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Friday, April 19, 2024

रेलवे का निजीकरण नहीं किया जाएगा, सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं- रेल मंत्री

नई दिल्ली : रेलवे के निजीकरण की विपक्ष की आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आज साफ किया कि इसका ‘कोई निजीकरण कर ही नहीं सकता और इसके निजीकरण का कोई मतलब नहीं है’।

उन्होंने कहा कि ‘राजनीतिक लाभ के लिए नई ट्रेनों का सपना दिखाने’ के बजाय नरेन्द्र मोदी सरकार ने सुविधाएं और निवेश बढ़ाने के लिए पीपीपी आमंत्रित करने का इरादा किया है ।

लोकसभा में वर्ष 2019-20 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर बृहस्पतिवार को देर रात तक चली चर्चा का आज जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा, ‘मैं बार-बार कह चुका हूं कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जाएगा। ’

उन्होंने कहा कि लेकिन कोई सुविधा बढ़ाने की बात करे, प्रौद्योगिकी लाने की बात करे, कोई नया स्टेशन बनाने की बात करे, कोई हाई स्पीड, सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने की बात करे, स्टेशन पर सुविधा बढ़ाने की बात करें तो इसके लिये निवेश आमंत्रित किया जाना चाहिए ।

पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे में सुविधा बढ़ाने, गांवों और देश के विभिन्न हिस्सों को रेल सम्पर्क से जोड़ने के लिये बड़े निवेश की जरूरत है। अच्छी सुविधा, सुरक्षा, हाई स्पीड आदि के लिये निजी सार्वजनिक साझेदारी (पीपीपी) को प्रोत्साहित करने का सरकार ने निर्णय किया है।

रेल मंत्रालय के अनुदान की मांग पर चर्चा के दौरान बृहस्पतिवार को कांग्रेस, तृणमूल, डीएमके सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी), निगमीकरण और विनिवेश पर जोर देने की आड़ में इसे निजीकरण के रास्ते पर ले जाया जा रहा है।

विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार को बड़े वादे करने की बजाय रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारने और सुविधा, सुरक्षा और सामाजिक जवाबदेही का निर्वहन सुनिश्चित करना चाहिए।

इस पर गोयल ने कहा, ‘रेलवे बजट पहले जनता को गुमराह करने के लिए होते थे, राजनीतिक लाभ के लिए नई ट्रेनों के सपने दिखाए जाते थे ।’

उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों के दौरान रेल संबंधी घोषणाएं जनता को गुमराह करने और चुनाव जीतने के लिये की जाती थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेल बजट का आम बजट में विलय करने की पहल करके देशहित का काम किया है । अब जो काम किया जा सकता है, उसी की घोषणा होती है और काम होता है।

रेलवे के निजीकरण करने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे में बाहर से निवेश आमंत्रित करने के लिये ‘कारपोरेटाइजेशन’ की बात कही गई है। इसका भी फैसला पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान हुआ था, अब इसे आगे बढ़ाया जा रहा है ।

उन्होंने कहा कि रेलवे की बेहतरी और सुविधाएं बढ़ाने के लिये अगले 10-12 साल में 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश का इरादा किया गया है। हम नई सोच और नई दिशा के साथ काम कर रहे हैं ।

क्षमता उन्नयन के लिये छह लाख करोड़ रुपये, माल ढुलाई क्षमता को बेहतर बनाने के लिये 4.5 लाख करोड़ रुपये, स्वर्ण चतुर्भुज क्षेत्र में गति बढ़ाने के लिये 1।5 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का इरादा किया गया है ।

विपक्ष खासकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए रेल मंत्री ने कहा कि जिस प्रकार की व्यवस्था हमें 2014 में मिली, वह जर्जर थी । पिछले 64 वर्षो में 12 हजार रनिंग किलोमीटर रेलमार्ग का विस्तार किया गया और पिछले पांच वर्ष में मोदी सरकार के दौरान 7 हजार रनिंग किलोमीटर मार्ग बढ़ा ।

उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षो में तेज गति से रेलवे में दोहरीकरण, तिहरीकरण और विद्युतीकरण का कार्य किया गया । रेलवे में दोहरीकरण और तिहरीकरण के कार्य में 59 फीसदी की वृद्धि हुई । पिछले पांच वर्षो में 13687 किलोमीटर रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया गया ।

रेल मंत्री ने कहा कि जहां तक ‘फ्रेट कारिडोर’ की बात है, 2007 से 2014 तक सात वर्षो में 9000 करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन एक किलोमीटर ट्रैक लिंकिंग भी नहीं हुई जबकि 2014 से 2019 तक पांच वर्षो में 39,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ और 1900 किलोमीटर ट्रैंक लिंकिंग हुई ।

रेल मंत्री ने सुरक्षा, दुर्घटना जैसे विषयों पर विपक्ष के आरोपों का आंकड़ों के माध्यम से जवाब दिया । उन्होंने कहा कि रेलवे में साफ सफाई, सुरक्षा और संरक्षा को बेहतर बनाने के लिये हम लगातार प्रयासरत है। ट्रेनों में सुविधाएं बढ़ी है और पहले की तुलना में दुर्घटनाएं कम हुई हैं।

उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग से जुड़ा लाभ रेल कर्मचारियों को पहुंचाने के लिये 22 हजार करोड़ रुपये दिये गये हैं, इसके बावजूद रेलवे को लाभ की स्थिति में रखा गया है।

उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षो में पूरे ब्रॉड गेज का सौ फीसदी विद्युतीकरण किया जायेगा। अगले 12 महीने में सभी ट्रेनों में बायो टायलेट लगा दिये जायेंगे ।

रेल मंत्री ने कहा कि अगर 11 जुलाई, 2006 को हुई मुंबई ट्रेन विस्फोट की घटना इस सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई होती तो प्रधानमंत्री मोदी ने मुंहतोड़ जवाब दिया होता ।

रेल मंत्री के जवाब के बाद विपक्ष के कटौती प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए सदन ने रेल मंत्रालय संबंधी अनुदान की मांग को मंजूरी दे दी ।

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