सिवनी [ TNN] कहते हैं कलयुग में जो न हो वह कम है। आज के युग में भाई-बहन, पिता-पुत्री के रिश्ते तार-तार होते दिख रहे हैं। केवलारी तहसील में इसी तरह का एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें पिता ने अपनी दस वर्षीया पुत्री के साथ मुँह काला किया है।
केवलारी कोतवाल अमित विलास दाणी ने बताया कि मूलतः घंसौर की सालीवाड़ा पंचायत निवासी 33 वर्षीय रमेश पिता रतिराम उईके के द्वारा अपनी ही बेटी के साथ दुराचार करने की शिकायत मिली है। उन्होंने बताया कि पलारी के पास गिट्टी खदान में रहकर बनी मजदूरी करने वाले रमेश ने अपनी ही पुत्री के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर लिये।
उन्होंने बताया कि बीते ब्रहस्पतिवार नौ अक्टूबर को जब घर के सारे लोग बाहर थे, उस वक्त भी रमेश ने अपनी दस वर्षीय पुत्री के साथ दुराचार किया था। इस बात की शिकायत बच्ची ने अपनी माँ से की। इसके बाद रमेश और उसकी पत्नि के बीच काफी कहासुनी हुई और उसके बाद घर का माहौल शांत हो गया।
अमित विलास दाणी ने आगे बताया कि गुरूवार 16 अक्टूबर को सुबह दस बजे के लगभग जब घर के सारे लोग बाहर थे, उस वक्त रमेश ने एक बार फिर मौका बनाते हुए अपनी पुत्री को अपनी हवस का शिकार बनाया। जब रमेश द्वारा यह काम किया जा रहा था तब उसकी पत्नि ने यह सब देख लिया।
बहरहाल पत्नि और पीड़िता पुत्री की शिकायत पर केवलारी पुलिस ने धारा 376, 232, 506 एवं धारा 4, 6, 8, 10 बाल संरक्षण अधिनियम के तहत मामला कायम कर लिया है।
सिवनी [ TNN ] जिले को हॉकी की नर्सरी कहा जाता है। सिवनी में न जाने हॉकी की कितनी हस्तियां हुई हैं जिन्होंने देश-प्रदेश और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सिवनी के नाम को रौशन किया है। उन्होंने सिवनी के नाम पर चार चांद ही लगाए हैं। एक समय था जब सिवनी में हॉकी का अभ्यास देखने से लगता था मानो यह कोई राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा हो रही हो, कालांतर में सुविधाओं के अभाव में हॉकी की नर्सरी शनैः शनैः उजाड़ हो गई।
याद पड़ता है कि सिवनी में जब बाबा राघवदास हॉकी टूर्नामेंट होता था तो बड़े पुलिस मैदान पर पैर रखने की जगह नहीं बचती थी। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हॉकी टीम सिवनी आकर प्रतियोगिता में भाग लेने में गौरव का अनुभव करती थीं। आज पुराने खिलाड़ी उन दिनों को याद कर रोमांचित हो उठते हैं।
चार-पांच सालों से इस नर्सरी को एक बार फिर आबाद करने के प्रयास आरंभ हुए। सिवनी का यह सौभाग्य रहा कि यहां एॅस्ट्रोटर्फ का मैदान बनाया गया। यह मैदान बमुश्किल पूर्णता को पा सका। उक्त मैदान आरंभ से ही विवादों के साए में आ गया। यहां सरकारी नुमाईंदों का एकाधिकार जताये जाने की बातें सामने आने लगीं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथों से इस स्टेडियम के उद्घाटन की बातों के चलते इसे एक लंबे समय तक आरंभ नहीं करवाया जा सका। बमुश्किल बीते वर्ष इसको जनता को समर्पित किया गया। इसके बाद से अब तक इस स्टेडियम में हॉकी के खिलाड़ी अभ्यास के लिए तरस गए। हाल ही में बिजली का बिल अदा न कर पाने के कारण यहां की बिजली काट दी गई। बिना बिजली के यहां पानी का छिड़काव नहीं होने से यह मैदान शोभा की सुपारी बनकर रह गया था। अब इसकी बिजली जोड़ दी गई है।
इस स्टेडियम का निर्माण तो पूरा कर लिया गया है पर यहां सुअरों और आवारा पशुओं का डेरा साफ दिखाई दे जाता है। यह स्थान शहर के मुख्य बस स्टैंड के पास है, इस लिहाज से यह उपर्युक्त स्थान माना जा सकता है पर यहां स्थानीय खिलाड़ियों को खेलने से वंचित रखा जा रहा है, जो उचित नहीं माना जा सकता है। हालात देखकर लोगों का कहना है कि यह तो वही मिसाल हुई कि बरगद के नीचे छांव का टोटा।
जिले में पुलिस अधीक्षक के अधीन कार्यरत खेल एवं युवक कल्याण अधिकारी इस समय निलंबित हैं। यहां अब इस स्टेडियम का खैरख्वाह कौन है, यह बात किसी को पता नहीं है। जिला हॉकी संघ को भी खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा बौना बना दिया गया है। चाहकर भी डीएचए के द्वारा खिलाड़ियों के पक्ष में कोई काम नहीं किया जा पा रहा है। संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव से जनापेक्षा है कि हॉकी की नर्सरी को एक बार फिर हरा-भरा किया जा सके इस दिशा में प्रयास किए जाएं।
Luther College; a college of the Lutheran Church affiliated to Evangelical Lutheran Church in America, a Christian denomination; will celebrate Hindu festival of lights Diwali on October 26.
The Diwali program will be followed by refreshments and “a time for conversation”.
Applauding Luther College for Diwali celebration, distinguished Hindu statesman Rajan Zed, in a statement in Nevada (USA) today, described it as a “remarkable interfaith gesture” and “a step in the right direction”.
Zed, who is President of Universal Society of Hinduism, urged all USA universities and colleges to celebrate Diwali.Awareness about other religions thus created by such celebrations like Diwali would make the students well-nurtured, well-balanced, and enlightened citizens of tomorrow, Zed added.
Rajan Zed pointed out that religion was a complex element of our lives and religion comprised much more than one’s own individual experience or specific tradition. God, as a sign of God’s munificence and benevolence, constructively wished presence of different faiths.
According to Zed, Diwali, most popular Hindu festival, aims at dispelling the darkness and lighting up the lives and symbolizes the victory of good over evil.
Founded in 1861, women majority Luther College in Decorah (Iowa, USA) offers over 60 majors to about 2,500 students, who besides USA come from 25 countries. Dr.Paula J. Carlson is the President.
Hinduism, oldest and third largest religion of the world, has about one billion adherents and moksh (liberation) is its ultimate goal. There are about three million Hindus in USA.
खंडवा [ TNN ]खंडवा में मोदी सरकार की जन उपयोगी जानकारी देने के लिए तीन दिवसीय शिविर का आयोजन भारत सरकार के सुचना मंत्रलय के पत्र सुचना विभाग ने जन सुचना शिविर आयोजित किया । आज जन सुचना शिविर के समापन अवसर पर केंद्र मंत्री थावर सिंह गहलोत जब नि:शक्त जानो और खंडवा की जनता को प्रधानमंत्री की जनोपयोगी योजनाओं की जानकारी दे रहे थे तभी मंच पर उपस्थित उज्जैन के भाजपा जिला अध्यक्ष श्याम बंसल सोते नजर आए जिसे ही मंच पर बैठे एक अधिकारी की नजर कैमरों पर पड़ी उन्होंने उन्हें जगा दिया पर जब तक केंद्र मंत्री का भाषण भी लगभग समाप्त हो ही गया था । इस मंच पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और स्थानीय संसद नंदकुमार सहित कई नेता मौजूद थे।
भारत सरकार के सूचना मंत्रालय के पत्र सूचना विभाग द्वारा आयोजित जनसूचना शिविर के साथ ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का विकलांग जन उपकरण वितरण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। जिसके तहत केन्द्रीय सामाजिक एवं न्याय अधिकारिता मंत्रालय के मंत्री थावरचंद गहलोत भी खंडवा पहुंचे थे।
श्री गहलोत के साथ ही उज्जैन के जिलाध्यक्ष श्याम बंसल भी खंडवा आए थे। मंच सजा विकलांग जन और आम जनता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कि योजनाओं की जानकारी सुनने के लिए मंत्री जी का इंतजार ही कर रही थी कि तब तक मंत्री जी के साथ आए उज्जैन के भाजपा जिलाध्यक्ष मंच पर ही सो गए। मंत्री जी ने जनता को तो नरेन्द्र मोदी जी की महती योजनाओं से अवगत कराया पर शायद उन्हीं के नेता नींद की खुमारी के चलते नरेन्द्र मोदी की योजनाओं के बारे में जानने से चुक गए।
इस मामले में उज्जैन भाजपा जिलाध्यक्ष श्याम बंसल से मीडिया ने प्रश्न पूछा की आप मंच पर सो रहे थे तो उन्होंने बड़ी ही बेशर्माई से जबाव दिया कि नींद तो नींद है कहीं भी आ जाती है। जनाब यह भी भूल गए कि सोने पर ही कांग्रेस के कई आला नेताओं की टांग भाजपा ने खींची थी। ,
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने नेता के मंच पर सोने को कोई मुद्दा मानने से ही इंकार कर दिया। उल्टा उन्होंने तर्क दिया कि भाजपा जिलाध्यक्ष राजस्थान से सफर करके आ रहे थे इसलिए उन्हें नींद लग गई। इसलिए इसे कोई मुद्दा न माना जाए।
इस मामले पर कांग्रेस नेता हर्ष पाठक ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि देश की सरकार ही सो रही है तो फिर नेताओं के तो हाल वैसे ही होने है। कांग्रेस ने मांग की है कि ऐसे नेता को जो जनता के सामने मंच पर ही अपनी नींद निकाल रहे है तुरंत पद से बरखास्त किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जो योजनाएं व यूपीए थ्री में लागू करने वाली थी उन्हीं योजनाओं को सरकार तंत्र से मोदी सरकार उन पर अपना थप्पा लगा रही है।
लखनऊ [ TNN ] अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर नरेन्द्र मोदी सरकार पर फिलहाल कोई दबाव नहीं बनाने का संकेत देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आज कहा कि यह मुद्दा भाजपा के घोषणापत्र में रहा है और केंद्र सरकार के पास इसके लिए 2019 तक का समय है।
संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने आज संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में कहा कि राम मंदिर का मुद्दा तो पहले से मैनिफेस्टो (भाजपा के चुनाव घोषणापत्र) में है। राम मंदिर तो देश के एजेंडे में हैं – राष्ट्र हित में है। उन्होंने कहा कि हम राम मंदिर निर्माण के लिए धर्माचार्यों और विहिप के आंदोलन का समर्थन करते रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने के लिए कानून बनाने की बात करती रही है और अब भाजपा की बहुमत की सरकार बनने पर क्या संघ इस संबंध में कोई मांग करेगा, होसबाले ने कहा, सरकार की अपनी प्राथमिकताएं हैं- सरकार उनके अनुसार काम करेगी, अभी उनके पास 2019 तक का समय है।
होसबाले संघ की आज शुरु हुई तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के बारे में जानकारी देने के लिए संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। आतंकी संगठनों अलकायदा और आईएसआईएस की चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने अधिक विस्तार में नहीं जाते हुए कहा, बैठक में देश की सुरक्षा के संदर्भ में भी चर्चा होगी।
लव जिहाद से जुड़े सवालों को होसबाले यह कहते हुए टाल गये कि पिछले 10 सालों में इस पर काफी चर्चा हो चुकी है। यह पूछे जाने पर कि क्या कार्यकारी मंडल की बैठक में कोई राजनीतिक एवं आर्थिक प्रस्ताव पारित किया जायेगा, उन्होंने बताया, अभी तो नयी सरकार आयी ही है, पहले इसका काम काज देखेंगे।
होसबाले ने इस मौके पर जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश, मेघालय आदि राज्यों में हाल के दिनों में आयी आपदाओं के दौरान संघ कार्यकर्ताओं द्वारा किये गये बचाव और राहत कार्यों की विस्तार से जानकारी दी और बताया कि कार्यकारी मंडल की बैठक में इन क्षेत्रों में संघ की तरफ से चलाये जाने वाले पुनर्वास कार्यक्रमों की रुपरेखा तय की जायेगी।
उन्होंने बताया कि विगत तीन चार वर्षों से संघ का हर वर्ष लगभग 20 प्रतिशत की दर से विस्तार हो रहा है और इस वर्ष इसके प्राथमिक प्रशिक्षण वर्ग में लगभग सवा लाख नये स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। सह सरकार्यवाह ने बताया कि अब संघ नागरिक अनुशासन, स्वच्छता और पर्यावरण के क्षेत्रों में योगदान के लिए विशेष योजनाएं बनायेगा। उन्होंने कहा कि बैठक में देश के विभिन्न भागों से आये लगभग 390 प्रांत प्रचारक और राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी विभिन्न क्षेत्रों में किये गये कार्यों के बारे में अपने अनुभव साक्षा करेंगे, जिसके आधार पर विभिन्न क्षेत्रों के लिए कार्यक्रमों की एपरेखा तय की जायेगी।
होसबाले ने बताया कि हाल के दिनों में प्राकतिक आपदाओं तथा सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से हुई गोलीबारी में मारे गये नागरिकों और शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरु हुई तीन दिवसीय बैठक की शुरुआत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने की। उन्होंने बताया कि कार्यकारी मंडल की बैठक में शामिल होने के लिए संघ पदाधिकारियों एवं स्वयंसेवकों के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी यहां आए हैं ,जो विशेष निमंत्रण पर आज बैठक में मौजूद रहेंगे।
पटना [ TNN ] किसी समय देश की रक्षा के लिये बिहार में बंदूके बनाने वाले कारीगर अब देश के दुश्मन आतंकियों को हथियार बनाकर दे रहे हैं। मुंगेर में बनी पिस्तौल सटीक मार के लिए शुरू से ही जानी जाती रही है।
‘मेड इन मुंगेर‘ पिस्तौल अवैध रूप से संचालित कारखानों में तैयार किया जाता है। वैसे तो मुंगेर में अन्य अवैध हथियार भी तैयार होते हैं लेकिन आतंकियों को यहां के पिस्तौल विशेष रूप से पसंद आने लगे है।
इस पिस्तौल की खासियत यह है कि इसे सधे हुए हाथों से तैयार किया जाता है। ये वहीं कारीगर हैं जो पहले कभी देश की रक्षा के लिए मुंगेर बंदूक कारखाना में काम किया करते थें। कारखाना में कर्मचारियों की छंटनी के बाद पेट की आग बुझाने के लिए अब वहीं कारीगर देश के दुश्मनों को हथियार बनाकर आपूर्ति कर रहे है।
पिछले वर्ष पटना के गांधी मैदान में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट की घटना के बाद बिहार में गठित आतंकवाद निरोधक दस्ता ने मुंगेर जिले के मुफस्सिल थाना के मिर्जापुर वर्धा गांव से तीन हथियार आपूर्तिकर्ताओं को जब गिरफ्तार किया तब यह मामला प्रकाश में आया।
मुंगेर के मोहम्मद जमशेर आलम उर्फ मो. जमशेद ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को एक वर्ष में पिस्तौल की दो खेप भेजी थी।
मुंगेर के बने पिस्तौल की खेप आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के स्वयंभू एरिया कमांडर रवेश उल इस्लाम को कश्मीर के पुलवामा में नवम्बर 2013 को पहली बार तथा इस वर्ष के मई माह में दूसरी बार भेजी गयी थी।
इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में कथित रूप से पनाह ले रखे आतंकियों को भी मुंगेर से पिस्टल की आपूर्ति की गयी थी। एटीएस ने पिछले 13 अगस्त को जमशेद के साथ ही इस नेटवर्क से जुड़े जमालपुर निवासी सुरेन्द्र पासवान और उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले का रहने वाला अरूण सिंह उर्फ निक्कू को गिरफ्तार किया था।
इनके पास से चार देशी पिस्तौल, 45 हजार रूपया और विभिन्न कंपनियों के कई सीम कार्ड बरामद किया गया था। इस संबंध में तीनों के अलावा कुछ अज्ञात के खिलाफ एटीएस थाना में मामला दर्ज किया गया। – एजेंसी
महामृत्युंजय भंग करने में अकाल मृत्यु तो टलती ही है। आयोग्यता भी प्राप्त होती है, स्नान करते समय शरी पर लोटे पानी डालते वक्त इस इस मंत्र का जाप करने में स्वस्थय लाभ होता है। दूध में निहारते हुए इस मंत्र का जाप भी किया जाए और फिर वह दूध पी लिया जाए तो यौवन की सुरक्षा में भी सहायता मिलती है साथ ही इस मंत्र का जप करने से बहुत सी बाधाएं दूर होती हैं, अतः इस मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए, निम्मलिखित स्थितियों का जाप कराया जाता है।
– ज्योतिष के अनुसार यजि जन्म, मास गोचर और दशा, अंर्तदशा, स्थूलकला आदि में ग्रहपीड़ा होने का योग है। – किसी महारोग से कोई पीडि़त होने पर, – जमीन-जायदाद के बटवारे की संभावना हो, – हैजा-प्लेग आदि महामारी से लोग मर रहे हों, – राज्य या संपदा के जाने का अंदेशा हो – मेलापिकमें नाड़ी दोष, षडक आदि आता हो – मेलापिक में नाड़ीदोष,षडष्टक आदि आता हो, – मन धार्मिक कार्यों से विमुख हो गया हो, – मनुष्यों में परस्पर घारे कलेश हो रहा हो, – त्रिदोषवश रोग हा रहे हों, – महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना परम फलदायी है, महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना के तरीके आवश्यकता के अनुरूप होते हैं, काम्य उपासना के रूप में भी इस मंत्र का जप किया जाता है, जप के लिए अलग-अलग मंत्रों का प्रयोग होता है, यहां हमने आपकी सुविधा के लिए संस्कृत में जप विधि, विभिन्न यंत्र-मंत्र, जप में सावधानियां, स्त्रोत आदि उपलब्ध कराए है इस प्रकार आप यहां इस अदभुत जप के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है। महामृत्युंजय जपविधी- कृतनित्यक्रियो जपकर्ता स्वासने पांगसुख उदहसुखो वा उपविश्य घृतरूद्राक्षभस्मत्रिपुण्ड्रः आचम्य प्राणानायाम देशकालौ संकीत्र्य मम वा यज्ञमानस्य मंत्रस्य अमुक संख्यापरिमितं जपमंहकरिष्ये वा कारयिष्य. इति प्रात्यहिसंकल्पः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ गुरवे नमः ॐ गणपत्ये नमःॐ इष्टदेवतायै नमः इति नत्वा यथोक्तविधिना भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कुर्यात भूतशुद्धिः विनियोग- ॐ तत्सदद्येत्यादि मम अमुक प्रयोगसिद्धयर्थ भूतशुद्धि प्राण प्रतिष्ठां च करिष्ये,ॐ आधारशक्ति कमलासनायनमःइत्यासनं सम्पूज्य. पृथ्वीति मंत्रस्य मेरूपृष्ठ आसने विनियोगः आसन-ॐ पृथ्वि त्वया घृता लोका देवि त्वं विष्णुता घृता. त्वं च धारय मां देवि पविंत्र कुरू चासनम गन्धपुष्पादिना पृथ्वीं सम्पूजस्य कमलासने भूतशुद्धि कुर्यात अन्यत्र कामनोभदेन. अन्यासनेऽपि कुर्यात तत्र क्रमः पादादिजानुपर्यतं पृथ्वीस्थानं तच्च्तुरस्त्र पीतवर्ण ब्रहादेवतं वमिति बीजयुत्तंहृ ध्यायेत् जान्वादिनाभिपर्यन्तसत्थानं तच्र्चार्द्धचंद्रकारं विष्णुदैवतं लमिति बीजयुक्त ध्हृाायेत
मानव हथेली में अकस्मात दुर्घटना योग के लक्षण निम्नानुसार है।
– जीवन रेखा पर बिन्दु हो और उसी स्थान से एक रेखा शनि पर्वत को जाए, शनि पर्वत पर क्रॉस हो तो भंयकर दुर्घटना घटित होगी।
– जीवन रेखा से मिलकर नीचे की ओर जाने वाली रेखा के अंत में क्रॉस या नक्षत्र हो तो दुर्घटना से मृत्यु (भाग्य रेखा से जीवन रेखा कोशिका के समान जुड़ी हो तो दुर्घटना के बाद भी जीवन रक्षा होगी।
– यदि हुक की भांति मुड़ी हुई कोई रेखा कनिष्का अगली के नीचे से प्रारंभ होकर ह्दय रेखा से मिल जाये तो दुर्घटना से पैर में चोट व अपंगता।
– जीवन रेखा टूटी हो और टूटा हुआ हिस्सा हुक की भांति शुक्र पर मुड़ जाए तो भयंकर दुर्घटना से मृत्यु (जीवन रेखा के आरंभ में दुर्भाग्यपूर्ण लक्षण बचपन में दुर्घटना दर्शाता है)
– मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत पर समाप्त हो या टूटी हो, साथ ही नक्षत्र का चिन्ह हो तो सिर में चोट लगने से मृत्यु व मानसिक विकृति होगी, अगर ह्दय रेखा पर समाप्त हो तो दुर्घटना से बचाव संभावित।
– चंद्र पर्वत पर नक्षत्र द्वीप क्रॉस कोण हो तो जल से डूबने का खतरा, अगर मस्तिष्क रेखा झुककर चंद्र क्षेत्र में आये तो उत्तेजित व दोषपूर्ण… अवस्था में जल व सड़क दुर्घटना।
– मस्तिष्क रेखा, जीवन रेखा, ह्दय रेखा टूटी हो साथ ही निम्न मंगल का क्षेत्र अत्याधिक विकसित हो तो वाहन दुर्घटना की संभावना।
– ह्दय रेखा टूटी या छोटी हो व गुरू पर्वत से प्रारंभ होकर थोड़ी दूर चलकर रूक जाए तो भावनात्मक आघात या दुर्घटना की संभावना।
-जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा व ह्दय रेखा आपस में एक स्थान पर जुड़ी हुई तो व दोषपूर्ण हो तो शारीरिक दुर्घटना संभावित।
– सूर्य रेखा व भाग्य रेखा दोषपूर्ण व लहरदार हो, जीवन रेखा पर दो क्रॉस हो तो उस आयु में दुर्घटना घटित होगी।
जनता दल युनाईटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने पिछले दिनों अपने एक बयान में कहा कि सभी धर्मस्थानों से लाऊडस्पीकर हटा दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु लोग स्वेच्छा से धर्म स्थलों को जा सकते हैं उन्हें बुलाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यादव ने कहा कि धर्मस्थलों पर लाऊडस्पीकर के इस्तेमाल से ध्वनि प्रदूषण तो होता ही है साथ-साथ पास-पड़ोस के लोगों को भी इस शोर-शराबे से तकलीफ होती है। शरद यादव देश के कोई पहले ऐसे नेता नहीं हैं जिन्होंने धर्मस्थानों पर लाऊडस्पीकर के होने वाले प्रयोग का विरोध किया हो। इससे पूर्व भी देश के तमाम प्रतिष्ठित लोग तथा बुद्धिजीवी यही बातें कह चुके हैं। देश की अनेक अदालतों में इस संबंध में याचिकाएं भी दायर की जा चुकी हैं। इतना ही नहीं बल्कि न्यायालय द्वारा इस संबंध में स्पष्ट दिशा निर्देश भी जारी किए जा चुके हें। परंतु आज़ाद देश के आज़ाद नागरिक धर्म के नाम पर किसी भी कायदे-कानून,नियम तथा नैतिकता का उल्लंघन करने के लिए मानो हर समय तैयार बैठे हों।
राजनैतिक दलों द्वारा लाऊडस्पीकर को धर्मस्थानों से हटाने की उम्मीद क्या करनी यह तो स्वयं इस व्यवस्था को बढ़ावा देने पर ही तुले हुए हैं। इसका प्रमाण यह है कि कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जि़ले के कांठ क्षेत्र में एक धर्मस्थान पर लाऊडस्पीकर बजाने को लेकर हुए सांप्रदायिक तनाव में सांप्रदायिकता फैलाने वाले तथा लाऊडस्पीकर बजाने की पैरवी करने वाले जिन नेताओं को हिंसा भडक़ाने के आरोप में उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा जेल भेजा गया था उनकी रिहाई के बाद भारतीय जनता पार्टी द्वारा उनके सम्मान में समारोह आयोजित करने की खबर से सा$फ ज़ाहिर है कि धर्मस्थलों पर लाऊडस्पीकर का प्रयोग केवल ध्वनि प्रदूषण जैसा शरीर व मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने वाला प्रदूषण ही नहीं फैलाता बल्कि राजनैतिक दलों के नापाक राजनैति एजेंडों की पूर्ति भी करता है।
देश में आप कहीं भी देखें सांप्रदायिक तनाव के समय अलग-अलग समुदाय के धर्मस्थानों में लाऊडस्पीकर का अतिरिक्त प्रयोग शुरु हो जाता है। अपने-अपने धर्म व समुदाय के लोगों को इसी लाऊडस्पीकर के माध्यम से इकठा किया जाता है। इसी के माध्यम से नफरत फैलाने वाले तथा दूसरे समुदाय के लोगों को उकसाने वाले भाषण दिए जाते हैं। अपने समुदाय के लोगों के बीच दूसरे समुदाय के विरुद्ध नफरत पैदा की जाती है तथा उन्हें भडक़ाया जाता है। अफसोस की बात है कि यह सब हिंसा फैलाने वाली तथा भडक़ाऊ बातें इसी लाऊडस्पीकर के माध्यम से की जाती हैं जिन्हें धर्म की आड़ में तथा धर्म के नाम पर लगाया व चलाया जाता है। वैसे लाऊडस्पीकर किसी भी धर्मस्थान पर लगाने व इसे पूरी आवाज़ में बजाने में सबसे अधिक व पहली दिलचस्पी धर्मस्थान के उस पुजारी,मौलवी अथवा ज्ञानी की होती है जिसे अपनी रोज़ी-रोटी की खातिर भक्तों के रूप में लोगों को अपने पास पूजा-पाठ अथवा इबादत आदि के बहाने बुलाना होता है। इन लोगों को भलीभांति इस बात का ज्ञान होता है कि जब कोई भक्त मेरे पास आएगा तो वह कुछ न कुछ देकर ही जाएगा। हालांकि प्रत्येक धर्म व समुदाय में ऐसे लोग बहुसंख्या में हें जो धर्मस्थानों पर लगने वाले लाऊडस्पीकर तथा उनके द्वारा प्रतिदिन समय-समय पर फैलाए जाने वाले ध्वनि प्रदूषण का विरोध करते हैं। परंतु जब इनमें से कोई व्यक्ति हिंदू होने के बावजूद आगे बढक़र किसी मंदिर के पुजारी से लाऊडस्पीकर के शोर-शराबे को बंद करने की बात कहता है तो वह पुजारी फौरन ही उस पर नास्तिक होने का लांछन मढ़ देता है। सभी धर्मसथलों के ऐसे रखवाले जो शोर-शराबे के माहौल में ही खुद को रखना पसंद करते हैं वे ध्वनि प्रदूषण से किसी दूसरे को इस शोर-शराबे से पहुंचने वाली तकलीफ जैसी बातों के विषय में न तो जानते हैं न ही इस बारे में कुछ सुनना चाहते हें। इसके बजाए उन्हें लाऊडस्पीकर बंद करने में अपनी दुकानदारी ही बंद होती दिखाई देती है।
शरद यादव का तर्क बिल्कुल न्यायसंगत है कि किसी धार्मिक व्यक्ति को आखिर लाऊडस्पीकर के द्वारा चेताने या उसे जबरन धर्मस्थल की ओर बुलाने की ज़रूरत ही क्या है? प्रत्येक धार्मिक व्यक्ति जो किसी भी निर्धारित समय पर मंदिर-मस्जिद,चर्च अथवा गुरुद्वारे जाने का इच्छुक है उसे वहां जाने से न तो कोई रोक रहा है और न ही कोई रोक सकता है। और जो व्यक्ति स्वेच्छा से वहां जाना नहीं चाहता उसे लाऊडस्पीकर की आवाज़ सुनाकर,गला फाडक़र या चिल्लाकर बुलाया नहीं जा सकता। यहां एक और तर्क काबिल-ए-गौर है। मान लीजिए पांच हज़ार की आबादी वाले क्षेत्र में किसी धर्मस्थान पर लाऊडस्पीकर का प्रयोग किया जा रहा है। यह भी मान लिया जाए कि इनमें से पांच-दस अथवा बीस लोग इस लाऊडस्पीकर की आवाज़ सुनकर धर्मस्थानों की ओर चले भी जाते हें, शेष आबादी पर इस ‘धर्म की पुकार’ का कोई असर नहीं पड़ता। फिर आखिर मात्र दस-पांच लोगों को प्रभावित करने के लिए शेष लोगों को घ्वनि प्रदूषण से व्याकुल करने का क्या अर्थ है? जबकि इसी आबादी में वे बच्चे व युवा भी शामिल हैं जो शांतिपूर्ण वातावरण में पढ़ाई करना चाहते हैं। कई लागों की परीक्षाएं चल रही होती हैं,कई अपनी नौकरी हेतु दी जाने वाली परीक्षा की तैयारी में लगे होते हैं। कई बुज़ुर्ग व बीमार लोग लाऊडस्पीकर के शोर-शराबे के चलते सो नहीं पाते। क्या किसी एक धर्मसथल के रखवाले की रोज़ी-रोटी अथवा उसका धर्म प्रचार इतना ज़रूरी है कि वह दूसरों को कष्ट पहुंचाकर भी लाऊडस्पीकर के माध्यम से शोर-शराबा मचाता फिरे?
अब तो स्थाई धर्मसथलों के अतिरिक्त ‘मोबाईल’ धर्म स्थान भी गली-गली शोर मचाते फिरने लगे हैं। कभी शिरडी वाले साईं बाबा की $फोटो किसी बैलगाड़ी में रखकर पूरा का पूरा परिवार लाऊडस्पीकर पर कोई साईं भजन बजाता हुआ गली-मोहल्लों के सभी मकानों पर दस्तक देता दिखाई देता है। यानी आपको किसी साईं मंदिर में जाकर माथा टेकने की कोई आवश्यकता नहीं। साईं बाबा स्वयं ध्वनि प्रदूषण फैलाते हुए आपको दर्शन देने हेतु आपके द्वार पर पधार जाते हैं। इसी प्रकार कभी गौशाला के नाम पर धन उगाही करने वाले लोग गऊमाता का चित्र लगाकर रेहड़ी या रेहड़े पर लाऊडस्पीकर का शोर मचाते गली-कूचों में फिरते हुए दिखाई देते हैं। कभी किसी अनाथालय के नाम पर पुराने कपड़े मांगने वाले लोग किसी वाहन में सवार होकर गली-गली घूमकर लाऊडस्पीकर पर अपने कार्यकलापों का बखान करते तथा लोगों को कपड़े-लत्ते,अन्न व नकदी का दान करने हेतु प्रेरित करते दिखाई देते हैं तो कभी अजमेर वाले ख्वाज़ा के नाम पर $कव्वालियां बजाते हुए कुछ लोग दरगाह पर चादर चढ़ाने हेतु लोगों से पैसे ठगते नज़र आते है। ऐसे सभी लोग मात्र अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए वातावरण को प्रदूषित करते हैं तथा विद्यार्थियों व बीमार बुज़ुर्गों को विचलित करते हैं। स्वयं मेरे साथ यह घटना आए दिन घटती रहती है। जब कभी मैं लिखने-पढऩे बैठती हूं अक्सर उसी समय उपरोक्त में से कोई न कोई तथाकथित ‘धर्मभीरू’ लाऊडस्पीकर के शोर-शराबे के साथ आ धमकता है। परिणामस्वरूप प्राकृतिक रूप से पढ़ाई-लिखाई की ओर से उस समय ध्यान भटक जाता है।
कुछ वर्ष पूर्व पटना में ऐसी ही एक घटना उस समय घटी थी जबकि पटना हाईकोर्ट के समीप की एक मस्जिद में लाऊडस्पीकर पर अज़ान की आवाज़ अचानक ज़ोर-ज़ोर सुनाई देने लगी। स्वाभाविक रूप से हाईकोर्ट के न्यायाधीश विचलित हो उठे तथा उनका कामकाज बाधित हुआ। इसके बाद न्यायधीश महोदय ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराकर उस मस्जिद से लाऊडस्पीकर उतरवा दिया। परंतु इस मामले को राजनैतिक रूप देते हुए तथाकथित धर्मावलंबी लोग सडक़ पर उतर आए। उन्हें शोर-शराबे से पडऩे वाले विघ्र की वास्तविकता को समझने के बजाए इस्लाम पर संकट नज़र आने लगा। ठीक उसी तरह जैसेकि कांठ में मंदिर पर लगे लाऊडस्पीकर की आवाज़ बंद करने के नाम पर हिंदुत्व पर संकट नज़र आने लगा था। वैसे भी धर्मस्थलों तथा चलते-फिरते वाहन रूपी धर्मवाहनों के अतिरिक्त आए दिन घनी आबादी के बीच होने वाले जगराते,पाठ,मीलाद,अथवा शब्बेदारी व$गैरह जैसे धार्मिक आयोजनों में अधिक शोर-शराबा करने वाले तथा पूरे मोहल्ले या कस्बे में शोर मचाने वाले लाऊडस्पीकरों की ज़रूरत ही क्या है?
लाऊडस्पीकरों की आवश्यकता तो केवल उस व्यक्ति को हो सकती है जो किसी धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए किसी धर्म सथान पर पहुंच चुका है। और ऐसे व्यक्ति के लिए कम आवाज़ वाले स्पीकर बॉक्स की आवाज़ ही काफी है जो केवल धर्मस्थान के परिसर के भीतर ही सुनाई दे। यदि कोई धर्मस्थान आम लोगों को दु:ख-तकलीफ अथवा नु$कसान पहुंचाकर या वातावरण को प्रदूषित कर अपनी धर्मध्वजा को बुलंद रखना चाहता है तो यह पूरी तरह अधार्मिक व अनैतिक होने के साथ-साथ अमानवीय कृत्य भी है। क्योंकि धर्मस्थलों का काम वातावरण को साफ-सुथरा व स्वच्छ बनाना है प्रदूषित करना नहीं। :-निर्मल रानी
निर्मल रानी 1618, महावीर नगर अम्बाला शहर,हरियाणा। फोन-0171-2535628 email : nirmalrani@gmail.com
नई दिल्ली [ TNN ] मोबाइल फोन उपभोक्ता देश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाने के बावजूद अपना वर्तमान नंबर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए जल्द ही पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) की सुविधा मिलने वाली है। वर्तमान में मोबाइल उपभोक्ताओं को समान सेवा क्षेत्रों में ही ऑपरेटर बदलने की सुविधा है। मसलन, दिल्ली एनसीआर में कोई उपभोक्ता दिल्ली एनसीआर में ही नंबर बदले बिना ऑपरेटर बदल सकता है।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी लागू करने के लिए 31 मार्च, 2015 की समय सीमा तय की है। उसने कहा, ‘टेलिकॉम कमिशन ने पूर्ण एमएनपी पर ट्राई की सिफारिशें स्वीकार ली हैं।’ कमिशन के निर्णय को अंतिम मंजूरी के लिए अब टेलिकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद के सामने रखा जाएगा।
पूर्ण एमएनपी के तहत उपभोक्ता देश में कहीं भी जाने पर अपना पुराना नंबर बरकरार रख सकेंगे। ट्राई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, करीब 13 करोड़ लोगों ने 31 अगस्त तक एमएनपी सुविधा के लिए अनुरोध किया है। ट्राई ने पूर्ण एमएनपी पर अपनी सिफारिश में प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने की तिथि से छह माह का समय दूरसंचार कंपनियों को देने का सुझाव दिया है ताकि वे अपने नेटवर्क में आवश्यक बदलाव कर सकें।
हैदराबाद [ TNN ]10 साल के सादिक की पुलिस कमिश्नर बनने की मुराद पूरी हो गई है। उसे एक दिन के लिए हैदराबाद का पुलिस कमिश्नर बनाया गया। ब्लड कैंसर से पीड़ित सादिक ने बाकायदा पुलिस यूनिफार्म में पदभार संभाला और सैल्यूट भी किया।
करीमनगर के रहने वाले सादिक के कई रिश्तेदार आंध्रप्रदेश पुलिस में कार्यरत हैं। उसकी मुराद पूरी करने की जिम्मेदारी ‘मेक ए विश फाउंडेशन’ ने उठाई थी, जो जानलेवा बीमारियों से ग्रस्त बच्चों की मुराद पूरी करती है। पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी संभालने के बाद मीडिया ने जब सादिक से पूछा गया कि वह एक दिन में क्या करेगा, तो उसने कहा, ‘मैं शांति व्यवस्था को बनाए रखने की कोशिश करूंगा और रोडछाप बदमाशों को पकड़ूंगा।’ इस मौके पर मौजूद हैदराबाद पुलिस कमिश्नर महेंदर रेड्डी ने कहा कि वह सादिक की विश पूरी करके बेहद खुशी अनुभव कर रहे हैं। वहीं फाउंडेशन की पुष्पा देवी जैन ने कहा कि हम सादिक जैसे बच्चों को खुशी देने की एक कोशिश करते हैं।
बीते अगस्त में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव भी सादिक से मिलने हॉस्पीटल गए थे। सादिक ने उनसे मिलने की इच्छा जताई थी। वहीं ‘मेक ए विश फाउंडेशन’ तब चर्चा में आया था जब दक्षिण के मशहूर फिल्मस्टार पवन कल्याण ने तेलंगाना के खम्मम जिले में रहने वाली ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित एक बच्ची के लिए मदद की अपील की थी। पवन फाउंडेशन के अनुरोध पर इस बच्ची से मिलने भी पहुंचे थे, क्योंकि वह उनसे मिलना चाहती थी।
नई दिल्ली [ TNN ] काले धन को वापस लाने के मामले में भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली है। स्विटजरलैंड सरकार ने कहा है कि वह समय-समय पर स्विस बैंकों में जमा भारतीयों के धन के बारे में जानकारी देती रहेगी। साथ ही कहा कि वह प्राथमिकता के आधार पर भारत के आग्रह की समिक्षा करेगा। भारत और स्विस के अधिकारियों के बीच कर मामलों पर उच्चस्तरीय बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि स्विस अधिकारी भारतीय पक्ष के आग्रह के बाद बैंक दस्तावेजों के सही होने के बारे में पुष्टि हासिल करने में भी मदद करेंगे। साथ ही वे गैर बैंकिंग सूचनाओं के आग्रह पर भी तेजी से सूचना उपलब्ध कराएंगे।
गौरतलब है कि इससे पहले स्विटजरलैंड स्विस बैंको में जमा काले धन के कथित मामलों पर भारतीय प्राधिकारियों को सूचनाएं साझा कराने से लगातार इनकार कर रहा था। काले धन के बारे में सूचना मुहैया कराने संबंधी निर्णय दोनों देशों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की बर्न में हुई उच्च स्तरीय बैठक में किया गया।
बयान में कहा गया है कि स्विटजरलैंड के सक्षम अधिकारी भारतीय पक्ष को मांगी गई सूचना समयबद्ध तरीके से उपलब्ध कराएंगे। या फिर इसकी वजह बताएंगे कि तय समयसीमा में कोई सूचना क्यों नहीं उपलब्ध कराई जा सकी। स्विटजरलैंड सरकार के बयान में कहा गया है कि इसके साथ ही दोनों देशों के बीच बातचीत जारी रखने पर भी सहमति बनी है। स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का कथित काला धन भारत में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है और नई सरकार ने कहा है कि वह इस मुद्दे से निपटने के लिए कटिबद्ध है।
स्विस नेशनल बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2013 तक स्विस बैंकों में भारतीयों का कुल जमा धन 14,000 करोड़ रूपये से अधिक है। यह आंकड़ा एक साल पहले की तुलना में 42 प्रतिशत अधिक है।
नई दिल्ली [ TNN ] गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा और विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान की ओर से हरेक महीने आयोजित होने वाली संगोष्ठी इस बार 26 अक्टूबर को सन्निधि सभागार में आयोजित जी जाएगी. इस बार यह संगोष्ठी महान ग़ज़ल गायिका बेगम अख़्तर को समर्पित होगी. इस समारोह में इस बार डायरी लेखन पर परिचर्चा के साथ नए रचनाकार ग़ज़ल पेश करेंगे.
संगोष्ठी में ख़ासतौर से बेगम अख़्तर को याद किया जाएगा. ग़ौरतलब है कि बेगम अख़्तर का जन्म 7 अक्टूबर, 1914 को हुआ था और इस साल देश-विदेश में उनकी जन्म शताब्दी मनाई जा रही है.
काका कालेलकर और विष्णु प्रभाकर की याद में की जाने वाली इस संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रसिद्ध फ़िल्म और कला मर्मज्ञ शरद दत्त करेंगे, जबकि मुख्य अतिथि दीक्षित दनकौरी होंगे. विशिष्ट अतिथि के रूप में डॊ. सुनीता और फ़िरदौस ख़ान संगोष्ठी में मौजूद रहेंगी. समारोह में पिछली संगोष्ठियों में शिरकत करने वाले नए रचनाकारों को बीच प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे.
ग़ौरतलब है कि संगोष्ठी जवाहरलाल नेहरू रोड स्थित गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा में शाम पांच बजे शुरू होगी, जो सात बजे तक चलेगी.
खंडवा [ TNN ] खंडवा कोतवाली थाने की चौखट पर सोमवार सुबह करीब 7.30 बजे एक लाइनमैन महेश पिता बाबूराव नीलकंठ ने अपने ऊपर केरोसिन उड़ेलकर आग लगा ली थी. उसे 40 प्रतिशत जली हुई हालत में इंदौर रेफर किया गया था जहाँ आज दोपहर 12:20 बजे उसकी एमवाय अस्पताल में मौत हो गई ।
इधर एसपी मनोज शर्मा ने कोतवाली थाना टीआई अनिल शर्मा को लाइन अटैच अटैच कार दिया है तो वहीँ कलेक्टर खंडवा एमके अग्रवाल ने इस घटना के मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश के आदेश दिए हैं और जांच के लिए खंडवा एसडीएम एमएस कवचे को नियुक्त किया गया है ।
गौरतलब है कि पुलिस प्रताड़ना से परेशान होकर उसने यह कदम उठाया है। वह पॉलिथीन की थैली में केरोसिन लाया था। आग बुझाने के बाद भी महेश पुलिस के खिलाफ बोलता रहा और दरवाजे के पास ही बैठ गया। बाद में पुलिसकर्मी उसे किसी तरह अस्पताल ले गए। हालत गंभीर होने पपर उसे उसी दिन इंदौर रेफर काइया गया था |
जानकारी के अनुसार महेश की भतीजी पिछले सप्ताह से लापता है। परिजन को शंका थी कि उसे मोहल्ले का ही एक युवक भगाकर ले गया है। इसी शंका में युवक के घर शनिवार रात तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी। मामले में पुलिस ने महेश के साथ ही उसके बेटे कुंदन, भाई दीपचंद व अन्य परिजन के खिलाफ केस दर्ज किया।
पुलिस ने दस आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन महेश को कोतवाली लाकर पूछताछ के बाद रविवार रात छोड़ दिया गया। पुलिसकर्मी फिर से महेश के घर पहुंचे और उसे धमकाया बताया गया कि इससे महेश दहशत में आ गया और रातभर सो नहीं सका। सोमवार सुबह उसने खुद को आग लगा ली।
मीरगंज [ TNN ] गोपालगंज के मीरगंज प्रखंड के नरइनिया मिडिल स्कूल की सातवीं की छात्रा को पड़ोसी चाय दुकानदार ब्लैकमेल कर पिछले तीन-चार माह से उसके साथ दुष्कर्म कर रहा था. छात्रा ने अपनी मंदबुद्धि मां से यह बात बतायी, तो उसने चाय दुकानदार के घर जाकर इसकी शिकायत की, लेकिन उसे मारपीट कर भगा दिया गया |
सोमवार को मिडिल स्कूल में लगे स्वास्थ्य जांच कैंप में जब इस 11 वर्षीया छात्रा की स्वास्थ्य जांच की गयी, तो उसके गर्भवती होने का पता चला. तब सारे मामले का खुलासा हुआ. जब इस बात की जानकारी ग्रामीणों को मिली, तो वे उग्र हो गये. पीड़ित परिजनों को जब ग्रामीणों का साथ मिला, तो वे पीड़िता को लेकर थाना पहुंचे.|
इधर आरोपित चाय दुकानदार नरेश मदेसिया अपनी दुकान को बंद कर फरार हो गया. ग्रामीण मीरगंज थाने में आरोपित दुकानदार की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गये. उस समय गोपालगंज में सभी थानेदारों के साथ एसपी अनिल कुमार की बैठक चल रही थी |
मामला एसपी तक पहुंचा. एसपी अनिल कुमार ने पीड़ित परिजनों को तत्काल महिला थाना बुला कर मामले की प्राथमिकी दर्ज करायी और पुलिस मेडिकल जांच में जुट गयी. पीड़िता के परिजन काफी गरीब हैं. इस गरीबी का लाभ चाय दुकानदार उठाता रहा. पुलिस अब आरोपित की तलाश में जुट गयी है |
बैंगलोर [ TNN ] एक तरफ जहां देश महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रहा है वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो पैर खींच कर इसे गर्त में ढ़केलने की कोशिश में लगे हैं। एक ताजा कर्नाटक से आया है। यहां के लिंगायत समुदाय के धर्मगुरु ने लड़कियों के भड़काऊ कपड़ों को बलात्कार की बड़ी वजह ठहराया है। इस बयान के बाद से बवाल मच गया है और राजनीति तेज हो गई है। इतना ही नहीं लिंगायत समुदाय की धर्मगुरु माथे महादेवी ने सरकार से वेश्यावृत्ति को लीगल करने की अपील भी की है जिससे रेप की घटनाओं पर काबू पाया जा सके।
माथे महादेवी की इस शर्मनाक बयान के बाद से सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थान इस बयान के विरोध में अपनी आवाज उठा रहे हैं। इसके अलावा छात्र भी जगह-जगह पर प्रदर्शन कर रहे हैं। आपको बता दें कि माथे महादेवी उत्तर कनार्टक के कूडाला संगम में लिंगायत के धार्मिक केंद्र बसावा धर्मपीठ की पीठाध्यक्ष हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक महादेवी ने कर्नाटक के धारवाद में लड़कियों के पहनावे को निशाने पर लिया और कहा कि लड़किया जितना भड़काऊ कपड़े पहनेंगी बलात्कार के मामले उतने ही बढ़ेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि लड़कियों को वेस्टर्न ड्रेस का त्याग कर देना चाहिए और ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिससे उनकी संस्कृति झलके। आज के युवाओं में सांस्कृतिक मूल्यों की कमी है। उन्होंने आगे कहा कि लड़कियों के चुस्त कपड़े अपराधियों को रेप करने के लिए उकसाते हैं। महादेवी ने कहा कि महिलाएं उनकी सुरक्षा में बने कानूनों का गलत इस्तमाल कर रही हैं। उन्होंने सरकार से भी रेप वेश्यावृत्ति को लीगल करने की मांग की। महादेवी ने कहा कि वेश्यावृत्ति को लीगल कर देने की मांग करने वाली मैं पहली इंसान नहीं हूं। यह मांग समाज का कई वर्ग कर चुका है। अगर इसे लीगल नहीं किया गया तो महिलाओं के साथ होने वाले रेप, यौन छेड़छाड़ में कमी नहीं आएगी।
Mumbai [ TNN ] Abhik Bhanu, writer and director for the forthcoming film ‘GUN PE DONE’ has just recorded the title track for the film. Sung by sari ke faal sa & pungi song fame singer Nakash Aziz, its music is given by Rimi Dhar and lyrics is by Saveri. Another romantic song channa tennu is also recorded in the voices of Jazim Sharma and Chinmayi Sripada. Film is to go on floors in November 2014 in a start to finish schedule.
Produced under the banner of Pioneer Films & Entertainment, it is the story of two struggling artists trying to make it big in Bollywood. While Pancham gets a lead role, his love interest Monica receives an offer of astronomical amount for item dance at a New Year party thrown by hooch king’s right hand Kamachi, who also falls in love with Monica. A channel is trying to do sting operation during their New Year party to prove involvement of a politician in illegal business of this hooch king. Hence the journalist disguises herself as Monica to record all underhand deals. Kamachi realises that Monica is not real Monica and starts looking for her. Everything turns topsy turvy.
Production house of film ‘GUN PE DONE’ is Pioneer Films & Entertainment, writer – director is Abhik Bhanu, DOP is Mazhar Kamran, music is by Rimi Dhar, lyricist is Saveri and casting director is Shalini Pandey. Star cast of the film includes Jimmy Shergill as Pancham, Vijay Raaz as Kamachi, Sanjay Mishra as Manik Singh, Deepraj Rana as Aslam, Bidita Bag as Sanjana, Vrajesh Hirjee as Aditiya, Pankaj Jha as Munna and Anant Jog as Home Minister .
इंग्लैंड के लिए क्रिकेट खेलने वाले पहले भारतीय महाराजा रणजीत सिंहजी का कथित रूप से एक नाजायज बेटा था। इस बारे में हालही में को एक खबर प्रकाशित हुई है। खबर में दावा किया गया है कि रणजीत सिंहजी के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शिक्षक की बेटी से संबंध थे और उनका एक बेटा भी था। यह घटना करीब एक सदी पहले की है। नवांनगर में पैदा हुए रणजीत सिंह के नाम पर ही भारत में घरेलू क्रिकेट की सबसे बड़ी प्रतियोगिता रणजी ट्रॉफी खेली जाती है।
रणजी नाम से लोकप्रिय रणजीत सिंह का जन्म नवानगर में हुआ और वह 1907 में महाराजा जाम साहिब के रुप में यहां के महाराज बने। उन्हीं के नाम पर भारत में घरेलू टूर्नमेंट रणजी ट्रॉफी खेला जाता है।
‘द संडे टाइम्स’ के अनुसार रणजीत सिंह का कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के अपने टीचर की बेटी के साथ अफेयर था जिस मामले को दबा दिया गया। रणजीत सिंह ने जुलाई 1896 में इंग्लैंड की ओर से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्रिकेट में पदार्पण किया था और अपनी पहली पारी में ही 154 रन बनाए थे जो टीम के 305 रन के कुल स्कोर के आधे से भी ज्यादा थे।
इस सत्र के दौरान रणजी ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 2,780 रन बनाए और डब्ल्यूजी ग्रेस का रिकॉर्ड तोड़ा। समाचार पत्र के मुताबिक माना जाता है कि यह रिकॉर्ड तोडने के कुछ महीने के भीतर कैम्ब्रिज में रणजीत के टीचर रीवरेंड लुइस बोरीसो की बड़ी बेटी एडिथ बोरीसो ने उनके बेटे को जन्म दिया।
बर्थ सर्टिफिकेट के मुताबिक बोरीसो के बेटे बर्नार्ड किर्क का जन्म 22 मई 1897 को हुआ। प्रमाण पत्र में पिता के नाम का जिक्र नहीं है। बर्नार्ड को बाद में ब्रेडफोर्ड में जूता बनाने वाले पाल बियर्डमोर और उनकी पत्नी जेन ने गोद ले लिया और उन्हें इस परिवार का उपनाम मिला। बर्नार्ड ने बाद में वेल्डर और बॉयलर में काम करने वाले के रुप में ट्रेनिंग की।
उनके पोते ने बताया कि एडिथ ने बाद में अपने बेटे से मिलने के कई असफल प्रयास किए। बीस साल की उम्र में बर्नार्ड ने क्लेरिस ब्रेशा के साथ शादी की। 1976 में 79 की उम्र में उनका निधन हो गया। बर्नार्ड की पडपोती कैथरीन रिचर्डसन ने कहा, ‘मेरे पड़दादा के बारे में परिवार में कई सूचनाएं चलती आई हैं लेकिन हमें हमेशा यही बताया गया कि उनके पिता रणजीत थे। इसमें कोई संदेह नहीं है।’
इसका कोई सबूत नहीं है कि रणजी का बर्नार्ड के साथ कोई संपर्क था लेकिन टीम में रणजीत को शामिल करने के लिए लॉबिंग करने वाले उनके मित्र और इंग्लैंड के कप्तान लॉर्ड हॉक ने बर्नार्ड को कई पत्र लिखे और माना जाता है कि अप्रैल 1933 में 30 की उम्र में रणजीत की मौत के बारे में भी उन्हें बकाया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गत् 2 अक्तूबर को गांधी-शास्त्री जयंती के अवसर पर प्रतीकात्मक रूप से स्वयं अपने हाथों से झाड़ू लगाकर पूरे देश में स्वच्छता अभियान शुरु किए जाने की औपचारिक घोषणा की गई। देश के सभी सरकारी विभागों,शिक्षण संस्थाओं आदि को इस अभियान में भाग लेने का निर्देश दिया गया। इसमें कोई शक नहीं कि सफाई तथा स्वच्छ वातावरण स्वास्थय के लिए अत्यंत लाभप्रद है। सफाई किसी भी व्यक्ति को तमाम प्रकार की बीमारियों से मुक्त रखती है। परंतु क्या प्रतीकात्मक रूप से स्वच्छता अथवा सफाई अभियान की शुरुआत कर देने मात्र से अथवा मीडिया के माध्यम से इस अभियान के विषय में शोर-शराबा कर देने भर से अथवा केवल विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च कर इस अभियान की अनिवार्यता तथा इसके मकसद को घर-घर तक पहुंचाया जा सकता है? और यदि यह मान भी लिया जाए कि टीवी,रेडियो तथा अखबारों के प्रचार-प्रसार व विज्ञापनों के द्वारा इस अभियान को घर-घर तक पहुंचा भी दिया गया तो क्या इससे पूरा देश सफाई पसंद हो जाएगा? क्या इतनी सी कोशिशें करने मात्र से हमारे देश का आम नागरिक अपनी पारंपरिक जीवन शैली में परिवर्तन ला सकेगा?
पिछले दिनों स्वच्छता अभियान की जो तस्वीरें टीवी तथा अन्य प्रचार माध्यमों के द्वारा जारी की गईं उनमें प्राय: प्रधानमंत्री अथवा अन्य मंत्रियों को पार्कों में सूखे पत्ते साफ करते दिखाया गया था। गंदगी का कारण पेड़ों से नित्य टपकने वाले सूखे पत्ते नहीं होते। वह गंदगी जिससे बीमारी फैलने की प्रबल संभावनाएं बनी रहती हैं उसके लिए न सिर्फ हमारे समाज का वह बड़ा वर्ग जि़म्मेदार है जोकि अपने-आपको अस्वच्छता के वातावरण में रखने का आदी हो चुका है बल्कि सरकार भी गंदगी व बीमारी फेलने-फैलाने की कम दोषी नहीं है। उदाहरण के तौर पर देश की काफी बड़ी जनसंख्या खुले में शौच हेतु जाने की आदी है। क्या सडक़ का किनारा तो क्या रेलवे लाईन के किनारे,नदी,तालाब व गड्ढे के आसपास तथा झाडिय़ों के बीच छुपकर और शहरों में तो नालियों व नालों के किनारे बैठकर शौच से निपटना तो गोया आम बात हो गई है।
दिल्ली जैसे महानगर में तो सुबह-सुबह इतनी बड़ी संख्या में आम लोग रेलवे लाईन के किनारे तथा पटरियों पर बैठे होते हैं कि ट्रेन चालक को सिग्रल मिलने के बावजूद अपनी रेलगाड़ी अत्यंत सावधानी से चलानी पड़ती है। प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का असर इन गंदगी फैलाने वालों पर आखिर क्या पड़ सकता है? प्रधानमंत्री ऐसे लोगों के लिए आखिर सफाई संबंधी क्या संदेश दे सकते हैं? ऐसे लोग जो लगभग पूरे देश में खुले में शौच जाने के आदी हो चुके हैं उनकी इस जीवनशैली को आखिर कैसे बदला जा सकता है? यह कहना तो बहुत आसान है कि भारतवर्ष विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में जा रहा है अथवा हम दुनिया में ‘बड़े भाई’ की भूमिका निभाएंगे। परंतु सच्चाई तो यही है कि हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके घरों में शौचालय तक नहीं हैं। जबकि ऐसे लोगों की भी बहुत बड़ी संख्या है जिनके पास शैचालय तो क्या अपने सर छुपाने के लिए मकान तक नहीं हैं। ऐसे लोगों को हम स्वच्छता अभियान में आखिर कैसे शामिल कर सकते है? क्या सिर्फ पार्कों के सूखे पत्ते साफ करते हुए अपनी फोटो अखबारों में प्रकाशित करवा कर?
खुले मैदान में शौच हेतु जाने वालों में सभी लोग ऐसे नहीं जिनके पास शौचालय नहीं है। बल्कि जहां शौचालय न होने की मजबूरी के चलते बड़ी संख्या में लोग खुले मैदानों में बैठते हैं वहीं गांव में एक वर्ग ऐसा भी है जो संपन्न होने के बावजूद खुले मैदान में अथवा खेतों में शौच जाना ही बेहतर समझता है। ऐसे लोग अपने घरों में शौचालय तो ज़रूर बनवाते हें परंतु उनके शौचालय केवल महिलाओं के प्रयोग के लिए ही होते हैं। जबकि पुरुष वर्ग खेतों में ही जाता है। इस वर्ग के लोगों का मत है कि गंदगी को घरों में नहीं रखना चाहिए बल्कि इसे बाहर जाकर त्यागना चाहिए।
ऐसे विचार रखने वालों पर स्वच्छता अभियान के सरकारी प्रचार-प्रसार का आखिर क्या फर्क पड़ेगा? प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव पूर्व अपने भाषण में ठीक कहा था कि देवालय से अधिक ज़रूरी शौचालय हैं। यही बात उनसे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश द्वारा कही जा चुकी थी।यदि वास्तव में प्रधानमंत्री सफाई अभियान को ज़मीनी स्तर पर कारगर देखना चाहते हैं तथा इस अभियान को केवल थोथी लोकप्रियता हासिल करने का माध्यम मात्र नहीं बनाना चाहते हैं तो पूरे देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए शौचालय की व्यवस्था सरकार को हर हाल में करनी ही होगी।
जहां तक सुलभ शौचालय का प्रश्र है तो यह व्यवस्था उन लोगों के लिए तो किसी हद तक आरामदायक हो सकती है जो पैसे देकर शौच से निपटने की क्षमता रखते हैं। परंतु हमारे देश में प्रत्येक व्यक्ति इस योग्य भी नहीं है जो 2 या 5 रुपये देकर शौचालय जा सकेगा। लिहाज़ा सरकारी स्तर पर सभी के लिए इसका स्थायी,समुचित एवं कारगर प्रबंध किया जाना बेहद ज़रूरी है। और इन सब सुविधाओं के उपलब्ध हो जाने के बावजूद भी यदि घर की गंदगी को बाहर त्यागने जैसे विचार रखने वाले लोग बाहर ही जाते रहे तो उन्हें शिक्षित व संस्कारित करने हेतु बाकायदा ग्रामीण स्तर पर एक मुहिम चलाए जाने की ज़रूरत है। अखबार के विज्ञापन पढक़र व टीवी पर पार्कों से पत्ते साफ करते हुए प्रधानमंत्री व अन्य केंद्रीय मंत्रियों के चित्रों को देखकर यह वर्ग खुले मैदान में या खेतों में शौच जाने से कतई बाज़ नहीं आने वाला।
गंदगी का दूसरा मुख्य स्त्रोत हमारे देश में अधिकांश शहरों व कस्बों में नालों व नालियों में रुका हुआ गंदा पानी भी है। इस गंदगी को परवान चढ़ाने में तथा नालियों व नालों को जाम करने में हमारे समाज का बहुत अहम किरदार है। दरअसल नाली तो गंदे पानी की निकासी अथवा बरसाती पानी के आगे बढऩे के लिए ही बनाई जाती है। परंतु हमारे समाज का एक बड़ा तबका जो अपने अधिकारों की बातें करता तो अक्सर सुनाई देता है परंतु अपने कर्तव्यों से हमेशा ही मुंह मोड़े रखता है ऐसा वर्ग प्रतिदिन इन्हीं नालों व नालियों में पॉलीथिन,घरों का कूड़ा-करकट,पुराने जूते-चप्पल,फटे-पुराने कपड़े-लत्ते और इस प्रकार की अनेक वस्तुएं जोकि पानी में गलती नहीं हैं उन्हें नालों व नालियों में बेहिचक फेंक देता है। रही-सही कसर भैंसों व गायों की वह डेरियां पूरी कर देती हैं जो शहरी इलाकों में चलती हैं। ऐसे डेयरी मालिक अपने जानवरों का गोबर पाईप द्वारा पानी चलाकर नालियों में बहा देते हैं। परिणामस्वरूप यह गोबर नाली में जम जाता है और नाली जाम हो जाती है। नाले-नालियों का जाम होने का सीधा अर्थ है गंदे पानी का रुकना व ठहरना। और ऐसे पानी के ठहरने का मतलब है मच्छरों,मक्खियों तथा कीड़े-मकौड़े की परवरिश का प्रबंध करना। और यही स्थिति नाना प्रकार की बीमारियों तथा दुर्गंध फैलने का मुख्य कारण भी है। आखिर कैसे निपटेगी मोदी सरकार इन समस्याओं से? क्या पार्कों में सूखे पत्ते झाडक़र उपरोक्त समस्याओं से भी निजात मिल पाएगी? जी नहीं। यहां भी हमें अपने समाज को ही समझाने,सिखाने,पढ़ाने तथा उन्हीें के द्वारा फैलाई जा रही गंदगी व इसके परिणामस्वरूप फैलने वाली बीमारियों के विषय में प्रेमपूर्वक अवगत कराने की ज़रूरत है। गोया यहां भी हमें अपने भारतीय समाज को ही संस्कारित करना होगा।
बिहार के मुख्यमंत्री होते हुए लालू प्रसाद यादव ने भी सफाई हेतु लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता महसूस की थी। निश्चित रूप से इस दिशा में उनके द्वारा छेड़ा गया नहलाओ-धुलाओ अभियान अत्यंत कारगर व परिणामदायक अभियान था। वह केवल प्रतीकात्मक नहीं था। बल्कि इस अभियान की शैली आम लोगों को संस्कारित भी करती थी। निश्चित रूप से जिन-जिन जगहों पर यह अभियान चलाया गया होगा वहां के लोग संभवत: आज भी कम से कम अपने शरीर को तो साफ-सुथरा ज़रूर रखते होंगे। इस अभियान के अंतर्गत् सरकारी अधिकारी ऐसे गांवों में जाते थे जहां के लोग गंदगी के वातावरण में रहते थे। इस प्रकार के घरों के बच्चों तथा युवाओं को अधिकारीगण स्वयं नहलाते-धुलाते थे, उन्हें सफाई का महत्व बताते थे तथा उनको एक तौलिया,साबुन तथा सिर पर लगाने वाला तेल आदि सामग्री उपहार स्वरूप भेंट करते थे। लालू यादव ने अपने इस अभियान को किसी गांधी जयंती तथा नेहरू-इंदिरा जयंती के अवसर पर दिखावा स्वरूप करने जैसा कोई काम नहीं किया था बल्कि इसे सरकारी तौर पर एक अभियान के रूप में शामिल किया था।
बिहार,उत्तरप्रदेश,मध्यप्रदेश तथा उड़ीसा व बंगाल जैसे राज्यों में अभी भी एक बड़ा वर्ग ऐसा है तो गर्मियों में भी प्रतिदिन स्नान करने से कतराता है। पान खाकर सडक़ों पर जगह-जगह थूकना,कहीं भी खड़े होकर पेशाब करने लग जाना,चलते-फिरते कुछ खाकर अपने हाथों के कागज़ व रैपर आदि को सडक़ पर फेंक देना,केले खाकर उनके छिलके कहीं भी फेंकना, मूंगफली खाकर ट्रेन,बसों,पार्क व सडक़ों पर उनके छिलके फेंकते रहना,बीड़ी-सिगरेट जहां चाहना वहीं पीना और उसके टुकड़े जगह-जगह फेंकना,पान मसाला,गुटका आदि खाकर उसके रैपर हर जगह फेंकना,अपने पालतू कुत्तों को दूसरों के दरवाज़ो पर लेजाकर बीच सडक़ पर शौच कराना जैसी अनेक बातें हमारे समाज के एक बड़े वर्ग के लोगों की रग-रग में बस चुकी हैं। और यह आदतें प्रधानमंत्री को पार्क में सूखे पत्ते साफ करते हुए देखकर हरगिज़ नहीं जाने वाली। बल्कि यदि हमें वास्तव में पूरे भारत को स्वच्छ भारत बनाना है तो दिखावे की स्वच्छता अभियान मुहिम चलाने की नहीं बल्कि अपने समाज को स्वच्छता हेतु संस्कारित करने की ज़रूरत है।
जेनेवा [ TNN ] विश्व व्यापार संगठन(डब्ल्यूटीओ) में भारत को अमरीका से हार झेलनी पड़ी। भारत ने अमरीका के चिकन को आयात करने से मना कर दिया था और कहा था कि अमरीकन चिकन और अन्य कृषि उत्पादों से बर्ड फ्लू का खतरा पैदा हो सकता है। हालांकि भारत इस खतरे का प्रमाणित नहीं कर पाया था।
इसके बाद अमरीका इस मामले को मार्च 2012 में डब्ल्यूटीओ में ले गया था। भारत ने दावा किया कि आयात पर प्रतिबंध जानवरों के स्वास्थ्य के आधार पर अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप हैं लेकिन डब्ल्यूटीओ पैनल ने अमरीका से सहमति जताई और भारत के मापदंडों को अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड के परे बताते हुए भेदभाव पूर्ण बताया। इस फैसले के बाद अमरीकी कृषि उत्पादों के लिए 300 मिलियन डॉलर का बाजार खुल गया है।
हालांकि भारत इस मामले में अभी अपील कर सकता है। व्यापार मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार फैसले का अध्ययन करेगी और इसके बाद पशुपालन विभाग से उसकी राय जानने के बाद अपील के फैसले पर निर्णय लेगा। डब्ल्यूटीओ के फैसले के बाद अमरीका अपने पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात बढ़ा सकता है लेकिन यदि अमरीकी निर्यातक कम कीमत पर बेचते है तो भारत एंटी-डंपिंग डयूटी के जरिए अमरीकी निर्यात पर रोक लगा सकता है।
नई दिल्ली [ TNN ] पनडुब्बी हादसे के बाद अपने पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर जमकर बरसे। जोशी ने कहाकि नौसेना में निष्क्रियता और अक्षमता का माहौल था जिसके कारण उन्होंने इस्तीफा दिया और जिस तरह से यूपीए सरकार ने मेरा इस्तीफा स्वीकार किया मैं उससे आश्चर्यचकित था। जोशी ने इस साल 26 फरवरी को नौसेना की पनडुब्बियों में हादसों के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था।
आठ महीने बाद अपनी खामोशी तोड़ते हुए जोशी ने एक टीवी चैनल को बताया कि, संचालन पूरी तरह से निष्क्रिय था और मुझे लगता है कि प्रमुख होने के नाते मेरा काम सिर्फ टीवी पर अच्छा दिखना या गणतंत्र दिवस पर सलामी लेना भर नहीं है। लोग आपसे कहते हैं कि आप अपनी यूनिफॉर्म में काफी स्मार्ट लगते हैं लेकिन सचाई है कि पनडुब्बियों के आपको बैटरियां नहीं मिलती और मेरे लिए ऎसी स्थिति में काम करना मुश्किल था।
उन्होंने तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी द्वारा उनके इस्तीफे को मंजूर करने में दिखाई गई जल्दबाजी पर भी आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा, जिस रफ्तार से मेरा इस्तीफा मंजूर हुआ उस पर मुझे कुछ नहीं कहना। मैंने अपने पत्र में लिखा था कि, यह शीघ्रता से मान लिया जाए। उससे कोई परेशानी नहीं है लेकिन दो घंटे के भीतर इसे मंजूर कर लिया गया जिससे मैं चकित रह गया कि किसी पर इसकी जिम्मेदारी डालने की कितनी जल्दी थी। मुझे लगता है कि ये जल्दबाजी इसलिए थी कि उन्हें लगा कि शायद मैं अपने फैसले से पीछे हट सकता हूं।
उन्होंने कहा, जहां सत्ता है वहां जवाबदेही नहीं और जहां जिम्मेदारी है वहां सत्ता नहीं है। जोशी ने कहाकि, पेशेवर प्रतिस्पर्धा, जिम्मेदारी, जवाबदेही और शक्ति ये सभी अलग-अलग जगहों पर विद्यमान है। जहां पेशेवर प्रतिस्पर्धा, जिम्मेदारी, जवाबदेही सेवा में मौजूद है लेकिन सत्ता के साथ ऎसा नहीं है और सत्ता से मेरा मतलब किसी चीज को मंजूरी देने की शक्ति है। उन्होंने उदाहरण दिया कि पनडुब्बियों की बैटरियां बदलने का काम देश में किया जा सकता है लेकिन सेना के पास इसका अधिकार नहीं। साथ ही उन्होंने इशारा किया कि इस मसले का सरकार के सामने कई बार उठाया गया। पूर्व नौसेना प्रमुख ने बताया कि, जो लोग मुझे जानते हैं वे बताएंगे कि मेरा ऎसा आदमी नहीं हूं जो उच्च अधिकारियों के पास एक बार शिकायत करने के बाद चुप हो जाए।
चंडीगढ़ [ TNN ] हरियाणा के मतदाताओं को पिछले 10 सालों से चला आ रहा कांग्रेस शासित भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नेतृत्व पसंद है या वे नई सरकार चाहते हैं, तय करने के लिए बुधवार को मतदान होगा। पहली नवंबर 1966 में हुए गठन के बाद से अब तक हरियाणा में पहली बार ज्यादा कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। बीजेपी जो अब तक राज्य में कमजोर स्थिति में थी, चंद दिनों में सारे राजनीतिक सिद्धांतों को झूठा साबित करते हुए ताकतवर राजनीतिक दल बन कर सामने खड़ी हुई है।
बीजेपी के ताकतवर बनने की वजह बने हैं प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी। जिन्होंने खुद भी लोकसभा चुनाव में पूरा देश घूमकर रिकार्ड सीटें जीतीं और पहली बार केंद्र में बीजेपी बहुमत वाली सरकार बनाई है। 2005 से राज्य की सत्ता पर काबिज कांग्रेस इस बार विरोधियों से कड़ी टक्कर झेल रही है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डा. अशोक तंवर के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता बचाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। उधर, चौटाला परिवार की इंडियन नेशनल लोकदल ताकत बढ़ी हुई महसूस कर रही है और बीजेपी व कांग्रेस दोनों को कड़ी चुनौती दे रही है।
हरियाणा में 90 विधानसभा सीटें हैं। 90 में से 73 विधानसभा सीटें सामान्य वर्ग की और 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। चुनाव मैदान में कुल 1351 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें 109 महिलाएं हैं। 603 उम्मीदवार स्वतंत्र उम्मीदवार हैं। राज्य में 16 हजार 357 पोलिंग बूथ हैं। एक करोड़ 63 लाख 18 हजार 577 रजिस्टर्ड मतदाता हैं। इनमें से 87 लाख 37 हजार 116 पुरुष और 74 लाख 79 हजार 439 महिलाएं हैं।
कांग्रेस और बीजेपी सभी 90 सीटों पर लड़ रही हैं जबकि इनेलो ने 88 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। बसपा 87 तो हरियाणा जनहित कांग्रेस 65 सीटों पर दांव खेल रही है। सीपीआई और सीपीएम के उम्मीदवार क्रमश: 14 व 17 सीटों पर किस्मत आजमा रहे हैं। राज्य में नारनौल विधानसभा सीट में सबसे कम एक लाख 26 हजार 804 वोटर हैं जबकि बादशाहपुर में सबसे ज्यादा 3 लाख 16 हजार 567 वोटर हैं।
कौन क्या कह रहा वोटें लेने को: कांग्रेस को शराफत व विकास पर भरोसा: भूपेंद्र सिंह हुड्डा दावा कर रहे हैं कि उनके नेतृत्व में हरियाणा ने बहुत ज्यादा विकास देखा है। वह दस साल की उपलब्धियों खासकर विकास के दम पर पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व करते रहे हैं। उन्हीं की बोली कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गंाधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी बोलते आए हैं। पार्टी केंद्र में महंगाई के मुद्दे को उठा रही है और ओमप्रकाश चौटाला के शासन में हुए भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद को लेकर हमले कर रही है।
इनेलो को जाट और सहानुभूति वोटों की उम्मीद: इनेलो जेल में बैठे पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला व अजय सिंह चौटाला के पक्ष में सहानुभूति की लहर पर सवार और करो या मरो की लड़ाई लड़ रही है। उसने जीत के अवसर बढ़ाने की अपनी ललक के चलते कई दलबदलू उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। पार्टी पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के नाम पर भी वोट मांगने से भी पीछे नहीं रही जिनकी 100वीं जयंती पर 25 सितंबर को जींद में विशाल रैली कर पार्टी की स्थिति मजबूत करने की कोशिश की गई। हरियाणा की तकरीबन 25 फीसदी जनसंख्या जाट है और इनेलो जाट वोटें अधिकतर अपने पक्ष में मिलने की उम्मीद लगाए है।
बीजेपी नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार: बीजेपी राज्य में पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार और मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के खिलाफ लोगों के गुस्से के भरोसे पर निर्भर है। बीजेपी ने हुड्डा सरकार के 10 सालों का कुशासन करार दिया है। मोदी पूरे राज्य भर में जबर्दस्त कैंपेन चला हुड्डा व चौटाला सहित हजकां को लेकर वंशवाद की राजनीति पर हमला कर रहे हैं। इनेलो के बाहुबली नेता भी मोदी के निशाने पर रहे हैं ताकि गैर जाट ज्यादातर वोटों को बीजेपी के पक्ष में लाया जा सके। यह बात अलग है कि बीजेपी के पास अब तक राज्य में संगठन खास मजबूत नहीं रहा और चुनाव में उतारे उम्मीदवारों में कई दलबदलू भी हैं।
अब की बार ये हैं महत्वपूर्ण उम्मीदवार- कांग्रेस भूपेंद्र सिंह हुड्डा- गढ़ी सांपला- किलोई कुलदीप शर्मा- गन्नौर सावित्री जिंदल- हिसार रणदीप सिंह सुरजेवाला- कैथल संपत सिंह-नालवा कैप्टन अजय यादव- रेवाड़ी किरण चौधरी- तोशाम गीता भुक्कल- झज्जर महत्वपूर्ण उम्मीदवार -इनेलो अभय सिंह चौटाला- ऐलनाबाद नैना सिंह चौटाला- डबवाली दुष्यंत सिंह चौटाला- उचाना कलां प्रेम लता उचाना कलां अशोक अरोड़ा- थानेसर महत्वपूर्ण उम्मीदवार- बीजेपी कैप्टन अभिमन्यु- नारनौंद रामबिलास शर्मा- महेंद्रगढ़ वंदना शर्मा- सफीदों महत्वपूर्ण उम्मीदवार- अन्य दल कुलदीप बिश्नोई -आदमपुर (हरियाणा जनहित कांग्रेस) चंद्रमोहन- नलवा (हरियाणा जनहित कांग्रेस) रेणुका बिश्नोई- हांसी (हरियाणा जनहित कांग्रेस) गोपाल कांडा -सिरसा (एचएलपी) विनोद शर्मा- अंबाला सिटी (हरियाणा जनहित कांग्रेस)
Khandwa [ TNN ] Noted lyricist Sameer on 13 October 2014 was honoured with the National Kishore Kumar Award for 2012-13. He was awarded during a function at the legendary singer’s birth place Khandwa in Madhya Pradesh.
The award was handed over to Sameer by Madhya Pradesh Food and Civil Supplies Minister Kunwar Vijay Shah.
The Jury that selected Sameer for the award included noted writer Saleem Khan, actor director Satish Kaushik, noted playback singer Anuradha Paudwal, lyricist Ibrahim Ashk and film critique Jaiprakash Choukse.
मेरठ [ TNN ] यहां एक युवती से गैंगरेप और जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में नया मोड़ आ गया है। पीड़ित लड़की ने कहा है कि उसका न तो गैंगरेप हुआ और न ही धर्म परिवर्तन कराया गया। लड़की ने यह भी आरोप लगाया कि उसे अपने ही परिवार से जान का खतरा है। लड़की का कहना है कि नेताओं ने परिवार वालों को पैसे देने बंद कर दिए, जिस वजह से वे अब उसके साथ मारपीट कर रहे हैं। पीड़ित युवती ने बीजेपी के नेता विनीत अग्रवाल पर उसके घरवालों को पैसे देने का आरोप लगाया है।
पीड़ित युवती का कहना है कि 7 अगस्त को विनीत अग्रवाल ने 25 हजार रुपए दिए थे और आगे भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। पुलिस को दी लिखित शिकायत में युवती ने कहा कि उसके परिजन उसे लगातार परेशान कर रहे हैं। यदि वह थाने नहीं पहुंचती तो उसे मार दिया जाता। पुलिस ने युवती को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे नारी निकेतन भेज दिया गया है।
यहां है पूरा मामला यहां के थाना खरखौदा क्षेत्र के गांव सरावा की एक हिंदू लड़की ने आरोप लगाया था कि 30 जुलाई को गांव के ही प्रधान और हाफिज नाम के शख्स ने अपने साथियों के साथ मिलकर हापुड़ से उसका अपहरण कर लिया था। इसके बाद आरोपियों ने उसके साथ गैंगरेप किया और जबरन धर्म परिवर्तन कराया। युवती ने तीन अगस्त को इस संबंध में अपने परिजनों को आरोपियों के चुंगल से छूटकर आने की बात कहते हुए यह जानकारी दी थी।
अपहरण की जानकारी मिलने के बाद पीड़िता के परिजनों ने थाना खरखौदा में आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। धर्म परिवर्तन और गैंगरेप का मामला सामने आने पर मामले ने तूल पकड़ लिया था। युवती के बयान के आधार पर पुलिस ने जांच-पड़ताल की थी। इस मामले में ग्राम प्रधान और आरोपी हाफिज सन्नाउल्ला सहित 10 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। गिरफ्तार आरोपियों में दो महिलाएं भी शामिल थीं, जो अभी जेल में बंद हैं। ऐसे में, रविवार को युवती द्वारा अपने परिजनों पर जान से मारने का आरोप लगाए जाने से इस घटनाक्रम में नया मोड़ आ गया है।
यह मामला सामने आने के बाद पुलिस-प्रशासन ने दो सांप्रदायों से जुड़ा मामला होने चलते पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा के लिए दो सशस्त्र सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराए थे। यह दोनों सुरक्षाकर्मी पीड़िता और परिवार की सुरक्षा के चलते गांव में ही रहते थे। बताया गया कि पीड़िता और उसके परिजनों ने शनिवार को लिखित में सूचना देकर उन दोनों सुरक्षाकर्मियों को वापस भेज दिया था।
रविवार को परिवार और पीड़िता की सुरक्षा में कोई सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था। इसी का फायदा उठाकर पीड़िता घर से मेरठ चली आई। दूसरी ओर, इस ताजा घटनाक्रम के बाद एसएसपी के निर्देश पर पीड़िता के घर पर फिर से दो सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए हैं।
भोपाल [ TNN ] मध्यप्रदेश देश में सबसे पहले रक्षा संयंत्र उत्पाद निवेश नीति बनाने वाला पहला राज्य बन गया है। उल्लेखनीय है कि भारत शासन द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों को निजी क्षेत्र के साथ संयुक्त रूप से रक्षा उत्पाद इकाइयाँ स्थापित करने की गाईड-लाइन तैयार की गई है। रक्षा उत्पादन क्षेत्र में निवेश की प्रबल संभावनाओं को देखते हुए राज्य शासन द्वारा निवेश प्रोत्साहन के लिये 500 करोड़ या इससे अधिक निवेश करने वाली रक्षा उत्पाद निर्माण ईकाइयों को सुविधाएँ प्रदान करने के लिये रक्षा संयंत्र उत्पाद निवेश नीति तैयार की है।
प्रदेश की रक्षा संयंत्र उत्पाद निवेश नीति में रक्षा उत्पाद निर्माता ईकाइयों को प्राथमिकता के आधार पर भूमि का आवंटन होगा। कलेक्टर द्वारा 50 एकड़ तक अविकसित शासकीय भूमि, गाइड-लाइन में असिंचित कृषि भूमि की दर से 25 प्रतिशत के मूल्य पर उपलब्ध करवाई जाएगी। विकसित क्षेत्र में प्रचलित प्रब्याजी पर 75 प्रतिशत की छूट दी जायेगी। इसके अतिरिक्त रक्षा उत्पाद निर्माता ईकाइयों की वेंडर यूनिट को सब-लीज पर भूमि उपलब्ध करवाई जायेगी। वेंडर यूनिट, जिनका 75 प्रतिशत उत्पाद मदर यूनिट द्वारा क्रय किया जाता है, ऐसे यूनिट को मदर यूनिट जैसी वित्तीय सुविधा का प्रावधान होगा। बंद, बीमार एवं अधिग्रहीत औद्योगिक ईकाइयों को खरीद कर रक्षा उत्पाद निर्माण इकाइयाँ स्थापित करने पर लीज हस्तांतरण पर लगने वाली स्टॉप ड्यूटी की प्रतिपूर्ति की जायेगी।
नीति के तहत विशेष अनुदान रक्षा संयंत्र उत्पाद निवेश नीति में रक्षा उत्पाद निर्माता ईकाइयों को अविकसित भूमि पर बिजली, पानी और सड़क अधोसंरचना के निर्माण पर व्यय का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। रुपये 500 करोड़ के स्थाई पूँजी निवेश वाली रक्षा उत्पाद परियोजनाओं की प्रवेश-कर, निवेश संवर्धन सहायता योजना और विद्युत शुल्क में निर्धारित अवधि से दो वर्ष की छूट की सुविधा होगी। मशीनों तथा अन्य सामान के इम्पोर्ट करने पर बंदरगाह से उद्योग-स्थल तक परिवहन पर व्यय का 50 प्रतिशत या अधिकतम 2 करोड़ रुपये तक अनुदान दिया जायेगा।
नीति के जरिये 1000 करोड़ या उससे अधिक की परियोजनाओं को 100 एकड़ तक भूमि रियायती दर पर उपलब्ध करवाई जायेगी। सड़क तथा विद्युत अधोसंरचना शासन द्वारा निर्मित कर उपलब्ध करवाई जायेगी। इसके अतिरिक्त रक्षा मंत्रालय की ईकाइयों के साथ संयुक्त क्षेत्र में स्थापित की जाने वाली ईकाइयों की रजिस्ट्री आदि पर स्टाम्प ड्यूटी एवं पंजीयन शुल्क की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जायेगी।
कैथल [ TNN ] हिंदूस्तान की पहली मुस्लिम शासिका रजिया बेगम की पुण्य तिथि आज लघु सचिवालय स्थित सभागार में मनाई गई। अपने शासन काल में हिंदू साहित्य और दर्शन को बढ़ावा देने के नायाब काम को अंजाम देने वाली रजिया सुल्तान के चित्र पर उपायुक्त श्री एन.के.सोलंकी सहित पुलिस अधीक्षक श्री कुलदीप सिंह यादव, अतिरिक्त उपायुक्त श्री अरविंद मल्हान, एसडीएम श्री नरहरि सिंह बांगड़, कलायत के एसडीएम श्री अश्वनी मैंगी व नगराधीश डा. पूजा भारती सहित सभी अधिकारियों व कर्मचारियों ने माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उपायुक्त ने भारत की पहली मुस्लिम शासिका के जीवन दर्शन को आज के संदर्भ से जोड़ते हुए कहा कि 12वीं शताब्दी में पैदा हुई रजिया के पिता अल्तमश ने उस जमाने जब लड़कियां पर्दानशी रहा करती थी, बेटी के जन्म को न केवल एक उत्सव के रूप में मनाया था, बल्कि रजिया को पर्दे में न रखकर उसे शासकीय तालीम भी उन्हें स्वयं रजिया के 12 साल की उम्र में दे दी थी। उन्होंने कहा कि रजिया सुल्तान और उनके पति मलिक इ तारूद्दीन अल्तुनिया की इसी नगर में आज के दिन कैथल में ही हत्या हुई थी। रजिया सुल्तान की कब्र यहां विद्यमान है, लेकिन वक्त के थपेड़ों और अनभिज्ञता के कारण ये जर्जर हालत में है। अब इसे सहेजने की प्रक्रिया ग्राम पंचायत के सहयोग से शुरू की गई है। संभवत: इस कब्र को फिर से मूल स्वरूप में लाकर लोगों के आकर्षण का केंद्र इसे बनाया जाएगा। श्री सोलंकी ने कहा कि रजिया सल्तनत काल की महान शासक थी, अल्तमश ने अपनी इस बेटी की काबलियत पर विश्वास करते हुए इसे अपनी उत्तराधिकारणी घोषित कर गद्दी पर बिठाया था।
रजिया पहली खातून थी, जो दिल्ली की राजगद्दी पर बैठी। उसके शासन संभालने के पश्चात तुर्क के अमीर रजिया के विरोध में खड़े हुए और उन्होंने इसके भाई मोहीनुद्दीन बहरामशाह को गद्दी पर बैठा दिया। इस दौरान बठिंडा के गवर्नर अल्तुनिया से रजिया का निकाह हुआ और दोनों दिल्ली की गद्दी हासिल करने के लिए दिल्ली की ओर कूच कर गए। बहरामखां ने उसे रास्ते में ही रोककर समाप्त करने के लिए पंजाब की ओर सेना भेजी। दोनों और की सेनाओं की बीच कैथल में युद्ध हुआ और इसी युद्ध में रजिया और अल्तुनिया मारे गए। रवायत के अनुसार रजिया को इसी स्थान पर दफना दिया था, जिनकी कब्र के निशान अब भी काफी है, जिसे संवारा जाना है। उपमंडलाधीश श्री नर हरि सिंह बांगड़ ने इस मौके पर मौजूद अधिकारियों व कर्मचारियों को अतीत के झरोखों से जोड़ते हुए कैथल की ऐतिहासिक व धार्मिक पृष्ठभूमि से जोड़ा।
उन्होंने कहा कि राजा हर्षवर्धन के समय कैथल का वैभव चरम पर था और यहां चीनी यात्रियों हयूांगसांग व फाह्यान ने यात्राएं की कलांतर में यहां चंदेलों, खिलजियों, तुगलकों, बलुचों व अफगानों का शासन रहा। प्रसिद्ध आक्रमणकारी मंगोलचंगेजखां आक्रमण करते हुए भारत आया और उस समय अनेक मंगोल भारत में बसे और इसी काल में अनेक सैयद भी कैथल में आकर बस गए और शीघ्र ही यह स्थल विद्यवानों और सलाहकारों का केंद्र बन गया। उन्होंने रजिया सुल्तान के यहां हत्या होने की घटना को कैथल के इतिहास से जोड़ते हुए उनसे जुड़े कई संस्मरण सांझा किए तथा उन्होंने इस पौराणिक शहर की धार्मिक महत्वता पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि धर्म क्षेत्र कुरूक्षेत्र 48 कोस की परिधि के केंद्र रहे कैथल में अनेकों महाभारतकालीन धार्मिक स्थल हैं, यह कुरूक्षेत्र का मु य हिस्सा है, जहां आज से 5100 वर्ष पूर्व योगीराज कृष्ण ने गीता का अमर संदेश मानव जाति के नाम प्रतिपादित किया था। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
संयुक्त राष्ट्र [ TNN ] कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र ने गहरा झटका दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कश्मीर मुद्दे में दखल देने से इनकार कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इस भारत और पाकिस्तान अपने मतभेदों का निपटारा बातचीत के जरिए ही करें। पाक पीएम नवाज शरीफ के सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज ने यूएन को पत्र लिखकर कश्मीर मुद्दे पर दखल मांगी थी। हालही मे सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव की तरफ यूएन के महासचिव बान की मून का ध्यान दिलाते हुए कश्मीर मुद्दे में उनकी दखल की मांग की थी। पाकिस्तान इसके माध्यम से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश में आगे बढ़ रहा था।
संयुक्त राष्ट्र को लिखे पत्र में अजीज ने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि कश्मीर मुद्दे का शांतिपूर्ण हल निकालने के उद्देश्य को बढ़ावा देने में संयुक्त राष्ट्र और उसके “कार्यालय” की एक अहम भूमिका है। बान के उपप्रवक्ता फरहान हक से सोमवार को जब बान से हस्तक्षेप की अपील करने वाले इस पत्र और इस मुद्दे पर उनके नजरिए के बारे में पूछा गया तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वे पिछले सप्ताह बान के प्रवक्ता द्वारा जारी किए गए बयान का संदर्भ देंगे। उस बयान में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने भारत और पाकिस्तान से कहा था कि उन्हें कश्मीर में दीर्घकालिक शांति एवं स्थिरता कायम करने के लिए अपने सभी मतभेदों को वार्ता के जरिए सुलझाना चाहिए।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के राष्ट्रीय सुरक्षा व विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून से शनिवार को कहा कि नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हालात बदतर होते जा रहे हैं और कहा है कि भारत द्वारा उकसावे की कार्रवाई की जा रही है! भारत लगातार फायरिंग कर रहा है जिससे निर्दोष आम नागरिक मारे जा रहे हैं!
अजीज ने बान की मून को राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में लंबित कश्मीर में जनमत संग्रह की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश की और कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के ‘आत्मनिर्णय’ के लिए एक जनमत संग्रह कराया जाए! यह वादा वैध बना हुआ है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया है! उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बातचीत के जरिए इस मुद्दे के समाधान के लिए तैयार है!
लखनऊ [ TNN ] अखिलेश सरकार ने कामधेनु डेयरी योजना के साथ ही ग्रामीण जनता के हित में मिनी कामधेनु डेयरी योजना भी प्रदेश के समस्त जनपदों मे लागू की है। लाभार्थी 50 गाय अथवा 50 भैंसों की मिनी कामधेनु डेयरी योजना के अन्र्तगत दुधारू पशुओं को पाल सकेंगे। यह योजना भी ब्याज रहित ऋण से संचालित की जायेगी। 12 प्रतिशत ब्याज की दर से पशुपालन विभाग द्वारा 5 वर्षों तक ब्याज की प्रतिपूर्ति की जायेगी।
इसमें भी लाभार्थी को 25 प्रतिशत स्वयं धनराशि लगानी होगी। 75 प्रतिशत धनराशि बैंक द्वारा ऋण स्वीकृत किया जायेगा। लाभार्थियों का चयन भी जिला स्तर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित चयन समिति द्वारा किया जायेगा। चयनित लाभार्थी डेरी की स्थापना हेतु पशुओं का क्रय समिति के सहयोग से वाहय प्रदेश से करेंगे। इसके अन्तर्गत भी लाभार्थी द्वारा बायोगैंस प्लाण्ट तथा ग्राईन्डर फीड मिक्स प्लाण्ट की स्थापना की जायेगी।
मिनी कामधेनु डेयरी इकाईयों की स्थापना 50 गाय अथवा 50 भैंसो की यूनिटों की स्थापना अब तक 2500 मिनी कामधेनु डेरियों की स्थापना के लक्ष्य के सापेक्ष अगस्त माह तक 5387 आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं। इसमें 2116 लाभार्थियों का चयन किया जा चुका है। इसमें से 2046 लाभार्थियों के आवेदन पत्र ऋण स्वीकृत हेतु बैंको को प्रेषित किये गये हैं। 197 व्यक्तियों को ऋण स्वीकृत हो चुका हैं। 197 मिनी डेरियों की स्थापना हेतु शासन द्वारा सक्रियता से कार्रवाई की जा रही है। मिनी कामधेनु डेयरी की स्थापना के इच्छुक लाभार्थी विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित जिले के सी0डी0ओ0 एवं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, जिला दुग्ध विकास अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं।
दुबई [ TNN ] अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद्(आईसीसी) ने क्रिकेट में नए नियमों को हरी झंडी दे दी है। अब अगर आप अगर भारत-वेस्ट इंडीज के बीच वनडे के दौरान मैदान में मौजूद अंपायर किसी निर्णय को थर्ड अंपायर के पास रैफर करने से पहले अपनी अंगुली को सीने के पास रखे तो चौंकिएगा मत। दरअसल आईसीसी के एक अक्टूबर से लागू नए नियमों के तहत अंपायरों द्वारा हाथ से दिखाए जाने वाले संकेतों के कुछ नए तरीके लागू किए हैं, जिससे दर्शकों को उन्हें समझने में आसानी हो।
नए नियम के मुताबिक अगर फील्ड में मौजूद अंपायर को लगता है कि बल्लेबाज आउट है, लेकिन वह थर्ड अंपायर को यह निर्णय रैफर करता है तो अंपायर को इसका संकेत करना होगा। टीवी अंपायर को निर्णय रैफर करने से पहले अगर मैदान पर मौजूद अंपायर को लगता है कि बल्लेबाज आउट है तो उसे अपनी अंगुली को सीने के पास लगाकर इशारा करना होगा। इसी तरह अगर उसे लगता है कि बल्लेबाज नॉट आउट है तो दोनों हाथों को एक-दूसरे को क्रॉस करके नॉट आउट का सिग्नल देना होगा।
अब तक फील्ड अंपायर टीवी अंपायर की राय जानने के लिए वॉकी-टॉकी का सहारा लेते थे और दर्शकों को टीवी अंपायर के निर्णय के लिए ग्रीन या रेड लाइट के जलने का इंतजार करना पड़ता था। लेकिन नए नियमों से उन्हें टीवी अंपायर के पास जाने के पहले ही पता चल जाएगा कि फील्ड अंपायर क्या सोचता है।
नए नियम के मुताबिक फील्ड अंपायर रन आउट, स्टंपिंग, हिट विकेट, संदिग्ध कैच और बंप कैच की स्थिति में टीवी अंपायर की मदद ले सकता है। इसके मुताबिक बंप कैप, संदिग्ध कैच या किसी फील्डर द्वारा बाधा पहुंचाए जाने के मामले में मैदानी अंपायर टीवी अंपायर की मदद ले सकता है। इसके लिए उसे टीवी स्क्रीन का साइन बनाना होगा जो वह रन आउट और स्टंपिंग के निर्णयों को रैफर करने के लिए करता है। मैदानी अंपायर के निर्णय की समीक्षा करते हुए टीवी अंपायर पहले गेंद की वैधता और नो बॉल की जांच करेगा।
भोपाल [ TNN ] पत्रकारों पर झूठे प्रकरण तो दर्ज होना आम बात है, परन्तु अब पत्रकार समाचार लेने अथवा कवरेज के लिये जाता है तो उसकी पिटाई, कैमरा व मोबाईल तोडऩे की घटनाएं भी होने लगी है। पुलिसकर्मी गृह विभाग (पुलिस) के 6 जनवरी 2010 के आदेशों की धज्जियां उड़ा रही है। उन आदेशों का पालन कराने की जवाबदारी जिले के कप्तान पर होती है, परन्तु कप्तान भी पत्रकारों के मामले में चुप्पी साधे रहते है जिससे टी.आई. मनमानी करते है। तब निचला पुलिस अधिकारी, कर्मचारी भी मन के मालिक हो गये हंै। अधिकारी, कर्मचारियों पर अंकुश लगाने के लिये प्रदेश के पत्रकारों को एक जुट होकर मुकाबला करना होगा।
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने बताया कि पिछले दिनों लटेरी (विदिशा), नरसिंहपुर, देवरी (सागर), पीथमपुर (इंदौर), पचमढ़ी (होशंगाबाद), इटारसी (होशंगाबाद), नसरूल्लागंज (सीहोर), हिण्डोरिया (दमोह), सावेंर (देवास) सहित ग्रामीण अंचलों में और भी घटनाएं हुई है। पत्रकारों के साथ हो रही पुलिस ज्यादती, अधिकारियों द्वारा झूठे प्रकरण दर्ज कराना यह इंगित करता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री बाबूलाल गौर के साथ कोई बड़ा षडय़ंत्र रचा जा रहा है। गृह विभाग के आदेशों में जनसम्पर्क विभाग के आयुक्त पर भी जवाबदारी दी गई है। उन्हें भी पत्रकारों के प्रकरणों को देखने में रुची नहीं है।
देवरी के प्रकरण में भाजपा, कांग्रेस के नेताओं ने पत्रकार का साथ दिया, सांवेर के मामले में विधायक राजेश सोनकर ने रुचि ली तब जाकर दो पुलिसकर्मी का तबादला कर दिया। पत्रकार की पिटाई एफआईआर दर्ज होने के स्थान पर तबादला, यह कौन सा न्याय हुआ। शारदा ने कहा कि पूर्व डी.जी.पी. नंदन दुबे को कई मामले दिये। तत्काल कार्यवाही एवं सीआईडी जांच के आदेश हुये परन्तु आदेश पहुंचने में इतनी देर हो गई कि पत्रकार को कोर्ट से जमानत करनी पड़ी। शारदा ने प्रदेश के विशेष रूप से जिले एवं ग्रामीण अंचल के पत्रकारों से आग्रह किया है कि यदि उनके संज्ञान में किसी पत्रकार पर हुई झूठी शिकायत का मामला आता है तो अवश्य भेंजे। जिससे उनके मामले को उच्च स्तर पर उठाया जाकर न्याय दिलाया जा सके।
नई दिल्ली [ TNN ] जम्मू-कश्मीर में सीमा पर पाकिस्तान सैनिकों द्वारा लगातार किए जा रहे सीज फायर के उल्लंघन के जवाब में भारतीय सेना ने 12 पाकिस्तानी फौजियों को ढेर कर दिया। एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले से नजदीकी से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक बीएसएफ ने एक अधिकारी सहित पाकिस्तान सेना के 12 सैनिकों को मौत के घाट उतारा है। अखबार ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से लिखा है कि मृतकों की संख्या अप्रमाणित है लेकिन इसकी पुष्टि करने का भी कोई तरीका नहीं है। हालांकि बीएसएफ का कहना है कि 2 अक्टूबर से सीमा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा की जाने वाली वाली फायरिंग के जवाब में हमने पाकिस्तान के 12 सैनिक मार गिराए हैं।
संयुक्त राष्ट्र को लिखे पत्र में पाकिस्तान ने कहा है कि इस फायरिंग में पाकिस्तान के 12 नागरिकों की मौत हो गई जबकि 52 नागरिक घायल हो गए और नौ पाक सैनिक भी घायल हो गए। एक अधिकारी का कहना है कि पाकिस्तान में मृतकों की संख्या ज्यादा है, वह वास्तविक संख्या का खुलासा इसलिए नहीं कर रहा क्योंकि खुलासा करने से उनके सुरक्षा बलों का मनोबल गिर सकता है। हालांकि पाकिस्तानी फायरिंग में बीएसएफ का एक भी सैनिक शहीद नहीं लेकिन आठ नागरिकों की मौत हो गई।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस बार बीएसएफ ने जिस तरह से पाकिस्तानी गोलीबारी का जवाब दिया है, ऎसा इससे पहले नहीं हुआ। बीएसएफ जवान इस बार आग की तरह पाकिस्तानी सेना पर बरसे हैं। पाकिस्तानी सेना भी बीएसएफ की इस तरह की प्रतिक्रिया के लिए तैयार नहीं थी। सरकारी अधिकारी के मुताबिक बीएसएफ ने इस बार यह आक्रामक रूख राजनीतिक हरी झंडी मिलने के बाद अपनाया है।
खंडवा [ TNN ] मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग ने खंडवा में आयोजित राष्ट्रीय किशोर अलंकरण समारोह में , वर्ष 2012 – 2013 के राष्ट्रीय किशोर अलंकरण से गीतकार समीर को सम्मानित किया। सम्मान पाकर अभिभूत हुए गीतकार समीर ने इसे किशोर दा का आशीर्वाद बताया ,और सम्मान देने के लिए प्रदेश सरकार और खंडवा वासियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होने कहा कि कलाकार मरता नहीं है और किशोर दा आज भी हमारे बीच में है।
अपनी मस्ती भरी आवाज से करोड़ो संगीत प्रेमियों को आंदोलित करने वाले प्रख्यात पाश्र्व गायक व हरफन मौला कलाकार किशोर दा की पुण्य तिथि (13 अक्टूबर) को उनकी जन्म भूमि खडवा के पुलिस ग्राउण्ड पर आयोजित समारोह में गीतकार समीर को सह सम्मान केबिनेट मंत्री विजय शाह के हाथों प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप गीतकार समीर को दो लाख का चेक, सम्मान पट्टिका, शॉल, श्रीफल भेट किया गया। समीर को यह सम्मान गीत लेखन के क्षेत्र में प्रदान किया गया। सम्मान अलंकरण मंच से विख्यात पाश्र्व गायिका ऊषा मंगेशकर मोजूद थी। उन्होने अपने आर्केस्टा् के साथ सुरों से समा बाधा ओर करीब एक घण्टे तक रंगारंग प्रस्तुतियां दी।
किशोर दा अवार्ड प्रत्येक वर्ष बारी-बारी से निर्देशन, अभिनव पटकथा एवं गीत लेखन के क्षेत्र में दिया जाता है। समारोह में संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री सुरेन्द्र पटवा, महापौर भावना शाह, और विधायकगणा मंचासीन थे। प्रशस्ति पत्र का वाचन प्रमुख सचिव संस्कृति मनोज श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम मं पटवा ने कहा कि प्रदेश सरकार कला व संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिये शिक्षण प्रशिक्षण को बढावा दे रहा है। खडवा में 7 एकड भूमि पर संगीत महाविद्यालय आकार लेगा। इस पर 15 करोड रूपये खर्च होगा और भोपाल के भारत भवन के समतुल्य संकेुल होगा। उन्होने कहा कि कला संस्कृति के क्षेत्र में प्रतिभायें आगे बढे इसके लिये प्रदेश सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। कार्यक्रम को विजय शाह ने भी संबोधित किया।
सम्मान के प्रति उत्तर में बोले सम्मान पाकर अभिभूत हुए समीर ने इसे अपने जीवन का सबसे बढ़ा सम्मान बताया। उन्होंने कहा की यह अलग अनुभूति है , उसका कारण है की कुछ सम्मान ऐसे होते है जो आपकी विधा से , आपकी इंडस्ट्री से जुड़े नहीं होते वो दूसरी दुनिया के लोग होते है और आपको सम्मानित करते है , कुछ सम्मान ऐसे होते है जहाँ आप रहते है , जिस विधा से आप जुड़े है उसके लिए काम करते है , वहां का कोई आदमी आपको सम्मानित करता है उसके लिए सम्मान दिया जाता है तो बहुत ही गौरव महसूस होता है , ख़ास तौर पर किशोर दा के बारे में मै कहूँगा की किशोर अलंकरण मिलना ,उनका आशीर्वाद रहा हो , यह तो उसका प्रसाद है।
समीर ने कहा की हर सम्मान का एक गौरव होता है , हर सम्मान की अपनी एक जगह होती है , उत्तरप्रदेश मेरा अपना प्रदेश है , वहां मेरे अपने लोग है , ने मुझे इस लायक समझा , मै उन शुक्रिया अदा करता हूँ , मगर यहां मुझे ये अच्छा लगता है की जब बेगाने याद करते है यह बहुत ही बड़ी बात है की मध्य प्रदेश की सरकार और खंडवा वासियों ने मुझे अपना समझा मुझे बुलाया और सम्मानित किया।
इस मौके पर प्रस्तुति देने आई प्रख्यात गायिका उषा मंगेशकर ने भी गीतकार समीर को किशोर कुमार सम्मान मिलने पर बधाई दी। सम्मान समारोह में शामिल होने से पहले गीतकार समीर सपरिवार , किशोर कुमार की समाधिस्थल पहुंचे और किशोर कुमार को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये , उसके बाद वे किशोर स्मारक भी पहुंचे , यह सब देखकर उन्होंने कहा की किशोरकुमार और बॉलीवुड दो नाम नहीं है , किशोर कुमार के बगैर बालिवूड नहीं है , किशोर कुमार बने थे , केवल गाना गाने के लिए , बॉलीवुड उन्हें सदियों तक याद करता रहेगा। उन्होंने खंडवा के लोगो का शुक्रगुजार होते हुए कहा की , जिस तरह से खंडवा वाले किशोर कुमार को याद करते है , उसी तरह आने वाले दिनों में वो तमाम फनकार वो कलाकार जो प्रदेश की जिस मिटटी से है वहां के लोग उन्हें इस तरह से चाहेंगे।
साल में दो दिन किशोर के नाम तेरी दुनिया से होके दूर चला, बहुत दूर चला’के साथ किशोर दा जल्द कम उम्र में दुनिया का अलविदा कर गये लेकिन खडवा वासी उन्हें जेहन मे रखकर उनकी जयंति (4 अगस्त)और पुण्यतिथि(13 अक्टूबर) को खंडवा में कार्यकम आयोजित कर स्मरण करने में चूक नहीं करते। साल के ये देा दिन तो खंडवा में किशोर दा के ही नाम होते है। इस अटूट बंधन के पीछे किशोर दा का अपनी माटी और अपने शहर खडवा से असीम लगाव रहा जो उनकी अंतिम संस तक जेहन और जुबान पर रहा और इसी के चलते उनकी अंतिम इच्छा अनुरूप उनका अंतिम ससकार भी खडवा में ही किया गया है। इस संस्कार स्थल ने अब एक भव्य स्मारक का रूप ले लिया है जहां उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिये देश के कोने कोने से स्नेहीजन व प्रशंसक शीश नवाने पहुचंते है।
खंडवा- किशोर कुमार के पुस्तैनी माकन पर रातोरात प्रतिबंधित क्षेत्र के पोस्टर लग गए और किसी को भी इस माकन में अंदर जाने नहीं दिया जा है । जबकि आज किशोर की पुण्यतिथि है और बड़ी संख्या में किशोर प्रेमी आज के दिन उन के इस माकन को देखने पहुँचते है चर्चा है की किशोर के भतीजे और अनूप कुमार के लड़के अर्जुन ने इंदौर की किसी पार्टी से इस माकन का सौदा कर लिया है । हालांकि इस की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई लेकिन इस माकन की वर्षो से चौकीदारी करने वाले चौकीदार का कहना है की साहब (अर्जुन )का आदेश है किसी को अंदर न जाने दिया जाए ।
किशोर के पुस्तैनी माकन को देखने आने वाले उनके प्रशंसकों को आज बड़ी निराशा हाथ लगी जो माकन कल शाम तक खुला हुआ था उस के मेन गेट पर आज प्रतिबंधित क्षेत्र के पोस्टर लग गए । जन्म दिन और पुण्य तिथि पर शहर की सांस्कृतिक संस्थाए यहाँ पर उनकी याद में हर साल कार्यक्रम करती थी उन्हें भी आज रोक दिया गया जिस से उनमे काफी रोष है । ऐसी ही एक संस्था के संचालक जराड़ माथइस ने आरोप लगाया की ऐसा कुछ लोगो के इशारे पर किया जा रहा है ।
आज किशोर की याद में मध्यप्रदेश सरकार का राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान समाहरोह खंडवा में ही है । प्रख्यात गायका उषा मंगेशकर अपने समूह साथ खंडवा में संगीतमय प्रस्तुति देंगी । सरकार की तरफ से किशोर कुमार अलंकरण गीतकार समीर को दिया जायगा । इस कार्यकर्म में सिरकरत करने बड़ी संख्या किशोर प्रेमी बहार से यहाँ आते है और किशोर के माकन और समाधी पर भी पहुँचते है । जब वह माकन पर पहुंचे तो उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी । नांदेड़ महाराष्ट्र से आए किशोर प्रेमी भी जब यहाँ पहुंचे तो उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया । किशोर प्रेमी ने कहा की किशोर कुमार के घर के दर्शन नहीं होने से वह बहुत दुखी है ।
लम्बे समय से इस माकन को स्मारक बनाने की मांग उठ रही है । लेकिन किशोर कुमार के परिजनों की तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं होने की वजह से मामला अभी तक अटका ।
Khandwa [ TNN ] Noted lyricist Sameer will be honoured with the National Kishore Kumar Award for 2012-13, during a function at the legendary singer’s birth place Khandwa in Madhya Pradesh on Monday.
The award carries a cash prize of Rs two lakh, citation, shawl and shreefal, an official release said on Sunday. Madhya Pradesh Food and Civil Supplies Minister Kunwar Vijay Shah will hand over the award to Sameer in the presence of Minister of State for Culture and Tourism Surendra Patwa and Madhya Pradesh BJP president Nandkumar Singh Chouhan.
The award is given in the field of direction, screenplay and lyrics turn by turn every year. The jury comprising noted writer Saleem Khan, actor director Satish Kaushik, noted playback singer Anuradha Paudwal, lyricist Ibrahim Ashk and film critique Jaiprakash Choukse shortlisted Sameer for the award.
Sameer, son of noted lyricist Anjaan, composed songs for number of hit films, including ‘Dil’, ‘Aashiqui’, ‘Deewana’, ‘Kuch Kuch Hota Hai’, ‘Kabhi Khushi Kabhi Gham’, ‘Devdas’, ‘Dabangg-2’ and ‘Rowdy Rathore’.
He was earlier awarded with the Filmfare Award, IIFA Screen Award and Uttar Pradesh Government’s Yash Bharti award. Kishore Kumar passed away on October 13, 1987, in Mumbai and as per his wish, his last rites were performed in Khandwa.
खंडवा [ TNN ] मधयप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने उत्कृष्टता और सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए सिनेमा के क्षेत्र में निर्देशन, अभिनय, पटकथा तथा गीत लेखन के लिए वार्षिक राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान की स्थापना की है। यह सम्मान उत्कृष्टता, दीर्घ साधाना, श्रेष्ठ उपलब्धि के मानदण्डों के आधार पर देय है।
सम्मान के लिये चुने जाने के समय निर्देशक, कलाकार, पटकथाकार तथा गीतलेखक का सृजन-सक्रिय होना अनिवार्य है। प्रख्यात पार्श्व गायक एवं हरफनमौला कलाकार स्वर्गीय किशोर कुमार खण्डवा, मधयप्रदेश के रहने वाले थे। उन्होंने सिनेमा के क्षेत्र में अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय देते हुए न सिर्फ हिन्दुस्तान, बल्कि विश्व के अनेक देशों में जो जगह बनायी उससे न सिर्फ यश स्थापित हुआ, बल्कि मधयप्रदेश के गौरव में श्रीवृद्धि हुई। उन्हीं की स्मृति में राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान स्थापित किया गया है। इस सम्मान के अंतर्गत दो लाख रुपये की राशि और सम्मान पट्टिका भेंट की जाती है।
प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग सिनेमा के क्षेत्र के निर्घारित माधयमों में सक्रिय कलाकारों के नामांकन का अनुरोधा करता है। ये नामांकन संकलित करके विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखे जाते हैं। इस समिति में सिनेमा के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। चयन समिति को यह स्वतंत्रता है कि अगर कोई नाम छूट गया हो तो अपनी तरफ से उसे जोड़ ले। राज्य शासन ने चयन समिति की अनुशंसा को अपने लिए बंधानकारी माना है।
राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान 1. श्री हृषिकेश मुखर्जी 1997-98 2. श्री नसीरुद्दीन शाह 1998-99 3. श्री गुलज़ार 1999-00 4. श्री कैफी आज़मी 2000-01 5. श्री बी.आर. चोपड़ा 2001-02 6. श्री अमिताभ बच्चन 2002-03 7. श्री गोविन्द निहलानी 2003-04 8. श्री जावेद अख़्तर 2004-05 9. श्री श्याम बेनेगल 2005-06 10. श्री शत्रुघ्न सिन्हा 2006-07 11. श्री मनोज कुमार 2007-08 12. श्री गुलशन बावरा 2008-09 13. श्री यश चोपड़ा 2009-10 14. स्व.श्री देव आनंद मुम्बई – अभिनय 2010-11 15. श्री सलीम खाँन, मुम्बई – पटकथा लेखन 2011-12 16 श्री समीर , मुम्बई – गीतलेखक 2012 -13 – इस बार मिलेगा
विशाखापत्तनम [ TNN ] चक्रवाती तूफान हुदहुद ने रविवार को विशाखापत्तनम के पास आंध्र तट को पार किया। इस दौरान तटीय इलाकों में तेज आंधी और भारी बारिश के कारण तीन व्यक्तियों की मौत हो गई है। बंगाल की खाड़ी में उठा अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान दोपहर के आसपास पुदिमाडका गांव में तट को पार करने लगा। पुदिमाडका गांव विशाखापत्तनम से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है।
मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने हैदराबाद में संवाददाताओं से कहा कि तूफान का नेत्र तट पार कर चुका है, लेकिन पूरे तूफान को पार करने में तीन-चार घंटे लग सकते हैं। तूफान की जानकारी देने वाले राडार से संपर्क टूट जाने के कारण प्रशासन को तूफान की गति और उसके प्रभाव के बारे में जानकारी मुहैया कराने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। नायडू ने कहा कि नौसेना ने जानकारी दी है कि तूफान का नेत्र पार हो चुका है और आंधी की रफ्तार 185 किलोमीटर प्रति घंटा है। साथ ही उन्होंने कहा कि चूंकि संपर्क तंत्र ध्वस्त हो चुका है लिहाजा हमारे पास नुकसान के आंकलन का कोई तंत्र नहीं है।
विशाखापत्तनम, श्रीकाकुलम, विजयानगरम जिले शनिवार रात से ही भारी बारिश और तेज आंधी की चपेट में हैं। इसके परिणामस्वरूप निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं, पेड़ उखड़ गए, बिजली आपूर्ति और संपर्क टूट गए हैं। चूंकि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने चेतावनी दी है कि संक्षिप्त ठहराव के बाद अधिक क्षति हो सकती है, लिहाजा नायडू ने लोगों को सलाह दी है कि पूरे तूफान के क्षेत्र से पार होने तक वे घरों के अंदर बने रहें।
नायडू ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की मदद से सभी एहतियाती कदम उठाए, ताकि जान-माल का कम से कम नुकसान हो, फिर भी तीन लोगों की मौत हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि विशाखापत्तनम में एक व्यक्ति की मौत दीवार गिरने से हो गई, जबकि दूसरे व्यक्ति की मौत श्रीकाकुलम जिले में पेड़ गिरने से हुई। तीसरी मौत के बारे में विवरण फिलहाल उपलब्ध नहीं हो पाया है।
उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, विजयानगरम और विशाखापत्तनम जिलों तथा पास के ईस्ट गोदावरी और वेस्ट गोदावरी तटीय जिलों में प्रशासन हाई अलर्ट पर है, क्योंकि तूफान के भारी तबाही मचाने की आशंका है। अधिकारियों ने इसके पहले कहा था कि लगभग 400,000 लोगों को निकालने की जरूरत है, लेकिन मात्र 90,013 लोगों को ही राहत शिविरों में ले जाया गया है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की नौ टीमें, सेना की दो टुकड़ी, छह हेलीकॉप्ट और 56 नौकाएं राहत एवं बचाव अभियान के लिए तैयार हैं।
मुंबई [ TNN ] महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार सुधाकर खाड़े पर लगे दुष्कर्म के आरोप पर महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री आर आर पाटिल ने विवादित बयान देते हुए कहा कि उन्हें विधानसभा चुनाव के बाद दुष्कर्म करना चाहिए था।
सूत्रों के अनुसार, पाटिल ने खाडे पर लगे दुष्कर्म के आरोप के संबंध में कहा कि विधायक बनने के बाद उन्हें दुष्कर्म करना चाहिए था। जब इस संबंध में पाटिल से जब पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह बात उन्होंने मजाक में कही थी।
इस बयान के बाद उठे विवाद के बाद पाटिल ने कहा कि उन्होंने महिलाओं का अपमान करने के इरादे से ऎसा नहीं कहा था, लेकिन यदि इससे किसी के भी दिल को ठेस पहुंची हो तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।
पाटिल ने कहा कि मैं उम्मीदवार की आलोचना कर रहा था। उल्लेखनीय है कि उनका यह विवादास्पद बयान तब आया जब मनसे के के कुछ कार्यकर्ताओं ने 15 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव मे उन्हें समर्थन देने की घोषणा की। इस घोषणा से हैरान पाटिल ने चुनावो से चंद दिन पहले इस उदारता का कारण पूछा तो मनसे कार्यकर्ताओं ने बताया कि उनका आधिकारिक उम्मीदवार दुष्कर्म के कथित आरोप के चलते जेल मे बंद है।
इसपर पाटिल ने कहा कि अगर वह इस इलाके से विधायक बनना चाहते थे तो उन्हें चुनाव के परिणाम आने तक इंतजार करना चाहिए था। इसके बाद उन्हें दुष्कर्म करना चाहिए था। पाटिल पहले भी ऎसे विवादित बयान दे चुके हैं। पांच साल पहले 2008 मे मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद पाटिल ने कहा था कि बड़े बड़े शहरों में ऎसे छोटे हादसे होते रहते हैं।
यही नहीं, उन्ही की पार्टी के एक अन्य नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने भी पिछले साल अप्रेल में एक विवादित बयान दिया था। पानी की कमी के चलते किसान द्वारा पूछ्र गए सवाल पर पवार ने कहा था कि अगर बांधों मे पानी नहीं है तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं। उन्हें भरने के लिए क्या मैं पेशाब करूं? बिना पानी के तो वह भी नहीं आता। उनके इस बयान के बाद देशभर में उठे विरोध के बाद उन्होंने किसानों का मजाक उड़ाने के लिए माफी मांगी थी।
श्रीनगर [ TNN ] दो रात शांति से गुजारने के बाद पाक सैनिकों ने शनिवार रात को सीज फायर का उल्लंघन करते हुए रविवार सुबह तक सीमा पर फायरिंग की। पाक सैनिकों ने जम्मू जिले के अरनिया और आरएस पुरा सेक्टर में इंटरनेशनल बोर्डर पर बीएसएफ की 15 चौकियों को निशाना बनाते हुई सारी रात फायरिंग की और गोले बरसाए। बीएसएफ ने भी पाक सैनिकों की इस नापाक हरकत का माकुल जवाब दिया।
पाकिस्तान द्वारा की गई फायरिंग में किसी के हताहत की खबर नहीं, हालांकि संपत्ति का खासा नुकसान हुआ है। सीमा से सटे क्षेत्रों से करीब 20 हजार लोगों ने अपने घर छोड़ दिए हैं और सुरक्षित स्थानों पर जाकर बस गए हैं। ये लोग कभी-कभार आकर अपने पशुओं की देखभाल के लिए आते हैं।
अक्टूबर महीने में पाकिस्तान ने लगातार सीज फायर का उल्लंघन कर रहा है। सीमा के पास रहने वाले लोगों को घर के अंदर ही रहने की सलाह दी गई है और जो लोग अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाना चाहते हैं उन्हें प्रशासन बस की सुविधा मुहैया करा रहा है।
इस महीने पाक सैनिकों द्वारा की गई फायरिंग में भारत के आठ लोगों की मौत हुई है और करीब 60 लोग घायल हुए हैं। जबकि पाकिस्तान में सीमा से सटे गांवों में रहने वाले 33 लोगों की मौत हो गई, जिनमें आठ पाकिस्तानी सैनिक भी शामिल हैं।
Mumbai [ TNN ] Prime Minister Narendra Modi shared the stage with underworld don Chhota Rajan’s brother Deepak Nikhalje at an election rally in Mumbai. Pictures clearly show Chhota Rajan’s brother welcoming Modi on the stage and shaking hands with him. The Prime Minister responded by taking Nikhalje’s name and greeting him. Deepak Nikhalje is the Republican Party of india (Athavale) candidate from the Chembur assembly constituency. RPI (Athavale) is one of the smaller parties that have entered into an alliance with the BJP.
Ironically, Modi spoke about bahubalis in his speech. “Meri Maharashtra ke logon se shikayat hai ki mai jab PM ka ummeedwar tha tab iske aadhi bheed nahi aati thi. Hawa ka rukh badal chuka hai. Chahe bahubali ho ya chacha bhatije ho koi bachne wala nahi (I have a complaint against the people of Maharashtra. There wasn’t half the crowd in my Lok Sabha rallies in Maharashtra when I was candidate for the prime ministership. But now winds of change are sweeping the state. Whether it’s a political goon as a candidate or the uncle-nephew duo (a reference to NCP leader Sharad Pawar and his nephew Ajit Pawar), no one will survive before the BJP in these elections,” said Modi.
आगरा [ TNN ] उत्तर प्रदेश में हर रोज तकरीबन नौ शख्स का दिमागी तौर पर बीमार हो रहे हैं। चौंकिए नहीं, यह बिल्कुल सच है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि आगरा पागलखाने में भर्ती हो रहे बीमारो की तादात कह रही है। हर माह तकरीबन ढाई सौ शख्स आगरा में मौजूद पागलखाने में भर्ती किए जा रहे हैं। यह एक बहुत बड़ा आंकड़ा है जो उत्तर प्रदेश की हालत पर सवालिया निशान लगा रहा है।
हर रोज़ बढ़ रही कशीदगी जिंदगी की भागम-भाग में लोग चिढ़चिढ़े होते जा रहे हैं। ज़िन्दगी में कशीदगी शख्स के ऊपर हावी होता जा रहा है। लोगों में बर्दाश का माद्दा ख़त्म हो चुका है, डॉ.केसी गुरनानी कहते हैं कि आजकल हर शख्स काम के बोझ तले दबा हुआ है। मियाँ बीबी दोनों की कामकाजी हो गए हैं। फैमली के लोगों के लिए उनके पास वक़्त नहीं हैं।
50 फीसदी लोग घर में ठीक हो सकते हैं, लेकिन एक ही फैमली के पास एक-दूसरे के लिए वक़्त नहीं है। लोग चाहते हुए भी अपनी जिम्मेदारियों भी बच रहे हैं। प्राइवेट सेक्टर में जॉब कर रहे लोगों को छुट्टी नहीं मिलती है, जिससे वह घर में मरीज की देखभाल नहीं करना चाहते हैं, इसलिए वह पागलखाने में इलाज के लिए छोड़ आते हैं। आगरा पागल खाने के रिकॉर्ड के मुताबिक इस साल एक जनवरी से लेकर सात अक्टूबर तक कुल 1853 शख्स बिल्लोचपुरा के पागल खाने में फैमली वार्ड में भर्ती किए गए हैं।