नई दिल्ली – भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बड़बोले बोल को लेकर लोकसभा सांसद साक्षी महाराज पर अनुशासन का डंडा चलाते हुए सफाई मांगी है। साक्षी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए शाह ने उन्हें दस दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है।
बताया जा रहा है कि साक्षी के खिलाफ अनुशासन का डंडा चलाने का फैसला शाह को मजबूरी में उठाना पड़ा है। उनके विवादित बयानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक आहत हैं। पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष शाह की ओर से साक्षी को पहले भी नसीहतें मिल चुकी हैं।
लेकिन साक्षी के बोल में सुधार होने के बाद उनके बडबोले बोल की एक लंबी फेहरिस्त बन गई है। आलाकमान की तमाम हिदायतों को अनदेखा करते हुए साक्षी एक-एक कर विवादित बयान देते जा रहे हैं।
साक्षी के विवादित बोल से कई दफे मोदी सरकार से लेकर भाजपा आलाकमान को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। संसद में उनसे माफी मंगवाने से लेकर कई मौके आए जब खुद पार्टी का बचाव करते हुए अमित शाह को साक्षी के बयानों से दूरी बरतनी पड़ी है।
मदरसों में जेहाद की तालीम, नाथूराम गोडसे को देश भक्त करार देना, घर वापसी अभियान से लेकर चार बच्चे पैदा करने के बोल से भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचा है।
संसद के बीते शीत सत्र में मोदी सरकार को इन बेतुके बोलों के कारण फजीहत झेलनी पड़ी। तो अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने भाजपा को घेरने के लिए इन मुद्दों का सहारा लेना शुरू कर दिया है।
इस बीच विवादित बयानों के कारण सरकार की विकासवादी छवि भी धूमिल हुई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में इन विवादित बयानों से भाजपा को नुकसान न झेलना पडे़, उससे बचने के लिए पार्टी आलाकमान ने साक्षी को कारण बताओ नोटिस जारी कर अनुशासन का डंडा चलाया है।
वहीं साक्षी के जरिए पूरे भगवा कूनबे के लिए भी यह संदेश माना जा रहा है कि विकास के वायदे के सहारे सत्ता में आई मोदी सरकार विवादित मुद्दों से दूरी बनाए रखेगी।
16 दिसंबर को पेशावर के एक सैनिक स्कूल पर हुए आतंकी हमले में मारे गए लगभग 150 बच्चों व अध्यापकों जैसे दिल दहला देने वाले हादसे के बाद पाकिस्तान में आतंकवाद के विरुद्ध पहली बार कुछ रचनात्मक किए जाने की ललक दिखाई दे रही है। इस हादसे के बाद से लेकर अब तक जेल में मौत की सज़ा पाए कई आतंकियों को फांसी पर भी लटकाया जा चुका है। यहां तक कि सरकार ने आतंकवाद से संबंधित प्रमुख मामलों को निपटाने के लिए सैन्य अदालतों का सहारा लिए जाने की बात भी कही है। पाकिस्तान के राजनैतिक दलों में भी पेशावर की घटना के बाद आम लोगों के गम और गुस्से को भांपते हुए आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कार्रवाई किए जाने को लेकर एकजुटता दिखाई दे रही है।
परंतु आतंकवाद के विरुद्ध सरकार,सेना व आम जनता के मध्य पाकिस्तान में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर एक राय बनने के बावजूद क्या पाकिस्तान आतंकवाद,आतंकवादी शक्तियों,इनके स्त्रोतों तथा खासतौर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली विचाराधारा व इससे जुड़े संस्थानों व संस्थाओं पर भी नियंत्रण कर सकेगा? और इससे भी ज़्यादा ज़रूरी सवाल यह है कि पाकिस्तान की सेना जोकि पेशावर हादसे के बाद सबसे अधिक गुस्से में तथा गंभीर दिखाई दी थी वह सेना पाकिस्तान में अपनी जड़ें गहरी कर चुके आतंकवाद से निपटने के साथ-साथ भारतीय मोर्चों पर भी टकराव की स्थिति पैदा करने के परिणामस्वरूप क्या अपने देश के आतंकवाद विरोधी मोर्चों पर फतेह पा सकेगी?
यह ठीक है कि पेशावर घटना के बाद से लेकर अब तक पाक सेना ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए तहरीक-ए-तालिबान के विरुद्ध कई बड़ी कार्रवाईयां कर डाली हैं। इनमें सैकड़ों आतंकियों को मार गिराए जाने के भी समाचार हैं। फांसी की सज़ा भी बहाल कर दी गई है और लगभग एक दर्जन आतंकियों को फांसी पर भी लटकाया जा चुका है। परंतु इस पूरे घटनाक्रम अर्थात् पेशावर हादसा तथा तहरीक-ए-तालिबान के विरुद्ध हो रही कार्रवाई के मध्य क्या हम इस्लामाबाद की लाल मस्जिद की तरफ से उठाए गए कदम को इतनी आसानी से नज़र अंदाज़ कर सकते हैं? पाकिस्तान में हालांकि पहले भी बहुत बड़े-बड़े दिल दहला देने वाले हादसे हो चुके हैं। क्वेटा में शिया समुदाय के लोगों का सामूहिक नरसंहार किया गया। देश के कई सैन्य ठिकानों यहां तक कि वायुसेना ठिकाने पर भी हमला किया गया। पाक सेना के जवानों का अपहरण किए जाने जैसा समाचार प्राप्त हुआ। तहरीक-ए-तालिबान द्वारा पाक सैनिकों का सर कलम किए जाने की घटना का वीडियो तक इन मानवता के दुश्मनों द्वारा जारी किया गया।
परंतु पाक अवाम में इस प्रकार के गम और गुस्से की लहर पहले कभी नहीं देखी गई। क्योंकि पाकिस्तान की जनता ने कभी क्वेटा हादसे को यह सोचकर नज़र अंदाज़ कर दिया कि यह जाति आधारित लक्षित हिंसा की घटना है तो कभी सैन्य ठिकानों पर हुए आतंकी हमलों या सैनिकों के विरुद्ध की गई हिंसा को पाक अवाम ने एक-दूसरे के विरुद्ध की जा रही बदले की कार्रवाई का हिस्सा कहकर नज़रअंदाज़ कर दिया। परंतु पेशावर हादसे ने तो पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर सिर्फ इसीलिए खींचा कि इसमें मासूम बच्चों को बड़े पैमाने पर निशाना बनाने जैसा घृणित,अमानवीय अपराध किया गया था। दुनिया का कोई भी धर्म व कोई भी शिक्षा ऐसी घटना को कभी भी न्यायसंगत नहीं ठहरा सकती।
परंतु पाकिस्तान में दो ही स्वर ऐसे उठते दिखाई दिए जो साफतौर पर पेशावर हमले को जायज़ ठहराने वाले तथा इसके समर्थन में उठते स्वर नज़र आए। एक तो स्वयं तहरीक-ए-तालिबान द्वारा इन हमलों की जि़म्मेदारी लेते हुए ऐसे हमले भविष्य में भी करने की धमकी दी गई और दूसरे इस्लामाबाद की विवादित लाल मस्जिद के इमाम मौलवी अब्दुल अज़ीज़ द्वारा पेशावर की घटना की निंदा करने से इंकार तो किया ही गया साथ-साथ तहरीक-ए-तालिबान की गतिविधियों को जायज़ ठहराने की कोशिश भी की गई। परिणामस्वरूप हज़ारों लोग पेशावर घटना के अगले ही दिन लाल मस्जिद के बाहर धरने पर बैठ गए।
क्या यह सवाल उचित नहीं कि जब तक पाकिस्तान में लाल मस्जिद जैसे शिक्षण संस्थान मौलवी अब्दुल अज़ीज़ जैसे दुष्ट एवं राक्षसी सोच रखने वाले कथित इमाम जि़ंदा व सलामत हैं तब तक पाकिस्तान से आतंकवाद का जड़ से सफाया करना एक टेढ़ी खीर के समान है? क्या पाकिस्तान का इतिहास इस बात को झुठला सकता है कि 2007 में जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने जिस लाल मस्जिद की आतंकवादी गतिविधियों से दु:खी होकर वहां एक बड़ा सैन्य आप्रेशन किया था उसी लाल मस्जिद को पूरी सरपरसती देने तथा उसकी शक्ति के विस्तार में भी पाकिस्तान के पूर्व जनरल जि़या-उल-हक का पूरा योगदान रहा है। जिस लाल मस्जिद में मुजाहिदीन की भर्ती करने जैसा काम सरेआम अंजाम दिया जा चुका हो तथा अफगानिस्तान में अफगान मुजाहिदीनों को भरपूर मदद देने जैसा बड़ा काम अंजाम दिया गया हो उस कथित धार्मिक संस्थान पर काबू पाना क्या आसान काम है?
यह वही लाल मस्जिद है जो 2008 में जब जनरल मुशर्रफ द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई की पहली बरसी मना रही थी उस समय एक आत्मघाती हमलावर ने मस्जिद के बाहर स्वयं को धमाके से उड़ाते हुए 12 पुलिसकर्मियों की भी जान ले ली थी। गोया यह कहना गलत नहीं होगा कि लाल मस्जिद भले ही सुनने में मस्जिद प्रतीत होती हो तथा मुशर्रफ द्वारा कार्रवाई के समय औरतों का नकाब ओढक़र अपनी जान बचाकर मस्जिद से भागने वाला अब्दुल अज़ीज़ भी शक्ल-सूरत से मुसलमान अथवा मौलवी क्यों न नज़र आता हो। परंतु हकीकत में लाल मस्जिद की आड़ में यहां केवल आतंकवादियों की भर्ती की जाती है तथा आत्मघाती हमलावर बनने के बदले में जन्नत हासिल करने जैसी शिक्षा भी यहीं दी जाती है।
इसी प्रकार पाकिस्तान आर्मी के समक्ष पाकिस्तान में फैले आतंकवाद से निपटने को लेकर दूसरी बड़ी समस्या पाक सेना द्वारा भारतीय मोर्चों पर गड़बड़ी फैलाने की कोशिश करना भी है। पाकिस्तान में आतंकवाद की जड़ें इतनी गहरी व मज़बूत हो चुकी हैं कि यह आतंकी अब पाकिस्तानी सेना के किसी भी अति सुरक्षित समझे जाने वाले संस्थान को भी निशाना बनाने से नहीं हिचकिचाते। इनकी संख्या भी अब लाखों में पहुंच चुकी है। ऐसे में यह नहीं लगता कि पाकिस्तानी सेना इतनी मज़बूत व समक्ष है कि एक साथ दो मोर्चों पर अर्थात् भीतरी आतंकवाद व साथ-साथ भारतीय सीमाओं पर भी संघर्ष कर सके? परंतु पाक सेना द्वारा ऐसा ही किया जा रहा है। सीमा पर युद्ध विराम का उल्लंघन,आतंकियों द्वारा सीमा पार से घुसपैठ कराने की कोशिश की जा रही है। नशीली वस्तुओं की खेप तथा नकली भारतीय करंसी सीमा पार से भारत में धकेली जा रही है।
अभी पिछले दिनों पोरबंदर के समीप समुद्र में पाकिस्तान की ओर से आ रही विस्फोटकों से भरी एक नौका में आग लगने का मामला प्रकाश में आया। यदि भारतीय तटरक्षक इसे समय पर न रोकते तो न जाने भारत में कोई दूसरा 26/11 अथवा इससे बड़ा हादसा दरपेश आ सकता था। जम्मु-कश्मीर सीमा पर पिछले काफी दिनों से दोनों देशों के सैनिकों के मध्य फायरिंग का सिलसिला जारी है। जिसमें अब तक दोनों देशों के कई जवान मारे जा चुके हैं। हालांकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को विशेष रूप से आमंत्रिात कर दोनों देशों के मध्य दोस्ताना संबंध बनाने का संदेश भी दिया था।
परंतु इसके जवाब में पाकिस्तान द्वारा सीमा का उल्लंघन किए जाने जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। क्या पेशावर हादसे के बाद पाक आतंकियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई किए जाने का संकल्प दिखाने वाली पाकिस्तानी सेना यह महसूस नहीं करती कि भारत के विरुद्ध सीमा पर छेड़े गए उसके अभियान का फायदा आख़िरकार इन्हीं आतंकवादियों को ही मिलेगा? पिछले दिनों भी यह खबर सुनाई दी कि जमाअत-उद-दावा का प्रमुख तथा मुबई के 26/11 हादसे का मुख्य आरोपी हाफिज सईद भारत-पाक सीमा पर मंडराता दिखाई दिया। पाक सेना जमाअत-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद तथा लाल मस्जिद के इमाम अबदुल अज़ीज़ के मध्य वैचारिक रूप से आखिर क्या अंतर देखती है? कुल मिलाकर पाक सेना को इस बात पर बड़ी संजीदगी से गौर करना चाहिए कि पाकिस्तान में आतंकवाद का साम्राज्य स्थापित करने वाली तथा बेगुनाह आवाम यहां तक कि मासूम बच्चों का खून बहाने वाली यह सभी वही ताकतें हैं जो अफगानिस्तान के तालिबानों की तजऱ् पर ही पाकिस्तान में भी शरिया कानून स्थापित करना चाहती हैं। अब यह पाक सेना को देखना है कि वह पाकिस्तान को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में बचाए रखना चाहती है या फिर पेशावर के इन बच्चों व बेगुनाहों के कातिलों के हाथों में देश को सौंपकर वहां शरिया कानून लागू कराने जैसी हिमाक़त करना चाहती है। बहरहाल जो भी हो पेशावर हादसे के बाद पाक सेना व सरकार को मिल रहे आतंकवाद विरोधी भारी जनसमर्थन के बीच निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद का सफाया यदि अब भी नहीं हो सका तो संभवत: भविष्य में कभी भी नहीं हो सकेगा। :-तनवीर जाफरी
पैरिस – पैगंबर मोहम्मद के कार्टून छापने की वजह से आतंकी हमले की शिकार हुई फ्रेंच मैगजीन शार्ली एब्दो वापसी कर रही है । हमले के बाद बुधवार को छपने जा रहे एडिशन में एक बार फिर पैगंबर के कार्टून छापे जाएंगे।
शार्ली एब्दो मैगजीन के वकील ने सोमवार को जानकारी दी पत्रिका के आने वाले एडिशन में पैगंबर मोहम्मद के रेखाचित्र और कार्टून प्रमुखता से छापे जाएंगे। मैगजीन के कॉलमनिस्ट पैट्रिक पेलक्स ने कहा कि यह इश्यू बुधवार को आएगा। खास बात यह है कि इस मैगजीन को 16 भाषाओं में दुनियाभर में रिलीज किया जाएगा।
मैगजीन के वकील रिचर्ड मल्का ने फ्रेंच रेडियो से बातचीत में कहा कि आने वाले एडिशन में अन्य विषयों के साथ निश्चित तौर पर पैगंबर मोहम्मद पर भी व्यंग्य किया जाएगा। इसका मकसद स्टाफ द्वारा यह दिखाना है कि चरमपंथी उन्हें चुप नहीं कर सकेंगे।
बीते बुधवार को फ्रांस की सबसे पॉप्युलर व्यंग्यात्मक मैगजीन शार्ली एब्दो के ऑफिस पर हमला करके इसके इसके टॉप कार्टूनिस्ट मार दिए गए थे। आतंकियों ने बताया है कि पैगंबर मोहम्मद के कार्टून छापने की वजह से यह हमला किया गया है। इससे पहले साल 2011 में भी मैगजीन के दफ्तर में आग लगा दी गई थी।
इस्लामाबाद – पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने सोमवार को भारत पर पाकिस्तान में आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि पाकिस्तान में आतंकी हमलों के लिए भारत आतंकी संगठनों की मदद कर रहा है। साथ ही आसिफ ने तालिबान के भारत के साथ जुड़े होने का दावा करते हुए कहा कि तालिबान का संबंध भारत से है और पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान विद्रोह में भारत की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि, जब उनके दावे के बारे में सबूत देने के कहा गया तो उन्होंने सवाल टाल दिया। आसिफ ने यह आरोप पाकिस्तानी टीवी चैनल से बात करते हुई लगाए हैं।
पाकिस्तान द्वारा लगाए गए आरोपों का भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया के साथ पलटवार किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि यह सभी का पता है कि भारत वह देश नहीं है जो आतंकी संगठनों की मदद करता है। उन्होंने कहा, “हम सब जानते हैं कि आतंक को कौन बढ़ावा दे रहा है और कौन उसके खत्म करने के प्रयास कर रहा है। आतंक को बढ़ावा देने वाला देश भारत तो निश्चित रूप से नहीं है। “
गौरतलब है कि इससे पहले पाक पीएम नवाज शरीफ के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा था कि अफगानिस्तान की जमीन का भारत पाकिस्तान में हमले कराने के लिए कर रहा है।
पाकिस्तान क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान मिस्बाह उल हक ने ऐलान किया है कि वो विश्वकप के बाद वन-डे क्रिकेट और टी-20 क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे लेकिन वो अभी टेस्ट क्रिकेट खेलते रहेंगे। पाक मीडिया से बात करते हुए मिस्बाह ने कहा कि उन्होंने काफी सोच-विचार कर यह फैसला किया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान क्रिकेट के बड़े नामों में से एक मिस्बाह को पाक टीम की सबसे लंबे वक्त कप्तानी करने का सौभाग्य प्राप्त है।
फिलहाल मिस्बाह का पूरा फोकस इस समय अगले महीने होने वाले विश्वकप पर ही है। आपको बता दें कि मिस्बाह ने अपना पहला वन डे साल 2002 में खेला था। उन्होंने अब तक 153 वन-डे मैचों में 42.83 की औसत से 4,669 रन बनाए हैं। वर्ल्ड कप में उनके सामने वन-डे क्रिकेट में पांच हजार रन पूरे करने का भी मौका होगा।
विश्वकप 2015 के बाद पाकिस्तान के सबसे सफल कप्तान मिस्बाह लेंगे वनडे से संन्यास पिछले साल नवंबर में न्यूजीलैंड पर मिली 248 रनों की बड़ी जीत के साथ ही मिस्बाह उल हक पाकिस्तान के सबसे सफल टेस्ट कप्तान बन गए थे। मिस्बाह की कप्तानी में पाकिस्तान की यह 15वीं जीत थी। मिस्बाह ने यह सफलता महज 32 मैचों में कप्तानी करते हुए हासिल की थी।
मिस्बाह के नेतृत्व में पाकिस्तान को नौ में हार का सामना करना पड़ा है जबकि आठ मैच ड्रा रहे। मिस्बाह हैं पाकिस्तान के सबसे सफल टेस्ट कप्तान इससे पहले इमरान खान और जावेद मियांदाद की कप्तानी में पाकिस्तान ने 14-14 मैच जीते थे। इमरान और जावेद ने हालांकि क्रमश: 48 और 34 मैचों में पाकिस्तान टेस्ट टीम की कप्तानी की। वसीम अकरम द्वारा की गई 25 मैचों की कप्तानी में पाकिस्तान ने 12 मैच जीते हैं। वहीं, इंजमामुल हक द्वारा की गई 31 मैचों की कप्तानी में पाकिस्तान 11 में विजयी रहा है।
सिरसा – डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा गुरमीत राम रहीम की की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। सेंसर बोर्ड ने बाबा की फिल्म पर रोक लगा दी है। मिली जानकारी के अनुसार सेंसर बोर्ड ने यह कहते हुए बाबा की फिल्म पर रोक लगाया है कि फिल्म एमएसजी में राम रहीम को भगवान के रूप में पेश किया गया है, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती है।
फिलहाल फिल्म की समीक्षा समिति के पास भेजा गया है। आखिरी फैसला आने के बाद ही बोर्ड फिल्म को प्रमाण पत्र देगा। वहीं दूसरी तरफ सीबीआई बाबा राम रहीम को दिल्ली में लाकर पूछताछ करेगी।
सूत्र बताते है कि यदि बाबा राम रहीम यदि इस पूछताछ में सहयोग नहीं करते है, तो उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई अधिकारी शुरू से ही बाबा से सिरसा में पूछताछ नहीं करना चाहती थी। जांच एजेंसी का मानना था कि सिरसा में पूछताछ में बाबा राम रहीम के समर्थक कार्रवाई में बाधा पैदा कर सकते थे। इसलिए दिल्ली की यूनिट ने पूछताछ की योजना बनाई है।
सीबीआई ने 400 लोगों को नपुंसक बनाने का आरोप लगने के बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसी संबंध में पिछले हफ्ते विशेष जांच टीम (एसआईटी) के चार सदस्यों ने सिरसा का दौरा किया। जांच दल के सदस्यों ने बाबा राम रहीम के सिरसा आश्रम की छानबीन की और बिल्डिंग से कई विस्तृत जानकारियां हासिल की।
आश्रम ही नहीं जांच के दौरान एसआईटी के सदस्यों ने बाजार, अस्पताल और डेरा द्वारा संचिलित संस्थानों का भी दौरा किया। दिलचस्प बात यह है कि सीबीआई के अधिकारियों ने अपने वाहन को शहर में खड़ा किया और आश्रम तक जाने के लिए ऑटोरिक्शा का सहारा लिया गया। इस बीच सीबीआई अधिकारियों ने स्वीकार किया कि नपुंशक बनाए जाने के मामले में पीडि़त संतों का पता लगाना आसान नहीं होगा। खासकर तब जब आरोप कई साल पुराने हैं। – ब्यूरो
नई दिल्ली –भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज के 4 बच्चे पैदा करने वाले बयान पर उठा विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि एक बार फिर ऐसी ही बात सामने आ गई है। इस बार साधु नहीं बल्कि साध्वी ने ऐसा बयान दिया है। विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी प्राची ने कहा है कि शेर का बच्चा एक नहीं होता। हमारी हिंदू माता-बहनों को चार बच्चे पैदा करना चाहिए। अपने बयान में प्राची ने कहा कि एक बच्चा सीमा पर देश की रक्षा करेगा, एक संतों को दे दीजिए और एक समाज के काम आयेगा।
जो समाज के काम आयेगा उसे विश्व हिंदू परिषद की झोली में डाल दीजिए। जिससे वो देश की रक्षा, देश की संस्कृति के लिए काम करेगा। ये बेहद जरूरी है। साध्वी प्राची ने यह बयान राजस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया। साध्वी के बयान के बाद इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी शुरु हो गई है। सीपीएम नेता वृंदा करात ने साध्वी प्राची के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे लोगों को कौन गंभीरता से लेगा।
उल्लेखनीय है कि अभी कुछ दिनों पहले सांसद साक्षी महाराज ने भी ऐसा बयान दिया था। मेरठ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान साक्षी महाराज ने कहा था कि हिंदू महिलाओं को चार बच्चे पैदा करना चाहिए। इस बयान के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इसे उनका निजी बयान बताते हुए पार्टी को उससे अलग कर लिया था। पार्टी से सहयोग नहीं मिलने और विपक्ष के निशाने पर आने के बाद अकेले पड़े भाजपा सांसद बैकफुट पर आ गए। आखिरकार उन्हें अपने बयान सफाई देनी पड़ी थी। -एजेंसी / ब्यूरो
मुंबई– शेयर बाजार के निवेशकों की निगाह अगले हफ्ते मौजूदा कारोबारी साल की तीसरी तिमाही के लिए जारी किए जाने वाले कंपनियों के परिणामों तथा थोक और उपभोक्ता महंगाई दर के आंकड़ों पर टिकी रहेगी।
आगामी सप्ताह में विदेशी संस्थागत निवेश के आंकड़ों, वैश्विक बाजारों के रुझान, डॉलर के मुकाबले रुपए की चाल और तेल के मूल्य पर भी निवेशकों की नजर बनी रहेगी। तीसरी तिमाही अक्टूबर-दिसंबर 2014 के लिए कंपनियों के परिणाम आने शुरू हो गए हैं। परिणाम जारी करने का दौर फरवरी के दूसरे सप्ताह तक चलेगा।
निवेशक इन परिणामों के साथ मिलने वाली कंपनी की भावी रणनीति और आय की संभावना पर विशेष ध्यान रखेंगे, जो उन्हें भावी निवेश की दिशा अपनाने में मदद करेंगे। सोमवार 12 जनवरी को सरकार नवंबर 2014 के लिए औद्योगिक उत्पादन संबंधी आंकड़े जारी करेगी। अक्टूबर 2015 में औद्योगिक उत्पादन में 4.2 फीसदी गिरावट रही थी। सरकार सोमवार 12 जनवरी को ही दिसंबर महीने के लिए उपभोक्ता महंगाई दर के आंकड़े भी जारी करेगी। बुधवार 14 जनवरी को सरकार दिसंबर महीने के लिए थोक मूल्य पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी करेगी। नवंबर में हीने में थोक महंगाई दर शून्य फीसदी रही थी।
निवेशकों की निगाह अगले हफ्ते कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत पर भी टिकी रहेगी। हाल के महीनों में तेल मूल्य में काफी गिरावट दर्ज की गई है और यह 50 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चल रहा है। कच्चे तेल की कीमत घटने से सरकार को चालू खाता घाटा और ईंधन महंगाई दर कम करने में मदद मिलेगी। देश को अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करना पड़ता है।
आगामी सप्ताह सरकारी तेल विपणन कंपनियों के शेयरों पर भी नजर रहेगीए क्योंकि ये कंपनियां 16 दिसंबर को ईंधन मूल्य में संशोधन करने का फैसला कर सकती हैं। तेल विपणन कंपनियां हर महीने के शुरू और मध्य में पिछले दो सप्ताह में आयातित तेल मूल्य के आधार पर ईंधन मूल्यों की समीक्षा करती हैं।
कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से विकास को लेकर बनी आशंका और यूनान में राजनीतिक अनिश्चितता से निवेशको की मुनाफावसूली से बीते सप्ताह घरेलू शेयर बाजार 1.5 प्रतिशत तक फिसल गए। बीएसई का सेंसेक्स 1.54 फीसदी अर्थात 429 अंक उतरकर 27458.38अंक और एनएसई का निफ्टी 110.95 अंक अर्थात 1.32 प्रतिशत गिरकर 8284.50 अंक पर रहा।
बीएसई में धातु समूह सबसे अधिक नुकसान में रहा। इसके बाद पावर, रियल्टी, बैंकिंग और कैपिटल गुड्स समूह दो प्रतिशत तक टूटे। हांलाकि एफएमसीजी समूह में एक प्रतिशत से अधिक की और आईटी समूह में भी इसी तरह की बढ़ोतरी दर्ज की गई। -एजेंसी
बॉलीवुड अभिनेता ज़ाएद खान मुम्बई के पुलिस जिमखाना क्रिकेट की पिच पर बल्ला लिए उतरे और लगाए कुछ शॉट्स। ज़ाएद खान यहां आए थे आरएसबी एल नाहर मीडिया कप 2015 के उद्घाटन समारोह में। उद्घाटन समारोह के बाद ज़ाएद खान ने भी हाथों में बल्ला उठा लिया और बल्लेबाज़ी के कुछ नमूने दिखा दिए।
आरएसबीएल नाहर मीडिया कप 2015 का उद्घाटन महारष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के हाथों हुआ। ज़ाएद ने यहां बताया कि उन्हें क्रिकेट का शौक़ है और वो खुद भी सेलिब्रिटी क्रिकेट लीग के सदस्य हैं, इसलिए जैसे ही उन्हें मौका मिला वो आरएसबीएल नाहर मीडिया कप 2015 में शिरकत करने चले आए।
फिलहाल ज़ाएद व्यस्त हैं, अपनी आने वाली फ़िल्म “शराफत गई तेल लेने” के प्रचार में जो 16 जनवरी को रिलीज़ हो रही है। इस फ़िल्म के ज़रिये वो कई सालों बाद परदे पर वापसी कर रहे हैं। इसलिए फ़िल्म “शराफत गई तेल लेने” के प्रचार का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इस क्रिकेट ग्राउंड पर भी ज़ाएद ने अपनी फ़िल्म का प्रचार किया और साथ ही एक सन्देश भी दे दिया।
ज़ाएद ने कहा की “मेरी फ़िल्म “शराफत गई तेल लेने” के टाइटल को मज़ाक में और मनोरंजन की तरह लें। हम सिर्फ इस फ़िल्म से मनोरंजन करना चाहते हैं। आप शराफत गई तेल लेने को गंभीरता से न लें और आप अपनी निजी ज़िन्दगी में शराफत कभी नहीं छोड़ें। अच्छे इंसान बनें”।
पिछले 11 सालों से जनता तक खबरें पहुंचाने वाले मीडिया कर्मियों के लिए ये एक मनोरंजन की तरह होता जिसमें मुम्बई की पूरी मीडिया हिस्सा लेती है। इस साल भी करीब 80 टीमें भाग ले रही हैं जिनमें एनडीटीवी की टीम भी शामिल है।
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-सबसे पहले आपको अपना जीमेल अकाउंट साइन-इन करना होगा। -दाईं ओर ऊपर कोने में यूजर नेम दिखेगा जहां क्लिक करते ही बाईं ओर अकाउंट लिखा हुआ होगा जिसपर क्लिक करें। -अकाउंट पर क्लिक करते ही एक नए टैब में पेज खुल जाएगा। -इस पोज के सबसे ऊपर सेक्युरिटी चेकअप लिखा होगा। इस पेज पर आपके अकाउंट की सारी जानकारी होगी। -इस पेज को स्क्रॉल करें नीचे आपको अकाउंट टूल का ऑप्शन मिलेगा इस अकाउंट टूल में ही डाउनलोड डेटा का ऑप्शन होगा जिस पर क्लिक करें। -इस पर क्लिक करते ही आपके जितने भी गूगल साइट पर डेटा है सबका बैक ऑप्शन आ जाएगा पर सिर्फ जीमेल का बैकअप बनाने के लिए आपको सबसे ऊपर लिखे Select none पर क्लिक करें। -इसके बाद जीमेल के सामने बॉक्स में क्लिक करें और नीचे next पर जाएं। – next पर क्लिक करते ही आपका पूरा डेटा zip फॉर्मेट में डाउनलोड हो जाएगा। इस zip फाइल को पहले unzip करते हैं ऐसा करते ही इसमें एक mail फोल्ड खुलेगा जिसमें .mbox एक्टेंशन वाली फाइल होगी। इसपर ये फाइल आपके कंप्यूटर में तभी खुल सकेगी जब इसमें आप मॉजिला का थंडरबर्ड सॉफ्टवेयर डाउनलोड करेंगे। इसे डाउनलोड करने के लिए इस लिंक का mozilla.org/thunderbirdकरना होगा। इसके बाद आप ऑफलाइन होते हुए भी अपने मेल को पढ़ सकेंगे।
पंजाब एवं जम्मू कश्मीर में ‘लोहड़ी’ नाम से मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार लोहड़ी मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाई जाती है। लोहड़ी का पर्व जनवरी माह में मनाया जाता है। संक्रांति के एक दिन पूर्व जब सूरज ढल जाता है तब घरों के बाहर बड़े-बड़े अलाव जलाए जाते हैं। जनवरी की तीखी सर्दी में जलते हुए अलाव अत्यन्त सुखदायी व मनोहारी लगते हैं।
स्त्री तथा पुरुष सज-धजकर अलाव के चारों ओर एकत्रित होकर भांगड़ा नृत्य करते हैं। चूंकि अग्नि ही इस पर्व के प्रमुख देवता हैं, इसलिए चिवड़ा, तिल, मेवा, गजक आदि की आहूति भी अलाव में चढ़ायी जाती है। नगाड़ों की ध्वनि के बीच यह नृत्य एक लड़ी की भाँति देर रात तक चलता रहता है।
इसके बाद सभी एक-दूसरे को लोहड़ी की शुभकामनाएं देते हैं तथा आपस में भेंट बांटते हैं और प्रसाद वितरण भी होता है। प्रसाद में पांच मुख्य वस्तुएं होती हैं – तिल, गजक, गुड़, मूँगफली तथा मक्का के दाने। आधुनिक समय में लोहड़ी का पर्व लोगों को अपनी व्यस्तता से बाहर खींच लाता है। लोग एक-दूसरे से मिलकर अपना सुख-दु:ख बांटते हैं। यही इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य भी है।
ये है लोहड़ी पर्व की कथा द्वापरयुग में जब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया, तब कंस सदैव बालकृष्ण को मारने के लिए नित नए प्रयास करता रहता था। एक बार जब सभी लोग मकर संक्रांति का पर्व मनाने में व्यस्त थे। कंस ने बालकृष्ण को मारने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल में भेजा, जिसे बालकृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था।
लोहिता नामक राक्षसी के नाम पर ही लोहड़ी उत्सव का नाम रखा। उसी घटना की स्मृति में लोहड़ी का पावन पर्व मनाया जाता है। सिंधी समाज में भी मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व ‘लाल लोही’ के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है।
पंजाब में मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व लोहड़ी का पर्व बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली की तरह ही लोहड़ी की शाम को भी लकडिय़ां इकट्ठी कर जलाई जाती हैं और तिलसे अग्निपूजा की जाती है। इस त्योहार का रोचक तथ्य यह है कि इस त्योहार के लिए बच्चों की टोलियां घर-घर जाकर लकडिय़ां इकट्ठा करती हैं और लोहड़ी के गीत गाती हैं। इनमें से एक गीत खूब पसंद किया जाता है-
सुंदर मुंदरिए। …हो तेरा कैन बेचारा, …हो दुल्ला भट्टी वाला, …हो दुल्ले धी ब्याही, …हो सेर शक्कर आई, …हो कुड़ी दे बोझे पाई, …हो कुड़ी दा लाल पटारा, …हो
एक किवदंती के अनुसार एक ब्राह्मण की बहुत छोटी कुंवारी कन्या को जो बहुत सुंदर थी उसे गुंडों ने उठा लिया। दुल्ला भट्टी ने जो मुसलमान था, इस कन्या को उन गुंडों से छुड़ाया और उसका विवाह एक ब्राह्मण के लड़के से कर दिया। इस दुल्ला भट्टी की याद आज भी लोगों के दिलों में हैं और लोहड़ी के अवसर पर छोटे बच्चे गीत गाकर दुल्ला भट्टी को याद करते हैं।
मुजफ्फरनगर – मुजफ्फरनगर में नई मंडी कोतवाली क्षेत्र में जानसठ रोड पर आसाराम के पूर्व नौकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अखिल गुप्ता नाम का यह शख्स आसाराम के आश्रम में नौकरी करता था और सूरत रेप केस में अहम गवाह था। पिछले साल जून में आसाराम केस से जुड़े एक अन्य गवाह की भी हत्या हो गई थी। अज्ञात हमलावरों ने गुजरात में आसाराम के पूर्व सहायक अमृत प्रजापति की हत्या कर दी थी।
सूरत की दो बहनों ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साई पर बलात्कार का आरोप लगाया था। मारे गए अखिल इस केस में अहम गवाह थे। आसाराम इस वक्त एक अन्य नाबालिग लड़की से रेप के मामले में जेल बंद हैं। जब आसाराम को रेप मामले में गिरफ्तार किया गया था तो गुजरात पुलिस अखिल को मुजफ्फरनगर से पूछताछ के लिए अपने साथ गुजरात ले गई थी। बताया जा रहा है कि अखिल ने आसाराम को लेकर कई अहम खुलासे किए थे। अखिल गुप्ता को सरकारी गवाह भी बनाया गया था। हालांकि अखिल के सरकारी गवाह बनने के मामले में मुजफ्फरनगर पुलिस अभी कोई पुष्टि नहीं कर रही हैं। पुलिस पूरे मामले की जांच-पड़ताल में जुटी है।
इस सनसनीखेज हत्याकांड को लेकर पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मचा है। मृतक की स्थानीय स्तर पर किसी से दुश्मनी की बात पता नहीं चल पाई है, इसलिए इस हत्याकांड को लोग आसाराम प्रकरण से जोड़कर देख रहे हैं। एसएसपी हरिनारायण सिंह ने कहा कि मृतक के साथ लूटपाट भी नहीं हुई और कोई रंजिश भी सामने नहीं आई है। उनका कहना है कि हत्या की कई पहलुओं पर जांच की जा रही है।। सूचना पर तमाम पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और बदमाशों की तलाश में चेकिंग अभियान चलाया, लेकिन हत्यारों का कोई पता नहीं चला।
32 वर्षीय अखिल गुप्ता डेयरी चलाते थे। रविवार रात वह डेयरी बंद करने के बाद स्कूटर पर सवार होकर घर लौट रहे थे। जैसे ही वह जानसठ रोड पर महालक्ष्मी एनक्लेव के सामने पहुंचे तो अज्ञात हमलावरों ने उस पर ताबड़तोड़ फायर किए। तीन गोली लगने से अखिल लहूलुहान होकर गिर पड़े। वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावर फरार हो गए। गोलियों की आवाज सुनकर मौके पर भीड़ इकट्ठा हो गई।
वारदात की जानकारी मिलने पर अस्पताल पहुंचे परिवार के लोगों ने बताया कि अखिल पहले आसाराम के अहमदाबाद स्थित आश्रम में बतौर रसोइया काम करता था। उसकी शादी भी आसाराम के आश्रम में ही रहने वाली रायपुर निवासी वर्षा से हुई थी। आसाराम के रेप संबंधी आरोपों में घिरने से कुछ समय पहले ही अखिल पत्नी वर्षा के साथ अहमदाबाद से लौट आया था। आसाराम की गिरफ्तारी के बाद गुजरात पुलिस अखिल को पूछताछ के लिए साथ ले गई थी, जहां वह सरकारी गवाह बन गया था।
पैरिस – शुक्रवार को पैरिस की सुपरमार्केट में हमले के दौरान लोगों की जान बचाने के लिए सुपरमार्केट में काम करने वाले माली के एक मुस्लिम युवक की खूब प्रशंसा हो रही है। उस युवक ने कोल्ड-स्टॉरेज रूम में छिपाकर कुछ कस्टमर्स की आतंकियों से जान बचाई।
इस युवक की पहचान माली के नागरिक लस्साना बाथिली के रूप में हुई है। वह मुस्लिम है। वह उसी सुपरमार्केट में काम करता है जहां शुक्रवार को दो आतंकी भाइयों ने लोगों को बंधक बना लिया था।
लसाना बाथिली का साहसिक कारनामा उस समय सामने आया जब शनिवार को फ्रांस की पुलिस घटना से संबंधित सुराग जुटाने में लगी थी।
एक फ्रेंच चैनल को दिए इंटरव्यू में बाथिली ने बताया कि जब बंदूकधारी आतंकवादी दुकान में घुस आए तो उन्होंने करीब 15 लोगों को बेसमेंट रूम में पहुंचा दिया। उसके बाद उन्होंने दुकान की सारी लाइटें ऑफ कर दीं।
घटना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ‘हम वहां बंद थे। मैंने उनलोगों से कहा शांति से रहो, किसी तरह का शोरगुल मत करो नहीं तो वह लोग हमारी आवाज सुन लेंगे और नीचे आकर हमलोगों को जान से मार देंगे।
बाद में बाथिली ने कमरा छोड़कर बाहर निकलने का फैसला किया और ऊपर की ओर जाने वाले एक एलिवेटर से बाहर निकलने की सोचा। उन्होंने अन्य लोगों को भी अपने साथ आने के लिए कहा लेकिन और लोग घबरा गए। उनको लगा कि यदि वे भागने का प्रयास करेंगे तो बंदूकधारी आतंकी उनकी आवाज सुन लेगा इसलिए उनलोगों ने छिपे ही रहने का फैसला किया।
जब बाथिली बच गया और बाहर निकला पुलिस ने गलती से उनको ही आतंकी समझ लिया। पुलिस ने उनको लेट जाने और अपना हाथ अपने सिर पर रख लेने को कहा। उन्होंने बताया कि मैं थोड़ा कन्फयूज हो गया क्योंकि मैंने सोचा भी नहीं था कि गलती से मैं ही आतंकी समझ लिया जाउंगा।
उसके बाद करीब डेढ़ घंटे तक बाथिली को हथकड़ी पहनाए रखा गया। इसी दौरान उनको पुलिस की मदद करने का मौका मिल गया। उन्होंने पुलिस को दुकान का नक्शा बताकर बंधकों को मुक्त कराने में मदद की। जब ऑपरेशन समाप्त हो गया तो लोग बाहर निकल आए। लोगों ने बाहर आते ही बाथिली का शुक्रिया अदा किया।
शनिवार को जैसे ही उनके बहादुरी भरे कारनामे की खबर फैली वैसे ही उनकी सोशल साइटों पर खूब प्रशंसा होने लगी। उनके इस कारनामे के लिए लोगों ने उसे फ्रांस के सर्वोच्च अवॉर्ड लिजन ऑफ ऑनर या फ्रांस की नागरिकता देने की मांग की है।
गांधीनगर – वाइब्रेंट गुजरात समिट 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हम नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर बढ़ने के बारे में सोच रहे हैं। जैसे हमें हाइवे की जरूरत है, उसी तरह i-ways(इन्फर्मेशन) की भी जरूरत है। हमने पब्लिक-प्राइवेट इनवेस्टमेंट के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर जोर दिया है।’ मोदी ने कहा कि भारत अपने नागरिकों को 3D ऑफर कर रहा है, डिमॉक्रेसी, डीमोग्रफी और डिमांड।
पीएम ने अपने भाषण की शुरुआत में फ्रांस में शार्ली एब्दो मैगजीन पर हुए हमले की निंदा की। मोदी ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले सालों में विश्व की दूसरी सबसे तेजी से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था होगी।
मोदी ने कहा कि लोग उन पर चीजों को हाइप करने का आरोप लगाते हैं लेकिन वह ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उनकी सरकार काम करे। इसी वदह से सात महीने में ही निराशा और अनिश्चितता का माहौल बदला है।
वाइब्रेंट गुजरात समिट में पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि अगर भारत और अमेरिका साथ मिलकर काम करते हैं तो सबसे पुराना लोकतंत्र और सबसे बड़ा लोकतंत्र मिलकर दुनिया से गरीबी को खत्म कर देंगे।
केरी के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारतीय गणतंत्र दिवस पर पहले चीफ गेस्ट बनने को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात की भी तारीफ की और कहा कि इस राज्य में विकास की काफी संभावनाएं हैं। केरी ने मोदी और ओबामा दोनों के सफर को एक जैसा बताया और कहा कि दोनों साधारण परिवारों से शीर्ष तक पहुंचे।
इस मौके पर ब्रिटेन के मंत्री इआन लिविंगस्टन ने कहा, ‘गुजरात में कोई डिप्लोमैटिक मिशन शुरू करने वाला ब्रिटेन पहला देश है, ब्रिटेन और भारत की साझेदारी को कोई हरा नहीं सकता, हम भारत के साथ एक मजबूत साझेदारी की कामना करते हैं।’
भूटान के पीएम शेरिंग तोगबे ने इस मौके पर हिंदी में भाषण दिया। उन्होंने कहा, ‘मैंने मोदी जी से कहा था कि मैं भी धार्मिक यात्रा के लिए वाराणसी और बोधगया जाऊंगा। लेकिन हमारे लिए धार्मिक के साथ-साथ आर्थिक यात्रा भी जरूरी है, इसलिए मैं यहां आर्थिक यात्रा पर आया हूं।’
गुजरात में सातवीं बार ‘वाइब्रेंट गुजरात’ समिट के शुरू होने पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने गुजरात सरकार से पूछा है कि 2003 से 2014 के बीच उनके राज्य में कितना निवेश हुआ है?
इससे पहले, रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बन सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन ने पीएम मोदी के अभियान ‘मेक इन इंडिया’ की तारीफ करते हुए कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रमों से देश में एक नया उत्साह आया है। अंबानी ने एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि रिलायंस गुजरात में 1 लाख करोड़ रुपये निवेश करेगी।
नई दिल्ली – दिल्ली रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आम आदमी पार्टी पर लगाए गए आरोपों के जवाब में अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने निजी हमले किए जबकि असली मुद्दों पर कोई बात नहीं की।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मोदी ने मुझे झूठा, अनार्किस्ट, धरना करने वाला बोला लेकिन हम कभी किसी पर निजी हमले नहीं करते इसलिए इन आरोपों का मैं कोई जवाब नहीं दूंगा लेकिन मैं पूछना चाहूंगा कि उन्होंने छह महीने पहले जो वादे किए थे वे अब कहां हैं। केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली की बीजेपी रैली की खास बात यह रही कि सभी नेताओं के भाषणों में 49 दिनों की हमारी सरकार के बारे में एक भी लाइन नहीं थी। उन्होंने कांग्रेस के 15 साल के शासन पर बात की लेकिन हमारी सरकार के बारे में कुछ नहीं बोला। इसका मतलब मैंने अच्छा काम किया है।’
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि जिस रामलीला मैदान में अन्ना का आंदोलन हुआ और बीजेपी ने उसका समर्थन किया था, आज उसी जगह बीजेपी ने उसका मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने छह महीने पहले बहुत सारे वादे किए थे लेकिन कुछ भी पूरा नहीं किया। आम आदमी पार्टी नेता ने कहा, ‘उन्होंने कहा था कि दिल्ली में 30 फीसदी बिजली के दाम कम कर देंगे लेकिन छह महीने में एक पर्सेंट भी कम नहीं किए। उनके पास स्कीम है एक बल्ब लगाने की जिससे साल में 300 रुपये के हिसाब से 25 रुपये महीना बचेंगे। हम साफ-साफ कहते हैं, लोगों का बिजली बिल आधा कर देंगे।’
केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर दिल्ली की झुग्गियां तोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मकान बनाने का वादा था पर पिछले छह महीने में एक भी मकान नहीं बना, वजीरपुर और ओखला की झुग्गियां तोड़ जरूर दी गईं।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी कहते हैं अभी तो पीएम के दफ्तर की सफाई हुई है, अगर एक दफ्तर की सफाई करने में उन्हें सात महीने लगते हैं तो फिर लोगों के घर तक पहुंचने में तो पता नहीं कितने साल लगेंगे। उन्होंने कहा, ‘वे 2020 के वादे करते हैं, 2022 के दावे करते हैं, मैं पूछता आज अभी क्या करने वाले हो। मैं आज की बात करता हूं।’
केजरीवाल ने बीजेपी नेताओं के विवादित बयानों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी ने नारा दिया था बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार मोदी सरकार लेकिन सरकार में आने के बाद जैसे नारे लग रहे हैं उससे लगता है कि पूरी भारतीय जनता पार्टी महिलाओं के खिलाफ है। चार-चार बच्चे पैदा करो, मोबाइल फोन मत रखो, जींस मत पहनो, नौकरी मत करो। ये सब दिखाता है कि उनकी मानसिकता क्या है।’
नई दिल्ली – दिल्ली विधानसभा चुनाव के औपचारिक ऐलान से पहले बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के जरिेये आज शक्ति प्रदर्शन कर रही है। इस रैली को प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और साख से जोड़कर देखा जा रहा है। इस रैली को सफल बनाने के लिए बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। हालांकि विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि मोदी की इस रैली के लिए बीजेपी ने भाड़े की भीड़ इकट्ठा की है। विपक्षी दलों, कांग्रेस और आप का आरोप है कि रैली को सफल बनाने के लिए बीजेपी उत्तर प्रदेश और हरियाणा से लोगों को बसों में भरकर लाई है।
आप के नेता और दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती का कहना है कि बहुत बड़ी संख्या में हरियाणा और यूपी से बड़ी संख्या में लोग लाए गए हैं। सोमनाथ भारती का कहना है कि बीजेपी दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन का प्रयास कर रही है। सोमनाथ भारती का कहना है कि पता नहीं कब ये अपनी पुरानी आदतें छोड़ेंगे और कब जनसेवा के काम में जुटेंगे। आम आदमी पार्टी ही नहीं कांग्रेस ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है।
कांग्रेस नेता मुकेश शर्मा का कहना है कि मोदी की रैली को सफल बनाने के लिए जिस तरह स्टेट की मशीनरी का दुरुपयोग किया गया है, कांग्रेस पार्टी उसकी निंदा करती है। मुकेश शर्मा का आरोप है कि यूपी और हरियाणा से 2500 बसों में भरकर लोग लाए गए हैं।
मोदी की रैली में भाड़े की भीड़ के आरोपों को बीजेपी ने खारिज कर दिया है। बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव का कहना है कि मोदी देश के अकेले ऐसे नेता हैं जो अपने दम पर लाखों की भीड़ खींच सकते हैं। नरसिम्हा राव का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी को सुनने के लिए लोग खुद ब खुद अलग-अलग स्थानों से दिल्ली पहुंचे हैं। बीजेपी नेता संबित पात्रा का कहना है कि दिल्ली की जनता आज ड्रामा और डेवलेपमेंट के बीच मुकाबला देखेगी।
प्रधानमंत्री मोदी की इस रैली के बाद बीजेपी दिल्ली में अपने जनाधार का सही आंकलन कर पाएगी। हालांकि दिल्ली में बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपने किसी नेता के नाम का ऐलान नहीं किया है। बीजेपी चाहती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी भुनाया जाए। इसलिए हाल ही में मोदी के नाम पर जिन तीन राज्यों में बीजेपी ने जीता हासिल की, उन सभी राज्यों हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों को भी इस रैली में बुलाया गया है।
नई दिल्ली – सांप्रदायिक राजनीति के माहौल और समुदाय विशेष के वोट बैंक पर हो रही राजनीति पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने चौंकाने वाला बयान दिया है। हालांकि उनका यह बयान देश के हिन्दू और मुसलमानों को तोड़ने की बजाए जोड़ने का काम कर सकता है।
एक टीवी चैनल को दिए बयान में दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मुस्लिम लीग और आरएसएस को अंग्रेजों ने बनाया था। उन्होंने कहा कि इन संगठनों को अंग्रेजों ने इसलिए तैयार किया कि वे देश में हिन्दू और मुसलमान के बीच फूट डालकर यहां शासन कर सकें।
मुसलमानों की रहनुमाई करने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना देश में अंग्रेजी शासन के दौरान 1906 में हुई थी। गौरतलब है कि देश का बंटवारा मुस्लिम लीग की मांग पर ही पाकिस्तान का निर्माण हुआ था। वहीं हिंदूवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का गठन 1925 में हुआ था।
हाल ही में विश्व हिन्दू परिषद की ओर चलाए जा रहे घर वापसी कार्यक्रम पर एमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि दुनिया में पैदा होने वाला हर इंसान मुसलमान होता है। उन्होंने कहा कि जब तक पूरी दुनिया के लोग मुसलमान नहीं बन जाते तब तक असली घर वापसी नहीं होगी।
इसके बाद भाजपा के सांसद साक्षी महाराज ने मेरठ में आयोजित एक धार्मिक सभा के दौरान कहा हिंदुओं को कमसे कम चार बच्चे पैदा करने का बयान दिया था। उनके इस बयान पर जमकर सियासी हंगामा हुआ भी हुआ था।
गौरतलब है कि दो दिन पहले ही एक धर्म विशेष के लोगों ने पेरिस में एक कार्टून पत्रिका के दफ्तर पर हमला कर 10 पत्रकारों समेद 12 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इस पेरिस में हुए इस हमले से दुनिया भर में धार्मिक कट्टरता के खिलाफ आवाज उठ रही है।
फरीदाबाद – फरीदाबाद की पुलिस ने एक के बाद एक कई हत्याओं के आरोपी रिक्शा चालक रिंकू को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के मुताबिक, रिक्शा चालक हर बार नए गमछे से सवारी का गला घोंटने के बाद, सारा कैश व सामान निकाल लेता था। उसको लूट में कभी बड़ी रकम नहीं मिली। कभी 500 तो कभी 700 रुपये या फिर मोबाइल फोन।
डीसीपी क्राइम सुमित कुमार ने बताया कि 27 साल के आरोपी रिक्शा चालक रिंकू के खिलाफ दिल्ली के मानसरोवर, नंद नगरी व शकरपुर इलाके में अपने साथियों की मदद से तीन लोगों की हत्या करने के मामले दर्ज हैं। दिल्ली पुलिस ने उसे और उसके साथियों को अरेस्ट भी किया था, लेकिन जुलाई 2014 में वह जेल से छूटा। तीन महीने पहले वह फरीदाबाद में रिक्शा चलाने लगा। फरीदाबाद में भी वह तीन महीने में पांच हत्याओं का आरोपी है।
क्राइम ब्रांच डी एल एफ एवं बदरपुर बॉर्डर पुलिस टीम आखिरकार सीरियल किलर रिक्शा चालक रिंकू को गिरफ्तार कर लिया। रिंकू ने फरीदाबाद में तीन महीने में 5 लोगों की हत्या किया जाना कबूल किया है। पुलिस को इसे गिरफ्तार करने में करीब 1 महीने का समय लगा।
सिटी में पुलिस को एक के बाद एक सुनसान एरिया में झाड़ियों से शव मिल रहे थे। हर बार शव के गले से पुलिस को एक गमछा भी मिल रहा था। शुरुआती जांच मे पुलिस को लग गया था कि इन वारदात के पीछे एक ही गैंग है। जांच के दौरान पुलिस ने पहले यूपी के लोनी के ऑटो ड्राइवरों के एक गैंग पर शक जताया। इस सिलसिले में पुलिस ने 100 से अधिक ऑटो ड्राइवरों से पूछताछ भी की थी।
हालांकि बाद में रिंकू के खूनी गमछे से बच निकले लोगों से जानकारी मिलने के बाद पुलिस को पता लगा कि हत्याओं को रिक्शा चालक अंजाम दे रहा है। पुलिस रिंकू की तलाश में करीब एक माह से ओल्ड फरीदाबाद चौक, बड़खल चौक व फरीदाबाद रेलवे स्टेशन पर डेरा डाले हुए थी। सिटी में पुलिस को अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक एनआईटी, एसजीएम नगर व ओल्ड फरीदाबाद एरिया से पांच लोगों के शव बरामद हुए थे।
पुलिस कमिश्नर सुभाष यादव ने क्राइम ब्रांच डीएलएफ, बदरपुर बॉर्डर की टीम में शामिल कुछ पुलिसकर्मियों को लेकर एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने आरोपी रिक्शा चालक रिंकू के खूनी गमछे से बच निकलने में कामयाब रहे रवि, तजेंद्र व दिल्ली के राकेश से पूछताछ की, तब पुलिस को सुराग लग सका। शुक्रवार को पुलिस रिंकू तक पहुंच सकी और उसको दबोच लिया। आरोपी रात को लूटपाट करने के लिए अकेली सवारी को चुनता था।
वह सवारी को कई बार शराब का इंतजाम करने के झांसे में ले लेता था। 5 अक्टूबर को रिंकू कैब ड्राइवर राममूर्ति को ओल्ड फरीदाबाद में मिला था। नशा कराने की बात कहकर उसे वह अपने साथ ले गया था और उसकी जाइलो गाड़ी वहीं छूट गई थी। राममूर्ति की हत्या करने के बाद शव को भूजल कार्यालय के पास फेंक दिया गया था। बताया गया कि आरोपी यूरिन करने के बहाने सुनसान जगह पर रिक्शा रोक देता था और फिर पीछे से आकर सवारी के गले में गमछा डाल कर उसे मार डालता और फिर उसका सामान व कैश लूट लेता था।
रिंकू के दो साथियों की तलाश में पुलिस जुट गई है। पुलिस को उम्मीद है कि रिंकू के साथियों श्यामु व बहरू के हाथ लगने पर पुलिस को और सफलता हाथ लग सका है। पुलिस आरोपी को शनिवार में कोर्ट में पेश कर अन्य वारदातों के संबंध में पूछताछ करने के लिए रिमांड पर लेने का प्रयास करेगी। पुलिस ने आरोपी की बहन के घर की भी तलाशी ली। फरीदाबाद में 5 लोगों की हत्या करने व दिल्ली में 3 लोगों की हत्या करने के आरोपी सीरियल किलर रिंकू के पकड़े जाने पर पुलिस भी हैरान है।
पुलिस को जांच में पता लगा कि आरोपी रकम लूटने के लिए वारदातों को अंजाम देता था। वारदातों को अंजाम देने के दौरान आरोपी को कभी 500, 700 व इससे अधिक रकम मिली थी। आरोपी द्वारा मोबाइल फोन भी लूटे जाने की बात सामने आई है। हालांकि आरोपी मोबाइल यूज नहीं करता था। इसके अलावा आरोपी का खुद का रिक्शा था, जबकि पुलिस ने इसका पता लगाने के लिए किराए पर रिक्शा देने वालों से पूछताछ की थी। पुलिस की मानें तो आरोपी पर अपने दो साथियों श्यामु व बहरू के साथ मिलकर दिल्ली के अलग अलग एरिया में तीन लोगों की हत्या करने का आरोप है। डीसीपी सुमित कुमार ने बताया कि रिंकू के साथियों व जानकारों से भी पूछताछ की जाएगी।
शातिर सीरियल किलर आरोपी बंदायू यूपी निवासी रिक्शा चालक रिंकू रुटीन में रिक्शा चलाता था। वारदात के वक्त उसका पूरा प्रयास रहता था कि उसके हाथों से कोई बच न पाए। उससे जो बचकर निकले वह उनको मरा जान कर छोड़ गया था। आरोपी लगातार वारदातों को अंजाम नहीं देता था, वह कुछ दिनों के अंतराल पर अलग अलग एरिया में लोगों को शिकार बनाता था। डीसीपी सुमित कुमार ने बताया कि रिंकू ने पूछताछ के दौरान 5 अक्टूबर को पहली वारदात को अंजाम देना स्वीकार किया है।
राम मूर्ति को रिंकू नशे का इंतजाम करने का बहाना कर अपने साथ ले गया था। कुछ दिनों बाद तक वही रूटीन में रिक्शा चलाता रहा। इसके बाद उसने 18 अक्टूबर को दिल्ली के अशोक नगर निवासी सय्यद तारिक की हत्या कर दी गई। सय्यद तारिक का शव बड़खल पुल के पास से मिला था। इसके बाद पुलिस ने 4 नवंबर को ओल्ड फरीदाबाद में डीपीएस स्कूल के पास ग्रीन बेल्ट से युवक का शव बरामद किया। पुलिस को मृतक के गले से गमछा मिला था। 5 नवंबर को रेलवे रोड पर बांके बिहारी मंदिर के पास पुलिस ने फतेहाबाद के रहने वाले सतीश का शव बरामद किया था।
पैरिस – फ्रांस की राजधानी पैरिस में अलग-अलग जगहों पर लोगों को बंधक बनाने वाले तीन आतंकियों को सुरक्षा एजेंसियों ने मार गिराया, लेकिन अभी उनके लिए चैन की सांस लेने का वक्त नहीं है। अब भी फ्रांस में आतंकी हमले होने का खतरा बना हुआ है क्योंकि एक संदिग्ध महिला आतंकी अब भी फरार बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि उसके पास कई खतरनाक हथियार हो सकते हैं।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, शार्ली एब्दो पर हमले समेत तीनों हमले में शामिल आतंकी एक-दूसरे को जानते थे। इससे पहले भी आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। इनमें से एक ने तो यमन में अलकायदा के ट्रेनिंग कैंप में आतंकी प्रशिक्षण भी लिया है। मैगजीन शार्ली एब्दो के ऑफिस पर हमले के बाद मंगलवार को ही एक 18 वर्षीय संदिग्ध ने सरेंडर कर दिया था, लेकिन दो संदिग्ध काउची भाइयों शरीफ और सईदी की पुलिस को तलाश थी। आखिरकार सुरक्षा बलों ने दोनों शुक्रवार को मार गिराया गया।
यूएनएसए पुलिस यूनियन के गाएल फैबियानो ने बताया कि एक अन्य बंदूकधारी ने दोपहर को पैरिस में कोशेर ग्रॉसरी में कम-से-कम पांच लोगों को बंधक बना लिया था। वह बंदूकधारी भी सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारा गया। बंदूकधारी की पहचान एमेदी काउलीबेली के तौर पर हुई है। एक सूत्र के मुताबिक, कोशेर ग्रॉसरी में मौजूद हमलावर वही था, जिसने गुरुवार को पैरिस के मॉनरूज़ इलाके में एक महिला पुलिसकर्मी की गोली मारकर हत्या की थी।
अधिकारी ने बताया कि कोशेर ग्रॉसेरी में 4 बंधक भी मारे गए, जबकि काउलीबेली की पत्नी फरार होने में कामयाब रही। सुरक्षा एजेंसियों ने बुलेटिन जारी करके कहा है कि मारे गए आतंकवादी काउलीबेली की 26 वर्षीय पत्नी हयात बौमेडिन फरार है। पुलिस के अनुसार उसके पास खतरनाक हथियार हो सकते हैं। बुलेटिन में लोगों से अपील की गई है कि हयात के बारे में कोई सूचना मिलते ही पुलिस को सूचना दें।
फ्रांस के न्यायिक दस्तावेजों से पता चलता है कि काउलीबेली और काउची भाइयों में छोटा शरीफ एक-दूसरे को जानते थे। दोनों ने पत्नियों के साथ 2010 में मध्य फ्रांस में कट्टरपंथी दजमल बेगल से मुलाकात की थी, जिसे आतंकवाद से जुड़े मामले में 10 साल की सजा हुई थी। शरीफ को इससे पहले एक मामले में हिरासत में भी लिया गया था लेकिन बाद में छोड़ दिया गया था। :- एजेंसी
नई दिल्ली – भारत का मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान से अपना प्रॉपर्टी का धंधा चला रहा है। हालही में दाऊद की रिकोर्ड की गई बातचीत में इसका खुलासा हुआ है। उसकी बातचीत के टेप में अपने साथियों से प्रोपर्टी डील और अन्य प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए उसे सुना जा सकता है। एक अंग्रेजी टीवी चैनल की रिपोर्ट में टेप के हवाले से लिखा है कि अंडरवर्ल्ड डॉन ने अरबों रूपए रिएल एस्टेट में इंवेस्ट कर रखे हैं।
हालही में सामने आई दाऊद की ताजा टेप में अपने किसी साथी से यह कहता हुए सुना जा सकता है, “मैं तुम्हें बताना चाहता हूं, मेरे 11 मिलियन रूपए उसके पास हैं और वे इंवेस्टर्स को बेच रहे हैं और मुझे पैसा दे रहे हैं। दूसरी बात यासिर के पास भी मेरे आठ लाख रूपए है। मैंने उसे कहा कि वह अपने पास ही रखे।” इसके साथ ही उसे किसी से 25 मिलियन रूपए मांगते हुए भी टेप में सुना गया है।
इससे पहले भी दाऊद की बातचीत की टेप सामने आई थी, जिसमें रिएल एस्टेट के प्रोजेक्ट में रूचि लेते हुए सुना गया था। दाऊद इब्राहिक 1993 से भारत से फरार है और पाकिस्तान में रहा है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने बार-बार कहा कि दाऊद पाकिस्तान में रह रहा है, जबकि पाकिस्तान लगातार भारतीय खुफिया एजेंसियों के इस दावे को खंडन करता रहा है।
बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी हिट फिल्मों की हैट्रिक लगा दी है। आमिर खान की फिल्म ‘पीके’ हाल ही में प्रदर्शित हुई। फिल्म ‘पीके’ के साथ ही आमिर ने आस्ट्रेलिया में हिट फिल्मों की हैट्रिक लगा दी है। इससे पूर्व आमिर की ‘3 इडियट्स’ और ‘धूम 3’ ने भी ऑस्ट्रेलिया में धूम मचायी थी। ‘पीके’ ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तीसरी विदेशी फिल्म बन गई है।
बताया जाता है कि ‘पीके’ ऑस्ट्रेलिया में 35 स्क्रीनों पर प्रदर्शित हुई थी। भारतीय फिल्मों में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली टॉप पर तीनों फिल्में आमिर की ‘धूम 3’, ‘3 इडियट्स’ और ‘पीके’ हैं। ऑस्ट्रेलिया में 4 लाख से भी कम भारतीय है जबकि ‘पीके’ को एक लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं जो बड़ी बात है।
फिल्म ‘पीके’ के निर्देशक राजकुमार हिरानी ने कहा कि हमें दर्शकों से बहुत शानदार रिस्पॉन्स मिला है। हमें इस बात की बहुत खुशी है कि हमारे काम को दुनियाभर के लोगों से प्यार मिल रहा है।
‘पीके’ ऑस्ट्रेलिया के अलावा अमेरिका और कनाडा समेत कई देशों में शानदार बिजनेस कर रही है। उल्लेखनीय है कि विदेशी बाजार में ‘पीके’ अभी तक 150 करोड़ का कारोबार कर चुकी है। वहीं भारत में ‘पीके’ 300 करोड़ का आंकडा पार करने वाली पहली फिल्म बन चुकी है।
नई दिल्ली – सहकारी बैंक अब गोल्ड लोन बुलेट रीपेमेंट स्कीम के तहत 2 लाख रुपये तक कर्ज दे सकेंगे। रिजर्व बैंक ने इस स्कीम के तहत कर्ज की राशि को दोगुना कर दिया है। पहले सभी राज्य और केंद्र सरकार के सहकारी बैंक को 1 लाख रुपये तक का गोल्ड लोन देने की अनुमति थी।
आरबीआई की अधिसूचना में कहा गया है कि समीक्षा के बाद फैसला किया गया है कि स्कीम के तहत दिए जा सकने वाले कर्ज की राशि 1 लाख रुपये से बढ़ा कर 2 लाख रुपये की जाए। कर्ज की अवधि कर्ज मंजूर होने की तिथि से 12 माह से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
राज्य और केन्द्र के बैंक कई कामों के लिए गोल्ड लोन की सहायता देते हैं, जो उनकी कर्ज देनी की पॉलिसी में होता है। इस पर ब्याज हर महीने के हिसाब से लगेगा, लेकिन इसका भुगतान मूल राशि के साथ कर्ज की अवधि (12 महीने) समाप्त होने पर करना होगा।
बुलेट रिपेमेट स्कीम के तहत बैंकों को लोन पर लोन टू वैल्यू रेशियो 75 फीसदी रखना होता है। अगर बैंक इस लोन टू वैल्यू रेशियो को नहीं बनाए रख पाता है तो इसे गैर निष्पादित-परिसंपत्तियां (एनपीए) के तौर पर लिया जाएगा।
कैथल – पाई क्षेत्र का गांव नरड, जिस अधिकारी के द्वारा गोद लिया गया, उसी अधिकारी के विभाग के द्वारा लोग मौत की जैसी जिंदगी जीने को मजबूर है। उल्लेखनियां है कि प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा नेताओं, अधिकारियों को निर्देश दिये कि गांव के विकास के लिये एक- एक गांव को गोद ले। गांव को गोद लेकर उस गांव में जाकर उसकी हर समस्या का समाधान किया जाये। अधिकारियों के द्वारा गांव को गोद लेने की घोषणा तो कर दी गई। यह घोषणा मात्र कागजी घोषणा बन कर रह गई।
इस गांव नरड को शुगर मिल की प्रबन्धक निदेशिका सुभिता ढ़ाका के गोद लिया गया। गोद लेने के बाद से इस अधिकारी के द्वारा ग्रामीणों की कोई सुध- बुध नही ली गई। ग्रामीण धर्मेन्द्र चहल, महेन्द्र, राजु, आदि ग्रामीणों ने बताया कि शुगर मिल से हर रोज धुआं निकलता है। इस धुयें से दिन के समय तो इतना ज्यादा पता नही चलता, परन्तु रात को इससे बाहर रखें हुये कपड़े, समान आदि पर धुयें के कण चिपके हुये होते है। जिससे कपड़े, समान आदि सभी पर काली छाई से काले हो जाते है। यह धुआं मनुष्य के शरीर में भी जाता है, जिससे गांव में दमा, कैंसर, जुकाम, तपेदिक आदि अनेक बिमारीयां फैल रही है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन तथा प्रदेश सरकार से मांग की है कि उनको इस समस्या से मुक्ति दिलवाई जाये।
यदि ग्रामीणों कोई समस्या है, तो ग्रामीण आकर उनको बताये- ढ़ाका इस बारे में शुगर मिल की प्रबन्धक निदेशिका सुभिता ढ़ाका ने बताया कि ग्रामीण उनको अवगत करवाये। ध्यान दिया जायेगा।
धुयें से फैलती अनेक बीमारियां- सी एम ओ इस बारे में कैथल के सी एम ओ आदित्य स्वरूप गुत्ता ने बताया कि इस धुयें में गन्ने के छोटे- छोटे कण के साथ -साथ धुयें में भी अनेक कण होते है। जो मनुष्य के अन्दर जाकर जम जाते है। बेनोसिसयश आदि जैसी अनेक गम्भीर बीमारियां फैलती है। इससे दमा, कैंसर, जुकाम, तपेदिक, लकवा आदि कई किस्म की बीमारियां फैलती है। ग्रामीणों की जिंदगी बचाने के लिये प्रबन्ध करने जरूरी है।
नई दिल्ली -सरकार नकदी संकट का सामना कर रहे चीनी मिलों को 4,000 रुपये प्रति टन की अधिक सहायता देकर चालू विपणन वर्ष 2014.15 के लिए कच्ची चीनी के निर्यात पर सब्सिडी बढ़ाने पर विचार कर रही है। पिछले वर्ष केन्द्र ने किसानों के गन्ना के बकाए के भुगतान में मदद करने के लिए नकदी संकट का सामना कर रहे चीनी मिलों को 40 लाख टन कच्ची चीनी का निर्यात करने के लिए सब्सिडी देने की घोषणा की थी। यह सब्सिडी योजना सितंबर 2014 में समाप्त हो गई।
सरकारी सूत्रों ने कहा, ‘विपणन वर्ष 2014.15 (अक्तूबर से सितंबर) के लिए कच्ची चीनी के निर्यात पर सब्सिडी देने का प्रस्ताव सक्रिय रूप से विचाराधीन है। निर्धारित पद्धति के आधार पर मौजूदा बाजार कीमत की स्थिति पर विचार करते हुए सब्सिडी की गणना 4,000 रुपये प्रति टन के करीब की गई है।’ एक अन्य सूत्र ने बताया कि एक मंत्रिमंडलीय परिपत्र पहले ही तैयार किया गया है तथा खाद्य मंत्री रामविलास पासवान की मंजूरी के बाद अंतर-मंत्रालयीय परामर्श के लिए वितरित किया जायेगा।
पिछले वर्ष केन्द्र ने हर दो महीने पर सब्सिडी की मात्रा के बारे में समीक्षा करने का फैसला किया था। सरकार ने पहले फरवरी मार्च के लिए 3,300 रुपये प्रतिटन की सब्सिडी निर्धारित की जिसे अप्रैल मई में घटाकर 2,277 रुपये किया गया और जून जुलाई में इसे फिर से 3,300 रुपये किया गया और अगस्त सितंबर में इसे फिर बढ़ाकर 3,371 रुपये किया गया। चीनी मिलों ने विपणन वर्ष 2013.14 (अक्तूबर से सितंबर) में करीब 7.5 लाख टन चीनी का निर्यात किया जिसमें करीब 200 करोड़ रुपये की सहायता दी गई। चीनी उद्योग इस वर्ष के लिए भी निर्यात सब्सिडी का विस्तार करने की अपेक्षा कर रहा है क्योंकि चीनी मिलें विगत कुछ वर्षों में अधिक उत्पादन के कारण स्थानीय कीमतों में गिरावट के मद्देनजर गन्ना बकाये के भुगतान के लिए नकदी संकट का सामना कर रही हैं।
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने कहा कि घरेलू चीनी कीमतें उत्पादन लागत से पर्याप्त रूप से कम हैं और चीनी मिलों के लिए किसानों को गन्ना बकाये का भुगतान करना भी मुश्किल हो गया है। दुनिया में ब्राजील के बाद चीनी को दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत में चीनी उत्पादन चालू 2014.15 के सत्र के पहले तीन महीनों में चीनी उत्पादन 27.3 प्रतिशत बढ़कर 74.6 लाख टन हो गया। इस्मा ने चालू सत्र के लिए 2.5 से 2.55 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया है जबकि सरकार का अनुमान समान अवधि में दो करोड़ 50.5 लाख टन उत्पादन का है। वर्ष 2013.14 सत्र के दौरान भारत ने 2.44 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया था और 21.1 लाख टन चीनी का निर्यात किया था। -एजेंसी
चंडीगढ़ – कांग्रेस हाईकमान पर मजबूत पकड़ रखने वाले एक दशक तक मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा, जो कभी राजनीतिक विरोधियों को पटकनी देने में सफल रहे थे, वर्तमान में स्वयं पटकनी की चपेट में आ गए है। स्व. भजनलाल जैसे कांग्रेसी दिग्गज को कांग्रेस से अलविदाई करवाने वाले भूपेंद्र हुड्डा स्वयं अलविदाई की तैयारी करते दिखाई देने लगे है। हरियाणा में कांग्रेस के 15 विधायकों में से 14 हुड्डा के साथ है, मगर फिर भी कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी बनी हुई है, जिनका अक्सर हुड्डा से छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
इसी प्रकार कांग्रेस प्रधान अशोक तंवर भी हुड्डा से छत्तीस का आंकड़ा रखते है, मगर वह पार्टी प्रधान है। इस प्रकार भूपेंद्र हुड्डा के राजनीतिक सितारे गर्दिश में है और उनके समर्थकों का उन पर निरंतर दवाब बढ़ रहा है कि घुट-घुट कर जीने की बजाए अपनी अलग पार्टी हुड्डा कांग्रेस गठित कर ली जाए, जिसमें विनोद शर्मा की जनचेतना व गोपाल कांडा की हलोपा का विलय करवाकर कांग्रेस हाईकमान द्वारा दिखाए गए आईने का जवाब दिया जा सके।
हरियाणा में तंवर और किरण कार्यकर्ताओं का राय जानने के लिए डुगडुगी बजाए हुए है, भले ही इस डुगडुगी की आवाज हुड्डा समर्थकों के बढ़ते विरोध में दबकर रह गई है। प्रदेश में आज भी हुड्डा समर्थकों की संख्या काफी है।
समर्थकों के बढ़ते दवाब के बावजूद भी हुड्डा कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहते, क्योंकि इससे पूर्व कांग्रेस से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बनाने वाले स्व. बंसीलाल, स्व. ओ पी जिंदल, स्व. भजनलाल, विनोद शर्मा को हरियाणवी मतदाताओं ने स्वीकार नहीं किया है।
बंसीलाल की हविपा दम तोड़ चुकी है, भजनलाल की हजकां अंतिम सांसे ले रही है और विनोद मेहता की जनचेतना पार्टी का खाता हीं नहीं खुल पाया, जबकि स्व. जिंदल की क्षेत्रीय पार्टी भी जन्म से पूर्व ही गर्भपात की चपेट में चली गई थी। हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी अलग डफली बजाएंगे या नहीं, इस प्रश्र का उत्तर तो प्रश्र के गर्भ में है, मगर यदि हुड्डा अपने समर्थकों मुताबिक कोई निर्णय नहीं ले पाते, तो उन्हें अपनों से भी दूरी बनानी पड़ सकती है। ब्यूरो
अब अगले 100 साल तक मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। अब तक मकर संक्रांति का नाम लेते ही 14 जनवरी का ध्यान आता है, लेकिन अब यह गुजरे जमाने की बात हो जाएगी। इस बार से मकर संक्रांति 15 जनवरी को होगी और अगले 100 साल तक यह इसी तारीख को मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में शाम 7.27 बजे प्रवेश करेगा। मकर संक्रांति सूर्य दर्शन का पर्व है इसलिए इसका पुण्यकाल 15 जनवरी को होगा। संक्रांति का पुण्यकाल 16 घंटे रहता है। हर 100 साल में 1 दिन संक्रांति बढ़ती है। 1 दिन पीछे चले जाने से हर 100 साल में संक्रांति का 1 दिन बढ़ जाता है।
मकर संक्रांति का पर्व संपूर्ण भारत वर्ष में किसी न किसी रूप में आयोजित होता है। पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, आद्यशक्ति और सूर्य की आराधना एवं उपासना का पावन व्रत है। यह तन-मन-आत्मा को शक्ति प्रदान करता है। इसके प्रभाव से प्राणी की आत्मा शुद्ध होती है। संकल्प शक्ति बढ़ती है। ज्ञान तंतु विकसित होते हैं। मकर संक्रांति इसी चेतना को विकसित करने वाला पर्व है।
विष्णु धर्मसूत्र में कहा गया है कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए एवं स्व स्वास्थ्यवर्द्धन तथा सर्वकल्याण के लिए तिल के छः प्रयोग पुण्यदायक एवं फलदायक होते हैं- तिल जल से स्नान करना, तिल दान करना, तिल से बना भोजन, जल में तिल अर्पण, तिल से आहुति, तिल का उबटन लगाना।
* सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्म मुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इस काल को ही परा-अपरा विद्या की प्राप्ति का काल कहा जाता है। इसे साधना का सिद्धिकाल भी कहा गया है। इस काल में देव प्रतिष्ठा, गृह निर्माण, यज्ञ कर्म आदि पुनीत कर्म किए जाते हैं। मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व से ही व्रत उपवास में रहकर योग्य पात्रों को दान देना चाहिए।
* महाभारत में पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था। उनका श्राद्ध संस्कार भी सूर्य की उत्तरायण गति में हुआ था। फलतः आज तक पितरों की प्रसन्नता के लिए तिल अर्घ्य एवं जल तर्पण की प्रथा मकर संक्रांति के अवसर पर प्रचलित है।
* सूर्य की सातवीं किरण भारत वर्ष में आध्यात्मिक उन्नति की प्रेरणा देने वाली है। सातवीं किरण का प्रभाव भारत वर्ष में गंगा-जमुना के मध्य अधिक समय तक रहता है। इस भौगोलिक स्थिति के कारण ही हरिद्वार और प्रयाग में माघ मेला अर्थात मकर संक्रांति या पूर्ण कुंभ तथा अर्द्धकुंभ के विशेष उत्सव का आयोजन होता है।
* रामायण काल से भारतीय संस्कृति में दैनिक सूर्य पूजा का प्रचलन चला आ रहा है। राम कथा में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम द्वारा नित्य सूर्य पूजा का उल्लेख मिलता है। रामचरित मानस में ही भगवान श्री राम द्वारा पतंग उड़ाए जाने का भी उल्लेख मिलता है। मकर संक्रांति का जिक्र वाल्मिकी रचित रामायण में मिलता है।
* कपिल मुनि के आश्रम पर जिस दिन मातु गंगे का पदार्पण हुआ था, वह मकर संक्रांति का दिन था। पावन गंगा जल के स्पर्श मात्र से राजा भगीरथ के पूर्वजों को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी। कपिल मुनि ने वरदान देते हुए कहा था, ‘मातु गंगे त्रिकाल तक जन-जन का पापहरण करेंगी और भक्तजनों की सात पीढ़ियों को मुक्ति एवं मोक्ष प्रदान करेंगी। गंगा जल का स्पर्श, पान, स्नान और दर्शन सभी पुण्यदायक फल प्रदान करेगा।’
* राजा भगीरथ सूर्यवंशी थे, जिन्होंने भगीरथ तप साधना के परिणामस्वरूप पापनाशिनी गंगा को पृथ्वी पर लाकर अपने पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करवाया था। राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का गंगाजल, अक्षत, तिल से श्राद्ध तर्पण किया था। तब से माघ मकर संक्रांति स्नान और मकर संक्रांति श्राद्ध तर्पण की प्रथा आज तक प्रचलित है।
दलित कथा-साहित्य में दलित-चेतना का दायरा व्यापक हो रहा है, यह देखकर अच्छा लगता है. नयी पीढ़ी के रचनाकारों की संवेदना और मानवीयता की परिधि में वे सभी मनुष्य आ रहे हैं, जो जाति, वर्ग, लिंग, नस्ल और धर्म के नाम पर शोषित और उपेक्षित हैं. सच में हर तरह के भेदभाव और शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाना ही दलित साहित्य का लक्ष्य भी है. अजय नावरिया और रत्नकुमार सांभरिया के बाद दलित चेतना का यह विस्तार हमें सूरज बड़त्या की कहानियों में मिलता है. हालाँकि उन्होंने बहुत कम कहानियां लिखी हैं, पर जो भी लिखी हैं, वे उन्हें दलित साहित्य में विशिष्ट बनाती हैं. उनके कहानी-संग्रह ‘कामरेड का बक्सा’ में उनकी एक कहानी ‘कबीरन’ है, जिसमें उन्होंने एक हिजड़े की व्यथा को चित्रित किया है और यह चित्रण इतना मार्मिक है कि अगर आप जरा भी संवेदनशील हैं, तो रोए बिना नहीं रह सकते.
यह कहानी समाज के विद्रूप को तो दिखाती ही है, चेतना के स्तर पर मन को उद्वेलित भी करती है. हिंदी दलित साहित्य में यह पहली कहानी है, जिसके केंद्र में हिजड़ा है. समाज का हर व्यक्ति, जो हिजड़ों को देखकर घृणा प्रदर्शित करता है, अगर हिजड़े की जगह अपने को रखकर देखे, और सोचे कि अगर वह हिजड़ा होता या उसके घर का कोई सदस्य हिजड़ा होता, जिसका होना-न-होना उसके बश में नहीं है, तो उसे कैसा लगता और अपनी सामाजिक उपेक्षा पर उसकी क्या प्रतिक्रिया होती? सूरज बड़त्या की ‘कबीरन’ कहानी हमारे सामने कुछ ऐसे ही गम्भीर सवाल उठाती है.
कबीरन स्त्री-हिजड़ा है, जो एक असिस्टेंट प्रोफ़ेसर सुमेघ की बहिन है. सुमेघ को वह अक्सर ट्रेन में गाना गाकर लोगों का मनोरंजन करती हुई मिलती है. लेकिन यह बात उसे बहुत बाद में मालूम होती है कि वह उसकी बड़ी बहिन है, जिसे लोक-लाज के डर से घर में नहीं रखा गया था और जन्मते ही सुमेघ की दादी ने उसे अनाथालय भिजवा दिया था. बच्ची की माँ से कह दिया गया था कि मरा बच्चा पैदा हुआ था. पर माँ ने यकीन नहीं किया था, क्योंकि उसने जन्मते ही बच्ची के रोने की आवाज़ सुन ली थी. सुमेघ जब घर आकर अपनी अम्मा-बापू को कबीरन के बारे में बताता है, तो वे दुखी हो जाते हैं और अम्मा रोने लगती है. उसी दिन उसे पता चलता है कि कबीरन उसकी बहिन है. कहानी में यहाँ तक की यात्रा बहुत मार्मिक है.
सच जानने के बाद सुमेघ की इच्छा फिर से कबीरन से मिलने की होने लगती है. वह अमानवीय समाज से कबीरन को मुक्त कराने का विचार करने लगता है. उसके मस्तिष्क में चिंतन चलता है, ‘न ये आदमी हैं न औरत. पर हैं तो इंसान ही. जीते-जागते इंसान. इनकी विशेष अस्मिता की बात तो हमें ही करनी होगी, ये तो दलितों में दलित, अछूतों में अछूत, अनाथों में अनाथ हैं.’ एक दिन ट्रेन में ही कबीरन सुमेघ को फिर मिल जाती है. वह गाना गा रही होती है- ‘बना के क्यूं बिगाड़ा रे… नसीबा…ऊपर वाले..’ सुमेघ उसके पास जाकर उससे कहता है, ‘मुझे तुमसे बात करनी है दीदी.’ कहानी में यह बहुत ही मार्मिक चित्र है, जो चेतना को झकझोर देता है.
कबीरन सुमेघ के बताये कमरे पर आती है, जहाँ दोनों के बीच सम्वाद होता है. यह संवाद कहानी का महत्वपूर्ण भाग है. सुमेघ विनती करता है कबीरन से कि वह घर वापिस आ जाए. लेकिन कबीरन जो दसवीं तक पढ़ी है, सुमेघ से सवाल करती है,’ मेरा क्या कसूर था जो बापू ने मुझे घर से निकाल दिया? आज मैं दर-दर की ठोकरें खा रही हूँ तो क्यूं?’ वह बताती है, ‘मैं तो औरत हिजड़ा हूँ,
जब अनाथालय में थी, तो वहां तुम्हारी दुनिया के पुरुष ने ही मुझसे पहली बार बलात्कार किया था. पर मैं किसे बताती? कौन विश्वास करता कि हिजड़े के साथ बलात्कार हुआ? कहीं किसी कानून में लिखा है कि हिजड़े के साथ बलात्कार की क्या सजा है?’ कबीरन आगे बहुत ही महत्वपूर्ण बात कहती है, ‘हम तो सीमान्त वाले हैं बाबू जी. कभी-न-कभी तो तुम लोगों के बनाये इन किलों और मठों को ढहा ही देंगे.’ कबीरन सुमेघ के साथ घर चलने से साफ मना कर देती है.
वह साफ-साफ कहती है, ‘मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकती. मैं ही तुम्हारे समाज में क्यूं आऊं? तुम क्यूं नहीं आते हमें मुक्त कराने हमारे समाज में?’ सुमेघ पुन: याचना करता है घर लौट आने की. पर कबीरन उसे यह कहकर निरुत्तर कर देती है, ‘नहीं भैया, अगर तुम चाहते हो कि कभी भी कोई कबीरन घर से बेदखल न हो, तो समाज की मानसिकता को बदलने का प्रयास करो. हम भी इंसान हैं, हम में भी सांसें हैं, सपने हैं. तुम्हारी दुनिया हमें सामान्य नहीं मानती. ज़हनी बीमार हो तुम. बीमार समाज है तुम्हारा. बस हमसे इंसानों जैसा बर्ताव करो- डिग्निटी इज मोर इम्पोर्टेन्ट.’ निस्संदेह सूरज बड़त्या की ‘कबीरन’ कहानी दलित साहित्य में क्रांतिकारी दस्तक है.
लंदन – लंदन में प्रवास के दौरान डॉ. भीमराव आंबेडकर जिस तीन मंजिला घर में रहे थे वह बिकने जा रहा है। भारत सरकार के इस मकान को खरीदने में रुचि नहीं दिखाने पर अब इसे नीलामी के लिए उतारा जाएगा और इसकी कीमत 40 करोड़ रुपये रखी गई है।
2,050 वर्ग फीट के इस मकान में अंबेडकर 1920-21 में लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में पढ़ने के दौरान रहे थे। हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में केंद्र सरकार और ब्रिटिश डेप्युटी हाई कमिशन को भारत की ओर से इस मकान की बोली लगाने के बारे में लिखा था।
मकान को बेच रही एक मार्केटिंग और प्रॉपर्टी एजेंसी ने एक अख़बार को बताया है कि उसके बाद से भारत ने लंदन के किंग हेनरी रोड पर बने इस मकान को लेने की दिशा में कोई पहल नहीं की। एजेंसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भारत सरकार के इस मकान में कोई रुचि नहीं दिखाने पर इसके लिए नए खरीददार तलाशे जा रहे हैं।
पहले इस मकान में छह बेडरूम और एक टेरस था, लेकिन अब इसमें वन बेडरूम गार्डन फ्लैट और पांच बेडरूम अलग से निकाले गए हैं। इस मकान की मरम्मत भी की जानी है। मकान के मुख्य द्वार पर आंबेडकर के नाम की नीली रंग की पट्टी लगी है।
इस बारे में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है, ‘मेरी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा होने के समय भी केंद्र सरकार से इस मकान को खरीदने को कहा था। यह एक इंटरनैशनल ट्रांजैक्शन होगा, इसलिए केंद्र सरकार ही इसे खरीद सकती है। पता नहीं, बाद में क्या हुआ।’
लंदन में रहे रहे आंबेडकरवादी ऐक्टिविस्ट एमएस बहल ने इसे शर्मनाक स्थिति बताया है कि देश की धरोहर को बचाने के लिए केंद्र सरकार से अपील करनी पड़ रही है। डॉ. आंबेडकर के पोते और दलित नेता प्रकाश आंबेडकर ने बताया कि सरकार ने उन्हें इस धरोहर को खरीदने और सहेजने का भरोसा दिलाया है।
उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र के कई स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए लंदन जाते हैं। सरकार को इसे खरीद कर एक हॉस्टल में बदल देना चाहिए। यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उधर, राज्य के नए सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि उनकी सरकार ने भी इस मकान को खरीदने के लिए केंद्र सरकार को नई अपील भेजी है। :-एजेंसी
नई दिल्ली – सुनंदा पुष्कर हत्या मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से गठित एसआईटी ने शुक्रवार को लीला होटल के कर्मचारियों से पूछताछ की। साथ ही जिस कमरे में सुनंदा की लाश मिली थी उसकी भी जांच की। सुंनदा पुष्कर का शव पिछले साल लीला होटल के रूम नंबर 345 में मिला था।
इससे पहले पांच सदस्यीय एसआईटी टीम ने गुरूवार को पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर के नौकर नारायण सिंह से छह घंटों तक पूछताछ की थी। सूत्रों के अनुसार सिंह इस केस में अहम कड़ी साबित हो सकता है क्योंकि वह सुनंदा के भी करीब था। सिंह ने ही पिछले साल नवंबर में एसडीएम के सामने सुनंदा और शशि थरूर के लीला होटल के रूम नंबर 345 में झगड़े की बात कही थी।
एसआईटी ने उससे गुरूवार को दक्षिण दिल्ली के हौज खास पुलिस स्टेशन में बात की। उसे जांच में शामिल होने के लिए नोटिस दिया गया था जिसके बाद वह हिमाचल प्रदेश में अपने गांव से गुरूवार सुबह आया था। जानकारी के अनुसार उसने बताया कि, 17 जनवरी को शशि थरूर ने उसे कुछ कागजों के साथ बुलाया था। जब वह सुइट में घुसा उस समय सुनंदा पुष्कर सो रही थीं। उसके बाद वह कमरे में नहीं गया और रात नौ बजे उसे मौत की खबर का पता चला। नारायण ने साथ ही बताया कि मौत से दो दिन पहले सुनंदा से मिलने के लिए एक व्यक्ति होटल में आया था। इस व्यक्ति का नाम सुनील साहब बताया जा रहा है।
वहीं इस मामले में दर्ज एफआईआर में बताया गया है कि परिस्थितिजन्य सबूतों के अनुसार सुनंदा को एल्प्राजोलम जहर दिया गया था। इसमें बताया गया है कि यह जहर खाने में या फिर इंजेक्शन के रूप में दिया गया था। साथ ही शरीर पर पाई गई चोटें चार दिन से 48 घंटों के बीच की थी। मौत से पहले सुनंदा को कोई बीमारी नहीं थी।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के पशु शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार पशुओं से अधिक दूध लेने की प्रक्रिया में ऑक्सीटोन हारमोन का प्रयोग पशु तथा मानव दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन इस विषय में परिपक्व जानकारी के अभाव में भी अनुसंधान जारी हैं। लगातार इंजेक्शन देने से पशु ऑक्सीटोसिन का आदी हो जाता है और दूध में सोडियम व नमक की मात्रा भी बढ़ जाती है।
ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन पशुओं के लिए तो जानलेवा है ही, यह इंजेक्शन लगाने के बाद पशुओं से लिया जाने वाला दूध इंसानों के लिए भी घातक साबित हो रहा है। पशुपालक अधिक आय की लालच में स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
दरअसल जिन पशुओं को ऑक्सीटोसिन दिया जाता है, उनके दूध के उपयोग से महिलाओं में बार-बार गर्भपात और स्तन कैंसर होना, लड़कियों का उम्र से पहले ही वयस्क होना, बच्चों की आँखें कमजोर होना और फेफडों व मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव जैसी समस्याएँ आती हैं। भारत सरकार की अधिसूचना जीएसआर 282 (ई) 16 जुलाई 1996 के तहत यह दवा एच श्रेणी में आती है और इसकी खुली बिक्री संभव नहीं है। इसके बावजूद पान की दुकान से लेकर किराने की दुकानों तक हर कहीं ऑक्सीटोसिन के एम्प्यूल खुलेआम बिक रहे हैं।
ऑक्सीटोसिन के उपयोग से किसी पशु में दूध की मात्रा 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, लेकिन उसमें कैल्शियम तथा वसा की कमी हो जाती है, हड्डियों में विकार पैदा हो जाते हैं। इसके उपयोग से साइनस जैसे कोमल टिश्यू में संक्रमण की प्रबल संभावनाएँ पैदा हो जाती हैं। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के ताजा अध्ययन के अनुसार ऑक्सीटोसिन के इस्तेमाल से पशुओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा इससे दूध की गुणवत्ता बाधित होती है, जो पशु एवं मनुष्य के लिए हानिकारक है।
संस्थान के पशु शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार पशुओं से अधिक दूध लेने की प्रक्रिया में ऑक्सीटोसिन हारमोन का प्रयोग पशु तथा मानव दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन इस विषय में परिपक्व जानकारी के अभाव में भी अनुसंधान जारी है। लगातार इंजेक्शन देने सेपशु ऑक्सीटोसिन का आदी हो जाता है और दूध में सोडियम व नमक की मात्रा भी बढ़ जाती है।
दूध के संघटन में परिवर्तन आ रहा है। बाजार में घटिया स्तर के सस्ते ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन उपलब्ध हैं। इस इंजेक्शन का सस्ता होना व इसे लगाने का आसान तरीका होना इस हारमोन के अंधाधुँध उपयोग का बड़ा कारण है। चिकित्सकों का कहना है कि सामान्य और स्वच्छ दूध की प्राप्ति के लिए पशु को बिना तनाव दिए प्राकृतिक विधि से ही दूध दोहना चाहिए।
नई दिल्ली – कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भाजपा सांसद साक्षी महाराज के बयान को लेकर निशाना साधा। भाजपा सांसद ने बयान दिया था कि हिंदूओं की संख्या में बढ़ोतरी के लिए हिंदू महिलाओं को चार-चार बच्चे पैदा करने चाहिए। हालांकि, भाजपा ने इस बयान को महाराज का व्यक्तिगत विचार बताते हुए इससे किनारा कर लिया था। लेकिन कांग्रेस ने इस बयान को लेकर भाजपा और पीएम मोदी पर निशाना साधा है।
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “क्या भाजपा ने हमारी जानकारी के बिना भारत की जनसंख्या नीति में बदलाव कर दिया है? क्या भारत की जनसंख्या नीति चीन और अन्य विकासशील देशों के खिलाफ है? क्या अब भाजपा का चुनावी नारा “अबकी बार, बच्चे चार” या फिर “मेक इन इंडिया प्लस-4″ होगा।”
साथ ही उन्होंने कहा, “यह एक गंभीर मामला है। पीएम मोदी ने मिनट और माइक्रो इश्यू पर बोला है। उन्होंने माइक्रो इश्यू पर न्यूयार्क से ऑस्ट्रेलिया, लाल किले से छत् तीसगढ़ तक बोला है। मुझे विश्वास है कि उनके पास कुछ लाइनें बोलने के लिए समय होगा अगर समय भी नहीं है तो उन्हें ट्वीट पर साक्षी महाराज के बयान पर बोलना चाहिए।”
गौरतलब है कि साक्षी महाराज पहले भी इस तरह के विवादित बयान देते रहे हैं। जिसकी वजह से उन्हें संसद में माफी भी मांगनी पड़ी थी। इसके साथ ही बुधवार को दिए गए बयान पर भी काफी हंगामा मचा था। विपक्षी पार्टियों ने पीएम मोदी सहित भाजपा पर निशाना साधा था। :- एजेंसी
लखनऊ – बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और विधान परिषद में विपक्ष के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी की राजनीतिक ताकत बीते 6 सालों में बढ़ी तो उनकी माली हैसियत में भी काफी इजाफा हुआ। उनकी पत्नी और विधान परिषद सदस्य हुस्ना सिद्दीकी की आर्थिक तरक्की तो उनसे भी ज्यादा रही। पति व पत्नी दोनों के पास रिवाल्वर व रायफल है।
नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बचत बैंक खातों में करीब 20 लाख रुपये जमा हैं जबकि करीब 68 लाख रुपये के फिक्स्ड डिपाजिट हैं और नौ लाख से अधिक बीमा पालिसी व पीपीफ में निवेशित हैं। इस्लाम फर्नीचर उद्योग में बतौर साझीदार 21 लाख रुपये से अधिक का निवेश है और सिद्दीकी एसोसिएट्स तथा फरजंद एसोसिएट्स को क्रमश: 12 लाख व पांच लाख रुपये बतौर अग्रिम दिया है। उनके पास जो कृषि भूमि है उसकी लागत 26 लाख से ज्यादा तथागैर कृषि भूमि की कीमत 25 लाख दर्शायी गई है।
उनके आवासीय भवनों की कीमत करीब एक करोड़ 34 लाख रुपये दिखायी गई है। उन्होंने हुस्ना सिद्दीकी को 14.59 लाख तथा अजहर सिद्दीकी को 30 लाख बतौर अग्रिम दिए हैं। उनके पास आठ लाख रुपये की कीमत की एक पजोरो गाड़ी है। छह सौ ग्राम सोना है(कीमत 16.5 लाख) तथा ढाई किलो चांदी (कीमत एक लाख) है। सिद्दीकी के पास रिवाल्वर, रायफल व दोनाली बंदूक है।
हुस्ना सिद्दीकी के पास करीब 75 लाख रुपये के फिक्स्ड डिपाजिट हैं तथा बैंक बचत खाते में 1.17 करोड़ जमा हैं। जीवन बीमा पालिसी व पीपीएफ में नौ लाख से ज्यादा निवेशित हैं। उन्होंने फरजंद एसोसिएट्स में बतौर पार्टनर 15 लाख रुपये से अधिक का निवेश किया है जबकि क्यू एफ इंटरप्राइजेज को दो लाख रुपये बतौर लोन तथा अजहर सिद्दीकी को 25 लाख रुपये बतौर अग्रिम दिया है। उनके पास 12 लाख मूल्य की कृषि तथा 40 लाख मूल्य की गैर कृषि योग्य भूमि दर्शाई गई है।
उनके पास अमीनाबाद की कामर्शियल सम्पत्ति की कीमत 22 लाख तथा कैंट के थिमैया रोड की आवासीय सम्पत्ति की कीमत 65 लाख रुपये दर्शायी गई है। उन्होंने अपने पति से 26.59 लाख को ऋण ले रखा है। उनके पास छह लाख कीमत की हीरे की अगूंठी है। 1800 ग्राम सोना (कीमत 49.5 लाख) तथा 19 किला चांदी (कीमत साढ़े सात लाख) है। उनके पास भी रिवाल्वर, रायफल व एक जीप है। हुस्ना बाम्बे गारमेंट्स व सिद्दीकी एसोसिएट्स की प्रोपराइटर भी हैं।
उनके आश्रित पुत्र अजफर सिद्दीकी के पास छह लाख से अधिक के फिक्स्ड डिपाजिट, करीब तीन लाख की बीमा पालिसी के अलावा सात लाख कीमत की कृषि भूमि है। नसीमुद्दीन के पास नकद के तौर पर 25 हजार, उनकी पत्नी के पास 32 हजार तथा पुत्र के पास केवल एक हजार है।
वर्ष 2009 में दाखिल हलफनामे के अनुसार नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पास बैक में लगभग 34 लाख जमा थे। शेयर व बांड में निवेश 5.25 लाख तथा अन्य वित्तीय निवेश लगभग सवा आठ लाख का था। इसी क्रम में उनकी पत्नी के पास बैंक में करीब 51 लाख, बांड में लगभग पांच लाख तथा अन्य वित्तीय निवेश 12.72 लाख था। अलबत्ता छह साल पहले उनके पास लगभग साढ़े तीन किलो सोना था जो अब घटकर 1800 ग्राम रह गया जबकि चांदी 11 से बढ़कर 19 किलो हो गई। छह वर्ष के दौर में हुस्ना सिद्दीकी के पास अमीनाबाद की कामर्शियल सम्पत्ति बढ़ी तो खुर्रम नगर में 15 लाख में खरीदी गई सम्पत्ति का इस बार जिक्र नहीं था। -एजेंसी ब्यूरो
कैथल – बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ तभी तो भारत का भाग्य बदलेगा। संसार चक्र को चलाने के लिए महिला की भी पुरूषों के बराबर ही महत्ता है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्रीय कार्यक्रम बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का यह संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रदेश के सूचना जन संपर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा विशेष प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में विभागीय वीडियो वैन के माध्यम से ग्रामीण अंचल में लोगों को प्रधानमंत्री का संदेश स्क्रीन के माध्यम से दिया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त जसपाल भट्टी की नन्ही चीडिय़ा नाम एनीमेशन फिल्म का भी प्रदर्शन करके लोगों को लड़का एवं लड़की में भेदभाव न करने का संदेश दिया जा रहा है। इस फिल्म में यह दर्शाया गया है कि मैटरनिटी वार्ड में एक चिडिय़ा नन्हे बच्चे को जन्म देती है। इसकी सूचना जब नर चिड़े को मिलती है, तो वह खुशी से झूम उठता है। वार्ड की स्टाफ नर्श जब चिड़े से यह प्रश्र करती है कि आपने यह तो पूछा ही नही कि नन्हा बच्चा नर है या मादा, तो नर चिड़ा मनुष्यों पर व्यंग्य कसते हुए कहा है कि मैं कोई इंसान नही हूं, जो लड़के व लड़की में फर्क समझूं। इसके अतिरिक्त महिला सशक्तिकरण पर आधारित वृत चित्र में यह दर्शाया गया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से पीछे नहीं है। यदि लड़कियों को लड़कों के समान सुविधाएं तथा अवसर प्रदान किए जाएं, तो वे किसी भी मंजिल को प्राप्त कर सकती हैं।
इस वृत चित्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करके विभिन्न लड़कियों ने वकील, अध्यापक, संगीतकार, कलाकार, खिलाड़ी, सेना तथा पुलिस में उच्च पदों को प्राप्त किया है। ऐसी ही एक लड़की गुनगुनाते हुए कहती है कि मैं खुशी हूं, मैं प्यार हूं, जिंदगी का मैं सार हूं। बंटी और बबली एनीमेशन वीडियो के माध्यम से शिक्षा का अधिकार को बखूबी दर्शाया गया है। इस वीडियो से लड़का-लड़की एक समान, सबको शिक्षा सबको प्यार का संदेश दिया गया है।जिला सूचना एवं जन संपर्क कार्यालय की वीडियो वैन द्वारा यह कार्यक्रम रसुलपुर गामड़ी स्थित कश्यप चौपाल में प्रस्तुत किया गया, जिसको ग्रामीणों ने रूचि से देखा। वीडियो वैन की टीम में रणबीर सिंह, सतपाल शर्मा, शेर सिंह शामिल रहे। नन्ही चिडिय़ां एनीमेशन फिल्म द्वारा दिए गए संदेश को बारे में ग्रामीण सोचने पर मजबूर हुए कि पक्षियों की मानसिकता भी लड़का-लड़की के बारे में मनुष्यों से कितनी महान है।
इस अवसर पर ग्रामीणों में रमेश कुमार, जनक राज, धारा राम, प्रेम चंद, कृष्ण कुमार,नीटू तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। इस प्रचार अभियान के बारे में जिला सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी श्री रणधीर शर्मा ने बताया कि एक जनवरी से शुरू हुआ यह प्रचार अभियान 22 जनवरी तक जिला के सभी शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करेगा। अब तक वीडियो वैन द्वारा 7 गांवों में प्रचार किया जा चुका है तथा विभागीय भजन पाॢटयों द्वारा भी 16 गांवों में लोक गीतों के माध्यम से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के बारे में लोगों को जागरूक किया जा चुका है।
स्कूली लड़कियों को जबरन देह व्यापार में उतारने और उन्हें टॉर्चर करने वाले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश होने से हड़कंप मच गया है। इस काम में नामी बिजनेसमैन भी शामिल हैं जो वर्जिन लड़िकयों को करोड़ों रुपए में हासिल करते थे।
मामला चीन के शानक्सी प्रांत का है। पुलिस के अनुसार, स्कूली छात्राओं को करोड़ों रुपए में हासिल करने के बाद कारोबारियों का एक ग्रुप उन्हें अधिकारियों को ‘गिफ्ट’ के तौर पर सौंप देता था, जो उन मासूमों का यौन उत्पीड़न करते थे और उन्हें टॉर्चर भी करते थे।
इस मामले में पुलिस ने 11वीं कक्षा की छह लड़कियों के गिरफ्तार किया गया है जबकि 16 साल से कम होने के कारण एक लड़की को रिहा कर दिया गया।
टीओआई के अनुसार, एक सोची समझी साजिश के तहत बिजनेसमैन, स्कूल में 11वीं की छात्राओं को वर्जिन लड़की लाने की एवज में करीब 2 करोड़ रुपए भी दे देते थे। ये लड़कियां 10वीं की छात्राओं को जाल में फंसाती थीं और फिर उन्हें कारोबारियों के हवाले कर देती थीं। जिनके साथ कई लोग जबरन सेक्स करते थे और उन्हें टॉर्चर भी करते थे।
पुलिस के अनुसार, 7 सीनियर छात्राओं ने पांच जूनियर लड़कियों को धमकाया और उनकी न्यूड तस्वीरें खींच ली। इन तस्वीरों के जरिए वे उन्हें ब्लैकमेल करने लगीं।
इस हैवानियत के कारण दो लड़कियों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई। स्थानीय चैनलों ने पीड़ित लड़कियों की कुछ तस्वीरें दिखाईं, जिनमें चोट के गहरे निशान भी थे।
पीड़ित लड़कियों के पिता ने कहा कि 10वीं में पढ़ने वाली पांच लड़कियों ने जब अधिकारियों के साथ सेक्स करने से मना किया तो उन्हें जमकर पीटा गया और संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया।
आरोपी लड़कियों में से एक ने कारोबारियों से 1.2 करोड रुपए ($193,000) लिए, जबकि दूसरी लड़की ने 80 लाख रुपए ($128,000) लिए थे। कारोबारियों ने उनसे कहा था कि उन्हें अधिकारियों से अपना काम करवाने के बदले और भी लड़कियां उनके पास भेजनी है।
हालांकि अब तक इस मामले में आरोपी अधिकारियों और कारोबारियों की पहचान उजागर नहीं की गई है। इस केस मे शामिल एक अधिकारी को हिरासत में लिया गया है। साथ ही सरकार ने स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग को भी चेतावनी जारी की है।
पैरिस – मैगजीन शार्ली एब्दो के ऑफिस में आतंकी हमले के एक दिन बाद पुलिस ऑपरेशन के दौरान दक्षिणी पैरिस में एक शख्स ने फायरिंग कर दी। फायरिंग में पुलिसकर्मी समेत दो लोग घायल हो गए हैं। इसके साथ ही पूर्वी फ्रांस के ल्यों शहर में एक मस्जिद के पास कबाब की दुकान में धमाका हुआ है।
पुलिस अभी बीते दिन हुए हमले के आरोपियों की तलाश मे ऑपरेशन ही चला रही थी कि गुरुवार को साउथ पैरिस में एक शख्स ने सेमी-ऑटोमैटिक गन से फायरिंग कर दी। एक पुलिसकर्मी और एक अन्य शख्स की गोलीबारी की चपेट में आकर जख्मी हो गए। जख्मी पुलिसकर्मी की हालत गंभीर बताई जा रही है। गोली चलाने वाला शख्स बुलेटप्रूफ जैकट पहने हुए था। फायरिंग करने के बाद वह मौका-ए-वारदात से फरार हो गया। बताया जा रहा है कि पुलिस ने संदिग्ध हमलावर को हिरासत में ले लिया है।
कुछ ही देर पहले खबर आई है कि पूर्वी फ्रांस के ल्यों शहर में एक मस्जिद के पास कबाब की दुकान में धमाका हुआ है। एएफपी ने अधिकारियों के हवाले से जानकारी दी है कि इस धमाके में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। दुकान को बंद कर दिया गया है और छानबीन की जा रही है। अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि ताजा फायरिंग और इस धमाके का कल के हमले से कोई संबंध है या नहीं।
व्यंग्य छापने वाली वीकली मैगजीन शार्ली एब्दो के ऑफिस में कल क्लाशनिकोव और रॉकेट लॉन्चर से लैस नकाबपोश हमलावरों ने गोलीबारी की थी, जिसमें कम से कम 12 लोग मारे गए। हमले में 10 अन्य लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। यह मैगजीन फरवरी 2006 में पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छापने को लेकर चर्चा में आई थी। मैगजीन ने ईसा मसीह, ईसाइयत और फ्रांस के नेताओं पर भी करारे व्यंग्य किए हैं।
पुलिस हमलावरों की तलाश के लिए व्यापक अभियान चला रही है। हमले में शामिल एक आरोपी ने सरेंडर कर दिया और पुलिस बाकी दो सशस्त्र हमलावरों की तलाश कर रही है, जो सगे भाई भी हैं। पुलिस ने दोनों भाइयों की तस्वीरें जारी करते हुए जनता से भी मदद मांगी है। सभी हमलावरों के अलकायदा से जुड़े होने की आशंका है। पुलिस ने हमले के संबंध में कुल सात लोगों को हिरासत में लिया है। ये सात लोग संदिग्धों के परिवार वाले या उनसे जुड़े बताए जा रहे हैं। इन्हें पैरिस के आसपास के क्षेत्र, रीम्स और शार्लेविल मेजेयर्स शहरों से पकड़ा गया है।
नई दिल्ली – विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) की महिला शाखा दुर्गा वाहिनी से जुड़ी एक मैगजीन में मुस्लिम युवकों से शादी करने वालीं हिन्दू युवतियों की ‘घर वापसी’ के समर्थन में फिल्म ऐक्ट्रेस करीना कपूर की विवादित तस्वीर छपी है। मैगजीन में कहा गया है कि ‘घर वापसी’ अभियान में लव जिहाद के मुद्दे पर भी बात होनी चाहिए।
‘हिमालय ध्वनि’ मैगजीन दुर्गा वाहिनी की उत्तरी भारत की कॉर्डिनेटर रजनी ठुकराल निकालती हैं और इस बार का अंक धर्मांतरण के मुद्दे पर केंद्रित है। मैगजीन के कवर पेज पर करीना कपूर की मॉर्फ की हुई तस्वीर है, जिसमें उनके चेहरे के आधे हिस्से पर बुर्का है। इसके नीचे लिखा है, ‘धर्मांतरण के जरिए राष्ट्रांतरण’।
साल 2012 में सैफ अली खान से शादी करना वाली करीना कपूर की तस्वीर छपने पर रजनी ठुकराल का कहना, ‘करीना एक सिलेब्रिटी हैं। युवा सेलिब्रिटीज के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश करते हैं और उन्हें लगता है कि अगर सिलेब्रिटी ऐसा कर सकते हैं तो वे क्यों नहीं?’
उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा, ‘हमसे 16 ऐसी हिन्दू युवतियों ने संपर्क किया है, जिनसे मुस्लिम लोगों ने हिन्दू बनकर विवाह रचाए थे। इन युवतियों ने हमसे घर वापसी के लिए संपर्क किया था और दो का फिर से धर्मांतरण किया भी जा चुका है।’ उन्होंने कहा कि इनमें से एक की शादी भी कराई जा चुकी है।
मैगजीन में संपादकीय में रजनी ठुकराल ने लिखा है, ‘लव जिहाद और धर्मांतरण पर काफी चर्चा हो चुकी है। धर्मांतरण के कारण राष्ट्र बंटा और पाकिस्तान बना। यदि एक लड़की लव जिहाद में फंस जाती है और गलती से मुस्लिम बन जाती है, लेकिन अब वह अपने मूल धर्म में वापस आना चाहती है तो क्या यह उसका अधिकार नहीं है?’ उन्होंने दावा किया कि हिमाचल प्रदेश में लव जिहाद एक गंभीर मुद्दा है और वह प्रदेश सरकार को इस बारे में आगाह कर चुकी हैं।
नई दिल्ली – साल 2015 की शुरुआत रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने अंदाज में कर दी है। साल के पहले ही दिन रेल मंत्री ने रेलवे के लंबित पड़े कार्यों को तेजी से निपटाने के लिए टेंडर से लेकर अन्य आधिकारिक फैसले लेने के अधिकार क्षेत्रीय रेलवे के अधिकारियों को सौंप दिए हैं।
रेल मंत्री ने इस निर्णय से एक तीर से कई शिकार किए हैं। इस फैसले से जहां जोनल व डिवीजनल मैनेजरों को शक्तियां मिल जाएंगी, वहीं काम के प्रति उनकी जवाबदेही भी तय होने जा रही है।
रेल मंत्री ने ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन को इस काम का निर्धारण करने का जिम्मा सौंपा था। उन्होंने इस पर अपनी रिपोर्ट रेल मंत्री को सौंप दी है, जिसे उन्होंने हरी झंडी देते हुए बृहस्पतिवार को साल का पहला आदेश भी जारी कर दिया।
अभी तक रेलवे में कोई भी काम बिना रेलवे बोर्ड के अधिकारियों की मंजूरी के पूरा नहीं होता था। यहां तक टेंडर जैसी प्रक्रिया के लिए जोनल व डिवीजनल मैनेजरों को रेल बोर्ड के चक्कर लगाने पड़ते थे। इसके चलते बड़ी संख्या में रेलवे के कार्य लटके पड़े हैं।
रेल मंत्री ने जब कार्यभार संभाला तो उन्होंने इस बात को सबसे पहले पकड़ा। उन्होंने उसी वक्त फैसला ले लिया था कि वह कार्यों के निर्वहन की शक्तियां क्षेत्रीय रेलवे के अधिकारियों को सौंपेंगे। इसका खाका खींचने की जिम्मेदारी उन्होंने ‘मेट्रो मैन’ को दी थी।
रेल मंत्री का यह काफी बड़ा फैसला माना जा रहा है। हालांकि इसकी निगरानी का भी उन्होंने इंतजाम किया है। अधिकारियों को कार्यों के निपटारे को तय समय दिया जाएगा और उसके बाद उनसे इसकी रिपोर्ट मांगी जाएगी।
यही नहीं रेल मंत्री के कार्यभार संभालने के बाद यह पहली बार हुआ है जब रेल बोर्ड चेयरमैन व अन्य दो सदस्यों की नियुक्ति में मंत्रिमंडल की नियुक्ति संबंधी समिति (एसीसी) ने रेलवे से दोबारा जवाब तलब नहीं किया है।
नई दिल्ली – देश की राजधानी दिल्ली को दहला देने की नापाक साजिश रचते दो संदिग्ध आतंकियों को पुलिस ने नोएडा से गिरफ्तार कर लिया है। इन दोनों आतंकियों को यूपी एटीएस और बंगाल एटीएस और आईबी मिलकर पकड़ा है।
गौरतलब है कि आईबी ने पहले ही अलर्ट जारी किया था कि दिल्ली के आसपास के इलाके में आतंकी मौजूद हैं, जो कि दिल्ली जैसे बड़े शहरों को अपना निशाना बना सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तार किए गए आतंकियों में एक बांग्लादेश का है, जो कि दूसरे आतंकी को लेपटॉप देने नोएडा आया था।
आतंकियों के पास से बरामद किए गए लेपटॉप में से खुफिया एजेंसी को रैकी किए गए स्थानों और यूपी में सक्रिय स्लीपर सेल की जानकारी मिला है। जिसके बाद पुलिस ने स्लीपर सेल को पकड़ने के लिए अपने ऑपरेशन तेज कर दिए हैं।
इन आतंकियों को 19 दिसंबर 2014 को गिरफ्तार किया गया था। इस गुप्त ऑपरेशन का किसी की जानकारी नहीं मिली। 20 दिसंबर को इन्हें नोएडा की एक कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें पश्चिम बंगाल ले जाया गया। उसके बाद पुलिस ने पश्चिम बंगाल लेकर कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर भेज दिया गया।
नई दिल्ली – उत्तर प्रदेश में “घर वापसी” कराने वाले आरएसएस प्रचारक राजेश्वर सिंह को संघ ने छुट्टी पर भेज दिया है। सिहं धर्म जागरण समन्वय समिति के संयोजक भी हैं। सिहं के नेतृत्व में ही आगरा में “घर वापसी” का कार्यक्रम कराया गया था। जिसमें करीब 300 लोगों का कथित धर्मांतरण कराया गया था। आगरा में हुए इस क थित धर्मांतरण के बाद काफी बवाल मचा था। इसको लेकर संसद में भी काफी हंगामा मचा था, जिसकी वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई थी। सूत्रों का क हना है कि पीएम मोदी द्वारा नाराजगी जाहिर करने के बाद उन्हें हटाया गया है।
सूत्रों का कहना है कि संघ के नेताओं की पीएम मोदी से मुलाकात के बाद सिंह को स्पॉटलाइट से दूर रहने के लिए कहा गया है। बैठक में संघ के “घर वापसी” समारोह पर पीएम मोदी ने नाराजगी जाहिर की। जिसके बाद राजेश्वर सिंह को कुछ दिन छुट्टी पर भेज देने का फैसला लिया गया।
“घर वापसी” आयोजित कराए जाने के बाद सिंह ने एक विवादित बयान देकर भी बवाल खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों और ईसाइयों को भारत में रहने का हक नहीं है। 2021 तक सभी को हिंदू बना दिया जाएगा।
भोपाल -विश्व बाजार में कच्चे तेल की गिरती कीमतों के चलते पेट़ोल-डीजल के साथ रसोई गैस की कीमतों में कमी प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो रही है।इसके चलते एक ओर एनडीए शासित केंद्र सरकार कीमतें कम कर रही है, वहीं प्रदेश सरकार टैक्स की भरपाई की पूर्ति के लिए कीमतें घटाने के बजाय बढ़ा रही है। ऐसे में एक बार फिर नए साल में उपभोक्ताओं को तोहफा देकर केंद्र की भाजपा सरकार ने घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 43 रुपए से अधिक की कमी की है। अब प्रदेश सरकार को एक बार फिर वैट में बढ़ोतरी कर यह भरपाई करने की चुनौती से गुजरना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कमी के बाद केंद्र सरकार पेट़ोलियम उत्पादों की कीमतों में कटौती करती जा रही है। इसका असर सबसे अधिक प्रदेश की भाजपा सरकार की सेहत पर पड़ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, मप्र में पेट़ोलियम पदार्थों पर सबसे अधिक वैट है। इससे मप्र सरकार को करीब 500 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त होती है। ऐसे में कीमतों में कमी से सरकार को बड़ा फटका लग रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार केंद्र के समान इन उत्पादों की कीमतों में कटौती के बजाय वैट बढ़ाकर राजस्व हानि की भरपाई कर रही है।
अब जब केंद्र सरकार एक बार फिर घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में कटौती की है, उससे एक बार फिर मप्र सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। हालांकि, वैट में बढ़ोतरी से कीमतों में केंद्र की मंशानुसार कटौती नहीं होने से प्रदेश सरकार को जनता के साथ विपक्ष की नाराजगी का सामना भी करना पड़ रहा है, लेकिन प्रदेश सरकार राजस्व घाटे की भरपाई के लिए इसका सामना कर रही है।
इसके पीछे प्रदेश सरकार का तर्क है कि प्रदेश सरकार की योजनाओं के लिए काफी राशि की जरूरत होती है। इतनी बढ़ी राशि की भरपाई के लिए टैक्स बढ़ोतरी जायज है।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र द्वारा अब तक की गई कीमतों में कटौती से प्रदेश सरकार को करीब 500 करोड़ रुपए से अधिक की चपत लग चुकी है। आगे भी कीमतों में यही कटौती जारी रही तो प्रदेश सरकार को इससे भी अधिक राजस्व की हानि होगी। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। (हि.स.)