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Saturday, January 11, 2025
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ब्लैकबेरी ‘क्लासिक’ स्मार्टफोन कीमत 31,990 रुपये

ब्लैकबेरी ने अपना एक नया स्मार्टफोन ‘क्लासिक’ भारतीय बाजार में लांच किया। जिसकी कीमत 31,990 रुपये है। इसके जरिये उसका इरादा अपने ग्राहकों विशेष रूप से उपक्रमों को वापस पाने का है जो उसकी प्रतिद्वंद्वी एंड्रायड व आईओएस की ओर रूख कर रहे हैं।

BlackBerry-Classic

ब्लैकबेरी इंडिया के प्रबंध निदेशक सुनील लालवानी के अनुसार , ‘ग्राहकों ने कहा है कि ग्लास की सतह पर टाइप करना आसान नहीं होता, विशेष रूप से जब वे चल रहे होते हैं। यह स्मार्टफोन विशेष रूप से ऐसे लोगों के लिए है, जो रफ्तार के साथ उसमें शुद्धता भी चाहते हैं। कंपनी के मुताबिक क् वॉर्टी कीपैड की डिमांड भारतीय मोबाइल बाजार में अच्छी खासी है, जिसे ध्यान में रखते हुए क्लासिक को तैयार किया गया है

फीचर्स

इस स्मार्टफोन की सबसे खास बात इसका फिजिकल क् वॉर्टी कीपैड है। ब्लैकबैरी 10 ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले क्लासिक में 9900 बोल्ड के मुकाबले 60 फीसदी ज्यादा स्क्रीन स्पेस और 50 फीसदी ज्यादा लंबी बैटरी लाइफ है। इ पहले के स्मार्टफोन की तुलना में 3 गुना ज्यादा तेज ब्राउजर है।

ब्लैकबेरी क्लासि में 3.5 इंच स्क् वेयर शेप स्क्रीन, 8 मेगापिक्सल रियर कैमरा और 2 मेगापिक्सल फ्रंट कैमरा, 1.5 गीगाहट्र्ज स्नैपड्रैगन ड्युअल-कोर प्रोसेसर, 2 जीबी रैम, 16 जीबी इंटरनल मेमरी और 128 जीबी तक का माइक्रो एसडी कार्ड सपोर्ट जैसे फीचर्स हैं।

ब्लैकबैरी क्लासिक 4 जी नेटवर्क को भी सपोर्ट करेगा। इसमें इंस्टॉल ब्लेंड फीचर की मदद से किसी भी दूसरे लैपटॉप या टैबलेट को क्लासिक से कनेक्ट

वीडियो – प्रेमी जोड़े की बेरहमी से पीटाई ,तीन गिरफ्तार

मुंबई – महाराष्ट्र के लातूर शहर में मोरल पुलिसिंग का एक मामला उजागर हुआ है, जहां एक लडक़े और लडक़ी को कुछ व्यक्तियों ने केवल इसलिए रास्ते में रोककर उनकी पीटाई कर दी, क्योंकि वे एक साथ घूम रहे थे। इस मामले में तीन लोग गिरफ्तार किए गए हैं।

इस घटना एक एक विडियो सामने आया है। इसमें कुछ लोग एक लड़के और लड़की को बुरी तरह पीट रहें हैं। घटना लातूर के अंकोली गांव की है। घटना जिस इलाके की है, वहां जंगल भी है और अक्सर लडक़े-लड़कियां सुनसान-सा इलाका होने की वजह से वहां टहलने पहुंच जाते हैं। हादसे के बाद लडक़ी ठीक तरह से चल नहंी रही थी।

जानकारी के मुताबिक वारदात के समय 25-30 लोग वंहा उपस्थित थे, लेकिन सब चुपचाप खड़े रहे। यह वीडियो हमलावरों ने ही शूट किया है। यह हरकत जिन लोगों ने की है, उनके इस इलाके में खेत बताए जाते हैं। हमलावरों पर आईपीसी की धारा 395 के तहत मामला लातूर के मुरुड पुलिस थाने में दर्ज किया गया है, और इस सिलसिले में तीन लोगों को पकड़ लिया गया है, जबकि तीन अन्य फरार हैं। -एजेंसी /ब्यूरो

VIDEO- Tv9 Marathi

मोदी की रैली को इजाजत न देना सही फैसला : संपत

ELECTIONS SAMPनई दिल्ली – रिटायर हो रहे चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी में नरेंद्र मोदी की रैली की इजाजत न देना एक सही फैसला था। लोकसभा चुनाव के दौरान जिला प्रशासन ने मोदी की रैली की इजाजत नहीं दी थी और संपत ने इस फैसले का साथ दिया था। उन्होंने जिला प्रशासन के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया था।

गुरुवार को उन्होंने कहा कि उन्हें इस फैसले पर कोई अफसोस नहीं है। संपत ने कहा, ‘चुनाव एक ऐसा मुकाबला है जो बराबर मैदान पर होता है। सामने वाले शख्स का कद कितना भी बड़ा क्यों न हो, चुनाव आयोग का फर्ज है कि उसके कद से प्रभावित हुए बिना हालात से निपटे।’

इस बारे में सवाल पूछे जाने पर संपत ने कहा, ‘जब आपके सामने कोई ऐसी स्थिति आती है जिससे कानून के मुताबिक एक खास तरह से निपटना होता है तो फिर ऐसा करना ही पड़ता है। इस तरह के मामलों पर चुनाव आयोग के पास पुनर्विचार या दोहरे विचार की गुंजाइश नहीं होती।’

संपत ने कहा कि उस रैली के बारे में जो भी फैसला लिया गया वह पूरी तरह कानून के तहत था और ऐसे लोगों ने लिया था जिन्हें ऐसे फैसले लेने का अधिकार था।

अलगाववादी नेता यासीन मलिक गिरफ्तार

श्रीनगर- जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। यासीन मलिक पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दिये जाने का विरोध कर रहा था। यासीन इन शरणार्थियों को नागरिकता दिये जाने के खिलाफ उग्र प्रदर्शन कर रहा था।

FILE PIC
FILE PIC

जम्मू-कश्मीर लिबरल फ्रंट का चेयरमैन यासीन मलिक शरणार्थियों को नागरिकता के खिलाफ जुम्मे की नमाज के बाद श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन करते हुए मार्च निकाल रहा था। पुलिस ने यासिन मलिक और उसके समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया है। मलिक और उसके समर्थकों पर सीआरपीसी की धारा 144 को तोड़ने का आरोप है।

पुलिस ने किसी हिंसक वारदात से निपटने के लिए पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी है, जिसके बाद लोगों को एक साथ इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गयी है। पुलिस ने यह कार्यवाही उस वक्त की जब यासीन मलिक के समर्थकों ने पुलिस के उपर पत्थर फेंकने शुरु कर दिये। हालांकि इस पत्थरबाजी में किसी को गंभीर चोट नहीं हैं।

गौरतलब है कि हजारों शरणार्थी जो कि पाकिस्तान से विस्थापित होकर जम्मू में 1947,1965,1971 की जंगों के बाद भारत आये हैं वह भारत की नागरिकता की मांग करते आये हैं। वहीं इस मामले के समाधान के लिए साझा संसदीय कमेटी का निर्माण किया गया है जोकि इन लोगों को भारत की नागरिकता दिये जाने के मामले पर अपना राय देगी। हालांकि इन लोगों को संसदीय चुनाव में वोट देने का अधिकार दिया गया है लेकिन अभी भी इन्हें प्रदेश के चुनावों में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं दिया गया है।-एजेंसी

बिहार नरसंहार : आरोपियों को बरी किए जाने का विरोध

जहानाबाद – बिहार में जहानाबाद जिले के शंकर बिगहा नरसंहार के सभी 24 आरोपियों को न्यायालय द्वारा बरी किए जाने के फैसले के विरोध में शुक्रवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी-लेनिनवादी) के अरवल और जहानाबाद जिला बंद के आह्वान का मिलाजुला असर देखा जा रहा है। बंद का आवागमन पर प्रतिकूल असर देखा गया।

 Crime_Scene

भाकपा (माले) के एक दिवसीय बंद के दौरान शुक्रवार को सुबह से ही बंद समर्थक सड़कों पर उतर आए और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 83, 98 और 110 के विभिन्न स्थानों पर जाम लगा दिया, जिससे सैकड़ों वाहन जहां-तहां खड़े हो गए।

बंद समर्थकों ने जहानाबााद रेलवे स्टेशन के पास रेलवे पटरी पर टायर जलाए तथा कई यात्री रेलगाड़ियों को रोक दिया। बाजार में भी बंद समर्थक जुलूस की शक्ल में उतरे और दुकानों को बंद करवाया।

भाकपा (माले) के जहानाबाद जिला सचिव श्रीनिवास शर्मा ने बंद को पूरी तरह सफल बताते हुए कहा कि न्यायालय का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ भाकपा (माले) उच्च न्यायालय जाएगी।

उल्लेखनीय है कि करीब 15 वर्ष पूर्व 25 जनवरी, 1999 की रात हथियारबंद लोगों ने शंकर बिगहा गांव में धावा बोलकर 22 लोगों की हत्या कर दी थी। इस मामले में जहानाबाद व्यवहार न्यायालय ने मंगलवार को साक्ष्य के अभाव में सभी 24 आरोपियों को बरी कर दिया था। – एजेंसी

मिल्खा सिंह ने की सरिता देवी की आलोचना

भारत के पूर्व मशहूर धावक और ‘उड़न सिख’ के नाम से विख्यात मिल्खा सिंह ने कहा है कि इंचियोन एशियाई खेलों में महिला मुक्केबाज सरिता देवी ने सेमीफाइनल में विवादास्पद हार के बाद जिस प्रकार पदक वितरण समारोह के दौरान कांस्य पदक लौटाया, वह सही नहीं था।

Milkha Singh

गेल द्वारा त्यागराज स्टेडियम में आयोजित ‘फास्टेस्ट इंडियन’ प्रतियोगिता के फाइनल चरण के दौरान मिल्खा सिंह ने पत्रकारों से कहा, “सरिता का विरोध जायज हो सकता है, लेकिन इसे प्रदर्शित करने का उनका तरीका गलत है। इससे देश की गलत छवि पेश होती है। जब पूरी दुनिया की नजरें आप पर है तो इसका ख्याल रखा जाना चाहिए।”

मिल्खा सिंह के अनुसार, खुद सरेआम रिंग में विरोध जताने की बजाए सरिता को एशियाई खेलों के लिए भारतीय दल के साथ गए अधिकारियों की मदद लेनी चाहिए थी।

गौरतलब है कि बीते वर्ष दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियाई खेलों में विवादास्पद सेमीफाइनल में हार के बाद सरिता ने पदक लेने से इंकार कर दिया था और रोते हुए उन्होंने इसे दक्षिण कोरिया की अपनी प्रतिद्वंद्वी और रजत पदक विजेता जि ना पार्क को सौंप दिया था। वह जजों के फैसलों से नाराज थीं।

बाद में हालांकि उन्होंने इसे स्वीकार किया, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने उन्हें सजा के तौर पर एक साल के लिए प्रतिबंधित करने का फैसला किया।

साक्षी महाराज और नकवी पर जमकर बरसे आजम

azam khanलखनऊ – यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री आजम खान ने उन्नाव में गंगा नदी में मिले शव पर कहा है कि सुनने में आया है कि शव साक्षी महाराज ने ट्रक से लाकर गंगा में डलवाए हैं, ताकि प्रदेश सरकार की छवि खराब हो। साथ ही प्रवीण तोगड़िया के राम मंदिर बनने पर उत्सव के बयान पर कहा कि उनके संस्कार देश जानता है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को कोर्ट से सड़क जाम करने, थाने का घेराव करने और सात क्रिमनल लॉ एक्ट में दोषी मानते हुए एक साल की सजा सुनाए जाने पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान ने इस्तीफे की मांग की है। आजम ने मक्का मिल कोठी खाली करने की भी मांग की है।

गुरुवार को आवास पर पत्रकारों से बातचीत में आजम खान ने कहा कि आज सवाल सिर्फ मोदी की राजनीतिक स्वच्छता का है। वो क्या एक ऐसे मंत्री जिसे सात क्रिमनल लॉ एमेंडमेंट एक्ट के तहत सजा हुई हो, जो उसे अपनी कैबिनेट में रखेंगे। अगर रखेंगे तो उस संदेश का क्या होगा जो उन्होंने पूरे देश को दिया था। इस एक्ट में सजा आमतौर पर क्रिमिनल्स को ही होती है। उन्हें उसी वक्त सरकार में लिया जाए जब वह अपराध मुक्त हो जाएं। हम समझते थे कि नकवी अपनी अखलाकी जिम्मेदारी मानते हुए इस्तीफा दे देंगे।

आजम खान ने मक्का मिल स्थित कोठी को भी खाली करने की बात कहते हुए कहा कि नकवी का रामपुर से कोई रिश्ता नहीं है, वह कोठी खाली करें। नकवी बताएं कि उनका रामपुर की कोठियों से क्या रिश्ता है।

भाजपा ने आजम खां उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्नाव में मिले शवों को सांसद साक्षी महाराज ने फेंका है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन को दाऊद और आतंकवादियों के पैसे से मनाने वाले आजम खान की स्थिति प्रदेश के लोगों के बीच हास्यास्पद और अप्रासंगिक हो गई हैं।

उन्होंने कहा कि मामला बढ़ने पर एक तरफ मुख्यमंत्री ने शवों के मिलने की घटना पर जांच का आदेश दिया है। वहीं उनके मंत्रिमंडल के कद्दावर मंत्री अनाप-शनाप बोलकर शवों का माखौल उड़ा रहे है। सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि वह आजम के बयान से सहमत है कि नहीं? यदि सहमत नहीं है तो मुख्यमंत्री को अनाप-शनाप बोलने वाले मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए।

उन्नाव में गंगा के परियर घाट पर मंगलवार को 104 से अधिक लाशें मिली थीं। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने जेसीबी बुलाकर शवों को दफनाने की कोशिश की तो भाजपाइयों ने बखेड़ा कर दिया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी के विरोध के बाद दफनाने का काम रोक दिया गया था।

बुधवार सुबह आसपास की नगर पंचायतों से सफाईकर्मी और जेसीबी बुलाई गई। घाट जाने वाले मार्ग पर बैरिकेडिंग कर दी गई। शवों को बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू हुई। सफाईकर्मियों ने सड़े- गले शवों को निकालने के इनकार कर दिया। इस बीच डीएम सौम्या अग्रवाल, सीडीओ नेहा शर्मा, एडीएम शिवेंद्र सिंह, एएसपी रामकिशुन यादव सहित सभी आला अफसर कई थानों की फोर्स और भारी संख्या में पीएसी के साथ घाट पर पहुंचे।

गंगा में बहती मिली लाशों का बुधवार को डीएनए टेस्ट के लिए सेंपल लिया गया। घाट पर ही मृतकों की आत्मा की शांति के लिए हवन हुआ। इसके बाद सभी शवों को दफन कर दिया गया। इस दौरान कई थानों की फोर्स और भारी संख्या में पीएसी के साथ जिलाधिकारी, सीडीओ, एडीएम समेत पूरा अमला मौके पर जुटा रहा। भाजपाइयों ने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन फोर्स के फटकारने के बाद पैर पीछे खींच लिए।

MOG : सेंसर बोर्ड अध्यक्ष लीला सेमसन का इस्तीफा

leela_samsonनई दिल्ली – सेंसर बोर्ड प्रमुख लीला सेमसन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के पीछे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की फिल्म मैसेंजर ऑफ गॉड को हरी झंडी दिए जाने को बताया जा रहा है। मैसेंजर ऑफ गॉड को फिल्म सर्टिफिकेट अपीलैट ट्रिब्यूनल(एफसीएटी) ने रीलिज के लिए हरी झंडी दे दी थी।

इस्तीफे के बाद सेमसन ने आरोप लगाया कि, बोर्ड में भ्रष्टाचार है और उनकी बात सुनी नहीं जा रही। सेंसर बोर्ड की अनदेखी की जा रही है। मेरा इस्तीफा अंतिम है और इस बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को जानकारी दे दी गई है। उन्होंने कहाकि, मंत्रालय की ओर से नियुक्त अधिकारी और पैनल सदस्य दबाव डाला जाता है और उनके काम में दखल देते हैं। साथ ही वे भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।

सेमसन ने कहाकि, उनका और बोर्ड के कुछ सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो चुका है लेकिन नई सरकार ने नए लोगों की नियुक्ति नहीं की जिसके बाद उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया। हाल ही के दिनों में मंत्रालय की ओर से नियुक्त पैनल सदस्यों का दबाव सेंसर बोर्ड में बढ़ गया जिसके चलते बोर्ड चेयरमैन और सदस्यों के सम्मान में कमी आई है।

वहीं इस मामले में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने साफ किया कि सरकार की ओर से कोई दखल नहीं दी गई थी और न ही फिल्म को लेकर कोई दबाव डाला गया था। गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम सिंह की फिल्म पर सेंसर बोर्ड ने आपत्ति जताते हुए रीलिज सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था। जिसके बाद फिल्म को एफसीएटी में क्लीयरेंस के लिए भेजा गया था।

एयरपोर्ट पर मिला पर्चा दी 26 जनवरी को हमले की धमकी

mumbaiterrorमुम्बई – मुम्बई हवाई अड्डे के टॉयलेट में धमकी भरा पर्चा मिला है जिसमें आईएसआईएस की धमकी दी गई है। हवाई अड्डे के टर्मिनल एक ए के पुरूषों के टॉयलेट में यह पर्चा मिला है जिसमें 26 जनवरी को हमले की धमकी दी गई है। इसके बाद से मुम्बई हवाई अड्डे की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

सफेद पर्ची पर लिखा गया है कि “आईएसआईएस-26/01/15 बम ओके।” वहीं एक अन्य पर्चे में लिखा है कि, “10 जनवरी को आईएसआईएस की ओर से किया जाने वाला हमला टाल दिया गया है।” यह पर्ची हवाई अड्डे के ग्राउण्ड्समैन को गुरूवार शाम साढ़े छह बजे मिली। इसके बाद से सीआईएसएफ ने हवाई अड्डे की सुरक्षा और बढ़ा दी है। गौरतलब है कि अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की 26 जनवरी पर भारत यात्रा के चलते सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही कड़ी की हुई है।

इससे पहले छह जनवरी को भी ऎसा ही धमकी भरा संदेश हवाई अड्डे के टॉयलेट में मिला था। उस समय टॉयलेट की दीवार पर लिखा गया था कि,”आईएसआईएस 10 जनवरी को हमला करेगा।” लेकिन बाद में ऎसा कुछ नहीं हुआ। वहीं एयर इंडिया के विमान के अपहरण की आशंका के चलते पहले से ही सुरक्षा एजेंसियों ने हवाई अड्डों पर सतर्कता बढ़ा दी है।

मोदी की “रामलीला” से “धरना मास्टर” को डर

kejriwal-modiचुनाव आयोग ने दिल्ली चुनाव को लेकर लग रही तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए 7 फरवरी को दिल्ली में चुनाव कराने की घोषणा की और वहीं 10 फरवरी को नतीजें भी सबके सामने होंगे.इसी बीच देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलीला मैदान में रैली कर दिल्ली चुनाव के लिए शंखनाद कर दिया. दिल्ली का रामलीला मैदान फिर एकबार जनता की भीड़ से पट गया.नरेंद्र मोदी इस रैली के माध्यम से दिल्ली में होने वाले चुनाव के लिए पार्टी की तरफ से शक्तिप्रदर्शन के साथ दिल्ली की जनता के सामने अपने सरकार के नीतियों तथा अपने सरकार की तमाम योजनाओं के माध्यम से दिल्ली की जनता के दिल को जीतने की कवायद शुरू कर दी.ये रैली बीजेपी तथा नरेंद्र मोदी दोनों के निशाने पर अपरोक्ष रूप से आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल रहे. ये रैली बीजेपी के नजरिये से सफल रही.लेकिन,कहीं न कहीं बीजेपी को आम आदमी की लोकप्रियता का डर सता रहा है.

इस विधानसभा चुनाव में एक राष्ट्रीय पार्टी और दिल्ली की सल्तनत में सबसे ज्यादा हुकुमत करने वाली कांग्रेस इस चुनाव में हाशिए पर नजर आ रही है.दिल्ली से अरविन्दर सिंह लवली के नेतृत्व वाली कांग्रेस संगठन दिल्ली में चुनाव से पहले ही पस्त नजर आ रही है.चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव की तिथि की घोषणा करने से ठीक पहले बीजेपी की ये रैली अभी से दिल्ली की राजनीति को पूरी तरह से गरम कर दिया है .आम आदमी पार्टी भी पोस्टर बैनरों के द्वारा बीजेपी तथा मोदी पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही है.बहरहाल, अगर बात इस रामलीला मैदान में हुए रैली की करें तो बीजेपी ने एकबार फिर वादों का पिटारा दिल्ली की जनता के सामने रखा, मोदी ने आमजनमानस की मुलभूत सुविधाओं पानी, बिजली और मकान सभी को देने का वादा किया.जाहिर है कि दिल्ली में बिजली और पानी की समस्या इन दिनों सबसे बड़ी समस्या है. बिजली के लगातार बढ़ते बिल से दिल्ली की जनता त्रस्त है,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिजली की समस्या का निदान करने के वादा किया तथा इसके साथ बेघरों को घर देने की भी बात की.इन सभी बातो के बीच कई सवाल पैदा होते है पहला सवाल आखिर बीजेपी को शक्तिप्रदर्शन की जरूरत क्यों पड़ी ?तथा दूसरा सवाल क्या वाकई दिल्ली की जनता का दिल जीत पाएंगे मोदी? तथा तीसरा सवाल क्या बीजेपी तथा मोदी का विजयरथ केजरीवाल दिल्ली में रोक सकते है ?

अगर पहले सवाल की तह में जाए तो बीजेपी ये जानती है की पूरे देश की जनता की निगाहें मोदी पर टिकी है और बीजेपी पूरी तरह से मोदी की जादू की उम्मीद लगाए बैठी है, गौरतलब है कि हाल ही में सम्पन्न हुए झारखंड और जम्मू कश्मीर के चुनाव पर जरा गौर करे तो बीजेपी को यह एहसास तो गया है कि लोकसभा चुनाव के मुकाबले पार्टी का प्रदर्शन कुछ कमतर रहा है.लोकसभा चुनाव में मोदी तथा बीजेपी को एकतरफा जनादेश मिला था,समय के साथ –साथ उसमें कमी आई है.विगत लोकसभा चुनावों में बीजेपी को इस राज्य में तकरीबन 60 सीटों पर बढत हासिल हुई थी, जो सिमट कर लगभग 40 सीटों तक रह गई है.इसमें बीस सीटों का नुकसान इस बात की ओर इशारा करता है कि मोदी का जादू धीरे-धीरे फीका पड़ रहा है,जिसका असर दिल्ली में होने वाले चुनाव पर दिख सकता था इसलिए मोदी तथा बीजेपी ने इस रैली का आयोजन किया।

दुसरे सवाल पर गौर करें तो यहाँ मामला बड़ा पेचीदा है,एकतरफ मोदी दिल्ली में रहकर ही दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनाने के लिए तैयारी कर रहे है.मोदी ने अपने भाषण के दौरान कई वादों का पिटारा खोला जिसमें दिल्ली की जनता को भ्रष्टाचार, महंगाई, बिजली पानी.घर तथा सभी जनता से जुड़े उस मुद्दे को छुआ तथा इस समस्याओं को दूर करने का वादा भी किया.परन्तु मोदी के लिए दिल्ली की जनता का दिल जितना इतना आसान नहीं होगा, बिजली के दाम बढ़े है, रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं, हालाकि मोदी सरकार महंगाई कम होने का दावा तो कर रही है लेकिन धरातल पर इसका कोई बहुत असर नहीं दिख रहा है, मोदी ने भाषण के दौरान बिजली के लिए कंपनियों को मोबाईल कम्पनीयों की तरह चुनने के लिए एक नई नीति का जिक्र तो किया लेकिन अभी ये कैसे होगा कबतक होगा इसका कोई जिक्र नहीं किया.मोदी ने जनधन योजना, आदर्श ग्राम योजना व सभी योजनाओं के द्वारा हुए लाभों को दिल्ली की जनता के सामने रखा साथ ही मोदी ने हरियाणा सरकार से चल रहे यमुना जल विवाद को सुलझाने का वादा दिल्लीवासियों से किया और घर –घर तक पानी पहुँचाने का वादा किया.अब तो वक्त ही बतायेगा की इन वादों के जरिये मोदी दिल्लीवासियों का दिल जीत पातें है या नही.

एक सवाल बीजेपी तथा मोदी दोनों के लिए अपनी शाख को बचाने का सवाल भी है. लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी का विजय रथ अभी तक अपना विजयी परचम लहरा रही है,पार्टी लगातार सभी चुनावों में विजयी हो रही है.ऐसे में दिल्ली में केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी बीजेपी के लिए दिल्ली चुनाव में एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है.इस बात को बीजेपी व मोदी भलीभांति जानते है,इस रैली में बीजेपी के सभी आला नेताओं के निशाने पर आम आदमी पार्टी ही रही,गौरतलब है कि मोदी ने भी अपने 47 मिनट के भाषण में लगभग 8 मिनट तक सांकेतिक रूप से केजरीवाल को निशाने पर लिया ,मोदी ने केजरीवाल को ‘धरना मास्टर’ बताया और दिल्ली की जनता से एक स्थिर सरकार चुनने का आग्रह किया, विगत विधानसभा चुनाव की बात करें तो दिल्ली में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. बीजेपी को सबसे ज्यादा लेकिन बहुमत से दूर 32 सीटों पर संतोष करना पड़ा तो वही दिल्ली तथा देश की राजनीति में नई पार्टी आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिली जो सभी राजनीतिक दलों के साथ साथ सभी राजनीतिक विशलेषकों को भी चौका दिया.वहीँ कांग्रेस मात्र 8 सीटों पर सिमट गई.कांग्रेस के समर्थन की आम आदमी पार्टी की सरकार 49 दिनों में लोकपाल के मुद्दे पर गिर गई और मुख्यमंत्री केजरीवाल को अपना इस्तीफा देना पड़ा.अगले माह होने वाले चुनाव में भी केजरीवाल की लोकप्रियता को नकारा नहीं जा सकता.परन्तु बीजेपी केजरीवाल पर आक्रमक रुख अपनाएं हुए है,जाहिर है कि लोकपाल के लिए नाटकीय ढंग से दिल्ली की सत्ता छोड़ने वाले केजरीवाल इस चुनाव में लोकपाल को गौण कर अपने 49 दिनों की सरकार चलाने के दम पर जनता से वोट मांग रहे है.वहीँ दूसरी तरफ मोदी अपने 7 महीने के सरकार के कामकाज के दम पर जनता से वोट मांग रहे है.इस रैली के मध्यम से मोदी ने मोर्चा तो संभाल लिया है और दिल्ली में बीजेपी को मिल रहे अपार जनसमर्थन के बावजूद केजरीवाल बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है.
:- आदर्श तिवारी

Adarsh Tiwariलेखक :- आदर्श तिवारी (स्वतंत्र टिप्पणीकार )

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय भोपाल

के विस्तार परिसर “कर्मवीर विद्यापीठ” में जनसंचार के छात्र है ।
+917771038206

मोदी सरकार ने की शिक्षा बजट में कटौती,होगा बुरा असर

jaitley_modiनई दिल्ली – राज्यों के मद से कटौती, स्वास्थ्य और रक्षा बजट में भारी कटौती के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने अब उच्च शिक्षा बजट में 3900 करोड़ रूपए की भारी कटौती की है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, वर्ष 2014-15 के संशोधित बजट अनुमानों में करीब 3900 करोड़ रूपए की कटौती कर दी गई है। पहले बजट में 16900 करोड़ रूपए का प्रावधान था जिसे घटाकर 13000 करोड़ रूपए कर दिया गया है।

अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि उच्च शिक्षा बजट में कटौती का सर्वाधिक असर नए आईआईटी संस्थानों पर पड़ेगा, जिन्हें इस साल अपने-अपने कैंपस में जाना था। 2014-15 में सरकार ने 16 नए आईआईटी संस्थानों के लिए 2500 करोड़ रूपए दिए थे, जो अब 2337 करोड़ रूपए कर दिए गए हैं। कैंपस बनाने के लिए जो फंड मिलना था, वह अब इन संस्थानों को इस साल नहीं मिल पाएगा।

संप्रग सरकार ने नए आईआईटी संस्थानों की घोषणा की थी जिनमें से आठ कामचलाऊ कैंपस से चल रहे हैं। इनमें से छह को इस वर्ष जुलाई तक स्थाई कैंपस में चले जाना है।

आईआईटी के सामने अब रिसर्च फैलोशिप के लिए मिलने वाले स्टाइपेंड भुगतान की समस्या आएगी। सरकार ने हाल में इसमें वृद्धि कर जूनियर फेलो को 16000 से बढ़ा 25000 रूपए मासिक देने की घोषणा की है। सीनियर फेलो के लिए रकम 18000 से 28000 रूपए की गई है। इससे 150 करोड़ रू. का अतिरिक्त बोझ पड़ा है।

नियम विरुद्ध बने शॉपिंग काम्पलेक्स पर चलेगा बुलडोजर

खंडवा – नगर निगम खंडवा क्षेत्र में अनुमति के विपरीत होटल, शॉपिंग काम्पलेक्स, मल्टीपैक्स और व्यवसायिक काम्पलेक्स निर्मित है जिसके कारण शहर में यातायात, प्रदुषण एवं पर्यावरण प्रभावित हो रहा था और खंडवा के नागरिकों का जीवन इन परिस्थितियों में जीना दुभर हो रहा था और खंडवा नगर के नागरिक अनेक परेशानियों से जूझ रहे थे। इसलिए पूर्व एल्डरमेन एवं सामाजिक कार्यकर्ता जगन्नाथ माने द्वारा माननीय उच्च न्यायाधीश जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका क्रमांक-डब्ल्यूपी-14692/2014 दायर की थी।

nagar nigam khandwa

जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा विषय की गंभीरता को देखते हुए याचिका को स्वीकार कर निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा कि आयुक्त नगर निगम खंडवा याचिकाकर्ता ने शिकायत की है उसकी जांच करते हुए नियमों के विपरीत किए गए निर्माण एवं अतिक्रमण को नियमों के अनुसार कार्यवाही करें और याचिकाकर्ता को भी निर्देशित करते हुए कहा कि स्वयं दो सप्ताह के भीतर जहां-जहां भी अतिक्रमण एवं अनुमति के विपरीत नियमों को ताक में रखते हुए निर्माण किए है उनकी सूची, विवरण, स्थान जहां की पब्लिक प्रापर्टी या अन्य निर्माण जो कानून के परे निर्माण किए हुए हैं उसकी सूची कमीश्नर को दें। साथ ही माननीय न्यायालय द्वारा खंडवा कमीश्नर को निर्देशित किया कि स्वयं नगर निगम इस संबंध में कानून के मद्देनजर गुण दोष के आधार पर कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है।

माननीय न्यायालय द्वारा 12 जनवरी 15 को अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से खंडवा कमीश्नर को दिशा निर्देश देते हुए खंडवा नगर निगम को मामले की गंभीरता को देखते हुए आदेशित किया कि स्वयं भी विशिष्ट जानकारी एकत्रित करते हुए जहां-जहां भी अतिक्रमण के स्थान को चिंहित करें एवं जहां-जहां भी पब्लिक प्रापर्टी का निर्माण नियमों एवं विकास नियमों के तहत नहीं हुआ है उसे याचिकाकर्ता को बताते हुए तीन महीनों के अंदर उसका निराकरण करें। याचिकाकर्ता की ओर से जबलपुर के अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार तिवारी ने पैरवी की एवं याचिका पर माननीय न्यायालय की युगलपीठ के मुख्य न्यायाधीश माननीय एएम खानवीलकर एवं सीवी सिरपुरकर द्वारा फैसला दिया गया।

याचिकाकर्ता जगन्नाथ माने ने बताया कि खंडवा शहर की यातायात व्यवस्था अत्यंत ही दिन प्रतिदिन जटिल हो रही थी जिसके कारण पर्यावरण एवं प्रदुषण असंतुलित हो रहा था एवं आवासीय क्षेत्रों में व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ रही थी एवं व्यवसायिक काम्पलेक्सों का निर्माण किया जा रहा था जिसमें नगर निगम एवं अन्य द्वारा भी नियमों को ताक में रखकर गोडाउन एवं पार्किंग की जगह दुकानों का निर्माण कर व्यवसाय किया जा रहा था।

कालोनियों में भी व्यवसायिक परिसर बनाकर नियमों का उल्लंघन हो रहा था जिसके कारण छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में शोरगुल के कारण व्यवधान उत्पन्न हो रहा था। खंडवा शहर के मुख्य मार्गो पर भी अनेक शॉपिंग काम्पलेक्सों का निर्माण नियमों के विपरीत किया गया है इसकी सूची भी माननीय कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गई है। साथ ही दो सप्ताह के भीतर भी इस प्रकार के व्यवसायिक काम्पलेक्स, होटल, व्यवसायिक परिसर एवं अन्य निर्माण एवं अतिक्रमण की सूची खंडवा कमीश्नर को सौंपी जाएगी।

मप्र : पंचायत चुनाव में वोटों की गिनती पर हाईकोर्ट की रोक

high court jabalpur

बैतूल –समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय सचिव अनुराग मोदी सहित अन्य दो लोगों की जनहित याचिका पर आज छुट्टी के दिन विशेष अदालत आहूतकर एक ऐतिहासिक सुनवाई में जबलपुर हाईकोर्ट की दो जजों – राजेन्द्र मेनन और आलोक आरधे – की खंडपीठ ने म. प्र के पंचायत चुनाव में 16 जनवरी को होने वाले जिला पंचायत के प्रथम चरण की गिनती पर रोक लगा दी है |

जिला पंचायत और जनपद पंचायत के परिणाम एक ईवीएम मशीन में होने से इस मामले में जनपद पंचायत के चुनाव परिणाम पर भी रोक लग गई है| इस मामलें म. प्र राज्य चुनाव आयोग को अपना शपथ-पत्र पेश करना है, जिस पर अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी |

याचिकाकर्ता के वकील राघवेन्द्र कुमार ने यह दलील पेश की थी कि राज्य चुनाव आयोग ने वोटों कि गिनती के मामले में अपनी मनमर्जी का कार्यक्रम बनाया है : एक ही जिले की जिला पंचायत के लिए तीन चरणों में गिनती हो रही है,जिसके चलते पहले चरण के चुनाव परिणाम दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव परिणामों को और उसी तरह दूसरे चरण के परिणाम भी तीसरे चरण के परिणामों कप प्रभावित करेगी |

जबलपुर, ग्वालियर, देवास, इंदोर और अनुपपुर में दो चरणों में और भोपाल, हरदा, अलीराजपुर, नरसिहपुर, पन्ना, दतिया में एक चरण में चुनाव हो रहे है| प्रदेश के शेष 34 जिलों की जिला पंचायत में मतदान तीन चरणों में हो वोटों की गिनती 16 जनवरी 4 फरवरी और 22 फरवरी को होकर उनके चुनाव परिणाम क्रमश: 17 जनवरी 5 फरवरी और 23 फरवरी को घोषित होना था|

न्यायालय ने राज्य चुनवा आयोग कि इस दलील को नकार दिया कि पंचायत चुनाव पार्टी के आधार पर नहीं होते है, और इसके चलते अलग-अलग तिथियों में चुनाव परिणाम घोषित होने होने से चुनाव परिणाम प्रभावित नहीं होंगे और हाईकोर्ट चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं कर सकता| अशोक कुमार विरुध्द भारतीय चुनाव आयोग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ व्यवस्था दी है कि चुनाव् प्रक्रिया को बेहतर करने के लिए चुनाव के कार्यक्रम को प्रभावित किए बिना देश के सवैधानिक कोर्ट अपने आदेश के जरिए दखल कर सकते है|

गहने शौक भी सेविंग भी , रखे इन खास बातों का ध्यान

बुजुर्गों की हमेशा यह नसीहत रही है कि सोना बुरे वक्त में काम आता है। मगर अब लोगों की सोच बदली है। मौजूदा दौर में सोना फैशन और स्टाइल स्टेटमेंट के साथ आमदनी का भी साधन बन गया है। सोने के दाम में प्रायः उतार-चढ़ाव के कारण लोगों के मन में यह अक्सर सवाल उठता है कि अभी सोना खरीदें या नहीं? सोना खरीदने का सही समय कौन सा होगा? कई सवाल मन में घूमते हैं। दाम कभी ऊपर तो कभी नीचे। इस कारण लोग इसे खरीदने से कतराते रहते हैं। पर शादी-ब्याह जैसे मौके के लिए सोना खरीदना और सोेने के गहने बनवाना लोगों के लिए जरूरी हो जाता है चाहे उसके दाम कुछ भी हों।

india gold jewelry

आजकल लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा फ्रिज, प्लाज्मा टीवी, कार, फर्नीचर आदि ऐशोआराम की चीजें खरीदने में लगा रहे हैं। यह सब शहरी जीवन के लिए जरूरी वस्तुएं हैं, जिन्हें खरीदना खाते-पीते परिवारों में आम बात है। पर जब बात आती है सोना खरीदने का तब लोग कुछ देर के लिए सोच में पड़ जाते हैं आखिर सोने के जेवर खरीदने का सबसे सही समय क्या है?
सुधा ने जब अपने लिए सोने के कंगन बनवाने के बारे में सोचा तो वह सोने के दाम सुनकर कुछ दिन रुक गई ताकि दाम कुछ कम हो जाएं। पर दाम कम होते न देख आखिर उसने कंगन खरीदने का मन बना ही लिया। मगर दुकानदार के यह कहने पर कि सोने का भाव फिर बढ़ गया है तो वह सोच में पड़ गई। सुधा जैसी कितनी महिलाएं हैं जो सोने के गहने खरीदना तो चाहती हैं पर बढ़ते दामों के कारण मन मसोस कर रह जाती हैं। सोने का मार्वेहृट अधिकतर जुलाई और अगस्त में थोड़ा नीचे रहता है पर फिर भी इनके दाम लगभग 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं घटते।

हाउस वाइफ नीतू कहती हैं कि सोने का दाम इतना अधिक है कि इसे खरीदना हमारे बूते में नहीं है। हम तो सोने के दाम कम होने का इंतजार करेंगे। नीतू जैसी पता नहीं कितनी गृहणियां हैं जो सोने के दाम कम होने का इंतजार ही करती रह जाती हैं। तब तक उनका गहनों के प्रति आकर्षण कम हो जाता है। सोने के दामों में तीज-त्योहारों और शादी ब्याह के मौकों पर जबरदस्त उछाल आता है ऐसे में सोने के गहने बनवाना मुश्किल हो जाता है। पर कई ऐसे लोग हैं जो इन सीजन के शुरू होने से पहले ही गहने बनवाना शुरू कर देते हैं।

दुनिया भर में सोने के कद्रदान भारत से सबसे ज्यादा हैं। पूरे उत्पाद की 25-30 प्रतिशत खपत भारत में है। वैसे तो पूरे साल सोना खरीदने का समय रहता है और लोग खरीदते भी हैं पर मानसून में थोड़ा दाम में फर्क के कारण लोग ज्यादा खरीदते हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार सोने के असली खरीदार शहरों से ज्यादा गांवों में हैं। गांवों के लोग अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा सोना खरीदने में खर्च करते हैं। जहां शहरों में लोग ऐशो-आराम की चीजें खरीदने में अपना पैसा लगाते हैं। वहीं गांवों में लोग सोना खरीदने में या घर बनाने में अपनी पूंजी लगा देते हैं।
सदियों से सोना महिलाओं को आर्कषित करता रहा है। मगर बढ़ती कीमतों ने महिलाओं को निराश किया है। लेकिन आप चाहें तो भारी-भरकम गहनों के बदले हल्के गहने भी ले सकती हैं। अब कई ब्रांड के गहने हल्के वजन में भी मिलने लगे हैं जिससे लोगों को थोड़ी रहत मिली है और सोना पहनने की हसरत  पूरी हुई है।

दरअसल अगस्त के बाद त्योंहारों और शदियों का मौसम शुरू हो जाता है और अगर आप गहनों के बारे में सोच रहे हैं तो फिर कुछ बातों को ध्यान में रखकर ही खरीदें क्योंकि सोना खरीदना भी निवेश का अच्छा विकल्प है। हमेशा क्लासिक डिजाइन के छोटे गहने खरीदें। वैसे तो जूलरी हर जगह मिलती है पर आप यह तय कर लें कि आपको गहने किसी अच्छी दुकान से खरीदने हैं।

अपने गहनों पर हॉलमार्क के निशान और उसका प्रमाण पत्र लेना न भूलें। कभी भी क्लाविटी के साथ समझौता न करें। अपनी सुविधा को ध्यान में रखकर गहने खरीदें। फैशन और दिखावे या प्रतिद्वंद्विता के चक्कर में न पड़ें। गहनों के डिजाइन और उसके टिकाऊ होने का ध्यान रखें। अगर आप सोने के साथ डायमंड जड़ा गहना खरीदना चाहते हैं तो हमेशा पहचान की दुकान से खरीदें और डायमंड का प्रमाण पत्र लेना न भूलें।

पीले सोने के जेवरों की मांग एक बार फिर फैशन में है। यह डायमंड के साथ और बगैर डायमंड के भी मिलते हैं। लम्बी चेन, ब्रेसलेट, लम्बी एयरिंग और बड़ी-बड़ी अंगूठियां आजकल चलन में हैं। पुरुषों क लिए चेन, अंगूठी और ब्रेसलेट की जगह टाइपिन और कफलिंग ने ले ली है। अगर आप वर्किंग है तो हल्के गहने पहनें।

पीएम मोदी के लिए है बुरी खबर ऐसे नहीं आएंगे ‘अच्छे दिन’

modi नई दिल्ली – गन्ना उगाने वाले नीलेश कदम ने अपनी ट्रैक्टर खरीदने की योजना छोड़ दी है क्योंकि उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं है। नीलेश उन किसानों में से एक हैं जो खराब मौसम, कपास, सोयबीन और रबर जैसे उत्पादों की घटती कीमतों से परेशान है। ग्रामीण भारत में इस तरह की कठिन स्थिति पीएम नरेंद्र मोदी के लिए कतई अच्छी खबर नहीं है जो पिछले साल मई में इस वादे के साथ सत्ता में आए थे कि वह करोड़ों भारतीयों को गरीबी से मुक्ति दिलाने के लिए नई नौकरियों और विकास के माध्यम से उनके ‘अच्छे दिन’ लाएंगे।

महाराष्ट्र के 29 वर्षीय किसान नीलेश कहते हैं, ‘इस साल मुझे गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद थी लेकिन चीनी मिल पिछली साल की तुलना में 20 फीसदी कम भुगतान कर रही हैं। ट्रैक्टर तो छोड़िए, मेरे पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि मैं एक मोटरसाइकल भी खरीद सकूं।’ सिर्फ मौसम या बाजार की अनिश्चितता ही मुंबई से 280 किलोमीटर दक्षिण में स्थित नीलेश के गांव पडाली की कठिनाइयों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि मोदी सरकार द्वारा ग्राणीण इलाकों में खर्च में परिवर्तन के आदेश से भी ग्रामीण उपभोक्ताओं और उनसे जुड़ी इंडस्ट्रीज पर असर पड़ रहा है।

रेटिंग एजेंसी मूडी की भारतीय शाखा आईसीआरए की सीनियर इकनॉमिस्ट अदिती नायर कहती हैं, ‘ग्रामीण कंजम्पशन देश के विकास के प्रमुख स्तंभों में से एक था। उन्होंने ग्रामीण भारत में कमजोर मांग का अनुमान लगाया है। देश के आर्थिक ग्रोथ में ग्रामीण इलाकों का योगदान अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में घट गया है, जो पिछली तिमाही में 5.3 फीसदी था। ट्रैक्टर निर्माता कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने पिछले साल के अंत में सेल में गिरावट के बाद अपनी फैक्ट्रीज में महीने के कुछ दिनों के लिए प्रॉडक्शन कम कर दिया है। कंजयूमर गुड्स फर्मों और ऑटो मेकर्स ने भी ग्रामीण सेल में गिरावट की रिपोर्ट दर्ज की है।

भारत के 1.25 अरब लोगों में से 80 करोड़ से ज्यादा लोग गांवों में रहते हैं, जिनका योगदान इकॉनमी में 35 फीसदी है। मोदी की बीजेपी को इस साल के अंत में उस बिहार राज्य में चुनावों का सामना करना है जो हिंदी बेल्ट के उन सबसे बड़े राज्यों में से एक हैं जहां बड़ी संख्या में ग्रामीण गरीब रहते हैं। साथ ही 2016 में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भी चुनाव होने हैं।

कल्याणकारी योजनाओं में कटौती

ग्रामीण वोटरों क लुभाने के लिए पिछली सरकार ने अनाज खरीद की कीमतों में बढ़ोतरी की थी, किसानों को लोन से मुक्ति दिलाने के लिए पैकेज दिए थे और साल में जो चाहें उनके लिए 100 दिनों का रोजगार देने का वादा किया था। इन कदमों से ग्रामीण उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता बढ़ गई थी, जिससे 2008 की फाइनैंशल क्राइसिस के बाद शहरी इलाकों की डिमांड में आई कमी से परेशान उद्योगों को मदद मिली थी। हालांकि, इससे महंगाई बढ़ी थी और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्याज दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

महंगाई पर रोकथाम और राज्यों के लोन पर लगाम कसने के लिए मोदी सरकार ने खेती के समर्थन मूल्यों में बढ़ोतरी को सीमित कर दिया है। इसका उद्देश्य महंगाई दर को घटाना और रोजगार योजनाओं को बढ़ाना है। वह इंफ्रास्ट्रक्टर और स्किल्स में निवेश करना चाहते हैं जिससे भारत के दीर्घकालीन विकास को बल मिल सके। हालांकि, इन उपायों से महंगाई में तो कमी आई लेकिन सरकार द्वारा अचानक निवेश में कमी लाए जाने से से वे फर्में मुश्किल में आ गई है जो ग्रामीण इलाकों की मांग के कारण लाभ में आई थीं।

महिंद्रा ऐंड महिंद्रा में फर्म इक्विपमेंट के चीफ ऐग्जिक्युटिव राजेश जेजुरकर ने कहा, ‘बारिश में देरी, खराब अनाज और आय में कमी ने ट्रैक्टर के सेल को प्रभावित किया है। ट्रैक्टर के क्षेत्र में महिंद्रा मार्केट लीडर है। दो पहिया वाहनों की ब्रिकी के आंकड़ों से शहरी और ग्रामीण इलाकों में काफी फर्क दिखता है। ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय वाहन मोटरसाइकल की बिक्री में दिसंबर में 3.5 फीसदी की कमी आई है। जबकि ज्यादातर शहरी लोगों द्वारा चलाए जाने वाले स्कूटर की बिक्री में एक साल पहले 24 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

ग्लोबल कमॉडिटीज में गिरावट
मोदी सरकार की ग्रामीण इलाकों में निवेश को लेकर नीतियों में बदलाव से खेती की वस्तुओं की ग्लोबल कीमतों में गिरावट आई है। जिससे आयात सस्ता हो रहा है और भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो रहा है। कोटक कमॉडिटी सर्विसेज के फैयाज हुडानी ने कहा, ‘कई कमॉडिटीज का निर्यात कम आकर्षक रह गया है और कुछ स्थितियों में अव्यावहारिक हो गया है।

ग्रामीण इलाकों को लाभ पहुंचान के उद्देश्य से सड़कों, रेलवे और सिंचाई प्रोजेक्ट्स में निवेश तेज करने की सरकार की योजना का लाभ फिलहाल इसलिए नहीं मिल पा रहा है क्योंकि बजट की बाधा के कारण फिलहाल इन प्रोजेक्ट्स की गति धीमी है।

लोकसभा चुनावों में जीत के बाद हुए कई राज्यों के चुनावों में बीजेपी को फायदा हुआ है, जिनमें महाराष्ट्र भी शामिल है, लेकिन चुनावों में विपक्षी पार्टी के लिए वोट करने वाले नीलेश कदम बीजेपी से प्रभावित नहीं हैं और कहते हैं कि ग्रामीण इलाकों के वोटरों के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है।

यह महाराष्ट्रीयन किसान पूछता है, ‘कैंपेन के दौरान मोदी कहते थे कि अच्छे दिन आ रहे हैं। अच्छे दिन कहां हैं? उन्होंने हमारे लिए चीजें और खराब बना दी हैं।’

पति के पद का लाभ तो नहीं उठातीं आप !

पति के ऊंचे पद का गुमान हर स्त्री को होता है। पति के पद, प्रतिष्ठा और सुविधाओं का उपयोग और दुरुपयोग करना भी अधिकतर पत्नियां अपना कर्तव्य समझती हैं। लेकिन क्या यह उचित है? क्या वह जानती हैं कि इसका असर उनके पति की कार्यालयी जिंदगी पर पड़ता है?

क्यों करती हैं महिलाएं ऐसा? इसके मनोवैज्ञानिक और सामाजिक पहलू दोनों हैं। कुछ स्त्रियों में स्वाभाविक तौर पर दिखावे की प्रवृत्ति होती है। पति के पद और रुतबे का रौब वे अपनी सहेलियों, रिश्तेदारों पर डालना चाहती हैं तो कभी-कभी खुद कुछ नहीं कर पाने की कुंठा में भी वे पति के पद का दुरुपयोग करने लगती हैं।

woman husband lifestyle
इसका एक पक्ष यह भी है कि कई दफा पत्नियां खुद को पति के पद पर आसीन समझ बैठती हैं। उन्हें लगता है कि सामाजिक दृष्टि से पति की हर चीज पर उनका हक होता है, इसलिए उनके दफ्तर और मातहतों पर भी उनका हक है। वे जैसे चाहें उनका उपयोग कर सकती हैं। लेकिन पत्नी का इस तरह पति के पद का फायदा उठाना अनुचित है।

पति को नौकरी में सुविधाएं अपने काम को बेहतर ढंग से करने के लिए मिलती हैं, न कि निजी जिंदगी को आसान बनाने के लिए। दफ्तर के काम में हर्ज करवा कर पति के ड्राइवर, चपरासी या अन्य मातहतों से काम करवाना उनकी प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं होता है। दूसरी ओर मातहतों का काम अपने अफसर के आदेशों का पालन करना होता है न कि उनकी पत्नियों के। अफसर की बीवी के हुक्म बजाना किसी को पसंद नहीं होता।

पति के दफ्तर की गाड़ी या उनके मातहतों से काम लेकर आप सामाजिक प्रतिष्ठा नहीं पा सकतीं। सहेलियों, पड़ोसिनों व रिश्तेदारों के बीच आप मजाक का पात्र ही बनेंगी। वे आपकी बुराई भी करेंगी कि आप अपने पति के दफ्तरवालों से काम करवाती हैं, उनके साथ बुरा बर्ताव करती हैं।

पीठ पीछे पति के मातहत भी दफ्तर में उनका और आपका मजाक बनाएंगे, आपके घर की बातें मिर्च-मसाला लगा कर सबको बताएंगे। इससे आपके पति की प्रतिष्ठा अपने सहयोगियों और मातहतों के बीच कम होगी।

पति की इज्जत बनाए रखना आपके ही हाथ में है। अगर पति ऊंचे ओहदे पर हैं और उन्हें कुछ निजी सुविधाएं मिली हुई हैं तो उनका आप उपयोग कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में भी यह ध्यान रखना चाहिए कि अफसर आपके पति हैं, आप नहीं। पति को प्राप्त सुविधाओं का दुरुपयोग करना आपके लिए उचित नहीं है।

जनसंख्या बढाओ अभियान के निहितार्थ

BJP-MP-Sakshi-Maharajकेंद्र में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की बहुमत की सरकार बनने के बाद कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठनों व इनके नेताओं द्वारा हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के उद्देश्य से जहां कई प्रकार के नए राग छेड़े गए हैं उनमें हिंदुओं की जनसंख्या बढ़ाने का भी एक नया राग बड़े ही ज़ोर-शोर से अलापा जाने लगा है। पार्टी के अन्य नेताओं की तो बात ही क्या करनी संसद के कई सदस्यों द्वारा भी हिंदू समुदाय के लोगों का इस बात के लिए आह्वान किया जा रहा है कि वे 4 अथवा 5 बच्चे पैदा करें। अपनी बातों को लोकप्रिय बनाने के लिए तथा मात्र यह दर्शाने के लिए कि वे हिंदू धर्म के तथा राष्ट्र के कितने बड़े शुभचिंतक हैं कई भोंडी दलीलें दी जा रही हैं। कहा जा रहा है कि अपने 4-5 बच्चों में से एक बच्चे को देश की सेना में भर्ती कराएं तथा एक बच्चे को साधू-संत बनाएं। शेष बच्चे माता-पिता की सेवा करें।

हास्यास्पद बात तो यह है कि इस फार्मूले का अमल न तो स्वयं ऐसी सलाह देने वाले नेताओं द्वारा अपने निजी जीवन में किया गया है न ही इनके शीर्ष नेता द्वारा 4-5 बच्चे पैदा कर तथा उनमें किसी एक को फौज में भेजकर व एक बच्चे को साधू-संत बनाकर आम हिंदू को दी जाने वाली सलाह का अनुसरण करते देखा गया है। हेडगेवार गोलवरकर,दीन दयाल उपाध्याय,श्यामाप्रसाद मुखर्जी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी,मोहन भागवत,लाल कृष्ण अडवाणी यहां तक कि स्वयं प्रवीण तोगडिय़ा,साक्षी महाराज अथवा साध्वी प्राची जैसे किसी भी नेता का नाम ले लें इनमें से न तो किसी के चार-पांच भाई हैं न ही इनमें से किसी नेता की कोई संतान फौज में है, न ही किसी नेता ने अपनी संतान को संत समाज को समर्पित किया है। और तो और आम हिंदुओं को 4-5 बच्चे पैदा करने की सीख देने वाले राष्ट्रीय स्वयं संघ परिवार द्वारा अपने स्वयं सेवकों को कुंआरा ही रहकर देश सेवा करने की सीख दी जाती है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं हैं जिन्होंने विवाहित होने के बावजूद मात्र संघ की सेवा के लिए अपनी पत्नी को अपना हमसफर बनाकर रखना मुनासिब नहीं समझा।

सवाल यह है कि ऐसी परिस्थितियों में जबकि देश बढ़ती हुई जनसंख्या को लेकर चिंतित है, आम देशवासियों को बिजली,पानी,स्वास्थ सेवाएं,रोज़गार, रिहाईशी मकान,तन ढकने के लिए कपड़े जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराए जाने में तरह-तरह की मुश्किलें आ रही हों और पांच दशकों से सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण हेतु लोगों को जागरूक करने के लिए तरह-तरह के राष्ट्रव्यापी अभियान चलाए जा रहे हों,संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जनसंख्या विस्फोट के विषय पर चिंता जताई जा रही हो,देश में कंडोम तथा गर्भनिरोधक गोलियां नि:शुल्क उपलब्ध करवाए जाने जैसी सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हों,आम लोगों को जागरूक करने के लिए तरह-तरह की डाक्यूमेंट्री फिल्मे इसी विषय पर बनाई जाती हों,पोस्टर,पंपलेंट तथा विज्ञापन आदि पर जनसंख्या नियंत्रण हेतु अरबों रुपये खर्च किए जाते हों वहां देश के सांसदों द्वारा तथा सत्तारुढ़ दल के लोगों द्वारा देश के बहुसंख्य हिंदू धर्म के लोगों को जनसंख्या वृद्धि के लिए उकसाना आखिर कितना उचित है? क्या देश के सांसदों को नैतिक रूप से सरकार की योजनाओं के विरुद्ध इस प्रकार का अनर्गल प्रचार करना चाहिए? क्या इस प्रकार का दुष्प्रचार करने वाले लोग धर्म अथवा देश के हितैषी कहे जा सकते हैंं? आखिर क्या मकसद है इनके ऐसे दुष्प्रचार का और केवल हिंदुओं का ही आह्वान जनसंख्या बढ़ाने हेतु इनके द्वारा क्यों किया जा रहा है?

जनसंख्या बढ़ाओ अभियान के पैरोकारों द्वारा मुख्य रूप से दो तर्क दिए जा रहे हैं। एक तो यह कि मुसलमानों द्वारा चार शादियां कर 40 बच्चे पैदा किए जाते हैं। इसलिए उनकी बढ़ती आबादी भविष्य में भारत में बहुसंख्य हो जाएगी। और हिंदू अल्पसंख्यक होकर रह जाएगा। इसलिए हिंदू धर्म का शुभचिंतक बताते हुए यह लाग ऐसी सलाह दे रहे हैं। दूसरा खतरा इन्हें उस ईसाई मिशनरीज़ से है जिनपर नियोजित तरीके से धर्म परिवर्तन कराए जाने का आरोप लगता रहता है। क्या इनके द्वारा मुसलमानों व ईसाईयों के विषय में बताए जा रहे आंकड़े व इल्ज़ाम सही हैं? और यदि हैं तो ऐसा क्यों है? इन आरोपों में कितना दम है और इस प्रकार का प्रचार करने के पीछे क्या कारण निहित हैं यह जानना बहुत ज़रूरी है। आम हिंदुओं की भावनाओं को भडक़ाने के लिए तथा उन्हें डराने के लिए भले ही यह कह देते हों कि मुसलमान चार बीवियां रखते हैं तथा 40 बच्चे पैदा करते हैं।

परंतु उनकी इस लफ्फाज़ी का वास्तविकता से दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। इस तर्क में सच्चाई केवल इतनी ही है कि मुस्लिम शरिया में कोई व्यक्ति परिस्थितियों के अनुसार आवश्यकता पडऩे पर चार पत्नियां रख सकता है। परंतु इस पर अमल भले ही छठी शताब्दी में होता रहा हो परंतु आज के दौर में यह प्रावधान केवल मुस्लिम पर्सनल लॉ तक ही सिमट कर रह गया है। इस कानून का हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है। और यदि है तो इन दक्षिणपंथियों को देश के किसी ऐसे मुस्लिम व्यक्ति का नाम ज़रूर बताना चाहिए जिसकी चार बीवियां हों और 40 बच्चे तो क्या 20 या दस-पंद्रह बच्चे भी हों?इनकी अपनी पार्टी में मुख्तार अब्बास नकवी,शाहनवाज़ हुसैन तथा नजमा हैपतुल्ला जैसे सीमित परिवारों के मुसलमानों के बारे में यह लोग बखूबी जानते हैं। अबुल कलाम आज़ाद,डा० जाकिर हुसैन,फखरूद्दीन अली अहमद,एपीजे अब्दुल कलाम आखिर इनमें से कौन ऐसा था जिसकी चार पत्नियां थीं और 40 बच्चे थे?

अपनी रूढ़ीवादी सोच तथा अशिक्षा के चलते जो मुस्लिम समाज अपनी रोज़ी-रोटी के लिए जूझ रहा है। अपने छोटे परिवार का पेट भरने के लिए जिसे रोटी के लाले पड़े हुए हैं। वह समाज अपनी चार बीवियों को या 40 बच्चों की परवरिश करने की कल्पना आखिर कैसे कर सकता है? देश में हुए जनसंख्या विस्फोट का ठीकरा केवल चार शादियां जैसे प्रावधान के चलते मुसलमानों के सिर पर फोडऩा हकीकत से कहीं दूर तथा पूरी तरह हिंदू समुदाय के लोगों में भ्रम पैदा करने तथा इसी भय के चलते उन्हें राजनैतिक रूप से अपने पक्ष में संगठित करने के निहितार्थ है इसके सिवा और कुछ नहीं। दरअसल जनसंख्या वृद्धि का कारण न तो मुसलमान हैं न ही मुस्लिम शरिया में चार पत्नियां रखने का प्रावधान।

बल्कि इसके पीछे एकमात्र कारण है अशिक्षा तथा जहालत। और अशिक्षित व जाहिल लोगों की जनसंख्या हिंदू धर्म में भी बड़े पैमाने पर है और मुसलमानों में भी। आप दूर-दराज़ के इलाकों खासतौर पर अशिक्षित आबादी में सर्वेक्षण करेंगे तो यही नज़र आएगा कि अधिक आबादी प्राय: गरीबों,जाहिलों व अनपढ़ लोगों की बस्तियों में ही है। और अशिक्षा व जहालत का संबंध किसी एक धर्म अथवा समुदाय से बिल्कुल नहीं है। जिस प्रकार भारतवर्ष में 85 प्रतिशत जनसंख्या हिंदुओं की है उसी अनुपात के अनुसार अशिक्षित लोगों की संख्या भी सबसे अधिक हिंदुओं की ही है। कमोबेश यही हाल मुस्लिम समुदाय में भी है। इनमें शिक्षित लोग कम और अशिक्षित अधिक हैं। और निश्चित रूप से उन अशिक्षित मुस्लिम परिवारों में बच्चों की संख्या भी शिक्षित मुस्लिम समुदाय परिवरों की तुलना में अधिक हो सकती है। परंतु केवल अपने दूरगामी राजनैतिक हितों को साधने की गरज़ से एक ही डंडे से पूरे समुदाय को हांकना देशहित में कतई नहीं है। अन्यथा कथित हिंदू शुभचिंतकों को लालू प्रसाद यादव जैसे नेता को भी अपने उदाहरण में शामिल करना चाहिए जिनके अपने 9 बच्चे हैं। जबकि पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम ने कुंआरे ही रहकर देश को सदृढ़ बनाने में अपना पूरा जीवन गुज़ार दिया।

रहा सवाल ईसाई मिशनरीज़ द्वारा धर्मातंरण कराए जाने का तो इस विषय पर बहस होती रहती है। यहां भी ईसाई मिशनरीज़ पर आरोप मढऩे के बजाए अपनी उन कमियों पर नज़र रखना ज़रूरी है जो पिछले दिनों आरजेडीसांसद पप्पु यादव द्वारा लोकसभा में चिन्हित की गईं थीं। कि आ$िखर क्यों लोग धर्मातंरण करते हैं? इन सब शगूफों को छोडऩे से पहले हिंदू समाज में समानता,समरसता लाए जाने की मुहिम चलाने की ज़रूरत है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में लाखों लोगों द्वारा हिंदू धर्म त्याग कर बौत्र्द्ध धर्म सवीकार करना किसी मुस्लिम शरिया के चलते घटने वाली घटना नहीं थी। जिसे आप अपने कुंए से पानी नहीं भरने देगे,मंदिरों में प्रवेश नहीं करने देंगे, दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं चढऩे देंगे,सर पर पगड़ी नहीं पहनने देंगे, अपने बराबर कुर्सी या चारपाई पर बैठने नहीं देंगे उसे आप धर्म परिवर्तन करने से कैसे रोक सकते हैं? और आपको इस बात का अधिकार ही क्या है? कुल मिलाकर जनसंख्या बढ़ाओ अभियान चलाने वालों का मकसद न ही हिंदू हित है न ही राष्ट्रहित। बल्कि यह सब बहुसंख्य हिंदू मतों को भावनात्मक रूप से अपने साथ जोडऩे तथा इसके बल पर सत्ता का स्वाद चखते रहने के सिवा और कुछ नहीं।
:- निर्मल रानी

nirmalaनिर्मल रानी
1618, महावीर नगर
अम्बाला शहर,हरियाणा।
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तेल में रपटती जनता

oilअच्छा राजा-महाराज वह होता था जो प्रजा की तकलीफों दुखों को न केवल समझता था बल्कि दुखों में दुखी एवं सुखी में खुशी का भी इज़हार करता था इसलीलिए राजा महाराजाओं को पालनकर्ता भी कहा जाता था। फिर बात चाहे राजा रामचन्द्रजी की हो, सम्राट अशोक की हो या अकबर की हो। अब न राजा रहे न महाराजा, जमाना गुजर गया, ज़माना बदल गया। 
 
अब लोकतंत्र में अनेकों  राजा अर्थात् जनता हे बाकी के सभी सेवक फिर चाहे वह लोक सेवक हो या जनप्रतिनिधि मालिक तो भिखारी बना धूम रहा है, बेरोजगारी महंगाई, लूट, हत्या, बलात्कारी जैसी समस्याओं के ताप से झुलस रहा है, असुरक्षित मसहसू कर रहा है। वही सेवक राजा-महाराजाओं की तरह बड़ी-बड़ी अटटालिकाओं में बैठ मदहोश है। इसमें सबसे बड़ा दुखद पहलू यह है कि जनता के बीच का ही आदमी अपने को ‘‘विशेष’’ समझ रहा है और सरकार में अपने को एक राजा की तरह व्यवहार कर रहा है फिर बात चाहे अधिकारियों की हो या जनप्रतिनिधियों की हो।
 
इस बात पर भी अब तो बहस चल निकली है सरकार को रीति एवं नीतियों का निर्माण कर उन पर सतत् निगरानी रखें न कि खुद व्यापारी बन व्यापारियों के पाले में खड़ी नजर आये। दुर्भाग्य से आज कुछ ऐसे ही घटित हो रहा है जो नहीं होना चाहिए।
 
अपने दंभ और मगरूर के कारण ही 125 वर्षों पुरानी कांग्रेस को जनता ने तिनके की तरह उडा दिया। लोकतंत्र में प्रजा ही मालिक है इसमें कोई संदेह नही ंहै। मालिक धैर्य, गंभीर और अति सहनशील भी है। जो अपने सेवकों की प्रत्येक चाल पर नजर रखे हुए है। नई केन्द्र सरकार को भी प्रकृति एवं परिस्थितियों ऐसा साथ दिया कि विगत् 6 माह में अर्न्तराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त गिरावट आई है। आज कच्चा तेल मूल से लगभग 50 से 55 प्रतिशत के आस-पास आ गया है। सुनहरा मौका था वर्तमान सरकार को इनके मूल्यों में इसी अनुपात में मुल्य कम महंगाई को न केवल नियंत्रित करने का बल्कि जनता से किये गये वायदों पर भी खरे उतरने का। लेकिन सरकार चूंकि और खुद एक व्यापारी की तरह कर पर कर बढ़ा अपने ही खजाने को भरने में जुट गई जो कि सन्देह जनता को न केवल नागवार गुजरा है बल्कि कहीं न कही अपने को ठगा सा महससू कर उसी महंगाई के थपेड़ों से जूझने में पुनः जुट सी गई हैं। 
 
ऊपर से जले पर नमक छिड़़कने का कार्य पैट्रालियम मंत्री धमेन्द्र प्रधान ने ऐसा वक्तव्य देकर कर, कर डाला। जैसे वे पहले सरकार के मंत्री बने हो ‘‘क्या सरकार सभी कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दे आम आदमी एवं गरीब के प्रति केन्द्र सरकार की बड़ी जिम्मेदारी हैं, यह पैसा कल्याणकारी योजनाओं में जाएगा। लोगों को स्वच्छधारी, विजयी व घर जैसी सुविधाएं चाहिए।’’ मंत्री के वक्तव्य से ऐसा संदेश जाता है जैसे विगत् 68 वषों में सरकार ने ऐसा नहीं किया। तेल कंपनियां पहले भी फायदे में थी मसलन केन्द्र सरकार से सब्सिडी ले रही थी। अब, जब पैट्रोल-डीजल दोनों ही कन्ट्रोल हैं, की अपेक्षित कीमत न गिरा मोटा मुनाफा कमा रही है। यहां यक्ष प्रश्न उठता है ये कैसा डी. कन्ट्रोल? जब तेल महंगा था तब भार जनता के सिर अब, जब तेल की कीमत लगातार घट रही है तब सरकार के मन में लालच क्यों जागा? क्यों लगातार दो बार उत्पाद शुल्क में वृद्धि की गई? क्यांे जनता की जेब पर डाका डाला गया? क्यों सरकार अच्छे दिन का सब्जबाग दिखा बनियागिरी पर उतरी?
 
पेट्रोल की तुलना में डीजल सबसे ज्यादा आम लोगों को प्रभावित करता है क्योंकि 70 प्रतिशत डीजल ट्रांसपोर्ट्रेशन में खपता है, वही 12 प्रतिशत कृषियों एवं 18 प्रतिशत उद्योग एवं पावर जेनरेटर में लगता हैं। इस तरह आम आदमी एवं किसान सभी इससे प्रत्यक्ष रूप से प्रभवित होते हैं एवं अप्रत्यक्ष रूप से महंगाई। ऐसे में आम आदमी का मन दुखना स्वाभाविक ही है जिस सरकार को जनता का हिमायती होना चाहिए  वह उद्योगपतियों के इशारे पर चलती नजर आ रही है। 
 
निःसंदेह महंगाई एवं राजकोषीय घाटा कम करने का दबाव नई सरकार पर है। यदि सरकार को अपने खजाने की इतनी ही चिंता है एवं विकास के लिए धन की तो क्यों नहीं नशीले-मादक पदार्थों एवं लक्जरी उत्पादों पर टैक्स बढ़ाती? क्यों न ही सरकार के जनप्रतिनिधि सुख सुविधाओं, बैतहाशा  अपने स्वयं की पगार बढ़ाने पर कटौती नहीं करते? क्यों बड़े-बड़े सरकारी आयोजनों एवं महंगे होटलों पर कटोैती नहीं करते? कैसे जनप्रतिनिधि अल्प समय में ही धन कुबेर बन जाते हैं? क्या वाकई में जनता केवल नेताओं की सत्ता प्राप्ति का ही निवाला ही बनती रहेगी?
सुशासन एवं जवाबदेही के लिए सरकारों को सोचना ही होगा। 
 :- डॉ.शशि तिवारी
Shashi Tiwariशशि फीचर.ओ.आर.जी.
 लेखिका सूचना मंत्र की संपादक हेैं
मो. 9425677352

डीजीपी की हिदायत, मीडिया का सहयोग करें पुलिस महकमा

DGP AK Guptaलखनऊ – डीजीपी एके गुप्त ने मातहतों को हिदायत दी है कि वह मीडिया के साथ सहयोग करें। मीडिया का सहयोग मिलने पर ही पुलिस महकमा अपने उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार कर सकता है। उन्होंने माना कि यदाकदा चूक से पुलिस की छवि बिगड़ती है। इसी तरह सोशल मीडिया के उपयोग से पुलिस की बात दूर तक आसानी से पहुंच सकती है।

डीजीपी मुख्यालय में ‘पुलिस व मीडिया के बीच बेहतर रिश्ते एवं पुलिस के अच्छे कायॆ का सही ढंग से प्रस्तुतीकरण’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में श्री गुप्त ने ये उद्गार व्यक्त किये। डीजीपी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस फोर्स की जिम्मेदारी है कि वह जनता को न्याय दिलाने में सहयोग करें। उन्होंने पुलिसकर्मियों को पूरे मनोयोग, तत्परता व निष्ठा से कार्य करने के लिये सलाह दी है ताकि पुलिस विभाग की छवि बेहतर दिखायी दे। उन्होंने कहा कि जोनल पीआरओ सेल को परिक्षेत्रीय और जनपदीय पीआरओ सेल के कार्य को अधिक प्रभावी बनाने में इसी प्रकार की कार्यशालाएं आयोजित करती रहनी चाहिए।

इस अवसर पर आईजी कानून-व्यवस्था ए. सतीश गणोश ने जनसम्पर्क के गुर समझाते हुए कहा कि जनहित के समाचारों को पूरी पारदर्शिता के साथ मीडिया को बताना चाहिए। विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित वरिष्ठ सूचना उप निदेशक डा. अशोक कुमार शर्मा ने विभिन्न उदाहरणों के साथ पुलिस जन सम्पर्क, सोशल मीडिया प्रबन्धन और पुलिस के लिये प्रेस कवरेज से सम्बन्धित बारीकियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जन सम्पर्क और मीडिया प्रबन्धन के नाम पर बहानेबाजी कभी भी किसी भी पीआरओ को :लोकप्रिय नहीं बना सकती। सूचना कम से कम समय में मीडिया तक पहुंचना ही जन सम्पर्क का सबसे सफल सिद्धान्त है। गृह विभाग के मीडिया प्रभारी विपिन कुमार मिश्र ने जोनल पीआरओ सेल का आह्वान किया कि वे जिलों की विशिष्ट व राज्य स्तर पर प्रचार योग्य खबरें शासन के मीडिया सेल को भी उपलब्ध करायें।

उन्होंने प्रेस प्रतिनिधियों को ई-मेल, एसएमएस व वेबसाइट के माध्यम से समाचार भेजने के लिए गृह विभाग के मीडिया सेल द्वारा अपनायी जाने वाली प्रक्रिया को विस्तार से बताया। डीजीपी के पीआरओ नित्यानन्द राय ने सभी जोन के पीआरओ सेल द्वारा किये जा रहे कायरें की समीक्षा की। कार्यक्रम में समस्त जोनल आईजी कार्यालयों के पीआरओ सेल के प्रभारियों ने हिस्सा लिया।

रिपोर्ट :-शाश्वत तिवारी

शिवराज ने प्रधानमंत्री को दिया मध्यप्रदेश आने का न्यौता

भोपाल –मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से उनके निवास पर भेंट कर उन्हें खंडवा जिले में स्थित सिंगाजी ताप विद्युतगृह के लोकार्पण के लिये मध्यप्रदेश आने का न्यौता दिया। उन्होंने श्री मोदी से अप्रैल, 2016 में होने वाले ‘सिंहस्थ’ महाकुम्भ में उज्जैन आने का भी आग्रह किया।

shivraj modi meet

”सिंहस्थ” महापर्व धर्म और आध्यात्म की दृष्टि से तो अपना विशेष स्थान रखता ही है, वहीं साधु, सन्तों, विद्वानों के विचार-विमर्श और लाखों की संख्या में देश के विभिन्न स्थानों से आने वाले श्रद्धालु और विदेशी नागरिक ज्ञान और आस्था के इस संगम का लाभ उठाते हैं। राज्य सरकार इस बार सिंहस्थ पर स्वच्छ भारत निर्माण, आध्यात्म, पर्यावरण एवं पृथ्वी संरक्षण विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों का भी आयोजन करेगी।

प्रधानमंत्री के समक्ष मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश के बासमती उत्पादक कृषकों की पीड़ा और इस संबंध में राज्य की गहन चिंता का उल्लेख करते हुए एपीडा द्वारा बासमती चावल के संबंध में भौगोलिक पंजीयक चेन्नई के 31 दिसम्बर 2013 के फैसले, जिसमें बासमती चावल उत्पादक राज्यों में मध्यप्रदेश को शामिल करने का आदेश दिया गया था, के विरूद्ध अपील में चले जाने का प्रकरण रखा।

एपीडा के बौद्धिक सम्पदा अधिकार सम्बन्धी बोर्ड में चले जाने से जहाँ प्रदेश के किसानों के हितों पर तुषारापात हुआ है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तानी बासमती चावल खरीदे जाने की स्थितियाँ निर्मित हो रही हैं। श्री चौहान ने प्रधानमंत्री से इस दिशा में कदम उठाने की अपील की ताकि प्रदेश के बासमती चावल उत्पादक कृषकों के हितों की रक्षा की जा सके और प्रदेश के बासमती चावल का निर्यात पूर्ववत जारी रह सके।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री श्री मोदी से प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) का दायरा बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने अपशिष्ट प्रबंधन, ग्रामीण पेयजल योजना, माइक्रो इरीगेशन, लॉजिस्टिक पार्क, मेडिकल कॉलेज, भोपाल और इंदौर की मेट्रो रेल आदि को प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप के दायरे में लाने के लिए व्यवहारिक अंतरकोष (बीजीएफ) में संशोधन के लिये वित्त विभाग को निर्देशित करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को मध्यप्रदेश आने का आश्वासन दिया। साथ ही राज्य हित के मामलों में यथासंभव सहायता और समाधान के लिये भी आश्वस्त किया। रिपोर्ट -आर.बी. त्रिपाठी

कैलाश विजयवर्गीय, राहुल गाँधी समाचार

Kailash-Vijayvargiya

इन्दौर- कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी  को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस आत्महत्या करने जा रही है| थोडी बहुत इस देश में कांग्रेस का जो अस्तित्व बचा है वह भी समाप्त हो जायेगा यह बात भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मकर संक्रति के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यकर्म में कही |

उन्होनें प्रदेशवासियों को मकर संक्रति की बधाई देते हुए कहा कि आज से सूर्य नारायण भगवान उत्तरायण हो रहे है. मलमास खत्म होकर मांगलिक कार्य शुरु हो जायेगें लेकिन लोकल इंदौर कांग्रेस पार्टी के लिए अभी शुभदिन नहीं आये है |

उन्होनें कहा कि पूरी कांग्रेस पार्टी संक्रमणकाल से गुजर रही है. ऐसे में पार्टी को बचाने की बजाए उसके नीति नियतक राहुल गाँधी को बागडोर सौंपने की बात कह रहे है. ऐसा निर्णय कांग्रेस के लिए आत्महत्या वाला निर्णय होगा. जो थोडी बहुत कांग्रेस इस देश में बची है वह भी खत्म हो जायेगी |
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने और गिल्ली डंडा खेलने पहुंचे प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने राहुल गांधी, कांग्रेस और सज्जन सिंह वर्मा पर जमकर प्रहार किए। विजयवर्गीय ने राहुल गांधी को कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए जाने के विषय पर कहा कि यह कांग्रेस का सोसाइडल प्रोग्राम है। बुधवार को कैलाश विजयवर्गीय ने अटल खेल परिसर पर पत्रकारों से चर्चा की। राहुल गांधी को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस का यह सुसाइडल प्रोग्राम है और मैं समझता हूं कि राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस की क्या दुर्दशा होगी, यह मैं कह नहीं सकता, उनमें नेतृत्व क्षमता नहीं है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस में कोई परिवर्तन आएगा और डिटोरेशन ही होगा। सदन में भूमिका भी ठीक नहीं 6 माह में 10 अध्यादेश आने के सवाल पर विजयवर्गीय ने कहा कि लोकसभा में बहस होना चाहिए और कानून बनाने का स्थल लोकसभा है। लेकिन कोई लोकसभा चलने ही नहीं दे और यह सोचे कि कानून नहीं बनाने देंगे तो यह सरकार की मजबूरी है। क्या सरकार काम करना बंद नहीं कर देगी। सरकार अपनी नीतियों को समाप्त नहीं कर सकती है इसलिए सरकार की जो नीतियां हैं, उसके अनुरूप अध्यादेश लाना जरूरी था और आध्यादेश लाए गए। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि दुर्भाग्य है कि कांग्रेस विपक्ष में नहीं है पर उनकी सदन में भूमिका भी अच्छी नहीं हैं




 

 

जनता की खोज ग्रुप ने समाजसेवियों को सम्मानित किया

नोएडा – सर्व जनहित समाज सेवा समिति वें जनता की खोज मीडिया ग्रुप ने अहिल्या बाई होल्कर सम्मान समारोह 2015 आयोजित किया गया  एनईए सभागार नोएडा में आयोजित इस सम्मान समारोह में शहर के जाने माने समाजसेवियों को सम्मानित किया गया।

janta ki khoj media group

समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम नरेश पाल व रऊफ अहमद सिद्वीकी ने संबोधन करते हुए बताया समाज में आज के दौर मे जो पिछडे वर्ग व गरीबी से लाचार लोगो को हम और हमारी एनजीओं का यही प्रयास रहेगा कि उनको शिक्षा रोजगार व समाज की मुख्यधारा से जोडा जाए।

हमारी संस्था के द्वारा तीन जगहों पर सिलाई शिक्षा केंन्द्रों का सफल संचालन किया जा रहा है। उसमें शिक्षा प्राप्त कर चुकी बच्चियों व महिलाओ को अवार्ड व प्रशिक्षण पत्र दिया गया। 

इस कार्यक्रम में आये हुए मुख्यअतिथि ओम प्रकाश शर्मा विधायक विश्वास नगर दिल्ली ने संस्था के द्वारा कियें गये कार्यो की सराहना की और बताया कि ऐसे कामो को करने वाले के लिए मेंरा व मेरी सरकार का पूरा सहयोग रहेगा।

कार्यक्रम में आये हुए विशेष अतिथि सुभाष सिंह , पवन राज सिंह, राजकुमार अग्रवाल, विनोद तकियावाला, संजय सिंह चैहान, अशोक श्रीवास्तव, मोहन सिंह, पी.एन. सिंह हरीश ओसवाल, ए.के.नागर एहबाद अहमद, शादाब सिद्वीकी, ने अपने विचार रखे। इस मौके पर संस्था के सभी पदाधिकारियों के अलावा सैकडो लोग मौजूद थे।

सारे तीर्थ बार -बार, गंगासागर एक बार

 कोलकाता – “गंगासागर” ये वो पावन भूमि है जो जनवरी माह में मकर संक्रांति आते- आते समुद्र से अपने आप प्रगट हो जाती है और कुछ दिनों बाद ही पुनः यहाँ चारो ओर पानी ही पानी दिखाई देता है। उसी के साथ सालभर के लिए ये गंगासागर की तपोभूमि समुद्र के गर्भ में समां जाती है। इन दिनों यहाँ देश/ विदेश के लाखो तीर्थयात्रियों का जमावड़ा होता है। 

उत्तर प्रदेश से अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व हनुमान गढ़ी [अयोध्या] के महंत ज्ञान दास द्वारा इस गंगासागर तीर्थयात्री शिविर का उद्घाटन किया गया। महत ज्ञान दास ने अपने उदबोधन में गंगासागर की महिमा पर बड़े विस्तार से चर्चा करते हुए इसके पौराणिक महत्त्व को बताया।

सभा के चेयरमैन लक्ष्मीकान्त तिवारी ने इस शिविर की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए यहाँ आये हुए तीर्थयात्रियों का पूर्ण सहयोग, दवा- इलाज सहित परिवहन में अपना पूरा सहयोग करने की बात कही। 

Gangasagar Tirth Yatri Sewa Shivir at Kolkata

कलकत्ता कान्यकुब्ज सभा एवं शाकुन्तल महिला कान्यकुब्ज समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित गंगासागर तीर्थ यात्री शिविर जो विगत 27वर्षो से लगातार चला आ रहा है। 

उक्त अवसर पर सभा के चेयरमैन लक्ष्मीकान्त तिवारी संयोजक दीपक मिश्रा, कुलदीप दीक्षित, दयाशंकर मिश्रा, प्रधान सचिव अशोक शुक्ल सहित मुकेश तिवारी, शिव किशोर मिश्र, संगम पण्डे, सुनील दीक्षित, सुधीर मिस्र एवं शकुंतला तिवारी, प्रभा बाजपाई आदि उपस्थित थे।
रिपोर्ट -शाश्वत तिवारी

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भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नक़वी Hindi News

 Mukhtar Abbas Naqviनई दिल्ली-भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नक़वी को वर्ष 2009 चुनाव के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन के लिए एक साल की सज़ा सुनाई गई। वहीं नक़वी को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया है।

हिरासत में लेने के बाद नकवी ने जमानत याचिका लगाई जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। थोड़ी देर बाद अदालत ने नकवी और उनके समर्थकों को तीस-तीस हजार के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया।

रिहा होने के बाद नकवी ने सजा पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। केंद्रीय राज्य मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी को आज एक स्थानीय  रामपुर अदालत ने आचार संहिता उल्लंघन मामले में दोषी पाते हुए उन्हें एक साल की सजा सुनाई |

यूपी के रामपुर में यह मामला दर्ज हुआ था। 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रशासन ने रामपुर के बीजेपी अध्यक्ष को हिरासत में ले लिया था। तब बीजेपी ने धरना किया था और धारा 144 का उल्लंघन किया था। कोर्ट ने केंद्रीय राज्य मंत्री नकवी को दोषी माना है।





मुख्तार अब्बास नकवी (जन्म : १५ अक्टूबर १९५७) भारत के एक प्रसिद्ध राजनेता हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख मुस्लिम नेता हैं। श्री नकवी का जन्म इलाहाबाद में हुआ। उन्होने अपनी शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की। भारत में आपातकाल घोषित होने पर १९७५०७७ तक वे जेल में थे। नकवी कभी इंदिरा गांधी को चुनाव में हराने वाले समाजवादी नेता राजनारायण के करीबी थे और उनके प्रभाव में सोशलिस्ट हुआ करते थे। वे बीजेपी में शामिल हो गए और 1998 में रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए। केंद्र सरकार में सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री भी बन गए वह दो किताबें स्याह और दंगा भी लिख चुके हैं।

 

पत्नी को दिया धोखा तो पति का काट दिया प्राइवेट पार्ट

पति की हरकतों से परेशान होकर एक महिला ने ऐसा खौफनाक कदम उठाया कि डॉक्टर भी हैरान रह गए। पति पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए महिला ने एक नहीं दो बार उसका प्राइवेट पार्ट काट डाला।

मामला चीन का है। पुलिस के अनुसार, पांच बच्चों के पिता फेन लंग (32) ने पत्नी के फोन से अपनी प्रेमिका झांग हंग (21) को प्यार भरा ईमेल भेजा था।

शांगचिउ स्थित अपने घर से उसने प्रेमिका को ईमेल भेजा लेकिन वह अपना अकाउंट लॉग आउट करना भूल गया। उसकी 30 वर्षीय पत्नी फेंग ने जब फोन देखा तो दंग रह गई। उसने अकाउंट चेक किया तो उसमें दोनों की बातचीत के और भी ईमेल मिले।

मिरर के अनुसार, इससे उसका गुस्सा उबल पड़ा और उसने दो कैंची लेकर पति पर धावा बोल दिया। घटना के वक्त उसका पति सो रहा था और अचानक हुए हमले से उसे संभलने का भी मौका नहीं मिला और महिला ने कैंची से उसकी प्राइवेट पार्ट काट दिया।

घटना के बाद लोगों ने फेन को अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने उसके प्राइवेट पार्ट को जोड़ दिया। लेकिन इसकी जानकारी मिलते ही उसकी पत्नी अस्पताल पहुंच गई और वहां उसने कैंची से दोबारा उसका प्राइवेट पार्ट काट दिया।

यही नहीं, इस बार उसने प्राइवेट पार्ट काटकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक निर्वस्त्र व्यक्ति अस्पताल के बाहर एक महिला को पीट रहा है।

सूचना मिलते ही स्टाफ के लोग बाहर की ओर भागे तो वहां का नजारा देखकर उनके होश उड़ गए। उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति निर्वस्त्र हालत में खड़ा है और महिला को पीट रहा है। उसके पैर पूरी तरह खून से सने हुए हैं।

लोगों ने उसे रोका और महिला को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया। बाद में पता चला कि महिला उसी व्यक्ति की पत्नी है और उसने दोबारा पति का प्राइवेट पार्ट काट दिया है।

जानकारी मिलने के बाद पुलिस और डॉक्टरों ने खिड़की के बाहर उसके कटे हुए अंग को खोजने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। माना जा रहा है कि इसे किसी कुत्ते या बिल्ली ने खा लिया होगा।

अस्पताल के प्रवक्ता के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति का बहुत ज्यादा खून बह गया था, जिसके बाद उसे तत्काल इमरजेंसी सर्जरी के लिए भेज दिया गया। फिलहाल उसकी हालत स्थिर बनी है।

घटना की जानकारी मिलते ही फैन की प्रेमिका भी अस्पताल पहुंच गई। उसने कहा कि वह उसके ठीक होते ही शादी कर लेगी। उसने कहा कि उसका प्राइवेट पार्ट कट जाने से उनके प्यार में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उसके पांच बच्चे पहले से ही हैं।

आरोपी पत्नी को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। उस पर शारीरिक छति पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया है।

शाजिया इल्मी, अरविंद केजरीवाल व आम आदमी पार्टी

AAP leader Shazia ILMIनई दिल्ली – आप में शामिल रहीं शाजिया इल्मी ने आखिरकार पाला बदल ही लिया। अब वे दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार करती नजर आएंगी। चुनाव की घोषणा होने के साथ ही राजनीतिक पार्टियों में दल-बदल की खबरें बढ़ गईं हैं। मंगलवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कांग्रेस व आप के कुछ नेताओं के भाजपा में शामिल होने का दावा किया था।

सूत्रों के अनुसार, शाजिया के इस कदम को ज्यादा चौंकाने वाला नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि हालिया समय में उनकी गतिविधियों से लग रहा था कि वे भाजपा के करीब जा रहीं हैं।

आप से अलग होने के बाद से शाजिया खुलेआम अरविंद केजरीवाल व आम आदमी पार्टी की आलोचना कर रहीं थीं। यहां तक कि पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय के साथ झाड़ू लगाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके अलावा उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ भी की।

शाजिया इल्मी ने गाजियाबाद से आम आदमी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन जमानत जब्त करवा बैठी थीं। Shazia Ilmi
शाज़िया इल्मी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता है। वह पहले स्टार न्यूज पर एक टेलीविजन पत्रकार और एंकर थीं। इन्‍होंने आम आदमी पार्टी की विचारधारा से प्रभावित होकर इसमें अपनी सदस्‍यता ले ली थी। इन्‍होंने आम आदमी पार्टी में बतौर कार्यकर्ता रहकर लोकसभा चुनाव २०१४ में गाजियाबाद से अपना नामांकन दाखिल किया था। लेकिन इन्‍हें यहॉ हार का सामना करना पडा। वह दिल्‍ली से चुनाव लडना चाहती थी, परंतु उन्‍हें गाजियाबाद का टिकट दिया गया। दिनांक २४ मई २०१४ को पार्टी की आंतरिक कलह से परेशान होकर इन्‍होंने आम आदमी पार्टी के सभी पदों से अपना इस्‍तीफा दे दिया



सलमान खान को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं

Salman Khan नई दिल्ली – काला हिरण शिकार मामले में अभिनेता सलमान खान को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। उच्चतम न्यायालय ने सलमान को राजस्थान हाई कोर्ट वापस भेज दिया। साथ ही उसने निचली अदालत के आदेश को निलंबित रखने के राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को दरकिनार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट से कहा कि वह दोषसिद्धि पर रोक लगाने के मुद्दे पर सलमान की याचिका पर नए सिरे से विचार करे।

दरअसल, राजस्थान की एक निचली अदालत ने सलमान को काले हिरण के शिकार का दोषी पाते हुए उन्हें पांच साल जेल की सजा सुनाई थी। लेकिन, सलमान की याचिका पर हाई कोर्ट ने निचली अदालत की सजा को निलंबित कर दिया था जिसे राज्य सरकार ने चुनौती दी थी।

इधर, निचली अदालत द्वारा दोषी पाए जाने के बाद सलमान को ब्रिटेन ने अपना वीजा दिए जाने से इनकार कर दिया। ब्रिटेन ने यह कहते हुए सलमान को वीजा देने से इनकार कर दिया था कि उसकी नीति किसी अपराध के दोषी व्यक्ति को वीजा नहीं दिए जाने की है।

गौरतलब है कि ‘हम साथ साथ हैं’ फिल्म की शूटिंग के दौरान जोधपुर के पास एक गांव में 1-2 अक्तूबर, 1998 की दरमियानी रात को कथित रूप में दो काले हिरणों का शिकार किया गया था। मामले में सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे, नीलम के अलावा दुष्यत सिंह और दिनेश गावरे पर भी विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।




देश को गरीब कर रहे मुसलमान : तोगड़िया

togadia 0बरेली – विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया ने मंगलवार को अपने एजेंडे के मुताबिक हिंदू मुसलमान के फर्क पर कई विवादास्पद बातें की। उन्होंने कहा कि मुसलमान चार बीवियां और दस बच्चे पैदा कर देश को गरीब कर रहे हैं, फिर भी उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है। तोगड़िया ने समृद्ध, सुरक्षित और सम्मानित हिंदू का नारा देकर अपने को मजबूत करने और विश्व में हिंदू बहुमत बनाने का संकल्प दिलाया।

प्रशासन की सशर्त अनुमति को ध्यान में रखते हुए कहा कि हम धर्मांतरण की बात ही नहीं कर रहे, घर वापसी की बात हो रही है। विश्व हिंदू परिषद के 50 वर्ष पूरे होने पर देश भर में चल रहे कार्यक्रमों की कड़ी में बरेली में आयोजित हिंदू सम्मेलन को संबोधित करते हुए तोगड़िया ने अपने लिहाज से संयमित संबोधन में हिंदुओं से चार बच्चे पैदा करने के साध्वी प्राची के आह्वान पर कहा कि हिंदू अधिक बच्चे पैदा करने की बात करे तो उसकी जुबान पर ताला लगाया जाता है।

साध्वी प्राची के बयान पर लोग छाती पीटने लगते हैं। जो छाती पीट रहे हैं, उनमें हिम्मत है तो दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर प्रतिबंध का कानून बनवाएं और मुसलमानों पर भी इसे लागू करवाया जाए। एक समय पूरे विश्व में हिंदू था। उस हिसाब से 700 करोड़ हिंदू होने चाहिए थे। इस समय केवल 100 करोड़ हैं। अब भी नहीं चेते तो अगले सौ वर्षों में महज 10 करोड़ रह जाएंगे। विहिप का उद्देश्य सौ वर्ष बाद के हमारे वंशजों को सुरक्षित, सम्मानित और समृद्ध समाज देना है।   इंटर पास मुस्लिम छात्राओं को तीस हजार का अनुदान देने के मामले में डॉ. तोगड़िया ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर निशाना साधा कि वह यादवों के भी नहीं रहे।

तोगड़िया ने कहा कि बेटियों को अनुदान देना था तो ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य, धोबी, कुर्मी, कहार, सभी जातियों की बेटी को देते। केवल मुस्लिम को ही क्यों। यादव समाज की छात्राओं को ही अनुदान दे देते। अखिलेश यादव तो अपने समाज के भी नहीं रहे। वहीं मिलक में आयोजित कार्यक्रम में तोगड़िया ने कहा कि धर्मांतरण नहीं, घर वापसी सही। लव जेहाद नहीं, घर में अनेक बच्चे सही, समान नागरिक संहिता सही, बंगाली नहीं। इन छह सूत्रों के जरिये हिंदू राष्ट्र बनाओ। वह मिलक में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने साफ कहा कि धर्मांतरण नहीं होता तो न पाकिस्तान होता और न ही बांग्लादेश। धर्मांतरण को लेकर कानून बनना चाहिए। सरकार भी इसके पक्ष में है। तोगड़िया ने कार्यकर्ताओं में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए जोश भरा। कहा कि हमारे पास दुनिया की कुर्सी थी और सम्मान था। दो हजार साल में सुरक्षा तथा समृद्धि चली गई। हमारे घरों की समृद्धि इंग्लैंड और अरब चली गई। कार्यकर्ता उपरोक्त छह सूत्रों पर चलें। भारत फिर से दुनिया का सिरमोर बनेगा।

डा. तोगड़िया मंगलवार रात बरेली से दिल्ली जाते वक्त हाईवे पर नरुला ढाबे पर रुके। यहां विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि धर्मांतरण से सबसे ज्यादा यदि कोई प्रभावित हुआ है तो वह हिंदू हैं। धर्मांतरण नहीं होता तो न पाकिस्तान होता और न ही बांग्लादेश होता।

धर्मांतरण को लेकर कानून बनाया जाना जरूरी है। केंद्र सरकार इसके पक्ष में है। यह कानून अब बेहद जरूरी है। उन्होंने साक्षी महाराज के उस बयान का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने हिंदुओं से चार बच्चे पैदा करने की अपील की है। कहा कि यदि कोई मुस्लिम नेता इस तरह का बयान देते हैं, तो उसकी चर्चा तक नहीं होती है। किसी हिंदू नेता ने बयान दे दिया तो उस पर बखेड़ा कर दिया गया। उन्होंने नगर विकास मंत्री आजम खां के संबंध में पूछे गए सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया और पूछा कि ये कौन हैं? –एजेंसी /ब्यूरो

गोवा के मंत्री का समलैंगिक वाले बयान पर यू टर्न

Ramesh-Tawadkar-Goaपणजी – गोवा के युवा और खेल मामलों के मंत्री रमेश तावड़कर समलैंगिकों पर दिए बयान पर यू टर्न ले लिया है। तावड़कर ने बचाव में कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने कहा कि मंत्री ने अज्ञानतावश ऐसा बयान दिया।

तावड़कर ने सोमवार को कहा था कि समलैंगिकों को सामान्य करने के लिए गोवा सरकार विशेष मुहिम चलाएगी। मंगलवार को उन्होंने कहा कि मेरे बयानों का गलत मतलब निकाला गया। मैं एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर) युवाओं के बारे में नहीं बल्कि नशीले पदार्थो और यौन दु‌र्व्यवहार के शिकार युवाओं के संबंध में बात कर रहा था। राज्य की युवा नीति में उन्हें फोकस्ड ग्रुप के तौर पर शामिल किया गया है।

गोवा के मंत्री के बयान की न केवल विपक्षी दलों ने आलोचना की बल्कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी लोगों ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी। इससे पहले तावड़कर ने कहा था कि नशा मुक्ति केंद्र की तर्ज पर सरकार समलैंगिकों के लिए विशेष केंद्र खोलने जा रही है, जहां एलजीबीटी समुदाय के युवाओं को उपचार देकर उन्हें सामान्य जिंदगी जीने लायक बनाया जाएगा।

तावड़कर के बचाव में मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अज्ञानतावश यह ऐसे बयान दिया। समलैंगिकता को प्राकृतिक बताते हुए मुख्यमंत्री ने एलजीबीटी समुदाय के युवाओं के पुनर्वास के लिए विशेष केंद्र बनाने से भी इनकार किया। उनके मुताबिक समलैंगिकता कोई बीमारी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब पत्रकारों ने उनसे एलजीबीटी के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं इस सब्जेक्ट का एक्सपर्ट नहीं हूं।

हड़कंप : उन्नाव के गंगा घाट में मिली सैकड़ों लाशें

dead-body -unnavउन्नाव – जहरीली शराब से अब तक 36 मौत के बाद अब उन्नाव में 100 से ज्‍यादा लाशें गंगा में बहती मिली हैं। करीब 104 शवों के मिलने के बाद उन्नाव से लेकर राजधानी तक हडकंप मचा हुआ है। सफीपुर (उन्नाव) के परियर घाट पर गंगा तट के पास ठहरे पानी में ये लाशें लोगों को दिखाई दी।

100 से ज्यादा शव मिलने की सूचना पर कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के पुलिस एवं प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे। शव मिलने की वजह से बदबू के चलते अफसर और फोरेंसिक एक्सपर्ट भी ज्यादा देर तक वहां खड़े नहीं रह सके।

पुलिस का कहना है कि शव महिला और पुरुषों दोनों के हैं। पुलिस का दावा है कि गरीबी के चलते अंतिम संस्कार नहीं कर पाने की वजह से इन शवों को नदी में प्रवाहित किया गया है। इनमें कुछ शव अधजले भी हैं।

बिठूर से उन्नाव की तरफ से गंगा के तट परियर घाट है। यहां परियर घाट केतट पर शवों का अंतिम संस्कार होता है। यहां गंगा तट के पास नदी में ठहरे पानी में मंगलवार की सुबह अचानक तमाम शव उतराने लगे। यह देख घाट में मौजूद लोगों में खलबली मच गई।

शव दिखने के बाद एक शख्स ने सफीपुर पुलिस को मोबाइल के जरिए पूरे मामले की जानकारी दी। चर्चा फैल गई कि पुलिस ने जहरीली शराब से मरे लोगों के शव को गुपचुप तरीके से गंगा में प्रवाहित कर दिया है।

कुछ देर बाद ही नदी और उसके आसपास 104 से ज्यादा शव मिलने की सूचना राजधानी लखनऊ पहुंची तो पुलिस और प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया।

गृह विभाग और डीजीपी दफ्तर से कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के पुलिस एवं प्रशासनिक अफसरों से पूरे मामले की जानकारी मांगी गई।

कानपुर जोन के आईजी आशुतोष पांडेय, एसपी उन्नाव और लखनऊ जोन और रेंज के पुलिस और प्रशासनिक अफसर लाव-लश्कर के साथ परियर घाट पहुंच गए।

आईजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि बिठूर में पीपे वाले पुल के आगे परियर गांव (शमशान घाट) है। घाट के तट पर प्रतिदिन 8 से 10 लोगों का अंतिम संस्कार होता है। यहां गंगा नदी से सटे नहर में पानी ठहरा हुआ है। नदी और उसके आसपास सूखे स्थान पर तमाम शव मिले हैं। इनमें हड्डियां, अधजले शव भी हैं।

आईजी ने बताया कि आकस्मिक और स्वाभिक मौत का शिकार हुए लोगों के परिजनों ने आर्थिक तंगी के चलते शवों को नदी में प्रवाहित किया है।

कुछ शवों पूरी तरह न जल पाने पर नदी में प्रवाहित किए गए हैं। शव काफी पुराने होने से उनमें बदबू आ रही है। आईजी के मुताबिक पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने पड़ताल के बाद सभी शवों को नदी के तट पर दफनाए जाने का फैसला लिया है।

देर शाम क्रेन के शवों के दफनाए जाने के लिए गड्ढा खोदने का काम शुरू कर दिया गया। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के निर्देश पर इन शवों को घाट के किनारे की गड्ढा खुदवा कर दफना दिया गया है।

स्वामी को पता है तो हत्यारे का नाम बताए :थरूर

Sunanda's murder  Tharoor, Swamy exchange accusationsनई दिल्ली – बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी का दावा है कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर के हत्यारे को जानते हैं। इससे पहले थरूर ने बीजेपी नेता पर यह कहकर हमला बोला था कि अगर स्वामी को पता है तो उन्हें सुनंदा के हत्यारे का नाम बताना चाहिए। थरूर ने कहा, ‘कौन है वह? अगर स्वामी को पता है कि हत्यारा कौन है तो उन्हें पुलिस को बताना चाहिए।’

इस पर स्वामी ने कहा कि यदि वह सुनंदा के हत्यारे को जानते होते तो बहुत पहले ही उसका नाम पुलिस को बता दिए होते। स्वामी ने कहा, ‘सुनंदा मामले में प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है ऐसे में थरूर को हिरासत में लेकर पूछताछ की जानी चाहिए।’

इस बीच, दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने कहा कि सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में उनके पति एवं कांग्रेस सांसद शशि थरूर से अगले कुछ दिनों में पूछताछ हो सकती है। बस्सी ने कहा, ‘यह (पूछताछ) अगले कुछ दिनों हो सकती है। महीनों का सवाल ही नहीं उठता।’

उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य जल्द से जल्द जांच पूरी करना है ताकि किसी तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचा जा सके । उन्होंने कहा कि बीते 29 दिसंबर को एम्स की ओर से मिली अंतिम मेडिकल रिपोर्ट में कुछ पहलुओं पर ‘जोर दिया गया’ और इसको लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई।

देखिए पुलिस थाने में किन्नरों का हंगामा

खंडवा – मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर किन्नरों के दो पक्षों में मंगलवार दोपहर मारपीट और चाकूबाजी हो गई। एक पक्ष कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचा। पुलिस ने आनाकानी की। नाराज किन्नरों ने थाने की कुर्सियां फेंक दी। ताल ठोकी और नग्न हो गए। किन्नरों से डरकर महिला सब इंस्पेक्टर कमरे में छिप गई। पुलिस जवान भी यहां-वहां भागते रहे। किन्नरों का उत्पात आधा घंटा चला।

मामला उस समय बढ़ गया जब थाने में मौजूद एएसआई ने किन्नरों को फटकारते हुए नकली कह दिया। यह सुन किन्नरों का समूह आगबबूला हो गया। महिला एसआई को धक्का देकर प्रधान आरक्षक के कक्ष में घुस गए। आरक्षक से झूमाझटकी की। कुर्सी से खड़ा कर कालर पकड़ी और गालियां दी। किन्नरों की अश्लीलता देख थाने में मौजूद एक महिला आरक्षक भाग गई। हंगामा बढ़ता देख थाने में मौजूद एसआई गीता जाटव एक कक्ष में छिप गई।

मामले की जानकारी जैसे ही अला अधिकारियों को लगी वह तुरंत कोतवाली थाने पहुंचे और किन्नरों से बात कर मामला दर्ज करने का आश्वासन दिया। तब कही मामला थोड़ा शांत हुआ। बताया जाता है की किन्नर पुलिस कप्तान से भी अपनी समस्या को लेकर मिले थे।

 

बांग्लादेश के पहले हिंदू चीफ जस्टिस बने सिन्हा

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ढाका- बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेन्द्र कुमार सिन्हा अब सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए गए हैं। वे इस न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले देश के पहले हिंदू हैं।

खबरों के मुताबिक, जस्टिस सुरेन्‍द्र कुमार सिन्‍हा सर्वोच्च न्यायिक पद पर नियुक्ति पाने वाले पहले हिंदू हैं. प्रेसीडेंट मुहम्मद अब्दुल हामिद ने जस्टिस सिन्हा को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया. वह सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं. उनका कार्यकाल तीन साल से थोड़ा ज्यादा होगा ।
राष्ट्रपति भवन के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘राष्ट्रपति अब्दुल हामिद ने मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.’ एक बयान में कानून मंत्रालय ने कहा कि 64 वर्षीय सिन्हा मौजूदा मुख्य न्यायाधीश मुजम्मल हुसैन से 17 जनवरी को पदभार ग्रहण करेंगे. हुसैन 16 जनवरी को सेवानिवृत्त होंगे|

जस्टिस सिन्हा को बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के हत्यारों, संविधान के पांचवें और 13वें संशोधन समेत कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाना जाता है. सिन्हा पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान हुए युद्ध अपराधों के चल रहे मामलों के लिए एक अपीलीय जज भी हैं| जस्टिस सिन्हा को 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई जाएगी ।

अब अगर सिन्‍हा के शुरुआती करियर पर नजर डालें तो, उन्होंने LLB की डिग्री हासिल करने के बाद 1974 में सिलहट जिला अदालत में प्रैक्टिस के लिए रजिस्‍ट्रेशन कराया था. यहां उन्होंने 1977 तक स्वतंत्र रूप से मामलों की अगुवाई की. इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया और वकील के तौर पर नामांकन कराया. हाई कोर्ट के जज के तौर पर उनकी नियुक्ति 1999 में हुई और 2009 में अपीलीय पीठ के जज बने थे । एजेंसी

ममता के मंत्री बोले ब्लाउज फाड़ लगाती हैं आरोप

TMC minister Swapan Debnath courts controversyकोलकाता – तृणमूल कांग्रेस नेता और बंगाल की ममता बनर्जी सरकार में लघु-मझोले उद्योग मंत्री स्वपन देबनाथ ने सीपीएम की महिला नेताओं को लेकर बेहद अपमानजनक बयान दिया है। बर्दवान के कलना में उन्होंने कहा कि सीपीएम की कुछ महिला नेता इतनी गिरी हुई हैं कि खुद अपने ब्लाउज फाड़ लेती हैं और हम पर छेड़छाड़ करने का आरोप लगा देती हैं।

रैली को संबोधित करते हुए स्वपन देबनाथ ने कहा, ‘हम सब ऐसे पुलिस अधिकारियों को जानते हैं, जो अपनी ईमानदारी दिखाने और प्रमोशन पाने के लिए अपने बेटे को गिरफ्तार कर लेते हैं। इसी तरह हम सीपीएम की महिला विंग के कई नेताओं को जानते हैं जो ब्लाउज फाड़ लेती हैं और दूसरों पर छेड़छाड़ के आरोप लगा देती हैं।’ उनके इस बयान पर जब भीड़ से तालियां बजने लगती हैं, तो वह कहते हैं, ‘अगर घर में उनका पति से भी झगड़ा होता है, तो तृणमूल के लोगों पर आरोप लगा देती हैं।’

मंत्री के इस बयान पर लेफ्ट पार्टियों ने ममता बनर्जी से जवाब मांगा है। सीपीएम पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने कहा, ‘यह बताता है कि तृणमूल कांग्रेस किस स्तर तक गिर चुकी है। दोषियों को गिरफ्तार करने के बजाय वह उनका बचाव करती है। पार्टी में लोगों को यही सब करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। मुख्यमंत्री अब क्यों चुप हैं?’

देबनाथ इस तरह के आपत्तिजनक बयान देने वाले टीएमसी के पहले नेता नहीं हैं। उनसे पहले भी पार्टी के कई नेताओं ने अलग-अलग रैलियों में ऐसे बयान दिए हैं। कुछ ही दिनों पहले तृणमूल नेता तापस पॉल के उस बयान की काफी कड़ी आलोचना हुई थी, जिसमें उन्होंने विरोधी दल की महिला नेताओं को धमकी देते हुए कहा था कि वह लड़के भेजकर उनका रेप करवा देंगे। इतना ही नहीं पॉल ने यहां तक कहा था कि जरूरत पड़ी तो वह विरोधियों को निबटाने के लिए बंदूक का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूकेंगे।

राज्य के परिवहन मंत्री और शारदा चिटफंड घोटाले में जेल में बंद मदन मित्रा ने भी विरोधियों को गोलियों, बमों और मार-पिटाई से करारा जवाब दिए जाने की धमकी दी थी। लाभपुर से टीएमसी विधायक मणिरुल इस्लाम ने पार्टी की रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर जिला कांग्रेस नेता सब्यसाची दत्ता नहीं सुधरे तो उनका सिर काट लिया जाएगा। इससे पहले टीएमसी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल पर आरोप लगा था कि उन्होंने टीएमसी कार्यकर्ताओं से पुलिस पर बमों से हमला करने और निर्दलीय प्रत्याशियों के घरों में आग लगा देने को कहा था।

ताजमहल को बचाने के लिए कंडों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध

 आगरा- हवा में घुलते धुएं के कारण अपनी मर्मरी रंगत खो रहे ‘मुहब्बत की निशानी’ ताजमहल को बेनूर होने से बचाने के लिए आगरा प्रशासन ने खाना बनाने के वास्ते गोबर के कंडों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है और वह चूडिय़ां तथा पेठा बनाने के लिए कोयले के भी प्रयोग पर पाबंदी लगाने की योजना बना रहा है।

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आगरा के मंडलायुक्त और ताज चतुर्भुज जोन के अध्यक्ष प्रदीप भटनागर ने टेलीफोन पर ‘भाषा’ को बताया कि एक अमेरिकी पत्रिका में हाल में छपी एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि भूरे और काले कार्बन कणों के कारण ताजमहल का सफेद संगमरमर पीला पड़ रहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए हमने शहर में खाना बनाने के लिए गोबर से बने कंडों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।

हालांकि भटनागर ने माना कि कंडों के प्रयोग पर पूरी तरह पाबंदी लगा पाना काफी चुनौतीभरा है। उन्होंने कहा कि यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किए गए ताजमहल की रंगत को बचाने के लिए जारी आदेशों का उल्लंघन करने वालों पर नगर निगम अधिनियम के तहत जुर्माना लगाया जाएगा।

मंडलायुक्त ने गोबर के कंडे जलाने पर पाबंदी लगने से गरीबों को होने वाली दिक्कतों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे उन्हें रसोई गैस कनेक्शन दिलाने के लिए विशेष शिविर लगाएं।

उन्होंने कहा कि शहर में चूड़ी तथा पेठा बनाने की इकाइयों में कोयले के इस्तेमाल पर भी जल्द ही पाबंदी लगाई जाएगी, क्योंकि इन भट्ठियों से काले कार्बन के कण निकलते हैं। भटनागर ने बताया कि ताजमहल की रंगत को बचाने के लिए शहर में चलने वाले चार हजार ट्रकों तथा ऑटो रिक्शा को जुलाई तक डीजल के बजाय सीएनजी से चलाने के योग्य बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

उन्होंने बताया कि हमने आगरा के पेठा उद्योग तथा फिरोजाबाद की चूड़ी उत्पादन इकाइयों से कहा है कि वे ईंधन के दूसरे स्वरूपों का इस्तेमाल करें, क्योंकि कोयले के प्रयोग से निकलने वाला काला कार्बन ताजमहल के रंग को नुकसान पहुंचा रहा है।

भटनागर ने बताया कि बारिश में भी भूरे तथा काले कार्बन की सफाई नहीं हो पाती है। इसके अलावा बल्लियां गाडक़र उन पर पाड़ वगैरह बांधकर उसकी सफाई करना संभव नहीं है, क्योंकि इससे ताजमहल के फर्श को नुकसान पहुंचेगा। ऐसे में कोयले और कंडे के इस्तेमाल तथा वाहनों के धुएं को रोकने की पहल के सिवा और कोई चारा नहीं बचता।

उन्होंने बताया कि संसद की पर्यावरण संबंधी समिति ने भी बढ़ते प्रदूषण के ताजमहल पर पडऩे वाले असर का संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन से इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में रिपोर्ट मांगी है।

प्रदूषण रोकने के अन्य उपायों के बारे में पूछे जाने पर मंडलायुक्त ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अभिकरण की सिफारिशों में 15 साल या उससे ज्यादा पुराने वाहनों का इस्तेमाल बंद करने का सुझाव दिया गया है। इस सिफारिश को आगरा शहर में लागू किया जा सकता है।

गौरतलब है कि अमेरिका के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी और विस्कांसिन यूनीवर्सिटी के विशेषज्ञों द्वारा कराए गए अध्ययन तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्टों में भी ताजमहल का रंग पीला होने की बात सामने आई है।

अमेरिकी संस्थानों द्वारा कराए गए अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक धूल, ऑर्गेनिक कार्बन भूरा कार्बन तथा मौलिक कार्बन काले कार्बन की वजह से ताजमहल अपनी रंगत खो रहा है। -एजेंसी ब्यूरो

महाराष्ट्र में अब यातायात उल्लंघन पर ई-चालान

मुंबई – महाराष्ट्र सरकार जल्द ही ई-चालान प्रक्रिया को अनिवार्य करने वाली है। आईटी प्रधान सचिव राजेश अग्रवाल अनुसार ठाणे और नवी मुंबई में योजना के सफल परीक्षण के बाद अब इसे जून से पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। E-challan for traffic सीसीटीवी निगरानी तंत्र को यातायात संकेतों पर स्थापित किया जाएगा और इसे मुख्य नियंत्रण कक्ष से जोड़ा जाएगा। यदि कोई यातायात नियमों का उल्लंघन करता है तो उसकी सारी गतिविधि की तस्वीरें कैमरे में कैद हो जाएंगी और नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने की मांग वाला पत्र संबंधित व्यक्ति को भेज दिया जाएगा। पत्र में नियम उल्लंघन की विस्तृत जानकारी होगी और ई-चालान उल्लंघनकर्ता को भेज दिया जाएगा। यदि वह जुर्माना राशि भरने में विफल रहता है तो यातायात पुलिस संबंधित व्यक्ति के खिलाफ अदालत का रूख कर सकती है।

अग्रवाल के अनुसार अब तक यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए 500 लोगों को कैमरे पर पकड़ा जा चुका है। यातायात पुलिस कांस्टेबल के पास एक एंड्रॉयड डिवाइस होगा जिसमें ई-चालान की प्रति निकालने के लिए एक हस्तसंचालित प्रिंटर भी होगा ताकि उल्लंघनकर्ता उसी वक्त जुर्माना भर सकें। इस डिवाइस के अलावा यातायात कांस्टेबलों को क्रेडिट और डेबिट कार्ड स्वाइप मशीन भी रखनी होगी ताकि मशीन के प्रयोग से लोग क्रेडिट या डेबिट कार्ड के जरिए जुर्माने की राशि का भुगतान कर सकें। -एजेंसी /ब्यूरो

उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब, मृतकों की संख्या 28 हो गयी

लखनऊ -उत्तर प्रदेश के लखनऊ और उन्नाव जिलों में जहरीली शराब कांड में विभिन्न अस्पतालों में भर्ती 13 और लोगों के दम तोड़ने के कारण मृतकों की संख्या 28 हो गयी है। इस बीच एक सौ से अधिक पीड़ित लोगों का अभी भी राजधानी लखनऊ के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ, एसएनएस यादव ने बताया कि अभी तक किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय अस्पताल से 12 लोगों की मौत की खबर है, जिनमें से बलरामपुर अस्पताल में दो और मलीहाबाद तथा राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक एक व्यक्ति की मौत हुई है। उन्होंने बताया कि मरने वालों की इस संख्या में उन्नाव में दम तोड़ने वाले सात तथा अन्य जगहों पर मारे गए तीन लोगों का आंकड़ा शामिल नहीं है।

यादव ने बताया कि जिन मरीजों का अभी भी इलाज चल रहा है उनमें केजीएमयू में 61, बलरामपुर में 17, सिविल अस्पताल में 20 तथा लोहिया अस्पताल में 16 मरीज शामिल हैं। 17 मरीजों को निगरानी में रखा गया है। इसके अलावा राज्य की राजधानी में विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराए गए 10 अन्य मरीजों की हालत गंभीर है।

उन्नाव जिले के हसनगंज इलाके के तलासराई गांव और लखनउ के मलीहाबाद के खड़ता तथा बंथरा गांवों में कल जहरीली शराब कांड हुआ था। मलीहाबाद के दातली गांव में अवैध शराब पीने से सात लोगों की उन्नाव जिले के तलासराई गांव में मौत हो गयी थी। हसनगंज के थाना प्रभारी प्रदीप यादव ने यह जानकारी दी।

घटना का गंभीर संज्ञान लेते हुए आबकारी आयुक्त अनिल गर्ग ने विभाग के सात कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है । इसके अतिरिक्त इस मामले में मलीहाबाद में एक सर्किल अधिकारी, स्टेशन अधिकारी , एक सब इंस्पेक्टर और तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। गर्ग ने बताया कि पांच लोगों के खिलाफ नकली शराब बेचने का मामला दर्ज किया गया है और मुख्य आरोपी जुगनू को गिरफ्तार कर लिया गया है।

गर्ग ने बताया कि लखनऊ में हुई घटना के मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में आबकारी निरीक्षक वाणी विनायक मिश्र, प्रधान सिपाही श्याम नारायण मिश्र, सिपाही रजनीश कुमार, संजीव कुमार, विनोद कुमार, सुमन देवी तथा सीता को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि साथ ही लखनऊ के जिला आबकारी अधिकारी लाल बहादुर यादव के खिलाफ कार्रवाई के लिये शासन से सिफारिश की गयी है। मामले की जांच की जिम्मेदारी वाराणसी के संयुक्त आबकारी आयुक्त को सौंपी गयी है।

इस बीच, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जहरीली शराब प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने संबंधित एसडीएम, सहायक आबकारी आयुक्त :प्रवर्तन:, जिला आबकारी अधिकारी और आबकारी निरीक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। जहरीली शराब के कारण मौत के शिकार हुए लोगों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री ने उनमें से प्रत्येक को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता का एलान किया। बीमारों के इलाज की मुफ्त व्यवस्था के निर्देश भी दिये। उन्होंने संयुक्त आबकारी आयुक्त के खिलाफ विभागीय कार्रवाई और आबकारी आयुक्त से स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही दोषी पाये जाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने को कहा।

अखिलेश ने अवैध शराब और संबंधित अपराधों के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिये हैं। दूसरी ओर, शासन ने लापरवाही बरतने के आरोप में मलीहाबाद के पुलिस उपाधीक्षक, थाना प्रभारी, एक बीट दारोगा तथा तीन सिपाहियों को निलम्बित कर दिया है। इस मामले में जुगनू, उसकी पत्नी पुष्पा, कतरू, भूरे उर्फ फूलचंद तथा कल्लू नामक व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जुगनू को हिरासत में ले लिया गया है। उसकी कार से बड़ी संख्या में शराब की बोतलें बरामद की गयी हैं। उनकी जांच करायी जा रही है। – -एजेंसी / ब्यूरो

शिवराज सिंह चौहान भारत के आदर्श मुख्यमंत्री

भोपाल- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भारतीय छात्र संसद फाउंडेशन द्वारा महाराष्ट्र के पुणे में एक भव्य कार्यक्रम में आदर्श मुख्यमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुणें में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय छात्र संसद के समापन समारोह में सोमवार को यह पुरस्कार प्रदान किया गया।

Chief Minister   Shivraj Singh Chouhan was conferred Ideal Chief Minister
देशभर में इस सम्मान के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चौहान का चुना जाना और फिर उनका सम्मान होना राज्य के लिए गर्व की बात है। मुख्यमंत्री का सम्मान पूरे प्रदेश का सम्मान है। इसके लिए प्रदेशवासी स्वयं को आज गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। खुशी की बात यह है कि श्री चौहान को यह सम्मान स्वामी विवेकानंद और छत्रपति शिवाजी की मां जीजाबाई के जन्म दिवस के अवसर पर मिला है। इससे यह गौरव और बढ़ गया है।

 पुणे में भारतीय छात्र संसद द्वारा आयोजित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सम्मान समारोह में देश की विशिष्ट विभूतियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री लोबसांग सांगेय, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस, पुणे के सांसद अनिल सिरोले, भारतीय छात्र संसद के चेयरमेन, स्वच्छ भारत अभियान की सलाहकार परिषद के अध्यक्ष एवं प्रख्यात वैज्ञानिक पद्म विभूषण डॉ. रघुनाथ ए. माशेलकर, मध्यप्रदेश के गौरव एवं उन्नत भारत अभियान की सलाहकार परिषद के अध्यक्ष, परम सुपर कम्प्यूटर के जनक पद्मश्री डॉ. विजय भटकर, महाराष्ट्र अकादमी ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड एजुकेशन रिसर्च पुणे के संस्थापक एवं अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ कराड़, प्रख्यात उद्योगपति डॉ. अभय फिरोदिया, भारतीय छात्र संसद के संस्थापक एवं संयोजक राहुल कराड़ सहित पूर्व पुलिस महानिदेशक उत्तरप्रदेश शैलजाकांत मिश्रा सहित राजनीतिक जाग्रति के इच्छुक हजारों छात्र नेता और नेत्री उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सम्मान के जवाब में कहा कि मुख्यमंत्री या सामाजिक जीवन में प्राप्त कोई भी पद दम्भ या अहंकार के लिये नहीं बल्कि देश और प्रदेश की सेवा के लिये होता है। मुख्यमंत्री ने करतल ध्वनि के बीच अपने संबोधन में बीमारू से आज विकसित हुए मध्यप्रदेश की कहानी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद उनके प्रेरणा-स्रोत हैं। सबको जीवन में संकल्प करना चाहिये कि कैसे मानव-जीवन में सर्वश्रेष्ठ करें। उन्होंने कहा कि भारत मत-मतांतर का देश है, किन्तु ऐसा राष्ट्र है जो सभी के सुखी, निरोगी होने, सबके मंगल-कल्याण की कामना करता है। वह यह भी मानता है कि चाहे जिस रास्ते पर चलो अंत में पहुँचोगे एक ही परमात्मा के द्वार पर। उन्होंने कहा कि यदि दुनिया में सभी इन आदर्शों को अपना लें तो सारे झगड़े स्वमेव समाप्त हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि भारत इन्हीं आदर्शों के बल पर विश्व को मानवता का दिग्दर्शन करवायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने जनता को आराध्य मानकर मध्यप्रदेश की सेवा की है। मध्यप्रदेश को मंदिर, जनता को भगवान और अपने आप को इस मंदिर के पुजारी के रूप में स्वीकार किया है। श्री चौहान ने बताया कि उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद मध्यप्रदेश ने बीमारू राज्य से विकसित राज्य की ओर तेजी से कदम बढ़ाये। आज विकास दर में देश का नम्बर एक राज्य है और कृषि विकास दर में तो देश ही नहीं विश्व में सबसे आगे है। उन्होंने बताया कि उस समय 2900 मेगावाट बिजली का उत्पादन आज 12000 मेगावाट तक पहुँच गया है। जहाँ कभी-कभी बिजली आती थी, आज वहीं 24 घंटे बिजली का चमत्कार हो रहा है। सिंचाई 7.5 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 30 लाख हेक्टेयर हो गयी। मालवा को रेगिस्तान बनने से बचाने के लिये क्षिप्रा को नर्मदा से जोड़ने का चमत्कार भी मध्यप्रदेश में हुआ है। खेती को लाभ का धंधा बनाया गया है। किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जा रहा है। इसका परिणाम है कि लगातार तीसरी बार कृषि कर्मण अवार्ड मध्यप्रदेश को मिला है।

श्री चौहान ने कहा कि अब कृषि के साथ उद्योग धंधों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इनमें बड़े उद्योगों के साथ छोटे उद्योग भी मध्यप्रदेश में स्थापित होंगे। इसके लिये मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना प्रारंभ की गयी है जिसमें 10 लाख से एक करोड़ तक का ऋण प्रदेश सरकार की गारंटी पर युवाओं को दिया जाता है। युवा उद्यमियों के लिये 100 करोड़ रुपये के वेंचर केपिटल फण्ड की स्थापना की गयी है। श्री चौहान ने अपने संबोधन में महिला सशक्तिकरण, गरीबों को दिये जाने वाले एक रुपये किलो गेहूँ-चावल, एजुकेशन लोन का भी जिक्र किया। उन्होंने गुड गवर्नेंस का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार को समाप्त करना उनका लक्ष्य है। इसके लिये मध्यप्रदेश में ई-टेंडरिंग, ई-मेजरमेंट और ई-पेमेंट की व्यवस्था की गई है।

श्री चौहान की अपील पर छात्र संसद ने करतल ध्वनि से प्रस्ताव पारित किया कि संविधान में संशोधन कर पाँच वर्ष में सभी स्तर के चुनाव एक साथ करवाये जायें। इसके साथ ही उन्होंने यह प्रस्ताव भी पारित करवाया कि महँगे चुनाव से बचत के लिये स्टेट फंडिंग की व्यवस्था होनी चाहिये। उन्होंने अपने उदबोधन के अंत में स्वामी विवेकानंद के शब्दों का उल्लेख करते हुए युवाओं से आव्हान किया कि उठो, जागो और जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाये, तब तक रुको नहीं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने कहा कि वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चौहान को आदर्श मुख्यमंत्री के रूप में देखते हैं। वे महाराष्ट्र में भी वैसा ही शासन चलायेंगे जैसा मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान चला रहे हैं। इसकी शुरूआत करते हुए उन्होंने मध्यप्रदेश की तर्ज पर भ्रष्टाचारियों की सम्पत्ति जप्त करने का निर्णय लिया है। महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी के विवेकानंद मंडप में आयोजित छात्र संसद को डॉ. विजय भटकर, डॉ. रघुनाथ ए. माशेलकर और डॉ. अभय फिरोदिया, विश्वनाथ कराड़ तथा छात्र नेताओं ने भी संबोधित किया। छात्र संसद के संस्थापक राहुल वी. कराड़ ने छात्र संसद के उद्देश्य बताते हुए कहा कि हर क्षेत्र के अच्छे युवा राजनीति में भी प्रवेश करें। उन्होंने यह भी बताया कि भारत के प्राय: सभी राजनैतिक दलों में भारतीय छात्र संसद से निकले विद्यार्थी हैं।

गुस्साए साक्षी महाराज बोले “आप क्यों परेशान हैं”

sakshi-maharajनई दिल्ली – ‘चार बच्चों’ के बयान पर सफाई मांगे जाने के बाद साक्षी महाराज मीडिया से खफा हो गए। मंगलवार को भाजपा आलाकमान की ओर से भेजे गए नोटिस के मसले पर मीडियाकर्मियों ने साक्षी महाराज से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला है। सवाल दोबारा किया गया तो वो भड़क उठे और मीडिया के सदस्यों को झटकते हुए उन्होंने कहा कि आप क्यों परेशान हैं?

साक्षी महाराज ने कहा, ‘ये हमारे घर का मामला है, आप (मीडिया) क्यों परेशान हैं।’ वहीं साक्षी महाराज के आवास पर भी पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ा दी गई और म‌ीडियाकर्मियों को वहां से हटने के लिए कहा गया।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ‘चार बच्‍चों’ के बयान के मसले पर साक्षी महाराज से सफाई मांगी है। साक्षी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए शाह ने उन्हें दस दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है।

बताया जा रहा है कि साक्षी के खिलाफ अनुशासन का डंडा चलाने का फैसला शाह को मजबूरी में उठाना पड़ा है। उनके विवादित बयानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक आहत हैं। पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष शाह की ओर से साक्षी को पहले भी नसीहतें मिल चुकी हैं।

लेकिन साक्षी के बोल में सुधार होने के बाद उनके बडबोले बोल की एक लंबी फेहरिस्त बन गई है। आलाकमान की तमाम हिदायतों को अनदेखा करते हुए साक्षी एक-एक कर विवादित बयान देते जा रहे हैं। साक्षी के विवादित बोल से कई दफे मोदी सरकार से लेकर भाजपा आलाकमान को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है।

डाटा एंट्री ऑपरेटर रिक्त पदों पर सैकड़ों भर्तियां,करें आवेदन

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग में कर्मचारियों के विभिन्न रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है। पदों की कुल संख्या 164 निर्धारित की गई है। जिसमें डाटा एंट्री ऑपरेटर (कंप्यूटर ऑपरेटर) के 84 पद व रिसर्च एसोसिएट के 80 पद शामिल हैं। इन पदों पर भर्ती हेतु भारतीय नागरिकों से आवेदन पत्र मंगाए गए है।

विज्ञापित पदों को भरने की शैक्षिक योग्यता अलग-अलग निर्धारित की गई है। डाटा एंट्री ऑपरेटर के लिए 12वीं पास या उसके समकक्ष योग्यता जो किसी मान्यताप्राप्त बोर्ड से प्राप्त की हो निर्धारित की गई है। इसके अलावा डाटा एंट्री ऑपरेटर के पदों पर आवेदन करने वाले आवेदकों को कंप्यूटर पर टाइपिंग का ज्ञान होना आवश्यक है।

विज्ञापित पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की आयु सीमा 18 से 35 वर्ष निर्धारित की गई है। आरक्षित वर्ग को नियमानुसार अधिकतम आयु सीमा में छूट प्रदान की जायेगी। विज्ञापित पदों में डाटा एंट्री ऑपरेटर के लिए 12,000 रुपये प्रतिमाह वेतनमान निर्धारित किए गए हैं।

आवेदन पत्र को अभ्यर्थी केवल ऑफलाइन तरीके से भर सकते है। किसी अन्य माध्यम से किया गया आवेदन निरस्त कर दिया जाएगा। विज्ञापित पदों के लिए आवेदकों का चयन लिखित परीक्षा के माध्यम से किया जायेगा।

लिखित परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थियों को कंप्यूटर पर टाइप टेस्ट के लिए बुलाया जायेगा। दोनों चरणों में सफल होने वाले उम्मीदवारों को साक्षात्कार का मौका मिलेगा। आवेदकों का चयन मेरिट के अनुसार किया जायेगा।

इन पदों के लिए आवेदन 10 जनवरी, 2015 से प्रारंभ है। आवेदन पत्र को पूर्णरूप से भरकर संबंधित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति के साथ दिए गए पते ‘द आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया नेशनल मिशन ऑन मान्युमेंट्स एंड एंटीक्वटीज जीई बिल्डिंग, रेड फोर्ट कॉम्पलेक्स, रेड फोर्ट, दिल्ली-110006’ पर भेजे।

आवेदन करने की अंतिम तिथि 25 जनवरी, 2015 निर्धारित की गई है। आवेदन पत्र तथा अन्य आवश्यक जानकारी व निर्देश के लिए उम्मीदवार संबंधित वेबसाइट http://asi.nic.in/ पर लॉग ऑन करें।