दिल्ली पुलिस ने एक प्रेस कांन्फ्रेंस की और कहा कि जेएनयू हिंसा मामले की जांए क्राइम ब्रांच कर रही है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस संदर्भ में कई गलत जानकारियां शेयर की जा रही है। जांच को लेकर गलत सूचनाएं, जानकारियां फैलाई जा रहीं हैं। इसमें एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय जेएनयू और छात्रों का भविष्य जुड़ा है इसलिए मीडिया भी इसे बहुत ही सावधानी से रखे।
इस बारे में दिल्ली पुलिस ने कहा कि अब तक जो भी जांच हुई है उस बारे में आपको जानकारी दी जा रही है। यह सभी संवेदनशील सूचनाएं हैं जो आपको दी जा रहीं हैं।उन्होंने कहा है कि इस मामले में कुल तीन एफआईआर दर्ज की गई है।
पहला केस सर्वर रूम को नुकसान पहुंचाने का, दूसरा केस रजिस्ट्रेशन करवाने वाले छात्रों के साथ मारपीट करने का और तीसरा केस हॉस्टल में घुसकर हमला करने का है।
हिंसा में शामिल नौ छात्रों की पहचान हुई है। जिसमें जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष के अलावा डोलन, सुचेता तालुकदार, योगेंद्र भारद्वाज, विकास पटेल, चुनचुन कुमार, पंकज मिश्रा, भास्कर, सुशील कुमार और प्रिय रंजन के नाम भी शामिल हैं। क्राइम ब्रांच के डीसीपी जॉय टिर्की ने बताया कि जेएनयू में एक से पांच जनवरी के बीच में रजिस्ट्रेशन करने की तारीख रखी गई थी। लेकिन कुछ विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों को रजिस्ट्रेशन नहीं करने दे रहे थे। रजिस्ट्रेशन करने वालों को डराया, धमकाया जा रहा था।
तीन जनवरी को छात्र संगठन ने सर्वर रूम बंद कर दिया था। चार जनवरी को कुछ छात्रों द्वारा सर्वर को नष्ट कर दिया गया था। चार जनवरी को छात्र संगठन के छात्रों द्वारा धक्कामुक्की की। एसएफआई, एएसआईए, एआईएसएफ, डीएसएफ के छात्रों ने हमला किया। पांच जनवरी को पेरियार और साबरमती हास्टल के खास कमरों में हमला किया गया।
JNU violence incident: Delhi Police releases images of the suspects, caught on the CCTV camera. #Delhi pic.twitter.com/UqNZCwKFId
— ANI (@ANI) January 10, 2020
दिल्ली पुलिस ने बताया कि सबरमती होस्टल के बाहर पीस मीटिंग हो रही थी कि आचनक से एक ग्रुप आया और उनके मुंह पर मफलर थे। उन्होंने सबरमती होस्टल में घुसकर कमरों में तोड़फोड़ की और छात्रों के साथ मारपीट भी की। डीसीपी ने कहा कि तोड़फोड़ करने वालों को पता था कि कहां जाना है और किस कमरे को निशाना बनाना है। उन्होंने कहा कि बाहर का कोई शख्स इतनी आसानी से इतनी तोड़फोड़ नहीं कर सकता। हम इसकी पहचान कर रहे हैं जो सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि हमलावरों की पहचान की कैसे की गई है। हमले जो वायरल वीडियो थे और हमले वॉटसैप ग्रुप से हमें मदद मिली है।
आइशी घोष ने कहा- दिल्ली पुलिस अपनी जांच कर सकती है। मेरे पास भी सबूत हैं, जिनसे जाहिर हो जाएगा कि मुझपर किस तरह हमला किया गया। मेरा देश के कानून और व्यवस्था में पूरा विश्वास है। मैं जानती हूं कि जांच निष्पक्ष होगी। मुझे न्याम मिलेगा, लेकिन दिल्ली पुलिस पक्षपात क्यों कर रही है? मेरी शिकायत पर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई। मैंने किसी पर कोई हमला नहीं किया।