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Saturday, January 11, 2025
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पान वाले को 132 करोड़ रुपए का बिजली बिल

Haryana Rs 132 crore power bill TO paanwala

कैथल [ TNN ]हरियाणा के एक पान बिक्रेता को इस बार दीवाली में बिजली का तेज झटका लगा. उसे अक्टूबर के लिए 132 करोड़ रुपए का बिजली बिल आया है. राजेश सोनीपत जिले के गोहाना शहर में पान की एक दुकान चलाता है |

अक्टूबर महीने के लिए उसका बिजली बिल 132.29 करोड़ रुपए का आया है. राजेश ने कहा, ‘‘मैं बिल देख कर दंग रह गया. ऐसा नहीं था कि यह राशि सिर्फ नंबरों में गलत लिखी थी. यही राशि शब्दों में भी लिखी थी. मैं साधारण आदमी हूं और किराए के दुकान में यह व्यवसाय करता हूं. मैं सिर्फ एक बल्ब और पंखा चलाता हूं. आम तौर पर यह बिल 1,000 रुपए से कम रहता है |

राजेश को यह बिल कल दीवाली के मौके पर मिला और उसमें अंतिम तारिख 31 अक्टूबर दी है यानि उसे एक हफ्ते के बीच यह बिल चुकाना होगा. लेकिन राजेश को यह समझ नहीं आ रहा कि वह बिल की राशि कैसे चुकाएगा . उसने बताया कि बिल में संशोधन करवाने के लिए वह शुक्रवार को बिजली विभाग जाएगा. यह बिल उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) ने भेजा है. हरियाणा के बिजली विभाग ने पहले भी ऐसा गुल खिलाया है |

ये कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी हरियाणा का बिजली विभाग अप्रैल, 2007 में हरियाणा के नारनौल शहर में मुरारी लाल को उसके दो बेडरूम वाले घर के लिए 234 करोड़ रुपये का बिजली बिल भेजा चुका है |

 रिपोर्ट  -राजकुमार अग्रवाल 

 

सरकार रसोई गैस सब्सिडी में बड़े सुधार की तैयारियों में

gas subsidy

नई दिल्ली- पेट्रोलियम क्षेत्र में जारी सुधार का पहिया अभी थमने वाला नहीं है। खास तौर पर सरकार रसोई गैस सब्सिडी में कुछ बड़े सुधार की तैयारियों में है। इस पर गहन चर्चा चल रही है कि क्या ग्राहकों को प्रति किलो के हिसाब से रसोई गैस सब्सिडी दी जाए।

अभी सिर्फ सिलेंडर के हिसाब से सब्सिडी दी जाती है। अगर ऐसा हो जाता है तो फिर सरकारी तेल कंपनियों की तरफ से बाजार में अलग-अलग आकार के सिलेंडर उतारे जा सकते हैं। इससे ग्राहक भी अपनी खपत देखकर बड़े, छोटे या मझोले आकार के सिलेंडर का चयन कर सकेंगे।

अभी सिर्फ सामान्य आकार (14.2 किलो) के गैस सिलेंडर पर ही सब्सिडी दी जाती है। हाल ही में तेल कंपनियों ने बाजार में सीमित मात्रा में छोटे सिलेंडर उतारे हैं, लेकिन उन्हें कोई भी सब्सिडी नहीं दी जाती। अगर सरकार प्रति किलोग्राम आधार पर सब्सिडी देने का रास्ता अख्तियार कर लेती है तो फिर छोटे सिलेंडर खरीदने वाले ग्राहकों को भी फायदा मिलेगा।

इस तरह के सिलेंडर खास तौर पर गरीबों, बगैर गैस कनेक्शन वाले प्रवासियों, छात्रों वगैरह के बीच लोकप्रिय हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने  इस बात के संकेत दिए।

उक्त अधिकारी के मुताबिक अभी सरकार के समक्ष सीधे बैंक खाते में रसोई गैस सब्सिडी देने की योजना को सफलतापूर्वक लागू करने की चुनौती है। लेकिन इसके साथ ही रसोई गैस के क्षेत्र में कई सुधार करने बाकी हैं। सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की संख्या घटाने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है।
रिपोर्ट -राहुल अग्रवाल

सनी लियोन की ये बात जानकार आप हो जाएंगे हैरान

sunny leone

बॉलिवुड ऐक्ट्रेससनी लियोन को सिर्फ अडल्ट मूवी स्टार के तौर पर ही नहीं जाना जाता, बल्कि अपने प्रफेशनलिजम के लिए भी जाना जाता है। सनी लियोन फिल्म करंट ठीगा से तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में भी अपना डेब्यू करने वाली हैं। उन्होंने अपने प्रफेशनलिज्म से फिल्म सेट पर हर किसी को प्रभावित किया हुआ है।

सनी के प्रफेशनलिजम की तारीफ करते हुए फिल्म के डायरेक्टर जी नागेश्वर रेड्डी कहते हैं, ‘सनी बहुत ही पंक्चुअल और प्रफेशनल हैं। सेट पर उनके प्रफेशनल ऐटिट्यूड को देखकर हम सभी हैरान थे।’

सनी इस फिल्म में एक स्कूल टीचर का किरदार निभा रही हैं। यह फिल्म तमिल की हिट फिल्म वरुथा पदथा वलिबर संगम की रीमेक है। इस फिल्म में जहां सनी लियोन ट्रडिशनल अवतार में नज़र आएंगी, वहीं फिल्ममेकर्स ने उन पर एक गाना भी शूट किया है।

इस फिल्म में सनी के साथ मंचू मनोज, जगपति बाबू और राकुल प्रीत सिंह भी नज़र आएंगे। यह फिल्म 31 अक्टूबर को सिनेमा घरों में आएगी।

बुरहानपुर : स्वामीनारायण मंदिर में 56 भोग

 Burhanpur Swaminarayan Temple

बुरहानपुर [ TNN ]बुरहानपुर स्वामीनारायण मंदिर में शाम को 56 भोग लगाये गये। और इसे 5 हजार वर्ष पुर्व की कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की परंपरा बताई। बुरहानपुर स्वामीनारायण मंदिर में परंपरा अनूसार दिपावली के दूसरे दिन पडवे के अवसर पर भगवान स्वामीनारायण को 56 भोग लगाकर प्रसन्न किया जाता है।

 इस संबंध में ट्रस्टीज सोमेष्वर मर्चेंट से चर्चा की तो उन्होने बताया कि यह परंपरा 5 हजार वर्ष पुरानी हैं जिसे अन्न कुट भी कहते हैं। जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था और नई फसले आई थी तो सभी ने भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाकर खुषीयां मनाई थी।

इसकी प्रसादी को भी अत्यधिक महत्व हैं, और मान्यता हैं कि बिना बताये षिव ने श्रीकृष्ण का यह प्रसाद खाया था। और पार्वती के नाराज होने पर श्राप दिया गया था तब से भगवान षिव का प्रसाद कोई नहीं खाता और श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाते है।

रिपोर्ट -गोपाल देवकर 

स्विस बैंकों ने 4 भारतीयों को कहा पैसा निकालें

swiss bank

नई दिल्ली [ TNN ] कालेधन का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब स्विट्जरलैंड के बड़े बैंक भी इस मामले में भारतीय ग्राहकों से किनारा कर रहे हैं। स्विट्जरलैंड के बड़े बैंक कुछ ऐसे भारतीय क्लाइंट्स से किनारा करने लगे हैं, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है और जो भविष्य में मुश्किल का सबब बन सकते हैं। बैंक को लगता है कि इन लोगों की वजह से भविष्य में मुश्किल पैदा हो सकती है।

कम से कम 4 भारतीयों को उनके स्विस बैंकों ने कहा है कि वे 31 दिसंबर तक अपनी रकम निकाल लें। इनमें से एक शख्स दिल्ली का है और 3 मुंबई के हैं।
अगले हफ्ते सरकार सुप्रीम कोर्ट में काले धन वालें के नाम बताने जा रही है। भारत सरकार ने जो लिस्ट तैयार की है उसमें 800 नाम हैं। सरकार फिलहाल 136 लोगों की लिस्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। 

आपको बता दें कि भारत में काले धन पर कांग्रेस और भाजपा में लगातार वाकयुद्ध चल रहा है। काले धन वालों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने यूपीए के मंत्री का नाम होने के संकेत दिए हैं। जर्मनी और स्विट्जरलैंड के बैंकों में यूपीए सरकार के कुछ मंत्रियों और कांग्रेस पार्टी के कुछ सदस्यों का काला धन जमा है, इस बात की आंशका बढ़ गई है।

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वह यूपीए के पूर्व मंत्रियों और कांग्रेस पार्टी के नेताओं का काला धन विदेशी बैंकों में जमा होने की अटकलों पर अपनी मुहर भी नहीं लगा रहे हैं। काले धन का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है। मोदी सरकार कह रही है कि अगर काले धन पर नाम बताए तो कांग्रेस शर्मिंदा होगी। वहीं कांग्रेस कह रही है धमकाइए मत नाम बताइए। – एजेंसी

शराब के दो पैग याददाश्त बढ़ाने में मददगार

wine

यदि आपकी उम्र 60 के ऊपर है, तो हर रोज शराब के एक या दो पैग का सेवन आपकी याददाश्त बढ़ाने में मददगार हो सकता है। यह जानकारी एक शोध में सामने आई है। शोधकर्ताओं के एक दल ने यह पाया कि 60 से ऊपर की उम्र वाले लोग, जो संज्ञानात्मक दोष (डिमेंशिया) से पीड़ित नहीं होते, उनके लिए सीमित मात्रा में एल्कोहल का सेवन याददाश्त बेहतर करने में मददगार होता है।

सीमित मात्रा में एल्कोहल के सेवन को मस्तिष्क के उस भाग से भी जोड़कर देखा जाता है, जो प्रासंगिक स्मृति के लिए जिम्मेदार है, इसे हिप्पोकैंपस के नाम से जाना जाता है।

अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में गेलवेस्टोन मेडिकल ब्रांच के ब्रायन डॉनर ने कहा, वयस्क लोग जो बढ़ती उम्र के साथ एल्कोहल का सेवन जारी रखते हैं, वे अपेक्षाकृत अधिक स्वस्थ रहते हैं और उनकी संज्ञानात्मक क्षमता और याददाश्त अच्छी होती है बजाय उनके जो स्वास्थ्य कारणों से एल्कोहल का सेवन छोड़ चुके होते हैं।

डॉनर ने हालांकि कहा, “एल्कोहल सेवन का मानसिक क्षमता से संबंधित कार्यो पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह शोध अमेरिकन जर्नल ऑफ अल्जाइमर्स डिजीज एंड अदर डेमेंटियास में विस्तार से प्रकाशित हुआ है।

मुस्लिम पिछड़े वर्गों की हालत, हिन्दू दलितों से भी बदतर ?

muslim reservation in india

लगभग 2 वर्ष पहले मुझे पटना में पिछड़े वर्ग के मुसलमानों के एक सम्मेलन को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। इस सम्मेलन का आयोजन ‘‘तहरीक-ए-पसमांदा मुस्लिम समाज ‘‘ ने किया था। सम्मेलन में लगभग 400 लोग उपस्थित थे। हर वक्ता को केवल तीन-चार मिनट बोलने के लिए कहा गया और संयुक्त राष्ट्र संघ के एक अधिकारी को छोड़कर, अन्य सभी के मामले में इस नियम का पालन हुआ। सम्मेलन 11 बजे सुबह शुरू हुआ और चाय या भोजन अवकाश के बिना 5 बजे तक चलता रहा। इस प्रकार, लगभग 150 लोगों ने सम्मेलन में भाषण दिया, जिसमें से केवल पांच हिन्दू दलित थे और एक दलितों के बीच काम करने वाला ईसाई सामाजिक कार्यकर्ता था। वक्ताओं ने मुस्लिम नेतृत्व को कोसने के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल किया, उसे मैं यहां दोहरा नहीं सकता।

उन्होंने कहा कि उनके नेताओं को उनकी बदहाली की कोई परवाह नहीं है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सभी पार्टियों के मुस्लिम नेता, समुदाय को केवल भावनात्मक मुद्दों पर भड़काने का काम करते आ रहे हैं। इनमें शामिल हैं बाबरी मस्जिद, मुस्लिम पर्सनल लॉ, शाहबानो व सेटेनिक वर्सेस पर प्रतिबंध जैसे मसले। उनका कहना था कि मुस्लिम पिछड़े वर्गों की हालत, हिन्दू दलितों से भी बदतर है। उन्हें न केवल समाज अछूत मानता है वरन् उनके समुदाय के सदस्य भी उनके साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहते। वक्ताओं में हलालखोर समाज के प्रतिनिधि शामिल थे। इस समाज के सदस्य, सिर पर मैला ढोने का काम करते हैं।

मुस्लिम अशरफ, अपवित्रता और पवित्रता की अवधारणाओं में उतना ही विश्वास करते हैं जितना कि हिन्दू उच्च जाति के लोग। हलालखोरों को भी मस्जिदों में प्रवेश करने से हतोत्साहित किया जाता है और अगर इस समुदाय का कोई सदस्य, परिणामों की परवाह किए बगैर, मस्जिद में घुस भी जाता है तो उससे यह अपेक्षा की जाती है कि वह नमाजियों की सब से आखिर की पंक्ति में खड़ा हो।

पिछड़े मुसलमानों की हालत, हिन्दू दलितों से भी खराब है क्योंकि हिन्दू दलितों को कम से कम अनुसूचित जाति के बतौर, संवैधानिक और कानूनी लाभ प्राप्त हैं जबकि सन् 1950 के राष्ट्रपति के आदेश के अनुसार, किसी गैर-हिन्दू, गैर-सिक्ख या गैर-बौद्ध को अनुसूचित जाति के तौर पर अधिसूचित करने पर प्रतिबंध है। इस तरह, वे शैक्षणिक संस्थाओं, सरकारी नौकरियों और संसद व विधानसभाओं में आरक्षण के लाभ से वंचित हैं।

इसी तरह, उन्हें अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की सुरक्षा भी प्राप्त नहीं है। एक वक्ता, जो सारी मुसीबतों से जूझकर शिक्षा प्राप्त करने में सफल हो गया था, को तब भी अशरफ समुदाय में सम्मान प्राप्त नहीं था। केवल उसकी हलालखोर बिरादरी के सदस्य उस पर गर्व महसूस करते थे। एक हिन्दू नाम का उपयोग कर वह सरकारी नौकरी पाने में सफल भी हो गया था। इस्लाम में अपनी आस्था को उसे अपने दिल के एक कोने में छुपाकर रखना पड़ता था और उसके परिवार का सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन अलग-अलग था।

सम्मेलन में दलित हिन्दू वक्ताओं ने दलित मुसलमानों की हालत पर चिंता और दुःख व्यक्त किया और यह मांग की कि गैर-हिन्दू, गैर-सिक्ख और गैर-बौद्ध दलितों को भी अनुसूचित जाति में शामिल किया जाना चाहिए। यहां यह महत्वपूर्ण है कि अन्य समुदायों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से आरक्षण के लाभ और बंट जायेंगे परंतु फिर भी हिन्दू दलित, अपने मुसलमान साथियों की खातिर यह त्याग करने को तैयार थे।

इस सम्मेलन से एक बार फिर यह स्पष्ट हुआ कि मुस्लिम ‘समुदाय’, दरअसल, समुदाय है ही नहीं। इसमें कई अलग-अलग बिरादरियां हैं जैसे हलालखोर, खटीक, तेली, तंबोली, जुलाहा, बागवान, पठान, सैय्यद, शेख इत्यादि। इन मुस्लिम बिरादरियों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है-अशरफ (श्रेष्ठी वर्ग, हिन्दू उच्च जातियों के समकक्ष), अजलफ (ओबीसी के समकक्ष कारीगर वर्ग) व अरज़ल (दलित हिन्दुओं के समकक्ष वे मुस्लिम बिरादरियां जो ‘अपवित्र काम’ करती हैं)। अशरफ, अजलफ और अरज़ल शब्द किसी भारतीय भाषा के शब्द नहीं हैं। ये अरबी के शब्द हैं और इनका इस्तेमाल सल्तनत काल से होता आ रहा है। तब भी इस्लाम के मानने वालों में इतना भेदभाव था कि पिछड़े वर्गों से मुसलमान बनने वालों पर शरियत कानून लागू नहीं होते थे।

मदरसे केवल अशरफ और अजलफ मुसलमानों के लिए थे और अरजल बिरादरियों के बच्चों को केवल सूफी संतों और उनकी दरगाहों का सहारा था-वे दरगाहें जहां सबका स्वागत था-हिन्दुओं और मुसलमानों का, दलितों और उच्च जातियों का, महिलाओं और पुरूषों का। जब इस्लाम और ईसाई धर्म, दक्षिण एशिया पहुंचे तब उनका सामना भारत में सदियों से स्थापित जाति व्यवस्था से हुआ। जहां तक ऊँची जातियों की बात है उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि शूद्र कौन सा धर्म, परंपराएं या कर्मकांड अपनाते हैं। उन्होंने वैसे भी शूद्रों को अपने समुदाय और समाज से बाहर कर रखा था। अतः उन्हें शूद्रों के इस्लाम या ईसाई धर्म अपनाने से कोई फर्क नहीं पड़ता था।

राज्य का मूल चरित्र सामंती था और वह हिन्दू और मुस्लिम श्रेष्ठी वर्ग के हितों का रक्षक था। वह ऊँचनीच और जन्म-आधारित भेदभाव को बनाए रखना चाहता था। आज भी मुस्लिम बिरादरियों की वफादारी, उनकी बिरादरी से जुड़े संगठनों (कुछ-कुछ जाति पंचायतों की तरह) के प्रति होती है। पारिवारिक विवादों के मामले में दारूलउलूम या मुस्लिम विधिशास्त्रीय संस्थाओं की बजाए बिरादरी से जुड़ी संस्थाओं से संपर्क किया जाता है। शैक्षणिक संस्थाएं और वजीफे आदि देने वाले संगठन भी मुख्यतः अपनी-अपनी बिरादरी के सदस्यों के लिए ही होते हैं। बिरादरियों में आपस में ही विवाह होते हैं और बिरादरी से बाहर विवाह बहुत ही कम मामलों में स्वीकार किये जाते हैं। विभिन्न बिरादरियों के बीच रोटी का व्यवहार तो शायद होता भी हो परंतु बेटी का नहीं होता।

मुस्लिम समुदाय इसलिए पिछड़ा है क्योंकि उसकी अधिकांश बिरादरियां सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ी हैं। परंतु अशरफ बिरादरियों की समाज में अच्छी पकड़ है क्योंकि उनमें से कई गुजरे जमाने में नवाब और जमींदार थे। उसी तरह, गुजरात की तीन व्यवसायी बिरादरियों-बोहरा, कच्छी मेमन व खोजा-भी शिक्षा व रोजगार की दृष्टि से काफी अच्छी स्थिति में हैं। यद्यपि उन्हें भी मुसलमानों के दानवीकरण के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है परंतु फिर भी अपनी शैक्षणिक, सामाजिक व आर्थिक ताकत के कारण, उन्हें इस भेदभाव से बहुत नुकसान नहीं होने पाता। आधुनिक शिक्षा देने वाली मुसलमानों के जो चंद शैक्षणिक संस्थान हैं, उन पर अशरफों का नियंत्रण है।

पहली से चौदहवीं लोकसभा तक केवल पांच पिछड़े मुसलमान सदन के सदस्य बन सके। यही हालत राज्यसभा और विधानसभाओं की भी है। यद्यपि वर्तमान राज्यसभा में कई मुस्लिम सदस्य हैं परंतु उनमें से एक भी पिछड़े वर्ग का नहीं है। राजनैतिक पार्टियों में भी पिछड़े मुसलमानों का प्रतिनिधित्व न के बराबर है जबकि पिछड़े मुसलमान, कुल मुस्लिम आबादी के 90 प्रतिशत से भी अधिक हैं।

इसके बावजूद, समुदाय का नेतृत्व अशरफों के हाथों में हैं जो पूरे समुदाय का प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं और समुदाय के सदस्यों को सेटेनिक वर्सेस, डच कार्टून, बाबरी मस्जिद और शाहबानो जैसे पहचान से जुड़े मुद्दों में उलझाये रखते हैं। इसके विपरीत, पिछड़े मुसलमानों के अधिवेशन में एक भी वक्ता ने इन मुद्दों की चर्चा नहीं की। वे बेशक इस्लाम से प्यार करते हैं परंतु उनके लिए उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति, सामाजिक न्याय, शिक्षा इत्यादि सबसे महत्वपूर्ण हैं।

इस्लाम उनके लिए एक निजी मामला है जिसके नियमों का पालन वे अपने घर की चहारदीवारी में करते हैं। इस्लाम उनके लिए आस्था का प्रश्न है, राजनैतिक हितों को बढ़ावा देने के लिए भीड़ जुटाने का हथियार नहीं। वे अशरफ मुसलमानों की तुलना में स्वयं को हिन्दू दलितों के अधिक करीब पाते हैं और वे उन लोगों से प्रभावित हैं, जो सामाजिक न्याय की बात करते हैं। उनके लिए उनकी प्राथमिक पहचान ‘दलित’ है, ‘मुसलमान’ नहीं। अन्य मुसलमानों और स्वयं में वे जो चीज एक सी पाते हैं वह है आराधना करने का तरीका और धर्म।

इसके अलावा कुछ भी नहीं। अन्य मामलों में वे मुसलमानों की बजाए दलितों के अधिक नजदीक हैं। हाल के आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के एक निर्णय पर हो रही बहस को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। क्या मुस्लिम ‘समुदाय’ शैक्षणिक व सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ वर्ग है? मेरे विचार में, भारत के मुसलमान न तो कोई समुदाय हैं और न कोई वर्ग। काका कालेलकर आयोग और उसके बाद मंडल आयोग ने मुस्लिम पिछड़े वर्गों को सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल किया था।

हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है और पूरे मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देना, धर्म के आधार पर भेदभाव करना होगा। मुसलमानों को आरक्षण देने में कानूनी बाधाएं तो हैं ही परंतु मेरी यह राय है कि ऐसा करना वांछनीय भी नहीं है क्योंकि इससे मुख्यतः वे अशरफ बिरादरियां लाभान्वित होंगी जो पहले से ही सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक दृष्टि से आगे हैं और जिन्हें आरक्षण की कतई आवश्यकता नहीं है। बोहरा, मेमन और खोजा समुदाय में एक बड़ा शिक्षित मध्यम वर्ग है। ये तीनों समुदाय गुजरात के हैं और ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में बंबई में बंदरगाह बनने के बाद, पश्चिमी भारत में हुए विकास से लाभांवित हुए हैं।

इन समुदायों की युवा पीढ़ी आरक्षण के बिना भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है। शिक्षा प्राप्त करने के बाद यद्यपि उनमें से कुछ डाक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि बतौर काम करते हैं परंतु कुछ अपने पारिवारिक व्यवसाय को चलाना ही बेहतर समझते हैं। मस्जिदों और मदरसों के अलावा, इस समुदाय के सदस्यों ने देशभर में कई शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों व अन्य सार्वजनिक संस्थाओं की स्थापना भी की है। भारत के सभी समुदायों में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों का प्रतिशत 26 है।

इसके मुकाबले, 17 प्रतिशत मुसलमान मैट्रिक्यूलेट हैं। परंतु इनमें भी अशरफों, जिनमें बोहरा, खोजा और मेमन शामिल हैं, की संख्या सबसे ज्यादा है। इसी तरह, जो 3.6 प्रतिशत मुसलमान स्नातक परीक्षा पास हैं और 0.4 प्रतिशत, जिन्होंने तकनीकी शिक्षा प्राप्त की है, उनमें भी अशरफों की बहुलता है यद्यपि वे कुल मुस्लिम आबादी का केवल 10 प्रतिशत हैं। ऐसी स्थिति में अगर सरकार मुसलमानों की भलाई के लिए कोई सकारात्मक कदम उठाती है तो उसके सभी लाभों पर अशरफ कब्जा कर लेंगे।

इसका कारण यह है कि वे पहले से ही शिक्षित हैं और आरक्षण का लाभ उठाना उनके लिए कहीं आसान होगा। इसके विपरीत, पहले से ही पिछड़े अजलफ और अरजल पिछड़े ही बने रहेंगे। बेहतर यह होगा कि सभी मुसलमानों को आरक्षण देने की बजाए, विशिष्ट मुस्लिम समूहों या बिरादरियों को पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल किया जाए ताकि लाभ उन तक पहुंचे जिन्हें उसकी जरूरत है। ऐसा करके हम इस सच्चाई को भी स्वीकार करेंगे कि मुस्लिम समुदाय एकसार नहीं है।

सत्ता में आने के बाद, आंध्रप्रदेश की वाय.एस. राजशेखर रेड्डी सरकार ने कानून बनाकर मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया। इस नये कानून को आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई और न्यायालय ने उसे असंवैधानिक व समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन बताते हुए रद्द कर दिया। अपने निर्णय में उच्च न्यायालय ने कहा कि आरक्षण का लाभ केवल सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों को दिया जा सकता है, किसी धार्मिक समुदाय को नहीं। इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी कहा कि आंध्रप्रदेश सरकार के पास ऐसे कोई आंकड़े या तथ्य उपलब्ध नहीं हैं जिनके आधार पर वह इस निष्कर्ष पर पहुंच सके कि पूरा मुस्लिम समुदाय पिछड़ा हुआ है।

उच्चतम न्यायालय ने आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णय को सही ठहराया। इसके बाद, आंध्रप्रदेश सरकार ने मुसलमानों के पिछड़े वर्गों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की। इस बार ऐसा करने के पहले उसने मुसलमानों के उन वर्गों के सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन के संबंध में आंकड़े इकट्ठे किये। सरकार ने आंध्रप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग से यह कहा कि वह मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति का अध्ययन करे। इसके बाद सरकार ने पिछड़े वर्गों की सूची में एक नया ‘ई‘ समूह शामिल किया, जिसमें ‘मुसलमानों के सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े समुदाय‘ रखे गए। परंतु आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय ने इस कानून को भी रद्द कर दिया।

न्यायालय ने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में सभी प्रासंगिक कारकों का संज्ञान नहीं लिया गया है और कई अप्रासंगिक कारकों का संज्ञान लिया गया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि मुस्लिम पिछड़ों के लिए आरक्षण इसलिए भी अवैध है क्योंकि इससे उच्चतम न्यायालय द्वारा कुल आरक्षण पर लगाई गई 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन होता है।

अब समय आ गया है कि हम पिछड़ों को समाज के अन्य वर्गों के समकक्ष लाने के लिए आरक्षण को एकमात्र सकारात्मक कदम मानना छोड़ें। राजनेताओं के लिए आरक्षण देना सबसे आसान होता है क्योंकि इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त संसाधन नहीं जुटाने होते। केवल एक कानून बनाकर किसी भी वर्ग को आरक्षण दे दो और उसके वोट बटोरो। मुस्लिम पिछड़ों का एक छोटा सा हिस्सा अपनी मेहनत से और निर्यात में हुई वृद्धि के कारण आर्थिक रूप से संपन्न बन गया है।

इनमें शामिल हैं वाराणसी के साड़ी बुनकर, मुरादाबाद के पीतल कारीगर और अलीगढ़ के ताला उद्योग व मेरठ के कैंची उद्योग के कुछ व्यवसायी। आरक्षण की बजाए मुस्लिम समुदाय के पिछड़े तबकों को आगे बढ़ने के मौके उपलब्ध कराने के लिए बेहतर यह होगा कि सरकार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के हितों की सुरक्षा के लिए कड़े कानूनी प्रावधान करे, कारीगरों को कौशल विकास के मौके उपलब्ध कराए और उन्हें अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिए आसान शर्तों पर कर्ज दिलवाने की व्यवस्था करे। परंतु इसके लिए यह जरूरी होगा कि संसाधनों का इस्तेमाल कुबेरपतियों के उद्योगों को अनुदान देने की बजाए गरीबों की भलाई के लिए किया जाए। ऐसा सिर्फ एक दूरदृष्टा व उदार नेता ही कर सकता है-वे बौने नहीं जो इस समय हमारे राजनैतिक परिदृश्य पर छाए हुए हैं। 

इरफान इंजीनियर

(मूल अंग्रेजी से अमरीश हरदेनिया द्वारा अनुदित)

कानून का यह दोहरा मापदंड ?


sadhu in train

कहने को तो हमारे देश में प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानून बनाए गए हैं। परंतु यदि इस बात की धरातलीय पड़ताल की जाए तो कई ऐसे विषय हैं जिन्हें देखकर यह कहा जा सकता है कि या तो वर्ग विशेष कानून की धज्जियां उड़ाने पर तुला हुआ है और कानून की नज़रें कानून का उल्लंघन करने वाले ऐसे लोगों पर पड़ ही नहीं रही हैं। या फिर जानबूझ कर इनकी अनदेखी की जाती है। हालांकि इस प्रकार की कई बातें हैं जो हमें यह सोचने के लिए मजबूर करती हैं कि हमारे देश में नियम व कानून को लेकर दोहरा मापदंड अपनाया जाता है।

यदि हम रेल यात्रा करने की बात करें तो हम यह देखते हैं कि मंहगाई के इस दौर में किसी साधारण व्यक्ति के लिए रेल यात्रा करना किसी ‘परियोजना’ से कम नहीं है। यानी यात्रा की दूरी के लिहाज़ से पहले तो उसे आरक्षण कराना होता है। इस बात की कोई गारंटी नहीं कि उसे उसकी मनचाही तिथि तथा उपयुक्त रेलगाड़ी में आरक्षण उपलब्ध होगा भी अथवा नहीं? उसके पश्चात यदि आरक्षण न मिले तो सामान्य डिब्बे में उसे यात्रा करनी पड़ सकती है। एक आम भारतीय नागरिक के लिए रेल के सामान्य डिब्बे में बैठने की सीट मिलना भी आसान नहीं है।

अब यदि यही आम आदमी दुर्भाग्यवश किसी मुसीबत का सताया हुआ है, उसकी जेब कट गई है या उसका सामान चोरी हो गया है अथवा गरीबी के कारण उसके पास यात्रा करने हेतु टिकट खरीदने के पैसे नहीं हैं तो वह व्यक्ति कानून की किसी ऐसी श्रेणी में नहीं आता कि उसे बिना रेलगाड़ी के टिकट खरीदे हुए अपने गंतव्य तक पहुंचना नसीब हो सके। और यदि ऐसे किसी सज्जन व्यक्ति ने ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करने की ठान भी ली तो टिकट निरीक्षक उसके साथ कुछ भी कर सकता है। वह चाहे तो उसे क्षमा करते हुए किसी अगले स्टेशन पर ट्रेन से उतार कर नीचे धकेल सकता है या फिर उसे पुलिस के हवाले कर सकता है। का$फी संभावना इस बात की बनी रहती है कि बिना टिकट रेलयात्री को जेल जाना पड़े। तो क्या भारतीय रेल अधिनियम के अंतर्गत सभी रेल यात्रियों के साथ ऐसा ही बर्ताव किया जाता है?

जी नहीं, पूरे देश में हर दिशा में चलने वाली रेलगाडिय़ों में आपको पीला कपड़ा लपेटे हुए बाबा रूपी भिखारी पाखंडी ऐसे मिलेंगे जो रेलगाड़ी पर बिना टिकट चलना अपना अधिकार समझते हैं। ऐसे लोग ट्रेन के डिब्बे में घुसते ही खाली पड़ी सीट पर $कब्ज़ा भी जमा लेते हें। उन्हें इस बात की कोई $िफक्र नहीं कि कोई टिकटधारी यात्री खड़ा हुआ है। और बिना टिकट लिए वह स्वयं सीट पर कब्ज़ा जमाए हुए है।

कानून तोडऩे वाले ऐसे लोग केवल बिना टिकट यात्रा ही नहीं करते बल्कि डिब्बे में बैठकर खुलेआम बीड़ी-सिगरेट भी पीते हैं जोकि कानूनी अपराध है। हद तो यह है कि तमाम लोगों ने पीले कपड़े को रेलवे का पास समझ रखा है। और ऐसी मानसिकता वाले लोग अपने सिर पर या कंधे पर मात्र एक पीला वस्त्र रखकर अपने पूरे परिवार को साथ लेकर यात्रा करते भी देखे जा सकते हैं।

इस में सबसे दिलचस्प बात यह है कि टिकट निरीक्षक इन पाखंडी,निठल्ले तथा जगह-जगह गंदगी फैलाने वाले भिखारी रूपी लोगों से टिकट मांगने की कोशिश ही नहीं करते। न ही इन्हें ट्रेन से उतारते हैं। जबकि कोई इज़्ज़तदार गरीब सामान्य व्यक्ति न तो इस प्रकार निडर होकर धड़ल्ल् से रेल यात्रा कर सकता है और यदि मजबूरीवश उसे स$फर करना भी पड़े तो वह टिकट निरीक्षक द्वारा पकड़े जाने पर कानून का उल्ंलघन करने वाला साबित होता है। क्या यहां रेल कानून के उल्लंघन का काम केवल साधारण गरीब-मजबूर तथा सज्जन व्यक्ति द्वारा ही किया जा रहा है? इन पीला कपड़ा पहनने वाले पाखंडी,नशेड़ी,अपराधी,भिखारी तथा जगह-जगह गंदगी फैलाने वाले लोगों द्वारा नहीं? आखर रेलवे के कानून का उल्लंघन का डंडा इन पर क्यों नहीं चलता? ऐेसे निठल्ले लोग रेलगाड़ी पर बिना टिकट यात्रा कर पूरे देश का भ्रमण करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार आखर क्यों समझते हैं?

इसी प्रकार नशीले पदार्थ का लाना-ले जाना उन्हें अपने पास रखना,उनका सरेआम प्रयोग करना आदि एनडीपीसी एक्ट के तहत अपराध है। परंतु यहां भी यह $कानून संभवत: केवल साधारण व सामान्य लोगों के लिए ही है। उपरोक्त श्रेणी के बाबाओं,साधुओं तथा भिखारी लोगों के लिए नहीं? उदाहरण के तौर पर हिमाचल व जम्मू-कश्मीर में बनाई जाने वाली चरस पूरे देश में तस्करों द्वारा चोरी-छुपे पहुंचाई जाती है। यदि कोई व्यक्ति इस कारोबार में शामिल पाया जाता है तो उसे एनडीपीसी एक्ट के तहत जेल भेज दिया जाता है तथा उसकी जल्दी ज़मानत भी नहीं होती। अफीम के तस्करों के साथ भी ऐसा ही सख्त बर्ताव होता है। होना भी चाहिए। नशीले पदार्थों के आवागमन पर निश्चित रूप से रोक लगनी चाहिए। तथा इस कारोबार में शामिल लोगों पर सख्ती की जानी चाहिए। परंतु यहां भी इस कानून को अमल में लाने में दोहरे मापदंड अपनाते हुए साफ देखा जा सकता है।

देश में तमाम साधुओं व फकीरों के स्थान ऐसे मिलेंगे जहां धूना चेतन किया जाता है। और उसी धूने के इर्द-गिर्द बैठकर या स्थान के किसी कमरे में अथवा खुले आसमान के नीचे इस प्रकार के साधू व बाबा कस्म के लोग चिलमों के लंबे-लंबे कश लगाते दिखाई देते हैं। इनके द्वारा नशे का सेवन किया जाना न तो पुलिस से छुपा है न ही कानून के दूसरे रखवालों से। जिस धर्म स्थान में भांग,चरस अथवा अफीम के सेवन के शौ$क पाले जाते हैं उस स्थान की इस ‘विशेषता’ के बारे में वहां आने-जाने वाले सभी भक्तों,आसपास की पुलिस चौकी व थाने के पुलिसकर्मियों आदि को सबकुछ मालूम होता है। परंतु आज तक कभी भी किसी भी अखबार में ऐसी रिपोर्ट पढऩे को नहीं मिली जिससे यह पता चल सके कि अमुक धर्मस्थान में $फलां मंदिर या दरगाह में पुलिस का छापा पड़ा और वहां से चरस अथवा अ$फीम का ज़खीरा पकड़ा गया हो?

केवल अनेक धर्मस्थलों में ही इस प्रकार के नशे का सेवन नहीं किया जाता बल्कि समय-समय पर लगने वाले कुंभ,अर्धकुंभ,सूर्य ग्रहण,माघ तथा अमावस आदि के अवसरों पर लगने वाले मेलों में तो कई-कई टन चरस की खपत नदियों के किनारे तंबू लगाए बैठे साधुओं के स्थानों पर हो जाती है। क्या इनके तंबुओं से उठने वाला धुआं कानून के पालनकर्ताओं को नज़र नहीं आता? आलम तो यह है कि कुंभ के अवसर पर एक ओर उसी साधू स्थान में चिलम के कश लगाए जा रहे होते हैं तो दूसरी ओर उसी समय बड़े से बड़े अधिकारी,प्रशासन व न्यायपालिका के धार्मिक प्रवृति रखने वाले लोग बाबाओं के दर्शन करने हेतु उसी स्थान पर आते-जाते रहते हें। परंतु किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगती। ऐसे स्थानों पर नशीले पदार्थों की रखी हुई बड़ी खेप पकडऩा या उसके बारे में पूछना तो दूर किसी अधिकारी की ऐसे साधुओं की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं पड़ती।

इस प्रकार का साधूवेश व बाना धारण किए कोई व्यक्ति क्या अपने स्थान पर,क्या सडक़ के किनारे किसी सार्वजनिक स्थान पर किसी पार्क में या रेलवे या बस स्टैड पर बैठकर जब चाहे चिलम से धुंआ निकालने लग जाता है। परंतु कोई भी पुलिसकर्मी उसकी तर$फ नज़रें उठाकर भी नहीं देखता। परंतु किसी साधारण व्यक्ति के लिए ऐसा करना बड़ा अपराध साबित हो सकता है। आखर ऐसा क्यों? कानून के इस प्रकार के दोहरे मापदंड अपनाने से सा$फ ज़ाहिर होता है कि यदि किसी व्यक्ति को ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करनी हो तो वह व्यक्ति अपने पैंट-शर्ट या किसी अन्य यूनीफार्म को थैले में डालकर पीले कपड़े का सहारा ले तो वह साधूवेश उसके लिए टिकट अथवा पास का काम कर सकता है। और इसी वेश में वह प्रतिबंधित नशीली सामग्री का सेवन अथवा उसे इधर से उधर लाने व ले जाने का काम भी आसानी से कर सकता है। यह कानून का दोहरा मापदंड नहीं तो और क्या है? 

Nirmal Raniनिर्मल रानी
1618, महावीर नगर
अम्बाला शहर,हरियाणा।
फोन-0171-2535628
email: nirmalrani@gmail.com

बाबा रामदेव से नजदीकियां बना रही कांग्रेस !

 

baba  Ramdev

देहरादून [ TNN ] कांग्रेस के धुर विरोधी रहे योगगुरु बाबा रामदेव बुधवार को कांग्रेस की उत्तराखंड सरकार के मेहमान बनकर बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम गए. रामदेव की इस यात्रा पर राजनीतिक पंडितों ने कयास लगा रखे हैं कि कांग्रेस योगगुरू से अच्छे संबंध बनाना चाहती है. केदारनाथ धाम पहुंच कर बाबा ने यात्रा की व्यवस्थाओं और यहां पिछले वक्त की तबाही के बाद चलाए जा रहे विकास कार्यों का जायजा लिया | उनके साथ उनके सहयोगी बालकृष्ण, कुछ समर्थक और कुछ मीडियाकर्मी भी थे |

बाबा रामदेव की केदारनाथ यात्रा पर सफाई देते हुए सूबे की सरकार ने इस यात्रा को यह कहकर एक जरूरी कदम बताया है कि चारधाम यात्रा को पटरी पर लाने और इस क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी को ढर्रे पर लाने के लिए वह सभी का सहयोग चाहती है. सरकारी प्रवक्ता सुरेंद्र अग्रवाल के मुताबिक चाहे रामदेव हों या कोई और नामी संत, सरकार उनका सहयोग और समर्थन चारधाम यात्रा के लिए चाहती है |

इस यात्रा पर राज्य की 30 प्रतिशत लोगों की आजीविका चलती है इसलिए ऐसा करना राज्यहित में है. आपको बता दें कि योगगुरू रामदेव के खिलाफ कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने दर्जनों मामले दर्ज कराए थे जो राज्य के विभिन्न न्यायालयों में आज भी चल रहे हैं. बाबा के सहयोगी बालकृष्ण पर तो फर्जी पासपोर्ट बनाने एवं फर्जी डिग्रियों से उद्योग चलाने के मुकदमे भी विचाराधीन हैं मगर राज्य में सत्ता के नेतृत्व में हुए परिवर्तन के बाद रामदेव के साथ राज्य सरकार के रिश्तों में नया मोड़ आया है. अब आलम यह हो गए हैं कि सरकार ने बाकायदा हेलिकॉप्टर में बाबा को चारधाम की व्यवस्थाओं का जायजा लेने भेजा और उनसे अपेक्षा की कि वह यात्रा में सुधार के लिए सुझाव दें और निर्माण कार्यों के बारे में अपनी राय दें | यहां तक कि सरकार बाबा के दुनिया भर में फैले संपर्कों का भी इस्तेमाल करना चाहती है.

खुद योगगुरू रामदेव ने भी अपनी फेसबुक वॉल पर मुख्यमंत्री की इस पहल को रचनात्मक करार दिया और दलीय हितों से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत बताई. यात्रा के बाद योगगुरू ने कहा कि सीएम ने उनकी तरफ हाथ बढ़ाया और मैंने उसे थाम लिया. उन्होंने दिवाली पर अच्छा कदम उठाया है और देशहित में मैंने भी उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया. ‘श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण वरिष्ठ मीडिया बंधुओं के साथ मैं केदारनाथ एवं बदरीनाथ की यात्रा पर जा रहा हूं. दीपावली के शुभअवसर पर यशस्वी मुख्यमंत्री की ओर से यह रचनात्मक पहल की गई है. सत्ता में आने से पहले पक्ष और विपक्ष व दलीय राजनीति से बचना मुश्किल है मगर सत्ता में आने के बाद तो निष्पक्ष, निर्दलीय राजनीति एवं सोच के साथ राष्ट्रहित को सोचकर चलना ही राष्ट्र के लिए मंगलकारी है |

फायदे की कला है टेराकोटा

Terracotta

टेराकोटा के डेकोरेटर सींक और बर्तनों की कलाकृति सुंदरता के दीवाने हडप्पा और मोहनजोडरों काल के लोग तो थे ही आज हजारों साल तक भी उनकी महत्ता कभी नहीं आई।

हाथ से चलने वाले चाक के जगह मशीन से चलने वाली चाक ने इस कला को और निखारा है और टेराकोटा की इन कलाकृतियों का पसंद करने वालों की संख्या लाखों में हैं । भारत में बनने वाली ये कलाकृतियां जितनी हमारे देश में पसंद की जाती है। उससे कहीं अधिक इनकी डिमांड देश के बाहर है।
वैसे टेराकोटा प्रॉडक्ट मैन्यूफैक्चरिंग का काम हमारे देश में एक खास समुदाय द्वारा ही किया जाता था, लेकिन इसके व्यापार के विस्तार और इस क्षेत्र में अच्छे मुनाफे को देखते हुए युवा पीढी इस व्यवसाय को लेकर गंभीर हुई है। टेराकोटा की एक अच्छी कलाकृति की कीमत हजारों में नहीं बल्कि लाखों में भी हो सकती है।
टैराकोटा के बडे होटलों, गेस्ट हाउसों सिनेमा हॉलों में जो प्रमुखता से हो ही रहा है साथ ही घर की साज सज्जा में भी इसका उपयोग किया जा रहा है। इन कलाकृतियों की रौनक लंबे समय तक बनी रहती है। और रंग हल्का होने पर टेराकोटा मिट्टी का ही कलर करने या अपना मनपसंद रंग घर के इंटीरियल के अनुसार रखने की आसान प्रक्रिया ने इस इंटीरियल डिजायनिंग में अहम बना दिया है। यही कारण है कि इसका बाजार लगातार बढ रहा है।
प्रशिक्षण
आज के लगभग 10 साल पहले तक मिट्टी या टेराकोटा की कलाकृतियां बनाने की प्रोफेशनल ट्रेनिंग के कुछ गिने -चुने संस्थान थे, लेकिन देश में प्रशिक्षण प्राप्त कलाकारों एवं इस उद्योग को चलाने की समझ वाले लोगों की इस क्षेत्र में बढती मांग को देखते हुए सरकार ने इसके लिए देश भर में कई प्रशिक्षण संस्थान खोले हैः-
डॉ. जे.सी. कुमारप्पा इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल टेव्नहृोलॉजी एंड डेवलपमेंट
टी. कालूपट्टी, मदुराई डिस्ट्रिक, तमिलनाडु-625702
सी.बी. कोरा इंस्टीट्यूट ऑफ विलेज इंडस्ट्रीज, खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन
शिमोपोली रोड, बोरीवली वेस्ट, मुंबई-92
मल्टी डिस्पील्नरी ट्रेनिंग सेंटर खादी एवं विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन
दूरवानी नगर, बंगलौर-560016, कर्नाटक
खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन गाांधी आश्रम,राजधाट, नई दिल्ली
इन सभी केंद्रों के संबध में अधिक जानकारी वेबसाइट के पते से प्राप्त कर सकते हंै।
प्रशिक्षण अवधि
पॉटरी मैन्यूफेक्चरिंग भी एक कला है और इसे हैंडीक्रापट यानी हस्तकला वर्ग में रखा गया है। अलग-अलग संस्थनों में प्रशिक्षण अवधि अलग है। लेकिन प्रशिक्षण की न्यूनतम अवधि 6 महीने है। कुछ संस्थानों में इसका सर्टिफिकेट कोर्स भी करवाया जाता है।
अपनी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाने का अनुमति खर्च
इसका यूनिट इंडस्ट्रियल एरिया में लगया जाना चाहिये। नए उद्यमियों को यह ध्यान रखना चाहिये कि वो सरकार द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा करें। वैसे टेराकोटा मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाने का खर्च लाखों में नहीं होता।
कम पूंजी होने की ििस्थ्त में छोटे यूनिट से भी व्यापार की शुरूआत की जा सकती है। लगभग30 से 50 हजार के बीच इसका काम शुरू किया जा सकता है। यूनिट में कच्चे माल के रूप में काली और लाल मिट्टी, पानी, बिजली से चलने वाली चाक और भट्टी की जरूरत होती है। हमारे देश में पारंपरिक मिट्टी और ईंट से बनी भट्टी ही बनाई जाती रही है, लेकिन युवा पीढी के इस व्यापार में कूदने से इस क्षेत्र में काफी गंभीरता से काम हुआ है और आज बाजार में इलेक्ट्रिकल भट्टी भी है, जिसमें धुंआ नहीं होता और न ही इसमें आग सुलगाने की जरूरत होती है। यानी आप अपनी यूनिट को पूरी तरह आधुनिक पद्धाति का बनाकर अंतरर्राष्ट्रीय बायर को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते है। इस इलेक्ट्रिकल भट्टी की कीमत 50 हजार से 1 लाख के बीच है।

पॉलीमर साइंस यही है यही चलन

jobs in polymer science

आज जिस तरह पॉलीमर फार्मसिटिकल पैकेंजिन ओप्टीकल जैसी कम्पनियां फलपूहृल रही है। और उन कम्परियों के उत्पादों पर लोगों की निर्यात दिनों दिन इस कदर बढ रही है कि सभी कम्पनियों में पॉलीमर विशेषज्ञ की मांग भी बढ है। इसी से संबंधित एक कोर्स दिल्ली विश्वविद्यालय के भाष्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज में पॉलीमर साइंस के नाम से चालाया जा रहा है। 

क्या है पॉलीमर साइंस पॉलीमर साइंस केमिस्ट्री की ही एक शाखा है। इस बायोमेडिकल साइंस से ही जुडे पहलुओं पर जैसे मेडिसिन, बायोटेव्नहृोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी व इसी के दूसरे पक्षों के अध्ययन पर छात्रों को प्रशिक्षित किया जाता है। 

भाष्कराचार्य कालेज के रीडर डॉ. मनोज खन्ना के मुताबिक-ऐसे कोर्स का भविष्य बेहद उज्वल है और यह कोर्स डी.यू द्वारा गत ढाई वर्षो से केवल भाष्कराचार्य कालेज में ही चलाया जा रहा है।

योग्यता-पॉलीमर साइंस एक तीन वर्षीय डिग्री कोर्स है, जिसे बारहवीं के बाद कर सकते है। योग्यता के तहत जरूरी है कि आपके फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ में न्यूनतम अंक 60 फीसदी हों। इस कोर्स के लिए कोई प्रवेश परीक्षा नहीं होती है, लेकिन दखिला मेरिट के आधार पर ही किया जाता है।
इस कोर्स के लिए कालेज में कुल 30 सीटें उपलब्ध है।

जॉब के अवसर: पॉलीमर साइंस यानी बायोमिडिकल साइंस के क्षेत्र में आगे बढने की अपार संभावनाएं है, वैसे ग्रेजुएट कोर्स करने के बाद प्लास्टिक, फार्मास्युटिकल, पैकेजिंग व ऑप्टिकल फाईबर जैसी कम्परियों में बतौर टेव्निहृकल व रिसर्च इंजीनियर, मैनेजर आदि बन सकते है।
वेतन: इस कोर्स के ग्रेजुएट को शुरूआत में 10000 से 12000 रुपये तक मसिक वेतन मिलता है, लेकिन मास्टर व स्पेशलाइजेशन करने के बाद आप 30,000 से 50,000 रुपये तक का मसिक वेतन भी पा सकते है।

फॉर्म भरने का समयः इस कोर्स के लिए फार्म आप डी.यू. व भाष्कराचार्य कालेज से नये शिक्षा सत्र यानी जुलाई माह में प्राप्त कर सकते है।
इस कोर्स के लिए एक वर्ष की फीस करीब 2000 रू. चार्ज की जाती है। इस बारे में जानकारी बेबसाइट से ले सकते है।
प्रशिक्षण संस्थान: भाष्कराचार्य कालेज ऑफ अप्लाइड साइंसेज, सेक्टर -02 द्वारका, नई दिल्ली।
फोन-25087597,27667725

अजब गजब: सौ चाबियों से खुलता है एक ताला

Opens a lock of a hundred keys

खंडवा-  क्या आपने ऐसे किसी ताले के बारे में देखा या सूना है जिसकी सौ से अधिक चाबियां हो और जो प्रतिदिन दो सौ से अधिक बार आपरेट किया जाता हो ! नहीं ना, हम आपको बताने जा रहे है कि कहाँ लगा है यह ताला। इस इकलौते ताले के सौ से अधिक मालिक है। जो अपनी -अपनी चाबियां अपने पास रखते है।  जो रोजाना अपनी चाबी का इस्तेमाल कर ताले को आपरेट करते है।

तो हम आपको लिए चलते है।  मध्यप्रदेश के खंडवा रेलवे जंकशन पर  जहाँ रेलवे कर्मचारियों के लिए बनाये गए  पार्किंग स्थल के गेट पर लगा है। दुनिया का सबसे अनोखा ताला  जो देखने में आम तालो की तरह ही है। फिर भी इसे  अपनी खासियत के लिए दुनिया के सबसे अनोखे ताले का दर्जा दिया जा सकता है।

अब सवाल उठना लाजिमी है की ऐसा क्या खास है इस ताले में ? जो आम तालों में नहीं है ? तो इस सवाल का जवाब सुनिए दरअसल खंडवा रेलवे जंक्शन के बाहरी परिसर में दो पहियां वाहन की पार्किंग है। कुछ माह पूर्व तक इस पार्किंग का उपयोग यात्री और रेलवे कर्मचारी मिलकर करते थे। रेल कर्मचारियों के लिए यह पार्किंग नि: शुल्क थी। लेकिन जब से रेलवे ने ठेके पर पार्किंग दे दी । तब से पार्किंग शुल्क को लेकर आये दिन रेलवे कर्मचारियों और ठेकेदार के बीच विवाद होने लगा।
मामला डीआरएम तक पहुंचा तो एक माह पूर्व खंडवा दौरे पर आये भुसावल डीआरएम ने रेलवे कर्मचारियों के वाहन पार्किंग हेतु  पार्सल आफिस के पीछे की जमीन की स्वीकृति दे दी। रेल कर्मचारियों के दो-पहिया वाहनों लिए अलग से पार्किंग की व्यवस्था हो गई। पार्किंग स्थल के बाहर चैनल गेट भी लग गया। पार्किंग के बाहर बोर्ड भी लगा दिया कि यह पार्किंग सिर्फ आन डयूटी रेलवे स्टॉफ के दो-पहियां वाहनों के लिए है। इस पार्किंग के बनने से रेलवे कर्मचारियों के वाहन पार्किंग की समस्या तो हल हो गई। लेकिन इस पार्किंग का उपयोग रेलवे कर्मियों के अलावा बाहरी लोग भी करने लगे वाहन चोरी होने लगे।

इस समस्या से निपटने के लिए रेल कर्मचारियों की पार्किंग के चैनल गेट पर ताला लगा दिया और एक अतिरक्त सूचना बोर्ड लगाया कि इस पार्किंग स्थल पर सुरक्षा हेतु ताला लगाया जा रहा है। चूँकि रेलवे की पार्किंग का उपयोग प्रतिदिन डेढ़ सौ से अधिक रेलकर्मी करते हैं। पार्किंग के चैनल गेट पर ताला लगाते ही दूसरी समस्या खड़ी हो गई कि  पार्किंग स्थल पर लगे ताले की चाबी किसके पास रखी जाए  ताकि सभी उसका उपयोग कर सके।
यहां मामला बिगड़ गया क्योंकि रेलवे कर्मचारियों की शिफ्ट अनुसार अलग-अलग समय में ड्युटी होती है। तब संयुक्त रूप से रेल कर्मियों ने यह फैसला लिया कि सभी रेल कर्मचारियों को इस ताले की चाबी बनवाकर दे दी जाए। बस फिर क्या था । इस ताले की सौ से अधिक चाबी बनवाई गई  और सभी रेल कर्मियों ने आपस में बाँट ली। खंडवा रेलवे स्टेशन मास्टर रमेश चन्द्रा के अनुसार चाबियों के वितरण रेलवे यूनियन ने की है जिससे वाहन सुरक्षित है।
रिपोर्ट -अनंत माहेश्वरी

आगरा : हाथ पैर बांध कर 20 तोला सोना और 25 हजार लूटे

Agra robbed at home

आगरा [ TNN ] आगरा के जगदीशपुरा पुलिस स्टेशन मंगल की रात बदमाशों ने बुज़ुर्ग को निशाना बनाया। देर रात वे घर में जबरन घुस आए। उन्होंने दोनों के हाथ-पैर बांध दिए और अलमारी में बंद कर दिया। इसके बाद लुटेरों ने घर से करीब 20 तोला सोना और 25 हजार रुपए कैश लूट लिए। काफी देर बाद उनका पोता मौके पर पहुंचा। उसने अलमारी से रोने-चिल्लाने की आवाजें सुनी और दोनों को बाहर निकाला। इसके बाद घटना के बारे में पुलिस को सूचना दी गई। फिलहाल मामले की छानबीन की जा रही है।

जानकारी के मुताबिक, घटना जगदीशपुरा के अवधपुरी की है। बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कमलेश कुमारी ने बताया कि वह मंगलवार को दफ्तर में थीं। पति बृजेश कुमार यूनिवर्सिटी गए थे और बेटा अंकुर घर से बाहर था। घर में सिर्फ सास प्रेमा देवी और ससुर हेत सिंह मौजूद थे। तभी छत की तरफ से चार बदमाश घर में घुस आए। उन्‍होंने दोनों बुजुर्गों के हाथ बांध दिए और अलमारी में बंद कर दिया।

इसके बाद जमकर लूटपाट की और फरार हो गए। काफी देर बाद बेटा अंकुर वहां पहुंचा। अपना स्कूल बैग रखने के लिए वह अलमारी की तरफ बढ़ा। अचानक उसने अलमारी के अंदर से रोने-चिल्लाने की आवाज सुनी। उसने उसका दरवाजा खोल दिया। अंदर उसके दादा-दादी थे। उसने दोनों के हाथ-पैर खोले और किसी तरह बाहर निकाला। इसकी जानकारी उसने परिजनों को भी दी।

सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। रात को एस पी सिटी समीर सौरभ भी पहुंचे। फोरेंसिक टीम ने लुटेरों से संबंधित सबूत इकट्ठे किए हैं। एस पी सिटी ने बताया कि यहां से 20 तोला सोना और 25 हजार रुपए लूटे गए हैं। अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस कार्रवाई कर रही है।

रिपोर्ट -सुहैल उमरी

सरकार बता सकती है काला धन जमा करने वालो के नाम

black-moneyनई दिल्ली [ TNN ] केंद्र सरकार विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले कुछ भारतीयों के नाम अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में  जांच में जिनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिल चुके हैं, ऐसे लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपे जाएंगे। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मंत्रियों के लिए सोमवार को दिए डिनर में उनसे कहा था कि जिन लोगों के खिलाफ जांच निर्णायक स्थिति में पहुंच गई है, सरकार उनके नाम सरकार सुप्रीम कोर्ट में बताएगी।

शीर्ष सरकारी सूत्रों ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि सरकार इस मामले में 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में पूरक शपथ पत्र दाखिल करेगी, जिसमें नामों को सीलबंद लिफाफे में देने की योजना के बारे में अदालत को सूचना देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मंत्रणा के बाद सरकार ने यह कदम उठाने का फैसला किया है। पहली लिस्ट में यूरोपीय देशों की सरकारों के द्वारा उपलब्ध कराए गए 800 में से 136 लोगों के नाम शामिल होंगे।

पिछले सप्ताह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन करके कहा था कि वह विदेश में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नाम दोहरे कराधान बचाव समझौते की वजह से उजागर नहीं कर सकती है। सरकार का कहना था कि ऐसा करने से संधि का उल्लंघन होगा। इसके बाद बीजेपी के भीतर भी चर्चाओं में नेताओं ने कहा था कि नाम नहीं उजागर करने से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचेगा। पार्टी ने इस साल हुए आम चुनाव में काले धन के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था और इसे वापस लाने का वादा किया था।

सरकारी सूत्रों ने अंग्रेजी अखबार को बताया कि स्विट्जरलैंड और दूसरे देशों से हुई संधि कोर्ट में उन लोगों के नाम बताने से नहीं रोकती है, जिनके खिलाफ जांच में मजबूत सबूत मिल चुके हों। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी मंगलवार को एक न्यूज चैनल से बातचीत में वादे से मुकरने के आरोप के जवाब में कहा था कि मीडिया की गलत रिपोर्टिग के कारण कांग्रेस को आरोप लगाने का मौका मिल गया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने के बाद मीडिया ने कहना शुरू कर दिया कि सरकार खाताधारकों के नाम उजागर करना नहीं चाह रही है, जबकि हमारा पक्ष यह था कि कानूनी तौर-तरीकों के मुताबिक ही हम विदेश में काला धन रखने वालों के नाम बताएंगे।

जेटली ने कहा कि जर्मनी के साथ दोहरे कराधान से बचाव का समझौता सरकार को सिर्फ मीडिया के सामने नाम सार्वजनिक करने से रोकता है। इसमें अदालत के सामने नाम खोलने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको आश्वासन देना चाहता हूं कि जब सारे नाम उजागर हो जाएंगे, तो हमारे लिए यह शर्मिदगी की बात नहीं होगी, लेकिन कांग्रेस को जरूर शर्मसार होना पड़ जाएगा।

इस बात का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि भारतीयों की कितनी रकम विदेशी बैंकों में जमा है। हालांकि, वॉशिंगटन के थिंक टैंक ग्लोबल फाइनैंशल इंटिग्रिटी के अनुमान के मुताबिक 1948 से 2008 तक भारतीयों ने 462 अरब डॉलर यानी करीब 28 लाख करोड़ रुपये विदेशी बैंकों में जमा किए हैं। सरकार ने दिल्ली की तीन एजेंसियों एनसीएईआर, एनआईपीएफपी और एनआईएफएम को भारतीयों द्वारा जमा कराए गए काले धन के आकलन करने का काम सौंपा है।

मेरा ब्वॉयफ्रेंड मुझसे उम्र में 20 साल छोटा : तस्लीमा नसरीन

taslima nasreen boyfriend

भारत में निर्वासित जीवन जीने वाली तस्लीमा नसरीन ने एक बार फिर चौंकाने वाला ट्वीट किया है। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ खुद की तस्वीर पोस्ट की है। यही नहीं, उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘मेरा ब्वॉयफ्रेंड मुझसे उम्र में 20 साल छोटा है। इट्ज कूल।’ उनके इस ट्वीट को 10 मिनट के अंदर 22 लोगों ने रीट्वीट किया। 

इस पोस्ट के साथ तस्लीमा ने स्पष्ट कर दिया कि वो सिंगल नहीं हैं। उनके निजी और सेक्स जीवन को लेकर समय समय पर कयास सामने आते थे। जानकार मानते हैं कि अब यह बंद हो जाना चाहिये।

लेकिन ऐसा उन्होंने क्यों किया है? कुछ का मानना है कि यूं अत्यंत साहस का कदम है। बिना निकाह यह बताना कि उनका ब्वॉयफ्रेंड है, जिसके साथ वो जीवन इन्ज्वाय करतीं हैं।

बहरहाल, उनका ताजा कदम कट्टरपंथियों को रास नहीं आयेगा। लेकिन तस्लीमा जानी ही जातीं हैं इसीलिये। अभी उनके ब्वॉयफ्रेंड के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है। 

जानकार कहते हैं कि तस्लीमा कामांध नहीं हैं। उन्हें समझने वाले का साथ नहीं मिला जिसकी तलाश वो जीवन भर करती रही। उनके कितने मित्र रहे कितने रहेंगे और कुछ तो चंद घंटों के लिए रहे , इस पर चर्चा बहुत निजी हो जाएगी।

अब सलमान के मेहमान बनेंगे मोदी

narendra modi salman khanमुंबई [ TNN ] बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की बहन अर्पिता की शादी में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल हो सकते है। खबर है कि सलमान और उनके पिता सलीम खान मोदी को इनवाइट करने का प्लान बना रहे है। आपको बतादें मोदी के पीएम पद के शपथ ग्रहण समारोह में सलमान व उनके पिता सलीम को बुलाया गया था।

सूत्रों के अनुसार अब सलीम खान अपनी बेटी की शादी में पीएम मोदी को इनवाइट करने की योजना बना रहे है। अर्पिता की शादी 16 नवम्बर को होगी।

खबर की पुष्टि करते हुए सलीम ने कहा, हां, मैं शादी के लिए पीएम मोदी को इनवाइट करूंगा और उम्मीद है कि इसमें शरीक होने के लिए उन्हें समय मिल सकता है। शादी को लेकर उन्होंने कहा, मैं खर्चीली शादियों में विश्वास नहीं करता। मैं अपने बच्चों को बताया कि जितना साधारण हो सके वैसा यह करेंगे। यह छोटा आयोजन होगा।

चीन की सड़क का जवाब रेल से ,सीमा पर चार रेलवे लाइनें

new train lineनई दिल्ली [ TNN ] केंद्र सरकार ने चीन से सटी सीमा पर चार रेलवे लाइनें बिछाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। एक हजार किलोमीटर लंबी ये लाइनें हिमालय के क्षेत्र में बिछाई जाएंगी, जिनका विस्तार असम, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और अरूणाचल प्रदेश में होगा। इन लाइनों का इस्तेमाल भारतीय सेना रणनीतिक इस्तेमाल के लिए करेगी। पिछले सप्ताह योजना आयोग, रक्षा, रेलवे और वित्त मंत्रालय के उच्च अधिकारियों के बीच हुए हुई बैठक में पीएमओ ने रेलवे को इन लाइनों का सर्वे करने का आदेश दिया है।

सर्वे में आने वाले खर्चे के आंकलन के लिए रेलवे को एक महीने का समय दिया गया है। बताया जा रहा है दो साल में पूरा होने वाले इस सर्वे में करीब 200 करोड़ रूपए का खर्चा आएगा। रेलवे ने पीएमओ को बताया कि ये रेल लाइनें हिमालय के आसपास ही बिछाई जाएंगी, ऎसे में लाइनें बिछाने में काफी खर्चा आएगा, क्योंकि रास्ते में पड़ने वाले पहाड़ों में सुरंगे बनानी होंगी।

गौरतलब है कि चीन ने अपने क्षेत्र में सीमा से सटे क्षेत्र में रेलवे और सड़क नेटवर्क बना रखा है। लेकिन हालही में भारत सरकार द्वारा चीन से सटी सीमा वाले इलाके में सड़क बनाने के फैसले पर चीन ने एतराज जताया था। जिसका भारत ने चीन को करारा जवाब दिया था। भारत ने कहा था कि हम हमारे क्षेत्र में कुछ भी करें इसके लिए हमें किसी से कुछ पूछने की जरूरत नहीं है।

ये होंगी रेल लाइनें:-
-मिसामारी-तवांग (378 किलोेमीटर)
-असम-अरूणाचल प्रदेश, उत्तरी लखीमपुर-सिलापथर (248 किलोमीटर)
-असम-अरूणाचल प्रदेश, मुरकोंगसेलेक-पासीघाट-तेजू-परशुराम कुंड-रूपई (256 किलोमीटर)
-हिमाचल प्रदेश-जम्मू एवं कश्मीर, बिलासपुर-मंडी-मनाली-लेह (498 किलोमीटर)

खंडवा महापौर का पद अनारक्षित,देखें किस में कितना है दम

imagesखंडवा [TNN] खंडवा नगर निगम में महापौर का पद अनारक्षित होने के साथ ही कांग्रेस और भाजपा में कई नेता चुनाव लड़ने केलिए दावेदारी करने लगे है । दूसरी और आम आदमी पार्टी ने फ़िलहाल चुनाव लड़ने के बारे में निर्णय नहीं लिया है ।

भाजपा के दावेदार :-


1 राजेश डोंगरे :-
राजेश डोंगरे भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष और एन एच डी सी में डारेक्टर रहे है पार्टी में जमीनी कार्यकर्तो से लेकर वरिष्ठ नेताओ तक उन का संपर्क बन हुआ है । लोकसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान संसद नंदकुमार सिंह चौहान के चुनव संचालक भी रहे । पेशे से वकील राजेश डोंगरे राजनीतिक बिछत बिछाने में माहिर है । लेकिन खंडवा शहर के मतदाताओं में उनकी सीधा संपर्क काम है ।

2 सुभाष कोठारी :- फ़िलहाल भाजपा के जिला अध्यक्ष है । और लोकसभा विधानसभा चुनाव में पार्टी के सभी उम्मीदवारों को जिताने का सारा श्रेय इन्ही के खाते में गया है । प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान संसद नंदकुमार सिंह चौहान के करीबी माने जाते है कार्यकर्तो पर पकड़ है लेकिन जनता से सीधा संपर्क नहीं ।


3 हरीश कोटवाले :-
आरएसएस कुनबे से निकले भाजपा के जमीनी नेता है । स्थानीय भाजपा नेताओं से ज्यादा आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क है । स्थानीय भाजपा कार्यकर्तो में संतुलन है लेकिन जनता से सीधा संपर्क नहीं ।


4 पुरषोतम शर्मा :-
पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष । पार्टी संगठन में काम करने का अनुभव लेकिन स्थानीय नेताओं और कार्यकर्तो से तालमेल का आभाव ।

कांग्रेस के दावेदार :-
1 अजय ओझा :- कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष और कार्यकर्तों में मजबूत पकड़ शहर में ब्राह्मण मतदाताओं की अधिकता होने के कारण टिकट के दावेदार । लेकिन स्थनीय नेताओं से संतुलन का आभाव । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के विरोधी रहे पर अब कंधे से कंधा मिला कर खड़े है ।

अरुण सेठी :- कांग्रेस के पुराने नेता वरिष्ठ नेताओं से संपर्क लेकिन जमीनी कार्यकर्तों से कोई संपर्क नहीं । व्यपारी होने के नाते व्यपारी वर्ग में पहचाने जाते है आम जान में सम्पर्क नहीं । अरुण यादव से बेहतर तालमेल ।

3 सुनील सकरगाय :- पूर्व सांसद कालीचरण सकरगाय के पुत्र है ,बहुसंख्यक ब्राहमण मतदाताओं के नेता है और प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के बेहद करीबी माने जाते है । मिलनसार व्यक्तित्व लेकिन कार्यकर्तों में पकड़ का आभाव । इनकी पत्नी सुनीता सकरगाय विगत महापौर का चुनाव लड़ी लेकिन हारी है ।

4 जतिन पटेल :- पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष व्यपारी वर्ग से आते है । कार्यकर्तों में पकड़ का आभाव और जनता से सीधा सम्पर्क भी नहीं लेकिन अरुण यादव की निकता के चलते टिकट के दावेदार ।

 

भक्तों की आस्था का केंद्र , मुंबई का घंटेश्वर हनुमान मंदिर

mumbai ghanteshwar hanuman mandir

मुंबई [ TNN ] खार पश्चिम स्टेशन से कुछ ही दुरी पर मधु पार्क के पास हनुमान जी का मंदिर है। इसके अपने आप में विख्यात होने का कारण ये है। की भक्तों की मन्नत पूरी होने के बाद यहाँ घंटियां बाँधी जाती है। यह एक बहुत बड़ी आस्था का केंद्र बन चूका है। दिन ब दिन यहाँ भक्तो की संख्या बढ़ते ही जा रही है। यहाँ सभी धर्म के लोग आतें हैं। 

ऐसा कहा जाता है। की ये एक चमत्कारी मंदिर है। 70 वर्ष पुराने इस मंदिर की विशेषता यह है। की जो भी हनुमान जी का भक्त दुःख तकलीफ या संकट में होता है। वो यहाँ आकर अपना दुःख की बात हनुमान जी को अपने दिल से उनकी स्तुति कर बताता है। उनके दुःख दर्द जल्द ही दूर हो जाते हैं। फिर हनुमान जी के इस मंदिर में आकर अपने श्रद्धा अनुसार पीतल की घंटी यहाँ के वृक्ष में बाँध देता है। और जो भक्त गण कुछ मन्नत के लिय हनुमान जी की प्रार्थना करतें हैं। हनुमान जी उनकी मन्नतें पूरी करें वो भक्त गण मन्नत पूरी होने के बाद अपने श्रद्धा अनुसार पीतल की घंटी यहाँ के वृक्षों में बाँध देता हैं। हनुमान जी के यहाँ उनके चरणों को स्पर्श करने के बाद ही वृक्षों में बाँधी जाती हैं।

घंटियां, इसीलिए हनुमान जी के इस मंदिर को घंटेश्वर मंदिर कहा जाता है। यहाँ हर मंगल वार और शनि वार को हनुमान जी के दर्शन एवं उनकी पूजा अर्चना करने के लिए भक्तों की लम्बी कतार लगी रहती है। किसी भी वर्ग गरीब अमीर कोई भी भक्त चाहे वो फ़िल्मी सितारा ही क्यों न हो वो भी कतार में खड़ा हो कर हनुमान जी के दर्शन करता है। और फिर शनि देव के यहाँ दर्शन करता है। फिर सरसों का तेल हनुमान जी को और शनि देव को चढ़ाता है। तेल चढ़ाना अति अनिवार्य होता है। 20 लोग हैं जो इस मंदिर की सेवा में लगे रहतें हैं। इस मंदिर में लगे वृक्षों में छोटी से लेकर बड़ी से बड़ी घंटियां बाँधी गयी हैं। बहुत दूर दूर से भक्त यहाँ हनुमान जी के दर्शन के लिए आतें हैं। इसी लिए ये घंटेश्वर मंदिर अपने आप में विख्यात बनता जा रहा है। और साथ ही आस्था का बड़ा केंद्र भी बनते जा रहा है।

 मुंबई से अजय शर्मा

 

 

 

माइक्रोसाफ्ट के सत्य नडेला को मिला 8.4 करोड़ डॉलर वेतन

Satya Nadella Microsoft  CEO

माइक्रोसाफ्ट के मुख्य कार्यकारी सत्य नडेला को इस साल वेतन के तौर पर 8.43 करोड़ डालर मिले। उल्लेखनीय है कि नडेला के वेतन का ब्यौरा उस समय आया है जब हाल ही में उनकी इस सलाह के लिए कड़ी आलोचना हुई थी कि महिलाओं को वेतन वृद्धि की मांग नहीं करनी चाहिए बल्कि इसके लिए उन्हें ‘कर्म’ पर भरोसा करना चाहिए।

अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग को दी गई जानकारी में माइक्रोसाफ्ट ने कहा कि नडेला को जून 2014 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान कुल वेतन के तौर पर 8.43 करोड़ डालर मिले, जबकि 2013 में उन्हें 76.6 लाख डालर का वेतन मिला था।

नडेला को 2014 में मिले वेतन में 9,18,917 डालर की पगार, 36 लाख डालर बोनस और 7.977 करोड़ डालर का शेयर शामिल हैं। ऐसा नडेला को मुख्य कार्यकारी की तलाश के दौरान माइक्रोसाफ्ट में बनाए रखने और उन्हें मुख्य कार्यकारी के तौर पर दीर्घकालिक प्रोत्साहन देने के लिए किया गया।

माइक्रोसाफ्ट ने कहा कि मुख्य कार्यकारी के पद से बहुत सी जिम्मेदारियां जुड़ी हैं, जटिल, तेजी से विकसित होते कारोबारी माडल के लिए महारत और बेहद तकनीकी संगठन को नेतृत्व क्षमता की जरूरत है।

कंपनी ने कहा ‘सत्य नडेला की नियुक्ति के साथ हमारा मानना है कि हम अपना लक्ष्य प्राप्त कर पाएंगे।’ नडेला का वेतन ब्यौरा उस वक्त आया है जब दो हफ्ते पहले ही उन्होंने कंप्यूटर की दुनिया से जुड़ीं महिलाओं के सम्मेलन में कहा था कि महिलाओं को वेतन वृद्धि की मांग नहीं करनी चाहिए और उन्हें अपने कर्म पर भरोसा करना चाहिए कि व्यवस्था उन्हें भविष्य में उचित वेतन देगी।

इस बयान की कड़ी आलोचना के बाद नडेला ने अपने कर्मचारियों को लिखे पत्र में यह कहते हुए माफी मांगी कि उन्होंने इस संबंध में पूछे गए प्रश्न का जवाब बिल्कुल गलत दिया। उनसे पूछा गया था कि वे उन महिलाओं को क्या सलाह देंगे जो वेतन वृद्धि के मांग के बारे में सहज महसूस नहीं करतीं। -भाषा

आगरा के होटल में मिला ब्रिटिश जोड़े का शव , मौत ड्रग ओवरडोज से

agra crime news

आगरा [ TNN ] आगरा के ताजगंज के एक होटल के कमरे से दो विदेशियो की लाश मिली। इनमें एक मर्द और एक औरत शामिल है। वे उनके दंपती होने की तस्दीक नहीं हुई है। पुलिस ने मौत की वजह ड्रग ओवरडोज बताई है। मौके से नींद की गोलियां भी बरामद हुए हैं।

आगरा के एक होटल में मंगलवार को एक ब्रिटिश कपल के शव मिलने से सनसनी मच गई. पुलिस के मुताबिक, शुरुआती जांच में यह ड्रग्स की ओवरडोज का मामला लग रहा है | 

एसएसपी शलभ माथुर ने मीडिया को बताया, ‘ऐसा लग रहा है कि दोनों की मौत सोमवार रात में ही हो चुकी थी. क्योंकि रात में उन्होंने जो खाना ऑर्डर किया था, उसे खाया नहीं गया था मंगलवार सुबह घटना की जानकारी ब्रिटिश उच्चायोग को दी गई |

पुलिस ने बताया कि मृतकों की पहचान 28 वर्षीय जेम्स ओलिवर और 24 वर्षीय एलेग्जेंड्रा निकोला गास्केल के रूप में हुई है. दोनों 11 जुलाई को भारत आए थे. 18 अक्टूबर को वह आगरा पहुंचे और रेजिडेंसी होटल में रुके. 20 अक्टूबर को वह ताज महल के पास स्थित होटल माया में शिफ्ट हो गए |

होटल के कमरे से जब लंबे समय तक कोई जवाब नहीं मिला तो होटल स्टाफ ने पुलिस को सूचना दी. दोनों शव पोस्टमॉर्टम के लिए एसएन मेडिकल कॉलेज भेज दिए गए. माथुर ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारण का खुलासा हो सकेगा. पुलिस को कमरे से स्ट्रेस से छुटकारा दिलाने वाले ड्रग्स और नींद की दवाई मिली |

 रिपोर्ट -सुहैल उमरी

पाकिस्तान ने न्यूज चैनल पर लगाया जुर्माना और प्रतिबंध

ARY-News-closed-इस्लामाबाद [ TNN ] पाकिस्तान की मीडिया रेगुलेशन अथॉरिटी (पीईएमआरए) ने देश की न्यायपालिका की छवि धूमिल करने के आरोप में एक प्राइवेट न्यूज चैनल को ऑफ एयर कर दिया है। अथॉरिटी का कहना है कि सरकार के विरोध एजेंडे पर काम करने वाले इस चैनल को 15 दिनों के लिए ऑफ एयर किया गया है। यही नहीं एआरवाई न्यूज चैनल पर 1 करोड़ रुपये (पाकिस्तानी) का जुर्माना भी लगाया गया है।

मंगलवार को पीईएमआरए ने अपने बयान में कहा, एआरवाई न्यूज चैनल को लाहौर हाई कोर्ट के आदेश के बाद ऑफ एयर होने के आदेश जारी किए गए हैं। अथॉरिटी ने यह भी बताया कि कोर्ट के आदेशों के मुताबिक चैनल के एक एंकर को मुबाशर ल्यूकमैन को दूसरे न्यूज चैनलों पर आने से भी बैन कर दिया गया है।

पाकिस्तान सरकार ने इस साल दूसरी बार किसी बड़े न्यूज चैनल पर रोक लगाई है। एआरवाई न्यूज के टॉक शो ‘खरा सच’ में देश की न्यायपालिका को बदनाम करने का आरोप लगाया है और उसका लाइसेंस भी निलंबित कर दिया गया है। इस शो में न्यायपालिका और वरिष्ठ न्यायाधीशों की कथित तौर पर आलोचना की गई थी।

हाई कोर्ट के आदेश पर इस शो की समीक्षा के लिए सोमवार को पीईएमआरए की एक विशेष बैठक बुलाई गई थी। शो की मेजबानी मुबाशेर ल्यूकमैन ने की थी। जून में अथॉरिटी ने जियो टीवी का लाइसेंस निलंबित कर दिया था। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एआरवाई टीवी का लाइसेंस निलंबित करने के फैसले को राजनीति से प्रेरित करार दिया है और मीडिया को चुप कराने का आरोप लगाया है।

मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के अगले मुख्यमंत्री होंगे

Manohar Lal Khattar will be the next chief minister of Haryanaचंडीगढ़ [ TNN ] करनाल से बीजेपी विधायक मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के अगले मुख्यमंत्री होंगे। संघ की पृष्ठभूमि से आए खट्टर ने करनाल में 63 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है। चंडीगढ़ में केंद्रीय पर्यवेक्षकों वेंकैया नायडू और दिनेश शर्मा की मौजूदगी में विधायक दल की मीटिंग जारी है। बताया जा रहा है कि इसमें केंद्रीय नेतृत्व की पहली पसंद मनोहर लाल खट्टर के नाम पर सहमति बन गई है और थोड़ी देर में इसकी औपचारिक घोषणा होगी।

संघ के प्रचारक और फिर प्रदेश में बीजेपी के संगठन मंत्री रह चुके खट्टर मुख्यमंत्री पद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की पहली पसंद थे। 19 अक्टूबर को बीजेपी संसदीय दल की बैठक में भी ज्यादातर नेताओं ने खट्टर के नाम पर मुहर लगाई थी। मंगलवार को खट्टर को हरियाणा में बीजेपी विधायक दल का नेता चुने जाने की रिपोर्ट के बाद उनके पैतृक गांव बनियानी में जश्न मनाया जाने लगा।

हरियाणा और महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी संगठन के प्रति निष्ठा और बेदाग छवि को सबसे ज्यादा महत्व दे रही है। इस कसौटी पर मनोहर लाल खट्टर दावेदारों की रेस में सबसे आगे रहे। इसके अलावा उनके पंजाबी समुदाय से होने के नाते दिल्ली और पंजाब में भी पार्टी को इससे फायदा मिलने की उम्मीद है। हरियाणा में भी इस बिरादरी का वोट करीब 8 फीसदी है।

60 साल के खट्टर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों में शुमार है। 90 के दशक में जब मोदी पार्टी की ओर से हरियाणा के प्रभारी थे, तब खट्टर प्रदेश बीजेपी में संगठन मंत्री थे। बीजेपी पर गैर-जाट को राज्य में मुख्यमंत्री बनाने का काफी दबाव था। गैर-जाटों ने बड़े पैमाने पर बीजेपी को वोट भी किया था। खट्टर के चुनाव में यह फैक्टर भी अहम रहा। वह राज्य में पंजाबी समुदाय से आने वाले पहले मुख्यमंत्री होंगे।

एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक हरियाणा में गैर जाट-मतों के पार्टी के पक्ष में हुए ध्रुवीकरण के बाद आलाकमान ने जाट वर्ग से मुख्यमंत्री नहीं बनाने का निर्णय लिया है। हालांकि, जाट समुदाय को लुभाने के लिए सरकार में कैप्टन अभिमन्यु को नंबर दो की हैसियत दी जा सकती है। अभिमन्यु पहली बार नारनौंद से विधायक चुने गए हुए हैं और मुख्यमंत्री के दावेदार थे। हरियाणा के साथ-साथ दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई हिस्सों में प्रभावी जाट समुदाय को साधने के लिए दिवाली के बाद केंद्रीय मंत्रिपरिषद में होने वाले विस्तार में किसी जाट को मंत्री बनाया जा सकता है।

आतंकी बनकर उड़ाना चाहता था अमेरिकन स्कुल ,गिरफ्तार

Become terrorists wanted to fly the American School, was arrested by ATSमुंबई [ TNN ] मुंबई के एटीएस विभाग ने एक ऐसे 24 वर्षीया युवक को गिरफ्तार किया है जिसका टारगेट अमरीका काउंसिलेट के एक स्कुल जो कि की बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में स्थित है उसे उड़ाना चाहता था । इतना ही नहीं उसने इस काम को अंजाम देने के बाद विदेश भागने के लिए वीजा के लिए भी अप्लाई किया था । युवक का नाम एटीएस सूत्रों द्वारा नहीं बताया गया है । लेकिन सूत्रों के अनुसार यह युवक एक कम्प्यूटर इंजिनियर है ।

एटीएस के अधिकारिओ ने हाल में ही सभी सोशल नेटवर्किंग साइट पर निगरानी बनाये रखे हुई है और मुंबई के साथ साथ देश के कई अहम शहर आतंकी के निशाने पर है यह बात हाल में ही एनएसजी के प्रमुख ने कही थी जिसके बाद में देश में सभी मुख्या शहर पर्यटन स्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है ।

गिरफ्तार किया गया कम्प्यूटर इंजीनियर युवक सीरिया में शुरू युद्ध से प्रेरित है और जिसके चलते उसने यह कदम उठाया और फेसबुक पर वह अलग अलग संदिग्ध पोस्ट करता था जिसके चलते एटीएस को इस लड़के के ऊपर शक हुआ था और उन्होंने बाद में उसके यूजर आईडी और एचटीटीपी सर्वर को ट्रेस करके उसे अपने हिरासत में लिया ।

तहकीकात में यह भी बात सामने आई है की इस युवक में एक महीने पहले पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया था जिसकी तहकीकात पासपोर्ट विभाग से एटीएस करने में जुटी हुई है साथ में यह भी पता लगाने में जुटी हुई है की क्या इस युवक ने किसी अलग भाषा में सीरिया में किसी के साथ चैटिंग की है की नहीं साथ में एटीएस इस लड़के के फेसबुक के अकाउंट में जो उसके मित्र है उनके बारे में जानकारी जुटाने में जुटी हुई है ।

गिरफ्तार किया युवक कुर्ला के उस जगह पर रहने वाले है जहा पर पहले इंडियन मुजाहिद्दीन के संस्थापक रियाज और इकबाल भटकल रहते थे । उसे नागपाड़ा इलाके से गिरफ्तार किया गया है । गिरफ्त में लियागया युवक अँधेरी के सीप्ज़ कम्पनी में एक इंजीनियर के पद पर कार्यरत है ।एटीएस नजर तब से उस युवक पर थी जब वह एक शकील अहमद नाम के किसी अन्य आदमी से स्कुल में ब्लास्ट करने की बात को लेकर चैटिंग कर रहा था । एटीएस को संदिग्ध आरोपी के कम्प्यूटर पर कुछ वीडियो और फोटो भी मिले है जिन्हे हिरासत में लेकर फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है ।

रिपोर्ट :- पवन ओझा

PM मोदी की भी नहीं सुनती है भाजपा की ये नेता

Smriti_Iraniनई दिल्ली [ TNN ] केंद्र सरकार ने सरकारी वित्तीय कंपनियों को उपहार न बांटने का आदेश दिया है, लेकिन उसी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री ‌स्मृति इरानी‌ वोटरों को साड़ियां बांट रही हैं। आप इसे दिवाली का तोहफा कह लें या वोटरों को लुभाने की कोशिश!

स्मृति इरानी ने 1500 साडियां सूरत से मंगवाई और उन्हें अमेठी ‌भिजवाया गया। वहां स्मृति के प्रतिनिधियों ने उन्हें महिलाओं में बंटवाया। अभी भी 2500 साडियां स्टॉक में रखी हुईं हैं, जिन्हें दूर-दराज के इलाको में बांटा जाना है।

उल्‍लेखनीय है कि स्मृति इरानी ने अमेठी से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह चुनाव जीत नहीं पाई थी, लेकिन राहुल गांधी की जीत का अंतर कम करने में कामयाब रही थी। अमेठी में अब भी वह सक्रिय दिखने की कोशिश करती रहती हैं।

अमेठी में स्मृति इरानी के प्रतिनिधि विजय गुप्ता ने बताया कि उन्होंने 12000 साड़ियां बांटने की योजना बनाई थी। हालांकि 1500 साड़ियां बांटने का फैसला‌ किया गया। 2500 साड़ियां अब भी स्टॉक में रखी हैं।

गुप्ता ने बताया कि साड़ियां उन गांवों की म‌हिलाओं को दी गई हैं, जहां से स्मृति को अधिक वोट मिले थे। गौरीगंज, तिलोई, जगदीशपुर, अमेठी और सालोन क्षेत्र के एक-एक गांव में साड़ियां बांटी गई हैं।

गुप्ता ने बताया कि साड़ियों को पसंद स्मृति ने ही किया है और ये टेक्सटाइल मिलों से सीधे मंगाई गई हैं। हालांक‌ि उन्होंने ये नहीं बताया कि ये साड़ियां किस मिल से मंगाई गई हैं। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि साडियां सूरत से मंगाई गई हैं।

भाजपा सूत्रों का ये भी कहना है कि साड़ियों को दशहरा पर ही बांटा जाना था लेकिन बाद स्मृति ने तय किया कि इन्हें दिवाली पर बांटा जाय। दिवाली के तोहफे को 2019 लोकसभा चुनावों की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। पिछले चुनावों में स्मृति, राहुल गांधी से 1.07 लाख वोटों से हार गई ‌थी।

स्मृ‌ति इरानी के तोहफे बांटे जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या प्र्रतिक्रिया देंगे, इसका सभी को इंतजार है। पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री प‌ीयूष गोयल को तोहफे बांटने के कारण ही डांट पिला दी थी।

108 घोटाला मामले में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की सीबीआई जांच

108 ambulances scam CBI probe Congress leadersजयपुर [ TNN ] महाराष्ट्र और हरियाणा मे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शानदार प्रदर्शन के एक दिन बाद राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 108 एंबुलेंस घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की शिफारिश की है। इस घोटाले में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस के कई नेताओं का नाम शामिल है।

गहलोत के अलावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलेट, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ए ए खान, पूर्व कें्रदीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ती चिंदबरम और पूर्व मंत्री वायलार रवि के पुत्र रवि कृष्णा का नाम भी शामिल है।

जून में राज्य की पुलिस ने धोखाधड़ी और साजिश रचने का मामला इन नेताओं के खिलाफ दर्ज किया था। आरोप है कि 2009 में रवि कृष्णा की कंपनी जिकित्जा हेल्थ केयर को राजस्थान, पंजाब और बिहार में 108 एंबुलेंस चलाने का कांट्रेक्ट मिला था। एंबुलेंस सेवा पब्लिक-निजी पार्टनरशिप के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का हिस्सा थी ताकि आपातकाल में मरिजों को मदद पहुंचाई जा सके।

मार्च 2012 में भाजपा ने आरोप लगाया था कि कंपनी को उन एंबुलेंसों के लिए करोड़ों रूपए अदा किए गए जो सिर्फ कागजों पर मौजूद थीं या फिर उन फेरों के लिए दिए गए जो कभी लगे ही नहीं।

गहलोत सरकार की ओर से की गई ऑडिट रिपोर्ट में भी कथित तौर पर एंबुलेंसों को गलत तरीकों से उन्हें चलाने की धांधली सामने आई थी जिसके चलते सरकार को 2.56 करोड़ का नुकसान हुआ था, लेकिन फिर भी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। मामले ने तब और तूल पकड़ा जब यह बात सामने आई की कंपनी में सचिन पायलेट और कार्ती चिंदरंब निदेशक हैं। भाजपा ने आरोप लगाया था की राजनैतिक पहुंच के चलते कांग्रेस ने कंपनी को कांट्रेक्ट दिया।

जून में पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने के बाद पायलेट ने कहा था की प्रदेश सरकार के निर्देश पर यह मामला दर्ज किया गया है और कांग्रेस पदाधिकारियों को इसके चलते निशाना बनाया जा रहा है। मामले की जांच सीआईडी कर रही है जिसने मुख्यमंत्री से मामले की जांच के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश की है।

टीएल मिटिंग में कलेक्टर खंडवा बोले ” ये अच्छी बात नही “

Collector Khandwa in the TL meeting said, This is not a good thingखण्डवा [ TNN ] सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागृह में आयोजित समय-सीमा की बैठक में कलेक्टर महेश अग्रवाल ने जिले के सभी एसडीमए, और तहसीलदारो को राहत राशि के प्रकरणों को गंभीरता से लेते हुए निराकरण करने के दो – टूक निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि एसडीएम और तहसीलदार समझ लें की, अगर उनके राजस्व अनुभाग या तहसील क्षेत्र में आरबीसी के अंतर्गत ऐसे प्रकरण जिसमें किसी की मृत्यू होने पर सहायता राशि दी जाती है, तो वह किसी भी स्थिति में लंबित न हो। यदि ऐसा पाया गया तो प्रत्येक स्तर के अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। मैं किसी को नही छोडूॅंगा सब पर कार्यवाही होगी।

गोरतलब है कि जिले में कलेक्टर महेश अग्रवाल के मार्गदर्शन में अभियान चलाकर सभी तहसील क्षेत्रों में लंबित सभी प्रकार के सहायता राशि के प्रकरणों का निराकरण किया गया था। जिसके बावजूद विगत मंगलवार को खालवा तहसील क्षेत्र के एक प्रकरण में तब तक आकाशीय बिजली गिरने से एक बालिका की मृत्यु होने पर विगत 6 माह से सहायता राशि प्राप्त न होने की शिकायत मृतिका के परिजनों द्वारा दर्ज कराई गई थी। जिस पर तत्काल एसडीएम एवं तहसीलदार को कलेक्टर श्री अग्रवाल ने 48 घण्टे के भीतर सहायता राशि वितरित करने के निर्देश दिए थे। इसी को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर श्री अग्रवाल ने सर्व कार्यालय प्रमुखों की बैठक में सभी एसडीएम और तहसीलदार को ताकीद किया कि ऐसी गलती दोबारा न हो। नही तो बख्शा नही जाएगा।

इसके साथ ही समय-सीमा की बैठक में कलेक्टर श्री अग्रवाल ने सभी विभागों में संचालित जनहितेषी योजनाओं की समीक्षा करते हुए उनमें तेजी लाने के निर्देश दिए।

बाबू के भरोसे न बैठे – स्वयं पढे़ निर्देश –
सर्व कार्यालय प्रमुखों की बैठक में कलेक्टर श्री महेश अग्रवाल ने स्थानीय निर्वाचन की तैयारियों कि भी समीक्षा की। जिसमें उन्होंने सरपंचों, एवं पंचों के आरक्षण, जिला पंचायत सदस्यों, एवं जनपद पंचायत सदस्यों के आरक्षण की सबसे पहले समीक्षा की। जिसमें उन्होंने सभी प्राधिकृत अधिकारियों से पूछा की। आरक्षण प्रक्रिया को लेकर अब तक आपके द्वारा क्या होमवर्क किया गया है। आप सभी ने आरक्षण के संदर्भ के निर्देश पढ़े है या नही। यदि नही पढ़े तो पढ़ लें बाबू के भरोसे न बैठे स्वयं सम्पूर्ण कार्यवाही अपने देखरेख में करे।

इसके साथ ही कलेक्टर श्री अग्रवाल ने अब तक महाप्रबंधक सहकारी समिति, उद्यानिकी विभाग, द्वारा अब तक कर्मचारियों के डेटाबेस की जानकारी उपलब्ध न कराने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने स्पष्ट रूप से मिटिंग में ही अपने बाबू को बुलाकर डेटाबेस उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। साथ ही हिदायत भी दी की आईंदा ऐसी गलती न करें , समय-सीमा में जानकारी उपलब्ध कराए।

कलेक्टर ने आवक-जावक रजिस्ट्रर पर रिसीविंग दिखाई । कहा अच्छी बात नही –
सर्व कार्यालय प्रमुखों की बैठक में टीएल के लंबित प्रकरणों की समीक्षा के दौरान जब पशुपालन विभाग का नम्बर आया। तो उपसंचालक पशुपालन विभाग ने अब तक संदर्भित पत्र प्राप्त न होने की बात कही। जिस पर तत्काल कलेक्टर श्री अग्रवाल ने आवक-जावक के प्रभारी बाबू को मिटिंग में बुलाकर टीएल की डाक वितरित करने वाले रजिस्टर को बुलाया। जिसमें पशुपालन विभाग के कर्मचारी द्वारा रिसीविंग दी गई थी। जो कि उन्होंने उपसंचालक पशु चिकित्सा को दिखाई। साथ ही झूठ एवं बिना जानकारी के बोलने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह अच्छी बात नही है।

मुख्यमंत्री महोदय के संभावित कार्यक्रम की तैयारियों कि, की समीक्षा – इसके साथ ही सर्वकार्यालय प्रमुखों की बैठक में 30 अक्टूबर को संभावित मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यक्रम की तैयारियों कि समीक्षा भी कलेक्टर श्री महेश अग्रवाल ने की। उन्होंने सभी अधिकारियों के मध्य कार्य विभाजन करने के साथ ही –

ऽ मुख्यमंत्री महोदय के कार्यक्रम के दौरान लगाई जाने वाली विभागीय प्रदर्शनियों में जीवंत प्रदर्शन करने पर जोर दिया।

ऽ साथ ही सभी विभाग प्रमुखों को जिनकी प्रदर्शनी कार्यक्रम स्थल में लगाई जाएगी। उन्हें प्रदर्शनी के साथ प्रशिक्षित अधिकारी कर्मचारियों को ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए। ताकि वह जानकारी दे सके।

ऽ वही सभी विभाग प्रमुखों को अपनी-अपनी प्रदर्शनी में पेयजल की माकूल व्यवस्था रखने के आदेश दिए।

ऽ इसी प्रकार मुख्यमंत्रीजी के कार्यक्रम में पृथक-पृथक विभाग के सेक्टर बैठक व्यवस्था के हिसाब से बनाने और संबंधित विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी समन्वय हेतु लगाने के निर्देश दिए।

ऽ कलेक्टर श्री अग्रवाल ने संभावित दौरे की तैयारियों की समीक्षा करते हुए नगर निगम आयुक्त को कार्यक्रम स्थल में चलित शौचालय की व्यवस्था करने के आदेश दिए।

ऽ वही विभिन्न विभागों द्वारा माननीय मुख्यमंत्री के हॉथो हितग्राहियों को वितरित किए जाने वाली सूची पूर्व उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

ऽ नगर निगम आयुक्त को डूडा अंतर्गत प्रारंभ हुई नई योजना के लाभ का वितरण हितग्राहियों को कराने के निर्देश दिए।

ऽ और कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग को शिलन्यास के पत्थरों की तैयारी करने के आदेश दिए।

कृषि महोत्सव कि, की समीक्षा –

मुख्यमंत्रीजी के दौरे कि तैयारियों के साथ ही कलेक्टर श्री महेश अग्रवाल ने राज्य शासन के निर्देशानुसार जिले में संचालित कृषि महोत्सव की समीक्षा भी की। उन्होंने सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों को 25 सितम्बर से लेकर 20 अक्टूबर तक कृषि महोत्सव के दौरान हितग्राहियों को दिए गए लाभ की जानकारी कृषि नेट सॉफ्टवेयर में दर्ज कराने के निर्देश दिए। साथ ही 26 अक्टूबर तक कृषि महोत्सव के दौरान किए गए समस्त व्यय की जानकारी संकलित करने के आदेश दिए। उन्होंने बैठक में निर्देश देते हुए कहा कि सभी संबंधित विभाग के अधिकारी यह सुनिश्चित कर ले कि आगामी चार दिनों में कृषि महोत्सव के दौरान उनके विभाग के द्वारा क्रियान्वित की गई गतिविधियों के फोटोग्राफ्स का संकलन हो जाए।

इसके साथ ही सर्व कार्यालय प्रमुखों की बैठक में कलेक्टर श्री महेश अग्रवाल ने –

ऽ जाति प्रमाण पत्रों के निर्माण की प्रगति की समीक्षा करते हुए एसडीएम पुनासा को सबसे खराब स्थिति होने पर कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने आदेश देते हुए कहा कि कुछ और अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इस कार्य में लगाए, और इनका निराकरण करे। अगले सप्ताह तक आपका प्रदर्शन सुधरना ही नही अच्छा होना चाहिए।

ऽ इसके साथ ही कलेक्टर श्री अग्रवाल ने इन सभी सीईओ जनपदों को समय-सीमा की बैठक में मार्च के पहले के लंबित परिवार सहायतों के प्रकरणों को पुनः जनरेट कर लंबित भुगतान करने के निर्देश दिए। उन्होंने आदेश देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया करने के बाद उनके विकासखण्ड में कोई भी परिवार सहायता का प्रकरण लंबित नही है, इसका प्रमाण पत्र भी दें।

ऽ समय-सीमा की बैठक में कलेक्टर श्री अग्रवाल ने सभी सीईओ जनपदों , नगर निगम आयुक्त, और सीएमओ नगरीय निकायों को अगली समय-सीमा की बैठक में उनके निकाय के पेंशन वितरण की अपडेट जानकारी के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए।

ऽ इसी प्रकार जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी को अब तक वितरित नही हुई पात्रता पर्चीयों को जनरेट कर पात्र हितग्राही तक पात्रता पर्ची वितरित करने के आदेश दिए।

ऽ इसी प्रकार स्थानीय निर्वाचन में नियुक्त किए गए सभी नोड्ल अधिकारियों को निर्वाचन कार्य सम्पन्न कराने में उन्हें लगने वाले स्टॉप की जानकारी उपजिला निर्वाचन अधिकारी स्थानीय निर्वाचन को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

ऽ और इसके साथ ही सिविल सर्जन एवं सीएमएचओ को निर्भया केन्द्र के लिए अस्पताल परिसर में भूमि चिन्हित करने के भी आदेश दिए।

असादुद्दीन ओवैसी भारी पड़े राज ठाकरे पर

Owaisi VS Raj Thakre

नई दिल्ली [ TNN ] महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ‘बाहरी’ कही जा रही हैदराबाद के सांसद असादुद्दीन ओवैसी की पार्टी मजलिस-ए-इतेहादुल मुस्लिमीन ने शानदार एंट्री करते हुए दो सीट जीत कर सबको चौंका दिया है। जबकि मराठा मानुष की राजनीति करने वाले राज ठाकरे की पार्टी मनसे एक सीट पर सिमट गई।

ओवैसी की पार्टी एमआईएम ने औरंगाबाद मध्य और मुंबई में बाईकुला सीट पर क्रमश: शिवसेना और भाजपा के प्रत्याशी को हराया। पूर्व पत्रकार इम्तियाज जलील औरंगाबाद मध्य से जीते तो बाईकुला सीट से एमआईएम प्रत्याशी वारिश युसुफ पठान जीते।

एमआईएम ने कुल 24 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें उसे 2 पर जीत मिली जबकि राज ठाकरे की पार्टी ने 219 प्रत्याशी उतारे थे जहां केवल एक सीट नसीब हुई। मनसे की ओर से जुन्नार में केवल एस बी सोनावाणे ही जीत हासिल कर सके। 2009 विस चुनाव में मनसे ने 13 सीटें जीती थीं।

2006 में शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) का गठन करने के बाद यह उनका तीसरा प्रमुख चुनाव था। लेकिन इस बार भी उनके नाम के अलावा मनसे में लोगों को ऐसा कुछ नहीं दिखा, जिससे कि उन्हें वोट देते।

पिछली बार तो भी उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में 13 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूटते ही यह लगभग तय हो चुका था कि मनसे सर्वाधिक नुकसान उठाने वाली है।

मनसे सबसे नई और कम अनुभवी थी, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। जानकारों के मुताबिक राज की सबसे बड़ी ताकत उनका व्यक्तिगत करिश्मा है, जिसने कार्यकर्ताओं को उनसे जोड़कर रखा है।

उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि चुनावों से पूर्व राज्य के भावी मुख्यमंत्री के सवाल को लेकर हुए सर्वे में पृथ्वीराज चव्हाण और उद्धव ठाकरे के बाद राज सबकी पसंद थे। लेकिन मनसे की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसके पास राज के अलावा कोई और मजबूत नेता नहीं है।

नई पार्टी होने के कारण राज का संगठन भी पूरे राज्य में खड़ा नहीं हो पाया है। राज के मजबूत गढ़ मुंबई, पुणे और नासिक माने जाते हैं। लेकिन इस बार वे ढहते नजर आए। सबसे खराब स्थिति तो नासिक में रही, जहां मनसे सभी 15 विधानसभा सीटों पर हार गई।

पार्टी सूत्रों की बात पर विश्वास करें तो लोकसभा चुनावों में मिली बुरी हार के बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह एकदम ठंडा पड़ गया था। मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर राज के डांवांडोल रुख से कार्यकर्ता असमंजस में थे।

उत्तर भारतीय विरोधी छवि के साथ राज इन चुनावों के बाद बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं। ऐसे में अब राज के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने संगठन को नए सिरे से जमाने की है।

अगर भविष्य में उन्हें हाशिये पर नहीं रह जाना है तो नई शुरुआत करनी होगी। चुनाव से पूर्व माना जा रहा था कि राज अगर किंग नहीं भी बनते हैं तो कम से कम किंगमेकर की भूमिका में जरूर रहेंगे।- एजेंसी

रतलाम नगर निगम में माफिया राज, बड़े घोटाले की आशंका

ratlam news

रतलाम [ TNN ] नगर पालिक निगम का काम नगर के लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है। रतलाम शहर के लोग नारकीय पीड़ा भोग रहे हैं और नगर पालिक निगम नीरो के मानिंद चैन की बंसी बजा रही है। नगर निगम का कार्यकाल समाप्त होने में महज कुछ ही दिन शेष बचे हैं। इस नगर पालिक निगम के कार्यकाल में नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई हैं जो निश्चित तौर पर निंदनीय ही मानी जाएगी।

निगम महापौर डागा के कार्यकाल में नगर में साफ पानी ही लोगों को मुहैया नहीं हो पाया है। मच्छरों की फौज के हमले से न जाने कितने बीमार हुए। आवारा मवेशियों से न जाने कितने परेशान हुए। आवारा घूमते सुअरों ने न जाने कितने घरों में उत्पात मचाया है। आवारा कुत्तों ने न जाने कितने लोगों को घायल किया है।    

आवारा मवेशियों से टकराकर न जाने कितने वाहन चालक घायल हुए हैं। पर नगर पालिक निगम के कानों में जूं भी नहीं रेंगी। ऐसा नहीं कि जिला प्रशासन ने इसकी चिंता नहीं की हो। जिला प्रशासन के द्वारा लगातार इस संबंध में चेतावनियां जारी की जाती रही हैं पर नगर निगम के अडिय़ल रवैए के कारण पता नहीं क्यों नगर निगम द्वारा जिला कलेक्टर की चेतावनियों को भी दरकिनार कर दिया जाता रहा है।

शहर की नालियां गंदगी से बजबजा रही हैं। पीने को साफ पानी मुहैया नहीं है। प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं हैं। लोगों को मकान निर्माण की अनुमतियां नहीं मिल पा रही हैं। नगर पालिका का पूरा ध्यान निर्माण कार्य की ओर है।   

निर्माण कार्यों में भी अनियमितताएं बरती जा रही हैं। निगम के पास अभियंताओं का टोटा है। निगम में सारे विभाग प्रमुख प्रभारी उस पद की योग्यता की पात्रता नहीं रखते हैं फिर भी अयोग्य पदस्थ हैं।
भाजपा की परिषद है भाजपा के निगम अध्यक्ष हैं परंतु उन्हें अपमानित करने उनके खिलाफ समाचार छपवाने में तीन माहेश्वरीयों की तिकड़ी सदैव लगी रहती है। 

मुख्यमंत्री करोड़ों देकर खुश
निगम घोटालों की स्थिति व्यापम की तरह अधिकारी कर्मचारी और सत्ता पक्ष भाजपा अंधे के द्वारा रेवड़ी बांटने की स्थिति में हैं। भूखण्ड रजिस्ट्री घोटाला,माणकचौक सब्जी मंडी में बैठक को पक्की दुकाने बनने के बाद उनका नामांतरण,राजीव गांधी सिव्हिक सेंटर एवं सुभाष कॉम्पलैक्स तथा रैन बसेरा सैलाना बस स्टेण्ड की दुकानों भवनों की आवंटन स्थिति भाजपा अपने कार्यराल में अनिर्णय की स्थिति में रही। 

महापौर के सहयोगी और सलाहकारों ने एक अरब से ज्यादा का घोटाला अपने कार्यकाल में किया है जबकि कचरा रखने के कंटेनरों ,हाथ,ठेला गाड़ी उघोगों के खरीदी और स्थिति समूचे शहर में उबड़ खाबड़ डामरीकृत सड़क,पानी का टैंकर घोटाला,सीमेंट कांक्रीटीकरण खुले भ्रष्टाचार का प्रमाण दे रहें हैं। शिवराज के राज में भ्रष्टाचार इतना पनपा है |

नगर निगम के चुनाव में जनता भाजपा को आईना दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। स्ट्रीट लाईट के रखरखाव के नाम पर सबसे बड़ा घोटाला निगमायुक्त सोमनाथ झारिया की देखरेख और मार्गदर्शन में हुआ है। प्रदेश शासन को चुनाव से पहले महापौर शैलेंद्र डागा के कार्यकाल की जांचे जो लोकायुक्त में लंबित हैं। उन्हें गति देना चाहिए और म.प्र.पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा से पूरे कार्यकाल की जांच करानी चाहिए।

निगम के अयोग्य आयुक्त जो अपने कक्ष में बैठकर जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों के मिलने में कतराते हैं केवल महपौर निवास के गलियारे अथवा कलेक्टोरेट परिसर में कार को खड़ी कर अपने शा नगर आवास में आराम करते रहते हैं। जहां तक निगम के गठन के बाद भ्रष्टाचार की बात की जाए तो सर्वाधिक भ्रष्टाचार और घोटाले शैलेंद्र डागा और उनके सहयोगियों ने किए है भूमाफिया,गुमटी माफिया,परिवहन माफिया और बिना सप्लाय के बिलों को भुगतान पाने वाले सप्लायरों की तादाद इस कार्यकाल में ज्यादा देखी गई है |

रिपोर्ट – महेश शर्मा

मोदी के लिये पवार हथियार भी और ढाल भी

sharad-pawar-meetsपवार का खुला समर्थन बीजेपी को सरकार बनाने के लिये गया क्यों। क्या बीजेपी भी शिवसेना से पल्ला झाड कर हिन्दुत्व टैग से बाहर निकलना चाहती है। या फिर महाराष्ट्र की सियासत में बालासाहेब ठाकरे के वोट बैंक को अब बीजेपी हड़पना चाहती है, जिससे उसे भविष्य में गठबंधन की जरुरत ना पड़े। या फिर एनडीए के दायरे में पवार को लाने से नरेन्द्र मोदी अजेय हो सकते है। और महाराष्ट्र जनादेश के बाद के समीकरण ने जतला दिया है कि भविष्य में पवार और मोदी निकट आयेंगे। यह सारे सवाल मुंब्ई से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारे को बेचैन किये हुये हैं। क्योंकि कांग्रेस से पल्ला झाड़ कर शरद पवार अब जिस राजनीति को साधने निकले है उसमें शिवसेना तो उलझ सकती है लेकिन क्या बीजेपी भी फंसेगी यह सबसे बड़ा सवाल बनता जा रहा है।

हालांकि आरएसएस कोई सलाह तो नहीं दे रही है लेकिन उसके संकेत गठबंधन तोड़ने के खिलाफ है। यानी शिवसेना से दूरी रखी जा सकती है लेकिन शिवसेना को खारिज नहीं किया जा सकता। संयोग से इन्ही सवालो ने बीजेपी के भीतर मुख्यमंत्री को लेकर उलझन बढ़ा दी है। पंकजा मुंडे शिवसेना की चहेती है। देवेन्द्र फडनवीस एनसीपी की सियासत के खिलाफ भी है और एनसीपी के भ्रष्टाचार की हर अनकही कहानी को विधानसभा से लेकर चुनाव प्रचार में उठाकर नायक भी बने रहे है। इस कतार में विनोड तावडे हो या मुगंटीवार या खडसे कोई भी महाराष्ट्र की कारपोरेट सियासत को साध पाने में सक्षम नहीं है। ऐसे में एक नाम नितिन गडकरी का निकलता है जिनके रिश्ते शरद पवार से खासे करीबी है। लेकिन महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी पर नरेन्द्र मोदी बैठे यह मोदी और अमितशाह क्यो चाहेंगे यह अपने आप में सवाल है।

क्योंकि गडकरी सीएम बनते है तो उनकी राजनीति का विस्तार होगा और दिल्ली की सियासत ऐसा चाहेगी नहीं। लेकिन दिलचस्प यह है कि शरद पवार ने बीजेपी को खुला ऑफर देकर तीन सवाल खड़े कर दिये हैं। पहला शिवसेना नरम हो जाये। दूसरा सत्ता में आने के बाद बीजेपी बदला लेने के हालात पैदा ना करे। यानी एनसीपी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपो को बीजेपी रेड कारपेट तले दबा दे। और तीसरा भविष्य में बीजेपी के खिलाफ तमाम मोदी विरोधी नेता एकजुट ना हो । यानी पवार के गठबंधन को बांधने की ताकत को नरेन्द्र मोदी बीजेपी के भविष्य के लिये भी मान्यता दे दे।

जाहिर है पवार के कदम का पहला असर शिवसेना पर पड़ने भी लगा है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय बोर्ड में बदलाव के संकेत भी आने लगे। सामना की भाषा ने प्रधानमंत्री को सीधे निशाने पहले सामना पर लिखे हर शब्द से पल्ला झाड़ा अब संजय राउत की जगह सुभाष देसाई और लीलाधर ढोके को संपादकीय की अगुवाई करने के संकेत भी दे दिये। पवार के कदम का दूसरा असर देवेन्द्र फडनवीस पर भी मुंबई पहुंचते ही पड़ा। शाम होते होते देवेन्द्र जिस तेवर से एनसीपी का विरोध करते रहे उसमें नरमी आ गयी। और पवार के कदम का तीसरा असर बीजेपी के विस्तार के लिये एकला चलो के नारे को पीछे कर गठबंधन को विस्तार का आधार बनाने पर संसदीय बोर्ड में भी चर्चा होने लगी । यानी बीजेपी के नफे के लिये तमाम विपक्षी राजनीति को भी अपने अनुकूल कैसे बनाया जा सकता है यह नयी समझ भी विकसित हुई।

यानी गठबंधन की जरुरत कैसे सत्ता के लिये विरोधी दलो की है यह मैसेज जाना चाहिये। यानी जो स्थिति कभी काग्रेस की थी उस जगह पर बीजेपी आ चुकी है। और क्षत्रपों की राजनीति मुद्दों के आधार पर नहीं बल्कि बीजेपी विरोध पर टिक गयी है। यानी “सबका साथ सबका विकास ” का नारा राजनीतिक तौर पर कैसे बीजेपी को पूरे देश में विस्तार दे सकता है, इसके लिये महाराष्ट्र के समीकरण को ही साधकर सफलता भी पायी जा सकती है। यानी बिहार में तमाम राजनीति दलो की एकजुटता या फिर यूपी में मायावती के चुनाव ना लड़ने से मुलायम को उपचुनाव में होने वाले लाभ की राजनीति की हवा निकालने के लिये बीजेपी पहली बार महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये होने वाले गठबंधन को महाप्रयोग के तौर पर आजमा चाह रही है। जिससे अगली खेप में झरखंड को भी पहले से ही साधा जा सके। और भविष्य में बिहार यूपी में विपक्ष की गठबंधन राजनीति को साधने में शरद पवार ही ढाल भी बने और हथियार भी। यानी जो पवार कभी हथेली और आस्तीन के दांव में हर किसी को फांसते रहे वही हथेली और आस्तीन को इस बार बीजेपी आजमा सकती है।

:-पुण्य प्रसून बाजपेयी

punya-prasun-bajpaiलेखक परिचय :- पुण्य प्रसून बाजपेयी के पास प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। प्रसून देश के इकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें टीवी पत्रकारिता में बेहतरीन कार्य के लिए वर्ष 2005 का ‘इंडियन एक्सप्रेस गोयनका अवार्ड फ़ॉर एक्सिलेंस’ और प्रिंट मीडिया में बेहतरीन रिपोर्ट के लिए 2007 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला।

टीचर कहती थी सेक्स करो नहीं तो मार डालूंगी

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लुधियाना [ TNN ] 31 साल की एक महिला पर रविवार को एक नाबालिग लड़के का यौन शोषण करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि महिला उस लड़के को ट्यूशन पढ़ाती थी। पीड़ित लड़का आठवीं क्लास में पढ़ता है। लड़का अपने परिवार के साथ आरोपी महिला के पिता के घर में किराये पर रहता है। पुलिस ने बताया कि महिला 14 साल के लड़के पर यौन संबंध बनाने के लिए दबाव बनाती थी।

महिला उस लड़के को धमकी देती थी कि उसने यौन संबंध नहीं बनाए तो वह हत्या कर देगी। एसएचओ धर्मपाल सिंह ने बताया कि महिला एक विडियो बनाकर लड़के को कुछ महीनों से ब्लैकमेल कर रही थी। अपने टीचर के इस व्यवहार से आजिज आकर लड़के ने अपने पिता को इस वाकये के बारे में बताया। लड़के के पिता पूरा वाकया सुन हैरान रह गए और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

महिला पर ‘प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रोम सेक्शुअल ऑफेंस ऐक्ट 2012’ (पोक्सो) की कई धाराओं के तहम मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने बताया कि आरोपी महिला फिलहाल फरार है। पुलिस ने उस आपत्तिजनक विडियो को अपने कब्जे में ले लिया है जिससे महिला लड़के को ब्लैकमेल करती थी। पुलिस महिला की तलाश में जुट गई है।

मंदसौर : पटाखा बाजार में भीषण आग लगी

 

मंदसौर [ TNN ] दिवाली पर जहा घर घर फटके फोड़ कर खुशिया मनाई जाती है वही पिपलिया मंडी पटाखा व्यापारियों के लिए दिवाली दिवाला लेकर आई पिपलिया मंडी के व्यापारियों ने आज ही पटाखा मार्केट में 21 दुकाने लगाई थी और आज ही शाम लगभग 7 बजे शार्ट सर्किट की वजह से सभी दुकाने जलकर खाक हो गयी यहाँ प्रसाशन ने लापरवाही का खामियाजा भी व्यापारियों को भुगतना पड़ा टीनशेड की बजाय व्यापारियों को टेंट के तम्बू टैंकर दुकाने आवंटित की गयी वाही मौके पर एक भी फायर फइटर की गाड़ी नहीं लगायी गयी थी ।

देखते ही देखते पटाखा  मार्केट में लगी सभी 21 दुकाने आग की भेट चढ़ गयी इसके साथ ही 8 मोटर बाइक भी इसमे जल गई फायर फइटर की गाड़ी मौके पर पहुंची तबतक सभी व्यापारियों की दीवाली की बजाय दिवाला निकल चूका था मार्केट लगाते समय प्रसाशन ने भी सुरक्षा व्यवस्था पर कोई धयान नहीं दिया जिसका खामियाजा व्यापारियों को भुगतना पड़ा दमकल गाड़ी लेट आने के कारन व्यापारियों आक्रोश में आगये और नगर पालिका हाय हाय के नारे लगाने लगे।

मोके पर एसडीएम आरपी वर्मा व् एसपी मनोहर सिंह वर्मा भी पहुंचे यहाँ एसपी ने माना की सुरक्षा व्यवस्था का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखा गया है इस मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी , एसडीएम आरपी वर्मा ने कहा की व्यापारियों की हर संभव मदद की जायेगी ।
रिपोर्ट -प्रमोद जैन

 

पिता करता था सगे बेटे से कुकर्म

चंडीगढ़ [ TNN ] पंजाब के खरड़ में एक ऐसे वहशी बाप का मामला सामने आया है जो अपने सगे बेटे से कुकर्म करता था। 23 वर्षीय पीड़ित युवक की शिकायत पर खरड़ सिटी पुलिस ने उसके पिता के विरूद्ध कुकर्म का मामला दर्ज किया है।

पीड़ित युवक ने ब्यान दर्ज करवाए है कि उसके 55 वर्षीय पिता नछत्तर सिंह ने उससे शुक्रवार शाम को जबरन कुकर्र्म कर डाला । पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर उसके विरूद्ध मामला दर्ज किया उपरांत शनिवार को खरड़ अदालत में पेश किया जहा से उसे जेल भेज दिया गया।

युवक को सिविल अस्पताल खरड में दाखिल करवाया गया है पुलिस ने बताया कि युवक को अस्पताल में दाखिल होने की सूचना पर जब वे अस्पताल गए तो डाक्टरों ने युवक से कुकर्म की आशंका जताई।

पीड़ित युवक के अन्य रिश्तेदारों ने युवक के पिता पर ही आरोप लगाए उपंरात जब पुलिस ने युवक से पूछताछ की तो पता चला कि युवक मानसिक तौर पर कमजोर है उसकी मां का देहांत हो चुका है बहन विवाहित है व बड़ा भाई भी इनके साथ नही रहता, जिसके चलते वह अपने पिता के साथ अकेला ही रहता है उसका पिता शराब पीने का आदी है जो शुक्रवार शाम 5 बजे के करीब शराब के नशे में धुत्त होकर घर पर आया व उससे जबरन कुकर्म कर डाला।

युवक ने बताया कि उसका पिता पहले भी कई बार उसके साथ कुकर्म कर चुका है। पुलिस ने आरोपी को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया जिसे जेल भेज दिया गया।

दीपावली पूजन की संपूर्ण विधि और पूजन मंत्र

Lakshmi Puja on Diwali

पूजा की वेदी सजाएं। साफ धुली हुई चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर कमल या किसी अन्य पुष्प अथवा अक्षत के आसन पर लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें। बांई ओर गणेश तथा दाहिनी ओर सरस्वती की प्रतिमा रखें। 

वेदी के सामने एक थाली में रोली,अक्षत, मोली ,धूपबत्ती, कपूर, चन्दन, फूल ,छह या जगह कम हो तो दो चौमुखी दीपक रखें। 26 छोटे दीए और बाती लें। इत्र भी रखें। और पूजा के लिए उपयोगी अन्य सामग्री भी रख लें। चौकी पर स्थापित लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती की मूर्ति के आगे चावल के तीन छोटी-छोटी ढेरियां विष्णु, कुबेर एवं इंद्र के नाम पर बनाएं। इसके बाद यह मंत्र पढ़ते अपने उपर जल छिड़के

‘ऊॅ अपवित्रो पवित्रो वाः,सर्वः वस्थं गतो अपि वाः यः स्मरेत पुंडरीकाक्षम,सा बाह्यअभ्यान्तारशुचि:। इसके बादमंत्रों से तीन आचमन करें- (1) ऊॅ केशवाय नमः, (2) ऊॅ माधवाय नमः, (3) ऊॅ नारायणाय नमः।

अक्षत हाथ में लेकर उसमे जल छिड़क कर चारो दिशाओं में फेंके । फिर स्वस्ति-वाचन करें। अब दीपक पर अक्षत छिड़कें हाथ में अक्षत एवं फूल लेकर उक्त मंत्रों का ही उच्चारण कर हस्त दृप्रक्षालन करें, गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती की मूर्तियों को कच्चे दूध से स्नान कराए।
दुग्धस्नान के बाद गंगाजल से स्नान कराएं। साफ कपडे से मूर्तियां पोंछकर उन्हें वस्त्र तथा आभूषण(माला) धारण करवाएं। देव प्रतिमाओं को तिलक करें। सिंदूर चढ़ाएं -दीप प्रज्ज्वलित करें। गणेशजी को तथा लक्ष्मीजी के समक्ष पंचामृत समर्पित करें (दूध,धृत, शक्कर,शहद एवं दही से बना मिश्रण का पात्र रखें)। 

अब हाथ जोड़कर गणेश-वंदन करें।
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः ,
निर्विघ्नम कुरुमेदेव सर्वकार्येषु सर्वदाः।

गणेशजी और लक्ष्मी को क्रम से को रोली ,अक्षत का तिलक को करें और इसके बाद इत्र ,धुप, नैवैद्यम चढ़ा कर दीप दिखाएं।
इसके बाद लक्ष्मी को भी इसी तरह नैवेद्य आदि चढ़ाते हुए पुष्पासन पर बिठाते हुए वस्त्र,आभूषण चढ़ाएं। उन्हें रोली,सिन्दूर चढ़ाएं और मंत्र पढ़ें। कुमकुमः अर्पितो देवी ग्रहान्परमेश्वरी। सिंदूरो शोभितो रक्तं। ऊॅ श्री महालाक्ष्म्मै च विद्महे, विष्णु पत्न्यै च धीमहि, तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात ऊॅ ।। अब इन मंत्रों से नमस्कार करें।

ऊॅ आद्य-लक्ष्म्यै नमः। ऊॅ विद्या-लक्ष्म्यै नमः। ऊॅ सौभाग्य- लक्ष्म्यै नमः। ऊॅ अमृत लक्ष्म्यै नमः। ऊॅ कमालाक्ष्याई – लक्ष्म्यै नमः। ऊॅ सत्य लक्ष्म्यै नमः। ऊॅ भोग लक्ष्म्यै नमः। ऊॅ योग-लक्ष्म्यै नमः। अब यह मंत्र पढ़ कर पुष्प चढ़ाएं- ‘कर-कृतम् व कायजं कर्मजं वा श्रवण नयनजम वा मानसम् वा अपराधं विदितमविदित वा .सर्वमेतत क्षमस्व,जय जय करुणाब्धे ,श्री-महालाक्ष्मि त्राहि।
श्री लक्ष्मी देव्यै मंत्र-पुष्पांजलि समर्पयामि ।। क्षमा प्रार्थना करेंः आवाहनं न जानामि ,न जानामि विसर्जनं। पूजा-कर्म न जानामि ,क्षमस्व परमेश्वरी। मंत्र-हीनं क्रिया-हीनं भक्ति- हीनं सुरेश्वरी। मया यत पूजितं देवि ,परिपूर्णं तदस्तु मे।

-किरण राय

 

दुनिया का सबसे पतला आईपैड एपल एयर 2

iPad Air 2 iPad Mini 3एपल ने कई बदलाव करने के बाद आखिरकार आईपैड एयर को आधिकारिक तौरपर एनाउंस कर दिया। प्रौद्योगिकी कंपनी एप्पल ने नया आईपैड ‘एयर2’ पेश किया।

कंपनी ने इसे दुनिया का सबसे पतला आईपैड बताया है। कंपनी ने इसके साथ ही एक और नया आईपैड ‘मिनि3’ तथा नया मैक ऑपरेटिंग सिस्टम भी पेश किया। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने उत्पादों को पेश करते हुए कहा कि कंपनी के नए आईफोनों की बिक्री काफी तेजी से हो रही है, जो कि कंपनी के इतिहास में अनोखा अनुभव है।

कैलिफोर्निया के क्यूपर्टिनो में कंपनी के मुख्यालय में कुक ने यह भी कहा कि कंपनी की नई मोबाइल भुगतान प्रणाली ‘एप्पल पे’ सोमवार को लांच होगी। वैश्विक विपणन खंड के वरिष्ठ अध्यक्ष फिल सिलर ने कहा कि एयर2 में एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग का प्रयोग किया गया है। यह किसी भी टैबलेट में पहली बार किया गया है।

एयर2 में एक आठ मेगापिक्सल का आईसाइट कैमरा भी है और एक नई पीढ़ी का ए8एक्स चिप भी है, जिसमें तीन अरब ट्रांजिस्टर्स हैं। थोड़ी सुधार के साथ पेश किया गया आईपैड मिनि3 सिल्वर, स्पेस ग्रे और गोल्ड रंगों में पेश किया गया है।

मिनि और एयर दोनों में ही सुरक्षा के लिए टच आईडी फिंगरप्रिंट सेंसर का इस्तेमाल किया गया है। एयर2 की कीमत 499 डॉलर है तथा मिनि3 की कीमत 399 डॉलर से शुरू होगी। प्री ऑर्डर शुक्रवार से शुरू हो रहा है।

कुक ने कहा कि एप्पल पे को 500 बैंक और अनेक बड़ी रिटेल कंपनियां स्वीकार करेंगी। यह नए आईफोन6 और 6प्लस में पहले से उपलब्ध है। कुक ने कहा कि नए आईफोन की बिक्री कंपनी के इतिहास में सबसे तेजी से हो रही है।

उन्होंने कहा, “यह एक बेजोड़ और अत्यधिक व्यस्त वर्ष है। मैक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष क्रेग फेडरिघि ने आईओएस8 और नए मैक ऑपरेटिंग सिस्टम ‘योसेमाइट’ की नई खासियतों की प्रशंसा की और इन्हें दुनिया का सबसे आधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टम बताया।
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Nisha Sagar showcases wedding designs for the season

 

Nisha Sagar showcases

Mumbai [ TNN ] Nisha Sagar showcased her designs for current Wedding Season via a grand Fashion Show at Renaissance Hotel in Powai. It was anchored by Ruby Bhatia and winner of Femina Miss India 2008 – Parvathy Omanakuttan was seen as the show stopper.

To add to the excitement, Palak of comedy nights with kapil, walked the ramp for the first time. Palak aka Kiku Sharda regaled the audience with jokes and spoofs. “This is the first time I got the opportunity to walk the ramp and I am happy that this is for Nisha Sagar’s show. It’s an honor to walk for Nisha Mam.” Real life couple Anup Soni & Juhu Babbar also walked the ramp. Socialite Malati Jain, director Anand Sagar and Shakti Sagar were seen enjoying the show. “This season stress is more on sheen and lighter embellishment. Nobody is interested in turning a bride into a weight lifter with heavy ghaghra-choli.”

Nisha Sagar has an innate skill for designing couture & trousseau high on the ethnicity of the Indian culture combined with the taste of the modern styles. Her designs are epitome of femininity and make a woman feel complete. Close to nature, she sees the beauty in God’s creations and ushers the echo of its poetry through her own designs. For Nisha Sagar Couture is the symbol of beauty, elegance and womanhood.

For her latest wedding collection she has used pure Georgette & Net fabrics along with a kaleidoscope of earthy colours mixed with exotic, natural & unusual elements such as burnt ginger, hued rust, golden auburn, pure crimson, etc…. Embellishment & embroidery is just sufficient and done very artistically.

While her sarees complement the wearer with gusto, and, like an ornament enhance the beauty of woman, her Gahghras are a symphony of style and tradition. They float. They flow. They capture the imagination of sensitive souls. Made in pure fabrics, they are the ultimate amalgamation of exquisite beauty and creative ingenious. She has an unparallel style of designing which merges modern into the realm of Indian traditions with an aplomb.

 

विधानसभा चुनाव : महाराष्ट्र , हरियाणा में कांग्रेस का सफाया

bjp congress नई दिल्ली [ TNN  ]महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के दोपहर तक के रुझान से स्पष्ट है कि राज्य में अगर कोई सरकार बनेगी तो वह भाजपा के नेतृत्व में ही गठित होगी. 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की किसी भी पार्टी या गंठबंधन को जरूरत है. भाजपा फिलहाल राज्य में 115 सीटों पर या तो जीत दर्ज कर चुकी है या फिर आगे चल रही है. वहीं, उसकी पूर्व सहयोगी शिवसेना 56 सीटों पर आगे चल रही है या जीत के रीब है. कांग्रेस व एनसीपी की यह स्थिति क्रमश: 45 व 47 सीटों पर है. इसके अलावा कई सीटों पर छोटे दल व स्वतंत्र उम्मीदवार आगे चल रहे हैं |

यानी मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में यह दिखा रहा है कि भाजपा को राज्य में सरकार गठन के लिए 25 से 30 सीटों की जरूरत हो सकती है. अगर अगले कुछ घंटों में भाजपा की स्थिति और मजबूत होती है तो यह संख्या 20 से नीचे भी जा सकती है. भाजपा नेताओं के ताजा बयानों, ट्विट से यह साफ है कि वह राज्य में एक मजबूत व स्पष्ट बहुमत वाली सरकार गठन करना चाहती है और यह तभी संभव है जब शिवसेना या एनसीपी उसके साथ आये. अगर छोटे सहयोगियों के साथ वह किसी तरह सरकार गठित कर भी लेगी तो शासन चलाने में व फैसले लेने में दिक्कतें आती रहेंगी. वैचारिक रूप से करीबी होने के कारण शिवसेना एक बार फिर सरकार में उसकी सहयोगी हो सकती है |

भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री के अनुसार, महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के सवाल पर कोई प्रतिक्रिया देने से पहले शिवसेना से इस मुद्दे पर उनकी पार्टी बात करेगी. उधर, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद वरिष्ठ पार्टी नेता मनोहर जोशी ने भाजपा के खिलाफ कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं करते हुए यह जरूर कहा कि राज्य में किसी की लहर नहीं थी |

उन्होंने भाजपा को मिली बढ़त का श्रेय पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस को दिया. उधर, सूत्रों ने कहा कि है दोनों दलों के बीच सरकार गठन पर फिर दोस्ती हो सकती है. शिवसेना अबतक राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए में बनी हुई है और केंद्र में उसके नेता अनंत गीते मंत्री भी हैं. दोनों दलों के बीच राज्य के नगर निगम व नगर पालिकाओं के बीच भी समझौता कायम है |

उधर, महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष देवेंद्र फडनवीस ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि बहुत अच्छा रिजल्ट है और यह तय है कि मुख्यमंत्री भाजपा का ही होगा. उन्होंने कहा कि हम राज्य में पारदर्शी सरकार देंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री के सवाल पर कहा कि चुनाव परिणाम साफ होने दीजिए और हमारी पार्टी का संसदीय बोर्ड इस संबंध में अंतिम फैसला लेगा. शिवसेना के साथ आने पर भाजपा उसे उप मुख्यमंत्री का पद दे सकती है. एनसीपी को भाजपा साथ लाने से इसलिए परहेज कर सकती है, क्योंकि नरेंद्र मोदी ने चुनाव अभियान पर उस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये और शरद पवार पर लगातार तीखे राजनीतिक हमले किये |

 भूपिंदर सिंह हुड्डा ने हार स्वीकार कर ली

मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने रविवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार स्वीकार कर ली। हुड्डा ने कहा, “यह जनादेश है। मैं इसे स्वीकार करता हूं और नई सरकार को शुभकामनाएं देता हूं।  उन्होंने कहा, “मैं उम्मीद करता हूं कि नई सरकार हरियाणा के विकास की रफ्तार धीमी नहीं होने देगी।” वह मार्च 2005 से हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं।

दमोह :दुकानों के टेंडर पर स्थगन,कलेक्टर ने दिये जांच के आदेश

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दमोह [ TNN ] गोपनीय तरीके चल रहे दुकानों के आवंटन तथा अपने चहेतों को उपकृत करने के मामले में जांच के आदेश जिले के कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने दे दिये हैं। कडोरों रूपयों की इस दुकानो को बंदरबाट करने के मामले में नगर पालिका के चर्चित बिना चाबी का गुड्डा तथा मुख्यनगर पालिका अधिकारी सहित तथाकथित पत्रकारों के नाम भी सम्मिलित होने की इस समय चर्चा शहर ही नहीं अपितु राजधानी में गुंजने लगे हैं। स्थानीय नगर पालिका में प्रारंभ हुये उक्त बंदरबाट के खेल की जानकारी लोगों को कानो कान नहीं हो पायी क्योंकि इसमें हमाम में सब नंगे ही नंगे एकत्रित हो गये थे। जब जानकारी मिली तब तक आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि निकल चुकी थी और जिनको उपकृत करना था उनके नामों पर दांव खेला जा चुका था। प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त कडोरों की दुकानों के संबध में न तो किसी समाचार पत्र में विज्ञापन छपवाया गया और न ही इस संबध में नपा तथा कलेक्ट्रेड परिसर में चस्पा किये गये। गत देर रात्रि तक चले उक्त गोपनीय तरीके से होने वाले बंदरबांट में कडोरों रूपये के खेल की जानकारी जैसे जंगल में आग की तरह फैलने को लेकर अनेक ज्वलंत प्रश्रों को उपजते रहे।
क्या है मामला-
स्थानीय नगर पालिका के स्वामित्व वाली टाउन हाल परिसर में स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्केट की 65 दुकानों का छत तथा जिला चिकित्सालय के सामने गुरू गोलवरकर मार्केट की प्रथम तल की 34 दुकानों को आवंटन किया जाना था। इसकी प्रक्रिया के तहत समस्त नियम कायदों को बलाये ताक पर रख रातों रात अंधा बांटे रेवडी चीन-चीन कर देय की कहावत को चरितार्थ कर दिया। जानकारों की माने तो उक्त दुकानों की कीमत कडोरों में बतलायी जाती है जिनमें जमकर बंदरबांट किया गया। सूत्रों की माने तो अपनों का उपकृत करने तथा विरोधियों के मुंह बंद करने की पूरी तैयारी की गयी है।
तथाकथित पत्रकारों भी सम्मिलित-
उक्त बंदरबांट में तथाकथित पत्रकारों को सम्मिलित किया गया जिसको लेकर गली-गली में मीडिया को खरीदने और बिकने की चर्चा व्याप्त है। सूत्रों के अनुसार चर्चित कुछ तथाकथित पत्रकारों द्वारा एक से अधिक दुकानों को लेकर आवंटन के लिये डीडी जमा की गयी है। सूत्रों की माने तो नगर पालिका अध्यक्ष तथा उक्त मामले में सम्मिलित पार्षद,मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगरीय निकाय के आम निर्वाचन की आर्दश आचार संहिता लगने के पूर्व ही कडोरों की गंगा में हाथ धोने का कार्य कर रहे हैं।
इनको होना है आवंटन-
प्राप्त जानकारी के अनुसार श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्केट में सामान्य वर्ग के लिये 26,अजा के लिये 13,अजजा के लिये 2 ,पिछडा वर्ग के लिये 10,विधवा व परित्यागता के लिये 2,विकलांग/भूतपूर्व सैनिक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के लिये 1-1,शिक्षित बेरोजगार के लिये 3 एवं महिलाओं के लिये 6 दुकानों का आवंटन होना तय किया गया है। वहीं दूसरी ओर गुरू गोलवरकर मार्केट में सामान्य वर्ग के लिये 11,अजा के लिये 7,अजजा के लिये 1,पिछडा वर्ग के लिये 5,विधवा/परित्यागता/भूतपूर्व सैनिक,विकलांग,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के लिये 1-1 ,शिक्षित बेरोजगार को 2 एवं महिलाओं को 4 दुकानों का आवंटन किया जाना है। उक्त दुकानों में ही बंदरबांट होने की बात सामने आ रही है।
ज्ञापनों के साथ पुतले फुंका और दिया धरना-
नगर पालिका की उक्त दुकानों की प्रक्रिया पर आपत्ति लगाते हुये भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा ने आपत्ति लगाते हुये जिले के कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह को जहां ज्ञापन सौपा तो वहीं नगर पालिका के सामने अध्यक्ष मनु मिश्रा,मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुधीर सिंह का पुतला फुंका। इन्होने उक्त प्रक्रिया को रद्द करने के लेकर धरना,विरोध,प्रदर्शन भी किया। भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी के नेतृत्व में तथा जिला महामंत्री रमन खत्री की उपस्थिति में सैंकडों कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। इस अवसर पर प्रीतम सिंह,रमन खत्री,अमित बजाज,मनीष तिवारी सहित नेताओं ने उक्त प्रक्रिया पर रोक लगाने तथा षढयंत्र में सम्मिलितों पर कार्यवाही की मांग की। अपने उद्बोधन में अनेक आरोप लगाते हुये अपनी बात को रखा।
कलेक्टर ने लगायी रोक दिये जांच के आदेश-
प्राप्त जानकारी के अनुसार कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने उक्त मामले को लेकर तत्काल आवंटन की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुये एसडीएम को जांच के आदेश दे दिये हैं। श्री सिंह के अनुसार आवंटन प्रक्रिया पर मेरी पूरी नजर है किसी प्रकार की गडबडी नहीं होने दी जायेगी। राजस्व की छति हो तथा किसी नेता या अधिकारी या उनके चहेतों को उपकृत किया जाये एैसा नहीं होने दिया जायेगा। वहीं एसडीएम मनोज कुमार सिंह का कहना है कि जांच प्रारंभ कर दी गयी है तथा आवंटन प्रक्रिया पर रोक लग चुकी है।

रिपोर्ट -डा.एल.एन.वैष्णव

हरियाणा: सीएम के लिए 8 दावेदार दिल्ली से आ सकता है नया नाम !

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चंडीगढ [ TNN ] हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में आते देख राज्य में भाजपा शासित सरकार के गठन की चर्चा जोर पकड़ गई है। कई ब्यूरोके्रट्स यानी आईएएस अफसरों ने भी नई सरकार में आने वाले चेहरों के साथ लिंक बढ़ाने की कोशिशें शुरु कर दी हैं। पार्टी में वे वरिष्ठ नेता ज्यादा सक्रिय हो गए हैं जो खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानते हैं।

हरियाणा में ऐसे आठ नेता तो सबके सामने आ ही चुके हैं। अगर इनमें से किसी की लाटरी न लगी तो पार्टी हाईकमान दिल्ली दरबार से ‘नवरत्न’ भी भेज सकता है। जानकारी के अनुसार, इस समय कैप्टन अभिमन्यु, चौ. बीरेंद्र सिंह व ओमप्रकाश धनखड़ प्रमुख दावेदार हैं, जबकि गैर जाट नेताओं में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व कृष्णपाल गुर्जर के अलावा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रामबिलास शर्मा, मनोहर लाल खट्टर व अनिल विज का नाम चल रहा है।

इनमें से कौन कौन चुनाव में जीत दर्ज करता है, रविवार को नतीजे मिलने पर साफ हो जाएगा। जाहिर है कि जो चुनाव हार जाएगा, मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर हो जाएगा। यूं चौ. बीरेंद्र सिंह ने चुनाव ही नहीं लड़ा है।

राज्य में भाजपा में एक वर्ग जहां जाट मुख्यमंत्री की बात कर रहा, वहीं एक बड़ा वर्ग गैर जाट क्षेत्रों में मिलती दिख रही बड़ी सफलता को सामने रखकर किसी गैर जाट नेता को ही कमान सौंपने की वकालत कर रहा है।

बदलते समीकरण में किसी गैर जाट को ही सीएम बनाने की चर्चा को भी बल मिलता दिख रहा है। गैर जाट में ब्राह्मण नेता के रूप में रामबिलास शर्मा और पंजाबी नेता के रूप में मनोहरलाल खट्टर व अनिल विज का नाम चर्चा में है। इसी तरह पिछड़ा वर्ग से राव इंद्रजीत सिंह व कृष्णपाल गुर्जर के नाम चर्चा में हैं।

रिपोर्ट- मीणा के मेहता

क्यों हर किसी को शह और मात देने की स्थिति में हैं मोदी ?

Why everyone in a position to checkmate Modiनरेन्द्र मोदी जिस राजनीति के जरिये सत्ता साध रहे हैं, उसमें केन्द्र की राजनीति हो या क्षत्रपों का मिजाज । दोनों के सामने ही खतरे की घंटी बजने लगी है कि उन्हे या तो पारंपरिक राजनीति छोड़नी पडेगी या फिर मुद्दों को लेकर पारपरिक समझ बदलनी होगी । लेकिन मजेदार सच यह है कि मोदी और आरएसएस एक लकीर पर कितनी दूर कैसे चले और दोनों में से कौन किसे कब बांधेगा यह देखना समझना दिलचस्प हो चला है।

आरएसएसएस की ताकत है परिवार। और परिवार की ताकत है बीजेपी की सत्ता। आरएसएस के परिवार में बीजेपी भी है और किसान संघ से लेकर भारतीय मजदूर संघ समेत 40 संगठन। तो चालीस संगठनों को हमेशा लगता रहा है कि जब स्वयंसेवक दिल्ली की कुर्सी पर बैठेगा तो उनके अनुकूल वातावरण बनेगा और उनका विस्तार होगा। लेकिन सत्ता को हमेशा लगता है कि सामाजिक शुद्दिकरण के लिये तो परिवार की सोच ठीक है लेकिन जब सियासत साधनी होगी तो परिवार को ही सत्ता के लिये काम करना चाहिये यानी उसे बदल जाना चाहिये। इस उहोपोह में एकबार सत्ता और संघ की कश्मकश उसी इतिहास को दोहरा रही है जैसे कभी अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में हुआ था।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोच समझ कर दीन दयाल उपाध्याय के दिन को मजदूरों से जोडकर श्रमेव जयते का नारा दिया । और इस नारे को ही मजदूरों के बीच काम करने वाले संघ परिवार संगठन भारतीय मजदूर संघ ने खारिज कर दिया। बीएमएस के महासचिव ब्रजेश उपाध्याय की माने तो मजदूरो को लेकर प्रधानमंत्री ने मजदूर संगठनों से कोई बात की ही नहीं यहा तक की बीएमएस से भी नहीं तो फिर मजदूरों को लेकर समूचा रास्ता ही औघोगिक घरानों के हित साधने के लिये मोदी सरकार बना रही है।

अगर संघ परिवार के मजदूर संघठन के तेवर देखें तो ब्रजेश उपाध्याय बिलकुल उसी तर्ज पर सरकार की मजदूर नीतियों का विरोध कर रहे है जैसे 2001 में हंसमुखभाई दवे ने वाजपेयी सरकार के एफडीआई को लेकर किया था। या फिर वाजपेयी सरकार के वित्त मंत्री यशंवत सिन्हा का विरोध स्वदेशी जागरण मंच संभाले दत्तापंत ठेंगडी ने 2001-02 के दौरान इस हद तक खुलकर किया था कि तब सरकार को वित्त मंत्री बदलना पड़ गया था । लेकिन तब के स्वयंसेवक वाजपेयी के पीएम होने और अब के पीएम मोदी के होने का फर्क भी आरएसएस समझ रहा है। इसलिये बीएमएस का मजदूर नीतियों को लेकर विरोध या किसानों को लेकर सरकार की खामोश निगाहो से परेशान किसान संघ की खामोशी कोई गुल खिला सकती है यह सोचना भी फिलहाल चमकते हुये सूरज को विरोध का दीया दिखाने के ही समान होगा। क्योंकि जिस आरएसएस को लोग भूल रहे थे नरेन्द्र मोदी की पीएम बनने के बाद उसी आरएसएस को लेकर गजब का जुनुन देश में शुरु हुआ है।

आलम यह हो चला है कि तीन साल पहले जहा आरएसएस की साइट पर सिर्फ दो से तीन हजार लोग ही दस्तक देते थे, वह आज की तारिख में हर महींने आठ हजार तक पहुंच गई है । असल में संघ से प्रेम की यह रफ्तार अयोध्या आंदोलन के दौर में भी नहीं थी। और यह भी कम दिलचस्प नहीं है कि जिस दौर में अयोध्या आंदोलन समूचे देश की राजनीति को प्रभावित कर रहा था, उस वक्त आरएसएस का सदस्य बनने के बदले विश्व हिन्दू परिषद का सदस्य बनने की होड़ देश में लगी थी। और 1990-92 के दौरान ही दो लाख लोगों ने विहिप का दरवाजा खटखटाया था।

इसी तरह 1996 से 1999 तक के दौरान बीजेपी को लेकर आम लोगों में गजब का जुनुन था और आरएसएस से ज्यादा बीजेपी के सदस्य बनने की होड़ देशभर में शुरु हुई थी। उस वक्त बीजेपी ने सदस्य बनाने की मुहिम भी शुरु की थी। तमाम राजनीतिक दल से अलग दिखने की सोच तब बीजेपी में थी लेकिन जब स्वयंसेवक प्रचारक वाजपेयी पीएम बने तो अलग दिखने की सोच सबसे पहले आरएसएस की ही ढही। लेकिन मौजूदा मोदी सरकार को लेकर आरएसएस की उड़ान सपनों के भारत को संजोने और बनाने की है। और पहली बार आरएसएस के भीतर के छुपे हुये राजनीतिक गुण को ही 2014 के लोकसभा चुनाव में उडान मिली है तो वह अब खुल कर राजनीतिक बिसात बिछाने से भी नहीं कतरा रहा है और यह संकेत देने भी देने लगा है कि बीजेपी की सत्ता के पीछे असल ताकत संघ परिवार की है।

इसलिये पहली बार आरएसएस का कार्यकारी मंडल लखनऊ में बैठकर यूपी की सियासी बिसात को समझना भी चाहता है और किस रास्ते हिन्दू वोटरों में अलख जगाना है और वीएचपी सरीखे संगठन के जरीये विराट हिन्दुत्व का समागम राजनीतिक तौर पर कैसी बिसात बिछा सकता है इसे भी टटोल रहा है। यानी पहली बार सामाजिक सांस्कृतिक संगठन आरएसएस खुद की सक्रियता चुनाव में वोटरों की तादाद को बढाने से लेकर हिन्दुत्व सक्रियता को राजनीतिक पटल पर रखने में जुटा है वही चौबिस घंटे तीनसौ पैसठ दिन राजनीति करने वाले तमाम राजनीतिक दल अभी भी चुनावी जीत हार को उसी खाके में रख रहे है जहां जीत हार सिर्फ संयोग है । और तमाम दल मान यही रहे हैं कि हर बार तो कोई जीत नहीं सकता है तो कभी काग्रेस जीती कभी बीजेपी कभी क्षत्रपों का राज आ गया। यानी राजनीति बदल रही है और पारंपरिक राजनीति छोडनी होगी, इसे राजनीतिक दल मान नहीं रहे हैं तो कोई दल या कोई नेता नरेन्द्र मोदी को चुनौती देने के हालात में भी नहीं आ पा रहा है। और बदलती राजनीति का खुला नजारा हर किसी के सामने है।

क्योंकि पहली बार अपने बूते देश की सत्ता पर काबिज होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तेवर के साथ गांव,किसान,मजदूर से लेकर कारपोरेट और औघोगिक घरानों को भी मेकइन इंडिया से जोडने की बात भी कही और राज्य के चुनाव का एलान होते ही महाराष्ट्र और हरियाणा के गली कूचों में रैली करनी शुरु की उसने अर्से बाद बदलती राजनीति के नये संकेत तो दे ही दिये। मसलन नेता सत्ता पाने के बाद सत्ता की ठसक में ना रहे बल्कि सीधे संवाद बनाना ही होगा। राष्ट्रीय नीतियों का एलान कर सरकार की उपलब्धियों का खांका ना बताये बल्कि नीतियों को आम लोगों से जोडना ही होगा और -विकास की परिभाषा को जाति या धर्म में बांटने से बचना होगा।

ध्यान दें तो लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव में हर बडे राजनेता या राजनीतिक दल का संकट यही हो चला है कि वोटर अपने होने का एहसास नेताओं के बात में कर नहीं पा रहा है जबकि मोदी वोटरों को जोडकर संवाद बनाने में लगातार जुटे हैं। यानी चुनावी जीत की मशीन भी कोई केन्द्र सरकार हो सकती है कोई पीएम हो सकता है, इसका एहसास पहली बार देश को हो रहा है। इससे कांग्रेस की मुश्किल है कि वह सेक्यूलर राग के आसरे अब सत्ता पा नहीं सकती है । क्षत्रपों की मुश्किल है जातीय समीकरण के आसरे वोटबैंक बना नहीं सकते हैं। राजनीतिक गठबंधन की मुश्किल है कि जीत के आंकड़ों का विस्तार सिर्फ राजनीतिक दलों के मिलने से संभव नहीं होगा । और यह तीनो आधार तभी सत्ता दिला सकते है जब देश के सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को समझते हुये राजनीति की जाये ।

ध्यान दें तो नरेन्द्र मोदी ने बेहद बारीकी से अपने भाषणों में उस आर्थिक सुधार को ही निशाने पर लिया है, जिसने मंडल-कंमल की राजनीति को बदला। जिसने भारत को बाजार में बदल दिया । यानी बीते 20 बरस की राजनीति के बाद से भारत में हर सरकार की सियासी अंटी से सिर्फ घोटाले और भ्रष्ट्रचार ही राजनीति के बाजार में सबसे महत्वपूर्ण हो गये। और इस दौर का आक्रोष ही नरेन्द्र मोदी के चुनावी भाषणों में कुछ इस तरह से छलका जिससे लोगो में भरोसा जागा। और शायद राजनीतिक तौर तरीके यही से बदलने शुरु हो गये हैं। क्योंकि कांग्रेस ही नहीं बल्कि शरद पवार हो या चौटाला। उद्दव ठाकरे हों या फिर यूपी-बिहार के क्षत्रप ।

ध्यान दें तो बीते बीस तीस बरस की इनकी राजनीति में कोई अंतर आया नहीं है जबकि इस दौर में दो पीढियां वोटर के तौर पर जन्म ले चुकी हैं। और मोदी फिलहाल इसे साधने में मास्टर साबित हो रहे हैं, इससे इंकार किया नहीं जा सकता । ध्यान दें तो सत्ता संभालने के 140 दिनों के भीतर बतौर पीएम ऐलानो की झडी जिस अंदाज में कालाधन, गंगा सफाई,जजों की नियुक्ती,जनधन योजना, -ई गवर्नेस-, स्कील इंडिया, डिजिटल इंडिया, -मेक इन इंडिया,आद्रर्श गांव .स्वच्छ भारत और श्रमेवजयते की लगायी उससे मैसेज यही गया कि कमोवेश हर तबके के लिये कुछ ना कुछ । हर क्षेत्र को छूने की कवायद। बिगडे हुये सिस्टम को संवारने की सोच और सियासत साधने के तरीके। यानी मोदी ने हर नारे के आसरे पीछली सरकारों के कुछ ना करने पर अंगुली उठाकर अपने तरफ उठने वाली हर अंगुली को रोका भी। सवाल यह उठ रहे हैं कि नारों की जमीन क्या वाकई पुख्ता है या फिर पहली बार प्रधानमंत्री खुद ही विपक्ष की भूमिका निभाते हुये हर तबके की मुश्किलों
को उभार रहे है और कुछ करने के संकेत दे रहे हैं।

ध्यान दें तो कांग्रेस अभी भी खुद को विपक्ष मानने के हालात में नही आया है । हो सकता है इतिहास में सबसे निचले पायदान पर पहुंची कांग्रेस अभी भी सदमें में हो या फिर इस खुशफहमी में हो कि उनकी नीतियों का नाम बदल कर नरेन्द्र मोदी दिलों को जीतना चाह रहे हैं। लेकिन समझना यह भी होगा कि प्रधनामंत्री मोदी बिना किसी बैग-बैगेज के पीएम बने है तो वह हर दबाब से मुक्त है इसलिये एलान करते वक्त नरेन्द्र मोदी नायक भी है और एलान पूरे कैसे कब होंगे इसके लिये कोई ब्लू प्रिंट ना होने के कारण खलनायक भी है । लेकिन शरद पवार, उद्दव ठाकरे या चौटाला सरीखे नेता अगर मोदी को खलनायक कहेगें तो वोटरों के लिये तो मोदी नायक खुद ब खुद हो जायेगें क्योंकि मौजूदा वक्त में विपक्ष किसी भूमिका में है ही नहीं। शायद इसीलिये जब मजदूरो के लिये श्रममेव जयते का जिक्र पीएम मोदी करते है तो यह हर किसी को अनूठा भी लगाता है लेकिन मौलिक सवाल और कोई नहीं आरएसएस की शाखा बीएमएस यह कहकर उठाती है कि मजदूरों की मौजूदगी के बगैर श्रममेव जयते का मतलब क्या है ।

असल खेल यही है कि संघ परिवार ही मोदी की उस सियासत को साधेगा जिस सियासत में होने वाले हर एलान की जमीन पोपली है । और संघ चाहता है कि मोदी पोपली जमीन को भी पुख्ता करते चले। यानी पहली बार देश के बदले हुये राजनीति हालात के सामने कैसे हर राजनीति दल सरेंडर कर चुका है और जिस संघ ने मोदी को विजयी घोड़े पर बैठाया वहीं विरोध भी कर रहा है । तो संकेत साफ है पहली बार मोदी को राजनीतिक चुनौती देने वाला या चुनौती देते हुये दिखायी देने वाला भी कोई नहीं है इसलिये अब मोदी वर्सेस आल की थ्योरी तले गठबंधन के आसरे चुनावी जीत की बिसात को ही हर राज्य , हर राजनीति दल देख रहा है। और यही मोदी की जीत है।

 

:- पुण्य प्रसून बाजपेयी 

punya-prasun-bajpaiलेखक परिचय :- पुण्य प्रसून बाजपेयी के पास प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। प्रसून देश के इकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें टीवी पत्रकारिता में बेहतरीन कार्य के लिए वर्ष 2005 का ‘इंडियन एक्सप्रेस गोयनका अवार्ड फ़ॉर एक्सिलेंस’ और प्रिंट मीडिया में बेहतरीन रिपोर्ट के लिए 2007 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला।