नैनीताल: हाल ही में फटी जींस पर विवादित बयान के बाद से सुर्खियों में आए उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत का एक और बयान सामने आया है। अब उन्होंने लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा बांटे गए अनाज को लेकर बयान दिया है।
रविवार को रामनगर पहुंचे सीएम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘लोगों में सरकार द्वारा बांटे गए चावल को लेकर जलन भी होने लगी कि दो सदस्यों वालों को 10 किलो जबकि 20 सदस्य वालों को एक क्विंटल अनाज क्यों दिया गया ? उन्होंने कहा की ‘भैया इसमें दोष किसका है, उसने 20 पैदा किए, आपने दो किए, तो उसको एक क्विंटल मिल रहा है, इसमें जलन काहे का। ‘
#WATCH हर घर में पर यूनिट 5 किलो राशन दिया गया।10 थे तो 50 किलो, 20 थे तो क्विंटल राशन दिया। फिर भी जलन होने लगी कि 2 वालों को 10 किलो और 20 वालों को क्विंटल मिला। इसमें जलन कैसी? जब समय था तो आपने 2 ही पैदा किए 20 क्यों नहीं पैदा किए: उत्तराखंड CM मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत pic.twitter.com/cjh2hH5VKh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 21, 2021
मुख्यमंत्री ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृति विषय पर आयोजित कार्यशाला में विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि जब वह युवाओं को फटी जींस पहनकर घूमते देखते हैं तो उन्हें आश्चर्य होता है। उन्होंने एक संस्मरण का जिक्र करते हुए कहा कि वह जयपुर से दिल्ली की फ्लाइट पर बैठे हुए थे। उनके बगल में एक महिला बैठी हुई थी। महिला एक एनजीओ चलाती थीं, जबकि उसके पति एक कॉलेज में प्रोफेसर थे। उस महिला ने पांव में गमबूट और घुटनों में फटी जींस पहनी हुई थी। महिला के साथ उसके दो बच्चे भी थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि, एनजीओ चलाती हैं, पति जेएनयू में प्रोफेसर हैं, घुटने फटे दिख रहे हैं, समाज के बीच में जाती हैं, बच्चे साथ में है। क्या संस्कार दे रही हैं।
फटी जींस के बयान को लेकर जब सीएम तीरथ की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हुई तो उन्होंने इस पर क्षमा भी मांगी। उन्होंने कहा था कि वह बच्चों का कार्यक्रम था। मैंने एक पिता व एक अभिभावक होने के नाते उन्हें संस्कारों के बारे में जानकारी दी। मेरा जींस से कोई विरोध नहीं। मैंने फटी जींस का विरोध किया। फिर भी यदि किसी को मेरे कथन से ठेस पहुंची हो तो इसके लिए क्षमा चाहता हूं।
बता दें कि मुख्यमंत्री के बयान को लेकर प्रदेश की सियासत से लेकर संसद तक में खासा उबाल रहा। अमर उजाला ने मुख्यमंत्री से इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि मेरा मकसद किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था। मैं खुद एक सामान्य ग्रामीण परिवेश से आया हूं। जब हम स्कूल जाते थे तो कई बार पैंट फट जाती थी। हमें लगता था कि स्कूल कैसे जाएंगे। कहीं गुरुजी डांटेंगे तो नहीं। यह एक अनुशासन और संस्कार था।
फिर हम फटी पैंट पर पैच लगाकर स्कूल जाते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस कार्यक्रम में मैंने यह बातें कहीं, वह बच्चों को लेकर ही आयोजित किया गया था। आज बच्चे नशे जैसी बुरी विकृतियों का शिकार हो रहे हैं। मैंने एक पिता, एक अभिभावक होने के नाते घर पर बच्चों को संस्कार देने की बात कही। बच्चा ज्यादा समय परिवार में ही रहता है। परिवार से ही उसे संस्कार मिलते हैं।