिखाई दे, परन्तु फिर वह लाभ अलक्षित हो जाए तो उसी औषधि की एक मात्रा और देकर देखना चाहिए। यदि दूसरी मात्रा देने पर लाभ होने की बजाय रोग और अधिक बढ़ जाए तो ृवह औषधि रोग को दूर नहीं कर सकेगी’ यह समझकर किसी अन्य उपयुक्त औषधि का निर्वाचन करना चाहिए।
(9) जीवन शक्ति की उत्तेजना रहने पर निम्न क्रम वाली तथा अवसाद होने पर उच्च क्रम वाली औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
(10) यदि समलक्षण वाली औषधि के मिल जाने पर एक क्रम से लाभ न हो तो उसी औषधि को दूसरे क्रम में प्रयोग करके देखना चाहिए।
(11) यदि औषधि का निर्वाचन ठीक हुआ होगा तो नवीन रोग निश्चित रूप से केवल एक मात्रा देने पर ही दूर हो जाएगा, परन्तु यदि रोगी पहले किसी अन्य चिकित्सा पद्धति की औषधियों का सेवन कर चुका होगा तो उस स्थिति में उसे बार-बार औषधि देने की आवश्यकता पड़ सकती है, क्योंकि विपरीत विधान की औषधियां रोग को मजबूती से दबाए रखती हैं, जिनका मूलोन्मूलन करने हेतु ही होम्योपैथी औषधि बारंबार देने की आवश्यकता पड़ती है।
(12) किस रोग के रोगी को कितनी औषधि देकर उसकी क्रिया की जांच के लिए कितने समय तक प्रतीक्षा करनी होगी, इसका कोई निश्चित नियम नहीं है। सामान्यतः यही कहा जा सकता है कि जिस रोग में जितनी शीघ्र जीवन हानि होने की आशंका रहती है, उसमें औषधि की क्रिया भी उतनी ही शीघ्रता से प्रकट होती है। उदाहरण के लिए हैजा आदि रोगों में औषधि की क्रिया 10-20 मिनट के भीतर ही प्रकट हो जाती है।
(13) औषधि की क्रिया (प्रभाव) प्रकट होते ही नियमानुसार औषधि देना बंद कर देना चाहिए, परन्तु सन्निपातिक ज्वर आदि कठिन एवं भयंकर रोगों में 2-3 घंटे के भीतर ही औषधि का पुनः प्रयोग किया जा सकता है। एग्जिमा आदि चर्मरोगों में शीघ्र मृत्यु का भय नहीं होता है, अतः उनमें औषधि की क्रिया भी विलंब से ही प्रकट होती है। ऐसे रोगों में औषधि की एक मात्रा देने के बाद उसकी क्रिया (प्रभाव) को देखने के लिए एक-दो महीने की अवधि तक भी प्रतीक्षा की जा सकती है।
(14) जिस रोग में जितनी कम अथवा अधिक पीड़ा होती है, उसी अनुपात में औषधि की क्रिया भी शीघ्र प्रकट होती है। असाध्य तीव्र वेदना में औषधि की क्रिया जितनी जल्दी प्रकट होती है, सामान्यतः वेदना में वैसा नहीं होता। अस्तु, तीव्र वेदना में औषधि की दूसरी मात्रा को जितनी जल्दी दिया जा सकता है, उतनी जल्दी समान्य वेदना में नहीं दिया जा सकता।
(15) जो शिशु स्तनपान करते हों, उनकी चिकित्सा करते समय उनकी माता को भी औषधि देना आवश्यक है।
(16) बहुत कठिन स्थितियों के अतिरिक्त स्त्रियों को ऋतुकाल (मासिक धर्म) के दिनों में सोरिक आदि धातु दोष नाशक औषधियों का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि रोग अत्यंत कठिन न हो तो ऋतुकाल की अविध में उस औषधि को देना बंद कर देना चाहिए, जो उसे पहले से दी जा रही है।
(17) रोग के कारण शारीरिक पीड़ा में वृद्धि तथा औषधि के कारण पीड़ा में वृद्धि के बीच यह अंतर होता है कि औषधि प्रयोग के कारण हुई पीड़ा वृद्धि अचानक होती है, जब कि रोगजनित पीड़ा वृद्धि धीरे-धीरे होती है। रोगजनित पीड़ा वृद्धि में नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है, जबकि औषधिजनित पीड़ा वृद्धि में नाड़ी की गति तेज नहीं होती है। रोगजनित पीड़ा वृद्धि के पूर्व हल्का सा आराम दिखाई देता है, जबकि औषधिजन्य पीड़ा वृद्धि में ऐसा नहीं होता।
(18) होम्योपैथी में किसी रोग’ के नाम के आधार पर चिकित्सा नहीं की जाती। इसमें तो ृव्याधि’ के लक्षणों के आधार पर सदृश लक्षणों वाली औषधि का प्रयोग किया जाता है। लक्षणों में भिन्नता के कारण औषधियों में भी भिन्नता आ जाती है, इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक व्याधि के लक्षणों में अंतर होने पर अलग-अलग औषधियों का प्रयोग करने का निर्देश है। यही कारण है कि होम्योपैथी में किसी रोग विशेष के लिए किसी एक विशेष औषधि का ही प्रयोग नहीं किया जाता।
(19) प्रत्येक होम्योपैथिक चिकित्सक को शरीर संरचना एवं काया विज्ञान, होम्योपैथिक औषधियों के गुण-धर्म तथा रोग परीक्षा सिद्धांत आदि विषयों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। इनके अतिरिक्त पथ्यापथ्य, स्वास्थ्य एवं रोगी की सुश्रूषा संबंधी नियमों की जानकारी भी होनी चाहिए। अतः उनका सावधानीपूर्वक अध्ययन करना तथा स्मरण रखना आवश्यक है।
(20) होम्योपैथी में चिकित्सा से पूर्व रोगी तथा उसके वंश संबंधी इतिहास की जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। इनके अतिरिक्त रोगी की आजीविका के साधन, रहन-सहन, खान-पान, स्वभाव, रहृचि आदि से संबंधित बातों की भी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। इन सबके बाद रोगी के शरीर परीक्षण तथा रोग लक्षणों पर ध्यान देना आवश्यक है। ये सभी बातें रोगी के लिए उचित तथा सदृश औषधि के चुनाव में सहायक होती हैं।

हरियाणा में पति को रस्सी से बांधकर पत्नी से गैंगरेप

Married_to_the_collective_Gangrepतोशाम – हरियाणा में पति को रस्सी से बांधकर पत्नी से गैंगरेप का मामला सामने आया है। मामला तोशाम का है। यहां कुछ लोग महिला को जबरन उठाकर ले गए और उसके साथ दुराचार किया।

पति के विरोध किए जाने पर उन्होंने उसे रस्सियों से बांध दिया। दंपति मूल रूप से हिसार का रहने वाला है। तोशाम के गांव बहल में उनकी टायर पंक्चर की दुकान है।

पीड़िता अपने पति से मिलने आई हुई थी। महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। भिवानी के सिविल अस्पताल में पीड़िता का मेडिकल कराया गया। फिलहाल मामले की छानबीन जारी है।

पीड़िता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसका पति सात-आठ साल से तोशाम के गांव में कन्या स्कूल के पास टायर पंचर लगाने का कार्य करता है। शुक्रवार को वह अपने पति के पास आई थी। देर रात कुछ व्यक्ति दुकान में आए और उसके पति से गाड़ी में पंचर लगाने को कहने लगे।

पति ने कहा कि इतनी रात को पंचर नहीं लगाएगा। इस पर आरोपियों ने दूर जाने की बात की तो वह पंक्चर लगाने को तैयार हुआ। इसी दौरान उन व्यक्तियों की नजर मुझ पर पड़ी और वे लोग पूछताछ करने लगे।

पति ने कहा कि यह मेरी पत्नी है और मिलने आई है। इतना सुनकर वे लोग दुकान में घुस गए और बदतमीजी करने लगे। पति ने विरोध किया तो उसे पीटने लगे और रस्सियों से बांध दिया। इसके बाद वे लोग उसे उठाकर अज्ञात जगह पर ले गए।

पीड़िता ने शिकायत में बताया कि वे आठ लोग थे। उनमें से पांच ने उसके साथ दुष्कर्म किया। उसके बाद वे उसे दुकान पर छोड़ गए और पति से 20 हजार रुपये और डीवीडी छीनकर ले गए। आरोपियों ने घटना के बारे में किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी।

मामले को लेकर थाना प्रभारी बिंसबर दयाल ने बताया कि महिला शिकायत पर मेडिकल के लिए भिवानी के सिविल अस्पताल में भेजा गया। मामले में छानबीन की जा रही है। आरोपियों की तलाश जारी है। आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा।

 

मिज़ाज-ए-दिल्ली: मिज़ाज-ए-मुल्क ?

dilli aapप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में बड़े ही आत्मविश्वास के साथ दिल्ली में एक चुनावी सभा में कहा था कि ‘जो देश चाहता है वही दिल्ली चाहती है’। वैसे तो उन्होंने और भी कई हल्की बातें अपने भाषण में कीं। परंतु भाजपा के दिल्ली चुनाव हारने के बाद इस वाक्य की खासतौर पर मीडिया द्वारा यहां तक कि खुद भाजपा के भीतर व भाजपा के शिवसेना जैसे सहयोगियों द्वारा समीक्षा की जाने लगी है। दिल्ली के चुनाव में आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी के पक्ष में पांच-पांच जनसभाएं नहीं संबोधित कीं। अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्र बनाकर कोई भी प्रधानमंत्री दिल्ली विधानसभा के चुनाव नहीं लड़ा। और अपने भाषण में भी किसी प्रधानमंत्री ने ऐसी शब्दावली का प्रयोग नहीं किया जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। चुनाव प्रचार के दौरान साफ नज़र आ रहा था कि भाजपा युद्ध स्तर पर चुनाव लडक़र किसी भी कीमत पर दिल्ली चुनाव जीतना चाह रही है।

खबरों के मुताबिक नरेंद्र मोदी के दिल्ली विजय के इस अति महत्वाकांक्षी मिशन को परवान चढ़ाने में मीडिया प्रचार व पोस्टर युद्ध पर न केवल अरबों रुपये फूंक दिए गए बल्कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी एक अनुमान के अनुसार लगभग अपने सवा लाख स्वयं सेवकों को दिल्ली चुनाव जीतने की गरज़ से चुनाव प्रचार में झोंक दिया। परिणामस्वरूप आम आदमी पार्टी जोकि अपने सीमित संसाधनों से चुनाव लड़ रही थी उसे रिकॉर्ड बहुमत यानी 70 में से 67 सीटों पर विजयश्री हासिल हुई। भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रधानमंत्री व संघ स्तर पर इतनी मशक्कत किए जाने के बाद तथा सभी चुनावी तिकड़मबाजि़यां व हथकंडे इस्तेमाल किए जाने के बावजूद इस प्रकार मुंह की खाने के बाद यह सवाल उठना ज़रूरी हो गया है कि क्या वास्तव में प्रधानमंत्री का यह कथन सही है कि ‘जो देश चाहता है वही दिल्ली चाहती है’?

लोकसभा चुनाव में अपनी भारी बहुमत से हुई विजय के बाद भाजपा का विजय रथ महाराष्ट्र,झांरखंड तथा हरियाणा होते हुए दिल्ली पहुंचा था। अब इस विजय रथ की दिल्ली के बाद पश्चिम बंगाल व बिहार जैसे बड़े राज्यों में रवानगी होनी थी। परंतु पार्टी की दिल्ली दुर्गति के बाद विजय रथ के पहिए दिल्ली में ही निकल गए दिखाई देने लगे हैं। कल तक जो उद्धव ठाकरे अपनी खस्ताहालत के चलते भाजपा के झंडे तले अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए खामोश हो गए थे उन्होंने दिल्ली चुनाव के बाद अपने सुर बदल लिए हैं। भाजपा के अंदर से ऐसे स्वर उठने लगे हैं जिसे शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता? समाचारों के अनुसार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने तो स्पष्ट रूप से यह कह दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव संघ स्वयं अपनी देख-रेख में लड़ेगा।

देश की जनता इस बात पर भी आश्चर्यचकित है कि जगह-जगह मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचने वाले नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल के शपथ समारोह में शिरकत करने का न्यौता आखिर क्यों ठुकरा दिया? कहीं उन्हें दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद यह डर तो नहीं सताने लगा था कि रामलीला मैदान में उनकी उपस्थिति में कुछ वैसा ही नज़ारा सामने आ सकता है जैसाकि हरियाणा के कैथल में प्रधानमंत्री नेरंद्र मोदी की मौजूदगी में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ पेश आया था?

उधर दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में ममता बैनर्जी,बिहार में नीतिश कुमार व लालू प्रसाद यादव तथा उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की विजय पर न केवल संतोष ज़ाहिर किया है बल्कि खुशी भी जताई है। केवल देश में ही नहीं बल्कि अमेरिका व चीन जैसे कई देशों के मीडिया ने भी दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों पर अपनी टिप्पणी करते हुए इसी बात का अंदेशा ज़ाहिर किया है कि क्या नरेंद्र मोदी का तिलिस्म जो मात्र 9 महीने पूर्व लोकसभा 2014 के चुनावों में दिखाई दे रहा था वह अब टूटने लगा है? और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बोले गए इस वाक्य ने कि देश जो चाहता है वही दिल्ली चाहती है,और भी संदेह पैदा कर दिया है।

हालांकि इस विषय पर किसी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचना तो बहुत जल्दबाज़ी की बात है। परंतु कुछ बातें तो निश्चित रूप से ऐसी हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ करना कतई मुनासिब नहीं है। नरेंद्र मोदी की जिस भाषण शैली की प्रशंसा देश में की जाती है तथा उनका जो भाषण लोकसभा चुनाव के समय देश की तीस प्रतिशत जनता को पसंद आया उन भाषणों के समय-काल ‘भाषणों’ में उठाए जाने वाले मुद्दे तथा उन विषयों को अपने भाषण में प्रयोग करते समय वक्ता के आत्मविश्वास पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है। नरेंद्र मोदी के भाषण में प्राय: कांग्रेस व कांग्रेस परिवार अर्थात् नेहरू-गांधी परिवार निशाने पर होता था। उनका भाषण लोकसभा चुनावों से पूर्व कुछ ऐसे विषयों पर आधारित रहता था जो समाज में विभाजन की रेखा खींचते थे। जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनके द्वारा गुलाबी क्रांति यानी मांस का निर्यात के विषय पर दिया गया भाषण।

वे जनता की सहानुभूति अर्जित करने के लिए बेबात की बात खड़ी करने में भी महारत रखते हैं। उदाहरण के तौर पर अमेठी में जब लोकसभा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं नीची राजनीति नहीं करती इस पर मोदी जी देश में घूम-घूम कर यह कहने लगे कि मुझे नीच कहा गया है। यही कहकर वे बड़ीचतुराई से जनता के समक्ष ‘बेचारे’ बनकर पेश होते थे । कांग्रेस के भ्रष्टाचार व मंहगाई के दौर से त्रस्त जनता ने उन्हें स्वीकर किया। एक टीवी चैनल को साक्षात्कार के दौरान जिसे $िफक्स साक्षात्कार भी कहा गया मोदी जी ने यह भी कहा कि नेहरू-गांधी परिवार एक चाय वाले को प्रधानमंत्री बनते देखना नहीं चाहता? उन्होंने अपनी बेचारगी दर्शाकर राहुल गांधी को शहज़ादा की उपाधि देकर तथा कांग्रेस से त्रस्त जतना के बीच कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देकर बड़ी ही आसानी से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पुश्तपनाही हासिल करते हुए देश को एक वैकल्पिक नेतृत्व का सपना दिखाया।

ज़ाहिर है अब इन बातों को 9 महीने बीत चुके हैं। देश अब लगभग कांग्रेस मुक्त हो चला है। अब सोनिया व राहुल या कांग्रेस के विरोध का भाषणों में कोई औचित्य नहीं है। अब गुलाबी क्रांति का लॉलीपॉप भी नहीं चलने वाला। अब समय है अपनी 9 महीने की सरकार की उपलिब्धयां बताने का। अब अगर पुन: मोदी जी सिकंदर को गंगा किनारे बिहार में बुलाते हैं तो गोया देश का प्रधानमंत्री अशिक्षित कहलाएगा। लिहाज़ा भाषण की लंतरानी भी अब देश नहीं सुनने वाला। अब तो जनता यही जानना चाहती है कि जिस गुलाबी क्रांति के विषय में आप मतदाताओं को वरगला रहे थे वह मांस निर्यात के कारोबार 9महीने में बंद क्यों नहीं किए गए? बजाए उसके इस दौरान इस व्यवसाय में और इज़ाफा होने का समाचार है? 9 महीने पूर्व आप काले धन की एक-एक पाई देश में वापस लाकर प्रत्येक व्यक्ति के खाते में 15-15 लाख रुपये जमा करवा रहे थे ज़ाहिर है 9 महीने की आपकी सत्ता में अब जनता जानना चाहती है कि कहां है काला धन और कहां हैं हमारे खाते के 15 लाख रुपये? जनता जनधन योजना की ‘टाफी’ से संतुष्ट नहीं होने वाली? यूपीए सरकार में किसानों के भूमि अधिग्रहण के संबंध में जो कानून किसानों की सुविधा हेतु बनाए थे उसे भी आपने बदलकर कारपोरेट व उद्योग घरानों की सहूलियत वाला तथा किसान विरोधी कानून बना दिया। न तो वह मंहगाई रुक सकी जिसे 9 महीना पहले आप स्वयं मुद्दा बनाया करते थे। न तो किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याएं रुक रही हैं। न ही नारी पर होने वाले वार में कमी आई है?

देश का गरीब किसान आज भी बदहाल व परेशान है। परंतु आपके नाम के कहीं मंदिर बन रहे हैं तो कहीं आप दस लाख की कीमत वाला सूट पहनकर अमेरिकी राष्ट्रपति का स्वागत करते दिखाईदे रहे हैं? आपके 9 महीने के शासनकाल में अनेक सांसद तरह-तरह की अन्यायपूर्ण व बेसिर-पैर की बातें करते फिर रहे हैं? अल्पसंख्यकों के धर्मस्थलों पर देश में कई जगह हमले की खबरें हैं। परंतु दिल्ली चुनाव परिणाम से पूर्व आपने किसी भी ऐसे विवादित विषय पर संज्ञान लेने की ज़रूरत महसूस नहीं की? जब दिल्ली चुनाव परिणाम 67-3 से आपको आईना दिखाया फिर कहीं जाकर दिल्ली पुलिस कमिश्रर को सरकार ने तलब कर दिल्ली क ईसाई धर्मस्थलों व स्कूल पर होने वाले हमले के विषय में जानकारी लेने की कोशिश की।

जनता रंगीन अथवा मंहगे कपड़ों से या लच्छेदार भाषणों से सम्मोहित नहीं होती। उसे वादों पर अमल चाहिए। और सकारात्मक परिणाम चाहिएं। जिस प्रकार काठ की हांडी केवल एक बार चढ़ती है उसी प्रकार सत्ता को नीचा दिखाकर,लोगों को सब्ज़बाग दिखाकर जनता से झूठ-फरेब का आडंबर रचकर एक बार सत्ता पर तो काबिज़ हुआ जा सकता है परंतु परिणाम शून्य होने पर दिल्ली जैसे चुनाव परिणाम की ही उम्मीद की जानी चाहिए। और इन हालात में अब स्वयं नरेद्र मोदी का यह चिंतन कि जो देश चाहता है वही दिल्ली चाहती है वास्तव में अब यह एक राष्ट्रीय चिंतन भी बन चुका है।

:-तनवीर जाफरी

tanvirतनवीर जाफरी
1618, महावीर नगर,
मो: 098962-19228
अम्बाला शहर। हरियाणा

मोदी के सूट का निकाला जुलूस

modi-suit 1सूरत – हीरों के कारोबारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सूट को 4 31 करोड़ रुपए की बोली लगाकर खरीदने वाले लालजी पटेल ने शनिवार को इस सूट का जुलूस निकाला। सूट को मोदी के पुतले को पहनाया गया था।

जिला कलेक्टर के कार्यालय में 4 31 करोड़ रुपए का चैक जमा कराने के बाद पटेल ने इस गहरे नीले रंग के सूट का जुलूस निकाला। चैक जमा कराए जाने के बाद पुतले को एक खुली गाड़ी में रखा गया। इसके आगे दोपहिया वाहन और पीछे भी कई वाहन चल रहे थे। यह जुलूस नीलामी स्थल साइंस कन्वेंशन सेंटर से पटेल के शहर में कटारगाम इलाके में स्थित कार्यालय तक गया।

इस बंद गले के सूट को देखने के लिए सड़क के दोनों ओर लोगों की भीड़ जमा थी। इस सूट को मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान उनसे मुलाकात के समय पहना था और इस पर पतली धारियों में नरेन्द्र दामोदरदास मोदी काढ़ा गया था।

जुलूस के बाद सूट को पटेल के कार्यालय के स्वागत कक्ष में रख दिया गया। पटेल ने कहा कि वह देश के लिए कुछ करना चाहते हैं और इस नीलामी से उन्हें वह मौका मिल गया। करीब दस लाख रुपए कीमत के इस सूट ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था और विपक्षी दलों ने विशेषकर कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में मोदी के इस सूट को मुद्दा बनाया था।

जासूसी कांड :टाइपिस्ट 20 गुना सैलरी पर करता था काम

spyingनई दिल्ली – कॉर्पोरेट जासूसी कांड में फंसे पेट्रोलियम मंत्रालय के टाइपिस्ट को एक एनर्जी कंपनी ने 20 गुना ज्यादा सैलरी पर रखा था । यह टाइपिस्ट कोई और नहीं, जुबिलैंट एनर्जी में में कॉर्पोरेट ऐग्जिक्युटिव सुभाष चंद्रा हैं। जानकारी के मुताबिक उसने यह कंपनी जॉइन करने से पहले फर्जी एमबीए की डिग्री भी बनवा ली थी।

समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सुभाष चंद्रा 2011 तक पेट्रोलियम मंत्रालय में 8 हजार रुपये माहवार के वेतन पर टाइपिस्ट का काम करता था। वह मंत्रालय में अंडर सेक्रटरी के पीए के तौर पर तैनात था।

अखबार ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि 2011 में उसने टाइपिस्ट की नौकरी छोड़कर अगले साल जुबिलैंट एनर्जी में बतौर सीनियर ऐग्जिक्युटिव जॉइन किया था। यहां उसे 8 हजार से सीधे 1.5 लाख रुपये की सैलरी पर रखा गया था।

सुभाष चंद्रा ने 2008 में पेट्रोलियम मंत्रालय में टाइपिस्ट की नौकरी शुरू की थी। उस पर कॉर्पोरेट के कई अजेंट्स को सीक्रिट डीटेल्स लीक करने का आरोप है। पुलिस पूछताछ में चंद्रा ने बताया है कि उसकी कई अजेंट्स के साथ दोस्ती थी। इनके जरिए ही उसे जुबिलैंट एनर्जी में नौकरी पाने में मदद मिली थी।

सूत्रों के मुताबिक चंद्रा ने पेट्रोलियम मंत्रालय में अच्छा नेटवर्क बना लिया था। इसी के दम पर उसने जुबिलैंट एनर्जी में अच्छी पोजिशन हासिल की। अपने नेटवर्क के दम पर चंद्रा पेट्रोलियम मंत्रालय से खुफिया जानकारियां निकलवाता था और उसे अपने सीनियर्स को देता था।

सुभाष के अलावा पकड़े गए दो भाई राकेश कुमार और लालता प्रसाद ने भी 2012 तक पेट्रोलियम मंत्रालय में अस्थाई तौर पर काम किया था। इन दोनों पर डॉक्युमेंट्स लीक करने का आरोप है। इन्हें एक डॉक्युमेंट के लिए 5 से 10 हजार रुपये तक मिलते थे। इन दोनों ने भी कॉर्पोरेट के अजेंट बनने के लिए नौकरी छोड़ दी थी।

कलेक्टर बनने की तैयारी कर रहा था , बन गया किडनैपर

Untitled_0012 017खंडवा – खंडवा में ट्यूशन पढ़ाने वाले एक मास्टर ने मास्टर माइंड बनकर अपने साथियो से मिलकर 9 साल के बच्चे का अपरहण करवा लिया और 20 लाख की फिरोती मांगी। यह बच्चा इसी मास्टर के यहाँ टीयूशन पड़ने जाता था । पुलिस ने समय पर सक्रीय होकर चार आरोपियो को पकड़ा और बच्चे को सकुसल छुड़वा लिया। मास्टर युवक पी एस सी की तैयारी कर डिप्टी कलेक्टर बनना चाहता था और ट्यूशन फ़ीस  के लिए यह साजिश रची। दूसरा आरोपी सरपंच का चुनाव लड़ रहा है।

खंडवा के देशगाव में कल शाम एक 9 साल के बच्चे का अपरहण हुआ । बच्चा गांव में ही एक पड़े लिखे युवक के पास ट्यूशन पड़ने जाता था । जब रात दस बजे तक ट्यूशन से घर नहीं पंहुचा तो परिवार और गांव में हड़कंप मच गया । बच्चे के पिता होटल चलते है ।रात 11 बजे उन्हें एक फोन आया और बच्चे की सलामती के बदले 20 लाख की मांग की ।

बच्चे के पिता चंद्रशेखर पटेल ने पूरी बात पुलिस को बताई ।तुरंत ही पुलिस ने जाल बिछाया और अपरहणकर्ताओ की मोबाइल लोकेशन के आधार पर पिपल्लोद गांव के पास अमरावती रोड को घेर लिया। जहा अपने को घिरा देख  किडनैपर बच्चे को छोड़ भाग गए । बाद में पुलिस ने दो युवकों को पकड़ लिया ।

एस पी खंडवा महेंद्र सिंह सिकरवार ने बयता की इन दोनों से पूछताछ में जो जानकारी पुलिस को मिली वह बड़ी रोचक है । इस घटना क्रम में मुख्या मास्टर माइंड वाही मास्टर निकला जो बच्चे को ट्यूशन पढ़ाता था। किडनैपर मानसिंग नाम का यह युवक डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए mppsc की तैयारी कर रहा है और कोचिंग फी के लिए ही उसने यह साजिश रची ।

दूसरा आरोपी किडनैपर दवेंद्र गवली भी हरदा जिले के हंडिया गांव से सरपंच का चुनाव लड़ रहा है उसे भी चुनाव में पैसो की जरुरत थी । इस तरह दो जरुरत मंदो ने अपने साथियो के साथ मिलकर इस अपरहण की साजिश को अंजाम दिया लेकिन मुकाम तक पहुचने के पहले ही पुलिस के हाथ चढ़ गए।बच्चे ने बताया की आरोपी उसे गाड़ी पर बैठ कर जंगल में ले गए थे ।

पुलिस की इस तत्पर कारवाही के बाद आई जी ने पूरी टीम को 15 हजार रु का इनाम देने की घोषणा की । बच्चे के पिता ने भी पुलिस को मिठाई के साथ साथ 11 हजार रु का इनाम दिया ।

राज्यपाल राम नाईक बोले यूपी के हालात ज्यादा ही खराब

Ram-Naik-sworn-39497लखनऊ – राज्यपाल राम नाईक ने शुक्रवार को एक बार फिर सूबे की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि अपराध तो देशभर में होते हैं, मगर यूपी के हालात ज्यादा ही खराब हैं। यहां तक कि पुलिस स्टेशन में वारदातों के बाद अब न्यायालय में भी घुसकर हत्या हो रही है।

राज्यपाल राम मंदिर निर्माण मुद्दे पर संभल कर बोलते दिखे। कहा, सब चाहते हैं कि रास्ता जल्द निकाला जाए। मामला सर्वोच्च न्यायालय में है, ऐसे में या तो आम सहमति बने या सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार किया जाए। पेट्रोलियम मंत्रालय में जासूसी देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।

राज्यपाल श्री नाईक ने शुक्रवार दोपहर नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज के 16वें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सूबे के कानून-व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी की। कहा कि देश में सभी जगह अपराध होते हैं, मगर उप्र में कुछ ज्यादा ही हैं।

चोरी, डकैती, मारामारी के बाद पुलिस स्टेशन तक में बेखौफ घटनाएं हुईं। अब न्यायालय में भी हत्या की जा रही है। राम मंदिर मुद्दे पर कहा कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इस मसले का हल आपसी सहमति या फिर न्यायालय से ही निकलेगा। उन्होंने जल्द कोई न कोई हल निकल आने की उम्मीद जताई।
राज्यपाल राम नाईक का टकराव प्रदेश के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री आजम खां से लंबे समय से चल रहा है। आजम खां और राम नाईक दोनों ही इशारों इशारों में ही सार्वजनिक तौर पर एक-दूसरे पर निशाना साध चुके हैं। खुद को आजम खां से पीड़ित बताते हुए राम नाईक ने उनकी शिकायत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से करने की बात कही थी।

 

उधर आजम खां ने राज्यपाल को चार पेज का एक शिकायती पत्र लिखकर अपनी चिंताएं जाहिर की थी। आजम खां ने यह भी कहा था कि वह राज्यपाल बीजेपी के एक नेता की तरह प्रदेश में काम कर रहे हैं और उसकी शिकायत वह राष्ट्रपति से करेंगे। आजम खां और राज्यपाल के बीच टकराव का यह मसला उप्र की विधानसभा में भी गूंजा था।

 

 

 

 

 

अब कार्टून की दुनिया बड़ी हो गई : इस्माइल लहरी

Untitled_0010 006 (1)खंडवा – मसहूर कार्टूनिस्ट इस्माइल लहरी एक प्रोग्राम में शामिल होने खण्डवा पहुंचे इस अवसर पर हमारे संवाददाता जावेद खान  से हुई कार्टूनिस्ट इस्माईल लहरी से खास बातचीत  में उन्होंने अपने कही अनछुए पहलु साझा किए ।

मसहूर काटूनिस्ट इस्माइल लहरी खण्डवा के शासकीय संगीत कालेज के रुपसप्तक कार्यशाला में बतोर अथिति के तौर पर आए। लहरी खंडवा आकर बहुत खुस हुए उन्होंने कहा जैसे महिलाऐं अपने मायके आकर बहुत ख़ुश होती है वैसे मे भी बहुत ख़ुश हूँ।

लहरी निमाड़ के बड़वानी जिले के निवाली के रहने वाले है। वे बताते है की कार्टून विधि एक प्यारा सा  मजाक है एक चुटकी है और सकरात्मक सन्देश भी है। लहरी ने निमाड़ की काफ़ी तारीफ की उन्होंने कहा कि निमाड़ के लोग जमीनी होते है, और निमाड़ी लोग बिना चेहरा लगाए जीते है सत्य को करीब से जानते है, वह मानते है निमाड़ की  मिट्टी ने  ही  कार्टून विधि के लिए मुझे प्रेरित किया और धार भी इसी ने दी।

निमाड़ के लोगो को काटून की दुनिया में आना चाहिए , लहरी ने कहा पहले तो काटूनिस्ट अखबारों में नौकरी की तलाश में रहते थे ,लेकिन अब बहुत सी शंभावनाए है कार्टून की दुनिया अब बड़ी हो गई है।

अब टेलीविज़न पर जरुरत है विज्ञापनों में, सरकारी संदेश हो या अन्य विभाग , लगभग हर जगा कार्टून विधि माध्यम हो गई है, लहरी ने बताया की वह लगभग 30 सालों से कार्टून बना रहे है। लोगो का प्यार मिलता है अच्चा लगता है लोगो का प्यार और अपेक्षा मुझे और प्रेरित करती है ।

पाकिस्तान की शर्मनाक हार,1 रन पर ही खो दिए थे 4 विकेट

West Indies beat Pakistanक्राइस्टचर्च – जेरोम टेलर की घातक गेंदबाजी और रसेल के ऑलराउंडर प्रदर्शन की बदौलत वेस्ट इंडीज ने पाकिस्तान को वर्ल्ड कप के पूल बी के मैच में 150 रनों से हरा दिया। यह वर्ल्ड कप में इंडीज टीम की पहली जीत है। उसे अपने पहले मैच में आयरलैंड से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। जीत के लिए मिले 311 रन के टारगेट के जवाब में पाकिस्तान की पूरी टीम 160 रनों पर सिमट गई।

वेस्ट इंडीज की घातक गेंदबाजी के सामने पाकिस्तान का कोई भी बल्लेबाज टिककर नहीं खेल सका। सिर्फ उमर अकमल और शोएब मकसूद ही थोड़ा संघर्ष दिखा पाए और दोनों की हाफ सेंचुरी की बदौलत पाकिस्तान 39 ओवर तक संघर्ष करने में कामयबा रहा।

वर्ना एक समय तो पाकिस्तान ने 1 रन पर 4 और 25 रन पर 5 विकेट गंवा दिए थे और ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान की टीम 100 रन भी नहीं बना पाएगी। लेकिन इसके बाद मकसूद और अकमल ने छठे विकेट के लिए 80 रनों की साझेदारी करते हुए टीम को 100 रन के पार पहुंचा दिया। 105 रन के स्कोर पर मकसूद के 50 रन बनाकर आउट होने के बाद टीम को ऑल आउट होते देर नहीं लगी और पूरी टीम 160 रन पर पविलियन लौट गई।

इससे पहले 311 रन के टारगेट के जवाब में पाकिस्तान की शुरुआत निराशाजनक रही और जेरोम टेलर ने अपने पहले 2 ओवरों में 1 रन देकर 3 पाकिस्तानी बल्लेबाजों को बिना खाता खोले ही आउट करके पाकिस्तानी बैटिंग टॉप ऑर्डर को तहस-नहस कर दिया। आलम यह था कि 25 रन तक पाकिस्तान की आधी टीम पविलियन लौट चुकी थी। पाकिस्तानी पारी का पहला चौका 10वें ओवर में मकसूद ने लगाया।

इससे पहले आखिरी ओवरों में आंद्रे रसेल की तूफानी बैटिंग की बदौलत वेस्ट इंडीज ने पाकिस्तान के खिलाफ वर्ल्ड कप के पूल बी के मैच में 50 ओवरों में 6 विकेट पर 310 रन का बड़ा स्कोर बनाया। रसेल ने पाकिस्तानी गेंदबाजी की धज्जियां उडा़ते हुए महज 13 गेंदों पर ही 3 चौकों और 4 छक्कों की मदद से 42 रन ठोक डाले।

अंतिम ओवरों में वेस्ट इंडीज के बल्लेबाजों, खासकर रसेल और सिमंस ने ताबड़तोड़ अंदाज में बैटिंग की और आखिरी 10 ओवरों में वेस्ट इंडीज ने 115 रन बनाए। इनमें से 89 रन तो आखिरी 6 ओवरों में बने।

सिमंस ने भी एक छोर से अच्छी बल्लेबाजी की और पारी की आखिरी गेंद पर आउट होने से पहले उन्होंने 46 गेंदों पर 4 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 50 रन बनाए। आखिरी ओवरों में पाकिस्तान की खराब फील्डिंग ने भी वेस्ट इंडीज का काम आसान कर दिया। रसेल ने 13 गेदों में 42 रन की पारी खेली जिसमें 3 चौके और 4 छक्के शामिल थे। रसेल का स्ट्राइक रेट 323.08 का रहा।

इसके साथ ही ड्वेन ब्रावो (49) और विकेटकीपर दिनेश रामदीन (51) भी वेस्ट इंडीज की टीम के लिए काफी प्रभावी साबित हुए। ड्वेन ब्रावो अपनी पारी पूरी नहीं कर सके और रिटायर हर्ट होकर उन्हें बाहर जाना पड़ा।

इससे पहल आज पाकिस्तान ने टॉस जीता और वेस्ट इंडीज को पहले बैटिंग के लिए बुलाया। वेस्ट इंडीज की शुरुआत अच्छी नहीं रही और गेल इस मैच में भी फेल हो गए और सिर्फ 4 रन बनाकर मोहम्मद इरफान का शिकार बने। इसके बाद 28 रन के स्कोर पर डेरेन स्मिथ भी 23 रन बनाकर सोहेल खान की गेंद पर आउट हो गए।

इंडीज का तीसरा विकेट सैमुअल्स के रूप में 104 रन पर गिरा। सैमुअल्स ने 38 रन बनाए। इसके बाद 149 रन के स्कोर ब्रावो 49 रन बनाकर रिटायर्ड हर्ट हो गए। 194 रन के स्कोर पर दिनेश रामदीन 51 रन बनाकर आउट हुए। इसके बाद सैमी और सिमंस ने पांचवें विकेट के लिए 65 रन जोड़े। सैमी 265 के स्कोर पर 30 रन बनाकर आउट हुए। इसके बाद छठे विकेट के लिए सिमंस और रसेल ने सिर्फ 2.5 ओवरों में ही 51 रन जोड़ डाले और वेस्ट इंडीज को 50 ओवरों में 6 विकेट पर 310 रन तक पहुंचा दिया।

शुरू में अच्छी गेंदबाजी करने वाले पाकिस्तान के गेंदबाजों की बाद में जमकर धुनाई हुई और उन्होंने अंतिम 6 ओवरों में 89 रन लुटा डाले। सिर्फ मोहम्मद इरफान (10 ओवर में 44 रन देकर 1 विकेट) ने ही कुछ हद तक अच्छी गेंदबाजी की। बाकी के गेंदबाज काफी महंगे साबित हुए। पाकिस्तान के लिए हारिस सोहेल ने 2 जबकि सोहेल खान और वहाब रियाज ने 1-1 विकेट लिया।

केजरीवाल को अन्ना के मंच पर नहीं मिलेगी जगह

Anna addresses the mediaनई दिल्ली – अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल को अपने आंदोलन में शामिल होने की इजाजत तो दे दी है लेकिन स्पष्ट कर दिया है कि मंच पर उनके लिए कोई जगह नहीं होगी।

अन्ना ने बताया कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कई बार आंदोलन में जुड़ने का अनुरोध कर चुके हैं। उन्होंने उन्हें सहयोग करने के लिए कह दिया है, लेकिन जंतर-मंतर पर जब यात्रा पहुंचेगी, तो उन्हें मंच पर नहीं आने दिया जाएगा।

हजारे ने कहा कि नेता बनने में कोई दोष नहीं है, बशर्ते राजनीति सेवा भाव से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह मौत से नहीं डरते, इसलिए सरकार जब भी उन्हें सिक्युरिटी देने की बात कहती है, तो वे मना कर देते हैं। अन्ना ने कहा, ‘अगर सिक्युरिटी से ही मौत रुक जाती, तो देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व राजीव गांधी की हत्या नहीं होती।’

उन्होंने कहा कि जब केंद्र की सरकार बनी तो कहा गया कि अच्छे दिन आ गए, लेकिन हकीकत में अच्छे दिन पैसे वालों के लिए आए हैं। गरीबों के लिए नहीं। सरकार किसानों की जमीन को उद्योगपतियों को देने की योजना बना रही है। इसके खिलाफ 23 व 24 फरवरी को जंतर-मंतर पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

भूत का डर,कोर्ट 9 महीनों से बंद

Fear-of-deathमैसूर – भूत होने के डर से मैसूर में एक कोर्ट हॉल लगातार 9 महीनों से बंद है। इसके खिलाफ वकीलों ने विरोध भी किया लेकिन भूत का डर खत्म नहीं हुआ है। मई 2014 से ही यह कोर्ट हॉल बंद पड़ा है। इस हॉल में फर्स्ट अडिशनल सेशन जज बैठते थे। इस कोर्ट हॉल में कई अहम और सनसनीखेज मुकदमों पर फैसले सुनाए गए। यह हॉल कोर्ट परिसर के प्रवेश द्वार पर है। अब इस हॉल को टूटी कुर्सियों और टेबल्स का स्टोररूम बना दिया गया है।

सूत्रों मे मुताबिक इस कोर्ट की ‘भुतहा पहचान’ एक जज की सड़क हादसे में मौत के बाद बनी। पिछले साल जज इस हॉल में अदालत लगाकर निकले थे और उनकी सड़क हादसे में मौत हो गई थी। डिस्ट्रिक्ट सेशन जज हॉल इस बंद हॉल के दाएं साइड में ऊपर है। यह दिलचस्प है कि कोर्ट अथॉरिटी इस हॉल को अब भी खोलने पर राजी नहीं है और न ही यहां किसी जज की अदालत लगवाई जा रही है। कोर्ट अथॉरिटी भूत की अफवाह से आक्रांत है और इस हॉल को खोलना संकट से मोल लेने की तरह समझ रही है।

सूत्रों का दावा है कि ज्योतिषी ने कोर्ट हॉल को बिना खास पूजा और हवन की प्रक्रिया संपन्न कराए बंद रखने की सलाह दी है। ज्योतिषी के मुताबिक बुरी आत्मा से इस हॉल को मुक्त कराने के लिए स्पेशल पूजा जरूरी है। मैसूर बार असोसिएशन के करीब 90 वकीलों ने भूत की अफवाह की निंदा करते हुए इस मामले में जांच करने की मांग की है। इन वकीलों ने प्रेस नोट में कहा है, ‘इस हॉल में कई अहम फैसले सुनाए गए हैं। कुछ शरारती तत्वों ने एक जज की मौत को अंधविश्वास से जोड़कर भूत की अफवाह फैला दी।’

वकीलों ने बार असोसिएशन और डिस्ट्रिक्ट सेशन जज से अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। सीनियर वकीलों ने इस हॉल को फिर से नहीं खोले जाने पर हैरानी जतायी है। एक सीनियर वकील ने कहा, ‘अफवाहों का बाजार गर्म है लेकिन मुझे हॉल बंद करने की असली वजह का पता नहीं है। सीनियर वकील एचएस वेंकटेश ने कहा कि जज की मौत को अंधविश्वास से जोड़ना वकीलों और जजों की कम्युनिटी के लिए खतरनाक है। मैसूर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के प्रशासक टीसी नागाराजू ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में बोलने का अधिकार नहीं रखते।

जीत के जश्न में वाजपेयी आडवाणी की फोटो पर डाली माला

atal-advani-garland_रायगढ़ – लैलुंगा जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के शपथ ग्रहण समारोह के बाद लोग उस वक्त भौंचक्क रह गए, जब जनपद उपाध्यक्ष कार्यालय में भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं लालकृष्ण आडवाणी की फोटो पर माला डाल दिया गया।

जीत की खुशी में नेताओं को इस बात का इल्म भी नहीं हुआ कि वे अभी भी जीवित हैं। जबकि किसी के मरने पर ही उसके चित्र पर माला पहनाया जाता है। ये फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। अब स्थानीय भाजपा नेता मीडिया के सवालों पर कन्नी काट रहे हैं व कांग्रेस इसी बहाने भाजपा पर निशाना साधकर भाजपा में मोदी युग आने की बात कर रहे हैं।

भाजपा नेता जनपद पंचायत की जीत की खुशी में इस कदर मशगुल थे कि उन्हें यह भी याद नहीं रहा कि जीते जी किसी के चित्र पर माला नहीं चढ़ाई जाती। लेकिन उत्साही नेताओं ने जीत की खुशी का इजहार करते हुए एक फोटो फेसबुक और वाट्सअप में डाल दिया, लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि उनके पीछे देश के दो दिग्गज भाजपा नेताओं की फोटो लगी थी जिस पर माला डला हुआ था।

इस मामले पर अब भाजपा नेता कन्नी काटते नजर आ रहे हैं। मामला देश के दो वरिष्ठ भाजपा नेताओं का है। जिसमें से एक पूर्व प्रधानमंत्री तो दूसरा उप प्रधानमंत्री के पद पर सुशोभित रह चुका है। जिले में त्रि-स्तरीय चुनाव के बाद लैलूंगा जनपद पंचायत चुनाव में उपाध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद स्थानीय नेता समर्थकों के साथ फोटो खिंचवाकर फेसबुक व वाट्सअप पर अपलोड कर दिया। देखते ही देखते फेसबुक पर कमेंट का दौर शुरू हो गया और वाट्सअप पर भी यह फोटो तेजी से लोगों के बीच वायरल हो गई।

इससे कुछ दिन पहले ही ट्रैफिक विभाग ने हेलमेट जागरूकता अभियान के तहत जारी फोटो में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गड़करी का मजाक उड़ाया था। मीडिया में खबर आने के बाद ट्रैफिक डीएसपी को कारण बताओ नोटिस दिया गया व तत्कालीन ट्रैफिक टीआई को निलंबित कर दिया गया। इस मामले में इतना होने के बाद यहां के भाजपा नेताओं ने अपने ही वरिष्ठ भाजपा नेताओं के चित्र पर माला पहना दिया।

कांग्रेस ने कहा की वैसे तो भाजपा में मोदी युग आने के बाद वरिष्ठ नेता अपनी आभा खोने लगे हैं। इनके कार्यकर्ता जब अपने वरिष्ठों का सम्मान नहीं कर सकते तो वे जनता का क्या सम्मान करेंगे। उन्हें तो जीत का खुमार कुछ इस तरह चढ़ा है कि अपनी पार्टी के वरिष्ठों को जीते जी स्वर्ग पहुंचा दिया है। फोटो वाट्सअप में मैंने भी देखी है और उनकी मानसिकता पर तरस आ रहा है। कैसे हैं वे नेता जो अपने वरिष्ठ के सम्मान की जगह अपमान पर उतारू हैं।

विश्वासमत में मांझी का समर्थन करेंगी बीजेपी

Shahnawaz-Hussainपटना – बिहार विधानसभा में शुक्रवार को होने वाले जीतनराम मांझी के शक्ति परीक्षण से पहले राजनीतिक खेमेबंदी तेज हो गई है। बीजेपी ने बिहार विधानसभा में विश्वासमत के दौरान मांझी के समर्थन का ऐलान किया है। बीजेपी ने इसके संकेत पहले ही दे दिए थे, शाम को हुई बीजेपी के विधायक दल की बैठक में सुशील मोदी ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी। इससे पहले बीजेपी के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा था कि पार्टी के विधायक मांझी के समर्थन के पक्ष में हैं ।

शाहनवाज हुसैन ने नीतीश कुमार पर एक महादलित का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि महादलित समुदाय से आने वाले जीतनराम मांझी को जेडी (यू) अपमानित कर रही है। यह सही नहीं है। बीजेपी इसका समर्थन नहीं करेगी।

उन्होंने कहा कि शुक्रवार को होने वाले विश्वासमत पर बीजेपी के विधायकों से बात की गई। बीजेपी के विधायकों का कहना था कि पार्टी को मांझी का समर्थन करना चाहिए।

शाहनवाज ने बिहार विधानसभा में बीजेपी से मुख्य विपक्षी दल का दर्जा छीनने के स्पीकर के फैसले पर भी सवाल उठाए। स्पीकर को जेडीयू का एजेंट बताते हुए शाहनवाज ने कहा कि स्पीकर कार्यालय जेडी (यू) का दफ्तर बन गया है।

शाहनवाज ने इस सवाल पर कि जब बीजेपी मांझी के समर्थन में खड़ी दिखाई दे रही है, ऐसे में वह विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का दावा कैसे कर सकती है पर नीतीश को राष्ट्रपति चुनाव की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में नीतीश ने एनडीए के रुख से अलग यूपीए का साथ दिया था, लेकिन इससे वह सत्ता पक्ष में नहीं बैठने लगे थे।

वोट नहीं दे सकेंगे बागी जेडी (यू) विधायक: इसी बीच बिहार हाई कोर्ट ने मांझी को बड़ा झटका देते हुए चार बागी जेडी (यू) विधायकों के शुक्रवार को विश्वासमत के दौरान वोटिंग करने पर रोक लगा दी है।

शियोमी, आसुस, मोटोरोला मोबाइल फोन का धमाका ऑफर

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शियोमी, आसुस, मोटोरोला, ओबी जैसे मोबाइल फोन ब्रांडों द्वारा भारत में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश के बीच इस साल देश में मोबाइल फोन के 1,400-1,500 नए मॉडल पेश किए जा सकते हैं। यह बात आज 91मोबाइल डाट कॉम की एक रपट में कही गई। रपट में कहा गया ‘‘हमें 2015 में मोबाइल फोन के करीब 1,400-1,500 मॉडल पेश होने की उम्मीद है जो 2014 के मुकाबले करीब 20 प्रतिशत अधिक है।’’

पिछले साल कुल 1,137 फोन पेश किए गए थे, जबकि 2013 में 957 मॉडल पेश किए गए थे। मोबाइल फोन व गैजेट से जुड़ी अनुसंधान और तुलनात्मक वेबसाईट के पास 20,000 से अधिक उपकरणों का डाटाबेस है और उसका दावा है कि 2014 में चार करोड़ लोगों ने उसकी वेबसाइट देखी। कंपनी ने कहा ‘‘यह रुझान बरकरार रहेगा क्योंकि शियोमी, मोटोरोला, आसुस, ओबी जैसे नए ब्रांड भारतीय बाजार में अपनी मौजूदगी बढ़ाएंगे जबकि पहले से परिचालन कर रहे ब्रांड कई उपकरण पेश कर कड़ी टक्कर देंगे।’’ रपट में कहा गया कि 2013 और 2014 में दूसरी या तीसरी बार स्मार्टफोन खरीदने वाले ग्राहकों को मंहगे उपकरण की ओर रुख करते देखा गया।

 

बीजेपी नेता पर महिला प्रोफेसर से रेप का आरोप

 mp gangrep in ujjain नई दिल्ली – दिल्ली के पूर्व एमएलए और बीजेपी नेता एससी वत्स पर एक असिस्टेंट प्रफेसर ने रेप का आरोप लगाया है। इस मामले में बीजेपी नेता के खिलाफ रेप की एफआईआर दर्ज की गई है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि नेता ने अपने कॉलेज विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ प्रफेशनल स्टडीज ( VIPS) के चैंबर में बुलाकर उसके साथ रेप किया, तब वह कॉलेज में बतौर असिस्टेंट प्रफेसर काम कर रही थीं। एफआईआर में रेप के अलावा जान से मारने की धमकी देने का भी आरोप है।

शिकायतकर्ता ने पूर्व विधायक का कॉलेज 29 जुलाई 2013 को जॉइन किया था। अपने स्टेटमेंट में पीड़िता ने कहा है कि पूर्व एमएलए ने 22 अगस्त 2013 को उन्होंने अकेला समझकर हग किया। फिर 18 अक्टूबर को अपने चैंबर में बुलाया, हाथ पकड़कर चेयर पर बिठा दिया और जबरन शादी का दबाव बनाया। उसने इसका विरोध से मना किया तो जबरन उसे किस किया। चीखने-चिल्लाने पर जान से मरवाने की धमकी दी। जब युवती ने बचने और भागने की कोशिश की तो वत्स ने धमकी दी कि यह उसका कॉलेज है और वह उसे कॉलेज से बाहर जिंदा नहीं जाने देगा।

युवती ने कहा है कि वत्स ने उनका चेहरा देखकर उन्हें काम पर रखा था। उन्हें रखने से पहले उनका इंटरव्यू तक नहीं लिया गया। अपनी शिकायत में पीड़ित य़ुवती ने कहा है कि जब वह किराए के लिए कमरा देखने लगीं तो वत्स ने उन्हें अपने घर में रुकने का न्योता दिया था, जहां वह अकेले रहता था।

युवती ने कहा है कि जब उसने वत्स के साथ रहने से इनकार किया तो वह देर रात उसे फोन करने लगा और एसएमएस भेजने लगा। बाद में पीड़िता को टर्मिनेट कर दिया गया। इस सिलसिले में जब आरोपी नेता को फोन किया गया तो उनका फोन बंद मिला। इस मामले में बुधवार को एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्षों में समझौता हो गया है। हालांकि, पीड़ित लड़की के वकील ने किसी समझौते से इनकार किया है।

बिहार में घमासान:जदयू को मुख्य विपक्षी दल का दर्जा

bihar-politics-jdu_पटना – बिहार में सीएम की कुर्सी को लेकर मचे घमासान के बीच विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने मांझी सरकार के विश्वास मत साबित करने के एक दिन पहले जदयू के विजय चौधरी को विपक्षी दल के नेता के तौर पर मान्यता दे दी है। इसके साथ ही उन्होंने जदयू को मुख्य विपक्षी दल का दर्जा दे दिया है।

इस बीच जदयू के एक विधायक शर्फुद्दीन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि उन्हें मांझी के समर्थन में वोट करने के लिए पद और पैसे का लालच दिया गया। जदयू विधायक ने आरोप लगाया कि उन्हें यह लालच राजद के सांसद पप्पू यादव ने फोन पर दिया और उनसे जीतनराम मांझी की भी बात करवाई थी। हालांकि, पप्पू यादव ने इस आरोप से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे तो आरोप लगाने वाले विधायक को जानते भी नहीं हैं तो लालच देने की बात कहां से सामने आ सकती है।

स्पीकर के इस फैसले के खिलाफ भाजपा विधायकों ने स्पीकर के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया और मार्शल के साथ धक्का-मुक्की की। भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा कि उनकी पार्टी मांझी को समर्थन देने पर विचार कर रही है लेकिन अभी इस पर फैसला नहीं हो पाया है।

माना जा रहा है कि स्पीकर के इस फैसले से मांझी सरकार के विश्वास मत हासिल करने के दौरान जदयू को अपने विधायकों को एकजुट रखने में मदद मिलेगी और सभी विधायक सरकार के खिलाफ वोट करेंगे।

विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान सदन में बैठने की व्यवस्था और जदयू के विपक्ष में बैठने की मांग के आवेदन पर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी और इस बैठक में भी हंगामा देखने को मिला।

99 प्रतिशत कथावाचक चरित्रहीन : महाराज

shaktiputra-maharajभोपाल – नशामुक्ति महाशंखनाद के चौथे दिन बुधवार को जंबूरी मैदान पर योगीराज शक्तिपुत्र महाराज ने कहा कि आज सबसे बड़ा पतन कथा वाचकों का हुआ है। मैंने अपने ध्यान साधना के जरिए जाना है कि 100 में 99 प्रतिशत कथावाचक चरित्रहीन हैं। इन्होंने अगर अपने हृदय में राम व कृष्ण को बिठाया होता तो हाथ में रत्न व अगूंठियों को धारण न कर रहे होते।

उन्होंने कहा कि एक बार ऐसा धर्म सम्मेलन आयोजित किया जाए, जिसमें समस्त धर्माचार्य, शंकराचार्य, योगाचार्य सहित बुद्धिजीवी वर्ग उपस्थित हों और उनका वैज्ञानिक परीक्षण हो। ताकि समाज समझ सके सत्यधर्म किसके पास है। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम इस वैज्ञानिक परीक्षण से गुजरने के लिए मैं तैयार हूं। एक बार वो सभी मेरे तपबल का सामना करें। अगर कोई भी मेरे तपबल को झुका देगा तो मैं अपना सर काट कर उसके चरणों में चढ़ा दूंगा।

गुरुवर ने कहा कि समाज कल्याण के लिए समाज को तीन धाराएं प्रदान की हैं। भगवती मानव कल्याण संगठन, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम व भारतीय शक्ति चेतना पार्टी। इन तीन धाराओं के माध्यम से मानव कल्याण, धर्म रक्षा व राष्ट्र सेवा करना है।

गुरुवर ने कहा कि प्रकृति का मूल शब्द मां है। आज का मनुष्य वेद-पुराणों एवं उपनिषदों के अर्थ को समझ ही नहीं पा रहा। जीवन के सार को कभी धर्मग्रंथों में समाहित किया ही नहीं गया। वह ऋषियों की परंपरा से संचालित है। धर्मग्रंथ हमें कभी रटना नहीं सिखाते। धर्मग्रंथों के संदेशों पर आचरण करके ही मानव का कल्याण हो सकता है।

जंबूरी मैदान में आयोजित नशामुक्ति महाशंखनाद में महाराज ने करीब 25 हजार लोगों को नशामुक्त, मांसाहारमुक्त एवं चरित्रवान रहने का संकल्प दिलाकर गुरु दीक्षा प्रदान की। महाराज ने कहा कि अगर देना ही चाहते हो तो मुझे अपने अवगुण समर्पित कर दो। जाति, धर्म, ऊंच-नीच, गरीब-अमीर समभाव से मुझसे गुरुदीक्षा प्राप्त कर सकते हैं।

कार्यक्रम स्थल पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पहुंचे। उन्होंने महाराज से कहा कि शराब की दुकानों पर मेरे द्वारा पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है। अब उसके साथ-साथ शराब बनने वाले कारखानों को नहीं खोला जाएगा। मुख्यमंत्री ने अवैध शराब की बिक्री पर पूर्णतः रोक एवं अपराधियों पर कार्रवाई की बात कही। साथ ही उन्होंने संगठन की विचारधारा के साथ किसी एक क्षेत्र को मॉडल रूप में लेकर वहां नशामुक्ति के प्रयोग के आधार पर पूरे प्रदेश में इस अभियान को संचालित करने की सहमति प्रदान की।

उन्होंने कहा कि मप्र में कोई भी कारखाना मांसाहार के निर्यात के लिए नहीं खोला जाएगा। इतने व्यापक स्तर पर नशामुक्ति के अभियान को चलाने के लिए उन्होंने महाराज को धन्यवाद दिया। संगठन की केन्द्रीय अध्यक्ष बहन पूजा योगभारती, बहन संध्या एवं ज्योति योगभारती ने संगठन की ओर से नशामुक्त प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।

दूसरी औरत से नाजायज संबंध पत्नी के लिए क्रूरता नहीं

scनई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पति का दूसरी औरत के साथ नाजायज संबंध हर मामले में पत्नी के लिए क्रूरता नहीं है और इसे पत्नी की आत्महत्या के लिए उकसावा भी नहीं माना जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के एक मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही। दरअसल, पति और पत्नी के संबंधों में खटास आ जाने के बाद वे तलाक के बारे में सोच रहे थे। इस बारे में महिला ने अपनी बहन को भी बताया था कि उसकी शादी टूट रही है। पत्नी ने कहा था कि वह अपने पति का घर छोड़ देगी। हालांकि, पत्नी ने बाद में जहर खाकर अपनी जान दे दी।

इस मामले में महिला के परिजनों ने पति और उनके घर वालों पर क्रूरता का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि पति के नाजायज संबंध के चलते ही महिला ने आत्महत्या की है। ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने इस मामले में पति को दोषी माना था।

पति के वकील एचए रायचूरा ने इस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। उनकी अपील एसजे मुकोपाध्याय और दीपक मिश्रा की बेंच ने सुनी। बेंच ने मामला सुनने के बाद कहा कि मामले में दहेज की मांग नहीं की गई है। सबूतों के मुताबिक पति के दूसरी औरत के साथ नाजायज संबंध होने से मृतक महिला तकलीफ में थी। क्या ऐसी स्थिति को आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता माना जाएगा?

बेंच ने कहा कि पति और पत्नी एक ही घर में अलग-अलग रहने लगे थे। नाजायज संबंधों के कुछ सबूत हैं और अगर यह साबित भी हो जाता है, तो हम नहीं समझते कि यह आईपीसी की धारा 498ए के तहत आने वाली क्रूरता है। यह साबित करना मुश्किल होगा कि मानसिक क्रूरता इस हद तक थी कि उसने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसा दिया।

जस्टिस मिश्रा ने कहा कि जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा है, महज विवाहेत्‍तर संबंध साबित भी हो गया तो यह गैर कानूनी और अनैतिक ही होगा। अगर अभियोजन पक्ष यह सबूत जुटा सके कि आरोपी ने यह सब ऐसे किया कि पत्नी आत्महत्या के लिए प्रेरित हो गई तो यह दूसरा मामला होगा।

बेंच ने कहा कि इस मामले में आरोपी का नाजायज संबंध हो सकता है। हालांकि, सबूतों के अभाव में यह साबित नहीं होता कि यह अत्यधिक मानसिक क्रूरता का मामला था। 498 ए के मुताबिक ऐसी क्रूरता, जो किसी महिला को आत्महत्या के लिए उकसा सके।  

मोदी-शाह की कार्यशैली पर उठाए सवाल, छोड़ी बीजेपी

Pradyut Boraनई दिल्ली – बीजेपी की नैशनल एग्ज़ेक्युटिव कमिटी और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाले असम के युवा नेता प्रद्युत बोरा ने कहा है कि उन्होंने सरकार और पार्टी में लोकतांत्रिक परंपरा खत्म होने की वजह से यह कदम उठाया है। 4 पन्नों के अपने इस्तीफे में बोरा ने पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रेजिडेंट अमित शाह की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। बोरा ने अमित शाह को अहंकारी और मोदी को अलोकतांत्रिक कहा है।

बीजेपी में रहे बोरा की अहमियत इससे समझी जा सकती है कि उन्हें ही 2007 में पार्टी का इन्फर्मेशन सेल बनाने का जिम्मा दिया गया था और उन्हें इसका नैशनल कन्वीनर भी बनाया गया था।
बोरा ने कहा है कि बीजेपी अब दूसरी पार्टियों से अलग नहीं रही। उन्होंने बीजेपी प्रेजिटेंड अमित शाह को इस्तीफा भेजने के बाद  कहा, ‘बीजेपी में एक किस्म का पागलपन समा गया है। किसी भी कीमत पर जीतने की सनक ने पार्टी के बुनियादी मूल्यों को नष्ट कर दिया है।’

बोरा ने शाह के बारे में कहा कि वह बहुत ही सेंट्रलाइज्ड तरीके से फैसले करते हैं। इससे कई पार्टी अधिकारियों को यह लगता है कि उनके पास कोई अधिकार ही नहीं रह गए हैं। बोरा ने कहा, ‘किसी भी संगठन में नेता की शैली को उसके नीचे के लोग तुरंत कॉपी करते हैं। कम से कम अपने प्रदेश में तो मैं कई जूनियर अमित शाहों को देख रहा हूं, जिनमें आम कार्यकर्ताओं के मुकाबले क्षमता भले ही 10 गुनी कम हो, लेकिन उनका अहंकार 10 गुना ज्यादा है।’

बोरा ने कहा है, ‘सरकार में भी लोकतंत्र नहीं रह गया है। मोदी ने इस देश की बेहतरीन लोकतांत्रिक परंपरा को डैमेज कर दिया है।’ उन्होंने अपने लेटर में लिखा है, ‘विदेश मंत्री तक को पता नहीं होता कि विदेश सचिव को हटाया जाने वाला है। कैबिनेट मिनिस्टर अपने ओएसडी तक नियुक्त नहीं कर सकते। सारे अधिकार पीएमओ को दे दिए गए हैं। क्या देश में कैबिनेट सिस्टम बचा है? मोदी ने इस देश की बेहतरीन लोकतांत्रिक परंपरा को डैमेज कर दिया है। कोई भी राष्ट्रीय पदाधिकारी और सांसद इस बारे में मोदी जी से सवाल करने का साहस नहीं कर सकता है।’

आईआईएम- अहमदाबाद से पढ़कर निकले बोरा ने बताया, ‘मैंने 2004 में बीजेपी जॉइन की थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने जिस तरह 24 दलों का गठबंधन चलाया, उससे मैं प्रभावित था।’

बोरा ने कहा, ‘देश को एक अलग तरह के राजनीतिक विकल्प की जरूरत है। या तो बीजेपी वैसी बने या लोग विकल्प तलाश लेंगे।’ उन्होंने बताया कि उन्हें आप, कांग्रेस और असम गण परिषद की असम ईकाइयों से ऑफर मिले थे, लेकिन वह उनके साथ नहीं जाना चाहते हैं।

एमपी:बजट सत्र के दौरान हंगामा,कांग्रेसियों पर चली लाठी

Budget session commotion, Congress went on sticksभोपाल – बुधवार से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होना था लेकिन, सत्र की औपचारिक शुरुआत के साथ ही 10 मिनट बाद सेशन स्थगित कर दिया गया। कांग्रेसी विधायकों के हंगामे के चलते राज्यपाल ने अपनी अभिभाषण की पहली और आखिरी लाइन ही पढ़ी जिसे ही उनका संपूर्ण भाषण मान लिया गया। कांग्रेस ने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान ही सदन का बहिष्कार कर दिया।

बमुश्किल 10 मिनट चले सत्र में कांग्रेसी विधायकों ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष में बैठे लोगों ने राज्यपाल पर आरोप लगाए और उनके इस्तीफे की मांग की।

सत्र के स्थगन के बाद आज पूरे दिन राजधानी में राजनैतिक गहमागहमी बनी रही। इस बीच केंन्द्रीय मंत्री उमाभारती भी राज्यपाल से मिलने राजभवन गईं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री के आवास पर प्रदेश प्रभारी और सूबे के तमाम मंत्रियों की बैठक हुई जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विशेष अन्वेषण टीम (एस.आई.टी.) से संविदा शाला शिक्षक-2, संविदा शाला शिक्षक-3 तथा सहायक ग्रेड-3 की व्यापमं द्वारा ली गयी परीक्षा के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा की गयी शिकायत की तत्काल जाँच का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री चौहान ने इस संबंध में एस.आई.टी. के अध्यक्ष को पत्र लिखा है।

मुख्यमंत्री ने पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा की गयी शिकायत, जिसमें संविदा शाला शिक्षक दो तथा तीन एवं सहायक ग्रेड-3 की व्यापमं द्वारा ली गयी परीक्षा के संबंध में किये गये अन्वेषण पर प्रश्न उठाया गया है साथ ही अप्रमाणित एक्सेल शीट प्रस्तुत की गयी है, जिसमें 47 जगह सीएम दर्ज होने का दावा किया गया है, की तत्काल जाँच का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इस भ्रामक शिकायत की तत्काल जांच से प्रदेश की जनता को सत्यता ज्ञात हो सकेगी।

सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कांग्रेसियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने पानी की बौछार और हल्‍के बल प्रयोग का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही, प्रदर्शन कर रहे प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष और युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सहित कई अन्‍य नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया गया है। पुलिस के बल प्रयोग से कई कांग्रेसियों के चोटिल होने की भी सूचना है, जो उपचार करान हमीदिया अस्पताल गए हैं। घायलों का हाल जानने कांग्रेस के विधायक भी पहुंचे।

नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे की अध्यक्षता में कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में हुई विधायक दल की मीटिंग में फैसला लिया गया कि वे सदन की कार्यवाही बाधित नहीं करेंगे। सदन को शांतिपूर्वक चलने देंगे। लेकिन, इस दौरान सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह मुख्यमंत्री का इस्तीफा तब तक मांगा जाएगा जब तक कि वे अपना इस्तीफा नहीं दे देते।

भाजपा -पीडीपी सरकार के गठबंधन में रोड़ा बना संघ

mufti-mohammad_amit-shahजम्मू – जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी सरकार बनाने की कोशिश एक बार फिर खटाई में पड़ती नजर आ रही है। दोनों दलों के बीच चल रही वार्ता में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आड़े आ रहा है।

सूत्रों के मुताब‌िक पीडीपी की शर्तों पर संघ परिवार में मतभेद है। संघ ने सैद्धांतिक मसलों पर भाजपा को न झुकने की नसीहत भी दी है, जिससे पार्टी असमंजस में है। अफस्पा की एक साल में वापसी और अनुच्छेद 370 पर लिखित रूप में यथास्थिति को स्वीकार करने जैसे मुद्दे संघ परिवार पचा नहीं पा रहा है।

संघ की नसीहत के मद्देनजर भाजपा ने विवादास्पद मुद्दों को परे रखकर विकास के मुद्दे पर न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने की पहल की थी लेकिन अब पीडीपी ने इस फार्मूले को खारिज कर दिया है।

पीडीपी सूत्रों के मुताबिक अफस्पा की एक साल में वापसी, अनुच्छेद 370 पर यथास्थिति, पाकिस्तान से वार्ता और हुर्रियत से अलग बातचीत जैसे मुद्दे किसी कीमत पर छोड़े नहीं जा सकते। वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजियों को नागरिकता का भी पीडीपी विरोध कर रही है। इसके अलावा पीओके से तमाम बंदिशें हटाने की शर्त है।

दिल्ली में हार के बाद भाजपा आलाकमान जम्मू कश्मीर में जल्द सरकार गठन करना चाहता है। भाजपा का मानना है कि इससे देश भर के कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हो सकता है।

अगर किसी सूरत में भाजपा सरकार में शामिल नहीं होती है तो भाजपा को भारी नुकसान का खतरा है। लिहाजा भाजपा गठबंधन पर लचीला रुख अपना कर चल रही थी। पीडीपी को संतुष्ट करने के लिए पार्टी ने रोटेशनल सीएम का दावा भी छोड़ दिया था।

खंडवा में अब बिकने लगी हवा

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खंडवा – पानी के निजीकरण के खिलाफ आंदोलनों एवं प्रदेश स्तरीय बैठकों में नागरिकों को जागरूक करने के लिए कई विद्वान अपने उद्बोधन में आगाह करते हैं कि जागो, नहीं तो एक दिन सरकारें हवा भी बेचने लगेंगी।

शासन ने तो खैर अभी इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं लिया है, लेकिन नगर के एक शॉपिंग काम्पलेक्स मालिक ने लगभग 7 लाख रूपए में 80 क्यू. मीटर हवा बेच दी। उक्त जानकारी देते हुए समाजसेवी मनोहर शामनानी ने बताया कि इसका खुलासा एक सप्ताह पूर्व ही हुआ है। हुआ यूं कि रामगंज क्षेत्र के एक शॉपिंग काम्पलेक्स में एक व्यवसायी ने एक दुकान लगभग 7 लाख रूपए में खरीदी थी। बिक्री पत्र संपादित करते समय काम्पलेक्स मालिक ने इस दौरान एक शर्त जोड़ दी, कि इस दुकान की पुन: बिक्री पर उससे पूछा जाएगा, उससे स्वीकृति ली जाएगी।

लगभग एक सप्ताह पूर्व व्यवसायी को पैसे की आवश्यकता होने पर इस दुकान को बेचने का विचार किया, इसकी जानकारी जब शॉपिंग काम्पलेक्स मालिक को दी, तो उसने आपत्ति उठाते हुए स्पष्ट किया कि उसके द्वारा दुकान नहीं बेची गई है। उसने तो शटर मात्र एवं हवा बेची है। दीवालों एवं छत पर उसका कोई अधिकार नहीं है। अत: वह दुकान नहीं बेच सकता।

श्री शामनानी ने कहा कि दुकानों की बढ़ती कीमतों से शॉपिंग काम्पलेक्स मालिक की नीयत खराब हो चुकी है। बिक्री के बरसों बाद वह कुछ राशि चाहता है। ऐसे हवा बेचने वालों के अनुमति विपरीत निर्मित शॉपिंग काम्पलेक्स के दस्तावेज, सूचना अधिकार तहत जुटाकर अवैध निर्माण तुड़वाने की कार्यवाही की जाएगी ताकि हवा बेचने वाले, हवा में उडऩे वाले शॉपिंग काम्पलेक्स मालिक जमीन पर आ सकें।

कौनसा न्याय ? कैसा न्याय …..? किसका न्याय…?

what-is-justiceजिस व्यक्ति का भारत के न्यायालयों से कोई वास्ता नहीं पडा हो उनके लिए वे बहुत सम्मानजनक स्थान रखते हैं | मेरे मन में भी कुछ ऐसा ही भ्रम था किन्तु लगभग 20 आपराधिक और सिविल मामले सरकारी अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों के विरूद्ध देश के विभिन्न स्तर के न्यायालयों में दायर करने के बाद मेरा यह भ्रम टूट गया | इनमें से ज्यादातर का प्रारम्भिक स्तर पर ही असामयिक अंत कर दिया गया …न्याय एक में भी नहीं मिला | सरकारी पक्ष के विषय में न्यायालयों की यह अवधारणा पायी गयी कि  वह ठीक होता है |

 एक रोचक मामला इस प्रकार है | राज्य परिवहन की बस में एक बार यात्रा कर रहा था जिसमें 36 सवारियां बेटिकट थी अचानक चेकिंग आई, गाडी रुकवाकर निरीक्षण किया गया | चेकिंग दल ने सिर्फ 18 सवारियां बेटिकट का रिमार्क दिया |  कंडक्टर और ड्राईवर गाड़ी को लेकर आगे बढे | अब कंडक्टर को आगे चेकिंग का कोई भय नहीं  था इसलिए रास्ते में एक भी सवारी को टिकट नहीं दी |   दो दिनों तक वह बिना व्यवधान के चलता रहा | आखिर मेरी शिकायत और सूचनार्थ आवेदन पहुँचने के बाद उसे निलम्बित किया गया | बेटिकट यात्रा करवाने के मामले में मैंने सम्बंधित मजिस्ट्रेट के यहाँ शिकायत भेजी और उसके समर्थन में मेरा व मेरे एक सह यात्री का शपथ –पत्र भी प्रस्तुत किया | दंड प्रक्रिया संहिता में यह प्रावधान है कि किसी लोक सेवक पर आरोप लगाए जाए तो उसके लिए शपथ पत्र दिया जा सकता है ताकि उसके चरित्र के बारे में खुली चर्चा न हो |

  ठीक इसी प्रकार दंड प्रक्रिया  संहिता के अनुसार मजिस्ट्रेट  से मौखिक शिकायत  भी की  जा सकती है और  किसी गुमनाम अपराधी के विषय में भी शिकायत की जा सकती है क्योंकि  संज्ञान अपराध का लिया जाता है न कि शिकायतकर्ता या अपराधी का | जबकि मजिस्ट्रेट  पक्षकारों को तंग परेशान और हैरान करने के लिए जहां मौखिक का प्रावधान हो वहां लिखित और जहां लिखित का प्रावधान हो वहां मौखिक पर जोर देकर अपनी शक्ति का बेजा प्रदर्शन करते हैं | न्यायालयों में मंत्रालयिक स्तर पर भ्रष्टाचार को वे जानते हैं और उनको जानना चाहिए किन्तु फिर भी सब यथावत चलता है | भारत में तो न्यायालय के मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए तारीख पेशी देना, जैसा कि रजिस्ट्रार जनरलों की एक मीटिंग में कहा गया था, एक आकर्षक धंधा है और इससे न्यायालयों की बहुत बदनामी हो रही है|

किन्तु  मजिस्ट्रेट ने न केवल मेरी  शिकायत को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि वहां उपस्थित होकर बयान नहीं दिए और अपराधी का नाम नहीं था  बल्कि मुझ पर खर्चा ( अर्थदंड)  भी लगा दिया गया | निचले न्यायालयों की  शक्तियां सम्बंधित कानून के अनुसार ही होती हैं और दंड प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है कि एक शिकायतकर्ता पर खर्चा लगाया जा सके | मामले में  सत्र न्यायालय, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में भी याचिकाएं क्रमश: दायर की गयी किन्तु कहीं से कोई राहत नहीं मिली | अब मामला पुन: मजिस्ट्रेट के पास खर्चे की  वसूली के लिए आ गया और मुझे नोटिस जारी किया गया | मैंने मजिस्ट्रेट न्यायालय को निवेदन किया कि  इस न्यायालय को अर्थदंड लगाने का कोई  अधिकार ही नहीं है  तब जाकर  कार्यवाही रोकी गयी  किन्तु फिर भी परिवहन निगम के दोषी कार्मिकों पर कोई  कार्यवाही नहीं की गयी |

 क्या कोई विधिवेता बता सकता है कि देश में कैसा कानून और न्याय है , किस स्तर के न्यायाधीशों को कानून का कोई ज्ञान है …?  अब जनता कानून की मदद कैसे, कब और क्यों कर सकती है ..? ऐसे लगता है देश के न्यायालय जनता की  सेवा के लिए नहीं अपितु पीड़ित पक्षों का और उत्पीडन के लिए बनाए गए नयी तकनीक के यातना गृह हैं |

लेखक :- मणि राम शर्मा

 

डीआईजी के बयान के बाद सरकार के दावों उठे सवाल

Terror Pak boatनई दिल्ली – नए साल की रात सूरत बंदरगाह की ओर आ रही कथित टेरर बोट को उड़ाए जाने के मामले में नया दावा सामने आया है। भारतीय तटरक्षक बल के डीआईजी ने कहा है कि उन्होंने उस नाव को उड़ाने का आदेश दिया था। हालांकि वारदात के बाद रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया था कि नाव को उसमें सवार आतंकियों ने ही आग लगा दी थी।

व‌िज्ञप्ति में कहा गया था कि कोस्ट गार्ड के जवानों ने संदिग्‍ध नाव को रोकने की कोशिश की तो नाव में सवार लोगों ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया। डीआईजी के बयान ने सरकार के दावों को लेकर सनसनी मचा दी है।

हालांकि डीआईजी लोशाली की ओर इस तरह का बयाने देने की खबरों का खंडन भी किया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कोस्ट गार्ड के डीआईजी बीके लोशाली ने एक कार्यक्रम में कहा था कि उसने खुद ही नाव को उड़ाने का आदेश दिया था, वो नाव में सवार लोगों को बिरयानी नहीं खिलाना चाहते थे। लोसाली उत्तर पश्चिम बंदरगाह के प्रमुख हैं।

लेकिन लोशाली ने अब ऐसी खबरों का खंडन करते हुए कहा है कि उनके बयानों को गलत ढंग से पेश किया गया है। उन्होंने कहा है कि वे बोले थे किसी भी बाहरी ताकत को भारतीय सुरक्षा घेरा तोड़ने का अधिकार नहीं है। और पाकिस्तानी नाव देश की सीमा में घुसी थी तो वे नाव में सवार लोगों को बिरयानी खिलाने के मूड में नहीं थे।

उन्होंने कहा है कि उनके बयान को मीडिया में गलत ढंग से पेश किया गया है। जब सच्चाई यह है कि बोट में सवार लोगों ने ही नाव को विस्फोट से उड़ाया था।

मीडिया में खबरें थीं कि 31 दिसंबर की रात गुजरात बंदरगाह की ओर आ रही एक संदिग्‍ध नाव को जब भारतीय तटरक्षकों ने रोकने की कोशिश की तो नाव में सवार लोगों ने नाव को विस्फोट से उड़ा दिया।

इस मामले पर रक्षा मंत्रालय की ओर से दावा किया गया था कि भारजीय तटरक्षक बल के जवानों ने जब नाव को रोकने की कोशिश की गई तो नाव में सवार लोगों ने रहस्यमई परिस्थितियों ने नाव को विस्फोट से उड़ा लिया। इस प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से सरकार के दावों पर शंका जाहिर की गई थी।

कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा था कि उस संदिग्ध नाव में क्‍या और किस मकसद पर वो भारत की ओर आ रही इस बात का खुलासा सरकार को करना चाहिए।

1 करोड़ रुपये लगी मोदी के नाम लिखे सूट की बोली

Modi-suitसूरत – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले तोहफों की चल रही नीलामी के दौरान पीएम के नाम वाले सूट के लिए बोली 1 करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गई है। इससे पहले एक शख्स ने 51 लाख रुपये की बोली लगाई थी। यह वही सूट है, जिसे पीएम ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे के दौरान पहना था। चर्चा थी कि नरेंद्र मोदी के नाम के प्रिंट वाले इस सूट की कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा है।

गुजरात के सूरत में पीएम नरेंद्र मोदी को मिले 455 तोहफों की प्रदर्शनी चल रही है। 3 दिनों की इस प्रदर्शनी के दौरान अगर कोई शख्स किसी आइटम को हासिल करना चाहता है, तो वह उसके लिए बोली लगा सकता है। आखिर में जिसकी बोली सबसे ज्यादा होगी, आइटम उसे मिल जाएगी। बोली से जुटाए गए पैसे को गंगा सफाई अभियान में इस्तेमाल किया जाएगा।

इस प्रदर्शनी में पीएम मोदी के स्पेशल सूट के लिए एक शख्स ने पहले 11 लाख रुपये की बोली लगाई। बाद में राजू अग्रवाल नाम के एक शख्स ने बोली को बढ़ाकर 51 लाख कर दिया। राजू बीजेपी के पूर्व पार्षद और बिल्डर हैं। उनका कहना है कि यह सूट काफी अहम है और साथ ही इसके लिए दिया गया पैसा भी अच्छे कार्य में खर्च होगा। इसलिए मैं चाहता हूं कि यह मेरे पास आए।

इसके बाद एक अन्य शख्स ने बोली बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी। आज प्रदर्शनी का पहला दिन है और अभी दो दिन बाकी हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि सूट पर लगी बोली की रकम अभी 20 से 30 लाख रुपये और बढ़ सकती है। इस बीच पीएम मोदी को यह सूट गिफ्ट करने वाले व्यापारी रमेश भीकाभाई वीरानी का कहना है कि इस सूट की कीमत कितनी है, उनका बेटा ही जानता है। उन्होंने कहा, ‘यह सूट पीएम ने मेरे बेटे की शादी के दिन पहना था, उससे बड़ी कीमत और क्या हो सकती है।’

दिल्ली में अनुबंधित कर्मियों की सेवा खत्म करने पर रोक

 

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नयी दिल्ली– अपने चुनावी वादे पर कदम आगे बढाते हुए आप सरकार ने अनुबंध के मुद्दे की पूर्ण समीक्षा होने तक किसी भी अनुबंधित कर्मचारी की सेवाएं खत्म करने पर आज पाबंदी लगा दी | इस कदम से करीब एक लाख कर्मचारी लाभान्वित होंगे | मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक इस आशय का निर्णय लिया गया |

डाक्टरों, नर्सों, शिक्षकों, सफाईकर्मियों समेत करीब एक लाख कर्मचारी दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों एवं एजेंसियों में अनुबंध योजना के तहत काम कर रहे हैं. विभिन्न विभागों को जारी संक्षिप्त सरकारी आदेश में कहा गया है,‘‘अगले आदेश तक किसी भी अनुबंधित कर्मचारी की सेवाएं समाप्त या खत्म नहीं की जानी चाहिए |

सूत्रों ने बताया कि जिन अनुंबंधित कर्मचारियों का अनुबंध काल समाप्त होने वाला था, उन्हें फायदा हेागा क्योंकि उन्हें सेवा में बने रहने की इजाजत प्राप्त होगी. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार नीतिगत ढांचे को अंतिम रुप देने के लिए अनुबंधित कर्मचारियों के मुद्दे की गहन समीक्षा में लगी हुई है|

शिक्षा, लोकनिर्माण विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महिला एवं बाल विकास समेत विभिन्न सरकारी विभागों ने पिछले कुछ सालों में अनुबंध योजना के तहत कर्मचारियों की भर्ती की. अपने चुनाव घोषणापत्र में आप ने दिल्ली सरकार एवं एजेंसियों के अनुबंधित कर्मचारियों की सेवाएं नियमित करने का वादा किया था | -एजेंसी

व्यापमं घोटाले में शिवराज को बचा रही STF : दिग्विजय

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भोपाल -व्यापमं के कथित घोटाले को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इसकी जांच कर रही एसटीएफ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके परिवार को बचाने के लिए मूल ‘एक्सल शीट’ के साथ छेडछाड की है |कांग्रेस ने इस मामले में मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग भी की है ।

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने यहां व्यापमं के कथित घोटाले की एसटीएफ द्वारा की जा रही जांच की निगरानी कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के सामने शपथ पत्र देकर कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किए. व्यापमं द्वारा व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के साथ कई सरकारी नौकरियों के लिए भी चयन परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं ।

एसआईटी के सामने पेश होने और शपथ पत्र देने के बाद प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी तथा प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि मूल ‘एक्सल शीट’ के साथ छेडछाड की गई है ।

उन्होंने मांग की कि इस घोटाले की जांच जिस एजेंसी के हाथ में है, वह मुख्यमंत्री के ही अधीन है. इसलिए मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए अथवा मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद यही जांच एजेंसी जांच करे ।