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Friday, January 10, 2025
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घर की वस्तुओं में फेरबदल कर वास्तु दोष समाप्त करें

वास्तु शास्त्र इसके रचयिता विश्वकर्माजी की मानव को अभूतपूर्व देन है। ज्योतिष विज्ञान के अंतर्गत वास्तु का एक महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी भवन का निर्माण करते समय उसे वास्तुनुकूल बनाना आवश्यक है क्योंकि घर में सुख, शांति एवं समृद्धि इसी पर आधारित है। वास्तु दोष होने पर भवन में कई प्रकार की परेशानियां, अस्वस्थता, अकारण दुःख, हानि, िंचता एवं भय आदि बना रहता है।

आधुनिक युग में फ्लैट संस्कृति चारों ओर विकसित हो चुकी है। इन फ्लैटों में अगर वास्तु दोष हों तो भी ता़ेड-फा़ेडकर अनुकूल बनाना संभव नहीं हो पाता है। कई जगह धनाभाव या अर्थाभाव के कारण भी व्यक्ति वास्तु दोष का निवारण नहीं कर पाता है। लेकिन ऐसे में निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसे में हम घर के सामान या वस्तुओं में फेर-बदलकर वास्तु दोष को एक सीमा तक समाप्त कर सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण का कोना) में रसोईघर होना चाहिए किन्तु ऐसा न होने पर अग्नि की पुष्टि नहीं हो पाती है। इसके निवारण के लिए हम घर की इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को जैसे फ्रीज, टी.वी. इत्यादि को इस कोने में रखकर इसे पुष्ट बना सकते हैं। इसी प्रकार घर की पूर्व एवं उत्तर दिशा को खाली रखा जाना चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो तो पूर्व या उत्तर दिशा में रखी वस्तुओं के वजन से लगभग ड़ेढ गुना वजन नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) या दक्षिण दिशा में रखा जाना चाहिए क्योंकि नैऋत्य कोण भारी एवं ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) हलका होना चाहिए।

इसी प्रकार घर की घडि़यों को हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में लगाया जाना जाना चाहिए इससे अच्छे समय के आगमन के व्यवधान समाप्त होते हैं। ईशान कोण पवित्र एवं स्वच्छ रखा जाना चाहिए एवं एक घड़ा जल भरकर इस कोने में रखना चाहिए, इसके सत्परिणाम मिलते हैं। सभी महत्वपूर्ण कागजों को पूर्व या उत्तर दिशा में रखा जाना चाहिए ऐसा न करने से इनसे संबंधित घटनाएं अहितकारी रहती हैं। इस प्रकार घर के शयन कक्ष, पूजा-स्थल, तिजोरी, बाथरूम, बैठक-स्थल, भोजन-कक्ष, मुख्य द्वार एवं खिडकी आदि में परिवर्तन कर वास्तु दोष ठीक कर जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

 

वास्तु शास्त्र : जानिए मुख्य द्वार के बारे में

आपके मुख्य द्वार के सामने दीवार पर दर्पण नहीं होना चाहिए जिससे सकारात्मक ऊर्जा प्रतिबिम्बित होकर वापस लौट जाती है। आपके मुख्य द्वार के सामने सीधी सड़क नहीं होना चाहिए। यदि ऐसी स्थिति है तो अपने घर के मुख्य द्वार की दिशा बदलें या आप अपने घर के मुख्य द्वार के ऊपर एक पाकुआ दर्पण लगा सकते हैं। 

पाकुआ दर्पण की अष्टभुजीय आकृति होती है जिसके बीच में कॉनवैक्स या कॉनकेव दर्पण होता है। इसको हमेशा घर के बाहर टाँगना चाहिए। ध्यान रहे पाकुआ दर्पण घर के अंदर नहीं बाहर की तरफ मुँह करता हुआ लगाना चाहिए। मुख्य द्वार के ठीक आगे कोई प़ेड, रहृकावट दीवार इत्यादि भी नहीं होनी चाहिए।

मुख्य द्वार के ठीक सामने  शौचालय नहीं होना चाहिए

मुख्य द्वार के ठीक सामने अंदर की तरफ या बाहर की तरफ शौचालय नहीं होना चाहिए। मुख्य द्वार के बगल में भी शौचालय नहीं होना चाहिए। शौचालय नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करते हैं जो मुख्य द्वार से आती हुई सकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देते हैं। आप शौचालय का द्वार मुख्यद्वार के सामने से बंद करके दूसरी दिशा में खोल सकते हैं। अगर द्वार की स्थिति बदलना संभव न हो तो मुख्य द्वार और शौचालय के द्वार के बीच में कोई ठोस अवरोध लगा सकते हैं।

पानी को मुख्य द्वार के पास रखिए
मुख्य द्वार के पास पानी होना बहुत ही मंगलकारी माना गया है। विशेष रूप से ये उत्तर-पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशा के द्वार के लिए बहुत उपयोगी माना गया है। पानी के पात्र को द्वार के बाईं ओर रखना चाहिए न कि दाईं ओर। यानी जब आप घर के अंदर खडे हों और बाहर की ओर देख रहे हों, तो आपकी बाईं ओर।
पानी का पात्र मछलीघर, फव्वारा या पानी के चित्र के रूप में हो सकता है। द्वार के दाईं ओर पानी रखने से घर का पुरहृष किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित हो सकता है और आपके वैवाहिक जीवन में दरार पड़ सकती है। द्वार के दोनों ओर कभी भी पानी का पात्र न रखें, क्योंकि ये दोनों आँखों में आँसू लाने के आँसू लाने के समान है।

मुख्य द्वार के सामने आईना न लगाएँ
मुख्य द्वार के सामने अंदर की तरफ आईना लगाना गलत है। ऐसा करने पर घर के अंदर प्रवेश करने वाली ृची’ परावर्तित होकर द्वार से बाहर निकल जाती है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मुख्य द्वार के ठीक सामने अंदर कोई दीवार हो। पर फिर भी उस पर आईना न लगाएँ और दीवार पर ऊपर से नीचे तक गहराई का आभास देने वाला कोई प्राकृतिक दृश्य चित्र लगाएँ। यह जंगल में दूर-दूर तक दिखाई देने वाली सड़क या पगडंडी का कोई दृश्य चित्र भी हो सकता है।

घर में एक सीध में तीन द्वार न रखें
किसी भी मकान में एक सीध में तीन द्वार होना बहुत दोषपूर्ण है, क्योंकि इन द्वारों में ृची’ बहुत तेजी से घुसकर उतनी ही तेजी से आखिरी द्वार से बाहर निकल जाती है। इसकी वजह से आखिरी कमरे में रहने वाले लोग बुरी तरह प्रभावित होते हैं। इस दोष से छुटकारा पाने के लिए बीच वाले द्वार की जगह बदल देनी चाहिए।

मुख्य द्वार की तरफ पीठ करके न बैठें
कभी भी अपने ऑफिस या कमरे के मुख्य द्वार की तरफ पीठ करके न बैठें। पेंहृग शुई में कहा है कि कभी भी मुख्य द्वार की तरफ पीठ करके न बैठें जिससे आपको ये पता लगता रहे कि ऑफिस में क्या हो रहा है, कौन आ रहा है इत्यादि। कभी भी खिड़की की तरफ पीठ करके न बैठे जब तक कि आपकी खिडकी के पीछे कोई दीवार आदि न हो।

आपकी पीठ पीछे कोई खुली किताबों की रैक भी नहीं होनी चाहिए। अगर आप खिडकी की तरफ पीठ करके बैठे हों तो यह ध्यान रखिए कि आपकी खिडकी के पीछे कोई ऊँची दीवार या ऊँची बिल्डिंग होनी चाहिए जो याँग ऊर्जा का प्रतीक है।

मध्यप्रदेश : स्कूल शिक्षा के समग्र पोर्टल को भी मिला स्कॉच गोल्ड अवार्ड

cm-schoolchalemभोपाल [ TNN ] मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित समग्र शिक्षा पोर्टल को स्कॉच गोल्ड अवार्ड प्राप्त हुआ है। देश में पहली बार मध्यप्रदेश में लगभग एक करोड़ 60 लाख बच्चों का दस्तावेजीकरण और उसकी ट्रेकिंग बेहतर और प्रमाणिक ढंग से की जा रही है। मध्यप्रदेश सरकार की इस पहल को राष्ट्रीय-स्तर पर स्वीकार्यता मिली है। स्कॉच डेव्हलपमेंट फाउण्डेशन ने समग्र शिक्षा पोर्टल को स्कॉच अवार्ड-2014 के लिये चयनित किया है। प्रदेश में इस पोर्टल से अब तक लगभग 62 लाख बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं।

स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन को स्कूल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री एस.आर. मोहंती और अन्य अधिकारियों ने यह अवार्ड देते हुए बताया कि फाउण्डेशन द्वारा देश के करीब 50 प्रोजेक्ट को अवार्ड दिया गया है। मध्यप्रदेश को 5 गोल्ड अवार्ड एवं 15 स्कॉच आर्डर ऑफ मेरिट अवार्ड प्रदान किये गये हैं। इस प्रकार राज्यों की ग्रेडिंग में मध्यप्रदेश को सर्वप्रथम राज्य, गुजरात को द्वितीय एवं महाराष्ट्र को तृतीय घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों नई दिल्ली के इंडिया हेबिटेट सेंटर में हुए प्रतिष्ठित आयोजन में विभाग को यह अवार्ड प्राप्त दिया गया।

स्कूल शिक्षा विभाग को स्कॉच गोल्ड अवार्ड मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए पारस जैन ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की कुशल नीतियों और विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों को दिया है। समेकित छात्रवृत्ति योजना के क्रियान्वयन से बच्चों को राज्य शासन की योजनाओं का लाभ पात्रता के आधार पर सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके लिये केवल एक बार छात्र का प्रोफाइल समग्र शिक्षा पोर्टल पर दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि अब बच्चों को विभिन्न योजनाओं के लिये अलग-अलग आवेदन करने एवं कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। सभी योजनाओं के लाभ की राशि सीधे बेंक में ई-पेमेंट के माध्यम से भुगतान की जा रही है।

 

छेड़छाड़ वाले ड्रा के खिलाफ अभियान जारी रखेंगी दीपिका

Dipika Pallikal

भारतीय स्क्वाश खिलाड़ी दीपिका पल्लीकल ने कहा कि वह उच्च अधिकारियों के सामने \’छेड़छाड़\’ वाले ड्रा के खिलाफ अपना अभियान जारी रखेंगी | एशियाई खेलों में महिला एकल स्क्वाश वर्ग में भारत के लिए पहला पदक हासिल करने वाली दीपिका पल्लिकल ने कहा कि भारत में अधिकारियों के कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद वह उच्च अधिकारियों के सामने ‘‘छेड़छाड़’’ वाले ड्रा के खिलाफ अपना अभियान जारी रखेंगी ।

सेमीफाइनल में विश्व की नंबर एक निकोल डेविड से सोमवार को हारने वाली दीपिका ने कहा कि वह हमवतन जोशना चिनप्पा के खिलाफ अपने मैराथन विजयी प्रयास से खुश हैं जिसकी बदौलत उन्होंने रविवार को कांस्य पदक पक्का किया था. दीपिका विशेष रूप से इसलिए खुश हैं क्येंकि इस विजयी प्रयास ने ‘‘अधिकारियें और उन पर संदेह करने वालों’’ को गलत साबित कर दिया।

दीपिका ने इंचियोन से फोन पर कहा, ‘‘यह जीत वास्तव में मेरे लिए महत्वपूर्ण है. जब मैंने सबके साथ कहा कि ड्रा से छेड़छाड़ हुई है तो कुछ लोगों ने सोचा कि मैं जोशना का सामना नहीं करना चाहती. मैं अपने देश के लिए पदक जीतने के बाद भी यही महसूस करती हूं. कल्पना कीजिए, अगर जोशना दूसरे मैच में खेलती तो हम दो पदक जीत सकते थे. भविष्य के लिए, मैं विकल्प तलाश रही हूं कि मैं इस मामले को कैसे आगे बढ़ा सकती हूं.’’

दीपिका के पास इंचियोन खेलों में बनाए गए खेल पंचाट अदालत (सीएएस) के तदर्थ विभाग के पास अपील करने का विकल्प है. सीएएस की स्थापना 1984 में की गई थी ।
 

 

Video: चिड़ियाघर में गिरा युवक, बाघ ने मार डाला

नई दिल्ली [ TNN ] दिल्ली के चिड़ियाघर में मंगलवार दोपहर सफेद बाघ के बाड़े में गिरे युवक को बाघ ने दबोचकर मार डाला। युवक बाड़े में करीब 10 मिनट तक बाघ के साथ संघर्ष करता रहा, लेकिन कोई भी सिक्यॉरिटी गार्ड उसकी मदद के लिए नहीं पहुंचा। बाघ से बचने के लिए युवक ने हर संभव कोशिश की। घबराहट में उसने बाघ को हाथ भी जोड़े, लेकिन बाघ ने उसे बुरी तरह घायल कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। युवक की पहचान दिल्ली के रहने वाले मकसूद के रूप में की गई है। वह टिकट लेकर चिड़ियाघर के अंदर आया था।

जानकारी के मुताबिक यह युवक दिल्ली चिड़ियाघर में घूमने के लिए आया था। मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक दोपहर करीब एक बजे युवक सफेद बाघ के बाड़े में झांक रहा था। इसी दौरान उसका पैर फिसल गया और वह बाड़े में गिर गया। हालांकि चिड़ियाघर प्रशासन का कहना है कि युवक बैरिकेड को पार कर बाड़े में कूदा था।

चिड़ियाघर में मौजूद बिट्टू नाम के युवक ने एक  चैनल टाइम्स नाउ को बताया, ‘युवक पैर फिसलने के कारण सफेद बाघ के बाड़े में गिरा। गिरने के करीब दो मिनट बाद बाघ उसके करीब आया। युवक बुरी तरह घबरा गया था। उसने हाथ जोड़े और पीछे हटने लगा। इस बीच बाघ ने उसे पंजा मारा। इसके बाद युवक फिर पीछे हटने लगा। इसी दौरान किसी ने बाघ को पत्थर मार दिया।

युवक ने बताया कि बाघ इससे भड़क गया और उसने युवक की गर्दन पकड़ ली। वह उसे उठाकर दूसरे कोने में ले गया। कुछ दूर ले जाने के बाद उसने उसे छोड़ दिया। इसी बीच सिक्यॉरिटी वाले वहां पहुंचे और डंडे से ग्रिल पर मारने लगे। इसके बाद बाघ ने फिर युवक को गर्दन से दबोच लिया। इसके बाद बाघ युवक को पिंजरे में घसीटता रहा। उसकी गर्दन को बाघ ने बुरी तरह जख्मी कर दिया था और उसकी हड्डी नजर आ रही थी। इस दौरान युवक की मौत हो चुकी थी।’

उधर, इस घटना पर चिड़ियाघर प्रशासन ने प्रेस रिलीज जारी कर सफाई दी है। चिड़ियाघर के डायरेक्टर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मकसूद ना के इस युवक ने बैरियर को जानबूझकर लांघा था। वहां मौजूद गार्ड प्रवीण ने युवक को बाड़े में घुसते देख वायरलेस पर मेसेज जारी कर दिया था। इसके बाद बाघ को लगातार हटाने की कोशिश की गई, लेकिन बाघ के ध्यान बंटाने में कामयाबी नहीं मिली। इस दौरान पुलिस और एम्बुलेंस को भी बुला लिया गया था।

White tiger kills youth after falling inside Delhi Zoo

भारतीय कानून से परे है ऑन लाइन लॉटरी का मायावी जाल

Beyond the Indian Act elusive network of on-line lotteryभारत में पहले नंबरी लॉटरी का खेल खेला जाता था, जिसमें लोग अपनी गाढ़ी कमाई गंवाकर अपना भाग्यशाली नंबर ढूंढ़ते फिरते थे। सरकारी प्रयास जब राजनीति की भेंट चढऩे लगे तो आखिरकार न्यायालय के सख्ती के बाद नंबर का भाग्यशाली गेम बंद तो हुआ लेेकिन तकनीकी तरक्की ने लुटेरों को भारतीय कानून से परे एक ऐसे खेल को खेलने का अवसर दे दिया, जिसमें आज पढ़े लिखे युवा अपनी कमाई अरबपति बनने के चक्कर में गंवा रहे हैं। राज्य सरकारों द्वारा सार्वजनिक इश्तहार देने के बावजूद भी भोले भाले लोग ऑन लाइन लॉटरी के जाल में फंसते जा रहे हैं। यह अपराध चूंकि देशों की सीमा से परे है, इसलिए किसी देश के कानूनी पंजे उन्हें आसानी से पकड़ नहीं पाते, हमारा देश भारत भी इस मामले में फिसड्डïी ही है।
 
जहां तक भारत सरकार के गृह, सूचना एवं प्रसारण तथा संचार मंत्रालय का सवाल है, इन मंत्रालयों के पास ऑन लाइन लॉटरी से संबंधित किसी प्रकार का कोई डाटा ही उपलब्ध नहीं है कि कितने लोग इस तरह के हेराफेरी का शिकार प्रति वर्ष हो रहे हैं। इस मामले में 1998 में पारित लॉटरी रेगुलेशन एक्ट राज्य सरकारों को लॉटरी को प्रतिबंधित करने से लेकर प्रोन्नयन करने तक का सर्वाधिकार देती है।
 
1998 का यह लॉटरी रेगुलेशन एक्ट ऑन लाइन लॉटरी के बारे में कुछ कहता ही नहीं है फिर भी विधि व न्याय मंत्रालय का कहना है कि इस एक्ट में सभी तरह के अवैध लॉटरी के बारे में कानूनन  उचित व्यवस्था है। भारत सरकार ने 2010 में एक अधिसूचना के तहत इस एक्ट में कुछ बदलाव किए है जिसमें नंबर वाली लॉटरी और ऑन लाइन लॉटरी के बारे में स्पष्टï व्याख्या प्रस्तुत की गई है। जहां तक सामान्य लॉटरी का सवाल है, विधि व न्याय एवं संचार मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया कि वे अपने राज्य में चाहे तो किसी प्रकार की लॉटरी को संचालित कर सकती हैं या फिर बंद करने का अधिकार रखती हैं। इस तरह का भारत सरकार ने 28 दिसंबर 2011 में राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह अधिकार प्रदान किया जिसमें वह पूर्ण रूप से इस बिजनेस को प्रोन्नत कर सकती हैं या फिर बंद कर सकती हैं।
 
 बावजूद इसके भारत सरकार की चिंता ऑन लाइन लॉटरी को लेकर बरकरार है जिसमें देशों की सीमाएं टूट जाती हैं। विदेशी मायावी ऑन लाइन लॉटरियों के चक्कर में पढ़े लिखे लोग बर्बाद हो रहे हैं जो सेकेंडों में मिलिनेयर और बिलिनेयर बनाने का सपना दिखाती हैं। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि निजी सतर्कता और बिना मेहनत मिनटों में अरबपति बननेे का ख्वाब, लॉटरी से पूरी करने की कतई कोशिश हमें नहीं करनी चाहिए।
 
भारत में समस्या यह है कि इस तरह के हेराफेरी के आरोपियों को दबोचने के लिए हमारे पास कोई वैधानिक आधार के साथ-साथ दोषी के दोष को साबित करने के लिए दंड प्रक्रिया की तो कमी है ही, भारतीय न्यायालयों की भी अपनी समस्याएं हंै, जिसे दूर कर दोषियों को आरोपित किया जा सके। समय आने पर संभव है ऐसा हो सके लेकिन फिलहाल तो सतर्कता ही ऑन लाइन लॉटरी से लूटने से बचने का एकमात्र रास्ता है।
 
एम. वाई. सिद्दीकी
(पूर्व प्रवक्ता विधि व न्याय और रेल मंत्रालय, भारत सरकार)

पितरों के तर्पण के साथ विश्व की समस्त दिवंगत आत्माओं का किया तर्पण

tarpan to departed souls across the worldदमोह  [ TNN ]  सरिता के पवित्र जल में स्वेत वस्त्रों में डूबे लोग और वेदिक मंत्रों के उच्चारण से गूंजायमान होता क्षेत्र,अंजली में जल के साथ कुशा को लिये अपने पितरों सहित विश्व की समस्त दिवंगत आत्माओं को तर्पण के माध्यम से जल अर्पित करते लोग जी हां कुछ एैसा ही नजारा था जिले की व्यारमा नदी का जहां ब्रम्हमुर्हुत में ही उक्त कार्य प्रारंभ हो चुका था। जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम बलारपुर के समीप से निकली व्यारमा नदी में जिले के कुछ ब्राम्हणों ने पं.महेश पांडे के नेतृत्व में एकत्रित हो उक्त पवित्र कार्य को सम्पन्न किया तो अनेक वर्ग के लोगों ने भी सहभागिता करते हुये पितरों का तर्पण किया। पितृमोक्ष अमावश्या के पवित्र अवसर पर जहां इन लोगों ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया तो वहीं दूसरी ओर विश्व की उन समस्त दिवंगत आत्माओं का तर्पण भी किया जो या तो असमय काल के गाल में समा गयी या फिर जिनका तर्पण करने वाला कोई उनका वंशज नहीं है। अपने पूर्वजों के साथ इनको भी इन्होने भगवान विष्णु से अपने चरणों में स्थान देने की कामना भी की। तो सभी के निरोग,सुखी रहने का आर्शीवाद भी मांगा। लगभग दो घंटे से अधिक समय तक चले उक्त कार्यक्रम के दौरान शास्त्रों में वर्णित लगभग सभी प्रकार से पूजन हवन भी किया गया। इस अवसर पर पं.डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव,पं.पंकज दुबे,पं.राजेन्द्र तिवारी,एच.एन.श्रीवास्तव, ने प्रमुख रूप से उपस्थित होकर उक्त कार्य को वैदिक रीति रिवाज से किया। 


क्या है विधान-
भाद्रपद पूर्णिमा से ही महालया आरम्भ होता है। आश्विन मास की प्रथम तिथि प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पितरो के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का शास्त्र सम्मत विधान है स्मरण करने के लिये ही पितृपक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जन के साथ पितृ पक्ष समाप्त होता है तथा शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ हो जाता है। धर्मशास्त्रों मे कहा गया है कि पितरलोक से आये हुये पितृ महालय भोजन मे पूर्ण रुपेण तृप्त होकर अपने लोक को प्रस्थान करते हैं तथा सेवक को परिजनों को आर्शीवाद देते हैं मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करते हैं सन्तुष्ट होने पर अनिष्ट कारक घटनाओं से परिजनो स्वजनो आदि को बचाते भी हैं शास्त्र सम्मत है कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितरों को जल देकर, मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करके पितृ ऋण चुकाया जाता है।  वैदिक परम्परा का निर्वाहन करके उन पूर्वजों को पितर मानते हैं जिनकी स्मृति को हम पूर्ण श्रद्धा भाव से नमन करते हैं पूर्ण श्रद्धा भाव से पिता, पितामह, प्रपितामह को दिया जाने वाला पिण्ड, पुष्प, जल, दक्षिणा आदि स्मृति और श्रद्धा का प्रतीक होने के कारण श्राद्ध शब्द का नाम दिया गया है।


वैज्ञानिक महत्च:- 
जब सूर्य कन्या राशि मे प्रवेश करता है तो उस समय सूर्य पृथ्वी के अति निकट होता है सूर्य की तेज किरणों से पृथ्वी सहित पशु पक्षी तक व्याकुल हो उठते हैं इसकी समय पितरों का पृथ्वी पर आगमन होता है भूखे प्यासे पितरों को जल दान देने की परम्परा का मुख्य कारक सूर्य जी ही हैं। शुक्ल पक्ष मे चन्द्रमा सूर्य से दूर हो जाता है जिससे चन्द्रमा पर पडऩे वाला सूर्य का प्रकाश कम रहता है शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पितरों की मध्यरात्रि मानी गयी है कृष्ण पक्ष का प्रारम्भ होते ही चन्द्रमा धीरे-धीरे सूर्य के समीप पहुंचने लगता है यही प्रक्रिया चन्द्रलोक मे सूर्य का प्रकाश बढ़ाने का काम करती है। धर्म पंचांगो के अनुसार सूर्य तथा चन्द्रमा अमावस्या तिथि को सूर्य तथा चन्द्रमा अर्थात् राजा और रानी चन्द्र ग्रह एक ही राशि कन्या मे विराजमान होते हैं सूर्य अमावस्या के दिन चन्द्रमा से ठीक ऊपर होता है इसी दिन पितरो का मध्यान्हकाल भी होता है यही वजह है कि अपने पूर्वजों के प्रति असीम श्रद्धा के लिये अमावस्या अति उत्तम तिथि है।

रिपोर्टे -डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव

शह-मात के खेल में संघ की साख भी दांव पर

राजधर्म की राह से शिवसेना भटक रही है या बीजेपी ?

 

शिवसेना-बीजेपी के शह मात के खेल में पहली बार राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ की साख भी दांव पर लग गयी है। जिस राजधर्म के आसरे आरएसएस ने बालासाहेब ठाकरे को ना सिर्फ मान्यता दी बल्कि बाबरी मस्जिद विध्वस के स्वयभू नायक बने बालासाहेब ठाकरे को अयोध्या रामरथयात्रा के राम लालकृष्ण आडवाणी से ज्यादा सराहा। उसी राजधर्म को सत्ताधर्म के सामने टूटने की आहट ने संघ को बैचेन कर दिया है । लेकिन संघ की मुश्किल दोहरी है एक तरफ सवाल राजधर्म का है तो दूसरी तरफ चुनाव को जीत में बदलने का हुनरमंद मान चुके अमित शाह को बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने के बाद लगातार तीन उपचुनाव में हार के बाद पहले हरियाणा तो अब महाराष्ट्र में गठबंधन तोड़ कर जीतने के हुनर पर संघ का ही भरोसा डगमगा BJP-RSSरहा है। इसीलिये संकेत की भाषा में संघ राजधर्म बचाकर सत्ता का स्वाद लेने का मंत्र लगातार दे रहा है। लेकिन रास्ता जिसतरह जुदा हो रहा है उसमें हर सवाल वहीं जाकर रुक रहा है कि राजधर्म ताक पर रख चुनावी जीत हासिल करनी चाहिये या फिर राजधर्म के आसरे शिवसेना को साथ लेकर चलना चाहिये। यह सवाल संघ परिवार के भीतर इसलिये बड़ा है क्योकि चाहे अय़ोध्या आंदोलन का दौर हो चाहे 1993 में मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद के हालात या फिर हिन्दुत्व के रास्ते मुस्लिमों को निशाने पर लेने वाले हालात। हर वक्त हर दौर में शिवसेना और बीजेपी एक साथ ही रही। और हर मुद्दे को राजधर्म से जोडकर दोनो ने सियासी चालों को एकसाथ चलना सीखा। और इसके लिये मराठी मानुष के आंदोलन को छोड़ शिवसेना पहली बार 1990 के मैदान में अयोध्या आंदोलन का नाम जपते हुये लड़ी। उस वक्त आरएसएस के लिये यह बडी बात थी कि शिवसेना उसके साथ खड़ी है। इसलिये 1990 में शिवसेना 183 सीट पर लडी और बीजेपी 104 सीट पर। फिर बाबरी मस्जिद विध्वस के बाद आडवाणी शोक मनाने लगे बालासाहेब ठाकरे ताल ठोंक कर कहने से नहीं चुके कि उन्होने विध्वंस किया। संघ परिवार ने भी कभी शोक या माफी के शब्दों का प्रयोग बाबरी मस्जिद को लेकर नहीं किया य़ानी सियासत के लिहाज से संघ की सोच से कही ज्यादा नजदीक शिवसेना ही रही। ठाकरे तो आडवाणी ही नहीं शंग से निकले राजनीतिक स्वयंसेवकों से कई कदम आगे बढ़कर खुद को हिन्दू ह्रदय सम्राट कहने से नहीं कतराये और दूसरी तरफ वीएचपी के नारे , ‘गर्व से कहो हम हिन्दु है’, को शिवसेना का नारा बना दिया। इसलिये दिल्ली में तब चाहे वाजपेयी-आडवाणी की हवा हो लेकर महाराष्ट्र में तब भी शिवसेना ने अपना कद बड़ा रखा और 1995 में बीजेपी को सिर्फ 116 सीट दी और शिवसेना 169 सीट पर लडी ।

और चूंकि 1995 में शिवसेना बीजेपी गठबंधन को सत्ता मिली और उसके बाद 1999,2004,2009 में लगातार हार ही मिली तो सीट समीकरण का फार्मूला भी 1995 से आगे ना निकला ना बदला। और ना ही हिन्दुत्व के मुद्दे पर शिवसेना कभी बीजेपी के पीछे खड़ी नजर आयी और ना ही बीजेपी ने कभी किसी मुद्दे पर शिवसेना को पीछे छोड़ा। लेकिन पहली बार हिन्दुत्व राष्ट्रवाद और हिन्दु धर्म के बीच सियासत का ऐसा राजधर्म शिवसेना और बीजेपी के बीच आ खडा हुआ है, जहां बीजेपी मान कर चल रही है कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन का मंत्र उसके पास है। और शिवसेना मान कर चल रही है कि सत्ता बदलने की ताकत शिवसैनिकों के पास है । यानी राजधर्म का गठबंधन पहली बार सत्ताधर्म में ऐसा उलझा है कि दोनों को आपसी सहयोग से ज्यादा अपनी सियासी चालो पर ही भरोसा हो रहा है। ध्यान दें तो पहली बार राजधर्म वाले प्रिय शब्द का जिक्र ना तो शिवसेना कर रही है ना ही बीजेपी। दोनों सत्ताधर्म की दुहाई दे रहे है। और सत्ता का मतलब है क्या यह किसी से छुपा नहीं है। क्योंकि मुंबई की चकाचौध हो या फिर मुफलिसी। रफ्तार से दौडती जिन्दगी हो या चीटी की तरह रेंग कर चलता ट्रैफिक। बरसात में डूबने वाली मुंबई हो या घर की छत पर हेलीकाप्टर उतरने वाली आलीशान बिल्डिंग। मुंबई को संवारने का जिम्मा पाले बीएमसी पर कब्जा शिवसेना का है । जिसका सालाना बजट 31175 करोड़ का है। वही समूचे महाराष्ट् की सत्ता का मतलब है 175325 करोड़ का बजट। और याद किजिये तो काग्रेस एनसीपी सरकार के दौर में भूमि घोटाला हो या सिंचाई घोटाला। खेल लाखों करोड़ का हुआ। बीते पांच बरस में ही दो लाख करोड़ के कई घोटालो के दायरे में सत्ता आयी। और बीते 15 बरस से सत्ता संभाले काग्रेस एनसीपी के बीच हमेशा झगडा उन नीतियों को लेकर हुआ जिसका बजट ज्यादा था और उनके नेताओं के पसंदीदा कार्यकर्ता या नेता को लाभ ना मिल रहा हो। यह कितना मायने रखता है यह चुनाव के नोटिफिकेशन से महीने भर पहले काग्रेसी सीएम की निपटायी फाइलों से समझा जा सकता है जो उन योजनाओं से ही ज्यादा जुड़ी थी, जहां सबसे ज्यादा पैसा था। असल सवाल यही से शुरु होता कि आखिर शिवसेना को महाराष्ट्र की सत्ता क्यों चाहिये। वह भी ठाकरे परिवार ने चुनाव से पहले ही सीधे क्यों कह दिया कि इस बार वह सीएम बनना चाहते है। और बीजेपी यह क्यों नहीं पचा पा रही है कि ठाकरे परिवार की रुचि अगर सत्ता संभालने में है तो फिर वह विरोध क्यों कर रही है। तो सत्ता का मतलब है महाराष्ट्र के समूचे खर्च पर कब्जा। और शिवसेना हो या बीजेपी दोनो ही महाराष्ट्र की सत्ता से बीते 15 बरस से बाहर ही है।

बीजेपी तो फिर भी राष्ट्रीय पार्टी है और उसके नेता या कार्यकर्तओ को पार्टी फंड से पैसा मिल जाता है जिससे पार्टी कैडर बरकरार रहे और काम करता रहे। लेकिन शिवसेना की उलझन यह है कि उसकी पहुंच पकड़ सिर्फ महाराष्ट्र में है। और महाराष्ट्र में ही जब सत्ता परिवर्तन की हवा चल रही है तो फिर सीएम पद अगर शिवसेना को नहीं मिलेगा तो शिवसैनिकों का हुजुम कितने दिन शिवसेना के साथ रहेगा। यानी महाराष्ट्र की सत्ता शिवसेना के लिये जीवन-मरण के सामान है । लेकिन बीजेपी का लोभ दिल्ली की सत्ता की हवा में हर राज्य को समेटने की चाहत है । इसीलिये हरियाणा में सहयोगी विश्नोई को बीजेपी ने ठेंगा दिखाने में देरी नहीं की । और -महाराष्ट्र में उद्दव ठाकरे की जिद भी बीजेपी को खारिज करने में देरी नहीं लगी। असर इसी का है कि शिवसेना गठबंधन में रहते हुये मिशन 150 पर निकल पड़ी है। और बीजेपी एक बूथ 10 यूथ का नारा लगाने लगी है । और अगर शिवसेना को यह लगने लगा है कि बालासाहेब ठाकरे की विरासत को मोदी मंत्र हडप लेगा तो फिर महाराष्ट्र की सियासत में खामोश राज ठाकरे का उदय एक तरीके से हो सकता है और यह सक्रियता कही ना कही बीजेपी के सियासी पाठ से टकराने के लिये दिल्ली से लेकर मुबंई तक नये तरीके से मथेगी। क्योंकि जो राज ठाकरे हजार दुश्मनी के बाद भी उद्दव ठाकरे के दिल के आपरेशन के वक्त अस्पताल चले गये वह ठाकरे की विरासत को जीवित रखने के लिये कब कैसे किसके साथ चले जायेंगे इसके लिये 24 सितंबर के सबह 11 बजे तक का इंतजार करना ही होगा । जब पित्तृ पक्ष खत्म होगा और शुभ मुहर्त शुरु होगा।

:-पुण्य प्रसून बाजपेयी

punya-prasun-bajpaiलेखक परिचय :- पुण्य प्रसून बाजपेयी के पास प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। प्रसून देश के इकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें टीवी पत्रकारिता में बेहतरीन कार्य के लिए वर्ष 2005 का ‘इंडियन एक्सप्रेस गोयनका अवार्ड फ़ॉर एक्सिलेंस’ और प्रिंट मीडिया में बेहतरीन रिपोर्ट के लिए 2007 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला।

धर्म पर हमला : शादी-विवाह में गौरी-गणेश की पूजा न करें- स्वामी प्रसाद

swami-prasad-mauryaलखनऊ [ TNN ] बसपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपील की है कि शादी-विवाह में गौरी-गणेश की पूजा न करें। यह मनुवादी व्यवस्था में दलितों व पिछड़ों को गुमराह कर उनको शासक से गुलाम बनाने की चाल है।

उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में इंसान का स्थान नहीं है। इस धर्म में अनुसूचित जातियां, जनजातियां व पिछड़े सब शूद्र हैं। ये ढोल, गंवार, शूद्र, पशु…गाने वाले हैं। पूजंहि विप्र सकल गुणहीना.. का उपदेश देने वाले हैं।

उन्होंने कहा कि ये सुअर को वराह भगवान कहकर सम्मान दे सकते हैं। गधे को भवानी, चूहे को गणेश, उल्लू को लक्ष्मी व कुत्ते को भैरो की सवारी कहकर पूज सकते हैं, लेकिन शूद्र को सम्मान नहीं दे सकते।

स्वामी प्रसाद रविवार को सीतापुर रोड के नजदीक ताड़ीखाना में कर्पूरी ठाकुर भागीदारी महासम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

मौर्य ने सम्राट महापदमनंद व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का उदाहरण देते हुए कहा कि वास्तव में हम शासक हुआ करते थे लेकिन मनुवादियों ने ‘डिवाइड एंड रूल’ का फार्मूला अपनाया, जिससे गुलाम बन गए।

उन्होंने कहा कि इन्होंने एससी, एसटी व ओबीसी को अलग-अलग कर जातियों में बांट दिया। हम इनके तिकड़म के शिकार होते रहे।

नंद, सविता व सेन समाज के लोगों को समझाने वाले अंदाज में मौर्य ने कहा कि ये गोबर के टुकड़े पर सिंदूर चढ़वाते हैं, पान-सुपारी चढ़वाते हैं..यहां तक कि पैसा भी चढ़वाते हैं। …हमारे समाज के डॉक्टर हों या इंजीनियर अथवा प्रोफेसर.. ये चढ़ा भी देते हैं। चढ़वाने वाले कौन होते हैं, अंगूठा टेक… हम उनकी मानते रहे वे ठगते रहे।

मौर्च ने कहा, ‘…पर गौर करने वाली बात ये है कि मनुवादी व्यवस्था के लोगों ने शूद्रों का दिमाग नापने के लिए गोबर, गणेश का सहारा लिया। ऐसे डॉक्टर, इंजीनियर होने से क्या मतलब जो यह दिमाग न लगाए कि क्या गोबर का टुकड़ा भगवान के रूप में हमारा कल्याण कर सकता है? क्या पान-सुपारी खा सकता है? क्या पैसे ले सकता है। क्या पत्थर की मूर्ति दूध पी सकती है? उन्होंने ऐसा करवाकर बुद्धि नाप ली और मान लिया कि इनसे जो चाहो कराया जा सकता है।’

मौर्य ने कहा कि पहले बाबा साहब अंबेडकर फिर कांशीराम और अब मायावती दलितों व पिछड़ों को सम्मान दिलाने की लड़ाई लड़ रही हैं। आज सिर्फ वैचारिक रूप से ही बात करने की जरूरत नहीं है। उसे व्यवहारिक रूप से जीवन में उतारने की भी जरूरत है।

उन्होंने कहा कि यहां बुद्ध की बात और वहां गौरी-गणेश? यदि स्वाभिमान व सम्मान चाहते हैं तो अपने रास्ते पर चलें, दूसरे के नहीं, दूसरे के रास्ते पर चले तो वे लूटते रहेंगे।

उन्होंने सवाल किया कि क्या वे अपना शादी-विवाह करेंगे तो उनकी बातों का अनुपालन करेंगे? हो सकता कि किसी शादी में मैं आ भी जाऊं।

मौर्य ने कहा कि 1980 में इलाहाबाद में पढ़ाई के दौरान मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि धर्म के नाम पर गोरखधंधा, लूट चल रहा था। मैंने तय किया कि जिस व्यवस्था में बदहाली है, उसमें कोई संस्कृति, अनुष्ठान व कार्यक्रम नहीं कराऊंगा। जिस व्यवस्था ने हजारों साल तक शूद्र बनाकर रखा हमने 1980 में बहिष्कार कर दिया।

मौर्य ने पिछड़ों व दलितों की एकता के सियासी फायदे पर नजर गड़ाते हुए कहा कि मनुवादियों की भाषा में दलित व पिछड़े सब शूद्र हैं तो फिर इन्हें अलग क्यों रहना चाहिए। एससी, एसटी व ओबीसी मूल रूप से सब एक हैं। पिछड़े जाति के तमाम लोगों ने अपने नाम केसाथ क्षत्रिय जोड़ने के चक्कर में अपना नुकसान किया। जब जागरूक हुए तो अधिकार मिलने लगा।

साक्षी महाराज के कस्बे के मदरसों में पढ़ते है हिंदू बच्चे

sakshi-maharajकानपुर [ TNN ] मुस्लिम मदरसों को कथित रूप से आतंक सिखाने का अड्डा बताने वाले उन्नाव के बीजेपी सांसद साक्षी महाराज के अपने संसदीय क्षेत्र के शुक्लागंज कस्बे में दो मदरसे ऐसे हैं जहां हिंदू बच्चे भी पढ़ते हैं। यही नहीं, इन मदरसों में आधे से अधिक शिक्षक भी हिंदू है। इस मदरसे में कुछ साल पहले तक संस्कृत भी पढ़ाई जाती थी लेकिन अब बच्चों के रुचि न लेने के कारण संस्कृत की पढ़ाई बंद कर दी गई है।

उन्नाव जिले का एक छोटा कस्बा है शुक्लागंज, जिसकी सीमायें कानपुर से बिल्कुल सटी हुई हैं। यहां गंगा नदी के किनारे गंगाघाट के पास दो मदरसे हैं। पहला मदरसा नियाजुल उलूम निस्वा और दूसरा दारूल उलूम जियाउल इस्लाम मदरसा। इन दोनो मदरसों में कोई धर्म की दीवार नही है। यहां पढ़ने वाले छात्र और पढाने वाले शिक्षक मुस्लिम और हिंदू दोनों धर्मो के हैं। यहां हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, अरबी सभी भाषाएं पढ़ाई जाती हैं।

हिंदू बच्चों को उर्दू और अरबी नही पढ़ाई जाती। तीन साल पहले तक यहां अरबी भाषा के साथ संस्कृत भाषा भी पढ़ाई जाती थी लेकिन बच्चों के अभिभावकों के रुचि न लिए जाने के कारण संस्कृत की पढ़ाई बंद हो गई है। वैसे संस्कृत भाषा के शिक्षक अभी भी हैं जो अब हिंदी पढ़ाने का काम कर रहे हैं।

प्रेम में बनाए गए शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं -कोर्ट

hammerइलाहाबाद [ TNN ] प्रेम में बनाए गए शारीरिक संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता है। जहां महिला बालिग है और विवाह पूर्व शारीरिक रिश्ते बनाने के परिणाम और दुष्परिणाम से वाकिफ है वहां ऐसे रिश्ते आपसी सहमति से बनते हैं। संसार के किसी भी मजहब में विवाह पूर्व शारीरिक संबंध को जायज नहीं माना गया है।

प्रेम करने वाले जोड़े भावनाओं के अतिरेक में बह कर शारीरिक रिश्ते कायम कर लेते हैं बाद में महिला द्वारा इसे बलात्कार बताना उचित नहीं माना जा सकता है। इलाहाबाद में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विकार अहमद अंसारी ने इस निरीक्षण के साथ बलात्कार के आरोपी योगेश को आरोपमुक्त कर दिया है।

अभियुक्त के खिलाफ पीड़िता ने सरायइनायत थाने में 18 अगस्त 2012 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उस पर शादी का झांसा देकर लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए रखने तथा बाद में शादी से इनकार कर देने का आरोप था। पुलिस ने इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किया।

अदालत ने चार दिसंबर 2012 को आरोप तय कर विचारण प्रारंभ कर दिया। अदालत के समक्ष दिए बयान में पीड़िता ने बताया कि वह अनुसूचित जाति की है। उसका अपनी बुआ के घर सुजानपुर अक्सर आना जाना था। वहीं पर योगेश उर्फ बबलू से उसकी मुलाकात हुई।

योगेश ने उससे शादी करने का वादा किया और इसी आश्वासन पर उसने संबंध बनाने की इजाजत दी। वह जब भी शादी की बात करती योगेश टाल देता था। उनका संबंध करीब चार साल तक चलता रहा। योगेश ने उसे एक मोबाइल फोन भी दिया था। बार-बार दबाव डालने के बाद योगेश ने एक दिन उससे कहा कि वह ऊंची जाति का है इसलिए विवाह नहीं कर सकता। परिवार वाले भी राजी नहीं है। तब उसने थाने में शिकायत दर्ज कराई।

न्यायाधीश ने गवाहों के बयान, तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर पाया कि दोनों के बीच गहरा प्रेम संबंध था। युवती बालिग है और विवाह पूर्व शारीरिक संबंध के परिणामों से वाकिफ भी है। परिवार वालों के विरोध की भी उसे जानकारी थी। इसके बावजूद दोनों के बीच रिश्ता चलता रहा। इस आधार पर अदालत ने योगेश को बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया।

भारत की मजबूत स्थिति ने चीन को परेशान,बार-बार कर रहा घुसपैठ

Chumar infiltrationनई दिल्ली [ TNN ] लद्दाख के चुमार और डेमचक में सामरिक लिहाज से भारत की मजबूत स्थिति ने चीन को परेशान कर रखा है। यही वजह है कि चीन पिछले कुछ सालों से इन क्षेत्रों में बार-बार घुसपैठ कर भारत को दबाव में रखने की रणनीति पर काम कर रहा है।

ताजा मामले में चुमार में भारत के कड़े रुख के चलते चीनी सेना तिलमिलाई हुई है। चुमार और उससे करीब 40 किलोमीटर दूर डेमचक में मजबूत स्थिति में तैनात भारतीय सेना ने सरकार को कूटनीतिक रास्ते से हल निकालने की सलाह दी है।

दो असफल फ्लैग मीटिंग के बाद हाथ खड़े कर चुके सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बता दिया है कि अगर दोनों सेनाएं पीछे नहीं हटीं तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री को आश्वस्त किया है कि बैक चैनल बातचीत के जरिए अगले तीन से चार दिन में हालात सामान्य हो जाने की संभावना है। सेना के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की इन दो जगहों पर भारत की मजबूत स्थिति और चुमार के विवादित क्षेत्र में उसके सड़क निर्माण पर भारत के कड़े ऐतराज से चीनी सेना इस तरह बौखला गई कि वह अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सलाह भी नहीं मान रही।

गौरतलब है कि मोदी-जिनपिंग वार्ता के दौरान उठे इस मुद्दे के बाद ढीली पड़ी चीनी सेना कुछ ही घंटों के बाद फिर उग्र हो गई। सूत्रों के मुताबिक चुमार में सामरिक लिहाज से अतिसंवेदनशील और महत्वपूर्ण 30-आर नाम की जगह पर भारतीय सेना 14600 फीट की उंचाई पर है। जबकि चीनी सेना करीब दो हजार फुट नीचे है। सूत्रों ने बताया कि उधर डेमचम क्षेत्र में भारत ने दौलत बेग ओल्डी और नियोमा में दो एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनाकर चीन की स्थिति को कमजोर कर दिया है।

इन्हीं कारणों से चीन ताजा कार्रवाई में डेमचक में पिछले दिनों अपने गांव के लोगों को ट्रकों में लादकर वहां बिठा दिया, जहां भारत के गांव वाले सिंचाई के लिए अस्थायी निर्माण कर रहे थे। चीन की इस कार्रवाई पर भारतीय सेना और आईटीबीपी चुमार में चीन के सड़क निर्माण पर अड़ गई है। सूत्र ने बताया कि अब गेंद विदेश मंत्रालय के पाले में है। मंत्रालय बैक चैनल बातचीत के जरिए दोनों सेनाओं को 10 सितंबर से पहले वाली स्थिति में लाने की कोशिश में है।

पिछले दो दिनों में चीनी सैनिकों के दुबारा घुसपैठ करने के कारण चुमार क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। सूत्रों ने बताया कि नौ वाहनों में सवार होकर पीएलए के 50 सैनिक चुमार के 30आर प्वांइट पर पहुंच गए। ये जवान इस जगह पर पहले से ही कैंप कर रहे 35 चीनी सैनिकों के अलावे हैं। वे भारतीय सेना की स्थिति से करीब 100 मीटर दूर हैं। चुमार की एक दूसरी जगह से बृहस्पतिवार रात में लौटने वाले पीएलए के सैनिकों में 35 30आर प्वाइंट पर जम गए थे।

भले ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भारत दौरा बेहद उत्साहजनक रहा हो, मगर चीन की पूर्व में की गई पैंतरेबाजियों से भारत वाकिफ है। हिंद महासागर से होकर ही चीन का 80 फीसदी, भारत का 65 फीसदी और जापान का 60 फीसदी तेल गुजरता है। इसीलिए इन देशों के बीच हिंद महासागर में होड़ मची हुई है। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल कहते हैं, ‘भारत और अमेरिका के साथ-साथ चीन भी हिंद महासागर में बड़ी भूमिका निभाना चाहता है। वह अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है।’

वैसे भी जिनपिंग ने भारत दौरे से पहले हिंद महासागर के राष्ट्रों का दौरा किया था। वह पहले मालदीव गए जहां के पर्यटन में चीन अपनी सशक्त मौजूदगी दर्ज कराना चाहता है। इसके बाद जिनपिंग श्रीलंका गए, जहां चीन सबसे बड़ा निवेशक है। चीन श्रीलंका में हंबनटोटा नाम का काफी बड़ा बंदरगाह बना चुका है।

विधानसभा चुनावों से रूबरू-महाराष्ट्र-हरियाणा

chouhanचुनाव आयुक्त द्वारा महाराष्ट्र की 288 तथा हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर होने वाले आम चुनावों की विधिवत् घोषणा कर दी गई है। कार्यक्रम के अनुसार 15 अक्तूबर को इन राज्यों में चुनाव संपन्न होंगे जबकि वोटों की गिनती का काम 19 अक्तूबर को होगा। हरियाणा में इस बार 1.62 करोड़ मतदाता चुनाव में मतदान कर सकेंगे जबकि 8. 26 करोड़ मतदाता महाराष्ट्र में मतदान में शिरकत करेंगे। हालांकि भारतीय जनता पार्टी द्वारा पूरे उत्साह के साथ इन दोनों राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की प्रतीक्षा की जा रही थी।परंतु पिछले दिनों उत्तराखंड,बिहार,कर्नाटक,मध्यप्रदेश,उतरप्रदेश,राजस्थान,गुजरात राज्यों में हुए विधानसभा तथा संसदीय उपचुनावों में भाजपा को मिली शिकस्त के बाद भाजपा संगठन में खलबली मच गई है।

पार्टी ने जिस प्रकार मुज़फ्फरनगर में सांप्रदायिक तनाव के वातावरण में लोकसभा चुनावों के समय उत्तर प्रदेश के प्रभारी तथा वर्तमान पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के ‘बदला लेने’ जैसे गैरजि़म्मेदाराना वक्तव्य की आड़ में तथा साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के ज़हरीले भाषणों की छत्रछाया में लोकसभा की 71 सीटें जीती थी पार्टी को उम्मीद थी कि शायद वही प्रयोग उपचुनावों में भी दोहरा कर पार्टी अपनी विजय पताका फहरा सकती है। और अपनी इसी रणनीति के तहत पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश के उपचुनावों का प्रभारी नियुक्त कर उन्हें राज्य में घूम-घूम कर ज़हर उगलने के लिए ‘अधिकृत’ कर दिया था। मज़े की बात तो यह है कि चुनाव आयोग ने तो लव जेहाद पर जनता में सांप्रदायिकता फैलाने तथा एक के बदले सौ लड़कियां ले जाने जैसे उनके बेहूदे व गैरजि़म्मेदाराना एवं भडक़ाऊ बयानों पर तो संज्ञान लिया तथा इन्हें नोटिस भी जारी किया। परंतु भाजपा नेताओं की ओर से न तो योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध कोई कार्रवाई की गई और न ही उसे नियंत्रित करने हेतु कोई सार्वजनिक बयान जारी किया गया। यहां यह कहना $गलत नहीं होगा कि या तो आदित्य योगी भाजपा के बनाए हुए मास्टर प्लान पर काम कर रहे थे या फिर उनके ज़हरीले व आपत्तिजनक वक्तव्यों को भाजपा का समर्थन हासिल था।

बहरहाल, इस विष मंथन का परिणाम यह निकला कि भारतीय जनता पार्टी न केवल उतरप्रदेश में 11 में से केवल तीन सीटें हासिल कर सकी बल्कि लोकसभा की भी एक सीट वह प्रदेश में जीत नहीं पाई। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट के अंतर्गत पडऩे वाली एक विधानसभा सीट भी भाजपा नहीं जीत सकी। राजस्थान में भी 4 सीटों के उपचुनाव में तीन सीटों पर कांग्रेस को विजय मिली। उतराखंड में लोकसभा चुनावों के फौरन बाद ही उपचुनाव हुए थे जिसमें भाजपा को तीनों सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था। वहां तो भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी विधानसभा का उपचुनाव हार गए। कहने का तात्पर्य यह है कि मात्र तीन महीने के भीतर ही यह नज़र आने लगा है कि जनता अब भाजपा के झूठे वादों तथा उसके आडंबर से भलीभांति वाकि़$फ हो गई है। सौ दिन में काला धन देश में वापस लाने का दावा करने वाले भाजपाई नेता अब या तो इधर-उधर अपनी नज़रें बचाते फिर रहे हैं या फिर यह कहते नज़र आ रहे हैं कि काला धन वापस लाना आसान नहीं। मंहगाई भी यूपीए शासनकाल से कहीं आगे जा रही है। जबकि पार्टी के रणनीतिकार जनता को आंकड़ों से बहलाने की कोशिश कर रहे हें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हालांकि अपनी नेपाल व जापान यात्रा में किए जा रहे ‘भावनात्मक’ प्रदर्शनों के द्वारा जनता पर अपनी छाप छोडऩे की कोशिश कर रहे हैं चीनी राष्ट्रपति के भारत दौरे के समय भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया। परंतु राजनैतिक विश£ेषक इन सभी बातों को मोदी का महज़ ड्रामा व भ्रमित विदेश नीति का नाम दे रहे हैं।मिसाल के तौर पर चीन व जापान एक-दूसरे के धुर विरोधी तथा एक-दूसरे से गहरा बैर रखने वाले देश हैं। ऐसे में नरेंद्र मोदी द्वारा बनारस के विकास के लिए जापान से समझौता करना तथा दूसरी ओर देश में स्मार्ट सिटी बनाने के लिए चीन से समझौता करना यह दोनों आपस में विरोधाभासी निर्णय हैं। लगभग उसी तरह जैसे कि मोदी ने अपने शपथग्रहण समारोह में तो पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को निमंत्रण देकर अपनी उदारता का तथा सार्क देशों में सबसे बड़े देश का प्रधानमंत्री होने का परिचय दिया था। परंतु सत्ता में आते ही उन्होंने पाकिस्तान द्वारा सीमा पर की जा रही घुसपैठ के चलते पाकिस्तान से बातचीत के दरवाज़े बंद कर दिए। गोया ‘शाल-साड़ी डिप्लोमेसी’ पर व्यर्थ समय नष्ट किया गया। ऐसी ही स्थिति चीन के साथ भी जारी है। दोनों देशों के नेता लंच व डिनर में मश$गूल रहे और चीनी सैनिकों की घुसपैठ सीमा पर बदस्तूर जारी है।

लगभग 4 महीने के भाजपा के शासनकाल में जनता को किस प्रकार लोकलुभावनी नीतियों व बातों से बहलाने की कोशिश की जा रही है तथा अपने सांप्रदायिक एजेंडे को जिस तरह आगे बढ़ाया जा रहा है जनता बहुत जल्दी इन बातों से वाकि़फ हो चुकी है। कम से कम उपचुनावों के परिणाम तो ऐसी ही संदेश दे रहे हैं। ऐसे में महाराष्ट्र व हरियाणा में जहां कि कांग्रेस की सरकारें सत्ता में हें, क्या इन राज्यों में भाजपा अपने सपनों को पूरा करते हुए कांग्रेस को पराजित कर सकेगी? जहां तक हरियाणा का प्रश्र है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी सरकार की उपलब्धियां चुनाव घोषण से पूर्व ही अपने विभिन्न प्रकार के प्रचार माध्यमों के द्वारा आम लोगों तक पहुंचाते रहे हैं। उनका दावा है कि राज्य में सैकड़ों ऐसी योजनाएं हैं जिसमें वे दावे के साथ यह कह रहे हैं कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में हरियाणा का स्थान पहले नंबर पर है। वैसे भी उन्हें विपक्षी दलों से इतनी चुनौती नहीं मिल रही है जितनी कि पार्टी के बा$गी नेताओं द्वारा पेश की जा रही है। जिस प्रकार 2009 में चौधरी भजनलाल को मुख्यमंत्री न बनाए जाने के चलते भजनलाल परिवार ने पार्टी से बग़ावत कर नई पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन कर लिया था। उसी प्रकार राव इंद्रजीत सिंह भी प्रदेश का नेतृत्व करने का मौ$का न मिलने के कारण परंतु गुडग़ांव का समग्र विकास न होने के बहाने को सार्वजनिक करते हुए कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो गए तथा भाजपा के टिकट पर गुडग़ांव से सांसद चुनकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। उसी तजऱ् पर राज्य के एक और दिग्गज कांग्रेसी नेता वीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस का साथ छोडक़र भाजपा का दामन थामने का फैसला कर लिया है। राज्य में और भी कई नेता ऐसे हैं जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा से अपना व्यक्तिगत मनमुटाव रखते हैं। और चुनाव आने से पूर्व कल तक अपना पूरा मुंह चाशनी में डुबोए रखने वाले यही नेता अब न सिर्फ मुख्यमंत्री हुड्डा में तमाम कमियां निकाल रहे हैं बल्कि चुनाव के समय उन्हें हरियाणा भी पिछड़ा हुआ नज़र आने लगा है।

राज्य की एक और सत्ता की मज़बूत दावेदार पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल भी सत्ता में वापस आने के लिए अपनी पूरी ता$कत झोंके हुए है। हालांकि अध्यापक भर्ती घोटाले मामले में पार्टी के दो प्रमुख नेता पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला तथा उनके पुत्र अजय चौटाला इस समय जेल में हैं। परंतु उनके कार्यकर्ता उनके जेल जाने का कारण कांग्रेस की साजि़श बता रहे हैं। यही नहीं बल्कि उनके कार्यकर्ताओं द्वारा यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि चूंकि उन्होंने बेरोज़गारी दूर करने हेतु अध्यापकों की भर्ती कराई थी इसलिए उन्हें जेल भेज दिया गया। कार्यकर्ता यहां तक कह रहे हैं कि यदि बेरोज़गारी दूर करने के चलते उन्हें जेल जाना पड़े तो वे बार-बार जेल जाने को तैयार हैं। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि चौटाला पिता-पुत्र के जेल जाने के मुद्दे को राज्य की जनता किस नज़र से देखती है। कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी दिल्ली की विजय से उत्साहित होकर राज्य में अपनी विजय संकल्प यात्रा पूरी उम्मीद,जोश व उत्साह के साथ निकाल चुकी है तथा उसे पूरी आस है कि इस बार राज्य की सत्ता उसी को मिलेगी। इसी आत्मविश्वास की वजह से पार्टी ने हजकां से गठबंधन भी तोड़ दिया है। इस चुनाव में हजकां जनता को यह बताती दिखाई देगी कि भाजपा ने उसके साथ किस प्रकार धोखा किया है और गठबंधन धर्म भी ठुकराया है। वहीं कांग्रेस पार्टी न केवल अपनी विकास संबंधी उपलब्धियां लेकर चुनाव मैदान में कूद रही है बल्कि उसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सौम्यता तथा शराफत का भी सहारा है। कैथल में नरेंद्र मोदी की रैली में हुड्डा के साथ भाजपाईयों ने हूटिंग करने जैसा जो भोंडा प्रदर्शन किया था उसे भी मुख्यमंत्री हुड्डा जनता के बीच हरियाणा के अपमान के रूप में चुनावों में साथ ले जा रहे हैं। और जनता से उस अपमान का बदला लेने की बात कर रहे हैं। इन हालात में राज्य का चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा यह देखना दिलचस्प होगा।
:- तनवीर जाफरी

Tanveer Jafriतनवीर जाफरी
1618, महावीर नगर,
मो: 098962-19228
अम्बाला शहर। हरियाणा
फोन : 0171-2535628

 

अखिलेश सरकार को रोज हो रहा भारी नुकसान

Akhilesh government should not fool the publicलखनऊ [ TNN ] उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार खुले आम खनन माफियाओं को संरक्षण दे रही है। सरकारी संरक्षण में ये माफिया इस कदर बेलगाम हो गए हैं कि इन्हें किसी का भी डर नहीं है। बांदा में खनन माफिया पर नकेल कसने गए खनन अधिकारी और उनकी टीम पर माफिया के समर्थकों ने जानलेवा हमला किया जिसमें एक दारोगा को गंभीर चोटें आई हैं।

पीलीभीत में पूरनपुर के तहसीलदार अमरमणि त्रिपाठी पर गजरौला थाना क्षेत्र के ग्राम बकैनिया में खारजा नहर के पास खनन माफियाओं ने ट्रैक्टर चढ़ाकर जान से मारने की कोशिश की थी।

बेखौफ खनन माफियाओं ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा में स्थित राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में भी घुसपैठ कर ली है। चंबल नदी में किसी भी तरह के खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध अर्से से लगा हुआ है ताकि नदी में पाए जाने से दुर्लभ प्रजाति के जलचरों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हो पाने पाए मगर माफियाओं द्वारा ऊटों के जरिए खनन का सिलसिला बेरोकटोक जारी है। चंबल नदी में बसवारा गांव के किनारे करीब दो सौ से अधिक ऊट पूरे दिन बालू निकालते है।

प्रदेश प्रवक्ता डा0 मोहन ने कहा कि अब खनन माफियाओं की नजरें प्रदेश के वन क्षेत्रों पर भी गड़ गई हैं. वन क्षेत्रों में अवैध खनन और खनन होने की जानकारी प्रदेश सरकार को भी है। प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ) अनुसंधान एवं प्रशिक्षण ने अपनी हालिया रिपोर्ट में आगरा, चंबल, मथुरा, उरई, कानपुर, काशी और कैमूर वन प्रभाग में खनन और अवैध कटान की पुष्टि करते हुए जांच की सिफारिश की है।

हाइकोर्ट पिछले दिनों कई बार अवैध खनन रोकने का आदेश दे चुका है लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। खनन माफियाओं को सरकारी संरक्षण मिलने के कारण ही जिलाधिकारी और एसएसपी अवैध खनन रोकने में नाकाबिल साबित हो रहे हैं। इस वजह से बेलगाम खनन माफिया न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन रहे हैं बल्कि सरकार को राजस्व का भी नुकसान उठना पड़ रहा है

 

रिपोर्ट :- शाश्वत तिवारी 

लव जिहाद : श्रीराम सेना ने दी गृहमंत्री राजनाथ को धमकी ,घर का घेराव करेंगे

Home Minister took aim at the Sri Ram Sena, threatened to picket the home of Rajnathनई दिल्ली [ TNN ] हिंदू संस्था श्रीराम सेना ने “लव जिहाद” मामले पर अज्ञानता जताने पर शुक्रवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर जमकर बरसते हुए उनके घर का घेराव करने की धमकी दी है। साथ ही संस्था ने कथित “लव जिहाद” मामलों की जांच के लिए एक स्पेशल पैनल के गठन की मांग की है। जब संवाददाताओं ने राजनाथ सिंह से “लव जिहाद” मामले पर सवाल पूछा था तो उन्होंने 12 सितंबर को मामले पर बयान दिया था, “अरे यह है क्या, हमें नहीं मालूम।”

सेना के नेता प्रमोद मुथलिक ने सिंह पर निशाना साधते हुए कहा था कि एक बड़े नेता होने के नाते उनका इस तरह बयान देना शर्मनाक है। अगर वह कहते हैं कि “लव जिहाद” मामले पर कोई जानकारी नहीं तो वे किस तरह के गृहमंत्री है। अगर वे अपना बयान वापस नहीं लेते हैं तो हम दिल्ली में उनके घर का घेराव करके बता देंगे कि “लव जिहाद” क्या है।

साथ ही मुथलिक ने कहा कि हमें आरटीआई से जानकारी मिली है, “अकेले महाराष्ट्र में “लव जिहाद” के 22 मामले सामने आए हैं। बुधवार को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि ऎसे कोई मामले सामने नहीं आए हैं। हम चाहते हैं कि इन मामलों की जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया जाए।”

मुथलिक ने साथ ही धमकी दी कि हम महाराष्ट्र से उन पीडिताओं को लाएंगे और उनके साथ राजनाथ सिंह के घर का घेराव करेंगे।

शासन प्रशासन के खिलाफ फूटा आक्रोश , फूल और काली चुडिया भेंट की

Untitled_0003 016खंडवा [ TNN ] मुख्यमंत्री के दौरे के पूर्व शहर में शासन प्रशासन के खिलफ जनता और निगम सफाई कर्मियों ने मोर्चा खोल दिया है । एक और खंडवा की पोर्श कालोनी वत्सला विहार में रहने वाली महिलाएं कालोनी में रोड और मुलभुत समस्याओं लेकर मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने की तैय्यारी कर रही है तो वही स्थानीय निगम प्रशासन सफाई कर्मी अपनी लंबित मांगो को लेकर मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने वाले है । वत्सला विहार कालोनी की महिलाएं तो हाऊसिंग बोर्ड के ऑफिस में काले झंडे और काली चुडिया लेकर पहुंच गई । अधिकारी के न मिलने पर आक्रोशित महिलाओं ने अधिकारी की टेबल को ही काली चुडिया और फूल भेंट कर दी ।

खंडवा में आज का दिन अधिकारियों और राजनेताओं के लिए बुरा साबित हुआ, नगर निगम के सफाई कर्मी और शहर की पोर्श कालोनी वत्सला विहार में नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई । वत्सला विहार कालोनी की गुस्साई महिलाएं तो सड़क पर नारेबाजी और ढोल पीटते हुए हाऊसिंग बोर्ड ऑफिस काली चूड़िया लेकर पंहुच गई । महिलाए हाथ में काले झंडे भी लिए हुए थी । वत्सला विहार कालोनी के रहवासी पिछले दो दिन से कालोनी में रोड निर्माण करवाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे है । दो दिनों तक धरना देने के बाद भी कोई नेता या अधिकारी उनसे मिलने नहीं पंहुचा तो आक्रोशित रहवासी खुद ही रोड पर ढोल पीटते हुए हाऊसिंग बोर्ड के ऑफिस पहुंच गए जहा महिलाओं ने काली चूड़िया दिखा कर अपना विरोध जताया । जब पता चला की अधिकारी अपनी केबिन में नहीं है तो गुस्साई महिलाओं ने अधिकारी के खिलाफ नारेबाजी की । इस बीच ऑफिस के कर्मचारियों ने अधिकारी से फोन पर चर्चा कराने की भी कोशिश की लेकिन आक्रोशित महिलाओं ने एक न सुनी और अधिकारी की अनुपस्थिति में उनकी टेबल पर काली चूड़िया और फूल चढ़ा कर अपना विरोध जताया ।

कालोनी में रहने वाली महिलाएं सड़क पानी और ड्रेनेज की समस्या से इतनी ग्रस्त है की अब वे मुख्यमंत्री के खंडवा आने पर उन्हें काले झंडे दिखा कर अपना विरोध जताने वाली है ।

उधर नगर निगम में दैनिक वेतन भोगियों को परमानेंट करने की मांग को लेकर सफाई कर्मचारियों ने महापौर और आयुक्त के खिलाफ जमकर नारे बजी की । सफाई कर्मियों की मांग है की उनके 120 दैनिक वेतन भोगी सफाई कर्मियों को स्थाई किया जाए जो पिछले 15 सालो से दैनिक वेतन पर काम कर रहे है । सफाई कर्मियों का कहना है की 1999 से आज तक किसी भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को स्थाई नहीं किया गया सिर्फ अस्वाशन ही मिले है । सफाई कर्मियों ने आयुक्त पर भी बदसलूकी के आरोप लगाए कर्मचारियों का कहना था की आयुक्त दलित होकर भी दलितों का शोषण कर रहे है । वही महापौर पर भी आरोप लगाया की कई बार शिकायत करने के बाद भी महापौर ने कोई सुनवाई नहीं की । सफाई कर्मचारियों ने यहाँ तक कह दिया की उनकी मांगे नहीं मनी गई तो वह मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाएगे और फिर भी नहीं सुना गया तो उन की गाड़ी के सामने लेट जायंगे ।

कर्मचारियों की मांग को लेकर मामले को राजनीतक होते देर नहीं लगी निगम में मौजूद कोंग्रस पार्षद रिंकू सोनकर भी सफाई कामचरियो के पक्ष में उतर आए । कांग्रेस पार्षद रिंकू सोनकर ने सफाई कर्मचारियों की मांग को जायज बताते हुए महापौर और आयुक्त पर जमकर निशाना साधा वह तो चुनाव में इस का खामयाजा उठाने की बात भी बोल गए ।

रिपोर्ट – निशात मोह. सिद्दीकी /जावेद खान

मध्यप्रदेश : आखिर कब रूकेगी कालाबाजारी ?

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प्रदेश में चौदह साल बाद सफेद केरोसिन दुकानों से बेचा जा सकेगा। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग इसे फिर बाजार में बेचने की योजना बना रहा है। प्रदेश में वर्ष 2000 से केरोसिन को खुले बाजार में बेचे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। सरकार ने ऐसा इसकी कालाबाजारी रोकने की गरज से किया था। सरकार ने पहले केरोसिन का रंग बदला मगर बात बनी नहीं तो फिर सन 2000 में इसे खुले बाजार से ही हटा लिया गया। अब फिर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग काला बाजारी रोकने के लिए केरोसिन को खुले बाजार में बेचने की जुगत में लग गया है।

सरकार का यह फैसला फौरी तौर पर तो अच्छा लग रहा है लेकिन यह कितना कारगर साबित होगा यह पूर्ववर्ती कोशिशों से मिली नाकामी ही दर्शा रही है। वास्तविक जरूरतमंदों का हक मारकर कालाबाजारी करने वाले खुद तो रातों रात मालामाल हो रहे हैं वहीं वे समाज में तंगहालों की फौज भी खड़ी कर रहे हैं। करोसिन, गेहूं, चावल आज भी गरीबों का सपना ही साबित हो रहे हैं। सरकारें इनकों लेकर अपनी पीठ खुद ही थपथपा ले लेकिन यह सच है कि आज भी दो जुन की जुगाड़ करने वाले इनके लिए अपना जीवन ही खपा रहे हैं।

करोसिन, गेहूं, चावल आज भी गरीबों का सपना ही साबित हो रहे हैं। सरकारें इनकों लेकर अपनी पीठ खुद ही थपथपा ले लेकिन यह सच है कि आज भी दो जुन की जुगाड़ करने वाले इनके लिए अपना जीवन ही खपा रहे हैं।

न तो उनकी माली हालात सुधरी और न ही सरकारी दावों के अनुसार उन्हें गेहूं, चावल और केरोसिन निर्धारित मात्रा में सही समय पर मिल रहा है। इसकी निगरानी करने वाला तंत्र कहीं न कहीं काला बाजारियों के गले में बाहें डाले अपना उल्लू सीधा करता हुआ नजर आ रहा है। ऐसा नहीं है कि जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों को काला बाजारियों के गोरखधंधे का पता नहीं है बल्कि वे बगुले के समान अपनी आंखे बंद होने का ढोंग करते हुए अपनी स्वार्थ सिद्धी में लगे हुए हैं। सरकारें चुनाव के समय तो आम मतदाता मेरा भगवान और मैं उसका पुजारी बताने वाले प्रतिनिधियों के जरिये माया जाल फैलाकर जीत के लिए जरूरी वोट तो कबाड़ लेती हैं लेकिन सत्ता का नशा चढ़ते ही मतदाताओं को भगवान भरोसे ही छोड़ देती हैं। कालाबाजारी समाज में गहरी खाई बना रही है तो वहीं कानून और कायदों की सरेआम धज्जियां उड़ा रही है।

सरकार ने राशन कार्डो के रंग बदले, खाद्यान्न की मात्रा बदली मगर वाह वाही लूट कर यह देखने की जहमत नहीं उठाई कि जरूरतमंदों को खाद्यान्न मिल भी रहा है कि नहीं। सरकारी उचित मूल्य दुकानों पर आज भी उपभोक्ताओं से अभद्रता करने की आम शिकायतें हैं। सेल्समेनों के रवैये में न तो कोई परिवर्तन आया है और न ही वे किसी को कुछ समझने को तैयार हैं। कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त कानून बनाना ही काफी नहीं उस पर ईमानदारी से अमल करना भी जरूरी है। दिनों दिन बढ़ते काला बाजारियों के रसूख के सामने प्रशासन और जनप्रतिनिधि किस तरह अपना कद बढ़ा पाएंगे यह देखना दिलचस्प होगा वरना फिलहाल वे बौने ही साबित हो रहे हैं।

:- संजय चौबे

Sanjay Chaubeyलेखक परिचय :- संजय चौबे 1987 से सर डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक है। वे दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में पत्रकारिता में सक्रिय रहे हैं। दैनिक विश्व मानव(करनाल, हरियाणा), दैनिक जागरण भोपाल मप्र, दैनिक देवगिरी समाचार (औरंगाबाद, महाराष्ट्र), दैनिक चेतना, राजएक्सप्रेस, नवभारत, संझा लोकस्वामी, प्रभातकिरण, स्वतंत्र समय भोपाल में सक्रिय पत्रकारिता करते रहे हैं। वर्तमान में पल-पल इंडिया जबलपुर के खंडवा ब्यूरो के रूप में कार्यरत हैं। .

Email :- sanjay.choubey7@gmail.com 

मोदी ने मुसलमानों को बताया देशभक्त ,विहिप ने लगाया प्रतिबंध

modi togadiyaनई दिल्ली [ TNN ] प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, जबकि उन्हीं की पार्टी के सहयोगी संगठन विश्च हिंदू परिषद (विहिप) ने गरबा में ‌मुस्लिमों के प्रवेश पर ‌प्रतिबंध लगा दिया है।

गरबा का आयोजन नवरात्रि के अवसर पर‌ किया जाता है। इस वर्ष ये त्योहार 25 अक्टूबर शुरू हो रहा है। विश्व हिंदू परिषद ने गुजरात में मुस्लिमों को आदेश दिया है कि वे गरबा के पांडलों में प्रवेश न करें।

गुजरात में व‌िहिप का ऐसा आदेश देना, इस मायने भी महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री मोदी उसी राज्य से आते हैं और वह 13 साल तक वहां मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

अब तक गरबा की छवि एक ऐसे सांस्कृतिक आयोजन की रही है, जिसमें हिंदुओं और मुसलमानों की बराबर की भागीदारी रही है।

विहिप के आदेश को संगठन के ही अध्यक्ष प्रवीण तोग‌ड़िया के उस आदेश से जोड़ कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने मुस्लिमों को गरबा पांडालों में प्रवेश न करने की हिदायत दी थी।

इससे पहले इंदौर की भाजपा विधायक उषा ठाकुर ने भी गरबा पांडलों में मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि गरबा पांडालों में मुस्लिमों के आने से ‘लव जिहाद’ की घटनाएं हो रही हैं।

माना जा रहा है‌ कि विहिप के आदेश का सबसे ज्यादा असर गोधरा में दिख सकता है। विहिप ने गरबा पांडलों में मुस्लिमों को प्रवेश रोकने के लिए ‘हिंदू अस्मिता हितरक्षक समिति’ नाम से एक संगठन भी बनाया है।

उस समिति में युवाओं को शामिल किया गया है, जिन्हें मुस्लिमों की पहचान करने के विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है।

उस स‌मिति के एक सदस्य जैमिन शाह ने कहा कि मुस्लिमों को भारत की सभी चीजों से परेशानी होती है। उन्हें राष्ट्र गान और देश के झंडे से भी दिक्कत होती है तो वे गरबा में क्यों शामिल होना चाहते हैं।

गोधरा में विहिप के नेता आशीष भट्ट का इस मुद्दे पर कहना है कि हमारी महिलाएं, पत्नियां, बेटियां और बहने गरबा में शामिल होती हैं। ये एक धार्मिक कार्यक्रम है। मुस्लिम लड़के वहां क्या करेंगे?

शातिर आतंकी चकमा देकर भागे ,दो बहनो को किया गिरफ्तार

bijnor-541b2c5e4aec1_exlstबिजनौर [ TNN ] पुलिस, एसटीएफ और एटीएस टीम को बिजनौर के जाटान विस्फोट कांड के शातिर आतंकी चकमा दे गए। आतंकियों के छिपे होने की पक्की सूचना पर पुलिस और एटीएस की टीम ने बिजनौर के उमरी गांव में वृहस्पतिवार को शाम छापेमारी की।

एसपी सतेंद्र कुमार के मुताबिक छापामारी टीम को दो महिलाओं ने घर में काफी देर तक घुसने नहीं दिया। इसी का फायदा उठाकर आतंकी दूसरे रास्ते से फरार होने में कामयाब रहे। उन्होंने बताया कि दोनों महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। दोनों बहनें हैं।

पुलिस ने बताया कि गुरुवार को आतंकियों के दूसरे ठिकाने पर मोहल्ला भाटान में छापा मार कर मकान मालिक और उसके पुत्र को हिरासत में ले लिया। मकान मालिक ने बताया था कि तिमंजिला मकान की तीसरी मंजिल पर तीन आतंकी किराए पर रहते थे।

दूसरी मंजिल पर उमरी निवासी दो बहनें रहती थीं। दोनों के आतंकियों से गहरे संबंध थे। आतंकियों के बारे में दोनों बहनों को काफी कुछ मालूम भी था।उमरी गांव की दो बहनों के आतंकियों के साथ संबंध उजागर होने के बाद पुलिस, पीएसी और अर्द्धसैनिक बलों ने पूरे गांव और जंगल में सर्च अभियान चलाया।

गांव को सील कर पुलिस ने घरों, खेतों और सड़क से गुजरते वाहनों की चेकिंग की।पुलिस को शक है कि आतंकवादी उमरी गांव या इसके आसपास ही छिपे हुए हैं। एसटीएफ, एटीएस के साथ पुलिस ने गांव के खेतों में कांबिंग की। कांबिंग के दौरान एक बाग में बाइक के टायरों के निशान मिले।

बहनों ने पूछताछ में बताया कि आतंकी भागने से पहले इन्हें विस्फोटक, दो पिस्टल, बम, कुछ पैसे और अन्य सामान सौंप कर गए थे, जिसे उन्होंने फेंक दिया। पूरे इलाके को सील कर आतंकियों की तलाश की जा रही है। आसपास के जिलों को भी अलर्ट कर दिया गया है।

गर्ल्स हॉस्टल के टॉइलट में स्पाई कैमरा , कॉलेज में हंगामा

Spy camera in the Toilt Girls in hostels, college commotionनोएडा [ TNN ] नोएडा के एक इंजिनियरिंग कॉलेज में गर्ल्स हॉस्टल के शौचालय में स्पाई कैमरा लगा हुआ था। इस कैमरे से लड़कियों की विडियो क्लिपिंग बनाई जा रही थी। नोएडा के सेक्टर 62 में स्थित जेएसएस इंजिनियरिंग कॉलेज की छात्राओं ने इस मामले में कॉलेज प्रशासन और वॉर्डन पर ही गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्राओं का कहना है कि कॉलेज प्रशासन ही उनकी विडियो क्लिपिंग बनवा रहा था। टॉइलट में स्पाई कैमरा मिलने की खबर के बाद छात्राओं ने कॉलेज में हंगामा करते हुए वॉर्डन को गिरफ्तार करने की मांग की है।

कॉलेज में स्थिति बिगड़ती देख पुलिस को भी तैनात करना पड़ा है। इस मामले का पता तब चला जब गुरुवार को टॉइलट में गई एक छात्रा की नजर कैमरे जैसी चीज पर पड़ी। उसने हॉस्टल की सारी लड़कियों को इकट्ठा किया। लड़कियां टॉइलट में कैमरा देख काफी गुस्से में आ गईं और वॉर्डन के खिलाफ नारेबाजी करने लड़ीं। छात्राओं का आरोप है कि इस मामले में वॉर्डन की मिलीभगत है। छात्राएं वॉर्डन को गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रही थीं।

छात्राओं के हंगामे के बाद पहुंची पुलिस को टॉइलट से 3 स्पाई कैमरे और दो मेमरी कार्ड मिले हैं। छात्राओं का कहना है कि इन कैमरों की मदद से विडियो क्लिप भी बनाई गई है। पुलिस के पहुंचने से पहले ही तीसरे कैमरे में लगे मेमरी कार्ड को किसी ने तोड़ दिया था। पुलिस मामले की जांच कर रही है। अभी तक किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है।

खंडवा : विधायक भूल गए वादा ,अब मुख्यमंत्री को दिखाएंगे काले झंडे

Untitled_0003 016खंडवा [ TNN ] खंडवा के पोर्श एरिया में बारिश के चलते कीचड़ फैल गया है जिस के बाद स्थानीय निवासियों ने प्रशाशन और स्थानीय विधायक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया । मुख्यमंत्री की प्रस्तावित खंडवा यात्रा में स्थानीय लोगो ने उन्हें काले झंडे दिखने का भी मन बना लिया है । स्थानीय लोगो का आरोप है की विधानसभा चुनवा के दौरान स्थानीय विधायक ने उन्हें मुलभुत सुविधाए उपलब्ध करने और सुगम अवगनाम के लिए रोड का निर्माण का वादा किया था । पर अब तक वह वादा पूरा नही किया ।

आक्रोशित लोगो ने विधायक से नाराजगी के चलते मुख्यमंत्री को खंडवा आने पर काले झंडे दिखने का मन बना लिया है । इतना ही नहीं यह लोग अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए अनिश्चित कालीन धरने पर भी बैठ गए है

हाथ में काले झंण्डे लिए लोग आगामी निकाय चुनाव का बहिष्कार है । इन लोगो का आरोप है की स्थानीय विधायक ने इन्हे सड़क,नाली और पानी निकासी का इंतजाम करने का वादा किया था । लेकिन अब विधायक देवेन्द्र वर्मा वादा खिलाफी कर रहे है । इन लोगों ने निगम चुनाव के बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। इतना ही नहीं ये लोग मुख्यमंत्री की प्रस्तावित यात्रा के दौरान विधायक को सबक सीखने के लिए शिवराज सिंह चौहान को काले झंडे भी दिखेंगे ।

धरने पर लोगों ने कहा विधायक देवेंद्र वर्मा ने वादा खिलाफी की। चुनाव से पहले उन्होंने सड़क बनाने का आश्वासन दिया था। चुनाव के बाद वे पलटकर नहीं आए। नालियों में पानी की निकासी नहीं हो रही है। सीवर का पानी वापस घरों में रहा है। सड़क तो बची ही नहीं। घरों के सामने कीचड़ और पानी की डबरे भर गए हैं। कॉलोनी हाउसिंग बोर्ड की है। वहां शिकायत करने पर अफसर कहते हैं हम कुछ नहीं कर सकते। समस्या निराकरण करना है तो आप आंदोलन करें। समस्याओं का निराकरण नहीं होने तक अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा। इस दौरान अन्य प्रदर्शन भी किए जाएंगे। रास्ता रोको आंदोलन भी जारी रहेगा। कॉलोनी में किसी भी बड़े वाहन को प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।

 

रिपोर्ट :- जाविद खान 

प्रशांत भूषण से मालिकाना हक छिना ,लौटानी होगी जमीन

prashant-bhushaशिमला [ TNN ] आम आदमी पार्टी नेता और सुप्रीम कोर्ट के चर्चित वकील प्रशांत भूषण से बुधवार को हिमाचल प्रदेश सरकार ने पालमपुर में 4.66 हेक्टेयर जमीन पर से उनका मालिकाना हक वापस ले लिया है। यह जमीन भूषण फैमिली से जुड़ी कुमुद भूषण एजुकेशन सोसायटी(केबीइएस) की थी।

इस मामले में आदेश जारी करने वाले कांगड़ा के डेप्युटी कमिशनर सी. पॉलरसु ने कहा, ‘इस सोसायटी के खिलाफ 2012 में ही कार्यवाही शुरू की गई थी। मैंने सोसायटी को इस मामले में अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिया था लेकिन वे नाकाम रहे। ऐसी स्थिति में मैंने उनके कब्जे वाली जमीन और इमारत के खिलाफ आदेश जारी किया। अब सोसायटी इस जमीन पर कोई गतिविधि नहीं कर सकेगी। इस मामले में जब भूषण फैमिली से संपर्क साधा गया तो कुमुद भूषण एजुकेशन सोसायटी के सेक्रेटरी ने कहा, ‘यह साफ है कि डेप्युटी कमिश्नर ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के इशारे पर यह आदेश जारी किया है जो कि खुद ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे हुए हैं।

केबीइएस ने कहा कि हिमाचल सरकार का आदेश पक्षपातपूर्ण और अवैध है। केबीइएस के प्रवक्ता हिमांशु कुमार ने बताया, ‘यह फैसला चौंकाने वाला है। जब राज्य सरकार ने इस मामले में हमारे खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई तब डेप्युटी कमिश्नर ने मौखिक आदेश जारी कर दिया। बिना कोई लिखित आदेश के यूं ही मौखिक फैसला सुनाना हास्यास्पद है। इस मामले में पूरी कार्यवाही हास्यास्पद तरीके से हुई है। डेप्युटी कमिश्नर ने सीएम के इशारे पर यह आदेश जारी किया है। हमलोग इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे।’

प्रशांत भूषण ने दिल्ली हाई कोर्ट में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ हवाला और इनकम टैक्स रिटर्न में अनियमितता को लेकर पीआईएल दाखिल की है। इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में 24 सितंबर को सुनवाई होने वाली है। इस मामले में वीरभद्र सिंह ने हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि उन्हें प्रशांत भूषण इसलिए टारगेट कर रहे हैं क्योंकि हिमाचल में उनके स्वामित्व वाली जमीन में हुई अनियमितता की जांच के आदेश दिए गए हैं। प्रशांत भूषण ने यह जमीन हिमाचल में बीजेपी के शासनकाल में ली थी।

सूत्रों का कहना है कि पालमपुर में अपनी मां के नाम पर स्कूल चलाने के लिए प्रशांत भूषण ने 2006 में कांग्रेस सरकार से जमीन के लिए संपर्क साधा था। भूषण को जमीन 2010 में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार से मिली। दो साल के अंदर इस जमीन का उपयोग भूषण ने एजुकेशनल इंस्टिट्यूट के रूप में करवा लिया था।

प्रशांत भूषण की जमीन हिमाचल प्रदेश टेन्नेंसी ऐंड लैंड रिफॉर्म ऐक्ट 1972 के अंतर्गत जांच के दायरे में थी। इसमें उपयोग का पैटन बदलने का आरोप था। कांगड़ा जिला प्रशासन ने भूषण को इस मामले में 2012 में नोटिस जारी किया था। हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने बताया कि यह आदेश बीजेपी शासनकाल में हुई अनियमितता को दर्शाता है।

लव जिहाद फार्मूला फैल ,मोदी ने किया योगी का विरोध ,मुस्लिमों को देंगे टिकट

sushil-modiपटना [ TNN ] उत्तर प्रदेश उपचुनावों में योगी आदित्यनाथ के बतौर स्टार कैंपेनर और कथित ‘लव जिहाद’ जैसे धुवीकरण का आइडिया फेल होने के बाद बीजेपी में बहस शुरू हो गई है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश में योगी को फ्रंट पर रखा था। लेकिन योगी मॉडल नाकाम होने के बाद बीजेपी के अंदर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। पड़ोसी राज्य बिहार में बीजेपी ने खुद को योगी से अलग कर लिया है। अप्रैल-मई में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में बिहार में भी बीजेपी को शानदार जीत मिली थी। बिहार बीजेपी के सीनियर नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि हम ‘लव जिहाद’ की लाइन पर पार्टी के साथ खड़े हैं लेकिन हमारी यूनिट योगी आदित्यनाथ स्टाइल से अलग रहेगी। उन्होंने कहा कि हम अगले बिहार विधानसभा चुनाव में अच्छी संख्या में मुस्लिमों को टिकट भी देंगे।

सुशील मोदी ने कहा कि बीजेपी दो धर्मों के बीच होने वाली उन शादियों का विरोध करती है जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन, इमोशनल ब्लैकमेल जैसी हरकतें होती हैं। उन्होंने कहा कि सांगठनिक रूप से कराई जा रही अंतर्धामिक शादियों का भी हम कड़ा विरोध करते हैं। सुशील मोदी ने कहा कि देश के कई राज्यों में ऐसी हरकतें हो रही हैं। इसमें केरल, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में आसानी से देखा जा सकता है।

मोदी ने कहा, ‘मैं ‘लव जिहाद’ जैसे टर्म के उपयोग के पक्ष में नहीं हूं। योगी आदित्यनाथ बीजेपी का चेहरा नहीं हैं। वह उत्तर प्रदेश उपचुनाव में 40 स्टार कैंपेनर्स में से एक थे। यदि योगी आदित्यनाथ बिहार में उत्तर प्रदेश की तरह विवादित बयान देते हैं तो हम उनका विरोध करेंगे। बिहार में कोई आदित्यनाथ नहीं है। हम यहां आदित्यनाथ टाइप कोई लकीर नहीं खींचने जा रहे।’

चुनावी स्पीच में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और धर्म के नाम पर लामबंद करने के आरोप में चुनाव आयोग ने पिछले हफ्ते इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए चेतावनी दी थी। आयोग ने योगी को नोटिस देकर जवाब मांगा था। जाहिर है सुशील मोदी बिहार की राजनीति को पार्टी के अन्य राज्यों की राजनीतिक लाइन से अलग रखना चाहते हैं। बीजेपी बिहार यूनिट पार्टी के आक्रामक लाइन के मुकाबले अपनी उदार छवि को आगे रखना चाहती है। बीजेपी बिहार इस बात को समझती है कि यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति उत्तर प्रदेश की तरफ फिट नहीं बैठ सकती। नीतीश बिहार की राजनीति में सेक्युलरिजम को आधार बनाकर अपने अजेंडों को आगे बढ़ा रहे हैं। बिहार सरकार अंतर्जातीय और अंतर्धामिक विवाह करने वाले जोड़ों को 50,000 की रकम इनाम देती है। सुशील मोदी बिहार में नीतीश की इस रणनीति को बखूबी समझते हैं।

इस बार यूपी उपचुनाव में बीजेपी ने चुनावी कैंपेन को विकास के अजेंडे से अलग रखकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को चुना पर मात खानी पड़ी। इसके बाद बीजेपी के अंदर भी सांप्रदायिकता के बजाय विकास और तरक्की को अजेंडा बनाने के लिए आवाज उठ रही है। सुशील मोदी ने कहा कि हालांकि बिहार में बीजेपी को मुसलान शायद वोट नहीं करते हैं लेकिन कोई नहीं कह सकता है कि बिहार बीजेपी मुस्लिम विरोधी है। बिहार में मुस्लिम बीजेपी से नफरत नहीं करते हैं। हमने आज तक कोई ऐसा मुद्दा नहीं उठाया जिसे सांप्रदायिक खांचे में रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार बीजेपी विकास, तरक्की और कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाकर चुनाव में उतरेगी। सुशील मोदी ने कहा कि मैं 15 सालों से बिहार में इफ्तार का आयोजन कर रहा हूं। मेरी इफ्तार पार्टी किसी से कम नहीं होती है। हाल ही में बिहार में सीतामढ़ी जिले के रामपुर खुर्द गांव में दलित महिला यशोदा देवी पर कथित रूप से जबरन धर्म परिवर्तन कराने के दबाव को लेकर सुशील मोदी ने गांव में बीजेपी की एक टीम भेजी थी। इस महिला का पति हिन्दू से मुसलमान बन गया था और वह अपनी पत्नी पर भी इस्लाम कबूल करने का दबाव बना रहा था।

इस मुद्दे पर सुशील मोदी ने कहा, ‘मैंने इसे परखने के लिए पार्टी की एक टीम भेजी थी। साफ है कि यहां जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया था। मैंने इस मसले को तरीके से हैंडल किया। इसे हिन्दू बनाम मुसलमान नहीं बनाया। मैंने इस मुद्दे को महिला के साथ नाइंसाफी के रूप में डील किया क्योंकि कानून जबरन मजहब परिवर्तन की अनुमति नहीं देता है। बिहार में संपन्न हुए उपचुनाव में हमने दो मुस्लिमों को टिकट दिया था। दोनों को 30 हजार से ज्यादा वोट मिले। हाल में तीन और प्रभावी मुस्लिम नेता ने बीजेपी में शामिल हुए हैं। इनमें नीतीश कैबिनेट में अबाकारी मंत्री रहे जमशेद अशरफ, पूर्व विधायक अखलाक अहमद और बेगूसराय से पूर्व जेडी(यू) सांसद मोनाजिर हसन हैं।’

समग्र छात्रवृत्ति के लिये डेढ़ करोड़ से अधिक बच्चों की मेपिंग

samaragभोपाल- मध्यप्रदेश में समग्र प्लेटफार्म के जरिये समेकित छात्रवृत्ति के क्रियान्वयन के लिये अब तक एक करोड़ 60 लाख में से एक करोड़ 55 लाख बच्चों की मेपिंग हो चुकी है। सभी जिलों में यह कार्य पूर्णता की ओर है। अपर मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा श्री एस.आर. मोहंती विभागीय अधिकारियों के साथ निरंतर इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं।

मेपिंग हुए बच्चों में से लगभग 78 लाख को छात्रवृत्ति की पात्रता होगी। पात्र समस्त विद्यार्थियों को आगामी 30 सितम्बर तक छात्रवृत्ति वितरित करवाने के निर्देश दिये गये हैं। राज्य शासन ने छात्रवृत्ति की स्वीकृति में गति लाने के निर्देश जिलों को दिये हैं। छात्रवृत्ति वितरण का अनुमानित 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। शेष कार्य समय-सीमा में किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

मध्यप्रदेश में समग्र शिक्षा पोर्टल के माध्यम से डेढ़ लाख शासकीय और अशासकीय स्कूल के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति वितरित करवाई जा रही है। इसके लिये स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की विस्तृत जानकारी जुटाई गई है। समग्र पोर्टल पर उपलब्ध डाटा की डाइस कोडवार शाला से मेपिंग करवाकर छात्रवृत्ति के लिये पात्र विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति स्वीकृत कर पोर्टल द्वारा सीधे विद्यार्थी के खाते में भुगतान की जा रही है। छात्रवृत्ति की स्वीकृति एवं वितरण की सम्पूर्ण प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग इस दिशा में तेजी से कार्यवाही कर रहा है।

समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन कार्यक्रम में विद्यार्थियों को एक बार ही आवेदन तथा एक ही बार जाति प्रमाण-पत्र सत्यापित करवाकर जमा करवाना होगा। राज्य सरकार की इस महती योजना से अब पात्र हितग्राही विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के लिये यहाँ-वहाँ नहीं भटकना पड़ रहा है। भविष्य में पाठ्य-पुस्तकें, गणवेश और साइकिल वितरण की योजना का क्रियान्वयन भी समग्र शिक्षा पोर्टल के माध्यम से होगा। माता-पिता की प्रतिभावान इकलौती बालिकाओं को उच्चतर माध्यमिक शिक्षा पूर्ण करने के लिये प्रोत्साहन स्वरूप कक्षा 10वीं में 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने तथा कक्षा 11 एवं 12वीं में नियमित छात्रा के रूप में अध्ययन करने पर छात्रवृत्ति देने की व्यवस्था की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि विधानसभा में संकल्प-2010 के बिन्दु क्रमांक-37 सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम पारित किया गया था। इसी क्रम में नौ विभाग की तीस प्रकार की छात्रवृत्ति-योजना के मूल स्वरूप, छात्रवृत्ति दरें और पात्रता के मापदण्ड में परिवर्तन नहीं करते हुए केवल विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियों को समेकित छात्रवृत्ति योजना के रूप में लागू किया गया है। समेकित छात्रवृत्ति योजना के लिये स्कूल शिक्षा विभाग को नोडल विभाग नियुक्त किया गया है।

 

समानता और समरसता

प्राचीनकाल में हस्तलिखित पांडुलिपियों का चलन था, जिनमें श्लोकों का बढाना या घटाना बहुत ही आसान था. स्वामी विवेकानन्द कहते हैं कि जिस दिन से भारतीय समाज में जन्मना वर्ण-व्यवस्था ने अपनी जडे गहरी की और समाज में अस्पृश्यता जैसी कई प्रकार की कुरीतियों ने जन्म लिया और उनके बीच परस्पर आदान-प्रदान बन्द हुआ जिससे समाज में परस्पर ‘भेद’ की खाई गहरी होती गई, उसी दिन भारत के दुर्भाग्य का जन्म हुआ.

Equality and harmonyभारत की गुलामी के कालखंड में भारतीय शास्त्रों पर टीकाकारों ने कई टीकाएँ लिखी गई. उन्हीं कुछ टीकाओं में से शब्दों के वास्तविक अर्थ अपना मूल अर्थ खोते चले गए. इतना ही नही मनुस्मृति में भी मिलावट की गई. डा. पी.वी. काने की समीक्षा के अनुसार मनुस्मृति की रचना ईसापूर्व दूसरी शताब्दी तथा ईसा के उपरांत दूसरी शताब्दी के बीच कभी हुई होगी (धर्मशास्त्र का इतिहास, खंड1, तृ. सं. 1980, पृ.46). परंतु रचनाकाल से मेधातिथि के भाष्य तक (9वीं सदी) इसमें संशोधन एवं परिवर्तन होते आ रहें हैं. “मेधातिथि के भाष्य की कई हस्तलिखित प्रतियों में पाए जाने वाले अध्यायों के अंत में एक श्लोक आता है जिसका अर्थ टपकता है कि सहारण के पुत्र मदन राजा ने किसी देश से मेधातिथि की प्रतियाँ मंगाकर भाष्य का जीर्णोद्धार कराया (डा. काने, वही, पृ. 69). गंगनाथ झा ने भी मेधातिथि भाष्य पर लिखित अपनी पुस्तक की भूमिका मे कहा कि कोई मान्य मनुस्मृति थी और उसकी मेधातिथिकृत उचित व्याख्या थी. मेधातिथि व्याख्या सहित वह मनुस्मृति कहीं लुप्त हो गई और कहीं मिलती न थी.

तब मदन राजा ने इधर-उधर से लिखवाई हुई कई पुस्तकों से उसका जीर्णोद्धार करवाया (पं. धर्मदेव, स्त्रियों का वेदाध्ययन और वैदिक कर्म काण्ड में अधिकार, पृ. 133). एक उदाहरण से हम और अधिक समझ सकते हैं, जैसे जाति को परिभाषित करते हुए महर्षि गौतम कहते हैं कि “समान प्रसवात्मिका जाति:” (न्याय दर्शन – 2.2.70) न्याय दर्शन में यह बताया गया है कि अर्थात जिनके जन्म लेने की विधि एवं प्रसव एक समान हों, वे सब एक जाति के हैं. यहाँ समान प्रसव का भाव है कि जिसके संयोग से वंश चलता हो व जिन प्राणियों की प्रसव विधि, आयु और भोग एक समान हों. जाति का एक दूसरा लक्षण भी है – आकृति जाति लिंग:, समान आकृति अर्थात जिन प्रणियों की आकृति एक समान हो, वे एक जाति के हैं. इस परिभाषा के अनुसार मनुष्य, हाथी, घोडे की विभिन्न आकृति होने के कारण उनकी विभिन्न जातियाँ हैं.

परंतु विश्व के सभी मानवों की आकृति एक जैसी होने के कारण सभी मनुष्य एक ही जाति के हैं, भले ही जलवायु, स्थान इत्यादि के कारण कुछ भिन्नता दिखाई दे. सांख्य दर्शनाचार्य महर्षि कपिल के अनुसार – मानुष्यश्चैक विधि:, अर्थात सभी मनुष्य एक प्रकार या एक जाति के ही हैं. अत: विश्व के काले, गोरे, सभी मतावलंबी एक ही जाति अर्थात मानव जाति के ही हैं. फिर हिन्दू मान्यता में इतनी सारी जातियों की बाढ सी कैसे और कहाँ से आ गई ? यह एक गंभीर और विचारणीय प्रश्न है. हिन्दू मान्यताओं में इन जातियों का आधार इनके दैनिक क्रियाकलापों के कारण उन पर अध्यारोपित है, जो कि व्यवसायानुसार बदलती रहती हैं. भारतीय मान्यताओं में आज जो हम जाति का रूप देखते है कि ब्राह्मण की संतान ब्रह्मण व शूद्र की संतान शूद्र ही होगी वास्तव में यह मात्र एक सामाजिक विकृति और बुराई हैं. समाज की इसी विकृति और बुराई को जन्मना वर्ण-व्यवस्था कहा जाता है जिसकी आलोचना चहुँ ओर होती है, जो कि सर्वथा उचित ही है. मनुस्मृति में जाति शब्द का अर्थ ‘जन्म’ से है; जैसे जाति अन्धवधिरौ – जन्म से अन्धे बहरे. मनुस्मृति ही नहीं, वेदों के अलावा, लगभग सभी हिन्दू धर्म-ग्रंथों में मिलावट की गई.

प्राचीनकाल में हस्तलिखित पांडुलिपियों का चलन था, जिनमें श्लोकों का बढाना या घटाना बहुत ही आसान था. स्वामी विवेकानन्द कहते हैं कि जिस दिन से भारतीय समाज में जन्मना वर्ण-व्यवस्था ने अपनी जडे गहरी की और समाज में अस्पृश्यता जैसी कई प्रकार की कुरीतियों ने जन्म लिया और उनके बीच परस्पर आदान-प्रदान बन्द हुआ जिससे समाज में परस्पर ‘भेद’ की खाई गहरी होती गई, उसी दिन भारत के दुर्भाग्य का जन्म हुआ. समाज में व्यापत इस प्रकार की सभी कुरीतियों को आसानी से मिटाया भी जा सकता है क्योंकि ये सभी कुरीतियाँ अस्थायी और कुछ व्यक्ति-विशेष के स्वार्थ से ही ओतप्रोत हैं क्योंकि मेरा यह मानना है कि कोई भी समाज अधिक दिन तक आपस में संवादहीन नही रह सकता. इसलिए तन्द्रा में पडी अपने अतीत की कीर्ति और स्वत्व को बिसरी हुई जनता में नवजीवन का संचार तभी हो सकता है जब वह अपने अतीत के गौरव की ओर जाना शुरू कर दे. जिस प्रकार जलते हुए बिजली के बल्ब के ऊपर धूल जमने से हमें ऐसा प्रतीत होता है कि वह बल्ब अपर्याप्त रोशनी दे रहा है, और धूल के साफ होते ही वह बल्ब पर्याप्त रोशनी से जगमगाता हुआ हमें प्रतीत होता है. ठीक उसी प्रकार हमारे भारतवर्ष की जनता है. एक बार इन्हे अपने स्वर्णिम इतिहास के स्वत्व से इनका साक्षात्कार हो जाये तो विश्व-कल्याण और पूरी वसुधा को परिवार मानने वाली यह भारतीय संस्कृति अपनी भारतमाता को पुन: उसी सर्वोच्च सिंहासन पर बैठा देगी जहाँ कभी वह आरूढ थी. बस भारतीय समाज की आत्मा को झझकोरने भर की देर है.

रघुनन्दन प्रसाद शर्मा की पुस्तक प्रेरणा के अमर स्वर नामक पुस्तक के अनुसार 22 अक्टूबर, 1972 को गुजरात के सिद्धपुर में आयोजित विश्व हिन्दू परिषद के सम्मेलन को उदबोधित करते हुए माध सदाशिव गोलवलकर ‘श्री गुरू जी’ ने कहा कि हिन्दू समाज के सभी घटकों में परस्पर समानता की भावना के विद्यमान रहने पर ही उनमें समरसता पनप सकेगी. हम सभी जानते हैं कि विश्व हिन्दू परिषद समाज को एक सूत्र में गूँथने का कार्य कर रही है. वहाँ उपस्थित लोगों द्वारा दलित, उपेक्षित जैसे शब्दों का उपयोग कर समाज के एक बहुत बडे वर्ग की सामाजिक दशा के उल्लेख पर श्री गुरू जी ने कहा कि समाज के पिछ्ले कुछ वर्षों में जैसी दशा रही है उसके परिणामस्वरूप समाज का एक बहुत बडा वर्ग व्यवहारिक शिक्षा से वंचित रह गया है. इसलिए इस उपेक्षित समाज की अर्थ – उत्पादन क्षमता भी कम हो गई है और उसे दैन्य – दारिद्रय का सामना करना पड रहा है. पूर्व काल में इस समाज को पूरा सम्मान प्राप्त था. पंचायत व्यवस्था में भी इस समाज का प्रतिनिधित्व रहता था. प्रभू रामचन्द्र की राज्यव्यवस्था का जो वर्णन आता है, उसमें भी चार वर्णों के चार प्रतिनिधि और पाँचवाँ निषाद अर्थात अपने इन वनवासी बन्धुओं के प्रतिनिधि मिलकर पंचायत का उल्लेख आता है. परंतु कालांतर में हम वनवासी बन्धुओं का प्राक्रमी इतिहास को भूल बैठे. इस स्थिति में विश्व हिन्दू परिषद के नाते इन बन्धुओं के प्रति, जो दलित – उपेक्षित कहलाते हैं, अपना ध्यान आकर्षित होना और वें हमारे समकक्ष आकर खडे हो सकें ऐसा प्रयत्न करना बिल्कुल स्वाभाविक और अपेक्षित ही है. इस समस्या की ओर गत कई वर्षों से लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ है.

भारतीय संविधान में इस समस्या का उल्लेख भी हुआ है कि छुआछूत एक दन्डनीय अपराध है परंतु डंडे के बल पर समाज में समरसता नही आती है. महात्मा गाँधी ने समाज द्वारा उपेक्षित इस वर्ग के लिए ‘हरिजन’ नाम प्रचलित किया. यह नाम बहुत अच्छा और सरल था परंतु इस नाम के अर्थ पर भी हमें ध्यान देना चाहिए. समाज का यह वर्ग यदि हरिजन हुआ तो बाकि समाज के लोगों के लिए क्या संबोधन किया जाय ? क्या वें सभी लोग राक्षसजन या दैत्यजन हैं ? हरिजन का शाब्दिक अर्थ है हरि अर्थात भगवान विष्णु और जन का अर्थ है, इस प्रकार हरिजन तो हम सभी हैं. जाने – अंजाने में ही सही परंतु महात्मा गाँधी ने इस उपेक्षित समाज को नया नाम दे दिया. इसका परिणाम यह हुआ कि समाज अब दो विभिन्न वर्गों में विभाजित हो गया – एक हरिजन दूसरा गैर – हरिजन. यद्दपि अलग नाम से समाज में पृथकता की भावना और बलवती होती है. समाज में समरसता किसी विभाजन से नही आती अपितु उनके साथ रोटी – बेटी का संबंध रखने से आती है. श्री गुरू जी ने अपने अनुभव में कहा है कि एक बार उनसे मिलने के महात्मा गाँधी के द्वारा कहे जाने वाले हरिजन के एक नेता आए.

उन नेता जी ने कहा कि अलग अस्तित्व के कारण उन्हें कुछ विशेष ‘राईट्स एण्ड प्रिविलेजेस’ मिलते हैं. भारतीय भाषाओं में ‘राईटस’ शब्द का पर्यायवाची शब्द नही है. क्योंकि भारत में हमेशा ‘राईट्स’ के लिए नही अपितु कर्तव्य के लिए संघर्ष हुआ है. उदाहरण के लिए ब्राह्मण का कर्तव्य है ज्ञान देना यदि वह ऐसा नही करता है तो उसके लिए कहा जाता है कि ब्राह्मण अपने कर्तव्य से पतित हो गया है. इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि पृथकता बनाए रखने में स्वार्थ निर्माण हो चुके हैं. इसलिए हमें अब यह मान लेना चाहिए कि अस्पृश्यता एक सामाजिक आन्दोलन है राजनीतिक लोग अपनी राजनैतिक सत्ता प्राप्ति करने हेतु इस सामाजिक आन्दोलन का उपयोग करते हैं. परिणामत: सामाजिक बुराई का खात्मा जागरूक समाज द्वारा ही किया जा सकता है तब जाकर समाज में वास्तविक समरसता का भाव उत्पन्न होगा.
– राजीव गुप्ता, 09811558925

दूसरी महिला के प्यार में पागल पति ने पत्नी पर फेंका तेजाब

acid-on-wife-jpgइंदौर [ TNN ] पहले से शादीशुदा प्रेमिका के प्यार में अंधा होकर एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी पर तेजाब से हमला कर दिया, बुरी तरह झुलसी हालत में पीडिता को एमवाय लाया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। पुलिस ने पूरे मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है वहीं पीडिता का पति और उसकी प्रेमिका फरार बताए जा रहे हैं।

जानकारी के अनुसार घटना शहर के बाणगंगा इलाके की है, जहां रहने वाले श्रवण यादव का उसकी पत्नी से किसी और महिला से संबंध के चलते रोजाना विवाद होता था। पीडिता को उसके पति के किसी और महिला से संबंध को लेकर सख्त ऎतराज था और इसी वजह से सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात भी दोनों में जमकर विवाद हुआ, जिसके बाद श्रवण ने उसकी प्रेमिका के साथ मिलकर अपनी पत्नी पर तेजाब फेंक दिया। हमले के बाद श्रवण और उसकी प्रेमिका दोनों मौके से फरार हो गए।

गंभीर रूप से झुलसी हालत में पीडिता को एमवाय अस्पताल लाया गया जहां उसका इलाज जारी है। सूत्रों के अनुसार जिस महिला के प्यार में पागल होकर श्रवण ने उसकी पत्नी पर हमला किया है, उसके पहले से दो पति हैं। पूरे मामले में बाणगंगा पुलिस के केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस को दिए अपने बयान में पीडिता ने उसके पति, उसके पति की प्रेमिका और प्रेमिका की मां पर हमले में शामिल होने का आरोप लगाया है।

करारी हार के बाद भाजपा के महाराष्ट्र मे तेवर “नरम”

AMIT_UDDHAVमुंबई [ TNN ] नौ राज्यों की 33 विधानसभा सीटों के उपपचुनाव में मिली करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महाराष्ट्र मे तेवर “नरम” पड़ गए हैं जहां अगले महीने 15 तारीक को विधानसभा चुनाव होने हैं। केद्र में सत्ताधारी भाजपा अपने सहयोगी दल शिव सेना से प्रदेश की 288 सीटों मे से 135 सीटो पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही थी, जबकि सेना इतनी सीटें देने को तैयार नहीं थी।

उपचुनावों के नतीजे आने के बाद भाजपा के तेवर ठंडे पड़ गए हैं। पार्टी ने बुधवार देर रात 119 सीटों की सूची तैयार की है जिसपर वह चुनाव लड़ना चाहती है। यह 135 से 16 सीटें कम हैं। वहीं, शिव सेना को परिणामों के बाद एक तरीके से संजीवनी बूटी मिल गई है और उसने अपने तेवर और कड़े कर दिए हैं।

केद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के आवास पर बुधवार रात हुई बैठक भाजपा ने कहा कि वह नहीं चाहती की शिव सेना के साथ उसकी 25 साल की दोस्ती पर कोई आंच आए। भाजपा नेता सुधीर मुनगानतीवार ने कहा कि हमने केंद्रीय नेतृत्व को 119 सीटो की सूची भेजी है। 135 सीटों का सिर्फ एक अनुमान था। हमने सेना को इसकी जानकारी दे दी है। चर्चा तब तक जारी रहेगी जबतक सीटो के बटवारे पर अंतिम मुहर नहीं लग जाती।

इससे पहले, बुधवार शाम को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राजीव प्रताप रूडी और ओ पी माथुर से इस मामले पर चर्चा की जब सेना ने कहा कि वह भाजपा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगा।

शिव सेना सांसद संजय राउत ने कहा कि हम भाजपा से गठबंधन बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन हमारी शर्तो पर। महाराष्ट्र मे मुख्यमंत्री हमारी पार्टी से होगा और हम ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इस पर कोई समझौता नहीं होगा।

गौरतलब है कि चार महीने पहले हुए आम चुनावों मे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली भाजपा ने कहा था कि इस दम पर ज्यादा सीटो पर चुनाव लड़ना चाहती है। उसने सेना को सुझाव दिया था की 288 सीटों में से 135-135 सीटो पर दोनों पार्टियां चुनाव लड़े और बची 18 सीटें वह अपने सहयोगीद दलों के लिए छोड़ दे। लेकिन, सेना का कहना था की राज्य मे वरिष्ठ सहयोगी होने के नाते वह 155 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।

बेबी फैशन एक्सप्रेस : बाल्याण ,आदिल थरेजा ने जीता ख़िताब , संदीप, सलोनी की मेहनत रंग लाई

winner Marvellous  Baby Fashion Express 2014 Season -2

नई दिल्ली [ TNN ] मार्वेलस ने  स्माल वन्डर ( बेबी फैशन एक्सप्रेस 2014 ) को अंजाम दिया I मार्वेलस इंटरटेनमेंट की शुरुआत संदीप और सलोनी ने मिलकर किया था I इनकी लगन और मेहनत रंग लाई और 0 से 5 साल के छोटे बच्चे को भी स्टेज तक लाने में सफलता प्राप्त किया I

इस कार्यक्रम में 40 बच्चों ने भाग लिया I 0 से 2 की श्रेणी में दिल्ली के बाल्याण, 3 से 5 की श्रेणी में जयपुर के आदिल थरेजा विजेता घोषित हुए I इन बच्चों को सभी लोगों ने खूब सराहा I बच्चों के साथ आये मम्मी एबं पापा ने भी अपने बच्चों को जीत दिलाने के लिए भरसक कोशिश की साथ ही मर्वेलस टीम को तहे दिल से बधाई दी I

कार्यक्रम के अंतिम चरण में परामर्श देने के लिए फोर्टिस हस्पताल से डा० के० राजकपूर एवं गंगाराम हस्पताल से मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डा० प्रदीप भारद्वाज उपस्थित थे I

जिज्ञाशु अभिभावक ने अपने अपने समस्याओं का समाधान सुना I डा० भरद्वाज ने बताया की बच्चों को मानसिक दबाव से दूर रखने के लिए बच्चों के साथ समय बिताना भी जरुरी है इसका लाभ बच्चों के स्वास्थ्य पर भी होता है I ज्योतिष का प्रखर ज्ञान रखने वाली रूबी वर्मा ने बताया की ज्योतिष विज्ञानं की सहायता से भी बच्चों के भविष्य को प्रकाशित किया जा सकता है अगर बच्चे के जन्म तिथि, स्थान, और समय का पता हो I 25 प्रतिभागियों को दीपक दुबे ने सम्मानित किया जो सराहनीय है I

इन बच्चों के प्रदर्शन को अंकित कर रहे थे दिल्ली प्रेस filmipassion.com (हेमंत ), जे० एम० पी०, डिफेंडर पत्रिका के संपादक धनञ्जय कुमार, विनसॉफ्ट फिल्म एकेडेमी, ह्यूमन एक्सीलेंस फाउंडेशन, बिग फ्रेम फिल्म्स एवं टु स्टेप्स डांस स्टूडियो I निधि गुप्ता, चन्दन मेहता (एग्जीक्यूटिव प्रोडूसर, इंसेंस फिल्म्स प्रा० लिमिटेड), राकेश रॉय (दी संडे हेडलाइंस), हिमांशु चौधरी (डायरेक्टर, यू० जी० सी० एल०), श्री मति शशि गांधी (किड्स लिलिपुट), पारुल लाल (लाल एकेडेमी), चिराग, अजित कोहली, एवं यतिन शर्मा अथिति के रूप में उपस्थित थे I

अपने विशिस्ट प्रदर्शन से मंत्रमुग्ध करने कहिन क्रिएशन, आकि डांस स्टूडियो, जीत रॉकस्टार, अराध्या श्रीवास्तव, शुभी शर्मा, साईं किड्स, उपस्थित थे I सरदार हरजीत सिंह “तितली” ने अपने बेबो सांग पर सबको झुमाया Iमंच संचालक सुमित तिवारी ने सबका दिल जीत लिया I संदीप एवं सलोनी ने मर्वेलस के टीम मेंबर प्रेम अग्रवाल, राहुल ऋषि की सराहना करते हुए आगंतुक अथिति, प्रायोजक, जूरी, क्रू मेंबर का हार्दिक अभिनन्दन किया I

महिलाएं भी होती है हार्ट अटैक की शिकार

Heart Attack Symptoms in Women

यह धारणा गलत है कि सिर्फ पुरूषों को ही हार्ट अटेक होता है। महिलाओं को भी हृदय रोग व अटैक का बराबर खतरा है। गौरतलब है कि रजो निवृत्ति के बाद हृदय रोग महिलाओं में मौत का सबसे बड़ा कारण है। एक अजीब बात यह है कि हार्ट अटैक के झटके को पुरूषों की तुलना में महिलाएं कम बर्दाश्त कर पाती है।

इसका सही कारण तो किसी को मालूम नहीं है, लेकिन अनुमान यह है कि महिलाएं पुरूषों की तुलना में इस रोग का उपचार देर से हासिल करती हैं या करती ही नहीं। फिर यह भी हो सकता है कि महिलाओं के छोटा दिल व ब्लड बैसल्स अधिक आसानी से क्षतिग्रस्त हो जाते हों। महिलाएं इतना कैंसर से नहीं मरतीं जितना कि हृदय रोगों से । फिर भी यह धारणा बनी हुई है कि महिलाआं को हृदय रोग नही होता। इस गलतफहमी की वजह शायद यह है कि पुरूषों की तुलना में महिला को 7 या 8 वर्ष बाद दिल की बीमारी लगती है, लेकिन 65 बरस को होने पर महिला को भी इस रोग का खतरा पुरूष के बराबर ही हो जाता है ।

दरअसल, यह जीवनशैली से संबंधित बीमारी है, इसलिए इससे बचने के लिए अपनी जीवनशैली पर जरा गौर करें और साथ ही अपने पारिवारिक इतिहास व सामान्य स्वास्थ्य पर भी नजर दौड़ाएं। इस जानकारी की रोशनी में आप अपने फैमिली डाक्टर के साथ मिलकर खतरे का विश्लेषण कर सकती हैं और समस्या से बचने की योजना भी बना सकती हैं।

हालांकि, अपने पारिवारिक इतिहास या अपनी उम्र के संदर्भ में आप कुछ नहीं कर सकतीं, लेकिन जीवनशैली को सही करके खतरे के अन्य तत्वों को बदल सकती हैं। बावजूद इसके विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष 120 लाख से ज्यादा व्यक्ति मरते हैं, जिनमे आधे से अधिक महिलाएं होती है। अगर सभी किस्म के कैंसरों से होने वाली मौतों को मिला भी लिया जाए, तो भी उससे दो गुनी मौतें महिलाओं की हार्ट अटैक और स्ट्रोक की वजह से होती है।

इन आंकड़ों के होते हुए भी अब तक यही माना जाता है कि हृदय रोग पुरूष की तुलना में महिला को कम होता है। यह गलतफहमी है जिसका दूर किया जाना आवश्यक है। एंजाइना, हार्ट अटैक आदि रोगों से रजोनिवृत्ति के बाद महिलाएं आमतौर पर पीडित हो जाती हैं।

किसी भी व्यस्त अस्पताल में आप अगर हृदय रोगियों की गिनती करेंगे तो उनमें से लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं होंगी। मगर महिलाओं के साथ इस रोग को लेकर भेदभाव होता है, इसलिए लक्षणों को नजरंदाज कर दिया जाता है जिससे डायग्नोसिस देर में होता है।

कुल मिलाकर तथ्य यह है कि पुरूष की तुलना में महिला को होने वाला हार्ट अटैक अधिक घातक होता है यह भी गलत धारणा है कि यह बूढ़ों का रोग है। गलत जीवनशैली अपनाने से कम उम्र में भी इस रोग का खतरा बढ़ जाता है।

यही वजह है कि 30-35 प्रतिशत हृदय रोगी 45 बरस से कम के हैं आज हार्ट अटैक होने की औसत आयु 50से घटकर 40 हो गयी है ।20-30 के आयुवर्ग में भी हार्ट अटैक के मामले पाए गए है। हकीकत यह है कि आधुनिक जीवनशैली ने हृदय रोग में इजाफा किया है। कि हृदय रोगों से अधिक मौतें हो रही हैं।

सेहत : रेड वाइन भी दिल की दोस्त नहीं

Red  Wine

शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ’ इस वैधानिक चेतावनी को नजर अंदाज करके लोग अलकोहल का सेवन जमकर करते हैं। इसके विपरीत रेड वाइन के संबंध में माना जाता है कि यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है और इसका पुरूषों के साथ-साथ महिलाएं भी कर सकती हैं, लेकिन एक शोध ने इस बात को सिरे से खरीज कर दिया है।

नये शोध के अनुसार जो लोग सोचते हैं कि रेड वाइन से ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ेगा, उनके लिए बुरी खबर है। शोधकर्ताओं के अनुसार रेड वाइन ब्लड प्रेशर पर सीधे प्रभाव डालती है वह भी बीयर की तरह। इस तरह उच्च रक्तचाप वालों के लिए रेड वाइन खतरनाक साबित हो सकता है।

ऑस्ट्रेलिया के एक शोधकर्ता रेनेट जिकेन्स के अनुसार ब्लड प्रेशर और अल्कोहल का चोली दामन का साथ है, एल्कोहल पियेंगे तो ब्लड प्रेशर बढ़ेगा लेकिन कुछ पेयपदार्थों में विवाद बरकरार है। शराब पीने वालों का मानना है कि रेड वाइन का ‘एंटी ऑक्सिडेंट’ यौगिक अल्कोहल से बढ़ने वाले ब्लड प्रेशर को रोकन में सहायक होते हैं। लेकिन शोध के परिणाम इससे इतर आये हैं।

अमेरिका हार्ट जर्नल, जिकेन्स व सहयोगियों ने 24 स्वस्थ और शराब न पीने वालों पर शोध किया। इन लोगों की उम्र 20 से 65 के बीच है। इन लोगों ने रोज अल्कोहल का सेवन किया। शोध के दौरान ही इन सभी को दो सप्ताह तक सभी तरह के अल्कोहल से दूर रखा गया। इसके बाद इनको प्रतिदिन 375 मिली. रेड वाइन दी गयी और फिर 1.125 मिली. बीयर दी गयी।

इन सभी लोगों में चार महीने तक इसी तरह के चक्र चलाया गया। जब लोग बीयर पीते थे नीचे का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 2.9 मिमी. बढ़ा जबकि वाइन पीने के बाद औसतन 1.9मिमी. बढ़ गया। इसके अलावा बीयर पीने के बाद सोते समय प्रत्येक एक मिनट में औसत 5 हार्ट बीट बढ़ती हैं जबकि वाइन से 4 हार्ट बीट बढ़ती हैं। जिल्केन की सलाह है कि पीने वाले लोगों को उच्च रक्तचाप का खतरा हो सकता है और उच्च रक्तचाप वालों को दो पेग से अधिक नहीं पीना चाहिए।

सेहत : सिरदर्द एक नुस्खे अनेक

Migraines

सिरदर्द से हर व्यक्ति छुटकारा पाना चाहता है, खासकर इसीलिए भी क्योंकि यह रोजमर्रा की गतिविधियों में खासा बाधक बन जाता है। अब सिरदर्द दूर करने के लिए लोग नाना प्रकार के नुस्खे अपनाते हैं। इनमें से कुछेक को हम यहाँ दर्ज कर रहे हैं। देखिए आपको इनमें से कौन सा नुस्ख फायदा पहुँचाता है? सूखे अदरक पाउडर को पानी में मिलाकर लेप तैयार कर लीजिए और उसे अपने माथे पर लगा लें। इससे थोड़ी सी जलन होगी, लेकिन दर्द से आराम मिल जाएगा। कुछ लोग लेप को कानों के पीछे भी लगाते हैं।

साफ और मुलायम कपड़ा ले लें और उसे सफेद सिरके में डुबो लें। इस कपड़े को सिर पर लपेट लें और आराम करें जितनी बार जरुरत हो दोहराएं। बार-बार सिर में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए डॉक्टरों का सुझाव है कि बर्फ का प्रयोग करें। एक पतले प्लास्टिक बैग में बर्फ भर लें और उसे अपने माथे पर सिर पर रखें। दक्षिण भारत में सिरदर्द दूर करने के लिए प्याज को कूटकर लेप बना लिया जाता है और फिर उसे माथे पर लगा लिया जाता है।

अजवाइन के बीजों को रोस्ट करके सुखा लें और उन्हें एक मलमल के कपड़े में बांधकर छोटी सी पोटली बना लें। इसे बार-बार सूंघते रहें, जब तक सिरदर्द दूर न हो जाए। खाली पेट पर रोजाना सुबह एक सेब खाने की आदत डाल लें। ऐसा करने से सिरदर्द की समस्या नहीं रहेगी। पिपरमैंट तेल सूंघने या पेपरमेंटयुक्त चाय पीने से भी सिरदर्द दूर हो जाता है। धूप में काम करने से जो सिरदर्द होता है, वह मेहंदी के पूहृलों से दूर हो जाता है।

मेंहंदी के पूहृलों को सिरके में पीस लें और उसके लेप को माथे पर लगाएं। ताजे चंदन के लेप में अगर तुलसी के पत्ते पीसकर मिला जाएं और इसे माथे पर लगाया जाए, तो सिरदर्द दूर हो जाता है। 10-15 तुलसी के पत्ते, लहसुन की 4 फांक और एक चम्मच सूखे हुए अदरक के पाउडर को मिलाकर पीस लें। इससे जो लैप तैयार होगा, उसे माथे पर लगा लें। 2 लौंग, 2 सेटीमीटर लंबी दालचीनी और एक बादाम लें। इसका लेप बना लें और माथे पर लगाएं। आधा चम्मच लौंग के पाउडर को एक चम्मच दालचीनी के तेल में मिलाकर उसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। सिर की मालिश आयुर्वेद का प्राचीन फार्मूला है।

किसी अनुभवी व्यक्ति से सिर की मालिश कराएं। मालिश बादाम या सरसों के तेल से या घीस से कराएं। ध्यान लगाने से तुरंत राहत तो नहीं मिलेगी, लेकिन रोजाना ध्यान लगाने से मन रिलैक्स होगा। जिससे सिरदर्द की तीव्रता कम हो जाएगी। यह साधारण तरीका है, लेकिन इस पर महारत हासिल करना कठिन है, क्योंकि इंद्रियों को पूरी तरह से नियंत्रित करने का सवाल है। इसमें दिमाग पर इतना काबू करना होता है कि बेकार के विचारों को आने न दिया जाए और अंदरुनी शांति व खामोशी पर फोकस किया जाए। ऐसा करना मुश्किल होता है, लेकिन नामुमकिन नहीं।

एरोथेरेपी विशेषज्ञों का कहना है कि अलग-अलग किस्म के सिरदर्दों के लिए अलग-अलग किस्म से होने वाला सिरदर्द गुलाब तेल से दुरुस्त हो जाता है। बिना किसी विशेष कारण के जो दर्द होता है, उसमें लेवेंडर तेल काम करता है। इन तेलों को लगाया नहीं सूंघा जाता है। सेक्सुअल गतिविधि से एंडोरपिंहृस जारी होते हैं जोेकि प्राकृतिक दर्द निवारक होते हैं, इसीलिए बहुत कम लोग सेक्स के जरिए भी सिरदर्द दूर करते हैं। अगर इन नुस्खों के बावजूद भी सिरदर्द दूर न हो तो डॉक्टर से संपर्क करें, शर्माएं नहीं। आखिर यह आपकी सेहत का मामला है।

अलगाववादियों का विकृत चेहरा बेशर्मो ने पाक से मांगी मदद

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श्रीनगर [ TNN ] कश्मीरी अलगाववादियों का विकृत चेहरा और घिनौना स्वार्थ एक बार फिर खुलकर सामने आया है। सेना के उत्तरी कमान के सूत्रों का कहना है कि ये अलगाववादी अब सेना के बचाव और राहत कार्यो में बाधा पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। एक तरफ देश और दुनियाभर से राज्य में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों के लिए मदद और दुआ को हाथ उठ रहे हैं, दूसरी तरफ ये अलगाववादी नेता उन्हीं हाथों को नीचे खींचने के कुत्सित प्रयास में जुट गए हैं।

पिछले सप्ताह शनिवार को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक ने अपने कुछ विवेकहीन गुर्गो के साथ मिलकर भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में चलाए जा रहे राहत अभियान “ऑपरेशन मेघ राहत” में बाधा पहुंचाने की कोशिश की। सूत्रों ने कहा कि मलिक और उसके समर्थकों ने सेना की एक नाव से बीमार महिला को उतारने की कोशिश की। हालांकि उसकी इस कोशिश का नाव पर मौजूद और अन्य स्थानीय महिलाओं ने जम कर विरोध किया। लेकिन मलिक के मीर नाम के एक गुर्गे ने उन कश्मीरी महिलाओं को डांटा और उन्हें चुप रहने की हिदायत दी। मलिक ने सेना के जवानों को राहत कार्य बंद करने और वह इलाका छोड़ देने को भी कहा।

पिछले दिनों अलगाववादियों के उकसाए गुर्गो ने ही सेना के हेलीकॉप्टरों और नावों पर पत्थर भी फेंके, लेकिन सेना ने कोई जवाब नहीं दिया और धैर्यपूर्वक अपने काम में जुटी रही। एक अन्य घटना में हुर्रियत कान्फ्रेस के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी ने पाकिस्तान से कश्मीरी लोगों की मदद के लिए आगे आने का आग्रह किया। असल में उनका मकसद राहत और बचाव कार्यो में लगी सेना को बाधा पहुंचाने का था।

वोटों की गिनती शुरू : उत्तर प्रदेश में सपा ,गुजरात में भाजपा आगे

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नई दिल्ली [ TNN ] देश के तीन लोकसभा और नौ राज्यों की 33 विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव के वोटों की गिनती मंगलवार सुबह शुरू हो गई। शुरूआती रूझानों में उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी 11 में से 7 सीटों में आगे है। वहीं, भाजपा चार सीटो पर आगे चल रही है।

गुजरात की 9 विधानसभा सीटों में से सत्ताधारी भाजपा 5 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 4 सीटों पर आगे चल रही है।

सभी की नजरें राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश और गुजरात पर टिकी हैं। गुजरात के वडोदरा, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी तथा आंध्र प्रदेश के मेडक लोकसभा क्षेत्रों तथा उत्तर प्रदेश की 11, गुजरात की नौ, राजस्थान की चार, असम की तीन, पश्चिम बंगाल की दो तथा सिक्किम, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के एक-एक विधान सीट पर आज सुबह आठ बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतगणना शुरू हो गई।
अधिकारियों का मानना है कि दोपहर तक चुनाव परिणाम आने लगेंगे। वडोदरा से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव तथ मेडक से तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव के इस्तीफा के कारण रिक्त हुई सीटों पर उप चुनाव कराया गया था। मोदी और यादव दो-दो लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए थे।

उत्तराखंड और बिहार विधानसभा के हाल में हुए उप चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हुई पराजय के मद्देनजर राजनीतिक क्षेत्रों में 13 सितम्बर को हुए उप चुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस उप चुनाव में भाजपा जहां अधिक से अधिक सीट जीतने का प्रयास करेगी, वहीं दूसरी पार्टियां अपनी-अपनी स्थिति राज्यों में सुदृढ़ करने का प्रयास करेंगी।

वडोदरा सीट जहां मोदी की प्रतिष्ठा से जुड़ी है, वहीं मैनपुरी में यादव को तथा मेडक सीट पर राव की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान सपा और बहुजन समाज पार्टी (भाजपा) को भाजपा के हाथों मिली भारी पराजय को अब वह जीत में बदलने का प्रयास करेगी।

गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा सभी 14 सीट जीत कर अपना बर्चस्व बनाए रखना चाह रही है। पश्चिम बंगाल की जिन दो सीटों पर उप चुनाव हुआ है उन पर तृणमूल कांगे्रस की विरोधी पार्टियों का कब्जा रहा है।

फ़िरदौस ख़ान सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर पुरस्कार से सम्मानित

Firdaus ki Qalam se
नई दिल्ली [ TNN ]  पत्रकार फ़िरदौस ख़ान को साहित्यिक विषयों पर लेखन के लिए सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर पुरस्कार से सम्मानित गया है. यह पुरस्कार उन्हें हिन्दी दिवस के मौक़े पर ख़बरिया चैनल एबीपी न्यूज़ द्वारा रविवार को नई दिल्ली के पार्क होटल में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया. उनका चयन एबीपी के ख़ास मेहमान सुधीश पचौरी, डॉ. कुमार विश्वास, प्रसून जोशी और नीलेश मिश्र ने किया. 
 
ग़ौरतलब है कि फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे (द्वीप) की शहज़ादी के नाम से जाना जाता है.वह पत्रकार, शायरा और कहानीकार हैं. वह कई भाषाओं की जानकार हैं. उन्होंने दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं. उन्होंने अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों का संपादन भी किया. ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर उनके कार्यक्रमों का प्रसारण होता रहा है. उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनलों के लिए भी काम किया है. वह देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लिखती रही हैं .
 
उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है. वह कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी वह शिरकत करती रही हैं. कई बरसों तक उन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम भी ली.उर्दू, पंजाबी, अंग्रेज़ी और रशियन अदब (साहित्य) में उनकी ख़ास दिलचस्पी है. वह मासिक पैग़ामे-मादरे-वतन की भी संपादक रही हैं और मासिक वंचित जनता में संपादकीय सलाहकार हैं. वह स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं. ‘स्टार न्यूज़ एजेंसी’ और ‘स्टार वेब मीडिया’ नाम से उनके दो न्यूज़ पॉर्टल भी हैं. वह बलॉग भी लिखती हैं. उनके कई बलॉग हैं. फ़िरदौस डायरी और मेरी डायरी उनके हिंदी के बलॉग हैं. हीर पंजाबी का बलॉग है. जहांनुमा उर्दू का बलॉग है और द पैराडाइज़ अंग्रेज़ी का बलॉग है.   
 
Firdausवह रूहानियत में यक़ीन रखती हैं और सूफ़ी सिलसिले से जुड़ी हैं. उन्होंने सूफ़ी-संतों के जीवन दर्शन पर आधारित एक किताब ‘गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत’ लिखी है, जिसे साल 2009 में प्रभात प्रकाशन समूह ने प्रकाशित किया था. वह अपने पिता स्वर्गीय सत्तार अहमद ख़ान और माता श्रीमती ख़ुशनूदी ख़ान को अपना आदर्श मानती हैं. क़ाबिले-ग़ौर है कि सबसे पहले फ़िरदौस ख़ान ने ही कांग्रेस के उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी को ’हिंदुस्तान का शहज़ादा’ कहकर संबोधित किया था, तभी से राहुल गांधी के लिए ’शहज़ादा’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है. 
 
उनकी शायरी किसी को भी अपना मुरीद बना लेने की तासीर रखती है. मगर जब वह हालात पर तब्सिरा करती हैं, तो उनकी क़लम तलवार से भी ज़्यादा तेज़ हो जाती है. जहां उनकी शायरी में इश्क़, समर्पण, रूहानियत और पाकीज़गी है, वहीं लेखों में ज्वलंत सवाल मिलते है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर कर देते हैं. उनका कहना है- लिखने से पहले लफ़्ज़ों को जीना पड़ता है. तभी तो उनमें इतना असर पैदा होता है कि वो सीधे दिल में उतर जाते हैं, रूह की गहराई में समा जाते हैं. अपने बारे में वह कहती हैं- 
मेरे अल्फ़ाज़, मेरे जज़्बात और मेरे ख़्यालात की तर्जुमानी करते हैं, क्योंकि मेरे लफ़्ज़ ही मेरी पहचान हैं.
 
सम्मानित हुए अन्य ब्लॉगरों में दिल्ली की रचना (महिलाओं के मुद्दों पर लेखन), दिल्ली के पंकज चतुर्वेदी (पर्यावरण विषय पर लेखन), दिल्ली के मुकेश ‍तिवारी (राजनीतिक मुद्दों पर लेखन),  दिल्ली के प्रभात रंजन (हिन्दी साहित्य और समाज पर लेखन)  अलवर के शशांक द्विवेदी (विज्ञान के विषय पर लेखन),  मुंबई के अजय ब्रम्हात्जम (सिनेमा, लाइफ़ स्टाइल पर लेखन), इंदौर के प्रकाश हिंदुस्तानी (समसामायिक विषयों पर ब्लॉग), फ़तेहपुर के प्रवीण त्रिवेदी (स्कूली शिक्षा और बच्चों के मुद्दों पर ब्लॉग) और लंदन की शिखा वार्ष्णेय (महिला और घरेलू विषयों पर लेखन) शामिल हैं.

एयर फ़ोर्स के जवान पर छात्राओ से छेड़खानी का आरोप

Air Force personnel  accused of flirting with studentचंदौली [ TNN ] अच्छे दिन लाने का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार के सौ से भी ज्यादा दिन बीत गए लेकिन भारतीय रेल के सफ़र में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अच्छे दिन अभी तक नहीं आये। रेल का सफ़र खासकर महिलाओ के लिए अभी भी दहशत का सफ़र ही साबित हो रहा है और चलती ट्रेन में महिला यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाए रुकने का नाम नहीं ले रही।

क्या है मामला ……

दरअसल बिहार के मधेपुरा स्थित नवोदय विद्यालय की छात्राओं का शैक्षणिक टूर दिल्ली गया हुआ था और सम्पूर्ण क्रांति एक्सप्रेस से ये छात्राए पटना वापस लौट रही थी। ट्रेन के स्लीपर कोच एस 8 में यात्रा कर रही छात्राओं के साथ नयी दिल्ली में तैनात एयर फ़ोर्स का जवान शैलेन्द्र कुमार भी यात्रा कर रहा था।जवान पर आरोप है की रात के समय जब ट्रेन कानपुर से। खुली उसके बाद जवान से शराब के नशे में छात्राओं के साथ बदसलूकी और गाली गलौज की। ट्रेन जब मुगलसराय पहुची तो इसकी शिकायत जीआरपी में की गयी उसके बाद जीआरपी ने आरोपी जवान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

क्या कहते है जी आर पी के अधिकारी ….

मुगलसराय जी आर पी इन्स्पेक्टर रतन सिंह यादव ने बताया की … नई दिल्ली से पटना जा रही सम्पूर्ण क्रांति एक्सप्रेस का है जिसमे यात्रा कर रही नबोदय विद्यालय मधेपुरा की छात्राओं के साथ एयर फ़ोर्स के जवान ने शराब के नशे में न सिर्फ बदसलूकी की बल्कि मना करने पर उन छात्राओं के साथ गाली गलौज भी की।वारदात रविवार की देर ट्रेन के कानपुर स्टेशन से खुलने के बाद की है।ट्रेन के मुगलसराय पर जीआरपी ने मामला दर्ज कर आरोपी जवान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

रिपोर्ट :- संतोष जायसवाल

मोदी की तानाशाही का दूसरा पहलू

narendra modiप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यपद्धति के बारे में अब शिकायतें आने लगी हैं। कुछ मंत्रियों को अनाम उद्धृत करते हुए एक अंग्रेजी अखबार ने गंभीर सवाल उठाया है। उसका कहना है कि मंत्रिमंडल की बैठकों में जिन मुद्दों पर बहस होती है, उनमें मंत्रिगण ठीक से भाग ही नहीं ले पाते, क्योंकि बहस के मुद्दों को ऐन बैठक के कुछ घंटे पहले ही उन्हें बताया जाता है। यदि मंत्रिमंडल की बैठक सुबह होनी है तो उसके एक रात पहले उन्हें सूचना दी जाती है। यदि बैठक शाम को होनी है तो विषय सूची उनको दोपहर को भेजी जाती है। किन्हीं अनाम मंत्रियों का कहना है कि ऐसा होने पर सिर्फ एक-दो मंत्री ही बहस में भाग लेते हैं। शेष सबका काम चुप बैठे रहना होता है या सिर्फ हाथ उठा देना होता है।

इस खबर का मन्तव्य क्या है? यह है कि मोदी की कार्यपद्धति मंत्रिमंडलीय नहीं है, राष्ट्रषत्यात्मक है, एकाधियत्यवादी है, जो अंततोगत्वा इंदिरा गांधी शैली में परिवर्तित हो सकती है। यह आशंका इसलिए भी बलवती हो गई है कि भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह हैं। प्रधानमंत्री और अध्यक्ष गुरु-चेला है। शक यह है कि दोनों मिलकर सरकार और पार्टी पर एकाधिकार कर लेंगे और संसदीय प्रणाली धीरे-धीरे लुप्त होती चली जाएगी।

इस दृष्टिकोण को हम एकदम निराधार नहीं कह सकते लेकिन मोदी की तथाकथित तानाशाही का दूसरा पहलू भी है। अक्सर मंत्रिमंडल के विचारणीय विषय अफसरों, अखबारों, टीवी चैनलों में पहले से फूट निकलते हैं। उसके परिणामस्वरुप न सिर्फ निर्णयों में विलंब होता है बल्कि अनावश्यक दबावों का माहौल बन जाता है। अलग-अलग लाॅबियां अपने स्वार्थों की रक्षा के लिए अनैतिक साधनों का उपयोग करती हैं। गोपनीयता चूर-चूर हो जाती है। तत्काल बहस के कारण गोपनीयता तो बनी ही रहती है, सारे फैसले शुद्ध गुण-दोष के आधार पर होते हैं।

जहां तक मंत्रियों की तैयारी का सवाल है, उन्हें लगभग सभी राजनीतिक महत्व के मुद्दों पर सदा तैयार रहना चाहिए। मोदी की यह कार्यपद्धति उन्हें सरकार के सारे काम-काज और नीतियों के बारे में सदा सतर्क रहने के लिए मजबूर करेगी। जो बात उन्हें अनुचित लगे, उसे बैठक में सबके सामने लाया जाना चाहिए। बस इस पद्धति से काम करने का खतरा यही है कि नेताओं पर कहीं नौकरशाही सवारी न करने लगें।

:- वेद प्रताप वैदिक 

आईएस ने अब काटा ब्रिटिश नागरिक का सिर , वीडियो जारी

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बगदाद [ TNN ] इस्लामिक स्टेट जिहादी समूह ने शनिवार को एक वीडियो जारी कर ब्रिटिश नागरिक डेविड हेंस का सिर कलम करते हुए दिखाया गया है। इससे पहले, आतंकी समूह ने अमरीका के दो पत्रकारों के सिर कलम कर दिए थे।

आईएस ने जो वीडियो जारी किया है, उसमें एक मास्क पहने व्यक्ति को डेविड का सिर कलम करते हुए दिखाया गया है। दो मिनट 27 सेकेंड के इस वीडियो में संगठन ने आरोप लगाया है कि जिहाद के खिलाफ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन अमरीका का साथ दे रहे हैं, इसलिए ब्रिटिश नागरिक का सिर कलम किया जा रहा है।

डेविड का सिर कलम करने वाले आतंकी ने कैमरन को संबोधित करते हुए कहा, आप इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अमरीका का साथ देने के लिए स्वेच्छापूर्वक शामिल हुए, जिस तरह पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर हुए थे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री अमरीका को “नहीं” कहने का साहस अभी तक नहीं जुटा पाए हैं।

कहा जा रहा है कि वीडियो में जो आतंकी है, वह वही हो सकता है जिसने दो अमरीकियों की हत्या की। उसने ब्रिटेन को आगे चेतावनी देते हुए कहा की अमरीका का साथ देने पर आपकी तबाही में और तेजी आएगी और आपके नागरिक बेवजह “खूनी जंग” में खिच जाएंगे। उसने एक और ब्रिटिश नागरिक की हत्या करने की भी धमकी दी।

उल्लेखनीय है कि 44 वर्षीय हेंस को आतंकी संगठन ने पिछले साल मार्च मे सीरिया से अगवा कर लिया था। संगठन ने इस वीडियो के जारी करने से पहले एक और वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होंने अमरीकी पत्रकार स्टीवन सोटलोफ की हत्या करते वक्त हेंस की हत्या करने की भी धमकी दी थी।

हेंस एजेंसी फॉर टेक्नीकल कूओपरेशन एंड डवलपमेंट (एसीटीईडी) के लिए काम करते थे, जो मानवतावादी कार्यो से जुड़ी हुई है। उल्लेखनीय है कि आईएस ने सोटलोफ के अलावा एक और अमरीकी पत्रकार जेम्स फोली की हत्या कर दी थी। फोली की जहां 19 अगस्त को हत्या कर दी गई थी, जबकि सोटलोफ की 2 सितंबर को हत्या कर दी गई थी।

गौ संवर्धन योजना से ग्रामीणों ने बढ़ाई अपनी आमदनी

india-cows-Photoबलौदा बाजार-भाटापारा- विकासखण्ड पलारी के मुख्य मार्ग में स्थित ग्राम रसौटा के ग्र्रामीणों द्वारा ग्राम में उन्नत पशुओं की कमी होने की जानकारी पशुधन विकास विभाग को दी। जिस पर पशुधन विकास विभाग द्वारा शत् प्रतिशत अनुदान के तहत गौसंवर्धन योजना अंतर्गत साहिवाल नस्ल का सांड प्रदाय किया गया। नस्ल सुधार कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु पशु चिकित्सालय पलारी तथा पशु औषधालय कोसमंदी के द्वारा चरवाहों तथा ग्रामीणों के सहयोग से निकृष्ट नाटे बछडों का बधियाकरण अभियान चलाया गया।

जिसके फलस्वरूप उन्नत नस्ल के साहिवाल सांड द्वारा प्रजनन से ग्राम रसौटा में उन्नत नस्ल के बछडे तथा बछिया उत्पन्न होने लगा हैं। रसौटा के कृषक श्री गिरधारी डहरिया, अलखराम साहू, कृष्णा कुमार वर्मा, प्रेमलाल साहू, लहाराम साहू, चुमन साहू, चिंताराम साहू इत्यादि के द्वारा उन्नत बछिया जो वर्तमान में गाय बन चूकी है से 5-6 लीटर दुग्ध उत्पादन कर अपने आमदानी में वृद्धि कर रहे हैं।

वर्तमान में ग्राम रसौटा में उन्नत सांड द्वारा प्राकृतिक गर्भाधान से उत्पन्न वत्सों की संख्या 160 से अधिक है, जिनमें शून्य से दो वर्ष आयु के नर बछडे. की संख्या 47 व कृषि योग्य बैलों की संख्या 16 है। इसी प्रकार शून्य से एक वर्ष आयु के मादा वत्सों की संख्या 20, एक से तीन वर्ष आयु के मादा वत्स 37, क्लोर 18, दुधारू गाय 8 व सूखी गाय 14 है। जिसे देखकर आसपास के ग्रामीण भी उक्त योजना के तहत पशुपालन कार्य को प्रोत्साहन दे रहे हैं।

 

कश्मीर में अधिकारी, पुलिस या डॉक्टर नहीं बेटा, बाप या पति ही बचे हैं !!

पहली बार बच्चे ने “क” से लिखा कश्मीर

पानी में डूबे कश्मीर को संभाले कौन। श्रीनगर के बीचो बीच पीरबाग में पुलिस हेडक्वार्टर में अब भी पानी है। और श्रीनगर के करीब सभी 25 पुलिस थाने। वाटामालू, हरवन,कारानगर, खानयार कोठीबाग, करालखुर्द,लालबाजार,मैसूमा, निशात,पंथा चौक, नौहट्टा, राजबाग, सदर, सफाकदल, नौकाम पुलिस थाने तक। सभी 7 सितंबर की सुबह ही पानी में डूब चुके थे। और सिर्फ श्रीगर के पुलिस थाने ही नहीं बल्कि अनंतनाग के अचावल, अशमुगम बिजबेहरा, डुरु, करनाक और सदर अनंतनाग पुलिस थाने भी पानी में डूबे है। वडगाम का बीरवा, चादोरा, चरार-ए-शरीफ,खाकमाकम, नोबरा और न्योमा पुलिस थाने भी पानी में डूब चुके हैं। इतना ही नहीं बल्कि झेलम के किनारे कुलगाम, शोपिंया, पुलवामा, गांधारबल, बांदीपुर की हर गली मोहल्ले में 7 सितंबर की सुबह तक 5 से 7 फीट पानी आ चुका था। और धीरे धीरे यह पानी 12 फीट तक चढ़ा। यानी सचिवालय हो या पुलिस स्टेशन बीते रविवार को जब सभी पानी में समाया तो ब्लैक संडे का मतलब कश्मीर को अब अपने भरोसे हर मुसीबत से सामना करना था। पुलिस-प्रशासन का कोई अधिकारी इस स्थिति में था ही नहीं कि वह हालात से खुद को बचाये या बची हुई हालात में किसे संभाले या संभालने के लिये कौन सी व्यवस्था करें। सबकुछ चरमरा चुका था। चरमराया हुआ है। 
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इतना ही नहीं सबसे सक्रिय लाल चौक पर भी पानी चढ़ना शुरु हुआ तो वहा मौजूद सेना के ट्रक सबसे पहले पोस्ट छोड़ ट्रक पर ही चढ़े। लेकिन धीरे धीरे पानी सात से आठ फीट पहुंच गया तो उसके बाद सिर्फ लाल चौक ही नहीं बल्कि समूचे कश्मीर में मौजूद सेना के सामने यह संकट आया कि सुबह जब ड्यूटी बदलती है तब जिन जवानों को ड्यूटी संभालने पहुंचना था, वह पहुंच ना पाये क्योंकि सेना के कैंप को भी पानी अपनी आगोश में ले चुका था। कैंप से बाहर निकलने के लिये सेना का ट्रक नहीं बोट चाहिये थी। हालात बद से बदतर होते चले जा रहे थे और किसे क्या करना है या हालात कौन कैसे संभालेगा इसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं थी। यानी राज्य की सीएम उमर अब्दुल्ला का संकट यह था कि वह किसे निर्देश दें। और निर्देश देने के बाद घाटी में राहत के लिये कौन सी व्यवस्था करें। सीएम हाउस से बाहर निकलने के लिये किस्ती या बोट चाहिये था। क्योंकि श्रीनगर के हैदरपुरा में पानी पांच फीट पार कर चुका था, जहां सीएम हाउस है। डाउन टाउन की संकरी गलियों के किनारे पुराने मकान की उम्र तो पानी की तेज धार के सामने 50 घंटे के भीतर ही दम तोड़ने लगी। एक मंजिला छोड, दो मंजिला और दो मंजिला छोड छत के अलावे कहां जाये यह डाउन-टाउन ही नहीं समूचे कश्मीर की त्रासदी बन गयी। चौबिस घंटे पहले तक जिस अधिकारी, जिस पुलिस वाले या जिस जवान के इशारे पर सबकुछ हो सकता था। सात सितंबर की सुबह से हर कोई सिर्फ बेटा, बाप, या पति ही था । जिसे अपने परिवार को बचाना था। 

लेकिन बचाने के लिये खुद कैसे बचे यह बेबसी भी छुपानी थी। यह बेबसी कितनी खतरनाक रही इसका अंदाजा इसी से लग सकता है कि अपनी आंखों के सामने अपनो की मौत देखने के बदले राहत के लिये इंतजाम के लिये कई बेटे बाप कई पति घर से निकले। और जो लौटे उन्हें अपना नहीं मिला। जो नहीं लौटे है उन्हें उनके अपने अब भी खोज रहे हैं। हालात संभाले कौन और कैसे यह सवाल इसलिये बीते पांच दिनों से सामने नहीं आया क्योकि बिगडे हालात में संभालने वाला तो कोई होना चाहिये। त्रासदी ने तो डाक्टर और मरीज दोनों को एक ही हालत में ला खड़ा किया। शेर-ए-कश्मीर इंस्ट्टीयूट आफ मेडिकल साइसं का गर्ल्स हॉस्टल डूब गया। यह रह रही दो सौ छात्रायें कैसे निकली और कहां गयीं, यह हर कोई खोज रहा है । 7 सितंबर को ही हॉस्पीटल की पहली मंजिल पानी में डूब चुकी थी और उस वक्त सोशल मीडिया पर एक ट्वीट आया, -लोकल्स, प्लीज हैल्प , 200 फीमेल रेसिडेन्ट डाक्टर्स आर इन गवर्नमेंट मेडिकल कालेज। लेकिन लोकल्स क्या करते या क्या किया होगा उन्होंने क्योंकि हर कोई तो खुद को बचाने में ही लगा रहा। और इस दौर में कैसे समूचे कश्मीर के किसी डाक्टर के पास कुछ भी नहीं बचा। और अब जब हॉस्पीटल में इलाज शुरु हुआ तो कैसे दवाई से लेकर इलाज के लिये हर छोटी से छोटी चीज भी डाक्टरों के पास नहीं है। और अफरातफरी के इस दौर में सेना के डाक्टर और उनके डाक्टरी सामान ही कश्मीर के हर घाव पर मलहम है। क्योंकि मौजूदा वक्त में कश्मीर का हर अस्पताल पानी में डूबा हुआ है। 

बेमीना में डिग्री कालेज के सामने केयर हास्पीटल न्यूरोलाजी सेंटर। अमीनाबाग का अलशीफा अस्पताल। नौगांव बायपास के करीब गुलशननगर का अहमद अस्पताल। राजबाग का मॉडन हास्पीटल। किडनी हास्पीटल । यहां तक की सीएम हाउस के ठीक सामने हैदरपुरा बायपास पर मुबारक हास्पीटल भी पानी में इस तरह समाया हुआ है कि वहां इलाज तो दूर अस्पताल के भीतर जाना भी मुश्किल है। यानी जिन हालातों में कश्मीर के दर्जन भर अस्पतालों में पहले से मरीज थे। सात सितंबर की सुबह के बाद कौन कहां गया। यह किसी को नहीं मालूम क्योकि हर किसी खुद ही खुद को बचाना था और अस्पताल में भर्ती मरीजो को सिर्फ इतना ही कहा गया कि इलाज तो अब मुश्किल है और पहले हर कोई सुरक्षित जगह चला जाये। सुरक्षित का मलतब इलाज छोड जान बचाने का है। और कश्मीर में छोटे बडे 28 अस्पताल पानी में डूबे हुये है। जिनमें तीन हजार बेड हैं। यानी तीन हजार मरीज कहा गये किसी को नहीं पता। यानी कश्मीर के इस मंजर को कौन कैसे संभाले यह अपने आप में ही सबसे बड़ा सवाल 7 सितंबर के बाद से जो शुरु हुआ वह आज भी जारी है क्योंकि जिसे भी हालात संभालने के लिये निकलना था वह 7 सितंबर के बाद से अपने अपने दायरे में बेटा, बाप या पति  हो कर ही रह गया क्योंकि आपदा से निपटने का कोई सिस्टम है नहीं। यहा तक की जिस मौसम विभाग को यह नापना है कि कश्मीर में कितनी बरसात हुई या बाढ का कितना पानी घुसा हुआ है, वह दफ्तर भी पानी में डूब गया। इन हालातों में सेना हेलीकाप्टर और बोट से जहां पहुंच सकती थी वहां पहुंचने की जद्दोजहद में लगी हुई है।

राहत का सामान श्रीनगर और जम्मू हवाई अड्डे पर आ रहा है और हेलीकाप्टर उसे ले उड़ रहा है। लेकिन घाटी से पानी निकले कैसे। पंप आयेंगे कहां से। और पुलिस प्रशासन नाम की चीज जो पूरी राज्य की व्यवस्था को चलाती, वह जब कश्मीर के हर मोहल्ले में बाप बेटे या पति-पत्नी बनकर अपनो की जान बचाने में लगी हुई है तो कल्पना कीजिये कश्मीर के मंजर का मतलब है क्या। इन हालातों में अब गृह सचिव को ही कश्मीर के हालात संभालने हैं। सीएम हाउस, सेना , पुलिस, राहत सामग्री, राज्यों से आने वाली मदद, डाक्टर। तमाम राज्यों के अधिकारी। यानी तमाम परिस्थितियों के बीच तालमेल कैसे बैठे और जिस हालात में समूचे कश्मीर के अधिकारी या कहे कश्मीर का पुलिस प्रशासन भी कही ना कही अपने अपने घर में एक आम नागरिक होकर बाढ़ की त्रासदी से खुद को बचाने में ही लगा हुआ है उसमें राहत कब कैसे किसे मिलेगी यह सवाल अब भी उलझा हुआ है। सीधे कहें तो कश्मीर का मंजर जितना डराने वाला है, उसमें राहत व्यवस्था लगातार पहुंच तो रही है लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल सिलसिलेवार तरीके से हर क्षेत्र में राहत उन लोगो तक पहुंचाने की है जहां अब भी पानी है और उन जगहों पर पीने का पानी तक नहीं पहुंचा है। असल में हालात को समझने और राहत व्यवस्था करने में सबसे बडी भूल यह हो रही है कि कश्मीर में कोई व्यवस्था बची नहीं है, इसे केन्द्र अभी तक समझा नहीं है और राज्य सरकार यह मान नहीं रही है कि उसके हाथ में सिवाय कश्मीर के नाम के अलावे कुछ नहीं है। लेकिन इस मंजर में पहली बार हर बच्चा “क” से कश्मीर लिखना जरुर सिख चुका है।

:-  पुण्य प्रसून बाजपेयी

punya-prasun-bajpaiलेखक परिचय :- पुण्य प्रसून बाजपेयी के पास प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। प्रसून देश के इकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें टीवी पत्रकारिता में बेहतरीन कार्य के लिए वर्ष 2005 का ‘इंडियन एक्सप्रेस गोयनका अवार्ड फ़ॉर एक्सिलेंस’ और प्रिंट मीडिया में बेहतरीन रिपोर्ट के लिए 2007 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला।

गृहमंत्री ने बंधवाया जवान से जूते का फीता

Home Minister shoelace tied to youngनई दिल्ली [ TNN ] टीवी चैनलों पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह की एक फुटेज चलने से विवाद पैदा हो गया है। इस फुटेज में राजनाथ सुरक्षा बल के एक जवान से अपने जूते का फीता बंधवाते दिख रहे हैं। गृहमंत्री अपने दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं।

वह बृहस्पतिवार को पाकिस्तान से सटी सीमा पर सुरक्षा तैयारियों का जायजा लेने के लिए एक कार्यक्रम में कोस्ट गार्ड और बीएसएफ के जवानों के बीच मौजूद थे।

टीवी चैनलों की फुटेज में इस दौरान एक जवान कुर्सी पर बैठे राजनाथ के जूते का फीता बांधता हुआ दिख रहा है। इससे पहले यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी ऐसे ही एक विवाद में घिर गई थीं।

बतौर मुख्यमंत्री रहते एक कार्यक्रम में उनकी सुरक्षा में तैनात कर्मियों ने उनकी सैंडल खुद साफ करके उन्हें पहनाई थी।